________________
{200} सर्वभूतहिते युक्ताः सर्वभूतहिते रतः। सर्वभूतानुकम्पी च, तस्य तुष्यति केशवः।
(वि. ध. पु. 1/58/23) (भगवान शंकर का श्री परशुराम को कथन-)जो व्यक्ति सभी प्राणियों के हित में अपने को जोड़ता है, सभी प्राणियों के हित-साधन में संलग्न रहता है, सभी प्राणियों पर अनुकम्पा रखता है, उस पर भगवान् विष्णु प्रसन्न रहते हैं।
{201}
$听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听
परपीडाकरं कर्म यस्य नास्ति महात्मनः। संविभागी च भूतानां, तस्य तुष्यति केशवः॥
(वि. ध. पु. 1/58/7) (भगवान शंकर का श्री परशुराम को कथन-) जो व्यक्ति ऐसा कोई कार्य नहीं करता जिससे दूसरों को पीड़ा हो, और जो प्राणियों को (अन्न आदि कुछ न कुछ) देता है, ॐ उस महात्मा पर भगवान् विष्णु प्रसन्न रहते हैं।
55555555555555555555555555555555555
{202} नायं मार्गो हि साधूनां हृषीकेशानुवर्तिनाम्। यदात्मानं पराग्गृह्य पशुवद्भूतवैशसम्॥
(भा.पु. 4/11/10) इस जड़ शरीर को ही आत्मा समझकर इसके लिए पशुओं की भांति प्राणियों को मारना भगवान् विष्णु की भक्ति करने वाले सज्जनों का मार्ग नहीं हो सकता।
{203} सर्वभूतदयावन्तः शान्ता दान्ता विमत्सराः। अमानिनो बुद्धिमन्तस्तापसाः शंसितव्रताः॥
(कू.पु.1/12/276) __ (जो ईश्वर-भक्त होते हैं, वे) बुद्धिमान तपस्वी व प्रशस्त व्रत-निष्ठ लोग सभी है ॐ प्राणियों के प्रति दयालु, शान्त, दान्त, मात्सर्य-हीन व मान-रहित होते हैं।
听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听玩乐听听听听听听听听,
अहिंसा कोश/65]