Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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स्थानाङ्गसूत्रे पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा- जातिसम्पन्नो नामैको नो कुलसम्पन्नः १॥ एवं चतुर्भङ्गी बोध्या । (३)
पुनः कन्थकदृष्टान्तसूत्रम्" चत्तारि कन्थगा'" इत्यादि-चत्वारः कन्थकाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-जातिसम्पन्नो नामैको नो बलसम्पन्नः १, बलसम्पन्नो नामैको नो जातिसम्पन्नः २, एको जातिसम्पन्नोऽपि बलसम्पन्नोऽपि ३, एको नो जातिसम्पन्नो नो बलस. म्पन्नः । ४ । एते सुगमाः (४)
अथ पुरुषजातदान्तिकसूत्रम्" एवामेव चत्तारि पुरिसनाया" इत्यादि-एवमेव-अनन्तरोक्तकन्थकव. देव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-जातिसम्पन्नो नामैको नो बलसमनुष्य ऐसा होता है जो जाति सम्पन्न हुआ भी कुलसम्पन्न नहीं होता है १, कोई एक कुलसम्पन्न होने पर भी जाति सम्पन्न नहीं होता है २, कोई एक जाति सम्पन्न भी होता है और कुल सम्पन्न भी होता है ३ और कोई ऐसा होता है जो न जातिसम्पन्न होता है और न कुलसम्पन्न भी होता है (४)
चतुर्थ सूत्रगत जो कन्धक चार प्रकार कहे गये हैं उनका सारांश ऐसा हैं कि कोई कन्थक ऐसा होता है, जो जाति सम्पन्न होने पर भी बल सम्पन्न नहीं होता है १, कोई एक ऐसा होता है जो बल सम्पन्न होने पर भी जातिसम्पन्न नहीं होता है २, कोई एक ऐसा होता है जो जाति सम्पन्न भी होता है और बल सम्पन्न भी होता है ३, तथा कोई एक कन्थक ऐसा भी होता है जो न जातिसम्पन्न होता है और જાતિસંપન્ન હોય છે પણ કુલસંપન્ન હેત નથી. (૨) કોઈ પુરુષ કુલસંપન્ન હોય છે પણ જાતિસંપન્ન હેતે નથી (૩) કેઈ પુરુષ જાતિસંપન્ન પણ હોય છે અને કુલસંપન્ન પણ હોય છે (૪) કેઈ પુરુષ જાતિસંપન્ન પણ હેતે નથી અને કુલસંપન્ન પણ હેત નથી.
ચોથા સૂત્રમાં કથક અશ્વના જે ચાર પ્રકાર કહ્યા છે તેનું સ્પષ્ટીકરણ નીચે પ્રમાણે છે–
(૧) કેઈ એક કન્વક એ હોય છે કે જે જાતિસંપન્ન હોય છે પણ બલસંપન્ન હોતું નથી. (૨) કેઇ એક કન્યક એ હોય છે કે જે બલસંપન્ન હોય છે, પણ જાતિ સંપન્ન હોતું નથી (૩) કેઈ એક કન્વક એ હોય છે કે જે જાતિસંપન્ન પણ હોય છે અને બલસંપન્ન પણ હોય છે. (૪)
श्री. स्थानांग सूत्र :03