________________
M玩玩乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听玩玩玩
(301)
अवज्ञातः सुखं शेते इह चामुत्र चाभयम्। विमुक्तः सर्वदोषेभ्यो योऽवमन्ता स बध्यते॥
(म.भा.12/229/22) सम्पूर्ण दोषों से मुक्त महात्मा पुरुष तो अपमानित होने पर भी इस लोक और + परलोक में निर्भय होकर सुखपूर्वक से सोता है, परंतु उसका अपमान करने वाला पुरुष तो
पाप-बन्धन में बन्धता ही है।
{302}
सर्वतश्च प्रशान्ता ये सर्वभूतहिते रताः। न क्रुद्ध्यन्ति न हृष्यन्ति नापराध्यन्ति कर्हिचित्॥
(म.भा.12/229/15) मनीषी पुरुष सर्वथा शान्त और सम्पूर्ण प्राणियों के हित में संलग्न रहते हैं, न कभी क्रोध करते हैं, न हर्षित होते हैं और न किसी का अपराध ही करते हैं।
“听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听
2021
{303} अभयं सर्वभूतेभ्यो यो ददाति दयापरः। अभयं तस्य भूतानि ददतीत्यनुशुश्रुम॥ क्षतं च स्खलितं चैव पतितं कृष्टमाहतम्। सर्वभूतानि रक्षन्ति समेषु विषमेषु च॥ नैनं व्यालमृगा नन्ति न पिशाचा न राक्षसाः। मुच्यते भयकालेषु मोक्षयेद् यो भये परान्॥
(म.भा.13/116/13-15) जो दयापरायण पुरुष सम्पूर्ण भूतों को अभयदान देता है, उसे भी सब प्राणी अभयदान देते हैं। ऐसा हमने सुन रखा है। वह घायल हो, लड़खड़ाता हो, गिर पड़ा हो, म पानी के बहाव में खिंचकर बहा जाता हो, आहत हो अथवा किसी भी सम-विषम अवस्था ॐ में पड़ा हो, सब प्राणी उसकी रक्षा करते हैं। जो दूसरों को भय से छुड़ाता है, उसे न हिंसक
पशु मारते हैं और न पिशाच व राक्षस ही उस पर प्रहार करते हैं। वह भय का अवसर आने ॐ पर उससे मुक्त हो जाता है।
听听听听听听听听听巩听听坎坎听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听舉
明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明男男男男男男男
अहिंसा कोश/91]