Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 546
________________ - ५३० ___स्थानाङ्गसूत्रे स्पर्शादिसंख्यामाह---' सव्वेवि णं' इत्यादि-सर्वाग्यपि बादररूपधराणि पर्याप्तकत्वेन स्थूलाकारधारीणि कलेबराणि शरीराणि पञ्चवर्णानि-मनुष्यादीनामवयवभेदभिन्नानि कृष्णादि शुक्लान्तानि पञ्चवर्णानि, अक्षिगोलकादिषु तथैवोपलच्चेः, तथा-द्विगन्धानि-सुरभिदुरभिभेदगन्धद्वयविशिष्टानि, अष्टस्पर्शानि-कठिनमृदुशीतोष्णगुरुलघुस्निग्धरूक्षात्मकानि च भवन्ति । अबादररूपधराणि शरीराणि तु न नियत-वर्ण रसगन्धस्पर्शसंपन्नानि भवन्ति, अप. प्तित्वेन अवयवविभागाभावादिति ॥५० ८॥ शरीराणि प्ररूपितानि, सम्प्रति शरीरगतान् धर्मविशेषान् ‘पंचहि ठाणेहि। इत्यारभ्य 'पंच अज्जवट्ठाणा' इत्यन्तेन सन्दर्भणाह मूलम् ---पंचहि ठाणेहिं पुरिमपच्छिमगाणं जिणाणंदुग्गमं भवइ, तं जहा-दुआइक्खं दुविभज्ज दुपस्सं दुतितिक्खं दुररिक शरीरमें पांच वर्ण और पांच रस होते हैं। बादररूपको धारण करनेवाले पर्याप्तक होनेसे स्थूलाकारको धारण करनेवाले समस्त शरीर पांच वर्णों वाले मनुष्यादिकोंके शरीरोंके वर्णों के भेदसे भिन्न २ कृष्णादि शुक्लान्तवर्णों वाले होते हैं, जैसे-अक्षिगोलक आदिकोंमें देखा जाता है, तथा दो गंधोंवाले सुरभि दुरभि गंधोंवाले होते हैं, एवं कठिन, मृदु, शीत, उष्ण, गुरु, लघु, स्निग्ध और रुक्ष इन आठ स्पर्शी वाले होते हैं। परन्तु जो अबादर रूपको धारण करनेवाले शरीर हैं, वे नियत वर्ण, रस, गंध, और स्पर्श इन वाले नहीं होते हैं, क्योंकि ये अपर्याप्तक होते हैं, अतः इनमें अवयव विभागका अभाव रहता है ।मु.८॥ लियसरीरे पचवन्ने पण्णत्ते" मा यनन। लापार्थ से छे , मोहार શરીરમાં પાંચ વર્ણ અને પાંચ રસને સદ્ભાવ હોય છે. ખાદર રૂપને ધારણ કરનારા પર્યાપ્તક હોવાથી ભૂલાકારને ધારણ કરનારા સમસ્ત શરીર પાંચ વર્ણવાળા મનુષ્યાદિકના શરીરના વર્ષોના ભેદથી ભિન્ન ભિન્ન એવાં કણથી લઈને શુકલ પર્યન્તના વર્ણવાળાં હોય છે. અક્ષિગોલક વગેરેમાં એવું જોવામાં આવે છે, તથા તેમના શરીરે બે ગધેવાળાં–સુરભિ અને દુરભિ ગવાળાં डाय छ, मने नि, त, , गुरु, सधु, सिन4 अने ३२, भा આઠ સ્પર્શીવાળાં હોય છે. પરંતુ જે અબાદર રૂપને ધારણ કરનારાં શરીરે છે, તેઓ નિયત વર્ણ, રસ, ગળ્યું અને સ્પર્શવાળાં હતાં નથી, કારણ કે તેઓ અપર્યાપ્તક હોય છે. તેથી તેઓમાં અવયવ વિભાગને અભાવ રહે છે. સૂ) ૮ श्री स्थानां। सूत्र :03

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