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हिंसक असत्य वचन त्याज्य
{519} निष्ठरं भाषणं यत्र तत्र नित्यं वसाम्यहम्॥
(प.पु. 6(उत्तर)/116/15) (अलक्ष्मी/ दरिद्रता का कथन-) जहां-जहां लोग कठोर भाषण करते हैं, वहां मैं सर्वदा निवास करती हूं।
{520} अभ्यावहति कल्याणं विविधं वाक् सुभाषिता। सैव दुर्भाषिता राजन्ननायोपपद्यते॥
__ (म.भा. 5/34/77, विदुरनीति 2/77) मधुर शब्दों में कही हुई बात अनेक प्रकार से कल्याण करती है; किन्तु वही यदि कटु शब्दों में कही जाय तो महान् अनर्थ कारण बन जाती है।
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{521} न वदेत् सर्वजन्तूनां हृदि रोषकर बुधः।।
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(शि.पु. 1/13/80) ___ ऐसी कोई बात किसी भी प्राणी के विषय में न कहे जिससे उसके हृदय में कोई रोष पैदा हो।
{522} तस्मात् सान्त्वं सदा वाच्यं न वाच्यं परुषं क्वचित्।
___ (म.भा. 1/87/13) कभी कठोर वचन न बोले। सदा सान्त्वनापूर्ण मधुर वचन ही बोले।
{523} कक्षा परुषा वाचो न ब्रूयात्।।
(बौ. स्मृ. स्नातक व्रत/28) ब्रह्मचारी को चाहिए कि वह रूखे और परुष (कठोर) वचन नहीं बोले। 把身男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男%%%%%%%%%%%、 विदिक/ब्राह्मण संस्कृति खण्ड/148