Book Title: Ahimsa Vishvakosh Part 01
Author(s): Subhadramuni
Publisher: University Publication

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Page 326
________________ INMENMEANERNXXXXEEEEEEEEEEEEEEEEEEEXX. {1005} नघहन्यात्स्थलारुढं म क्लीन कृताञ्जलिम्। न मुक्तकेशं नासीनं न तवास्मीति वादिनम्॥ (म.स्मृ.-7/91; शु.नि. 4/7/358) (रथ पर बैठा हुआ)योद्धा (1) भूमि पर स्थित योद्धा को, तथा (2) नपुंसक, * (3)हाथ जोड़े हुए, (4) बाल खोले हुए, (5)बैठे हुए और (6) मैं तुम्हारा हूं' ऐसा कहने वाले (शरणागत) योद्धा को न मारे। {1006} न सुप्तं न विसन्नाहं न नग्नं न निरायुधम्। नायुध्यमानं पश्यन्तं न परेण समागतम्॥ (म.स्मृ.-7/92; शु.नि. 4/7/359 में आंशिक परिवर्तन के साथ) सोये हुए, कवच से रहित, नंगे, शस्त्र से रहित, युद्ध से विरत, (केवल युद्धको) देखने वाले (जैसे-युद्ध-संवाददाता आदि) और दूसरे के साथ युद्ध में भिड़े हुए योद्धा को भी न मारे। 坎坎坎坎坎呢明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明垢玩垢巩听听听听听听巩 {1007} एकेन सह संयुक्तः, प्रपन्नो विमुखस्तथा। क्षीणशस्त्रो विवर्मा च, न हन्तव्यः कदाचन ॥ (म.भा. 6/1/31) जो एक के साथ युद्ध में लगा हो, शरण में आया हो, पीठ दिखाकर भागा हो, और जिसके अस्त्र-शस्त्र और कवच कट गये हों; ऐसे मनुष्य को कदापि न मारा जाय। __{1008} गोब्राह्मणनृपस्त्रीषु सख्युर्मात्तुर्गुरोस्तथा।। हीनप्राणजडान्धेषु सुप्तभीतोत्थितेषु च। मत्तोन्मत्तप्रमत्तेषु न शस्त्राणि च पातयेत्॥ (म.भा. 10/6/21-22) . (युद्ध में) गौ, ब्राह्मण, राजा, स्त्री, मित्र, माता , गुरु, दुर्बल, जड़, अन्धे, सोये हुए, * डरे हुए, मतवाले, उन्मत्त और असावधान पुरुषों पर मनुष्य शस्त्र न चलाये। EHREEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEERS [वैदिक ब्राह्मण संस्कृति खण्ड/296

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