Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 636
________________ न्सरी चलती है। नोखामें दूसरे सज्जनों की मदद के साथ 'सिरेमल जोरावर. मल'' हेल्थसेन्टर' चल रहा है / दानकी ओर आपका झुकाव इतना अधिक है कि कोई भी व्यक्ति किसी प्रकारकी सहायताके लिये आपके पास पहूंचता है तो वह निराश नहीं लौटता है / आप जहां कहीं भी जाते हैं वहांकी संस्था ओंकों कुछ न कुछ सहायता जरूर करते हैं। विद्यादानमें आपकी ओरसे हजारों रुपये लगते हैं। कई छात्रालयोको आपकी ओर आर्थिक सहायता मिलती है / जैन साहित्य प्रकाशन कार्यमें आपकी बडी दिलचस्पी है। कई ग्रन्थों के प्रकाशनमें आपका आर्थिक सहयोग रहा है। आगम प्रकाशनकी जब आपसे चर्चा की गई तो आपने स्वयमेव पांच हजार रुपयेकी महान सहायता प्रदान करनेकी उदा. रता प्रगट की। ___ आप स्वयं धर्म प्रवृत्त हैं और धार्मिक कार्योंमें तन मन व धनसे सदा आगेवान रहते हैं / यही कारण है कि स्थानकवासी समाजमें और ओसवाल समान में आपका नाम सर्वोपरि आगेवान पुरुषोंमें बड़े सन्मानके साथ आता है। समाजसुधार तथा जन जागृतिके कामोंमें आपकी अच्छी रुचि है। आपने अ० भा० श्वे० स्था० शास्त्रोद्धार समितिको आगम प्रकाशनके हेतु 5000) रुपया प्रदान कर स्थाईसदस्यता स्वीकार की है, अतः समिति आपका हार्दिक आभार मानती है। श्री. स्थानांग सूत्र :03

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