________________
妮妮妮妮妮听听听听听听坂听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听巩巩巩巩巩巩巩
男男%%% %%% % % %% %%% %% %%%%%%%%%%%
{283} गोहत्यां ब्रह्महत्यां च स्त्रीहत्यां च करोति यः। मित्रहत्यां भ्रूणहत्यां महापापी च भारते॥ कुम्भीपाकं स च वसेद्यावदिन्द्राश्चतुर्दश। ताडितो यमदूतेन घूर्ण्यमानश्च संततम्॥ क्षणं पतति वह्नौ च क्षणं पतति कण्टके। क्षणं च तप्ततैलेषु तप्ततोयेषु च क्षणम्॥ क्षणं च तप्तपाषाणे तप्तलोहे क्षणं ततः। गध्रः कोटिसहस्त्राणि शतजन्मानि सूकरः॥ काकश्च सप्तजन्मानि सर्पः स्यात्सप्तजन्मसु। षष्टिवर्षसहस्राणि ततो वै विट्कृमिर्भवेत्॥ ततो भवेत्स वृषलो गलत्कुष्ठी दरिद्रकः। यक्ष्मग्रस्तो वंशहीनो भार्याहीनस्ततः शुचिः॥
(ब्र.वै.पु. 2/30/144-149) गोहत्या, ब्रह्महत्या, स्त्रीहत्या, मित्रहत्या, भ्रूणहत्या करने वाला महापापी कुम्भीपाक फ नरक में चौदहों इन्द्रों के समय तक रहता है, वहाँ धर्मराज के दूतगण उसे मारते हुए निरन्तर क घुमाया करते हैं। वह वहाँ क्षण में अग्नि में गिरता है, क्षण में काँटों के कुण्डों में गिरता है,
क्षण में खौलते हुए तेल में, क्षण में संतप्त जल में, क्षण में तप्त पत्थर पर और क्षण में तप्त
लोहे पर गिरता है। अनन्तर करोड़ों जन्म तक गीध, सौ जन्म तक सूकर, सात जन्म तक ॐ कौवा और सात जन्म तक सर्प होकर साठ सहस्र वर्ष तक विष्ठा का कीड़ा होता है। उसके के उपरान्त शूद्र, गलत्कुष्ठ का रोगी, दरिद्र, यक्ष्मा-पीड़ित, वंशहीन, और स्त्रीहीन मनुष्य होता म है, तब जाकर उसकी शुद्धि होती है।
听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听。
{284} शस्त्रावपाते गर्भस्य पातने चोत्तमो दमः। उत्तमो वाऽधमो वापि पुरुषस्त्रीप्रमापणे॥
___ (या. स्मृ., 2/23/277) किसी के शरीर पर मारने के उद्देश्य से शस्त्र चलाने पर, तथा (दासी या ब्राह्मणी , फ को छोड़ कर अन्य का) गर्भपात कराने पर, उत्तम साहस का दण्ड होता है। पुरुष और स्त्री # को मारने पर (उसके शील और वृत्त के अनुसार) उत्तम (एक हजार पण) या अधम 卐 साहस (ढाई सौ पण) का दण्ड होता है।
明明明明明明明明明明明明明明男男%%%%%%%%%% %%、 विदिक/ब्राह्मण संस्कृति खण्ड/86