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________________ NEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEms दया, करुणा व सौहार्द-एकार्थक {621 स्वदुःखेष्विव कारुण्यं परदुःखेषु सौहृदात्। दयेति मुनयः प्राहुः साक्षाद्धर्मस्य साधनम्॥ ___(कू.पु. 2/15/31; प.पु. 3/54/29) दूसरों के दुःख में अपने जैसा दुःख समझना और उनके प्रति करुणा व सौहार्द भाव प्रकट करना 'दया है, जो धर्म का साक्षात् साधन है। दयाः ईश्वरीय स्वरूप ¥圳坑坎妮妮妮妮妮妮妮妮妮妮妮妮听听听听听听听听听听听听听听听听听听玩玩玩玩玩乐乐玩玩乐乐巩巩巩 {622} श्रद्धा दया तितिक्षा च क्रतवश्च हरेस्तनूः। (भा. पु. 10/4/41) श्रद्धा, दया, तितिक्षा एवं क्रतु-(सत्कर्म)-ये भगवान् हरि के शरीर हैं। दयाः जीव-वध से निवृत्ति {623} परासुता क्रोधलोभादभ्यासाच्च प्रवर्तते। दयया सर्वभूतानां निर्वेदात् सा निवर्तते। (म.भा. 12/163/9-10) क्रोध ओर लोभ से तथा उनके अभ्यास से परासुता (दूसरों के मारने की इच्छा)प्रकट क होती है। सम्पूर्ण प्रणियों के प्रति दया से और वैराग्य से वह निवृत्त होती है। %%%%%%%%% %%%%%% %%%%% %%% % % %%% %%%% वैदिक/बाह्मण संस्कृति खण्ड/176
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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