Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 05
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
Catalog link: https://jainqq.org/explore/004366/1

JAIN EDUCATION INTERNATIONAL FOR PRIVATE AND PERSONAL USE ONLY
Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Banswasnews BIE ON विभाग : 5 संपादकः संशोधकथ्य प्र.पळ्यास श्रीजिनेन्द्रविजयजी गणिवार / Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ dddddddchchtact.hot. ba s edbihdboob s hd.bhadddddthitechchhattarbadostolenthsdeta AMINitelyHYAKe श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला-ग्रन्थाङ्कः-७२ ////////// श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः / तपोमूर्ति पूज्याचार्य देवश्री विजयकर्पूरसूरिगुरुभ्यो नमः / हालारदेशोद्धारक-पूज्याचार्य देवश्रीविजयामृतसूरिगुरुभ्यो नमः / - श्री आगम-सुधा-सिन्धुः पञ्चमो विभागः श्रीमदोपपातिक-राजप्रश्नीय-जीवाजीवाभिगमाख्योपाङ्गत्रयात्मकः //// कककककककककककककककककककककका //// //////// // // ////// **toshsbdosbobehchshobdhehradhdhobhsbeberdostheadbobchchsbchchchehcbebebebsaseddhobbobobshshobhsb shabdsbabbubuddhesh व सम्पादकः संशोधकश्च / तपोमूर्ति-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयकपूरखरीश्वर-पट्टालङ्कार-हालारदेशोद्धारक- कविरत्न-पूज्याचार्यदेवश्री मद्विजयामृतसूरीश्वर-विनेयः पंन्यासश्रीजिनेन्द्रविजयगणी //// // //////////// //// //// प्रकाशिकाश्री हर्षपुष्मामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) रक्ककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककका Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशिकाश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) गुजरात वीर सं० 2503 ] विक्रम सं० 2033 ..[ सन् 1977 ___ आ आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलबासी / सुविहित मुनिवरो छ। मूल्य रु. 65-00 卐 मुद्रक छगनलाल जैन के प्रबन्ध से गौतम पार्ट प्रिन्टर्स ...... व्यावर (राज.) Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपादकीय निवेदन निष्कारणबंधु विश्ववत्सल चरमशासनपति श्रमण भगवान महावीरदेवे भव्यजीवोना हितने माटे स्थापेल शासन आजे विद्यमान छे अने विषमकालमां पण भव्य जीवोने माटे सर्वज्ञ परमात्मा ए शासन परम आलंबन रूप छ / तीर्थंकरदेवोनी अविद्यमानतामा तेओश्रीनी वाणी शासनना प्राण स्वरूप होय छे / श्री तीर्थंकरदेवो अर्थथी प्ररूपेल अने गणधरदेवोओ सूत्रथी गूथेल मे जिनवाणी हितकांक्षी पुन्यात्माओ माटे अमृत तुल्य छ / ___ विद्यमान आगम श्रुतज्ञानमा मुख्यतया 45 आगम गणाय छे। ते उपरांत पण 84 आगमनी गणतरीने हिसाब बीजु पण केटलुक आगम रूपी श्रुतज्ञान विद्यमान छे। अगम सूत्रो उपर नियुक्रिओ, भाष्यो, चूर्णिओ अने टीकाओ रचायेल छ / अने अथी सूत्र सहित आगमनी ओ पंचांगी जैन शासनमा मान्य छ / तेना आधारे वर्तमान ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार अने वीर्याचार रूप व्यवहार प्रवर्ते छ। सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान अने सम्यक्चारित्र रूप मुक्ति-मार्ग प्रवतेमान छ / पंचांगीनो वाचना, पृच्छना, परावर्तना, अनुप्रेक्षा अने धर्मकथा रूप पंचलक्षण स्वाध्याय जेटलो जोरदार तेटली श्री संघमा सम्यगज्ञाननी शुद्धि जोरदार, तेनाथी ज्ञानाचार उज्वल, उज्वल ज्ञानाचारथी दर्शनाचार उज्वल, उज्वल दर्शनाचारथी चारित्राचार उज्वल, उज्वल चारित्राचारथी तपाचार उज्वल अने चारे उज्वल आचारथी वीर्याचार उज्वल / वीर्याचारनी उज्वलताथी जैनशासन उज्वल / ए उज्वल जैन शासन सदा जयवंत वर्ते छ / आम शासननो आधार कहो के पायो कहो, मूल कहो के प्राण कहो, अ श्री जिनवाणी के अने ते जिनवाणी 45 मूल आगम सहित पंचांगी स्वरूप छे / पंचांगीने अनुसरता प्रकरण ग्रन्थो यावत् स्तवन सज्झाय के नाना निबंध के वाक्य स्वरूप छ / उपशम विवेक संवर ओ त्रिपदी स्वरूप जिनवाणीथी घोर पापी चिलातीपुत्र पतनना मार्गथी नीकली प्रगतिमार्गना मुसाफीर बनी गया हता। 45 मूल आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिवरो छ / साध्वीजी महाराजो श्रीआवश्यक सूत्र आदि मूल सूत्रोना तेमज श्रीआवारांग सूत्रना योगवहन करवा Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4] संपादकीय निवेन पूर्वक अधिकारी छ / श्रावक श्राविकाओ उपधान वहन करवा पूर्वक श्री आवश्यक सूत्र ना उपरांत दशवकालिकसूत्रना षड्जीव-निकाय-नामना चोथा अध्ययन पर्यंतना श्रुतना अधिकारी छ। आम आगमश्रुतना अधिकारी मुनिवरो योगवहन करवा पूर्वक योग्यता मुजब अध्ययन आदि करीने पोताना ज्ञान दर्शन चारित्रने निर्मल बनावे छे / अने योग्यता मुजब धर्मकथा द्वारा जिणवाणीनुपान करावी साधु-साध्वी श्रावक-श्राविका रूप चारे प्रकारना संघने तेमज मार्गाभिमुख जीवोने मुक्तिमार्ग प्रदान करे छ। 45 आगमसूत्रो 6 विभागोमां वहेंचायेल छे / (1) अंगसूत्रो-११ (2) उपांगसूत्रो-१२ (3) पयन्नासूत्रो-१० (4) छेदसूत्रो-६ (5) मूल सूत्रो-४ (6) चूलिकासूत्रो-२ / आ सूत्रोन स्वाध्याय आदि अध्ययन वधे ते माटे उपयोगी बने ते रीते 45 मूल सूत्रो श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघमा सलंग मुद्रित नथी अने जेथी आगम सूत्रोना स्वाध्याय आदिनी अनुकूलता थाय ते माटे शक्य प्रयत्ने संशोधन करीने प्रगट करवानी योजना विचारवामां आवी छे, ते योजना मुजब 45 आगमसूत्रोनु 14 विभागमा संपादन थशे / पहेलो, वीजो, चोथो, छट्ठो, आठमो, अग्यारमो, बारमो, तेरमो, चौदमो विभाग प्रगट थया पछी आ पांचमो विभाग संपादित थयेल छ। आ विभागमा,श्री औपपातिक सूत्र श्री राजप्रश्नीय सूत्र अने श्रीजीवाजीवाभिगम सूत्र ए प्रथमना त्रण उपांग आपेला छ / - आ सूत्रोना संपादनमा बाबु श्रीधनपतसिंहजी रायबहादुर प्रकाशित सूत्रो तथा पूज्य आगमोद्वारक आचार्यदेव श्री सागरानन्दसूरीश्वरजी महाराज संशोधित श्री आगममञ्जूषा तथा श्रीआगमोदयसमिति प्रकाशित श्रीऔपपातिक सूत्रनी पू. आ० श्रीअभयदेवसूरीश्ववरजी महाराज विरचित टीका, श्री राजप्रश्नीय सूत्र नी श्रीमलयगिरीजी महाराज रचित शंभुलाल जगशी शाह प्रकाशित टीका तथा शेठश्रीदेवचंद लालभाई तेमज शेठ श्रीनगीनदास छलाभाई प्रकाशित श्रीमलयगिरिजी महाराज विरचित श्रीजीवाभिगम सूत्र टीका आदि प्राप्त प्रकाशनो नो उपयोग कर्या छ / ते ग्रन्थो ना कर्ता संपादक अने प्रकाशक प्रत्ये कृतज्ञता प्रगट करूंछु। टीकाओ आदिमा रहेला पाठांतरो मेलवीने मूलपाठ जोडे कौंशमा आपेला छ / श्री श्रमण संघमा आगमो कंठस्थ करवामां, स्वाध्याय करवामां, विस्तृत टीकाओना वांचन पछी मूलसूत्रोनु पुनरावर्तन करवामां, आ मूल सूत्रोना संयुक्त संपादन थी घणी अनुकूलता रहेशे अने अथी उत्साही मुनि भगवंतो होशे होंशे सूत्रो कंठस्थ करीने आगम Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपादकीय निवेदन श्रुतने धारण करवा माटे पण समथ बनी शकशे / 2, 5, के 10, 20 सूत्र कंठस्थ करनारा घणा मुनिवरो तैयार थशे अने पुरतो प्रयत्न थाय तो लगभग अक लाख श्लोक प्रमाण मूल सूत्रो कंठस्थ करी धारी राखनारा अनेक गणो मुनिवरोमां थइ शकशे / 'ज्ञानधनाः साधवः' 'शास्त्रचक्षुषः साधवः, अ विधान मुजब श्रमण संघना प्राण समान आ आगम सूत्रोनु श्री श्रमण भगवंतो द्वारा विशेष परिशीलन थतां श्रीसंघने माटे श्री शासन ने माटे घणी उज्वलता फेलाशे अने अ आशयथी स्वपरना श्रेयकारी आगम सूत्रोनां संशोधन संपादनमा अविरत उत्साह प्रवर्तमान छ। प्रकाशननी सगवडता माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्स (ब्यावर) ना व्यवस्थापक श्री छगनलाल भाई जे खंत अने उत्साह बताव्या छे तेने कारणे आ प्रकाशनो समयसर प्रकाशित थइ रह्यां छे। चरम तीर्थपति श्रमण भगवान महावीर देवे प्रकाशेल जिनवाणीनो प्रभाव पांचमा आराना छेता सुधी रहेशे / ओ ज्वलंत जिनवाणीनो प्रकाश आपणा आत्माने योग्यता अने अधिकार मुजब अजवालनारो बने अने जिनवाणीनी आ उपासनाभक्तिमा भावना पूर्वक रस लइ रह्यो छु ते भावोल्लास टकी रहे अने सौ श्रुत आराधनामां उजमाल बनी एज मारा अंतरनी शुभ अभिलाषा छ / वीर.सं. 2503 वि० सं० 2033 / ज्येष्ठ शुक्ल 3 ता० 21-5-77 हालारदेशोद्धारक कविरत्न पूज्य आचार्यदेव - श्रीमद्विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजानो चरणसेवक पं. जिनेन्द्रविजय गणी 55 Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / प्रकाशकीय निवेदन ... अमारी ग्रन्थमाला तरफथी आ श्रीआगमसुधासिन्धु पांचमो विभाग मूल प्रगट करता आनंद अनुभवीए छीए / हालमा 45 आगम मूल अने केटलाक आगम टीका सहित प्रगट करवानु काम शरू करतां आ ग्रन्थ नागरी लिपिमा मोटा टाइपमा प्रगट करेल छ / आ प्रकाशन पूर्वे श्री आगम-सुधा-सिन्धुना पहेलो, बीजो, चोथो, छट्ठो, आठमो, अग्यारमो, बारमो, तेरमो, चौदमो विभाग प्रगट थई गया छ / हाल त्रीजा, अने सातमा विभागनु मुद्रण. चाली रघुछे। आ ग्रन्थनु संशोधन संपादन हालारदेशोद्धारक कविरत्न स्व. पू. आचार्यदेव श्रीमद्विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्यरत्न पू० पंन्यासश्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवरे घणी खंतथी करेल छ। कागल छपाइ आदिना भाव वधवाने कारणे तेमज मर्यादित नकलो छपाती होवाथी खर्च धार्या करता वधु आवे छे / मोटा टाइपमा मुद्रित करतां पेज पण वधारे थाय छ / परंतु टकवानी अने अभ्यासनी दृष्टिए अनुकुलता रहेशे / आगम सूत्रोना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिओ छे / ए शास्त्रविधि मुजब पूज्य श्रमणसंघमा आगम वांचनादिमां अनुकुलता थाय ते रूप आ श्रुतभक्ति करता अमे आनंद अनुभविए छीए / ___आ विभागमा श्री औपपातिकसूत्र श्रीराजप्रश्नीयसूत्र श्रीजीवाजीवाभिगममूत्र प्रगट थई रह्यां छे / 45 मूल आगम 14 विभागमा प्रगट थशे / सटीक आगमोमा श्रीमदुपासकदशा सूत्र श्रीमदन्तकृद्दशा, श्रीमदनन्तरोपपातिकदशा तैयार थइ गयो छे। श्री आचारांगसूत्र श्रीशीलांकाचार्यश्रीजीनी टीका छपाय छ / मुद्रण माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्सना व्यवस्थापको सारी खंत राखी छे तो तेमनो आभार मानी छी। लि:वीर सं० 2503 वि सं० 2033 / महेता मगनलाल चत्रभुज ज्येष्ठ कृष्ण 5 शाह कानजी होरजी मोदी Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सादर समर्पण परम पूज्य परमशांतमूर्ति चारित्ररत्न कच्छवागड़ . देशोद्धारक पूज्यपाद आचार्यदेवेश श्रीमद् विजयकनकसूरीश्वरजी महाराजा जेओश्रीनी पुनीत कृपानो अनुभव पूज्यपाद संघस्थविर आचार्यदेव श्रीमविजयसिडिसूरीश्वरीजी महाराजानी शीतल सत्रछायामा रहेतां मारा गुरुदेवश्री साथे सुन्दर रीते प्राप्त थयो हतो जेओश्री .. सुन्दर संयम साधना अने शासननी सत्य आराधनाना पुरा - प्रेमी हता. कच्छवागड़ प्रदेशने धर्मनारंगे रंगी तेओश्रीए पुष्कल पुन्यात्माओ नो उद्धार कर्यो छे / तेओश्रीनी पुनीत स्मृतिमां श्री आगम सुधा-सिन्धु ___ पांचमो विभाग सादर कोटिशः वंदना साथे समर्पण करी कृत्कृत्यता अनुभवु छु गुरुपदकजभृङ्ग जिनेन्द्रविजय . .. . .. OV . . Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 141. س .... 381 * अनुक्रमणिका (r) श्री औपपातिक सूत्र 1 थी 67 श्री राजप्रश्नीय सूत्र सूर्याभदेव-कथा प्रदेशीनृप-कथा श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र १-संसारसमापनजीवाभिगम कम प्रतिपत्ति . . पृष्ठ | क्रम प्रतिपत्ति 1 .द्विविधाख्या 183 ज्योतिषादिदेव-अधिकार 2 त्रिविधाख्या 202 उद्देशो 1 . 273 3 चतुविधाख्या वैमानिकदेव-अधिकार नरक-अधिकार उद्देशो 1 - उद्देशो 1 224 " 2 4 पञ्चविधाख्या 245 - तिर्यञ्च-अधिकार 5 षड्विधाख्या / उद्द शो 1 ... 6 सप्तविधाख्या 7 अष्टविधाख्या 252 412 . मनुष्य-अधिकार 8 . नवविधाख्या * उद्देशो 1 .. ... 255 | दशविधाख्या २-संसारासंसारसमापन्न जीवाभिगम क्रम प्रतिपत्ति प्रतिपत्ति 1 द्विविधाख्या 416 6 सप्तविधाख्या 2 त्रिविधाख्या 420 7 अष्टविधाख्या 429 3 चतुर्विधाख्या 423 8 नवविधाख्या 4 . पञ्चविधाख्या 425 / 9 दशविधाख्या 5 षड्विधाख्या 426 / 363. 233 . 246 . occccccccc c क्रम 428 432 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ !! शुद्धिपत्रकम् // पएहि पृष्ठं पंक्तिः अशुद्धं . शुद्धं पृष्ठ पंक्तिः अशर्द्ध 1 7 संक्किट्ठ संकिट्र 68 2 भवौघवारं 6 5 कोट्ठागार कोट्ठागारा 68 3 क्रतोपकारं 8 7 वणथिर घणथिर 68 5 भाष्करं 814 सिरिविच्छंकिय सिरिवच्छंकिय 10 7 रोमकुवे रोमकूवे 75 11 . जउरंगुल 11 5 पाएइ पासह 75 12 कुंबुवर 12 22 भद्दपडियं भद्दपडिमं 78 है पुराओ 17 1 धूयकेस० धुयकेस० 80 4 वदंति 19 7 एएहिं 8026 सम्मणित्तए - 22 16 ईसिसित .. इसिसित 89 13 पण्णात्ते 25 1 तावत्तीसमहिया तायत्तीसमहिया 10 16 खम्भुग्गय 25 23 अवडिय० अवट्ठिय० 98 6 धामं ...6 1 मगहरावरवच्छ मगहग-धरच्छ 18 भूमण. . 26 12 हय. हय 68 17 अट्ठसथं 30 10 संगामियाओज्ज(संगा-(संगामियाओज्जं संगा- 105 7 परिरूवा 32 23 रयलिय पयलिय 114 17 मंडगा 35 5 पच्चा पडत- पञ्चयडंत 115 16 (म्मि 33 16 वायवीइयंगे वायवीइयंगे) 1177-11 पासय० 34 14. (रविता) (रार्विता) 127 1 गिण्हत्ता 34 23 कडाणं किंकरवर-तरुण-परिग्गहिआणं 231 16 या थासग अहिलाण चामरगण्ड-परिमंडिय- 133 16 गब्छंति कडीणं अट्ठसयं 137 15 पडिनिकखवर 35 21 णगध(व) राणागध(वारा 136 11 चिंघपट्टा 36.32 सस्सिरीयाहि शब्द न जोइए 142 5 च 36 23 सहं सह 1473.12 नमंसित्ता 37 8 पडिसुया पडिसह(डिसुया) 160 4 अगं तुं 54 10 उवयासिज्जमाणे अवयासिज्जमाण - 161 16 निगय 57 13 विहरेणं - विहारेणं 163 4 कोइ 65 7 इसोषब्भारा इसीपब्भारा 165 12 तुलियस्स वा 65 24 घणुत्तिमागो धणुत्तिभागो 174 11 वाणसंडे 66 5. परिहिणा परिहीणा 176 24 पाउस शद्ध . भवौघवारं कृतोपकारं भास्कर 1 . चउरंगुल कंबुवर पुरओ वंदति सम्माणित्तए पण्णत्ते खम्भुग्गय वामं . भूसण अट्ठसयं पडिरूवा ०मंडवगा (णिमा पासाय गिण्हित्ता य गच्छति पडिनिक्खषह चिंधपट्टा य आगंतु निगमः .. तुलियस्स वणसंडे पासउ Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . वाही पृष्ठं पंक्तिः अशद्धं 'शद्ध 178 14 घम्मे धम्मे 180 11 दंसिप्पगार। देसिप्पगार 186 8-23-24 आहारैति 201 1 एंतोमुहुत्तं अंतोमुहुत्तं 210 23 बंधठिति बंधठिती 211 4 पण्णात्ता पण्णता 215 8 अकभ्मभूमग . अकम्मभूमग 23017 रयणप्याभा रयणप्पमा 230 21 णरयुसु नरएसु 236 17 पुढवी पुढवीए 241 5 थोघयरका चोवयरका 245 22 346. 1 कसणुम्माणं कम्माणुभावणं 247 23 संमुच्छिजलयर समुच्छिमजलयर 251 24 जाव जहा 257 10 बहेव बहवे 262 18 भिगणील भिंगिणील 264 16 हंह० हंस० 266 16 वेरएति वेरिएति 266 20 व 268 3 पाबाई पवाह 272 15 पुण पणु२७४ 16 देवसिता देविसता 181 6 मुवण्ण सुवण्ण. 283 14 सूरमंडलेति सूरमंडलेति वा 284 6 इभेतारूवे इमेतारूवे 286 24 बंदण-सारकाण. चंदण-सारकोण. 287 10 एकारसुगुलंकारं एकारसगुणालंकारं पृष्ठं पंक्तिः अशुद्धं शुद्धं 289 / सभिमरीयई सम्मिरीयाई 269 23 उट्ठ 302 5 उवारियालणस्स उवारियालयणम्स 106 6 जंबूयण जंवूणय 304 6 उठवेघेणं उन्वेघेणं 310 16 वरह 320 4 पाधावति. पधावेंति 34 23 पुरथिल्लं पुरथिमिल्लं 335 6 तदणतरं तदाणंतरं 345 4 केणठणं केण?णं 3.5 24 पउमवरवेदिवाए पउमवरवेदियाए 346 13 तिरियमसंज्जे तिरियमसंखेज्जे 350 19 कालोवगाणं कालोयगाणं 353 11 ओराला . भोराला बलाहका 356 21 धायसंडस्स धायइसंहस्स : 358 17 खखु खलु 361 12 कोडकोडीणं- काडाकोडीणं 365 14 अड्डोववण्णगा . उड्ढोववण्णगा 366 14 कट्टे 377 3 उदसीसु उदहीसु 377 14 एक ' एक के 386 23 तवविज्ज० तवणिज्जा 412 22 मणुस्सणं मणुस्साणं 415 23 षण्ण वण्णगा 416 18 अंतोमहत्तं अंतोमुहुत्तं 425 5 संजयासंजाते संजयासंजते 426 18 आमाणिक भाभिणि. वट्टे वा Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 45 अागम मूल-पुस्तक श्रेणी योजना अंगे * निवेदन * जणावतां आनंद थाय छे के परम करुणानिधि चरम तीर्थपति श्रमण भगवान महावीरदेवे भव्य जीवोना श्रेयना हेतु रूप तीर्थनी स्थापना करी अने गणधर देवोने त्रिपदीनु प्रदान कयुः लब्धिनिधान श्री गणधर देवोओ द्वादशांगीनी रचना करी. जेमनी पाट परंपरा विद्यमान छे ते 'श्रीमत्सुधर्मस्वामीजीनी द्वादशांगी प्रवर्तमान रही अने वर्तमानमा अग्यार अंग आदि अंग प्रविष्ट अने बार उपांग दश पयन्ना, छ छेद, 4 मूल अने 2 चूलिका सूत्रो एम अंग बाह्य श्रुतज्ञान आदि विद्यमान छे ते सूत्रो उपर पूर्वाचार्य महापुरूषो विरचित नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि, टीका, भवचूरि विगेरे आगमानुसारी श्रुत विद्यमान छ। आ कल्याणकारी श्रुतना आधारे श्री महावीर परमात्मानु शासन प्रवर्तमान छे पूज्य आचार्य मगवंतो आदि मुनिराजो आदि योगवहन, गुरुकुलवास, गुरुआज्ञा आदि योग्यता. मुजब श्रुतना अधिकारी छे. अने अथी ओ शास्त्रीय मर्यादामा रहेता पूज्योने आ श्रुतज्ञानना स्वाध्याय आदिनी अनुकुलता रहे ते हेतुथी श्रु त भक्तिरूपे 45 आगमो मूल तेमज केटलाक सूत्रोनी टीका आदि मुद्रित करवानुनक्की कयु छे तेनुसंशोधन अने संपादन हालार देशोद्धारक पूज्य आचार्य देव श्रीमद् विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्य पूज्य पंन्यास श्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवर अथाग- परिश्रम पूर्वक करी रह्या छ। आ सूत्री श्री संघना भंडारोमा पूज्य गुरुदेवोने अर्पण करवा प्रसारित करवानो भमे निर्णय कों छ / तेनी मर्यादित नकलो प्रकाशित थाय छे भने जे श्री संघो के श्रु तभक्ति रूपे श्रावको आ प्रतिमओ मेळववी होय तेमणे पोतानी नकल नी यादी लखावी देवा विनंति छ / सूत्रोनी नकलो मर्यादित प्रकाशित थाय के वळी बुकसेलरोने ते बेंचवा आपवानी नथी अटले पाछलथी प्रतिओ प्राप्त थवी मुश्केल पडशे / जेथी भंडारोने सुव्यवस्थित अने समृद्ध बनाववा श्री संघोओ पोताना सेट तरतमां लखावी देवा, पूज्य गुरुदेवो के संघोने अर्पण करवा या श्री शासनमी मिल्कत रूपे सुरक्षित राखी, पूज्य गुरुदेवोने स्वाध्याय आदि माटे अर्पण करवा सुभावको पण आ सेट खरीदी शकशे / तेओ आ सेट वांची के बेची शकशे नहीं। 45 आगमो भने 4 सूत्रोनी टीकामओ आदि जे कार्य हाथ उपर धरायु के तेनु मूल्य रु० 700) थशे। चौद विभागमा 45 भागम प्रगट थशे / Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12] निवेदन __ पहोंचाडवानी सगवडला रहे ते माटे 8 थी 10 सूत्रों तैयार थयेथी रवाना कराशे / जेथी सेट मंगा. बनारे पोताने मोकलवानां ग्रन्थो रेल्वे के ट्रान्सपोर्ट द्वारा प्राप्त थाय तेवु सरनामुजणावयु / मा मागम श्रेणी अंगे नाम नोधाववा तथा रकम मोकलवाना सरनामाः (1) महेता मगनलाल चत्रभुज शाक मारकेट सामे निशाल फली, जामनगर, (सौराष्ट्र) (2) शा. मनसुखलाल जीवराज भाडलावाला शराफ बाजार, राजकोट (सौराष्ट्र) (4) शा. वेलजी हीरजी गुढका 52 बी.एम. आझाद रोड, रंगवाला चाल, मुंबई-४०००११ (5) शा. रीखवचन्द फुलचन्द सी.पी. टेन्क पहेलो पारसीवाडो ओल्ड हीरा बील्डिंग श्ले माले . बी. पी. रोड, मुंबई-४ .. (3) संघवी जयंतिलाल त्रिभोवनदास (6) नवीनचंद्र बाबुलाल शाह मार्फत-महावीर स्टोर 2681 फुवारा बाजार डेली फली लालबाग सामे, जामनगर .. गांधी रोड़, अहमदावाद मा आगम भेणी उपरांत अप्रकट तथा अप्राप्य प्रन्योनु विशाल पाया उपर प्रकाशन करवानी पण अमारी धारणा छ। * श्रुतज्ञाननी मा मतिना कार्यमां सौनो साथ मलशे तो अमे वहेलासर सफल थ मेथी आ अंगे योग्य सहकारनी अपेक्षा राखी तज्ञान भक्तिना कार्यमां साथ आपका नम्र विनंति छ / Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्लोक 2266 ॥श्री महावीरजिनेन्द्राय नमः। . ॥श्रीमणिबुद्धयाणंदहर्षकर्पूरामृतसूरिगुरुभ्यो नमः // 45 आगम मूल-पुस्तक श्रेणी योजना श्री आगम-सुधा-सिन्धुः * संपादकः-तपोमूर्ति पूज्य आचार्यदेवश्री विजयकपूरसूरीश्वरजी म. ना पट्टधर हालारदेशोद्धारक * पूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजय अमृतसूरीश्वरजी म. ना शिष्यरत्न . पू. पं. श्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवर अग्यार अंग सूत्रो सप्तमो विभागः प्रथमो विभागः 5. श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र 4454 नं० नाम .. 6. , चंद्र प्रज्ञाप्ति " 2200 1. श्री आचारांग सूत्र - 2554 7., सूर्य प्रज्ञप्ति , 2." सूत्रकृताङ्ग . " 210. 8. ,, कलिका . सू 3." ठाणांग 3700 6., कल्पावतंसिका 4. , समवायांग . . , 1660 10. , पुष्पिका 1109 11. , पुष्पचूलिका " . द्वितीय तृतीय-विभाग: 12. , वह्विदशा 5. बी भगवती सूत्र 15752 : चतुर्थो विभागः .10 पयन्ना सूत्रो 6. श्री ज्ञाता सूत्र 5464 अष्टमो विभाग 7. ,, उपासकदशा. " 812 8... अंतकृदशा , 760 नाम श्लोक 1.,, अनुत्तरोपपातिक , 162 1. श्री चउशरण सूत्र 10, प्रश्नव्याकरण , 1250 2. / भाउरपञ्चक्खाण , 100 11., विपाक 1216 3., महापमक्खाण " 4., भक्त परिक्षा 215 बार उपांग सूत्रो 5., तंदुलवयालीय 138 पञ्चमो विभागः 6.. संस्तारक 155 नाम श्लोक गच्छाचार १.श्री उववाइ . सूत्र 8., गणिविज्जा 2., राजप्रश्नीय " 2120 6., देवेन्द्र स्तव 375 3., जीवाभिगम , 10.,, मरणसमाधि 875 षष्ठो विभागः 1., चंन्द्र वेष्यक 174 2., वीरस्तव 43 4." पन्नावणा नं० 176 1167 105 सूत्र 7787 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाम , 6 छेद सूत्रो 4 मूल सूत्रो नवमो विभागः द्वादशमो, विभागः नं. . श्लोक 1. श्री आवश्यक सूत्र (नियुक्ति भाष्य सह) 1. श्री निशीथ . 21 - 2500 2." बुहत्कल्प 437 . 2. ,, ओघनियुक्ति , (भाष्य सह) 1355 , पंचकल्पभाष्य , 3135 - " व्यवहार त्रयोदशमो. विभागः 373 4., दशाश्रत 2106 3. श्री दशवकालिंक '' सूत्र 700 5., जीतकल्प 105 , पिंडनियुक्ति , 835 4., उत्तराध्ययन. , 2000 दशमो विभागः 6. श्री महा निशीथ सूत्र 4548 2 चूलिका सूत्री...... म एकादशमो विभागः . . चतुर्दशमो विभागः .. श्री कल्पसूत्र (प्रताकार 36 पोइन्ट टाइप) 1. श्री नंदी सूत्र . 700 1215 2. श्री अनुयोगद्वार सूत्र सटीक आगमो आदि नं. नाम * मूल श्लोक टीकाकार टीका श्लोक 1. श्री आचारांग - सूत्र...... श्री शीलांकाचार्य 2 श्री उपासकदशांग 812 श्री अभय देवसूरिजी. 800 3. श्री अतकृद्दशांक , . 400 4., अनुत्तरोपपातिक, 182 5. नवस्मरणानि गौतमस्वामिरासश्च 16 2554 12000 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अहम् // श्रीमच्चतुर्दशपूर्वधर-श्रुतस्थिविर संकलितं // श्रीऔपपातिक-सूत्रम् // तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नयरी होत्था, रिद्धस्थिमियसमिद्धा पमुइय-जण-जाण(जणुजाण)वया पाइराण-जणमगुस्सा - हलसयसहस्स-संक्किट्ठ विकिट्ठ-लट्ठ-पराणत्त सेउसीमा कुक्कुड-संडे-गामपउरा उच्छु-जव-सालि-कलिया(सालिमालिणीया) गो-महिस-गवेलगप्पभूता पायारवंत-चेइय-जुवइ-विविह-सरिणविट्ठ-बहुला (:अरिहंत-इय-जणवय-विसरिणविट्ठ-बहुला, सुयागचित्त-चेइयजूय-सरिणविट्ठ-बहुला) उक्कोडिय-गायगंठिभेयग-भड-तकर-खंड-रक्खरहिया खेमा णिरुवदवा सुभिक्खा वीसस्थसुहावासा अणेग-कोडिकुडुबियाइराण-णिव्वुयसुहा णड-गट्टग-जल्ल-मल्ल-मुट्ठियवेलंबय-कहग-पवग-लासग-बाइक्खग-लंख-मंख-तूणइल-तुबवीणिय-अणेगतालायराणुचरिया .. श्रारामुजाण-अगड-तलाग-दीहिय वप्पिणि गुणोववेया नंदणवण-सन्निभप्पगासा . उविद्ध-विउल-गंभीर-खायफलिहा चक्कगयमुसुटि-शोरोह-सयग्घि-जमल-कवाड-घण-दुप्पवेसा धणु-कुडिल-वंक-पागारपरिक्खित्ता. कविसीसय-वट्टरइय-संठिय-विरायमाणा अट्टालय चरिय-दारगोपुर-तोरण-उराणय-सुविभत्त-रायमग्गा छेयायरिय-रइय-दढफलिह-इंदकिला विवणि-वणिच्छेत्त-सिप्पियाइराण-णिव्वुयसुहा सिंघाडग-तिग-चउक-चच्चर. (चउम्मुह-महापह-पहेसु)पणियावण-विविह-वत्थुपरिमंडिया सुरम्मा नरवइ. पविइराण-महिवइपहा अणेग-वर-तुरग-मत्तकुंजर-रहपहकर-सीय-संदमाणी Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // पश्चमो विभागः याइराण-जाणजुग्गा विमउल-गावणलिणि-सोभियजला पंडुर-वर-भवणसरिणमहिमा उत्ताण-णयण-पेच्छणिज्जा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा // सू० 1 // तीसे णं पाए णयरीए बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसिभाए पुराणभदे णामं चेइए होत्था, चिराईए पुब्वपुरिसपराणत्ते पोराणे सदिए वित्तिए (कित्तिए) णाए सच्छत्ते सज्झए सघटे सपडागाइ-पडागमंडिए (सपडागे पडागाइ-पडागमंडिए) सलोमहत्थे कयवेयदिए लाउल्लोइयमहिए गोसीससरस-रत्तचंदण-दहर-दिराण-पंचंगुलितले उवचिय-चंदण-कलसे चंदण-घडसुकय-तोरण-पडिदुवार-देसभाए अासत्तोसत्त-विउल-वट्ट-वग्घारिय-मल्लदामकलावे पंचवरण-सरस-सुरहि-मुक्क-पुष्फ पुजोवयार-कलिए कालागुरु-पवरकुंदुरुक-तुरुक-धूव-मघमघंत-गंधुद्धयाभिरामे सुगंध-वर-गंधगंधिए गंधवट्टिभूए णड-गट्टग-जल्ल-मल्ल-मुट्ठिय-वेलंबय-पवग-कहग-लासग-श्राइवखग-लंख-मखतूणइल-तुबवीणिय-भुयग-मागह-परिगए बहुजणजाणवयस्स विस्सुयकित्तिए बहुजणस्स पाहुस्स बाहुणिज्जे पाहुणिज्जे अचणिज्जे वंदणिज्जे नमंस-णिज्जे पूयणिज्जे सकारणिज्जे सम्माणणिज्जे कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं विणएणं पज्जुवासणिज्जे दिव्वे सच्चे सच्चोवाए. सरिणहियपाडिहेरे जाग-सहस्स भागपडिच्छए बहुजणो अच्चेइ पागम्म पुराणभद्द. चेइयं 2 // सू० 2 // से णं पुराणभद्दे चेइए एक्केणं महया वणसंडेणं सम्बयो समंता संपरिक्खित्ते, से णं वणसंडे किराहे किराहोभासे नीले नीलोभासे हरिए हरियोभासे सीए सीग्रोभासे गिद्धे णिद्धोभासे तिव्वे तिव्योभासे किराहे किराहच्छाए नीले नीलच्छाए हरिए हरियच्छाए सीए सीयव्छाए णिद्धे गिद्धच्छाए तिब्वे तिव्वच्छाए घणकडिअकडिच्छाए रम्मे महामेहणिकुरंबभूए 1 / ते णं पावया मूलमंतो कंदमंतो खंधमंतो तयामंतो (हरियमंतो) सालमंतो पवालमंतो पत्तमंतो पुष्फमंतो ‘फलमंतो Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीऔपपातिक-सूत्रम् ] बीयमंतो अणुपुब्व-सुजाय-रुइल-बट्ट-भावपरिणया एकखंधा श्रोगसाला अणेग-साहप्पसाह-विडिमा अणेग-नर-वाम-सुप्पसारिश्र-अग्गेज्म-घण-विउलबद्धखंधा अच्छिद्दपत्ता अविरलपत्ता अवाईणपत्ता अणईअपत्ता (पाईणपडिणायय-साला उदीण-दाहिण-विच्छिराणा श्रोणयनय-पणय-विप्पहाइयथोलंब पलंब लंब-साहप्पसाह-विडिमा अवाईणपत्ता अणुईराणपत्ता) नियजरढ-पंडुपत्ता णव-हरिय-भिसंतपत्त-भारंधकार-गंभीर-दरिसणिज्जा उपणिग्गय-णवतरुणपत्त-पल्लव-कोमल-उज्जल-चलंत-किसलय-सुकुमाल-पवाल-सोहियवरंकुरग्गसिहरा णिचं कुसुमिया णिच्चं माइया णिच्चं लवइया णिच्चं थवइया णिच्चं गुलइया णिचं गोच्छिया णिच्चं जमलिया णिच्चं जुबलिया णिच्चं विणमिया णिच्चं पणमिया गिच्चं कुसुमिय-माइयलवइय-थवइय-गुलइय-गोच्छिय-जमलिय-जुवलिय-विणमिय-पणमिय-सुविभत्तपिंड-मंजरि-वसियधरा सुय-बरहिण-मयणसाल-कोइल-कोहंगक-भिंगारककोंडलक-जीवंजीवक-गंदीमुह-कविल-पिंगलक्खग-कारंड-चकवाय-कलहंससारस-अणेग-सउणगण-मिहुण-विरइय-सदुराणइय-महुर-सरणाइए सुरम्मे संपिडिय-दरिय-भमर-महुकरि-पहकर-परिलिन्त-मत्तछप्पय-कुसुमासव-लोल-महुरगुमगुमंत-गुंजंत-देसभागे अभंतर-पुप्फफले बाहिरपत्तोच्छराणे पत्तेहि य पुप्फेहि य उच्छराण-पडिवलिच्छराणे (श्रोच्छराणवलिच्छत्ते) साउफले निरोयए अकंटए णाणाविह-गुच्छ-गुम्म-मंडवग-रम्मसोहिए विचित्त-सुहकेउभूए (विचित्तसुह-से उकेउबहुले) वावी-पुक्खरिणी-दीहियासु य सुनिवेसियरम्मजालहरए 2 / पिंडि-मणी-हारिम-सुगंधि-सुह-सुरभि-मणहरं च महया गंधद्धणिं मुयंता णाणाविह-गुच्छगुम्म-मंडवक-घरक-सुह-सेउ-केउबहुला अणेग-रह-जाण-जुग्ग-सिविय-पविमोयणा सुरम्मा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा 3 // सू० 3 // तस्स णं वणसंडस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एक्के असोगवरपायवे पराणते (दुरोवगय-कंदमूल-बट्ट-लठ्ठ Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पश्चमो विभागः संट्ठिय-सिलिट्ट-घण-मसिण-निद्ध-सुजाय-निरुषहयुविद्ध-पवरखंधी अणेग-नरपवर-भयागेज्मे कुसुम-भर-समोणमंत-पत्तल-विसालसाले महुयरि-भमरगणगुमगुमाइय-निलित-उड्डित-सस्सिरीए णाणा-सउणगण-मिहुण-सुमहुर-कराणसुह-पलत्त-सहमहुरे) कुस-विकुस-विसुद्ध-रुक्खमूले मूलमंते कंदमंते नाव पविमोयणे सुरम्मे पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे 1 / से णं असोगारपायवे अराणेहिं बहूहिं तिलएहि लउएहिं छत्तोवेहिं सिरीसेहि सत्तवराणेहिं दहिवराणेहिं लोद्धेहिं धकेहिं चंदणेहिं अज्जुणेहिं णीवेटिं कुडएहिं (कलंबेहि) सव्वेहिं फणसेहिं दाडि(लि)मेहिं सालेहिं तालेहिं तमालेहि पियएहिं पियंगहिं पुरोवगेहिं रायरुक्खेहिं णंदिरुक्खेहिं सव्वश्रो समंता संपरिखित्ते 2 / ते णं तिलया लवइया जाव णंदिरुक्खा कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला मूलमंतो कंदमंतो एएसिं वरणश्रो भाणियव्वो जाव सिवियपरिमोवणा सुस्म्मा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा 3 / ते णं तिलया जाव णंदिरुक्खा अण्णेहिं बहूहिं पउमलयाहि णागलयाहिं असोअलयाहिं चंपगलयाहिं चूयलयाहिं वणलयाहिं वासंतियलयाहिं अइमुत्तयलयाहिं कुंदलयाहिं सामलयाहिं सवो समंता संपरिखित्ता 4 / तायो णं पउमलयायो णिच्चं कुसुमियायो जाव वडिंसयधरा(री)ो पासादीयायो दरिसणिजारों अभिरुवायो पडिरूवायो (तस्स णं असोगवरपायवस्स उवरिं बहवे अट्ठ अट्ठ मंगलगा पराणत्ता / तं जहा-१ सोत्थिय 2 सिरिवच्छ 3 नंदियावत्त 4 वद्धमाणग 5 भदासण 6 कलस 7 मच्छ 8 दप्पणा सब्बरयणामया अच्छा सराहा मराहा घट्टा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पहा समिरिया सउज्जोया पासादीया दरिसणिजा अभिरुवा पडिरूवा // तस्स णं असोगवरपायवस्स उवरिं बहवे किराहचामरज्झया नीलचामरझया लोहियचामरज्मया सुकिलचामरज्मया हालिदचामरज्मया अच्छा सराहा रुप्पपट्टा वयरामयदंडा जलयामलगंधिया Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीऔपपातिक-सूत्रम् / [5 सुरम्मा पासादीया दरिसणिजा अभिरूवा पडिरूवा // तस्स णं असोगवरपायवस्स उवरिं बहवे छत्ताइच्छत्ता पडागाइपड़ागा घण्टाजुयला चामरजुयला उप्पलहत्थगा पउमहत्थगा कुमुयहत्थगा कुसुमहत्थगा नलिणहत्थगा सुभगहत्थगा सोगंधियहत्थगा पुडरीयहत्थगा महापुडरीयहत्था सयवत्तहत्था सहस्सपत्तहत्था सबरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा॥) 5 // सू० 4 // तस्स णं असोगवर-पायवस्स हेट्टा ईसिं खंधसमल्लीणे एत्थ णं महं एक्के पुढविसिलापट्टए पराणत्ते, विक्खंभायाम-उस्सेह-सुप्पमाणे किराहे अंजण(घण)काण-कुवलय-हलधरकोसेजागास-केसकजलंगी-खंजणसिंगभेदरिठ्ठय-जंबूफल-असणकसण-बंधण-णीलुप्पल-पत्तनिकर-श्रयसिकुसुम--प्पगासे मरकत-मसारकलित्त-णयणकीय-रासिनराणे णिद्धघणे अट्ठसिरे पायंसयतलोवमे सुरम्मे ईहामिय-उसभ-तुरग-नर-मगर-विहग-वालग-किराणर-रुरुसरभ-चमर-कुजर-वणलय-पउमलय-भत्तिचित्ते श्राईणग-रूय-बूर-णवणीततूलफरिसे सीहासणसंठिए पासादीए दरिसणिज्जे अभिरुवे पडिरूवे (अंजणग-घण-कुवलय-हलहरकोसेजसरिसे अागासकेस-कजल-कक्केयणइंदणील-अयसिकुसुमप्पगासे भिंगंजण-सिंगभेय-रिद्वग-नीलगुलिया-गवलाइरेग-भमरनिकुरुं बभूए जंबूफल-असण-कुसुम-बंधन-नीलुप्पल-पत्तनिगर-मरगयासासग-नयणचीयारासिवराणे निद्धे घणे अझुसिरे रूवग-पडिरूव-दरिसणिज्जे श्रायंसग-तलोवमे सुरम्मे सीहासणसंठिए सुरूवे मुत्ताजालखइयंतकम्मे भाईण-गरुय-बूर-नवणीय-तूलफासे सव्वरयणामए. अच्छे जाव पडिरूवे // ) // सू० 5 // तत्थ णं चंपाए गयरीए कूणिए णामं राया परिवसइ, महयाहिमवंत-महंत-मलय-मंदर-महिंदसारे अच्चंत विसुद्ध-दीह.. रायकुल-वंश-सुप्पसूए णिरंतरं रायलक्खण-विराइअंगमंगे बहुजण-बहुमाणे पूजिए. सव्वगुणसमिद्धे-खत्तिए मुइए मुद्भाहिसित्ते माउपिउसुजाए दयपत्ते सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे. खेमंधरे मणुस्सिदे जणवयपिया जणवयपाले Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः जणवयपुरोहिए सेउकरे केउकरे णरपवरे पुरिसवरे पुरिससीहे पुरिसवग्धे पुरिसासीविसे पुरिसपुंडरीए पुरिसवरगंधहत्थी अड्ढे दित्ते वित्ते विच्छिण्ण-विउल-भवण-सयणासण-जाण-वाहणाइराणे बहुधण-बहुजायरूवरयते आयोग-पयोग-संपउत्ते विच्छड्डिअ-पउर-भत्तपाणे बहुदासीदासगोमहिस-गवेलगप्पभूते पडिपुराण-जंतकोस-कोट्टागारउधागारे बलवं दुब्बलपञ्चामित्ते श्रोहयकंटयं निहयकंटयं मलियकंटयं उद्धियकंटयं अकंटयं श्रोहयसत्तुं निहयमत्तु मलियसत्तु उद्धिसत्तु निजियसत्तु पराइअसत्तुं ववगय-दुभिक्खं मारिभय-विप्पमुक्कं खेमं सिवं सुभिक्खं पसंतडिंब(पसंताहिय)डमरं रज्ज पसासे(हे)माणे विहरइ // सू० 6 // तस्स णं कोणियस्स रगणो धारिणी नाम देवी होत्था, सुकुमाल-पाणिपाया अहीण-पडिपुराण(अहीणपुराण)पंचिंदिय-सरीरा लक्खण-वंजण-गुणोववेया: माणुम्माणप्पमाण-पडिपुराण-सुजाय-सव्वंगसुंदरंगी ससिसोमाकार-कंत-पियदंसणा-सुरूवा करयल-परिमित्र-पसत्थ-तिवलिय-वलियमज्मा कुडलुल्लिहिश्र-गंडलेहा (कुंडलोल्लिखित-पीन-गण्डलेहा) कोमुइ-रयणियर-विमल-पडिपुराणसोमवयणा सिंगारागार-चारुवेसाः संगयगय-हसिय-भणिय-विहिश-विलास-सललित्रसंलावणिउण-जुत्तोवयारकुसला (सुदर-थण-जघण-वयण-कर-चरण-नयणलावराण-विलासकलिया) पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, कोणिएणं रराणा भंभसारपुत्तेणं सद्धिं अणुरत्ता अविरत्ता इठे सह-फरिसरस-रूवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोए पञ्चणुभामाणी विहरति ॥सू०७॥ तस्स णं कोणिस्स रराणो एक्के पुरिसे विउल-कयवित्तिए भगवश्रो पवित्तिवाउए भगवयो तद्देवसिय पवित्ति णिवेएइ, तस्स णं पुरिसस्स बहवे अराणे पुरिसा दिराणभतिभत्तवेत्रणा भगवयो पवित्तिवाउया भगवयो तद्देवसियं पवित्तिं णिवेदेति॥ सू० 8 // तेणं कालेणं तेणं समएणं कोणिए राया भंभसारपुत्ते बाहिरियाए उबट्ठाणसालाए अणेग-गणनायग-दंडनायग-राईसर-तलवर. Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीऑपपाविक-सूत्रम् ] [ 7 माङविय-कोडंबिय-मंति-महामंति-गणग-दोवारिश्र-अमञ्च-चेड-पीढमद्द-नगरनिगम-सेट्टि-सेणावइ-सत्थवाह-दूत-संधिवाल-सद्धिं संपरिखुडे विहरइ ॥सू० // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे श्राइगरे तित्थगरे सह(यं)संबुद्धे पुरिसुत्तमे पुरिससीहे पुरिसवरपुंडरीए पुरिसवरगंधहत्थी अभयदए चक्खुदए मग्गदए सरणदए जीबदए दीवो ताणं सरणं गई पइट्ठा धम्मवरचाउरंत-चकवट्टी अप्पडिहय-वरनाणदंसणधरे विट्टच्छउमे जिणे जाणए तिराणे तारए मुत्ते मोयए बुद्ध बोहए (विट्टछउमे अरहा केवली) सव्वगणू सव्वदरिसी सिव-मयल-मरुय-मणंत-मक्खय-मन्वाबाह-मपुणरावत्तियं सिद्धिगइणामधेयं ठाणं संपाविउकामे अरहा जिणे केवली सत्तहत्थूस्सेहे समचउरंस-संठाणसंठिए वजरिसहनारायसंघयणे अणुलोमवाउवेगे कंकग्गहणी कवोयपरिणामे सउणि-पोस-पिट्ठेतरोरुपरिणए पउमुप्पल-गंधसरिसनिस्सास-सुरभिवयणे छवी निरायंक-उत्तम-पसत्थ-अइसेय-निरुवमप(त)ले जल्ल-मल्ल-कलंक-सेय-रय-दोस-वजिय-सरीर-निरुवलेवे छाया-उज्जोइअंगमंगे घणनिचिय-सुबद्ध-लक्खणुराणय-कूडागारनिभ-पिंडिंअग्गसिरए सामलि-बोंडघण-निचिय-च्छोडिय-मिउ-विसय-पसत्थ-सुहुम-लक्खण-सुगंध-सुदर-भुनमोग-भिंग-नेल-कजल-पहिट्ठभमरगण-णिद्ध-निकुरुंब-निचिय-कुचिय-पयाहिणावत्त-मुद्धसिरए दालिम-पुप्फ-प्पगास-तवणिज-सरिस-निम्मल-सुणिद्ध-केसंतकेसभूमी घणनिचिय-सुबद्ध-लक्खणुनय-कुडागार-निभ-पिंडियग्गसिरए छत्तागारुत्तमंगदेसे णिव्वण-समलट्ठ-मट्ठ-चंदद्ध-समणिडाले उडुवइ-पडिपुराणसोमवयणे अल्लीण-पमाण-जुत्तसवणे सुस्सरणे पीण-मंसल-कवोल-देसभाए * प्राणामिय-चावरुइल-किराहभराइतणु-कसिण-णिद्धभमुहे (प्राणामिय-चाव· रुइल-किराहब्भराइ-संठिय-संगय-पायय-सुजाय-भमुए)अवदालिअ-पुंडरीयण· यणे कोपासिय-धवल-पत्तलच्छे गस्लायत-उज्जु-तुगणासे उवचित्र-सिलप्पवाल-बिंबफल-सरिणभाहरोठे पंडुर-ससि-सयल-विमल-णिम्मल-संख-गो Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 8] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : पञ्चमो विभागः क्खीर-फेण-कुद-दगरय-मुणालिया धवलदंतसेढी अखंडदंते अप्फुडियदंते अविरलदंते सुणिद्धदंते सुजायदंते एगदंतसेढीविव अणेगदंते हुयवहणिद्धंतधोय-तत्त-तवणिज-रत्त-तल-तालुजीहे अवट्ठिय-सुविभत्त-वित्तमंसू मंसलसंठिय-पसत्थ-सद्द ल-विउलहणूए चउरंगुल-सुप्पमाण-कंबुवर-सरिसग्गीवे वरमहिस-बराह-सीह-सदूल-उसभ-नाग-वर-पडिपुराण-विउलक्खंधे जुगसन्निभपीणरइय-पीवर-पउट्ठ-सुसंठिय-सुसिलिट्ठविसिट्ठघण-थिर-सुबद्ध-संधि(संठियोवचिय-वणथिर-सुबद्ध-सुणिगूढ-पब्वसंधी)पुरवर-फलिह-वट्टियभूए भूअईसरविउल-भोग-यादाणा-प(फ)लिह-उच्छूढ-दीहबाहू रत्ततलोवइय-मउग्र-मंसलसुजाय-लक्खण-पसत्थ-अच्छिद्द-जालपाणी पीवर-कोमल-वरंगुली आयंब-तंबतलिण-सुइ-रुइलणिदणक्खे चंदपाणिलेहे सूरपाणिलेहे. संखपाणिलेहे - चकपाणिलेहे दिसा-सोत्थिन-पाणिलेहे . चंदसूर-संख-चक-दिसासोत्थिथपाणिलेहे (रविससि-संख-चक-सोवत्थिय-विभत्त-सुविरइय-पाणिलेहे अणेग-वरलक्खणुत्तिम-पसत्थ-सुइरइय-पाणिलेहे) कणग-सिलातलुजल-पसत्थ-समतलउवचिय-विच्छिण्ण-पिहुलवच्छे सिरिविच्छंकिय-वच्छे(उवचिय-पुरवर-कवाडविच्छिण्ण-पिहुलवच्छे कणय-सिलायलुजल-पसत्थ-समतल-सिरिवच्छ-रइयवच्छे) अकरंडुअ-कमागरुयय-निम्मल-सुजाय-निरुवहय-देहधारी अट्ठसहस्सपडिपुराण-वरपुरिस-लक्खणधरे सराणयपासे संगयपासे सुदरपासे सुजायपासे मियमाइअ-पीणरइयपासे उज्जुन-समसहिय-जचतणु-कसिण-णिद्ध-श्राइजलडह-रमणिज-रोमराई झस-विहग-सुजाय पीणकुच्छी झसोदरे सुइकरणे पउमविग्रडणाभे गंगावत्तक-पयाहिणावत्त-तरंग-भंगुर-रविकिरण-तरुण-बोहियअकोसायंत-पउम-गंभीर-वियडणाभे . साहय-सोणंद-मुसल-दप्पण-णिकरियवरकणग-च्छरु-सरिस-वरखइर-बलिअमज्झे पमुइय-वरतुरग-सीह-वर(अइरेग). वट्टियकडी वरतुरग-सुजाय-सुगुज्झदेसे (पसत्थ वरतुरग-गुज्झदेसे) पाइराणहउव्व णिरुषलेवे वरवारण-तुल्ल-विक्कम-विलसियगई गयससण-सुजाय-सन्नि Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीओपपातिक-सूत्रम् ] भोरु समुग्ग णिमग्ग-गूहजाणू एणी-कुरुविंदावत्त-वट्टाणुपुव्वजंघे संठियसुसिलिट्ठ(विसिट्ठ)गूढगुप्फे सुप्पइट्ठिय कुम्म-चारुचलणे अणुपुत्व-सुसंहयंगुलीए उराणय-तणु-तंब-णिद्धणक्खे रत्तुप्पल-पत्त-मउग्र-सुकुमाल-कोमलतले अट्ठ सहस्स-वरपुरिस-लक्खणधरे नग-नगर-मगर-सागर-चक्कंक-वरंक-मंगलंकियचलणे विसिट्ठरूवे हुयवह-निद्धम-जलिय-तडितडिय-तरुण-रविकिरण-सरिसतेए अणासवे अममे अकिंचणे छिन्नसोए निरुवलेवे बवगय-पेमराग-दोसमोहे निग्गंथस्स पवयणस्स देसए सत्थनायगे पइट्टावए समणगपई समणग-विंदपरिपट्टए(परियटिए) चउत्तीस-बुद्ध-वयणातिसेसपत्ते पणतीस-सच्चवयणाति. सेसपत्ते यागासगएणं चक्केणं यागासगएणं छत्तेणं श्रागासियाहिं चामराहिं (यागासगयाहिं सेयवर-चामराहि) यागासफलिग्रामएणं सपायवीढेणं सीहासणेणं धम्मज्झएणं पुरयो पकढिजमाणेणं चउद्दसहिं समगासाहस्सीहिं छत्तीसाए अजियासाहस्सीहिं सद्धिं संपरितुडे पुवाणुपुर्वि चरमाणे गामाणुग्गामं दूइजमाणे तुहंसुहेणं विहरमाणे चंपाए णयरीए बहिया उवणगरग्गामं उवागए चंपं नगरि पुराणभद्द' चेइग्रं समोसरिउं कामे // सू० 10 // . तए णं से पवित्तिवाउए इमीसे कहाए लठे समाणे हट्टतुट्ठचित्तमाणंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवस-विसप्पमाणहियए गहाए कयवलिकम्मे कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ते सुद्धप्प(प्पा)वेसाई मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिए अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सयायो गिहायो पडिणिक्खमइ, सयायो गिहायो पडिणिक्खमित्ता चपाए णयरीए मझमझेणं जेणेव कोणियस्स रगणो गिहे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव कूणिए राया भंभसारपुत्ते तेणेव उवागच्छइ 2 करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु जएणं विजएणं वद्धावेइ 2 एवं वयासी-जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं कखंति जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं पीहंति जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं पत्थंति जस्स णं देवाणुप्पिया सणं अभिलसंति जस्स णं देवाणु Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ܐ ܘܕ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्जमो विभागः प्पिया णामगोत्तस्सवि सवणयाए हट्टतुट्ठ जाव हिश्रया भवंति, से णं समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुचि चरमाणे गामाणुग्गामं दूइजमाणे चंपार णयरीए अणगरगामं उवागए चंपं णगरि पुराणभद चेइमं समोसरिउं कामे, तं एथ णं देवाणुप्पियाणं पिट्टयाए पिघं णिवेदेमि, पियं ते भवउ // सू० 11 // तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते तस्स पवित्तिवाउअस्स अंतिए एयमटुं सोचा णिसम्म हट्टतुट्ठ जाव हिअए धाराहय-नीव-सुरहि कुसुमचंचुमालइय-ऊच्छिय-रोमकुवे विअसिश्र-वरकमल-णयणवयणे पअलिअवरकडग-तुडिय-केयूर-मउड-कुडल-हारविरायंत-रइयवच्छे पालंब-पलंबमाणघोलंत-भूसणधरे ससंभमं तुरियं चवलं नरिंदे सीहासणाउ अब्भुढेइ 2 ता पायपीढाउ पचोरुहइ 2 ता (वेरुलिय-वरिट्ठ-रिट्ट-अंजण-निउणोविय-मिसिमिसिंत-मणिरयण-मंडियायो) पाउायो श्रोमुश्रइ 2 ता अवहट्ट पंच रायककुहाई तंजहा-खग्गं 1 छत्तं 2 उप्फेसं 3 वाहणाश्रो 4 वालवीअणं 5 एकसाडियं उत्तरासंगं करेइ 2 त्ता प्रायंते चोक्खे परमसुइभूए अंजलिमउलिअग्गहत्थे तित्थगराभिमुहे सत्तट्ठ पयाई अणुगच्छति सत्तट्ट पयाई अणुगच्छित्ता वामं जाणु अंचेइ वामं जाणु अंचेत्ता दाहिणं जाण धरणितलंसि साहट्ट तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणितलंसि निवेसेइ 2 ता ईसिं पच्चुराणमति पंच्चुराणमित्ता कडगतुडिय-थंभियायो भुयायो पडिसाहरति 2 करयल जाव कटु एवं वयासी-णमोऽथु णं अरिहंताणं भगवंताणं श्राइगराणं तित्थगराणं सयंसंबुद्धाणं पुरिसुत्तमाणं पुरिससीहाणं पुरिसवरपुडरीयाणं पुरिसवरगंधहत्थीणं लोगुत्तमाणं लोगनाहाणं लोगहियाणं लोगपईवाणं लोगपजोगगराणं अभयदयाणं चक्खुदयाणं मग्गदयाणं सरणदयाणं जीवदयाणं बोहिदयाणं धम्मदयाणं धम्मदेसयाणं धम्मनायगाणं धम्मसारहीणं धम्मवर-चाउरत-चकवट्टीणं दीवो ताणं सरणं गई पइट्ठा अप्पडिहय-वरनाणदसणधराणं विट्टछ उमाणं जिणाणं जावयाणं तिराणाणं Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीओपपातिक-सूत्रम् / तारयाण बुद्धाणं बोहयाणं मुत्ताणं मोअगाणं सम्वन्नूणं सव्वदरिसीणं सिव-मयल-मरुअ-मणंत-मक्खय-मव्वाबाह-मपुणरावत्ति-सिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपत्ताणं, नमोऽत्थु णं समणस्स भगवयो महावीरस्स अादिगरस्स तित्थगरस्स जाव संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स, वंदामि णं भगवंतं तत्थ गयं इह गते, पाएइ मे से भगवं तत्थ गए इह गयन्ति कटु वंदति णमंसति 1 / वंदित्ता णमंसित्ता सीहासणवरगए पुरस्थाभिमुहे निसीआइ, निसीहता तस्स पवित्तिवाउअस्स अठुत्तर-सयसहस्सं पीतिदाणं दलयति, दलइत्ता सकारेति सम्माणेति सकारिता सम्माणित्ता एवं वयासीजया णं देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे इहमागच्छेजा इह समोसरिजा इहेव चंपाए णयरीए बहिया पुराणभद्धे चेइए यहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता (अरहा जिणे केवली समणगणपरिवुडे) संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरेजा तया णं (तुम) मम एअमट्ठ निवेदिजासित्तिकटटु विसजिते (एवं सामित्ति प्राणाए विणएणं वयणं पडिसुगोइ)२ // सू० 12 / / तए णं समणे भगवं महावीरे कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पलकमल-कोमलुम्मिलितमि श्राहा(ग्रह)पंडुरे पहाए रत्तासोग-प्पगास-किंसुत्रसुअमुह-गुजद्धराग-सरिसे कमलागर-संडबोहरा उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरसिमि दिणयरे तेयसा जलंते (यागासगएणं चक्केणं जाव सुहं सुहेणं विहरमाणे) जेणेव चंपा णयरी जेणेव पुराणभद्दे चेइए (जेणेव वणसंडे जेणेव असोगवर-पायवे जेणेव पुढवीसिल्लापट्टए) तेणेव उवागच्छति 2 त्ता अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता (असोगवरपायवस्स ग्रह पुढवीसिलावट्टगंसि पुरस्थाभिमुहे संपलियंकनिसन्ने अरहा जिणे केवली समणगणपरिवुडे) संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति // सू० 13 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवयो महावीरस्म अंतेवासी बहवे समणा भगवंतो अप्पेगइया उग्गपव्वझ्या भोगपव्वइया राइराणपबइया णायपव्वइया कोरव्व Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः पव्वइया खत्तिअपव्वइया भडा जोहा सेणावई पसत्थारो सेट्ठी इब्भा अराणे य बहवे एवमाइणो उत्तम-जाति-कुल-रूव-विणय-विराणाण-वराण-लावराण'विक्कम-पहाण-सोभग्ग-कंतिजुत्ता बहुधण-धराण-णिचय-परियाल-फिडिया णरवइ-गुणाइरेया इच्छियभोगा सुहसंपललिया किंपागफलोवमं च मुणिय विसयसोक्खं जलबुब्बुअसमाणं कुसग्ग-जलबिंदु-चंचलं जीवियं च णाऊण अद्भुवमिणं रयमिव पडग्गलग्गं संविधुणित्ता णं चइत्ता हिरगणं जाव पबइबा, अप्पेगइया अद्धमासपरिवाया, अप्पेगइया मासपरिवाया एवं दुमासपरिवाया तिमासपरिवाया जाव एकारसमासपरिवाया अप्पेगइया वासपरिवाया दुवासपरिवाया तिवासपरिवाया, अप्पेगइया अणेगवासपरियाया संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरति // सू० 14 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अंतेवासी बहवे निग्गंथा भगवंतो अप्पेगइया आभिणिबोहियणाणी जाव केवलणाणी अप्पेगइया मणबलिया वयवलिया कायवलिया (नाणबलिया दंसणबलिया चारित्तबलिया), अप्पेगइया मणेणं सावाणुग्गहसमत्था एवं वएणं कारणं, अप्पेगइया खेलोसहिपत्ता एवं जल्लोसहिपत्ता विप्पोसहिपत्ता श्रामोसहिपत्ता सब्बोसहिपत्ता, अप्पेगइया को?बुद्धी एवं बीयबुद्धी पडबुद्धी, अप्पेगइश्रा पयाणुसारी अप्पेगइया संभिन्नसोया अप्पेगइया खीरासवा अप्पेगइया महुशासवा अप्पेगइश्रा सप्पियासवा अप्पेगइया अक्खीणमहाणसिया एवं उज्जुमती अप्पेगइया विउलमई विउव्वणिडिपत्ता चारणा विजाहरा भागासातिवाइणो 1 / अप्पेगइया कणगावलि तवोकम्म पडिवराणा एवं एकावलिं खुड्डाग-सीहनिकीलियं तवोकम्म पडिवराणा अप्पेगइयामहालयं सीहनिकीलिय तवोकम्मं पंडिवण्णा भदपडियं महाभदपडिमं सव्वतोभद्द. पडिमं श्रायविलवद्धमाणं तवोकम्म पडिवराणा 2 / मासिगं भिक्खुपडिमं एवं दोमासिओं पडिमं तिमासिधे पडिम जाव सत्तमासिगं भिक्खुपडिमं Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीऔपपातिक-सूत्रम् / [13 पडिवराणा, पढ़मं सत्तराइंदिधे अप्पेगइया भिक्खुपडिमं पडिवगणा जाव तच्चं सत्तराइंदिनं भिक्खुपडिमं पडिवरणा, अहोराइंदिग्रं भिक्खुपडिमं पडिवराणा इकराइंदिगं भिक्खुपडिमं पडिवराणा, सत्तसत्तमिश्रं भिक्खुपडिमं अट्ठट्ठमिश्र भिक्खुपडिमं णवणवमिश्र भिक्खुपडिमं दसदसमियं भिक्खुपडिम (भदपडिमं सुभद्दपडिमं महाभदपडिमं सव्वयोभदपडिमं भद्दुत्तरपडिम) खुड्डियं मोअपडिम पडिवगणा महल्लियं मोअपडिम पडिवराणा, जवमझ चंदपडिमं पडिवराणा वइर(वज)मझ चंदपडिमं पडिवराणा (विवेगपडिमं विउस्सग्गपडिमं उवहागणपडिमं पडिसंलीणपडिमं पडिवराणा) संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरंति 3 // सू० 15 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतेवासी बहवे थेरा भगवंतो जातिसंपराणा कुलसंपराणा बलसंपराणा रूवसंपराणा विणयसंपराणा णाणसंपराणा दंसणसंपगणा चरित्तसंपराणा लज्जासंपराणा लाघवसंपराणा श्रोसी तेसी वच्चंसी जसंसी जिकोहा जित्रमाणा जिश्रमाया जिनलोभा जिग्रइंदिया जिअणिद्दा जिपरीसहा जीवित्रास-मरण-भयविप्पमुक्का वयप्पहाणा गुणप्पहाणा करणप्पहाणा चरणप्पहाणा णिग्गहप्पहाणा निच्छयप्पहाणा श्रजवप्पहाणा महवप्पहाणा लाघवप्पहाणा खंतिप्पहाणा मुत्तिप्पहाणा विजापहाणा मंतप्पहाणा वेअप्पहाणा बंभप्पहाणा नयप्पहाणा नियमप्पहाणा सच्चप्पहाणा सोअप्पहाणा चारुवराणा लजातवस्सीजिइंदिया. सोही अणियाणा अप्पुस्सुया अबहिल्लेसा अप्पडिलेस्सा सुसामगणरया दंता (बहूणं पायरिया बहूणं उवमाया बहूणं गिहत्थाणं पबयाणं च दीवो ताणं सरणं गई पइट्टा) इणमेव णिग्गथं पावयणं पुरोकाउं विहरंति 1 / तेसि णं भगवंताणं पायावायावि (पायावाइणोवि) विदिता भवंति परवायावि विदिता भवंति अायावायं जमइत्ता नलवणमित्र (नलवनाइव) मत्तमातंगा अच्छिद्दपसिणवागरणा रयणकरंडग Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 14 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः समाणा कुत्तिश्रावणभूया परवादियपमहणा (परवाईहिं अणोक्ता अराणउत्थिएहिं अणोद्धंसिज्जमाणा विहरंति अप्पेगइया पायारधरा) चोदसपुब्बी दुवालसंगिणो समनगणिपिडगधरा सव्वरखरसरिणवाइणो सव्वभासाणुगामिणो अजिणा जिणसंकासा जिणा इव अवितह वागरमाणा संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरंति 2 // सू० 16 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स अंतेवासी बहवे अणगारा भगवंतो इरिथासमिश्रा भासासमिया एसणासमिया श्रादाण-भंडमत्त-निक्खेवणासमिया उच्चार-पासवण-खेल-सिंघाण-जल्ल-पारिट्ठावणियासमिया मणगुत्ता वयगुत्ता कायगुना गुत्ता गुत्तिदिया मुत्तवंभयारी श्रममा अकिंचणा (अकोहा श्रमाणा श्रमाया अलोभा संता पसंता उवसंता परिणिव्वुया अणासवा) अग्गंथा (छिराणग्गंथा) छिराणसोबा निरुवलेवा कंसपातीव मुक्कतोश्रा संख इस निरंगणा जीवो विव अप्पडिहयगती जचकणगंपिव जातरूवा श्रादरिसफलगाविव पागडभावा कुम्मो इव गुतिंदिया पुक्खरपत्तं व. निस्वलेवा गगामिव निरालंबणा अणिलो इव निरालया चंद इव सोमलेसा. सूर इव दित्ततेबा सागरो इव गंभीरा विहग इव सव्वो विप्पमुक्का मंदर इव अप्पकंपा सारयसलिलं व सुद्धहिथया खग्गिविसाणं व एगजाया भारंडपक्खी व अप्पमत्ता कुंजरो इव सोंडीरा वसभो इव जायत्थामा सीहो इव दुद्धरिसा वसुधरा इव सव्वफासविसहा सुहुबहुश्रासणे इव तेअसा जलंता 1 / नत्थि णं तेसि णं भगवंताणं कत्थइ पडिबंधे भवइ, से अ पडिबंधे चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-दव्वयो खित्तयों कालो भावो, दव्वयो णं सचित्ताचित्तमीसिएसु दव्वेसु, खेत्तयो गामे वा णयरे वा रगणे वा खेत्ते वा खले वा घरे वा अंगणे वा, कालो समए वा श्रावलियाए वा जाव अयणे वा अरणतरे वा दीहकालसंजोगे, भावयो कोहे वा माणे वा मायाए वा लोहे वा भए वा हासे वा एवं तेसि ण भवइ 2 / ते णं भगवंतो वासा Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 15 श्रीऔपपातिक-सूत्रम् / वासवज्ज अट्ट गिम्हहेमंतित्राणि मासाणि गामे एगराइया णयरे पंचराइत्रा वासीचंदणसमाणकप्पा समलेठ्ठकंचणा समसुहदुक्खा इहलोगपरलोगअप्पडिबद्धा संसारपारगामी कम्मणिग्घायणट्टाए अभुट्ठिा विहरंति (अराडए (अंडजे)इ वा पोयए (बोंडजे)इ वा उग्गहिए इ वा पग्गहिए वा जराणं जराणं दिसं इच्छंति तं णं तं णं विहरंति सूइभूया लघुभूया अराणप्पग्गंथा) // सू० 17 // तेसि णं भगवंताणं एतेणं विहारेणं विहरमाणाणं इमे एथारूवे अभितरवाहिरए तवोचहाणे (जायामायाविति श्रदुत्तरं) होत्था, तंजहा-श्रभितरए छबिहे बाहिरएवि छबिहे // सू० 18 // से किं तं बाहिरए ? 2 छबिहे पराणत्ते, तंजहा-श्रणसणे ऊणो(अवमो)अरिया भिक्खाअरिया रसपरिचाए कायकिलेसे पडिसंलीणया 1 / से कि तं श्रणसणे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-इत्तरिए श्रावकहिए अ२ / से किं तं इत्तरिए ?, 2 अणेगविहे परागते, तंजहा-चउत्थभत्ते छट्ठभत्ते अट्ठमभत्ते दसमभत्ते बारसभत्ते चउद्दसभत्ते सोलसभत्ते अद्धमासिए भत्ते मासिए भत्ते दोमासिए भत्ते तेमासिए भत्ते चउमासिए भत्ते पंचमासिए भत्ते छम्मासिए भत्ते, से तं इत्तरिए 3 / से किं तं श्रावकहिए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पायोवगमणे अ भत्तपञ्चक्खाणे अ४ / से कि तं पायोवगमणे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-वाघाइमे अनिवाघाइमे अ नियमा अप्पडिकम्मे से तं पायोवगमणे 5 / से किं तं भत्तपञ्चक्खाणे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-वाघाइमे अनिवाघाइमे अणियमा सप्पडिकम्मे, से तं भत्तपचक्खाणे, सेतं अणसणे 6 से किं तं श्रोमोअरियायो?,२ दुविहा पराणत्ता, तंजहा-दव्योमोरिया य भावोमोरिया य७। से किं तं दव्वोमोरिया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-उवगरणदव्योमोअरिश्रा य भत्तपाणदव्योमोअरिश्रा य 8 / से किं तं उवगरणदव्वोमोअरिया ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-एगे वत्थे एगे पाए चियत्तोवकरणसातिजणया, से तं उवगरण Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः दव्योमोअरिथा 1 / से किं तं भत्तपाण-दव्योमोअरिया ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-अट्ठ-कुक्कुडिअंडग-प्पमाणमेत्ते कवले श्राहारमाणे अप्पाहारे, दुवालस-कुक्कुडि-अंडग-प्पमाणमेत्ते कवले श्राहारमाणे अवट्ठोमोअरिया, सोलस-कुक्कुडि-ग्रंडग-प्पमाणमेते कवले श्राहारमाणे दुभागपत्तोमोअरिया, चउव्वीस कुक्कुडि-ग्रंडग-प्पमाणमेत्ते कवले याहारमाणे पत्तोमोअरिया, एकतीस-कुक्कुडि-अंडग-प्पमाणमेत्ते कवले थाहारमाणे किंचूणोमोअरिया, बत्तीस-कुक्कुडि-अंडग-प्पमाणमेत्ते कवले आहारमाणे पमाणपत्ता, एत्तो एगेणवि घासेण ऊणयं श्राहारमाहारेमाणे समणे णिग्गंथे णो पकामरसभोईत्ति वत्तव्वं सिया, से तं भत्तपाणदव्योमोअरिया, से तं दव्योमोअरिया 10 / से कि त भावोमोरिया ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-अप्पकोहे अप्पमाणे अप्पमाए अप्पलोहे अप्पसद्दे अप्पझझे, से तं भावोमोअरित्रा, से तं श्रोमोअरिया 11 / से किं तं भिक्खायरिया ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-दव्याभिग्गहचरए खेत्ताभिग्गहचरए कालाभिग्गहचरए भावाभिग्गहचरए उक्खित्तचरए णिक्खित्तचरए उक्खित्तणिक्खित्तचरए णिक्खित्तउक्खित्तचरए वट्टिजमाणचरए साहरिजमाणचरए उवणीचरए श्रवणीचरए उवणीअग्रवणीयचरए श्रवणीयउवणीचरए संसट्टचरए असंसट्टचरए तजातसंसट्टचरए अराणायचरए मोणचरए दिट्ठलाभिए अदिट्ठलाभिए पुट्ठलाभिए अपुट्ठलाभिए भिक्खालाभिए अभिक्खलाभिए अण्णगिलायए अोरणिहिए परिमितपिंडवाइए सुद्धेसणिए संखायत्तिए, से तं भिक्खाधरिया 12 / से किं तं रसपरिचाए ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-णिब्वियतिए पणीअरसपरिचाए आयंबिलए आयामसित्थभोई अरसाहारे विरसाहारे अंताहारे पंताहारे लूहाहारे, से तं रसपरिचाए 13 / से कि तं कायकिलेसे ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-ठाणट्ठितिए (ठाणाइए) उक्कुडुवासणिए पडिमट्ठाई वीरासणिए नेसजिए(दंडायए Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पारनिरोहो वानराहो वा घाणिदिशाभदियविसयपत्त फासिदियविमान इंदियपडिसलहा को श्रीऔपपातिक-सूत्रम् ] लउडसाई) पायावए अवाउडए अकंडुअए अणिहए (धूयकेसमंसुलोमे) सव्वगाय-परिकम्म-विभूसविप्पमुक्के, से तं कायकिलेसे 14 / से किं तं पडिसंलीणया ?, 2 चउविहा पराणत्ता, तंजहा-इंदिअपडिसंलीणया कसायपडिसंलीणया जोग-पडिसलीणया विवित्त-संयणासण-सेवणया 15 / से किं तं इंदियपडिसंलीणया ?, 2 पंचविहा पराणत्ता, तंजहा-सोइंदियविसयपयारनिरोहो वा सोइंदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा चक्खिदियविसयपयारनिरोहो वा चक्खिदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा घाणिदियविसयपयारनिरोहो वा घाणिदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा जिन्भिदियविसयपयारनिरोहो वा जिभिदियविसयपत्तेसु श्रत्येसु रागदोसनिग्गहो वा फासिंदियविसयपयारनिरोहो वा फासिंदियविसयपत्तेसु श्रत्येसु रागदोसनिग्गहो वा, से तं इंदियपडिसंलीणया 16 / से किं तं कसायपडिसंलीणया ?, 2 चउन्विहा पराणत्ता, तंजहा-कोहस्सुदयनिरोहो वा उदयपत्तस्स वा कोहस्स विफलीकरणं माणस्सुदयनिरोहो वा उदयपत्तस्स वा माणस्स विफलीकरणं. मायाउदयणिरोहो वा उदयपत्तरस (ताए) वा मायाए विफलीकरणं लोहस्सुदयणिरोहो वा उदयपत्तस्स वा लोहस्स विफलीकरणं, से तं कसायपडिसंलीणया 17 / से कि तंजोगपडिसंलीणया ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-मणजोगपडिसंलीणया वयजोगपडिसंलीणया कायजोगपडिसंलिणया 18 से किं तं मणजोगपडिसंलीणया ?, 2 अकुमलमणणिरोहो वा कुसलमणउदीरणं वा, से तं मणजोगपडिसंलीणया 16 ।से किं तं वयजोग-पडिसलीणया ?, 2 अकुसलवयणिरोहो वा, कुसलवयउदीरणं वा, से तं वयजोगपडिसंलीणया 20 से किं तं कायजोगपडिसंलीणया ?, 2 जगणं सुसमाहिश्रपाणिपाए कुम्मो इव गुतिदिए सव्वगायपडिसंलीणे चिट्ठइ, से तं कायजोगपडिसलीणया 21 / से कि तं विवित्तसयणासणसवणया ?, 2 ज णं श्रारामेसु उजाणेसु देवकुलेसु सभासु पाणिपाए कुमार से कितकाणरोहो वा, Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विमागः पपासु पणियगिहेसु पणिसालासु इत्थीपसुपंडग-संसत्तविरहियासु वसहीसु फासुएसणिज-पीढफलंग-सेजासंथारगं उवसंपजित्ता णं विहरइ, से तं पडिसंलीणया, से तं बाहिरए तवे 22 // सू० 11 // से किं तं अभितरए तवे ? 2 छबिहे पराणत्ते, तंजहा-पायच्छित्तं विणो वेयावच्चं सज्झायो झाणं विउस्सग्गो 1 / से किं तं पायच्छित्ते ?, 2 दसविहे पराणत्ते, तंजहाबालोअणारिहे पडिकमणारिहे तदुभयारिहे 'विवेगारिहे विउस्सग्गारिहे तवारिहे छेदारिहे मूलारिहे अणवठ्ठप्पारिह पारंचित्रारिहे, से तं पायच्छित्ते 2 / से किं तं विणए ?, 2 सत्तविहे पराणत्ते, तंजहा-णाणविणए दसणविणए चरित्तविणए मणविणए वइविणए कायविणए लोगोवयारविणए 3 / से किं तं णाणविणए ?, 2 पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-श्राभिणिबोहियणाणविणए सुप्रणाणविणए श्रोहिणाणविणए मणपजवणाणविणए केवलणाणविणए 4 / से किं तं दंसणविणए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहासुस्सुसणाविणए अणञ्चासायणाविणए 5 / से किं तं सुस्सुसणाविणए ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-अभुट्ठाणे इ वा पासणाभिग्गहे इ वा श्रासणप्पदाणे इ वा सक्कारे इ वा सम्माण इ वा किइकम्मे इ वा अंजलिपग्गहे इ वा एतस्स अणुगच्छणया ठिअस्स पज्जुवासणया गच्छंतस्स पडिसंसाहणया, से तं सुस्सुसणाविणए 6 / से किं तं अणचासायणाविणए ?, 2 पणतालीसविहे पराणत्ते, तंजहा-अरहताणं अणचासायणया अरहतपराणत्तस्स धम्मस्स अणचासायणया श्रायरियाणं अणचासायणया एवं उवझायाणं थेराणं कुलस्स गणस्स संघस्स किरियाणं संभोगियस्स श्राभिणिवोहियणाणस्स सुश्रणाणस्स रोहिणाणस्स मणपज्जवणाणस्स केवलणाणस एएसिं चेव भत्तिबहुमाणे एएसिं चेव वगणसंजलणया, से तं अणचासायणाविणए 7 / से कि तं चरित्तविणए ?, 2 पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-सामाइअचरित्तविणए छेत्रोवट्ठावणिचरित्तविणए परिहारविसुद्धि Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "श्रीऔपपातिक-सूत्रम् / [16 चरित्तविणए सुहुमसंपरायचरित्तविणए अहक्खायचरित्तविणए, से तं चरित्तविणए 8 / से किं तं मणविणए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पसत्थमणविणए अपसत्थमणविणए 1 / से किं तं अपसत्थमणविणए ?, 2 जे श्र मणे सावज्जे सकिरिए सककसे कडुए णिटुरे फरसे अराहयकरे छेयकरे भेयकरे परितावणकरे उद्दवणकरे भूगोवघाइए तहप्पगारं मणो णो पहारेजा, से तं अपसस्थमणोविणए 10 / से किं तं पसत्थमणोविणए ?, 2 तं चेव पसत्थं गोयव्वं, एवं चेव वइविणयोऽवि एएहिं एएहिं चेव णेब्वो , सेतं वइविणए 11 / से कि तं कायविणए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहापसत्थकायविणए अपसत्थकायविणए 12 / से किं तं अपसत्थकायविणए ?, 2 सत्तविहे पराणत्ते, तंजहा-अणाउत्तं गमणे श्रणाउत्तं ठाणे श्रणाउत्तं निसीदणे श्रणाउत्तं तुट्टणे अणाउत्तं उल्लंघणे अणाउत्तं पल्लंघणे श्रणाउत्तं सखिदियकायजोगजुजणया, से तं अपसत्थकायविणए 13 / से किं तं पसत्थकायविणए ?, 2 एवं चेव पसत्थं भाणियव्वं, से तं पसत्थकायविणए, से तं कायविणए 14 / से किं तं लोगोवयारविणए ?, 2 सत्तविहे पराणत्ते, तंजहा-अब्भासवत्तियं परच्छंदाणुवत्तियं कजहेउं कयपडिकिरिया अत्तगवेसणया देसकालगणुया सव्वट्ठसु अपडिलोमया, से तं लोगोवयारविणए, से तं विणए 15 / से किं तं वेत्रावच्चे ?, 2 दसविहे पराणत्ते तंजहा-आयरियवेत्रावच्चे उवज्झायवेवावच्चे सेहवेत्रावच्चे गिलाणवेश्रावच्चे तवस्सिवेश्रावच्चे थेरवेत्रावच्चे साहम्मिवेत्रावच्चे कुलवेत्रावच्चे गणवेत्रावच्चे संघवेत्रावच्चे, से तं वेगावच्चे 16 / से किं तं सज्झाए ?, 2 पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-वायणा पडिपुच्छणा परिपट्टणा अणुप्पेहा धम्मकहा, से तं समाए 17 / से किं तं झाणे ?, 2 चउब्विहे पण्णत्ते, तंजहा-अट्टझाणे रुद्दज्माणे धम्मज्झाणे सुक्कज्झाणे, अट्टज्झाणे चउविहे पराणत्ते, तंजहा-अमणुराणसंपयोगसंपउत्ते तस्स विप्पयोगस्सतिसमराणागए Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 20 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु / पञ्चमो विभागः प्रावि भवइ, मणुण्णसंपयोगसंपउत्ते तस्स अविप्पयोगस्सतिसमगणागए श्रावि - भवइ, पायंकसंपयोगसंपउत्ते तस्स विप्पयोगस्सतिसमगणागए प्रावि भवइ, परिजूसिय-कामभोग-संपयोगसंपउत्ते तस्स अविप्पयोगस्सतिसमराणागए श्रावि भवइ 18 | अट्टस्स णं माणस्स चत्तारि लक्खणा पएगात्ता, तंजहाकंदणया सोपणया तिप्पणया विलवणया 11 / रुद्दज्झाणे चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-हिंसाणुबंधी मोसाणुबंधी तेणाणुबंधी सारक्खणाणुबंधी 20 / रुहस्सः णं माणस्स चत्तारि लक्खणा पराणत्ता, तंजहा-उसगणदोसे बहुदोसे अराणाणदोसे श्रामरणंतदोसे 21 / धम्मज्झाणे चउबिहे चउप्पडोयारे पराणत्ते, तंजहा-श्राणाविजए अवायविजए विवागविजए संगणविजए 22 धम्मस्स णं माणस्स चत्तारि लक्खणा पराणत्ता, तंजहा-पाणारुई णिसगरुई उवएसरुई सुत्तरई 23 / धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि अालंबणा पराणत्ता, तंजहा-वायणा पुच्छणा परियट्टणा धम्मकहा 24 / धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाथो पराणत्तायो, तंजहा-अणिचाणुप्पेहा असरणाणुप्पेहा एगत्ताणुप्पेहा संसाराणुप्पेहा 25 / सुक्कझाणे चउविहे चउप्पडोबारे पराणत्ते, तंजहा-पुहुत्तवियक्के सविधारी 1 एगत्तवियक्के अविश्रारी 2 सुहुमकिरिए अप्पडिवाई 3 समुच्छिन्नकिरिए अणियट्टी, 4 26 / सुकस्स णं माणस्स चत्तारि लक्खणा पराणत्ता, तंजहा-विवेगे विउसग्गे श्रबहे श्रसम्मोहे 27 / सुक्कस्स णं माणस्स चत्तारि बालंबणा पराणत्ता, तंजहा-खंती मुत्ती अजवे मद्दवे 28 / सुकस्म णं . माणस्स चत्तारि अणुप्पेहायो परणत्तात्रो, तंजहा-अवायाणुप्पेहा असुभाणुप्पेहा अणंतवित्तियाणुप्पेहा विप्परिणामाणुप्पेहा, से तं झाणे 21 / से किं तं विउस्सग्गे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-दव्वविउस्सग्गे भावविउस्सग्गे श्र 30 / से किं तं दवविउस्सग्गे ?, 2 चउबिहे पराणत्ते, तंजहासरीरविउस्सग्गे गणविउस्सग्गे उवहिविउस्सग्गे भत्तपाणविउस्सग्गे, से तं Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीऔपपातिक-सूत्रम् ] [21 दव्वविउस्सग्गे 31 / से किं तं भावविउस्सग्गे ?, 2 तिविहे पण्णत्ते, तंजहा-कसायविउस्सग्गे संसारविउस्सग्गे कम्मविउस्सग्गे 32 / से कि तं कसायविउस्सग्गे ?, 2 चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-कोहकसायविउस्सग्गे माणकसायविउस्सग्गे मायाकसायविउस्सग्गे लोहकसायविउस्सग्गे, से तं कसायविउस्सग्गे 33 / से किं तं संसारविउस्सग्गे ?, 2 चउबिहे पराणत्ते तंजहा-णेरइअसंसारविउस्सग्गे तिरियसंसारविउस्सग्गे मणुप्रसंसारविउस्सग्गे देवसंसारविउस्सग्गे, से तं संसारविउस्सग्गे 34 / से किं तं कम्मविउस्सग्गे ?, 2 अट्टविहे पराणत्ते, तंजहा-णाणावरणिजकम्मविउस्सग्गे दरिसणावरणिजकम्मविउस्सग्गे वेषणीअकम्मविउस्सग्गे मोहणीयकम्मविउस्सग्गे श्राऊयकम्मविउस्सग्गे णामकम्मविउस्सग्गे गोकम्मविउस्सग्गे अंतरायकम्मविउस्सग्गे, से तं कम्मविउस्सग्गे, से तं भावविउस्सग्गे 35 // सू० 20 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवयो महावीरस्स बहवे अणगारा भगवंतो अप्पेगईश्रा अायारधरा जाव विवागसुधरा तत्थ तत्थ तहिं तहिं देसे देसे गच्छागच्छि गुम्मागुम्मि फड्डाफड्डिं अप्पेगइश्रा वायंति अप्पेगइश्रा पडिपुच्छति अप्पेगइया परियट्टति अप्पेगइया अणुप्पेहंति अप्पेगइया अक्खेवणीयो विक्खेवणीयो संवेषणीयो णिव्वेश्रणीश्रो चउविहायो कहायो कहंति अप्पेगइया उडदंजाणू अहोसिरा झाणकोट्ठोवगया संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरति 1 / संसारभउब्विग्गा भीगा जम्मण-जर-मरण-करण-गंभीर-दुक्ख-पक्खुभित्र-पउरसलिलं संजोग-वियोग-वीची-चिंता-पसंग-पसरिय-वह-बंध-महल्ल-विउल-कल्लोल-कलुण-विलविअ-लोभ-कलकलंत-बोलबहुलं अवमाणण-फेण-तिव्वखिसणपुलंपुल(पलुपण)प्पभू-रोग-वेषण-परिभव-विणिवाय-फरुस-धरिसणा-समावडिअ-कढिण-कम्म-पत्थर-तरंग-रंगंत-निचमच्चुभय-तोत्रपट्टकसाय-पायाल-संकुलं भवसयसहस्स-कलुस-जलसंचयं पातभयं अपरिमिश्र-महिच्छ-कलुसमति-वाउवेग Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 22 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः उद्धम्ममाण-दगरय-रयंधार-वरफेण-पउर-श्रासा-पिवासधवलं मोहमहावत्तभोगभममाण-गुप्पमाणुच्छलंत-पचोणियत्त-पाणियपमाय-चंड-बहुदुट्ट-सावय-समाहउद्धायमाण-पब्भार-घोर-कंदिय-महारवरवंत-भेरवरखं 2 / अराणाण-भमंतमच्छपरिहत्थ-अणिहुतिदिय-महामगर-तुरिश्र-चरित्र-खोखुम्भमाण-नच्चंत-चवल चंचल-चलंत-घुम्मंत-जलसमूह अरति-भय-विसाय-सोग-मिच्छत्त सेलसंकडं श्रणाइसंताण-कम्मबंधण-किलेस-चिक्खिल्ल-सुदुत्तारं अमर-नर-तिरिय-निरय-गइगमण-कुडिल-परिवत्त-विउलवेलं चउरंत-महंतं अणवदग्गं रुद्द संसारसागरं भीमदरिसणिज्जं तरंति धीईधणिय-निप्पकंपेण तुरियचवलं संवरवेरग्ग-तुग-कूवय-सुसंपउत्तेणं णाणसित-विमल-मूसिएणं सम्मत्त-विसुद्धलद्ध-णिजामएणं धीरा संजमपोएण सीलकलिया पसत्थन्माण-तव-वायपणोल्लिअ-पहाविएणं उन्जम–ववसाय-ग्गहिय-णिजरण-जयण-उवयोगणाणदंसणविसुद्धवयभंडभरिपसारा जिणवर-वयणोपदिट्ठ-मग्गेणं अकुडिलेण सिद्धि-महापट्टणाभिमुहा समणवर-सत्थवाहा सुसुझ्-सुसंभास-सुपराहसासा गामे गामे एगरायं णगरे गरे पंचरायं दूइजन्ता जिइंदिया णिन्भया गयभया सचित्ताचित्तमीसिएसु दव्वेसु विरागयं गया संजया विरया मुत्ता लहुवा णिरवकंखा साहू णिहुवा चरंति धम्मं 3 ॥सू० 21 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स बहवे असुर. कुमारा देवा अंतिनं पाउभवित्था काल-महाणील सरिस-णीलगुलिश्र-गवलअयसि-कुसुमप्पगासा विग्रसिथ-सयवत्तमिव पत्तल-निम्मल-ईसिसित-रत्ततंब-यणा गरुलायत-उज्जु-तुगणासा उअचित्र-सिलप्पवाल-बिंबफलसरिण-भाहरोहा पंडुर-ससि-सकल-विमल-णिम्मल-संख-गोक्खीर-फेणदगरय-मुणालिया-धवल-दंतसेढी हुयवह-णिद्धंत-धोय-तत्त-तवणिज-रत्त-तलतालुजीहा अंजण-घण-कसिण-रुयग-रमणिज-णिद्धकेसा वामेग-कुंडलधरा श्रद्दचंदणाणुलित्तगत्ता 1 / ईसिसिलिंध-पुष्फप्पगासाइं असंकिलिट्ठाई सुहुमाई Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीऔपपातिक-सूत्रम् ] [ 23 वत्थाई पवरपरिहिया वयं च पढमं समतिक्कंता बितिग्रं च वयं असंपत्ता भद्दे जोवणे वट्टमाणा तलभंगय-तुडिय-पवरभूसण-निम्मल-मणिरयणमंडियभुया दसमुदा-मंडियग्गहत्था चूलामणि-चिंधगया सुरूवा महिड्डिया महज्जुतिया महबला. महायसा महासोक्खा महाणुभागा हार-विराइतवच्छा कडग-तुडिअ-थंभिप्रभुया अंगय-कुडल-मट्ठ-गंड-तल-कराण-पीढधारी विचित्तवत्थाभरणा विचित्त-माला-मउलि-मउडा कल्लाणक-पवर-वस्थपरिहिया कलाणक-पवर-मल्लाणुलेवणा भासुरबोंदी पलंब-वणमालधरा 2 / दिव्वेणं वराणेणं दिव्वेणं गंधेणं दिव्वेणं स्वेणं दिव्वेणं फासेणं दिवेणं संघाए(घयणे) णं दिव्वेणं संठाणेणं दिव्वाए इड्डीए दिवाए जुत्तीए दिवाए पभाए दिव्वाए छायाए दिव्वाए अबीए दिव्वेणं तेएणं दिवाए लेसाए दस दिसायो उजावेमाणा पभासेमाणा समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिधे आगम्मागम्म रत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो श्रायाहिणं पयाहिणं करेइ 2 त्ता वदंति णमंसंति वंदित्ता णमंसित्ता साइं साइं नामगोयाइं सावेंति, णचासणे णाइदूरे सुस्सूसमाणा णमंसमाणा अभिमुहा विणएणं पंजलिउडा पज्जुवासंति 2 // सू० 22 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवश्रो महावीरस्स बहवे असुरिंदवजित्रा भवणवासी देवा अंतियं पाउब्भवित्था णागपइणा सुवराणा विज्जू अग्गीया दीवा उदही दिसाकुमारा य पवण थणिया य भवणवासी णागफडा-गरुलवइर-पुराणकलस-सीह(पुराणकलस-संकिराण-उप्फेस-सीह)हय-गय-मगरमउड-बद्धमाण-णिज्जुत्त-विचित्त-चिंधगया सुरूवा महिड्डिया सेसं तं चेव जाव पज्जुवासंति // सू. 23 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवश्रो महावीरस्स बहवे वाणमंतरा देवा अंतिघे पाउभवित्था पिसायभूत्रा य जाख-रक्खस-किंनर-किंपुरिस-भुअगवइणो अ-महाकाया गंधव्वणिकायगणा णिउणगंधवगीतरइणो अणपरिण-पणपरिणत्र-इसिवादी Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 24 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः भूयवादी-कंदिय-महाकंदिया य कुहंड-पयए य देवा चंचल-चवल-चित्तकीलणदवप्पिया गंभीर-हसिब-भणिय-पीय-गीत्र-णचणरई (गहिर-हसियगीयनचणरई) वणमालामेल-मउड-कुंडलसच्छंद-विउव्वियाहरण-चारुविभूसणधरा सब्बोउय-सुरभि-कुसुम-सुरइय-पलंब-सोभंत-कंत-विसंत-चित्तवणमाल-रइअवच्छा कामगमी कामख्वधारी णाणाविह-वरणराग-वरवत्थचित्त-चिल्लिय-णियंसणा विविहदेसी-गोवत्थग्गहिवेसा पमुइअ-कंदप्प-कलहकेलि-कोलाहलप्पिया हासबोल(केलि)बहुला अणेग-मणिरयण-विविहणिजुत्त-विचित्त-चिंधगया सुरूवा महिड्डिा जाव पज्जुवासंति // सू० 24 / / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स जोइसिया देवा अंतिधे पाउभविस्था विहस्सती चंद सूर सुक्क सणिचरा राहू धूमकेतू बुहा य अंगारका य तत्त-तवणिज-कणगवराणा जे य गहा जोइसंमि चारं चरंति केऊ अ गइरइया अट्ठावीसतिविहा य णक्खत्त-देवगणा णाणासंगण-संठियायो य पंचवरणाश्रो तारायो ठिग्रलेस्सा चारिणो अ अविस्साममंडलगती पत्तेयं णामंकपागडियचिंधमउडा महिड्डिया जाव पज्जुवासंति // सू० 25 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स वेमाणिया देवा अंतिघे पाउभविस्था सोहम्मीसाण-सणंकुमारमाहिंद-बंभ-लंतक-महासुक-सहस्साराणय-पाणयारण-अच्चुयवई पट्ठिा देवा जिणदंसणुस्सुगागमण-जणियहासा पालक-पुप्फक-सोमणस-सिरिवच्छणंदियावत्त-कामगम-पीइंगम-मणोगम-विमल-सव्वोभद्द(सरिस)णामधिज्जेहिं विमाणेहिं अोइराणा वंदका जिणिंदं 1 / मिग-महिस-वराह-छगल-दुरहय-गयवइ-भुग-वग्ग-उसभंक-विडिम-पागडिय-चिंधमउडा पसिढिल-वरमउड-तिरिडधारी कुडल-उज्जोवियाणणा. मउड-दित्तसिरया रत्ताभा पउमपम्हगोरा सेया सुभ-वरण-गंधफासा उत्तमविउव्विणो विविह-वत्थगंधमल्लधरा महिड्डि या महज्जुतिश्रा जाव पंजलिउडा पज्जुवासंति (सामाणिय Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीऔषपातिक-सूत्रम् ] [ 25 तावत्तीसमहिया सलोगपाल-अग्गाइसि-परिसा-गिय प्रायरक्खेहिं परिवुडा समणुगम्मत-सस्सिरीया देवसंघ-जयसवालोया मिग-महिस-वराह-छगलददुर-हय-गयवइ-भुयग-खग्ग-उसभंक-विडिम-पागडिय-चिंध-मउडा पालगपुष्फग-सोमणससि-सिरिवच्छ-नंदियाव-कामगम-पीतिगम--मणोगम-विमलसव्वयोमानामधेज्जेहिं विमाणेहिं तरुण-दिणयर-करअइरेगप्पभेहिं मणिकणग-रयण-घडिय-जालुजल-हेमजाल-पेरंतपरिगएहिं सपयरवर-मुत्तदामलंबंतभूमणेहिं पचलिय-घंटावलि-महुरसह-वंस-तंती-तल-ताल-गीयवाइयरवेणं महुरेणं मणोहरेणं पूरयंता अंबरं दिसायो य, सोभेमाणा सरियं, संपट्ठिया थिरजसा देविंदा हट्टतुट्ठमणसा, सेसा वि य कप्पवरविमाणाहिवा सविमाणविचित्त-चिंध-नामंक-विगड-पागड-मउडाडोव-सुभदंसणिजा समन्निति, लोयंतविमाणवासिणो यावि देवसंघा य पत्तेय-विरायमाण-विरइय-मणिरयणकुंडल-भिसंत-निम्मल-नियगंकिय-विचित्त-पाडियमउडा दायंता अप्पणो समुदयं, पेच्छंता वि य परस्स रिड्डीयो, जिणिंद-वंदण-निमित्तभत्तीए चोइयमई जिणदंससुयागमणजणियहासा विउल-बल-समूह पिंडिया संभमेणं गगणतल-विमल-विउल--गगणगइ-चवल-चलियमण(पवण)जइणसिग्यवेगा णाणाविह-जाण-वाहणगया उसियविमल-धवलछत्ता विउब्विय-जाण-वाहणविमाण-देहस्यणप्पभाए उज्जोएंता नहं, वितिमिरं करेंता सव्विड्डीए हुलियं (पसिढिल-वरमउड-तिरीडधारी मउड-दित्तसिरया रत्तामा पउमपम्हगोरा सेया।) तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवयो महावीरस्स बहवे अच्छरगणसंचाया अंतियं पाउब्भविस्था। तायो णं अच्छरायो धंतधोयकणग-रुयग-सरिसप्पभायो समइक्कंतायो य बालभावं अणइवर-सोमचारुरुवायो निरुवहय-सरस-जोवणकक्कस-तरुण-वयभावं उवगयायो निच्चं अवडियसहावायो सव्वंगसुदरीयो इच्छिय-नेवच्छ-रइय-रमणिज-गहियवेसायो कि ते हारद्धहार-पाउत्त-रयण-कुडल-वामुत्तग-हेमजाल मणिजाल Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 26 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः कणगजाल-सुत्तग-उरितियकडग-खुड्डग-एगावलि-कंटेसुत्त-मगहरावरवच्छ-गेवेजसोणिसुत्तग-तिलग-फुल्लग-सिद्धत्थिय-कराणवालिय-ससि-सूर-उसभ-वक्य-तल भंगय-तुडिय-हत्यमालय-हरिस-केऊर-वलय-पालंब-अंगुलिजग-वलक्ख-दीणारमालिया चंदसूरमालिया-कंचिमेहल-कलाव-पयरग-परिहेरग-पायजालघंटियखिखिणि-रयणोरुनाल-खुड्डिय-वरनेउर-चलणमालिया कणगणिगल-जालगमगरनुहविरायमाणनेउर-पचलियसदाल भूमणधारणीयो दसद्धवराण-रागरइयरत्तमणहरे हयलाला-पेलवाइरेगे धवले कणग-खचियंतकम्मे अागासफालिय-सरिसप्पहे अंसुए णियत्थायो श्रायरेणं तुसार-गोक्खीर-हार-दगरयपंडुर-दुगुल्ल सुकुमाल-सुकयरमणिजउत्तरिजाई पाउयात्रो, वरचंदणचच्चि.यायो वराभरणभूसियाश्रो सम्बोउय-सुरभि-कुसुम-रइय-विचित्त-वरमल्लधारिणीयो सुगंधचुराणंगराग-वरवास-पुप्फ-पूरगविराइयायो अहियसस्सिरीयागो उत्तमवरधूवधूवियायो सिरीसमाणवेसायो दिव्व-कुसुममल्लदामपन्भनलिपुडायो चंदाणणाश्रो चंदविलासिणीयो चंदद्धसमललाडायो चंदाहियसोमदंसणायो उक्कायो विव उज्जोएमाणायो विज्जुघण-मिरीइसूरदिप्पंत-तेयग्रहियतर-सन्निगासायो सिंगारागार-चारुवेसायो संगयगयहसिय-भणिय-चेट्ठिय-विलास-सललिय-संलावनिउणजु-तोवयारकुसलायो सुंदरथण-जवण-वयण-करचरण-नयण-लावराण-रूव-जोव्वण-विलासकलियायो सुरवधूयो सिरीस-नवणीय-मउय-सुकुमाल-तुल्लफासायो ववगयकलिकलुसाो धोयनिद्धंत-रयमलायो सोमायो कंतायो पियदंसणायो सुरुवायो जिणभत्तिदंसणाणुरागेणं हरिसियायो ग्रोवइयायो यावि जिणसगासं दिव्वेणं सेसं तं चेव नवरं ठियायो चेव / ) 2 ॥सू०२६ // . तए णं चंपाए नयरीए सिंघाडग-तिग-चउक्क-चचर-चउम्मुह-महापहपहेसु महया जणसहे इ वा (बहुजणसद्दे इ वा, जणवाए इ वा, जणुल्लावे इ . वा) जणवूहे इ वा जणबोले इ वा जणकलकले इ वा जणुम्मी ति वा Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीऔपपातिक: सूत्रम् ] जणुकलिया इ वा जणसन्निवाए इ वा बहुजणो अराणमण्णस्स एवमाइक्खड एवं भासइ एवं पराणवेइ एवं परुवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे श्रादिगरे तित्थगरे सयंसंबुद्धे पुरिसुत्तमे जाव संपाविउकामे पुव्वाणुपुरि चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव चंपाए णयरीए बाहिं पुराणभद्दे चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ 1 / तं महप्फलं खलु भो देवाणुप्पिया ! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं णामगोअस्सवि सवणताए, किमंगपुण अभिगमण-वंदण-णमंसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए ?, एकस्सवि पायरियस्स धम्मिअस्स सुवयणस्स सवणताए ?, किमंगपुण विउलस्स अत्थस्स गहणयाए ?, तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं वंदामो णमंसामो सकारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइ [विणएणं ] पज्जुवासामो एतं णे पेचभवे (इहभवे श्र परभवे अ) हियाए सुहाए खमाए निस्सेबसाए श्राणुगामित्रत्ताए भविस्सइत्तिकट्टु बहवे उग्गा उग्गपुत्ता भोगा भोगपुत्ता 2 / एवं दुपडोयारेणं राइराणा (इक्खागा नाया कोरव्वा) खत्तिथा माहणा भडा जोहा पसत्थारो मलई लेच्छई लेच्छईपुत्ता अराणे य बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोड बित्र इब्भ-सेट्टि-सेणावइ-सस्थवाहपभितियो अप्पेगइावंदणवत्तिय अप्पेगडया पूत्रणवत्तियं एवं सकारवत्तियं सम्माणवत्तियं दंसणवत्तियं कोऊहलवत्तियं अप्पेगइया अट्ठविणिच्छयहेउं अस्सुयाइं सुणेस्सामो सुयाई निस्संकियाई करिस्सामो अप्पेगइया अट्टाई हेऊई कारणाई वागरणाई पुच्छिस्सामो 3 / अप्पेगइया सवयो समंता मुण्डे भवित्ता अगारायो अणगारिश्र पव्वइस्सामो, पंचाणुवइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवजिस्सामो, अप्पेगइया जिणभत्तिरागेण अप्पेगइया जीश्रमेयंतिकटटु राहाया कयबलिकम्मा कयकोऊय-मंगलपायच्छित्ता (उच्छोलणय-धोया) सिरसा-कंठे Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 28 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः मालकडा पाविद्ध-मणिसुवगणा कप्पियहारऽद्धहार-तिसरय-पालंबपलंबमाण-कडिसुत्तय-सुकयसोहाभरणा पवरवत्थपरिहिया चंदणोलित्तगायसरीरा 4 / अप्पेगइया हयगया एवं गयगया रहगया सिबियागया (जाणगया जुग्गगया गिल्लिगया थिलिगया पवहणगया ) संदमाणियागया अप्पेगइया पायविहारचारिणो पुरिस-वग्गुरा-परिखित्ता महया उकिट्ठिसीह-णाय-बोल-कलकलरवेणं पक्खुभित्र-महाममुद्द-रवभूतंपिव करेमाणा (पायददरेणं भूमि कंपेमाणा अंबरतलंमिव फोडेमाणा एगदिसि एगाभिमुहा) चंपाए णयरीए मज्झमझेणं णिगच्छंति. 2. त्ता जेणेव पुराणभदे चेहए तेणेव उवागच्छंति 2 ता समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अदूरसामंते छत्ताईए तित्थयराइसेसे पासंति, पासित्ता जाणवाहणाई ठावइति (विट्ठभंति) 2 त्ता जाणवाहणेहिंतो पचोरुहंति, पचोरुहित्ता (जाणाइं मुयति वाहणाई विसज्जेंति पुप्फतबोलाइयं पाउहभाइयं सचित्तालंकारं पाहणाश्रो य (विसज्जेंति) एगसाडियं उत्तरासंगं (करेंति) श्रायंता चोवखा परमसुइभूया अंभिगमेणं अभिगच्छति, चक्खुफासे मणसा एगत्तीभावकरणेणं ) जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समणं - भगवं महावीरं तिक्खुत्तो थायाहिणं पयाहिणं करेंति, करित्ता वंदंति * णमंसंति, वंदित्ता णमंसित्ता णचासराणे णारे सुस्सूममाणा णमंसमाणा 'अभिमुहा विणएणं पंजलिउडा पज्जुवासंति (तिविहाए पज्जुवासणाए ‘पज्जुवासंति, काइयाए--सुसमाहिय-पसंत-साहरियपाणिपाया अंजलि-मउलि. * महत्था, वाइयाए-एवमेयं भंते, अवितहमेयं असंदिद्धमेयं, इच्छियमेयं, पडिच्छियमेयं, इच्छियपडिच्छियमेयं, सच्चे णं एस ग्रह, माणसियाए: तच्चित्ता तम्मणा तल्लेसा तदभवसिया तत्तिव्वज्झवसाणा तदप्पियकरणा - तदट्ठोवउत्ता तब्भावणाभाविया एगमणा अविमणा अणराणामणा जिणवयण: धम्माणुरागरत्तमणा वियसिय-वरकमलनयणवयणा पज्जुवासह समोस Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 29 श्रीऔपपातिक-सूत्रम् ) रणाइं गवेसह श्रागंतारेसु वा धारामागारेसु वा पाएसणेसु वा श्रावसहेसु वा पणियगेहेसु वा पणियसालासु वा जाणगिहेसु वा जाणसालासु वा कोडागारेसु वा सुसाणेसु वा सुराणागारेसु.वा परिहिंडमाणा परिघोलेमाणा) ५॥सू०२७॥ तए णं से पवित्तिवाउऐ इमीसे कहाए लद्धढे समाणे हट्टतुठे जाव हियए राहाए जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सयायो गिहायो पडिणिक्खमइ, सयायो गिहायो पडिणिक्खमित्ता चंपाणयरिं मझमज्झेणं जेणेव बाहिरिया सव्वेव (सा चेव) हेट्ठिला वत्तव्वया जाव णिसीयइ णिसीइत्ता तस्सं पवित्तिवाउअस्स अद्धत्तेरससयसहस्साई पीइदाणं दलयति 2 त्ता सकारेइ सम्माणेइ सकारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसज्जेइ // सू. 28 // तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते बलवाउग्रं आमतेइ थामतेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! अाभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेहि, द्दय-गय-रह-पवरजोहकलिग्रं च चाउरंगिणिं सेणं सराणाहिहि, सुभद्दापमुहाण य देवीणं बाहिरियाए उवट्ठाणसालाए पाडिएकपाडिएकाई जत्ताभिमुहाई जुत्ता(ग्गा)ई जाणाई उवट्ठवेह, चंपं णयरिं सभितरबाहिरिग्रं (यासित्त-संमजियोवलित्तं सिंघाडग-तिय-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापहपहेसु) श्रासित्तसित्त-सुइसम्मट्ठ-रत्यंतरावणवीहियं मंचाइमंचकलियं णाणाविह-रागउच्छियज्झय-पडागाइपडागमंडियं लाउल्लोइयमहियं गोसीस-सरस-रत्तचंदण जाव गंधवट्टिभूयं करेह कारवेह करित्ता कारवेत्ता एप्रमाणत्तिधे पञ्चप्पिणाहि, निजाइस्सामि समणं भगवं महावीरं अभिवंदए // सू० 21 // तए णं से बलवाउए कूणिएणं रराणा एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्ट जाव हिपए करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं वयासी-सामित्ति श्राणाइ विणएणं वयणं पडिसुणेइ 2 त्ता हत्थिवाउग्रं श्रामंतेइ अामंतेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिा ! कूणिअस्स रगणो भंभसारपुत्तस्स श्राभिसेक हत्थिरयणं पडिकप्पेहि, हयगय-रहपवरजोहकलियं चाउरंगिणि Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 30 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पश्रमो विभागः सेणं सराणाहिहि सराणाहित्ता एप्रमाणत्तियं पञ्चप्पिणाहि 1 / तए णं से हत्थिवाउए बलवाउअस्स एअमटुं सोचा आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ पडिसुणित्ता छेडायरिय-उवरसमइ-विकप्पणाविकप्पेहिं सुणिउणेहिं उज्जल-णेवत्थ-हत्थपरिवत्थियं सुसज्जं धम्मिश्र-सराणद्ध-बद्ध-कवइय-उप्पीलिय-कच्छवच्छ (वच्छकच्छ)गेवेय-बद्धगलवर-भूसणविरायतं अहियतेबजुत्तं सललिअ-वरकराणपूर-विराइग्रं पलंब-उच्चूल-महुअर-कयंधयारं चित्तपरिच्छेअपच्छयं (सचापसर-)पहरणावरणभरिग्रजुद्धसज्जं सच्छत्तं सज्झयं सघंटे सपडागं पंचामेलअ-परिमंडिअाभिरामं श्रोसारिय-जमल-जुअलघंटं विज्जु. पणद्धं व कालमेहं उप्पाइयपव्वयं व चंकमंतं (सक्वं) मत्तं महामेहमिव गुलगुलंतं मणपवणजइणवेगं भीमं संगामियायोग्गं मंगामियायोज्ज (संगामियाबोझ, संगामियायोगं) अाभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पइ पडिकप्पेत्ता हयगयरहपवरजोहकलियं चाउरंगिणिं सेणं सराणाहेइ, सराणाहित्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता एमाणत्तियं पञ्चप्पिणइ 2 / तए णं से बलवाउए जाणसालिग्रं सदावेइ 2 त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सुभद्दापमुहाणं देवीणं बाहिरियाए उवट्ठाणसालाए पाडिएकपाडिएकाई जत्ताभिमुहाई जुत्ताई जाणाई उवट्ठवेह 2 ता एप्रमाणत्तियं पञ्चप्पिणाहि 3 / तए णं से जागासालिए बलवाउअस्स एअमटुं श्राणाएं विणएणं वयणं पडिसुणेइ पडिसुणित्ता जेणेव जाणसाला तेणेव उबागच्छई तेणेव उवागच्छित्ता जाणाई पच्चुवेक्खेइ 2 ता जाणाई संपमज्जेइ 2 ता जाणाई संवटेइ जाणाई संवदे॒त्ता जाणई णीणेइ जाणाई णीणेत्ता जाणाणं दूसे. पवीणेइ 2 ता जाणाई समलंकरेइ 2 ता जाणाई वरभंडकमंडियाई करेति 2 ता जेणेव वाहणसाला तेणेव उवागच्छद तेणेव उवागच्छित्ता वाहणसालं अणुपविसइ 2 वाहणाई पच्चुवेक्खेइ 2 ता वाहणाई संपमजइ 2 ता वाहणाई णीणेइ 2 त्ता वाहणाई अप्फालेइ 2 चा Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीऔपपातिक -सूत्रम् ] [ 31 दूसे पवीणेइ 2 ता वाहणाइं समलंकरेइ 2 ता वाहणाई वरभंडकमंडियाई करेइ 2 त्ता वाहणाई जाणाई. जोएइ 2 ता पयोदलट्ठि पत्रोअधरे य समं श्राडहइ श्राडहित्ता वट्टमग्गं गाहेइ 2 ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ 2 ता बलवाउग्रस्त एश्रमाणत्तियं पञ्चप्पिणइ 1 / तए णं से बलवाउए गायरगुत्तिए पामतेइ 2 ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चंपं णयरि सब्भितरबाहिरियं श्रासित्त जाव कारवेत्ता एअमाणत्तियं पञ्चप्पिणाहि 2 / तए णं से णयरगुत्तीए बलवाउअस्स एयमट्ठ याणाए विणएणं पडिसुणेइ 2 ता चंपं णयरिं सब्भितरबाहिरियं श्रासित्त जाव कारवेत्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ 2 ता एप्रमाणत्तिय पञ्चप्पिगाइ 3 / तए णं से बलवाउए कोणि अस्स रराणो भंभसारपुत्तस्स श्राभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पियं पासइ हयगय जाव सराणाहियं पासइ, * सुभदापमुहाणं देवीणं पडिजाणाई उपट्टवियाई पासइ, चंपं णयरिं सब्भितर जाव गंधवट्टिभूयं कयं पासइ, पासित्ता हट्टतुट्ठचित्तमाणदिए (णदिए) पीयमणे जाव हिए जेणेव कूणिए राया भंभसारपुत्ते तेणेव उवागच्छइ 2 ता करयल जाव एवं वयासी-कप्पिए णं देवाणुप्पियाणं श्राभिसिक्के हत्थिरयणे हयगय जाव पवरजोहकलिश्रा य चाउरंगिणी सेणा सराणा. .हिया सुभदापमुहाणं च देवीणं बाहिरियाए अ उवट्ठाणसालाए पाडिएकपाडिएकाई जताभिमुहाई जुत्ताई जाणाई उवट्टावियाई चंपा गायरी सब्भितरबाहिरिया बासित्त जाव गंधवहिभूया कया, तं निज्जंतु णं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं अभिवंदना // सू० 30 // तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते बलवाउअस्स अंतिए एअमट्ठसोचा णिसम्म हट्ठतुट्ठ जाव हिथए जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ 2 ता अट्टणसालं अणुपविसइ 2 . त्ता प्रणेगवायामजोग्ग-वग्गणवामदण-मल्लजुद्धकरणेहिं संते परिस्संते सयपाग.सहस्सपागेहिं सुगंबतेल्लमाइएहिं पीणणिज्जेहिं दप्पणिज्जेहिं मयणिज्जेहिं Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 32 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागविहणिज्जेहिं सबिदिय-गाय-पल्हायणिज्जेहिं अभिगेहिं अभिगिए समाणे तेलचम्मंसि पडिपुगण-पाणिपाय-सुकुमाल-कोमलतलेहिं पुरिसेहिं छेएहिं दक्खेहिं पत्तट्ठोहिं कुसलेहिं मेहावीहिं निउणसिप्पोवगएहि अभिगण-परिमद्दणुव्वलण-करण-गुणणिम्माएहिं अट्ठिसुहाए मंससुहाए तयासु. हाए रोमसुहाए चउबिहाए संवाहणाए संवाहिए समाणे अगयखे. परिस्समे अट्टणसालाउ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता मज्जणघरं अगुपविसइ 2 ता समुत्तजालाउलाभिरामे विचित्त-मणिरयण-कुट्टिमतले रमणिज्जे राहाणमंडवंसि णाणामणि-रयणभत्तिचित्तंसि राहाणपीटंसि सुहणिसराणे सुद्धोदएहिं गंधोदएहिं पुष्फोदएहिं सुहोदएहिं पुणो 2 कल्लाणग-पवर-मजणविहीए मजिए तत्थ कोउग्रसरहिं बहुविहेहिं कलागग-पवर-मजणावसाणे पम्हल-सुकुमाल-गंध-कासाइयलूहियंगे सरस–सुरहि-गोसीस-चंदणाणुलित्तगत्ते / अहय-सुमहग्ध-दूसरयणसुसंवुए सुइमाला-वराणग-विलेवणे श्राविद्ध-मणिसुवराणे कप्पिय-हारद्धहार-तिसरय-पालंबपलंबमाण-कडिसुत्त-सुकयसोभे पिणद्धगेविज-अंगुलिजग-ललियंगय-ललियकयाभरणे वरकडग-तुडिय-थंभित्रभूए अहिय-रूवसस्सिरीए मुद्दिया-पिंगलंगुलिए कुंडल-उज्जोवियाणणे मउडदित्तसिरए हारोत्थय-सुक्य-रइयवच्छे पालंब पलंबमाण-पडसुकयउत्तरिज्जे णाणामणिकणग--रयण-विमल- महरिह-णिउणोवित्र-मिसिमिसंत-विरइयसुसिलिट्ठ-विसिट्ठ-लट्ठ-श्राविद्धवीरवलए 1 / किं बहुणा ? कप्परुवखए चेव प्रलंकिय-विभूसिए णरवई सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं (अब्भपडल-पिंगलुजलेणं अविरल-समसहिय-चंदमंडल समप्पभेणं मंगल-सयभत्तिच्छेय चेव चित्तियखिखिणि-मणिहेम-जाल-विरइय-परिगयपेरंत-कणगघंटिया-रयलिय-किणिकिणित-सुइसुह-सुमहुर-सदालसोहिएणं सप्पयर-वर-मुत्तदाम-लंबंत-भूसणेणं नरिंद-वामप्पमाण-रुंदपरिमंडलेणं सीयायव-वाय-बरिस Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीऔपपातिक-सूत्रम् ] ( 33 विसदोसनासणेणं तमरय-मलबहुल-पडल-धाडण-पभाकरेणं उउसुह-सिवच्छाय-समणुषद्धेणं वेरुलिय-दंडसजिएणं वइरामय-वत्थिनिउण-जोइयअट्ठसहस्स-वरकंचण-सलागनिम्मिएणं सुणिम्मल-रयय-सुच्छएणं निउणोविय- मिसिमिसंत-मणिरयण-सूरमंडल-वितिमिरकर-निग्गयग्गपडिहयपुणरवि पन्चापडंत-चंचल-मिरिइकवयं विणिमुयंतेणं सपडिदंडेणं धरिजमाणेणं यायवत्तेणं विरायंते ) चउचामरवालवीजियंगे ( चउ(ता)हिय-पवरगिरिकुहर-विवरण-समुइय-निवहय-चमर-पच्छिम-सरीर-संजायसंगयाहि अमलियसियकमल-विमलुजलिय-रययगिरि-सिहरविमल-ससिकिरण-सरिस-कलधोय-निम्मलाहिं पवणाहय-चवल-ललिय-तरङ्ग हत्थ-नच्चंत-वीइ-पसरियखीरोदग-पवर-सागरुप्पूरचंचलाहिं माणससर-परिसर-परिचियावास-विसयवेसाहिं कणगगिरिसिहर-संसियाहिं श्रोवइय-उप्पइय-तुरिय-चवल-जइणसिग्धवेगाहिं हंसवधूयाहिं चेव कलिए णाणा-मणि-कणग-रयण-विमलमहरिह-तवणिज्जुजल-विचित्तदण्डाहिं विल्लियाहिं नरवइ-सिरिसमुदय-पगासणकरीहिं वरपट्टणुग्गयाहिं समिद्ध-रायकुलसेवियाहिं कालागुरु-पवरकुन्दुरुक-वरवराणवास-गन्धुद्धयाभिरामाहिं सललियाहिं उभयोपासं उक्खिप्पमाणाहिं चामराहिं कलिए सुहसीयल-वायवीइयंगे मंगल-जयसद्दकयालोए मजणघरायो पडिनिक्खमइ मजणघराउ पडिणिक्खमित्ता अणेगगणनायगदंडनायग-राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडंबिय-इन्भ-सेटि-सेणावइ-सत्थवाहदूरसंधिवालसद्धिं संपरिखुडे धवलमहामेहणिग्गए इव गह-गणदिप्पंत-रिवखतारागणाण मज्झ ससिव्व पिपदसणे णरवई जेणेव बाहिरिया उवट्ठा. णसाला जेणेच ग्राभिसेक्के हत्थिरयगो तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अंजणगिरि-कूडसरिणभं गयवई णरवई दूरूढे 2 / तए णं तस्स कूणियस्स रगणो भंभतारपुत्तस्स श्राभिसिक्कं हत्थिरयणं दुरुढस्स समाणस्स तप्पढमयाए इमे अट्ठमंगलया पुरयो ग्रहाणुपुवीए संपट्ठिया, तंजहा-सोवत्थिय Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 34 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः सिरिवच्छ-णंदियावत्त-वद्धमाणक-भद्दासण-कलस-मच्छ-दप्पणा, तयाऽणंतरं च णं पुराणकलसभिंगारं दिव्वा य छत्तपडागा सचामरा दंसणरइयबालोअ-दरिसणिजा वाउद्धय-विजयवेजयंती य ऊस्सिया गगणतल-मणु. लिहंती पुरश्रो अहाणुपुबीए संपट्ठिया, तयाऽणंतरं च णं वेरुलिय भिसंतविमलदंडं पलंव-कोरंट-मल्लदामोवसोभियं चंदमंडलणिभं समूसिअविमलं प्रायवत्तपवरं सीहासणं वर-मणिरयण-पादपीढं सपाउबाजोय-समाउत्तं बहुकिंकर-( दासीदास-किंकर)कम्मकर-पुरिस-पायत्तपरिक्खित्तं पुरयो अहाणुपुब्बीए संपट्ठियं 3 / तयाऽणंतरं च णं बहवे लट्ठिग्गाहा (असिलट्ठिग्गाहा) कुंतग्गाहा चावग्गाहा चामरग्गाहा पासग्गाहा पोत्थयग्गाहा फलकग्गाहा पीढग्गाहा वीणग्गाहा कुतग्गाहा हडप्फग्गाहा पुरश्रो अहाणुपुवीए संपट्ठिा / तयाऽणंतरं च णं बहवे डंडिणो मुडिणो सिहंडिणो जडिणो पिंछिणो हासकरा डमरकरा चाटुकरा वादकरा कंदप्पकरा दवकरा कोक्कुइया किट्टिकरा वायंता गायंता हसंता णचंता भासंता सावेता रक्खंता (रविता) आलोयं च करेमाणा जयरस पउंजमाणा पुरयो ग्रहाणुपुव्वीए संपट्टिा (असिलट्ठि-कुंतचावे चामरपासे य फलगपोत्थे य वीणाकूयग्गाहे तत्तो य हडप्फ(प्प)गाहे य // 1 // दंडी मुडि. सिहंडी पिच्छी जडिणो य हासकिड्डा यादवकारा चडुकारा कंदप्पियकुक्कुईगा य (गाहा)॥२॥ गायंता वायंता नच्चंता तह हसंतहासिंता / साता राता बालोयजयं पउंजंति // 3 // ) 4 / तयाऽणंतरं च णं जच्चाणं तरमल्लिहायणाणं (वरमल्लि-भासणाणं हरिमेलामउल-मल्लियब्छाणं चुचुच्चिय-ललिग्रपुलिय-चल-चवल-चंचलगईणं लंघण-वग्गण-धावण-धोरण-तिवई-जइणसिक्खियगईणं ललंत-लाम-गललाय-वरभूसणाणं मुहभंडग-उच्चूलग-थासग. मिलाण-चमरीगंड-परिमंडिय-कडीणं) थासग अहिलाण-चामरगराडपरिमंडिय-कडीणं किंकरवर-तरुण-परिग्गहिश्राणं अट्ठसयं वरतुंरगाणं Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 35 श्रीऔपपातिक-सूत्रम् ] पुरयो ग्रहाणुपुबीए संपट्टियं 5 / तयाऽणंतरं च णं ईसीदंताणं ईसीमत्ताणं ईसीतुगाणं ईसीउच्छंग-विसाल-धवलदंताणं कंचण-कोसी-पविट्ठदंताणं कंचण-मणिरयण-भूसियाणं (वरपुरिसारोहगसंपउत्ताणं) अट्ठसयं गयाणं पुरयो अहाणुपुव्वीए संपट्टियं 6 / तयाऽणंतरं च णं सच्चत्ताणं सज्झयाणं सघंटाणं सपडागाणं सतोरणवराणं सणंदिघोसाणं सखिखिणी-जाल-परिक्खित्ताणं हेमवय-चित्त-तिणिस-कणक-णिजुत्तदारुवाणं कालायस-सुकयणेमिजंतकम्माणं सुसिलिट्ठ-वत्त मंडलधुराणं पाइराण-वरतुरग-सुसंपउत्ताणं कुसल-नरच्छेअ-सारहि-सुसंपग्गहियाणं (हेमजाल-गवक्ख जाल-खिखिणिघंटाजाल-परिक्खित्ताणं) बत्तीसतोण(तोरण)परिमंडिवाणं सकंकंड-वडेंसकाणं सचाव-सर-पहरणावरण-भरिप्रजुद्धसज्जाणं अट्ठसयं रहाणं पुरो श्रहाणुपुधीए संपट्टियं 7 / तयाऽणंतरं च णं असि-सत्ति-कोंत तोमर-सूललउड-भिंडिमाल-धणुपाणिसज्जं पायत्ताणीयं पुरश्रो श्रहाणुपुवीए संपट्टि (सन्नद्ध-बद्ध-वम्मियकवयाणं उप्पीलिय-सरासणवट्टियाणं पिनद्धगेवेजविमलवर-बद्धचिंधपट्टाणं गहियाउहप्पहरणाणं) = / तए णं से कूणिए राया हारोस्थयसुकयरइयवच्छे कुंडलउज्जोवियाणणे मउडदित्तसिरए णरसीहे णरवई णरिंदे णवसहे. मणुअरायवसभकप्पे अब्भहिवरायतेअलच्छीए दिप्पमाणे हत्थिक्खंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं सेअवरचामराहिं उद्धब्बमाणीहिं 2 वेसमणो चेव णरवाईअमरवईसरिणभाए इड्डीए पहियकित्ती हयगयरहपवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए समणुगम्ममाणमग्गे जेणेव पुराणभद्दे चेइए तेणेव पहारित्थ गमणाए, तए णं तस्स कूणिश्रस्स रराणो भंभमारपुत्तस्स पुरो महंधासा पासध(व)रा उभयो पासि णागा गागध(व)रा पिट्ठयो रहसंगल्लि 1 / तए णं से कूणिए राया भसारपुत्ते अभुग्गभिंगारे पग्गहियतालियंटे उच्छियसे अच्छत्ते पवीइअवालवीयणीए सविड्डीए सव्वजुत्तीए सव्वबलेणं सव्वसमुदएणं सव्वादरेणं सव्वविभूईए सव्वविभूसाए (पगइहिं Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 36 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः नायगेहिं तालायरेहिं सबोरेहि) सव्वसंभमेणं सबपुष्पगंधासमलालंकारेणं (सव्वपुप्फवत्थगध-मलालंकारविभूसाए) सव्वतुडिय-सदसगिणासारणं मया इड्डीए: महया जुत्तीए महया बलेणं महया समुदएणं महया वरतुडिय-जमगसमग-प्पवाइएणं संख-पणव-पडह-भेरि-झलरि-खरमुहि-हुडुक-मुखमुरवयुअंग-दुदुभि-णिग्योस-णाइयरवेणं चंपाए णयरीए मझ मज्झेणं णिगच्छइ 10 // सू०:३१:॥ तए णं तस्स कूणिअस्स रगणो चंपानगरिं मझ मज्झेणं णिग्गच्छमाणस्स चहवे अत्यत्थिया कामस्थियाभोगत्थिया लाभत्थिया किब्बिसिया करोडिया कारवाहिया संखिया चकिया णंगलिया मुहमंगलिया. वद्धमाणा पुस्समाणवा खंडियगणा ताहिं इट्टाहिं कंताहिं पियाहिं मणु गणाहिं मणामाहिं मणोभिरामाहिं (उरालाहिं कल्लाणाहि सिवाहिं धराणाहिं - मंगलाहिं सस्सिरीयाहिं ) हिययगमणिजाहिं (हिययपल्हायणिजाहि मिय महुर-गंभीरगाहियाहिं अट्ठसइयाहिं सरिसरीयाहिं अपुणरुत्ताहि वग्गूहि जयविजयमंगलसएहिं अणवरयं अभिणंदंता य अभिथुणंता य एवं वयासीजय 2 णंदा ! जय 2 भद्दा ! भद्द ते अजियं जिणाहि जियं (च) पालेहि जिमझे वसाहि 1 / इंदो इव देवाणं चमरो इव असुराणं धरणो इव नागाणं चंदो इव ताराणं भरहो इव मणुाणं बहूई वासाई बहूई वाससयाई बहूई वाससहस्साइं.बहूई वाससयसहस्साई अणहसमग्गो हट्टतुट्टो परमाउं पालयाहि इट्टजणसंपरिखुडो चंपार -णयरीए अराणेसिं च बहूणं गामागर. गायर-खेड-कबड-मडंब-दोणमुह-पट्टण-श्रासम-निगम-संबाह-संनिवेसाणं आहेबच्चं पौरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं श्राणाईसरसेणावच्चं फारेमाणे पालेमाणे महाऽऽहय-गट्ट-गीय-वाइय-तंती-तल-ताल-तुडिय-घण-मुअंगपडुप्पवाइयरवेणं विउलाई भोगभोगाई भुजमाणे विहराहित्तिकटु जय 2, सहं पउंजंति 2 / तए णं से कूणिएराया भंभसारपुत्ते णयणमालासहस्सेहि पेच्छिजमाणे 2 हिअयमालासहस्सेहिं अभिणांदिजमाणे (उन्नइजमाणे) 2 Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीओपपातिक-सूत्रम् ] .. . मणोरहमालासहस्सेहिं विच्छिापमाणे 2 वयणमालासहस्सेहिं अभिथुब्वमाणे 2. कंतितोहग्गगुणेहिं पत्थिजमाणे 2 बहूणं णरणारिसहस्साणं दाहिणहत्थेणं अंजलिमालासहस्साइं पडिच्छमाणे 2 मंजुमंजुगा घोसेणं पडिबुज्झमाणे (अपडिबुज्झमाणे) 2. भवणपंतिसहस्साई समइच्छमाणे 2 (तंती-तल-तालतुडिय-गीय-वाइयरवेणं महुरेणं मणहरेणं. जयसदुग्योसविसरणं मंजमंजुणा घोसेणं अपडिबुज्झमाणे 2 कंदर-गिरिविवर-कुहर-गिरिवर-पामादु-द्धघणभवण-देवकुल-सिंघाडग-तिग-वउक्क-चच्चर-यारामुजाण-काणण-सभापवप्पदेसभागे-पडिंसुया-मयसहस्ससंकुलं करते हयहेसिय-हत्थिगुलगुलाइय-रहघणघण-सहमीसएणं महया कलकलरवेण य जणस्स महुरेण पूरयंते सुगंधवर-कुसुमचुराण-उबिद्ध-वासरेणुकविलं नभं करेंते कालागुरु-कुदुरुकतुरुक-धूवनिवहेण जीवलोगमिव वासयंते समंतश्रो खुभियचकवालं पउरजणबालवुड्ड–पमुझ्य-तुरिय-पहाविय विउलाउल-बोलबहुलं नभं करेंते) चंपाए णयरीए मझमज्झेणं णिग्गच्छइ 2 ता जेणेव पुराणभदे चेइए तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अदूरसामंते छत्ताईए तित्थयराइसेसे पासइ पासित्ता भाभिसेक्कं हत्थिरयणं ठवेइ उवित्ता प्राभिसेकायो हत्थिरयणायो पचोरहइ अाभिसेक्कायोरत्ता अवहट्टु पंच रायककुहाई, तंजहा-खग्गं छत्तं उप्फेसं वाहणायो वालवीयणं, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छति, तंज़हा-सचित्ताणं दव्वाणं विउसरणयाए 1 अचित्ताणं दव्वाणं अविउसरणयाए 2 एगसाडियं उत्तरासंगकरणेणं 3 चक्खुफासे अंजलिपग्गहेणं (हत्थिखंधविट्ठभणयाए) 4 मणसो एगत्तभावकरणेणं 5 समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो पायाहिणं पयाहिणं करेइ तिक्खुनो श्रायाहिणं पयाहिणं करेत्ता वंदति णमंसति वंदित्ता णमंसित्ता तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासइ, तंजहा-काइयाए वाइयाए माणसियाए, काइयाए ताव संकुझ्य Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 38 | श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः ग्गहत्थपाए सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्जुवासइ वाइयाए जं जं भगवं वागरेइ एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! इच्छिअमेयं भंते ! पडिच्छिअमेयं भंते ! इच्छियपडिच्छियमेधे भंते ! से जहेयं तुम्भे वदह अपडिकूलमाणे पज्जुवासति, माणसियाए महया संवेगंजणइत्ता तिव्वधम्माणुरागरत्तो पज्जुवासइ 3 ॥सू.३२॥ तए णं तायो सुभद(धारिणी)प्पमुहायो दवीयो अंतो अंतेउरंसि राहायायो जाव पायच्छित्ताश्रो सव्वालंकारविभूसियायो (वाहुय-सुभग-सोव. स्थिय-वद्धमाणग-पुस्समाणव-जयविजय-मंगलसएहिं अभियुव्वमाणीयो कप्पायछेयायरिय-रइयसिरसायो महया गंधद्धणिं मुयंतीयो) बहूहिं खुजाहिं चेलाहिं वामणीहि वडभीहिं बब्बरीहिं पयाउसियाहिं जोणियाहिं पराहविश्राहिं इसिगिणियाहिं वासिइणियाहिं लासियाहिं लउसियाहिं सिंहलीहिं दमीलीहिं प्रारबीहिं पुलंदीहिं पक्कणीहिं बहलीहिं मुरुडीहिं सबरियाहि पारसीहिं णाणादेसी-विदेस-परिमंडियाहिं इंगिय-चिंतिय-पत्थिय(पत्थियमणोगत)विजाणियाहिं सदेस–णेवत्थ-ग्गहियवेसाहिं चेडियाचकवाल-वरिसधर-कंचुइज-महत्तर-वंद-परिक्खित्तायो यंतेउराश्रो णिग्गच्छंति अंतेउरायो णिग्गच्छित्ता जेणेव पाडिएकजाणाई तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता पाडिएकपाडिएकाई जत्ताभिमुहाई जुत्ताई जाणाई दुल्हति दुरूहित्ता णिगपरिपालसद्धिं संपरिखुडाश्रो चंपाए णयरीए मझमझेणं णिग्गच्छंति णिग्गच्छित्ता जेणेव पुराणभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता समणस्स भगवश्री महावीरस्स अदूरसामंते छत्तादिए तित्थयरातिसेसे पासंति पासित्ता पाडिएकपाडिएकाई जाणाई ठबंति ठवित्ता जाणेहितो पचोरुहंति जाणेहितो पचोरुहित्ता बहूहिं खुजाहिं जाव परिक्खित्तायो जेणेव समणे भगवं महावीरे सेणेव उवागच्छंति तेणेव उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छंति, Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीऔपपातिक-सूत्रम् ] [ 36 तंजहा-सच्चित्ताणं दवाणं विसरणयाए अचित्ताणं दव्वाणं अविउसरणयाए विणोणताए गायलट्ठीए चक्खुप्फासे अंजलिपग्गहेणं मणसो एगत्तकरणेणं समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो पायाहिणं पयाहिणं करेंति 2 वंदति णमंसंति वंदित्ता णमंसित्ता कूणियरायं पुरथो कटु ठिझ्याश्रो चेव मपरिवारायो अभिमुहायो विणएणं पंजलिउडायो पज्जुवासंति // सू. 33 // तए णं समणे भगवं महावीरे कूणिस्स रराणो भभसारपुत्तस्स सुभदाप्पमुहाणं देवीणं तीसे श्र महतिमहालियाए परिसाए इसीपरिसाए मुणिपरिसाए जडपरिसाए देवपरिसाए अणेगसयाए श्रणेगसयवंदाए अणेगसयवंदपरिवाराए पोहचले अइबले महब्बले अपरिमिश्र-बल-वीरिय-तेयमाहप्पकंतिजुत्ते सारय-नवत्थणिय-महुर-गंभीर-कोंच-णिग्योमद्दुभिस्सरे उरे वित्थडाए कठेऽवट्टियाए सिरे समाइराणाए अगरलाए अमम्मणाए (फुडविसयमहुर-गंभीर-गाहियाए) सव्वक्खरसरिणवाइयाए पुराणरत्ताए सव्वभासाणुगामिणीए सरस्प्लइए जोयगणीहारिणा सरेणं श्रद्धमागहाए भासार भासति अरिहा धम्म परिकहेइ 1 / तेसिं सव्वेसि प्रारियमणारियाणं अगिलाए धम्ममाइक्खइ, सावि य णं अद्धमागहा भासा तेसिं सव्वेसि श्रारियमणारियाणं श्रप्पणो सभासाए परिणामेणं परिणमइ, तंजहा-यत्थि लोए अस्थि अलोए एवं जीवा अजीवा बंधे मोक्खे पुराणे पावे यासवे संवरे वेयणा णिजरा अरिहंता चकवट्टी बलदेवा वासुदेवा नरका णेरड्या तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीयो माया पिया रिसो देवा देवलोपा सिद्धी सिद्धा परिणिवाणं परिणिव्वुया अत्थि पाणाइवाए मुसावाए अदिराणादाणे मेहुणे परिग्गहे अत्थि कोहे माणे माया लोभे जाव मिच्छादसण सल्ले 2 / अत्थि पाणाइवायवेरमणे मुसावायवेरमणे अदिराणादाणवेरमणे मेहुणवेरमणे परिग्गहवेरमणे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे सव्वं अस्थिभावं अस्थित्ति वयति, सव्वं णत्थिभावं णस्थित्ति वयति, सुचिराणा कम्मा सुचिराण फला Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 40 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः भवंति, दुचिराणा कम्मा दुचिराणफला भवति, फुसइ पुराणपावे, पञ्चायंति जीवा, सफले कल्लाणपावर 3 / धम्ममाइक्खइ-इणमेव णिग्गंथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे केवलए संसुद्धे पडिपुराणे णेग्राउए सलकत्तणे सिद्धिमन्गे मुत्तिमग्गे णिव्वाणमग्गे णिजाणमग्गे अवितहमविसंधि सव्वदुक्खप्पहीणमग्गे इहट्ठिया जीवा सिझंति बुझंति मुच्चंति परिणिब्बायंति सव्वदुवखाणमंतं करंति 4 / एगच्चा पुण एगे भयंतारो पुवकम्मावसेसेणं अगणयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, महड्डीएसु जाव महासुक्खेसु दूरंगइण्सु चिरट्ठिईएसु, ते णं तत्थ देवा भवंति महड्डीया जाव चिरट्टिईया हारविराइयवच्छा जाव पभासमाणा कप्पोवगा गतिकल्लाणा यागमेसिभदाजाव पडिरूवा, तमाइक्खइ एवं खलु चउहि ठाणेहिं जीवाणेरइयत्ताए कम्मं पकरेंति, गोरइयत्ताए कम्मं पकरेत्ता णेरइसु उववज्जति, तंजहा-महारंभयाए महापरिग्गयाए पंचिंदियवहेणं कुणिमाहारेणं, एवं एएणं अभिलावेणं तिरिक्खजोणिएसु माइलयाए णियडिल्लयाए अलिअवयणेणं उक्कंचणयाए वंचणयाए, ममुस्सेसु पगतिभद्दयाए पगतिविणितताए साणुकोसयाए अमच्छरियताए, देवेसु सरागसंजमेणं संजमासंजमेणं अकामणिजराए बालतबोकम्मणं 5 / तमाइक्खइ,-जह णरगा गम्मति जे णरगा जा य वेयणा गारए।सारीरमाणसाइं दुक्खाइंतिरिक्खजोणीए / / 1 / / माणुस्सं च अणिच्चं वाहिजरामरणवेयगाापउरं / देवे य देवलोए देविढि देवसोक्खाइं // 2 // गारगं तिरिक्खजोगि माणुसभावं च देवलोयं च / सिद्धे अ सिद्धवसहि छजीवणियं परिकहेइ // 3 // जह जीवा बभंति मुच्चंति जह य परिकिलिस्संति / जह दुक्खाणं अंतं करंति केई अपडि. बद्धा // 4 // अट्टा अट्टियचित्ता (अट्टनियट्टियचित्ता, अट्टदुट्टियचित्ता) जह जीवा दुक्खसागरमुर्विति / जह वेरग्गमुरगया कम्मसमुग्गं विहाडंति // 5 // जहा रागेण कडाणं कम्माणं पावगो फलविवागो। जह य परिहीणकम्मा सिद्धा सिद्धालयमुर्विति // 6 // (एवं खलु जीवा निस्सीला निव्वया णिग्गुणा Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीऔपपातिक-सूत्रम् / [ 41 निम्मेरा णिप्पचक्खाण-पोसहोववासा अकोहा णिकोहा छीणकोहा एवं माणमायालोहा अणुपुव्वेणं अट्ठ कम्मपयडीयो खवेत्ता उप्पि लोयग्गपइट्टाणा हवंति ) तमेव धम्मं दुविहं श्राइक्खइ, तंजहा-अगारधम्म श्रणगारधम्मं च, अणगारधम्मो ताव इह खलु सब्बो सव्वत्ताए मुडे भवित्ता अगारातो अणगारियं पव्वयइ सव्वायो पाणाइवायायो वेरमणं मुसावायायो वरेमणं अदिराणादाणायो वेरमणं मेहुणायो वेरमणं परिग्गहायो वेरमणं राईभोयणाउ वेरमणं, अयमाउसो ! अणगारसामइए धम्मे पराणत्ते, एअस्स धम्मस्स सिक्खाए उवट्टिए निग्गंथे वा निग्गंथी वा विहरमाणे श्राणाए थाराहए भवति 6 / अगारधम्म दुवालसविहं श्राइवखइ, तंजहा-पंच अणुव्वयाइं तिगिण गुणवयाइं चत्तारि सिक्खावयाई, पंच अणुब्बयाई, तंजहा-थूलाग्रो पाणावायायो वेरमणं थूलायो मुसावायायो विरमणं थूलायो अदिन्नादाणायो वेरमणं सदारसंतोसे इच्छापरिमाणे, तिरिण गुणब्वयाई तंजहा-श्रणत्थदंडवेरमणं दिसिव्वयं उवभोगपरिभोगपरिमाणं, चत्तारि सिक्खावयाई, तंजहा-सामाइथं देसावगासियं पोसहोववासे अतिहिसंयअस्स विभागे (अतिहिसंविभागे) अपच्छिमा मारणंतित्रा संलेहणाजूमणाराहणा, अयमाउसो ! अगारसामइए धम्मे पराणत्ते, एयस्स धस्मस्स सिक्खाए. उवट्ठिए समणोवासए समणोवासिया वा विहरमाणे पाणाइ बाराहए भवति 7 // सू० 34 // तए णं सा महतिमहालिया मणूसपरिसा समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतिए धम्म सोचा णिसम्म हट्टतुट्ट जाव हिश्रया उठाए उट्ठति, उट्टाए उठ्ठित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो श्रायाहिणं पयाहिणं करेइ२त्ता वंदति णमंसति वंदित्ता णमंसित्ता अत्थेगइया मुंडे भवित्ता अगारात्रो अणगारियं पव्वइए, अत्थेगइया पंचागुम्वइयं सत्तसिक्खावधे दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवराणा, अवसेसा णं परिसा समणं भगवं महावीरं वंदति णमंसति वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी-सुक्खाए Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 42] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभाग ते भंते ! णिग्गंथे पावयणे एवं सुपराणत्ते सुभासिए सुविणीए सुभाविए अणुत्तरे ते भंते ! णिग्गंथे पावयणे, धम्मं णं आइक्खमाणा तुम्भे उवसमं बाइक्खह, उवसमं बाइक्खमाणा विवेगं बाइक्खह, विवेगं बाइक्खमाणा वेरमणं बाइक्खह, वेरमणं बाइक्खमाणा अकरणं पावाणं कम्माणं बाइक्खह, णत्थि णं अराणे केइ समणे वा माहणे वा जे एरिसं धम्ममाइक्खित्तए, किमंग पुण इत्तो उत्तरतरं ?, एवं वदित्ता जामेव दिसं पाउब्भूबा तामेव दिसं पडिगया / / सू० 35 // तए णं कूणिए राया भंभसारपुत्ते समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतिए धम्मं सोचा णिसम्म हट्टतुट्ट जाव हियए उठाए उठेइ उट्ठाए उद्वित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो श्रायाहिणं पयाहिणं करेति 2 ता वंदति णमंसति वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी-सुक्खाए ते. भंते ! णिग्गंथे पावयणे जाव किमंग पुण एत्तो उत्तरतरं ?, एवं वदित्ता जामेव दिसं पाउन्भूए तामेव दिसं पडिगए // सू० 36 // तए णं तायो सुभद्दापमुहायो देवीयो समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए धम्मं सोचा णिसम्म हट्टतुट्ठ जाव हिश्रयायो उट्ठाए उद्वित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो पायाहिणं पयाहिणं करेंति 2 ता वंदंति णमंसंति वंदित्ता हामंसित्ता एवं वयासी-सुअक्खाए ते भंते ! णिग्गंथे पावयणे जाव किमंग पुण इत्तो उत्तरतरं ?, एवं वदित्ता जामेव दिसि पाउन्भूयायो तामेव दिसि पडिंगयायो। समोसरणं समत्तं ॥सू० 37 // .. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स जेट्ठ अंतेवासी इंदभूई नाम अणगा रेगोयमसगोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंसमंगणसंठिए वइरोसह-नारायसंघयणे कणग-पुलक-निग्घस-पम्हगोरे उम्गतवे दित्ततवे तत्ततवे : महातवे घोरतवे उराले घोरे घोरगुणे घोरतवस्सी घोरखंभचेरवासी उच्छूटसरीरे संखित्त-विउल-तेअलेस्से समणस्स भगवयो महावीरस्स अदूरसामंते उड्डजाणू अहोसिरे झाणकोट्टोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति 1 / तए णं से भगवं Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री प्रौपपातिक-सूत्रम् ] [ 43 गोयमे जायसड्डे जायसंसए जायकोऊहल्ले उप्पराणसड्डे उप्पराणसंसए उप्पराणकोउहल्ले संजायसड्ढे संजायसंसए संजायकोऊहल्ले समुप्पराणसड्ढे समुप्पराणसंसए समुप्पण्णकोऊहल्ले उठाए उ?इ उट्टाए उद्वित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति तेणेव उघाच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेति तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेत्ता वंदति णमंसति वंदित्ता णमंसित्ता णच्चासराणे णाइदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्जुधासमाणे एवं वयासी 2 / जीवे णं भंते ! असंजए अविरए अप्पडिहय–पचक्खाय-पावकम्मे किरिए असंवुडे एगंतदंडे एगंतबाले एगंतसुत्ते पावकम्मं अराहाति ? हंता अराहाति 1, 3 / जीवे णं भंते ! असंजय-अविरय-अप्पडिहय-पञ्चक्खाय-पावकम्मे सकिरिए असंवुडे एगंतदंडे एगंतबाले एगंतसुत्ते मोहणिज्जं पावकम्म श्राहाति ?, हंता राहाति 2, 4 / जीवे णं भंते ! मोहणिज्ज कम्म वेदेमाणे किं मोहणिज्ज कम्मं बंधइ ? वेअणिज्ज कम्मं बंधइ ?, गोमा ! मोहणिज्जपि कम्मं बंधइ वेअणिज्जपि कम्मं बंधति, णराणत्थ चरिममोहणिज्ज कम्मं वेदेमाणे वेअणिज्ज कम्म बंधइ णो मोहणिज्ज कम्मंबंधइ 3, 5 / जीवे णं भंते ! असंजए अविरए अप्पडिहय-पञ्चक्खायपावकम्मे सकिरिए असंवुडे एगंतदंडे एगंतवाले एगंतसुत्ते श्रोसगण-तस-पाणघाती कालमासे कालं किचा णिरइएसु उववज्जति ?, हंता उववज्जति 4, 6 / जीवे णं भंते ! असंजए अविरए अपडिहय-पञ्चक्खाय-पावकम्मे इथो चुएं पेच्चा देवे सिया ?, गोत्रमा ! अत्थेगइया देवे सिया अत्थेगइया णो देवे सिया, से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-यत्थेगइया देवे सिया प्रत्थेगइया णो देवे सिया ?, गोयमा !, जे इमे जोवा गामागर-णयर-णिगम-रायहाणिखेडकबड-मडंब-दोणमुह-पट्टणासम-संबाहसगिणवेसेसु अकामतराहाए अकामछुहाए काम-बंभचेवासेणं अकाम-राहाणक-सीयायव-दंसमसग-से Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 44 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमी विभागः जल्ल-मल्ल-पंकपरितावेणं अप्पतरो वा भुजतरो वा कालं अप्पाणं परिकिले. संति अप्पतरो वा भुजतरो वा कालं अप्पाणं परिकिलेसित्ता कालमासे कालं किच्चा अराणतरेसु वाणमंतरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहि तेसि गती तहिं तेसिं ठिती तहिं तेसि उववाए पराणत्ते 7 / तेसि णं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोत्रमा ! दसवाससहस्साई ठिई पराणत्ता 8 / अत्थि णं भंते ! तेसिं देवाणं इड्डी इवा जुई इवा जसे ति (उट्ठाणे इ वा कम्मे इ वा) वा बले ति वा बीरिए इ वा पुरिसकारपरिकमे इ वा ?, हंता अत्थि 1 / ते णं भंते ! देवा परलोगस्साराहगा ?, णो तिण? सम? 5, 10 / से जे इमे गामागर-णयर-णिगम-रायहाणि-खेडकबड-मडंब-दोणमुह-पट्टणासम-संबाह-सगिणवेसेसु मणुया भवंति, तंजहा-अंडबद्धका णिलबद्धका हडिबद्धका चारगबद्धका हत्थच्छिन्नका पायच्छिन्नका कराणच्छिराणका णकच्छिराणका उट्टच्छिन्नका जिब्भच्छिन्नका सीसच्छिन्नका मुरवच्छिन्नका मज्झछिन्नका वइकच्छच्छिन्नका हियउप्पाडियगाणयणुप्पाडियगा दसणुप्पाडियगा वसणुप्पाडियगा गेवच्छिराणका तंडुलच्छिण्णका कागणिमंसक्खाइयया अोलंबिया लंबिया घंसिया घोलियया फाडिया (पीलियया) सूलाइया सूलभिराणका खारवत्तिया वज्भवत्तिया सीहपुच्छियया दवग्गिदड्डिगापंकोमरणका पंके खुत्तका वलयमयका वसट्टमयका णियाणमयका अंतोसल्लमयका गिरिपडियका तरुपडियका मरु(भर)पडियका गिरिपक्खंदोलिया तरुपक्खंदोलिया मरुपक्खंदोलिया जलपवेसिका जलणपवेसिका विसभक्खितका सत्थोवाडितका वेहाणसिया गिद्धपिट्टका कंतारमतका दुभिक्खमतका असंकिलिट्ठपरिणामा ते कालमासे कालं किच्चा अराणतरेसु वाणमंतरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिं गती तहिं तेसिं ठिती तहिं तेसिं उववाए पण्णत्ते 11 / तेसिणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिती पराणता ?, गोत्रमा !, बारसवाससहस्साई ठिती Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीऔपपातिक-सूत्रम् } [ 45 पराणत्ता 12 / अत्थि णं भंते ! तेसिं देवाणं इड्डी इ वा जुई इ वा जसे ति वा बले ति वा वीरिए इ वा पुरिसकारपरिक्कमे इवा ?. हंता अस्थि 13 / ते णं भंते ! देवा परलोगस्साराहगा ?, णो तिण? सम? 14, 6 / से जे इमे गामागर-णयर-णिगम-रायहाणि-खेड-कब्बड-मडंर-दोणमुह-पट्टणासमसंबाह-संनिवेसेसु मणुया भवंति, तंजहा-पगइभद्दगा पगइउवसंता पगइपतणुकोहमाणमायालोहा मिउमद्दवसंपराणा अल्लीणा (भदगा) विणीया अम्मापिउसुस्सूसका अम्मापिईणं अणतिकमणिज्जवयणा अप्पिच्छा अप्पारंभा अप्पपरिग्गहा अप्पेणं प्रारंभेणं अप्पेणं समारंभेणं अप्पेणं प्रारंभसमारंभेणं वित्तिं कप्पेमाणा बहूई वासाई अाउग्रं पालंति पालित्ता कालमासे कालं किचा अराणतरेसु वाणमंतरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवति, तहिं तेसिं गती तहिं तेसिं ठिती तहि तेसि उववाए पराणत्ते, तेसि णं भंते ! देवाणं केवइग्रं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! चरहसवाससहस्सा 7, 15 / से जायो इमाश्रो गामागर-णयर-णिगम-रायहाणि-खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुह. पट्टणासम-संबाहसंनिवेसेसु इत्थियायो भवंति, तंजहा-अंतो अंतेउरियायो गयपइयायो मयपइयायो बालविहवाश्रो छड्डितल्लितायो माइरक्खिायो पिअरक्खिायो भायरक्खिायो (पइरक्खियायो) कुलघररक्खिायो ससुर-कुल-रक्खियायो (मित्तनाइनियग-संबंधि-रक्खियाओ) परूढ-हकेस-कक्ख(मंसु)रोमायो ववगय-पुप्फगंध-मल्लालंकारायो अराहाणग-सेजल-मल-पंकपरितावियायो ववगय-खीर-दहि-गवणीअ-सप्पि-तेल्ल-गुललोण-महु-मज-मंस-परिचत्तकयाहारायो अप्पिच्छायो अप्पारंभायो अप्पपरिग्गहायो अप्पेणं श्रारंभेणं अप्पेणं समारंभेणं अप्पेणं प्रारंभसमारं. भेणं वित्तिं कप्पेमाणीयो अकामबंभचेरवासेणं तमेव पइसेज्जं णाइकमइ, तायो णं इत्थियायो एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणीयो बहूई वासाई सेसं तं चेव जाव चउसहि वाससहस्साई ठिई पराणत्ता 8, 16 / से जे Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः इमे गामागर-णयर-णिगम-रायहाणि-खेड-कबड-मडंब-दोणमुह-पट्टणासमसंबाहसन्निवेसेसु मणुया भवंति, तंजहा-दगबिइया दगतइया दगसत्तमा दगएकारसमा गोत्रमा-गोबइया-गिहिधम्मा-धम्मचिंतक-अविरुद्ध-विरुद्ध-वुडसावकप्पभित्रयो तेसिं मणुाणं गणो कप्पइ इमायो नव रसविगईयो याहारित्तए, तंजहा-खीरं दहिं णवणीयं सप्पिं तेल्लं फाणियं महुँ मज्जं मंसं, णरणत्थ एकाए सरसवविगइए. ते णं मणुया अप्पिच्छा तं चेव सव्वं णवरं चउरासीइ वाससहस्साई ठिई पराणत्ता 1, 17 / से जे इमे गंगाकूलगा वाणपत्था तावसा भवंति, तंजहा-होतिया पोत्तिया कोत्तिया जगणई सडई घालई हुंपउट्ठा दत्तुक्खलिया उम्मन्जका सम्मजका निमज्जका संपक्खाला दक्खिणकूलका उत्तरकूलका संखधमका कूलधमका मिगलुद्धका हत्थितावसा उद्दडका दिसापोक्खिणो वाकवासिणो अंबुवासिणो बिलवासिणो चे(वे)लवासिणो जलवासिणो रुक्खमूलिया अंबुभक्खिणो वाउभक्खिणो सेवालभक्खिणो मूलाहारा कंदाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुष्पाहारा बीयाहारा परिसडिय-कंदमूल-तय-पत्त-पुष्फ-फलाहारा जलाभिसे-कढिणगाया(गायभूया) यायावणाहिं पंचग्गितावेहिं इंगालसोल्लियं कंडुसोल्लियं कंठसो. ल्लियंपिव अप्पाणं करेमाणा. बहुई वासाइं परियाय पाउणंति बहूई वासाई परियाय पाउणित्ता कालमासे कालं किच्चा उकोसेणं जोइसिएसु देवेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, पलिश्रोवमं वाससयसहस्समभहिग्रं ठिई, बाराहगा ?, णो इण? समढे 10, सेसं तं चेव 18 / से जे इमे जाव सनिवेसेसु पब्वइया समणा भवंति, तंजहा-कंदप्पिया कुक्कुइया मोहरिया गीयरइप्पिया नचणसीला ते णं एएणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाई सामराणपरियायं पाउणंति बहूई वासाई सामराणपरियायं पाउणित्ता तस्स ठाणस्स अणालोइअग्रप्पडिक्कता कालमासे कालं किचा उक्कोसेणं सोहम्मे कप्पे कंदप्पिएसु देवेसु देवत्ताए उवव तारो भवंति, तहिं तेसिं गती Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री श्रीपपातिक-सूत्रम् ] [ 47 नहि तेसिं ठिती, सेसं तं चेव, णवरं पलिग्रोवमं वाससयसहस्समब्भहियं ठिती 11, 11 / से जे इमे जाव सन्निवेसेसु परिवायगा भवंति, तंजहासंखा जोई कविला भिउच्चा हंसा परमहंसा बहुउदया कुडिव्वया कराहपरिबायगा, तत्थ खलु इमे अट्ट माहणपरिवायगा भवंति, तंजहा-कराहे अ करकंडे य, अंबडे य परासरे। कराहे दीवायणे रेव, देवगुत्ते अणारए॥१॥ तत्थ खलु इमे अट्ठ खत्तियपरिवायया भवंति, तंजहा-सीलई ससिहारे(य), णग्गई भग्गई तित्र / विदेहे रायाराया रायारामे बलेति श्र॥ 1 // ते णं परिवायगा रिउव्वेद-जजुब्वेद-सामवेय-अहव्वणवेय इतिहासपंचमाणं णिग्घंटुट्ठाणं संगोवंगाणं सरहस्साणं चउराहं वेयाणं सारगा पारगा धारगा (वारगा) सडंगवी सहितंतविसारया संखाणे सिवखाकप्पे वागरणे छंदे गिरुत्ते जोतिसामयणे अराणेसु य बहुसु बंभराणएसु श्र सत्थेसु (परिव्यायएसु य नएसु) सुपरिणिट्ठिया यावि हुत्था 20 / ते णं परिव्वायगा दाणधम्मं च सोअधम्मं च तित्थाभिसेयं च श्राघवेमाणा पराणवेमाणा परूवेमाणा विहरंति, जराणं अम्हे किंचि असुई भवति तराणं उदएण य मट्टिाए अ पक्खालिग्रं सुई भवति, एवं खलु अम्हे चोक्खा चोक्खायारा सुई सुइसमायारा भवेत्ता अभिसेजलपूअप्पाणो अविग्घेण सग्गं गमिस्सामो, तेसि णं परिवायगाणं गो कप्पइ अगडं वा तलायं वा णाई वा वाविं वा पुक्खरिणीं वा दीहियं वा गुजालियं वा सरं वा(सरसिं वा) सागरं वा योगाहित्तए, णरणत्थ यद्धाणगमणेणं, णो कप्पइ सगडं वा जाव संदमाणियं वा दूरहित्ता णं गच्छित्तए, तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ यासं वा हत्थि वा उट्ट वा गोणिं वा महिसं वा खरं वा दुरुहिता णं गमित्तए, (णणत्थ बलाभियोगेणं) तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ नडपेच्छा इ वा जार मागहपेच्छा इ वा पिच्छित्तए, तेसि परिव्वायगाणं णो कप्पइ हरियाणं लेसणया वा घट्टणया वा थंभण या वा लूसणया वा Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 48 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः उप्पाडणया वा करित्तए, तेसिं परिव्वायगाणं णो कप्पइ इथिकहा इ वा भत्तकहा इ वा देसकहा इ वा रायकहा इ वा.चोरकहा इ वा अणत्थदंडं करित्तए, तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ अयपायाई वा तउअपायाणि वा तंबपायाणि वा जसदपायाणि वा सीमगपायाणि वा रुप्पप्रायाणि वा सुवरणपायाणि वा अण्णयराणि वा बहुमुल्लाणि वा धारित्तए, णाणत्थ लाउपाएण वा दारुपारण वा मट्टियापारण वा, तेसि णं परिवायगाणं णो कप्पइ अयबंधणाणि वा तउग्रबंधणाणि वा तंबबंधणाणि जाव बहुमुल्लाणि धारित्तए, तेसि णं परिवायगाणं णो कप्पइ णाणाविहवराणरागरत्ताई वत्थाई धारित्तए, णराणत्थ एकाए धाउरत्ताए, तेसि णं परिवायगाणं णो कप्पइ हारं वा श्रद्धहारं वा एकावलिं वा मुत्तावलिं वा कणगावलि वा रयणावलिं वा मुरवि वा कंठमुरविं वा पालं वा तिसरयं वा कडिसुत्तं वा दसमुद्दिश्राणंतकं वा कडयाणि वा तुडियाणि वा अंगयाणि वा केऊराणि वा कुडलाणि वा मउडं वा चूलामणिं वा पिणद्धित्तए, णगणत्य एकेणं तंबिएणं पवित्तएणं, तेसि णं परिवायगाणं णो कप्पइ गंथिम-वेदिम-पूरिमसंघातिमे चउविहे मल्ले धारित्तए, णरणत्थं एगेणं कराणपूरेगां, तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ अगलुएण वा चंदणेण वा कुंकुमेण वा गायं अणुलिंपित्तए, णराणस्थ एकाए गंगामट्टियाए, तेसि णं कप्पइ मागहए. पत्थए जलस्स पडिगाहित्तए, सेऽविय वहमाणे णो चेव णं अवहमाणे, सेऽविय थिमियोदए णो चेव णं कदमोदए, सेऽविय बहुपसरणे णो चेव णं अबहुपसरणे, सेविय परिपूए णो चेव णं अपरिपूए, सेऽविय णं दिराणे नो चेव णं अदिराणे, सेविय पिविनए णो चेव णं हत्थपायचरुचम-सपक्खालणट्ठाए सिणाइत्तए वा, तेसि णं परिवायगाणं: कप्पइ मागहए श्रद्धाढए जलस्स पडिग्गाहित्तए, सेऽविय वहमाणे णो चेव णं अवहमाणे जाव णो चेव णं अदिराणे, सेऽविय हत्थपाय-चरुचम-सपक्खालण- .. Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 46 श्रीऑपपातिक-सूत्रम् ] याए णो चेव णं पिवित्तए सिणाइत्तए वा, ते णं परिव्वायगा एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाइं परियायं पाउणंति बहूई वासाइं परियायं पाउणित्ता कालमासे कालं किच्चा उकोसेणं बंभलोए कप्पे देवत्ताए उबवतारो भवंति, तहिं तेसिं गई तहिं तेसिं ठिई दस सागरोवमाइं ठिई पराणत्ता, सेनं तं चेव 12, 21 // सू० 38 // तेणं कालेणं तेणं समएणं अम्मडस्म परिव्वायगस्स सत्त अंतेवासिमयाई गिम्हकालसमयंसि जेट्टामूलमामंसि गंगाए महानईए उभयोकूलेणं कंपिल्लपुरायो णयरायो पुरिमतालं णयरं संपट्ठिया विहाराए 1 / तए णं तेसिं परिवायगाणं तीसे अगामियाए छिराणोवायाए दीहमद्धाए अडवीए कंचि देसंतरमणुपत्ताणं से पुव्वग्गहिए उदए अणुपुव्वेणं परिभुजमाणे झीणे 2 / तए णं ते परिव्वाया झीणोदगा समामा तराहाए पारव्भमाणा पार 2 उदगदातारमपस्समाणा अराणमराणं सदावेति सदावित्ता एवं बयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! अम्ह इमीसे अगामियाए जाव अडवीए कंचि देसंतरमणुपत्ताणं से उदय जाव झीणे तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्ह इमीसे अगामियाए जाव अडवीए उदगदातारस्स सवयो समंता मग्गणगवेसणं करित्तए तिकटटु अराणमराणस्स यंतिए एअमट्ठ पडिसुणंति 2 ता तीसे अगामियाए जाव अडवीए उदगदातारस्स सब्बयो समंता मग्गणगवेसणं करेइ करित्ता उदगदातारमलभमाणा दोच्चंपि अराणमराणं सदावेंति सहावेत्ता एवं वयासी-इह णं देवाणुप्पिया ! उदगदातारो णत्थि तं णो खलु कप्पइ अम्ह अदिराणं गिरिहत्तए अदिराणं भुजित्तए (सातिजित्तए), तं मा णं अम्हे इयाणिं श्रावइकालंपि अदिराणं गिराहामो यदिराणं भुजामो (सादिजामो) मा णं अम्हं तवलोवे भविस्सइ, तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! तिदंडयं कुडियायो य कंचणियायो य करोडियायो य भिसियायो य छराणालए य ग्रंकुसए य केसरीयायो य पवित्तए य गणेत्तियायो य छत्तए य वाहणायो य पाउयायो य धाउरत्तायो Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 50 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः य एगंते एडित्ता गंगं महाणइं श्रोगाहित्ता वालुअसंथारए संथरित्ता संलेहणाझोसियाणं भत्तपाणपडियाइविखयाणं पायोवगयाणं कालं अणवकंखमाणाणं विहरित्तएत्तिकटु अराणमराणस्स अंतिए एअमट्ट पडिसुगंति, अराणमराणस्स अंतिए एअमट्ठ पडिसुणित्ता तिदंडए य जाव एगते एडेइ 2 गंगं महाणइं योगाहेंतिरत्ता वालुप्रासंथारए संथरंति 2 वालुयासंथारयं दुसहिति 2 ता पुरस्थाभिमुहा संपलियंकनिसन्ना करयल जाव कट्ठ एवं वयासी-णमोऽत्थु णं अरहंताणं जाव संपत्ताणं, नमोऽत्थु णं समणस्स भगवयो महावीरस्स जाव संपाविउकामस्स, नमोऽत्थु णं अम्मडस्स परिव्वायगस्स अम्हं धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्त, पुब्बि णं अम्हे अम्मडस्स परिवायगस्स अंतिए थूलगपाणाइवाए पञ्चक्खाए जावज्जीवाए मुसावाए अदिराणादाणे पञ्चक्खाए जावजीवाए सव्वे मेहुणे पञ्चक्खाए जावजीवाए थूलए परिग्गहे पञ्चक्खाए जावज्जीवाए इयाणिं अम्हे समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतिए सव्वं पाणाइवायं पञ्चक्खामो जावजीवाए एवं जाव सव्वं परिग्गहं पचाखामो जावजीवाए सव्वं कोहं माणं मायं लोहं पेज्जं दोसं कलहं अभक्खाणं पेसुराणं परपरिवायं अरइरई मायामोसं मिच्छादसणसल्लं यकरणिज्ज जोगं पञ्चक्खामो जावजीवाए सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं चरविहंपि ग्राहारं पचक्खामो जावजीवाए जंपि य इमं सरीरं इट्ट कंतं पियं मणुराणं मणामं पेज्जं (थेज्जं) वेसासियं संमतं बहुमतं अणुमतं भंडकरंडगसमाणं मा णं सीयं मा णं उराहं मा णं खुहा मा णं पिवासा मा णं वाला मा णं चोरा मा णं दंसा मा णं मसगा मा णं वातिय-पित्तिय. सिंभिय-संनिवाइयविविहा रोगातंका परीसहोवसग्गा फुसंतुत्तिकटु एयंपि णं चरमेहिं ऊसासणीसासेहिं वोसिरामित्तिकटु सलेहणाझसणाभूसिया . भत्तपाणापडियाइक्खिया पायोवगया कालं अणवक्खमाणा विहरंति, तए ण ते परिवाया बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेन्ति छेदित्ता आलोइय Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीओपपातिक-सूत्रम् ] पडिक्कता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववराणा, तहिं तेसिं गई दससागरोवमाई ठिई पराणत्ता, परलोगस्स थाराहगा, सेसं तं चेव 13, 2 // सू० 31 // बहुजणे णं भंते ! अराणमराणस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं परूवेइ एवं खलु अंबडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे णयरे घरसते थाहारमाहरेइ, घरसए वसहि उवेइ, से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा !, जगणं से बहुजणो अराणमगणस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परुवेइ-एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे जाव घरसए वसहिं उवेइ, सच्चे णं एसम?, अहंपिणं गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव एवं परूवेमि-एवं खलु अम्मडे परिवायए जाव वसहिं उवेइ 1 / से केण? णं भंते ! एवं * वुच्चइ-अम्मडे परिवायए जाव वसहि उवेइ ?, गोयमा !, अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स पगइभद्दयाए जाव विणीययाए छटुंछ?णं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढ बाहायो पगिझिय 2 सूराभिमुहस्स वातावणभूमीए अातावेमाणस्स सुभेणं परिणामेणं पसत्थेहिं अज्झवसाणेहिं पसत्थाहिं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं अन्नया कयाइ तदावरणिजाणं कम्माणं खयोवसमेणं ईहावूहामग्गणगवेसणं करेमाणस्स वीरियलद्धीए वेउब्वियलद्धीए योहिणाणलद्धी समुप्पण्णा, तए णं से श्रम्मडे परिव्वायए ताए वीरियलद्रीए वेउब्वियलद्धीए श्रोहिणाणलद्धीए समुप्पराणाए जणविम्हावणहउं कपिल्लपुरे णयरे घरसए जाव वसहिं उवेइ, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुचई-अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे णयरे घरसए जाव वसहिं उवेइ 2 / पहू णं भंते ! अम्मडे परिवायए देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगारायो यणगारियं पव्वइत्तए ?, णो इण? सम8, गोयमा ! अम्मडे णं परित्वायए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे जाव अप्पा भावेमाणे विहरइ, णवरं ऊसियफलिहे अवंगुदुवारे चियत्तंतेउरघरदारपवेपी (चियत्तघरंतेउरपवेसी) एवं ण वुच्चइ अम्मडस्स णं परिवायगस्स Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 52 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :पश्चमो विभागः थूलए पाणाइवाए पञ्चक्खाए जावजीवाए जाव परिग्गहे णवरं सव्वे मेहुणे पञ्चक्खाए जावजीवाए, अम्मडस्स णं परिवायगस्स णो कप्पइ अक्खसोतप्पमासमेत्तपि जलं सयराहं उत्तरित्तए णगणत्थ श्रद्धाणगमणेणं, अम्मडस्स णं णो कप्पइ सगडं एवं तं चेव भाणियव्वं जाव गाणस्थ एगाए गंगामट्टियाए 3 / अम्मडस्स णं परिवायगस्स णो कप्पइ अाहाकम्मिए वा उद्देसिए वा मीसजाए इ वा अमोयरए इ वा पूइकम्मे इ वा कीयगडे इ वा पामिच्चे इ वा अणिसि? इ वा अभिहडे इ वा ठइत्तए वा रइत्तए वा कतारभत्ते इ वा दुभिक्खभत्ते इ वा पाहुणगभत्ते इ वा गिलाणभत्ते इ वा वदलियाभत्ते इ वा भोत्तए वा पाइत्तए वा, 4 / अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स णो कप्पइ मूलभोयणे वा जाव बीयभोयणे वा भोत्तए वा पाइत्तए वा, अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स चउबिहे अणत्थदंडे पञ्चकखाए जावज्जीवाए तंजहा-अवज्झाणयरिए पमायायरिए हिंसप्पयाणे पावकम्मोवएसे, अम्मडस्स कप्पइ मागहए श्रद्धाढए जलस्स पडिग्गाहित्तए सेऽविय वहमाणए नो चेव णं अवहमाणए जाव सेविय परिपूए नो चेव णं अपरिपूए सेविय सावज्जेत्तिकाऊ णो चेव णं अणवज्जे, सेऽविय जीवात्तिकटु णो चेव णं अजीवा, सेऽविय दिराणे णो चेव णं अदिराणे से विय दंतहत्थ-पाय-च-चम-सपक्खालणट्टयाए पिबित्तए वा णो चेव णं सिणाइत्तए, अम्मडस्स कप्पड़ मागहए य श्राढए जलस्स पडिग्गाहित्तए, सेऽविय वहमाणे जाव दिन्ने नो चेव णं अदिराणे सेविय सिणाइत्तए णा चेव णं हत्थपाय. चरुवम-सपक्खालणट्टयाए पिबित्तए वा, अम्मडस्त णो कप्पइ अन्नउत्थिया वा श्रराणउत्थियदेवयाणि वा अराणउत्थियपरिग्गहियाणि वा चेझ्याई वंदित्तए वा णमंसित्तए वा जाव पज्जुवासित्तए वा णराणस्थ अरिहंते वा अरिहंतचेइयाई वा 5 / अम्मडे णं भंते ! परिवायए कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिति ?, गोयमा! अम्मडे णं Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीऔपपातिक-सूत्रम् ) [ 53 परिवायए उच्चावएहिं सीलब्बय-गुणवेरमण–पञ्चकखाण-पोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेमाणे बहूई वासाइं समणोवासयपरियाय पाउणिहिति 2 ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सहि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता यालोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववजिहिति, तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दस सागरोवमाइं ठिई पराणत्ता, तत्थ णं अम्मडस्सवि देवस्स दस सागरोवमाई ठिई 6 / से णं भंते ! अम्मड़े देवे तारो देवलोगायो याउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे जाइं कुलाइं भवंति अड्डाई दित्ताई वित्ताइ विच्छिराण-विउलभवण-सयमासण-जाणवाहणाई बहुधण-जायस्वरययाई प्रायोग-पयोगसंपउत्ताइं विच्छड्डिय-पउर-भत्तपाणाई बहुदासी-दास-गो-महिस-गवेलगप्पभूयाइं बहुजणस्स अपरिभूयाइं तहप्पगारेसु कुलेसु पुमत्ताए पञ्चायाहिति। तए णं तस्स दारगस्स गभत्थस्स चेव समाणस्स अम्मापिईणं धम्मे दढा पतिराणा भविस्सइ, से णं तत्थ णवराहं मासाणं बहुपडिपुराणाणं अट्ठमाण-राइंदियाणं वीइक्कंताणं सुकुमालपाणिपाए जाव ससिसोमाकारे कंते पियदंसणे सुरूवे दारए पयाहिति, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडियं काहिंति, बिइयदिवसे चंदसूरदंसणियं काहिंति, छठे दिवसे जागरियं काहिंति, एकारसमे दिवसे वीतिक्कते णिब्वित्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते बारसाहे दिवसे अम्मापियरो इमं एयारूवं गोणं गुणणिप्फरणं णामधेज्जं काहिति-जम्हा णं अम्हं इमंसि दारगंसि गभत्थंसि चेव समाणंसि धम्मे दढपइराणा तं होउ णं अम्हं दारए दढपइराणे णामेणं, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो णामधेज्ज करेहिति दढपइराणेत्ति 8 / तए णं तस्स दढपइराणस्स अम्मापियरो अणुपुटवेणं ठिझ्वडियं चंदसूरदंसणियं जागरियं नामधेजकरणं परंगमणं च पंचकमणगं च Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 54 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः पचक्खाणगं च जेमणगं च पिंडवद्धावणं च पजंपावणं च कगणवेहणगं च संवच्छरपडिलेहणगं च चोलोवणयणं च उवणयणं च अराणाणि य बहूणि गम्भादाण-जम्मणमाइयाई काउयाई महया इड्डिसकारसमुदएणं करिस्संति। तए णं से दढपइगणे दारए पंचधाइपरिविखत्ते, तंजहा-खीरधाईए मजणधाईए मंडणधाईए अंकयाईए कीलावणधाईए, अण्णाहि य बहूहि खुजाहिं चिलाइयाहिं विदेसपरिमंडियाहिं सदेसनेवच्छगहियवेसाहिं विणीयाहिं इंगियचिंतियपत्थियवियाणियाहिं निउणकुसलाहिं चेडियाचकवाल-वरतरुणिवंद-परियालसंपरितुडे वरिसवर-कंचुइज-महत्तरग-वंद-परिक्खित्ते हत्थायो हत्थं साहरिजमाणे 2 अंकायो अंकं परिभुज्जमाणे 2 उवनचिजमाणे 2 उवगाइजमाणे 2 उवलालिजमाणे 2 उवगूहिजमाणे 2 उवयासिज्जमाणे 2 परिवंदिजमाणे 2 परिचु बिजमाणे 2 रम्मेसु मणिकुट्टिमतलेसुपरंगिन्जमाणे 2 गिरिकंदरमल्लीणे विव चंपगवरपायवे निव्वायनिव्वाघायं सुहं सुहेणं परिवडिस्सइ 1 / तं दढपइराणं दारगं अम्मापियरो साइरेगऽटुंवासजातगं जाणित्ता सोभणंसि तिहिकरणणक्खत्तमुहुत्तसि कलायरियस्स उवणेहिति 10 तए णं से कलायरिए तं दढपइराणं दारगं लेहाइयायो गणियप्पहाणायो सउणरुयपजवसाणायो बावत्तरि कलायो सुत्ततो य अत्थतो य करणतो य सेहाविहिति सिक्खाविहिति, तंजहा-लेहं गणितं रूवं गट्ट गीयं वाइयं सरगयं पुक्खरगयं समतालं जूयं जणवायं पासकं अट्टावयं पोरेकच्चं दगमट्टियं अराणविहिं पाणविहिं वत्थविहिं विलेवणविहिं सयणविहिं अज्जं पहेलियं मागहियं गाहं गीइयं सिलोयं हिरगणजुत्ती सुवराणजुत्ती गंवजुत्ती चुराणजुत्ती श्राभरणविहिं तरुणीपंडिकम्म इथिलवखणं पुरिसलक्खणं हयलक्खणं गयलवखणं गोणलक्खणं कुक्कुडलक्खणं चकलक्खणं छत्तलक्खणं चम्मलक्खणं दंडलक्खणं असिलक्खणं मणिलक्खणं काकणिलवखणं वत्थुविज्जं खंधारमाणं नगरमाणं वत्थुनिवेसणं वूहं पडिवूह चारं पडिचारं चक्कवूहं गरुलवूह Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीऔषपातिक-सूत्रम् ] [ 55 सगडवूहं जुद्धं निजुद्धं जुद्धातिजुद्धं मुट्ठिजुद्धं बाहुजुद्धं लयाजुद्धं इसत्थं छरुप्पवाहं धणुव्वेयं हिरराणयागं सुवराणपागं वट्टखेडं खुत्ताखेड्ड णालियाखेड्डे पत्तच्छेज्ज कडवच्छेज्ज सज्जीवं निजीवं सउणरुतमिति बावत्तरिकलायो सेहाविति सिक्खावेता अम्मापिईणं उवणेहिति 11 / तए णं तस्स दढपइराणस्स दारगस्स अम्मापियरो तं कलायरियं विपुलेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्यगंधमल्लालंकारेण. य सकारेहिति सम्माणेहिंति सकारेत्ता सम्माणेत्ता विपुलं जीवियारिहं पीइदाणं दलइस्सइ, विपुलं 2 ता पडिविसज्जेहिंति 12 / तए णं से दढपइराणे दारए बावत्तरिकलापंडिए नवंगसुत्तपडिबोहिए अट्ठारस-देसीभासाविसारए गीयरती गंधव्वणट्टकुसले हयजोही गयजोही रहजोही बाहुजोही बाहुप्पमदी वियालचारी साहसिए अलं भोगसमत्थे श्रावि भविस्सइ 13 / तए णं दढपइराणं दारगं अम्मापियरो बावत्तरिकलापंडियं जाव अलं भोगसमत्थं वियाणित्ता विउलेहिं अराणभोगेहिं पाणभोगेहिं लेणभोगेहिं वत्थभोगेहिं सयणभोगेहिं कामभोगेहिं उवणिमंतेहिंति, तए णं से दढपइराणे दारए तेहिं विउलेहिं अण्णभोगेहिं जाव सयणभोगेहिं णो सजिहिति णो रजिहिति णो गिझिहिति णो अझोववजिहिति, से जहाणामए उप्पले इ वा पउमे इ वा कुसुमे इ वा नलिणे इ वा सुभगे इ वा सुगंधे इ वा पोंडरीए इ वा महापोंडरीए इ वा सतपत्ते इ वा सहस्सपत्ते इ वा सतसहस्सपत्ते इ वा पंके जाए जले संवुड्ढ णोवलिप्पइ पंकरएणं णोवलिप्पइ जलरएणं, एवमेव दढपइराणेवि दारए कामेहिं जाए भोगेहिं संवुड्डे णोवलिप्पिहिति कामरएणं णोवलिप्पिहिति भोगरएणं णोवलिप्पिहिति मित्तणाइ-णियग-सयण-संबंधिपरिजणेणं, से णं तहारूवाणं थेराणं अंतिए केवलं बोहिं बुझिहिति केवलबोहिं बुज्झित्ता अगारायो अणगारियं पवइहिति 14 / से णं भविस्सइ अणगारे भगवंते ईरियासमिए जाव गुत्तभयारी 15 / तस्स णं भगवंतस्स एतेणं विहारेणं Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधा सिन्धुः :: पञ्चमो विभागः विहरमाणस्स अणंते अणुत्तरे णिवाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुराणे केवलवरणाणदंसणे समुप्पजिहिति 16 / तए णं से भगवं अरहा जिणे केवली भविस्सइ सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स परियागं जाणिहिति पासिहिति, तंजहा-आगई गई डिई चवणं उबवायं तक्कं पच्छाकडं पुरेकडं मणो माणसियं खइयं भुत्तं कडं पडिसेवियं अत्थीकम्मं रहोकम्मं परहा अरहस्स भागी तं तं कालं मणोवयकायजोगे वट्टमाणाणं सब्बलोए सव्वजीणं सब्वभावे जाणमाणे पासमाणे विहरिस्सिहिति 17 / तए णं से दढपइगणे केवली बहूई वासाई केवलिपरियागं पाउणिहिति, केवलिपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सट्ठि भत्ताई अणसणाए छेएत्ता जस्सट्टाए कीरइ णग्गभावे मुडभावे पाहाणए यदंतवणए केसलोए बंभचेरवासे अच्छत्तकं अणोवाहणकं भूमिसेज्जा फलहसेजा कट्ठसेजा परघरपवेसो लावलद्धं (वित्तिए माणावमाणणायो परेहिं हीलणायो खिसणायो णिंदणाश्रो गरहणायो तालणायो तजणाश्रो परिभवणाम्रो प्रज्वहणायो उच्चावया गामकंटका बावीसं परीसहोवसग्गा अहियासिज्जति तमट्ठः माराहित्ता चरिमेहिं उस्सासणिस्सासेहिं सिज्झिहिति बुझिहिति मुञ्चिहिति परिणिवाहिति सम्बदुक्खाणमंतं करेहिति 18 // 14 // सूत्रं 40 // से इमे गामागर जाव सगिणवेसेसु पवइया समणा भवंति, तंजहा-बायरियपडिणीया उवज्झायपडिणीया कुलपडिणीया गणपडिणीया पायरियउवमायाणं अयसकारगा अवराणकारगा अकित्तिकारमा बहूहि यसब्भावुब्भावणाहि मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाणं च परं च तदुभयं च वुग्गाहेमाणा वुप्पाए. माणा विहरित्ता बहूई वासाइं सामराणपरियागं पाउणंति 2 तस्स ठाणस्स प्रणालोइयअपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं लंतए कप्पे देवकिब्बिसिएसु देवकिब्बिसियत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिं गती तेरससागरोवमाई ठिती अणाराहगा सेसं तं चेव 15, 1 / से जे इमे Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गवसणं करमाणाणमयमेव पंचाणुव्वा हि अप्पाणं / श्रीऔपपातिक-सूत्रम् / [:57. सरिण-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया पजत्तया भवंति, तंजहा-जलयरा खहयरा थलयरा, तेसि णं यत्थेगइयाणं सुभेणं परिणामेणं पसत्थेहिं अज्झवसाणेहिं लेसाहिं विसुज्झमाणाहिं तयावरणिजाणं कम्माणं खोवसमेणं ईहावूहमगणगवेसणं करेमाणाणं सराणीपुत्व जाईसरणे समुप्पजइ 2 / तए णं ते समुप्पराण-जाइसरा समाणा सयमेव पंचाणुब्बयाई पडिवज्जति पडिवजित्ता बहूहिं सीलबय-गुण-वेरमण-पचक्खाण-पोसहोववासेहिं यप्पाणं भावमाणा बहूई वासाई याउयं पालेंति पालित्ता भत्तं पञ्चक्खंति बहूई भत्ताई अणसणाए छेयंति 2 ता बालोइयपडिवकता समाहिपत्ता कालमासे कालं किचा उकोसेणं सहस्सारे कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिं गती अट्ठारस सागरोवमाई ठिती पराणत्ता, परलोगस्स ाराहगा, सेसं तं चेव 16, 2 / से जे इमे गामागर जाव संनिवेसेसु श्राजीविका भवंति, तंजहा-दुघरंतरिया तिघरंतरिया सत्तघरंतरिया उप्पलबेंटिया घरसमुदाणिया विज्जुश्रुतरिया उट्टियासमणा, ते णं एयारूवेणं विहरेणं विहरमाणा बहूई वासाइं परियायं पाउणित्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसि गती बावीसं सागरोवमाई ठिती, अणाराहगा, सेसं तं चेव 17, 3 / से जे इमे गामागर जाव सगिणवेसेसु पव्वइया समणा भवंति, तंजहा-अत्तुकोसिया परपरिवाइया भूइकम्मिया भुजोर कोउयकारका, ते णं एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाइं सामराणपरियागं पाउणंति पाउणित्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयअपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं यच्चुए कप्पे आभियोगिएसु देवेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेमि गई बावीसं सागरोवमाइं ठिई परलोगस्स अणाराहगा, सेसं तं चेव 18, 4 / से जे इमे गामागर जाव सगिणवेसेसु णिराहगा भवंति, तजहा-बहुरया 1 जीवपएसिया 2 अब्बत्तिया 3 सामुच्छेझ्या 4 दोकिरिया 5 तेरासिया 6 अबद्धिया 7 इञ्चेते सत्त पवयणणिराहगा केवल(लं)चरिया Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 58 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः लिंगसामण्णा मिच्छद्दिट्टी बहूहिं असब्भावुभावणाहिं मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाणं च परं च तदुभयं च वुग्गाहेमाणा वुप्पाएमाणा विहरित्ता बहूइं वासाइं सामराणपरियागं पाउणंति 2 तस्स ठाणस्स प्रणालोइय अप्पडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं उवरिमेसु गेवेज्जेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिंगती एकत्तीसं सागरोवमाइं ठिती, परलोगस्स अणाराहगा, सेसं तं चेव 11, 5 / से जे इमे गामागर जाव सरिणवेसेसु मणुया भवंति, तंजहा-अप्पारंभा अप्पपरिग्गहा धम्मिया धम्माणुया धम्मिट्ठा धम्मखाई धम्मप्पलोइया धम्मपलजणा धम्मसमुदायारा धम्मेणं चैव वित्तिं कप्पेमाणा सुसीला सुव्वया सुप्पडियाणंदा साहूहिँ एकच्चायो (एगइयायो) पाणाइवायायो पडिविरया जावजीवाए एकच्चायो अपडिविरया एवं जाव परिग्गहायो एकचारो कोहायो माणायो मायायो लोहायो पेजायो कलहायो अब्भक्खाणायो पेसुराणायो परपरिवायायो अरतिरतीयो मायामोसायो मिच्छादसणसल्लायो पडिविरया जावजीवाए एकच्चायो अपडिविरया, एकचाश्रो श्रारंभसमारंभात्रो पडिविरया जावजीवाए एकचायो अपडि. विरया, एकच्चायो करणकारावणाश्री पडिविरया जावजीवाए एकच्चायो अपडिविरया एगच्चायो पयणपयावणायो पडिविरया जावजीवाए एकच्चायो पयणपयावणायो अपडिविरया, एकवाओ कोट्टण-पिट्टण-तज्जण-तालण-वहबंधपरिकिलेसायो पडिविरया जावजीवाए एकच्चायो अपडिविरया, एकच्चायो राहाण-महण-वगणग-विलेवण-सदफरिस-रसरुव-गंधमल्लालंकारापो पडिविरया जावजीवाए एकच्चायो अपडिविरया, जेयावराणे तहप्पगारा सावजजोगोवहिया कम्मंता परपाणपरियावणकरा कज्जति तोवि जाव एकच्चायो पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चायो अपडिविरया, तंजहा-समणो. वासगा भवंति, अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुराणपावा पासव-संवर-निजर Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीओपपातिक-सूत्रम् ] [ 59 रक्खस-किन्नर-किंपुरिस-गरुल-गंधब्ध-महोरगाइएहिं देवगणेहिं निग्गंथात्रो पावयणायो अणइकमणिजा णिग्गंथे पावयणे हिस्संकिया णिक्खंखिया निवितिगिच्छा लट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्टा अभिगयट्ठा विणिच्छियट्ठा अट्ठिमिंज-पेम्माणुरागरत्ता अयमाउसो! णिग्गंथे पावयणे अढे अयं परम8 सेसे अण? ऊसियफलिहा अवंगुयदुवारा चियत्तंतेउर-परघरदारप्पबेसा चउद्दसट्ठमुट्ठि-पुराणमासिणीसु पडिपुराणं पोसहं सम्म अणुपालेत्ता समणे णिग्गंथे फासुएसणिज्जेणं असणपाण-खाइमसाइमेणं वत्थपडिग्गह-कंबलपायपुंछणेणं योसहभेसज्जेणं पडिहारएण य पीढफलग-सेज्जासंथारएणं पडिलामेमाणा विहरंति विहरित्ता भत्तं पञ्चक्खंति ते बहूई भत्ताई अणसणाए छेदिति छेदित्ता आलोइयपडिक्कता समाहिपत्ता कालमासे कालं किचा उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिं गई बावीसं सागरोवमाई ठिई बाराहया सेसं तहेव 20, 6 / से जे इमे गामागर जाव सगिणवेसेसु मणुया. भवंति, तंजहा-अणारंभा अपरिग्गहा. धम्मिया जाव कप्पेमाणा सुसीला सुव्वया सुपडियाणंदा साहू सव्वायो पाणाइवायायो पडिविरया जाव सव्वायो परिग्गहायो पडिविरया सव्वाश्रो कोहायो माणायो मायायो लोभायो जाव मिच्छादसणसल्लायो पडिविरया सव्वायो श्रारंभसमारंभायोपडिविरया सव्वायो करणकारावणाश्रोपडिविरया सव्वायो पयणपयावणायो पडिविरया सव्वाश्रो कुट्टण-पिट्टण-तजण-तालणवह-बंध-परिकिलेसायो पडिविरया सब्वायो गहाण-महण-वराणग-विलेवणसद-फरिस रस-रूव-गंध मलालंकारायो पडिविरया जेयावराणे तहप्पगारा सावजजोगोवहिया कम्मंता परपाणपरियावणकरा कजंति तोवि पडिविरया जावजीवाए से जहाणामए अणगारा भवंति-ईरियासमिया भासासमिया जाव इणमेव णिग्गंथं पावयणं पुरोकाउं विहरंति तेसि णं भगवंताणं एएणं विहारेणं विहरमाणाणं अत्यंगइयाणं अणंते जाव केवल Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 60 } [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः वरणाणदंसणे समुप्पजइ, ते बहूई वासाइं केवलिपरियागं पाउणंति जाव पाउणित्ता भत्तं पञ्चक्खंति भत्तं 2 बहुई भत्ताइं अणसणाइ छेदेन्ति 2 ता जस्सट्टाए कीरइ णग्गभावे जाव अंतं करंति, जेसिपि य णं एगइयाणं णो केवलवरनाणदंसणे समुप्पजइ ते बहूई वासाई छउमत्थपरियागं पाउणन्ति 2 श्राबाहे उप्पराणे वा अणुप्पराणे वा भत्तं पञ्चक्खंति, ते बहूई भत्ताई श्रणसणाए छेदेन्ति 2 त्ता जस्सट्टाए कीरइ णग्गभावे जाव तमट्टमाराहित्ता चरिमेहिं ऊसासणीसासेहिं अणंतं अणुत्तरं निव्याघायं निरावरणं कसिणं पडिपुराणं केवलवरणाणदंसणं उप्पाडिति, तो पच्छा सिभिः हिंति जाव अंतं करेहिति 7 / एगचा पुण एगे भयंतारो पुब्बकम्मावसेसेणं कालमासे कालं किचा उकोसेणं सबट्टसिद्धे महाविमाणे देवनाए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिं गई तेनीसं सागरोवमाई ठिई बाराहगा, सेसं तं चेव 21, 8 / से जे इमे गामागर जाव सगिणवेसेसु मणुया भवंति, तंजहासबकामविरया सव्वरागविरया सव्वसंगातीता सव्वसिणेहातिक्कता अकोहा णिकोहा खीणकोहा एवं माणमायालोहा अणुपुव्वेणं अट्ठ कम्मपयडीयो खवेत्ता उप्पिं लोयग्गपइट्टाणा हवंति 1 // सू० 41 // श्रणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवलिसमुग्धाएणं समोहणित्ता केवलकप्पं लोयं फुसित्ता णं चिट्ठइ ?, हंता चिटइ 1 / से गूणं भंते ! केवलकप्पे लोए तेहिं णिजरापोग्गलेहिं फुडे ?, हंता फुडे 2 / छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से तेसिं णिजरापोग्गलाणं किंचि वराणेणं वराणं गंधेणं गंधं रसेणं रसं फासेणं फासं जाणइ पासइ ?, गोयमा !, णो इणठे समठे 3 / से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-छउमत्थे णं मणुस्से तेसि णिजरापोग्गलाणं णो किंचि वराणेणं वगणं जाव जाणइ पासइ ?, गोयमा ! श्रयं णं जंबुहीवे 2 सव्वदीवसनुदाणं सव्वम्भंतरए सव्वखुड्डाए वट्टे तेल्लप्य-संठाणसंठिए वट्टे रहचवाल-संगणसंठिए वट्ट पुक्खरकरिणया संगणसंठिए वट्टे पडि Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीओपपातिक-सूत्रम् / [ 61 पुराणचंद-संठाणसांठए एक्कं जोयणसयसहस्सं पायामविक्खंभेणं तिरिण जोयणसयसहस्साई सोलससहस्साई दोगिण य सत्तावीसे जोयणसए तिरिण य कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरस य अंगुलाई श्रद्धंगुलियं च किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पराणत्ते, देवे णं महिड्डीए महजुइए महब्बले महाजसे महासुक्खे महाणुभावे सविलेवणं गंधसमुग्गयं गिराहइ 2 तं श्रवदालेइ 2 जाव इणामेवत्तिकटु केवलकप्पं जंबदीवं तिहिं अच्छराणिवाहिं तिसत्तखुत्तो अणुपरिट्टित्ता णं हव्वमागच्छेजा 4 / से णूणं गोयमा ? से केवलकप्ये जंबदीले 2 तेहिं घायपोगलेहि फुडे ? हंता फुडे 5 / छउमत्थे / गोयमा ! मणुस्से तेसिं घाणपोग्गलाणं किंचि वराणेणं वगणं जाव जाणंति पासंति ?, भगवं ! णो इणठे समठे, से तेणढेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-छउमत्थे णं मणुस्से तेसिं णिजरापोग्गलाणं नो किंचि वराणेणं वगणं जाव जाणइ पासइ, एसुहुमा गं ते पोग्गला पराणत्ता, समणाउसो ! सव्वलोयंपि य णं ते फुसित्ता णं चिट्ठति 6 / कम्हा णं भंते ! केवली समोहणंति ? कम्हा णं केवली समुग्घायं गच्छंति ?, गोयमा ! केवलीणं चत्तारि कम्मंसा अपलिक्खीणा (अवेइया अनिजिराणा) भवंति, तंजहा-वेयणिज्जं पाउयं णामं गुत्तं, सव्वबहुए से वेयणिज्जे कम्मे भवइ, सव्वत्थोवे से पाउए कम्मे भवइ, विसमं समं करेइ बंधणेहिं ठिईहि य, विसमसमकरणयाए बंधणेहिं ठिईहि य, एवं खलु केवली समोहणंति एवं खलु केवली समुग्वायं गच्छति 7 / सव्वेवि णं भंते ! केवली समुग्घायं गच्छंति ?, णो इण? समठे, 'अकित्ता णं समुग्घायं, अणंत्ता केवली जिणा / जरामरणविप्पमुक्का, सिद्धिं वरगई गया // 1 // 8 / कइसमए णं भंते ! भाउजीकरणे पराणत्ते ?, गोयमा ! असंखेजसमए अंतोमुहुत्तिए पराणते 6 / केवलिसमुग्घाए णं भंते ! कइसमइए पराणते ?, गोयमा ! अष्टसमइए पराणत्ते, तंजहा-पढमे समए दंडं करेइ बिइए समए कवाडं Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 62 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः करेइ तईए समए मंथं करेइ चउत्थे समए लोयं पूरेइ पंचमे समए लोयं पडिसाहरइ छ? समए मंथं पडिसाहरइ सत्तमे समए कवाडं पडिसाहरई अट्ठमे समए दंडं पडिसाहरइ पडिसाहरित्ता तो पच्छा सरीरत्थे भवइ 10 / सेणं भंते ! तहा समुग्घायं गए कि मणजोगं जुजइ ? वयजोगं जुजइ ? काययोगं जुजइ ?, गोयमा ! णो मणजोगं जुजइ णो वयजोगं जुजइ कायजोगं जुजइ, कायजोगं जुजमाणे किं श्रोरालियसरीरकायजोगं जुजइ ? ओरालिय-मिस्ससरीरकायजोगं जुजइ ? वेउब्बिय-सरीरकायजोगं जुजइ ? - वेउब्धिय-मिस्ससरीर-कायजोगं जुजइ ? थाहारसरीरकायजोगं जुजइ ? थाहारसरीर-मिस्स-कायजोगं जुजइ ?, कम्मासरीरकायजोगं जुजइ ?, गोयमा ! पोरालियसरीरकायजोगं जुजइ, पोरालिय-मिस्स-सरीरकायजोगंपि जुजइ, णो वेउब्वियसरीरकायजोगं जुजइ णो वेउब्विय-मिस्स-सरीरकायजोगं जुजइ णो थाहारगसरीरकायजोगं जुजइ णों पाहारगमिस्ससरीरकायजोगं जुजइ.कम्मसरीरकायनोगंपि जुजइ, पढमट्टमेसु समएसु पोरालिय-सरीरकायजोगं जुजइ विइयइछट्ठसत्तमेसु समएसु. बोरालिय-मिस्स-सरीरकायजोगं जुजइ तईयचउत्थपंचमेहिं कम्मासरीरकायजोगं जुजइ 11 / से णं भंते ! तहा समुग्घायगए सिज्झिहिइ बुझिहिह मुचिहिइ परिनिव्वाहिइ सव्वदुवखाणमंतं करेहिइ ? णो इणढे सम? 12 / सेणं तयो पडिनियत्तइ तो पडिनियत्तित्ता इहमागन्छ 2 ता तो पच्छा मणजोगंपि जुजइ वयजोगपि जुजइ कायजोगपि जुजइ मणजोगं जुजमाणे कि सच्चमणजोगं जुजइ मोसमणजोगं जुजइ सचा. मोसमणजोगं जुजइ असच्चामोसमणजोगं जुजइ ?, गोयमा ! सच्चमणजोगं जुजइ णो मोसमणजोगं जुजइ णो सच्चामोसमणजोगं जुजइ असच्चामोसमणजोगंपि जुजइ, वयजोगं जुजमाणे किं सच्चवइजोगं जुजइ मोसवइजोगं जुजइ सचामोसवइजोगं जुजइ. असच्चामोसवइजोगं जुजइ ?, गोयमा ! Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीऔपपातिक-सूत्रम् ] [ 63 सञ्चवइजोगं जुजइ णो मोसवइजोगं जुजइ णो सच्चामोसवइजोगं जुजइ असचामोसवइजोगपि जुजइ, कायजोगं जुजमाणे श्रागच्छेज वा चिट्ठज वा णिसीएज वा तुय? ज वा उल्लंघेज वा पल्लंघेज वा उखेवणं वा अवक्खेवणं वा तिरियक्खेवणं वा करेजा पाडिहारियं वा पीढ-फलहगसेजसंथारगं पञ्चप्पिणेजा 13 // सू० 42 // से णं भंते ! तहा सजोगी सिज्झिहिइ जाव अंतं करेहिइ ?, णो इण? सम?, से णं पुवामेव संगिणस्स पंचिंदियस्स पजत्तगस्स जहराणजोगस्स हेट्ठा असंखेजगुणपरि. हीणं पढमं मणजोगं निरंभइ, तयाणंतरं च णं बिंदियस्स पजत्तगस्स जहराणजोगस्स हेट्टा असंखेजगुणपरिहीणं विइयं वइजोगं निरंभइ, तयाणंतरं च णं सुहुमस्स पणगजीवस्स अपजत्तगस्स जहराणजोगस्स हेट्ठा असंखेजगुणपरिहीणं तईयं कायजोगं णिरु भइ, से णं एएणं उवाएणं पढममणजोगं णिरु भइ मणजोगं णिरु भित्ता वयजोगं णिरु भइ वयजोगं णिरु भित्ता कायजोगं णिरु भइ कायजोगं निरु भित्ता जोगनिरोहं करेइ, जोगनिरोहं करेत्ता अजोगत्तं पाउणति, अजोगत्तं पाउणित्ता इसिंहस्स-पंचक्खरउच्चारणद्धाए असंखेजसमइयं अंतोमुहुत्तियं सेलेसिं पडिवजइ, पुबरइयगुणसेढीयं च णं कम्मं तीसे सेलेसिमद्धाए असंखेजाहिं गुणसेढीहिं अणंते कम्मसे खवेति वेयणिजाउयणामगुत्ते, इच्चेते चत्तारि कम्मसे जुगवं खवेइ वेदणिज्जा 2 पोरालिय-तेयाकम्माइं सव्वाहिं विप्पयहणाहिं विप्पजहइ, थोरालियतेयाकम्माइं सवाहिं विप्पयहणाहिं विप्पयहित्ता उज्जूसेढीपडिवन्ने अफुसमाणगई उड्ड एकसमएणं अविग्गहेणं गंता सागारोवउत्ते सिज्झिहिइ 1 / ते णं तत्थ सिद्धा हवंति सादीया अपजवसिया सरीरा जीवघणा दंसणनाणोवउत्ता निट्ठियट्ठा निरयणा नीरया णिम्मला वितिमिरा विसुद्धा सासयमणागयद्धं काल चिट्ठति 2 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-ते णं तत्थ सिद्धा भवंति सादीया अपजवसिया जाव चिट्ठति ?, गोयमा ! से Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 64 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः जहाणामए बीयाणं अग्गिदड्डाणं पुणरवि अंकुरुप्पत्ती ण भवइ, एवामेव सिद्धाणं कम्मवीएं द8 पुणरवि जम्मुप्पत्ती न भवइ, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-ते णं तत्थ सिद्धा भवंति, सादीया अपजवसिया जाव चिट्ठति 3 / जीवा णं भंते ! सिझमाणा कयरंमि संघयणे सिझत्ति ?, गोयमा ! बइरोसभ-णारायसंघयणे सिझवि 4 / जीवा णं भंते ! सिझमाणा कयरंमि संठाणे सिझति ?, गोयमा ! छराहं संगणाणं अगणतरे संठाणे सिझति 5 / जीवा णं भंते ! सिझमाणा कयरम्मि उच्चत्ते सिझति ?, गोयमा ! जहराणेणं सतरयणीयो उक्कोसेणं पंचधणुस्सए सिझति 6 / / जीवा णं भंते ! सिझमाणा कयरम्मि पाउए सिझति ?, गोयमा ! जहराणेणं साइरेगट्ठवासाउए उक्कोसेणं पुवकोडियाउए सिझति 7 / अस्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पहाए पुढवीए अहे सिद्धा परिवसंति ?, णो इण8 समठे, एवं जाव हे सत्तमाए 8 / अत्थि णं भंते ! सोहम्मस्स कप्पस्स अहे सिद्धा परिवसंति ?, णो इणठे समठे, एवं सव्वेसि पुच्छा, ईसाणस्स सणंकुमारस्त जाव अच्चुयस्स गेविजविमाणाणं अणुत्तरविमाणाणं.१ / अस्थि णं भंते ! ईमीपभाराए पुढवीए अहे सिद्धा परिवसंति ?, णो इणढे सम? 10 / से कहिं खाइ णं भंते ! सिद्धा परिवसंति ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पहाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जायो भूमिभागायो उड्ड चंदिमसूरियग्गह-गण-णक्खत्त-ताराभवणायो बहूइं जोयणसयाई बहूई जोयणसहस्साई बहूई जोयणसयसहस्साई बहूयो जोयणकोडीयो बहूयो जोयणकोडाकोडीश्रो उद्धृतरं उप्पइत्ता सोहम्मीसाण-सणंकुमार-माहिद-बंभ-लंतग-महासुक्कसहस्सार-पाणय-पाणय-धारणच्चुय तिगिण य अट्ठारे गेविजविमाणावाससए वीइवइत्ता विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजिय सबट्टसिद्धस्स य महाविमाणस्स सबउपरिलायो थूभियग्गायो दुवालसजोयणाई अबाहाए एत्थ णं ईसीपव्भारा णाम पुढवी पराणत्ता पणयालीसं जोयणसयसहस्साई श्रायाम Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीऔपपातिक-सूत्रम् ] विक्खंभेणं एमा जोयणकोडी बायालीसं सयमहस्साइं तीसं च सहस्साई दोरिण य अउणापरणे जोयणसए किंचि विसेसाहिए परिरएणं, ईसिपभारा य णं पुढवीए बहुमज्झदेसभाए अट्ठजोयणिए खेत्ते श्रट्ठजोयणाई वाहुल्लेणं, तयाऽणंतरं च णं मायाए 2 पडिहायमाणी 2 सव्वेसु चरिमपेरतेसु मच्छियपत्तायो तणुयतरा अंगुलस्स असंखेजइभागं बाहुल्लेणं पराणत्ता 11 / ईसीपब्भाराए णं पुढवीए दुवालस णामधेजा पराणत्ता, तंजहा-ईसी इ वा इसोपभारा इ वा तणू इ वा तणतणू इ वा सिद्धी इ वा सिद्धालए इ वा मुत्ती इ वा मुत्तालए इ वा लोयग्गे इ वा लोयग्गथूभिया इ वालोयग्गपडिबुझणा इवा सव्वपाण-भूयजीव-सत्तसुहावहा इ वा 12 / ईसीपभारा णं पुढवी सेया संख-तल-विमल-सोल्लिय-मुणाल-दगरय-तुसारगोक्खीर-हारवराणा उत्ताणय-छत्त-संगणसंठिया सव्वज्जुण-सुवराणयमई अच्छा सराहा लराहा घट्टा मट्ठा णीरया णिम्मला णिप्पंका णिक्कंकडछाया समरोचिया सुप्पमा पामादीया दरिसणिजा अभिरुवा पडिख्वा, ईसीपभाराए णं पुढवीए सीयाए जोयणंमि लोगते, तस्स जोयणस्स जे से वरिल्ले गाउए तस्स णं गाउअस्स जे से उवरिल्ले छभागिए तत्थ णं सिद्धा भगवंतो सादीया अपजवसिया योग-जाइ-जरा-मरण-जोणि-वेयणसंसारकलंकलीभाव-पुणब्भव-गब्भवास-वसही-पवंचसमइक्कंता सासयमणागयमद्धं चिट्ठति 13 // सू० 43 // गाथाः कहिं पडिहया सिद्धा ?, कहिं सिद्धा पडिट्ठिया ? / कहिं बोंदि चइत्ता णं, कत्थ गंतूण सिझई ? // 1 // अलोगे पडिहया सिद्धा, लोयग्गे य पडिट्ठिया। इहं बोंदि चइत्ता णं, तस्थ गंतूण सिझई // 2 // जैसंगणं तु इहं भवं चयं तस्स चरिमसमयंमि / श्रासी य पएसघणं तं संगणं तहिं तस्स // 3 // दीहं वा हस्सं वा जं चरिमभवे हवेज संगणं / तत्तो तिभागहीणं, सिद्धाणोगाहणा भणिया // 4 // तिरिण सया तेत्तीसा घणूत्तिभागो य होइ बोद्धव्वा / एसा Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 66 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः खलु सिद्धाणं, उकोसोगाहणा भणिया // 5 // चत्तारि य रयणीयो रयणित्तिभागणिया य बोद्धव्वा / एसा खलु सिद्धाणं मज्झिमयोगाहणा भणिया // 6 // एका य होइ रयणी साहीया अंगुलाई अट्ठः भवे / एसा खलु सिद्धाणं जहणणयोगाहणा भणिया // 7 // योगाहणाए सिद्धा भवत्तिभागेणं होइ परिहिणा / संठाणमणिथंथं जरामरण-विप्पमुक्काणं // 8 // जत्थ य एगो सिद्धो तत्थ अणंता भवक्खयविमुक्का / अगणोराणसमवगाढा पुट्ठा सब्वे य लोगंते // 1 // फुसइ अणते सिद्धे सब्वपएसेहिं णियमसो सिद्धा। तेवि असंखेज्जगुणा देसपएसेहिं जे पुट्ठा // 10 // यसरीरा जीवघणा उवउत्ता दंसणे य णाणे य / सागारमणागारं लक्खणमेयं तु -सिद्धाणं // 11 // केवलणाणुवउत्ता जाणंति सब्वभावगुणभावे / पासंति सव्वश्रो खलु केवलदिट्ठी अणताहि // 12 // णवि अत्थि माणुसाणं तं सोक्खं णविय सव्वदेवाणं / जं सिद्धाणं सोखं अव्वाबाहं उवग़याणं . // 13 // ज देवाणं सोक्खं सव्वद्धापिंडियं अणंतगुणं / ,ण य पावइ मुत्तिसुहं णंताहिं वग्गवग्गूहि // 14 // सिद्धस्स सुहो रासी सव्वद्धापिंडिश्रो जइ हवेजा / सोऽणंतवग्गभइयो सब्वागासे ण माएजा // 15 // जह णाम . कोइ मिच्छो नगरगुणे बहुविहे वियाणंतो। न चएइ परिकहेउं उवमाए तहिं असंतीए // 16 // इय सिद्धाणं सोक्खं अणोवमं णत्थि तस्स श्रोवम्मं / किंचि विसेसेणेत्तो बोक्म्ममिणं सुणह वोच्छं // 17 // जह सबकामगुणियं पुरिसो भोत्तूण भोयणं कोइ। तराहाछुहाविमुक्को अच्छेज जहा श्रमियतित्तो // 18 // इय सव्वकालतित्ता अतुलं निव्वाणमुवगया सिद्धा। सासयमव्याबाहं चिट्टति सुही सुहं पत्ता // 11 // सिद्धत्ति य बुद्धत्ति य : पारगयत्ति य परंपरगयत्ति / उम्मुक्ककम्मकवया अजरा अमरा असंगा य // 20 ॥णिच्छिाणसव्वदुक्खाज़ाइजरामरणबंधणविमुक्का / अव्वाबाहं सुक्खं , अणुहोति सासयं सिद्धा // 21 // अतुलसुहसागरगया अव्वाबाहं अणोवमं Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीऔपपातिक-सूत्रम् ] . पत्ता / सव्वमणागयमद्धं चिट्ठति सुही सुहं पत्ता // 22 // उववाईउवंगं समत्तं // शुभं भवतु // ग्रन्थानं 1600 // सूत्राणि त्रिचत्वारिंशत्, गाथाः 25 // श्री॥ // इति श्रीमदीपपातिक-सूत्रं आद्यमुपाङ्गम् // Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ R कृपावतारं समसिद्धिकारं ___ भबोधवारं शमशान्तकारम् / क्रतोपकारं समता प्रचारं नमामि नित्यं वरसिद्धिसूरिम् // 1 // आगम भाष्करं शान्तमज्ञानतमनाशकम् / / रामचन्द्रं नवं चन्द्रं वन्दे सूरीश्वरं सदा // 2 // पञ्चाचारं सदा शान्तं क्षमानाथं तपोनिधिम् / शासनैकरतं सूरिं कपूर स्तौमि सदगुरुम् // 3 // भीमभवभयात्त्राता प्रवक्ता कविकोविदः। . अमृतसूरिवयं तं नमामि ब्रह्मचारिणम् // 4 // ubdeshdeshshshastasbsteseebdashreshshobchchsbebhabiasht r a ককককককককককককককককল-ককককককককককককককককককককক Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अहम् // श्रीश्रुतस्थविर-विरचितं // श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् // .. (द्वितीयमुपाङ्गम् ) ते णं काले णं ते णं समए णं यामलकप्पा नाम नयरी होत्थारिद्ध-स्थिमिय-समिद्धा जाव [ पमुइयजण-जाणवया पाइराण-जणमणूसा हल-सयसहस्स-संकिट्ठ-विगिट्ट-लट्ठ-पराणत्तसेउसीमा कुक्कुड-संडेय-गामपउरा उच्छु-जव-सालिकलिना गोमहिस-गवे-लगप्पभूया पायारवंतचेइयजुवइविसिट्ट-सन्निविट्ठबहुला उक्कोडिय-गाय-गठिभेद-तकर--खंडरक्खरहिया खेमा निवदवा सुभिक्खा वीसत्थसुहावासा अणेगकोडि-कोडुबियाइराणणिव्वुत्तसुहा नड-नट्ट जल्ल-मल्ल-मुट्ठिय-वेलंबग-कहग-पवग-लासंग-श्राइक्खगलंख-मंख-तूणइल्ल-तुबवीणिय-अणेगतालाचराणुचरिया श्राराम-उजाणअगड-तलाग-दीहिय-वप्पिणगुणोववेया उव्विद्धविउलगंभीरखात-फलिहा चक्क-गय-मुसंढि-योरोह-सयग्घि-जमल-कवाडघणदुप्पवेसा धणुकुडिल-वंकपागारपरिक्खित्ता कविसीसय-वट्ट-रइय-संठियविरायमाणा अट्टालय-चरिय-दारगोपुर-तोरण-उन्नय-सुविभत्तरायमग्गा छेयायरिय-रइय-दढफलिह-इंदकीला विवणि-वणिच्छित्त-सिप्पिाइराण-निव्वुयसुहा सिंघाडग-तिय-चउक्क-चचरपणियापण-विविह-वसुपरिमंडिया सुरम्मा नरवइ-पविइराण-महिवइपहा अणेग-वर-तुरग-मत्तकुजर-रहपहकर-सीय-संदमाणीपाइराण-जाणजोग्गा विमउल-नवनलिण-सोभियजला पंडुर-वर-भवणपंति महिया उत्ताणय-नयण Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 70 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विमागः पिच्छणिजा ] पासादीया दरिसणिजा अभिरूवा पडिरूया // सूत्रं 1 // तीसे णं अामलकप्पाए नयरीए बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए अंबसालवणे नामं चेइए होत्था-[ चिरातीते पुत्वपुरिसपरणत्ते पोराणे सदिए कित्तिए नाए सच्छत्ते सज्झए सघंटे सपडागे पडागाइपडागमंडिए सलोमहत्थे कयवेयड्डिए लाइय-उल्लोइयमहिए गोसीस-सरस-रत्तचंदण-ददर-दिराणपंचंगुलितले उवचिय-चंदणकलसे चंदणघड-सुकय-तोरण-पडिदुवारदेसभाए अासत्तोसित्त-विउल-बट्ट-वग्यारिय-मल्लदामकलावे पंचवरण-सरस-सुरभि-मुक्कपुष्फपुंजोवयार-कलिए कालागुरु-पवरकुंदुरुक-तुरुक-धूव-मघमघंत-गंधुद्ध्याभिरामे सुगंधवर-गंधगंधिए गंधवट्टिभूए णड-गट्टग-जल्ल-मल्ल-मुट्ठिय-वेलंबगपवग-कहग-लासग-बाइक्खग-लंख-मंख-तृणइल-तुबवीणिय-भुयग-मागहपरिगए बहुजण-जाणवयस्स विस्सुयकित्तिए बहुजणस्स बाहुस्स बाहुणिज्जे पाहुणिज्जे अचणिज्जे वंदणिज्जे नमसणिज्जे पूयणिज्जे सकारणिज्जे सम्माणणिज्जे कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं विणएणं पज्जुवासणिज्जे दिव्वे सच्चे सच्चोवाए जागसहस्स-भागपडिच्छए बहुजणो अच्चेइ पागम्म अंबसाल-वणचेइयं अंबसालवणचेइयं 1 / से णं अंबसालवणे चेइए एगेणं महया वणसंडेणं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्तं / से णं वणसंडे किराहे किराहोभासे नीले नीलोभासे हरिए हरिश्रोभासे सीए सीबोभासे गिद्धे गिद्धोभासे तिव्वे तिब्बोभासे, किराहे किराहच्छाए नीले नीलच्छाए हरिए हरियच्छाए सीए सीबच्छाए गिद्धे गिद्धच्छाए तिव्वे तिव्वच्छाए घणकडिअकडिच्छाए रम्मे महामेह-णिकुरंबभूए पासाइए दरिसणिज्जे अभिरुवे पडिरूवे 2 // सू० 2 // [ तस्स णं वणसंडस्स बहुमज्झदेसभाए इत्थ णं महं एगे] श्रमोगवरपायवे [पन्नत्ते दुरुग्गयकंदमूल-बट्ट-लट्ठसंधि-सिलिट्ठ घण-मसिणसिणिद्ध-अणुपुविसुजाय-निरुवहत-उब्विद्ध-पवरखंधे श्रणेग-णर-पवरभुय:गेज्झे, कुसुमभर-समोणमंत-पत्तल-विसाल-साले महुकरि-भमरगण-गुमगुमाइय Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भिसंत-पत्त-भारवाईणपत्ता अणईइपत्ता विपुलवट्टखंघा . श्री श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् / [ 71 णिलित-उडडेतसस्सिरीए णाणा-सउणगण-मिहुण-सुमहुर-कराणसुह-पलत्तसहमहुरे कुस-विकुस-विसुद्धरुक्खमूले पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे, से णं असोगवरप्रायवे अन्नेहिं बहूहिं तिलएहि लउएहिं छत्तोवगेहिं सिरीसेहि सत्तवराणेहिं दधिवन्नेहिं लोददेहिं ध्रवेहिं चंदणेहिं अज्जुणेहि नीहिं कयंबेहि फणसेहिं दाडिमेहिं तालेहि ...तमालेहिं पियालेहिं पियंगूहिं रायरुक्खेहि जाव. नंदिरुक्खेहि सव्वश्री समंता संपरिक्खित्ते 1 / ते णं विलगा जाव नंदिरुक्खा कुसविकुस-विसुद्धरुक्खमूला मूलमंतो कंदमंतो जाव खंधिमंतो तयामंतो सालमंतो पवालमंतो पत्तमंतो-पुप्फमंतो-फलमंतो-बीयमंतो यणुपुब्धि सुजाय-रुइल-बट्टभावपरिणया एगखंधी प्रणेग-साहपसाहविडिमा अणेग-नरवामसुप्पसारिय-श्रगिज्म-घण-विपुलवट्टखंधा .. अच्छिद्दपत्ता अविरलपत्ता अवाईणपत्ता अणईइपत्ता निद्भूय-जरठ-पंडुपत्ता नवहरियभिसंत-पत्त-भारंधयार-गंभीरदरिसणिज्जा उवनिग्गय-नव-तरुण-पत्त-पल्लवकोमल-उजल-चलंत-किसलय-सुकुमाल-पवाल-सोभिय-पवर-वरंकुरग्गसिहरा निच्वं कुसुमिया निच्चं मउलिया : निच्चं लवइया निच्चं थवइया निच्चं गुलइया निच्चं गोच्छिया निच्चं जमलिया निच्चं जुयलिया निच्वं / विणमिया निच्चं पणमिया निच्चं सुविभत्त-पडिमंजरिवडिसयधरा निच्चं कुसुमिय-मउलिय-लवइय-थवइय-गोच्छियजमलिय-जुयलिय-विणमिय-पणमिय-सुविभत्त-पडिमंजरि-वडिंसयधरा , सुकबरहिण-मयणसलागा-कोइल-कोरुग--कोभव-भिंगारक कोंडलग-जीवंजीवकनंदीमुख-कविल-पिङ्गलक्खग-कारंडव-चक्कवाक-कलहंस-सारस--अणेग-सउणगण-मिहुण-वियरिय-सदोन्नइय-महुरसरणाझ्या सुरम्मा संपिडिय-दरियभमरमड्डयरिपहकर-परिलित-मत्तछप्पय कुसुमासव-लोल--महुर-गुमगुमंत-गुजंतदेसभागा अभितरपुप्फफला बाहिरपत्तोच्छराणा पत्तेहिं य पुप्फेहि य उच्छन्नपलिच्छिन्ना नीरोगका अकंटका साउफला, निद्धफला णाणाविह Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 72 ] __ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः गुच्छ गुम्म-मंडवग-सोहिया विचित्तसुहकेउबहुला वावि-पुक्खरिणी-दीहियासु य सुनिवेसिय-रम्मजालघरगा पिंडिमनीहारिम-सुगंधि-सुह-सुरभिमणहरं च महया गंधद्धणि मुचंता सुहसेउ-केउबहुला अणेग-रह-सगडजाण-जुग्ग-गिल्लि-थिल्लि-सिविय-संदमाणियापडिमोयणा पासाईया दरिमणिज्जा अभिरूवा जाव पडिरूवा 2 / ते णं तिलगा नाव नंदिरुक्खा अन्नाहिं बहहिं पउमलयाहि नागलयाहिं असोगलयाहिं चंपगलयाहिं चूयलयाहिं वणलयाहिं वासंतियलयाहिं अइमुत्तयलयाहिं कुंदलयाहिं सामलयाहिं सबतो समंता संपरिक्खित्ता 3 / तायो णं पउमलयात्रो जाव सामलयात्रो निच्चं कुसुमियायो निच्चं मउलियारो निच्चं लवइयायो निच्चं थवइयायो निच्चं गुच्छियायो निच्चं गुम्मियात्रो निच्चं जमलियारो निचं जुयलियायो निच्चं विणमियाश्रो निच्चं पणमियायो सुविभत्त-पडिमंजरि-वडिंसगधरीश्रो निच्चं कुसुमियमउलिय-थवइय-लवइय-गुम्मिय-जमलिय-जुयलिय-गुच्छिय-विणमिय--पणमियसुविभत्त-पडिमंजरि-वडिसगधरीश्रो संपिडिय-दरियभमर-महुयरिपहकरपरिलित-मत्तछप्पय कुसुमासव-लोलमहुर-गुमगुमेंत-गुजंतदेसभागायो जाव पासादीयायो दरिसणिजायो अभिरुवायो पडिरूवाश्रो 4 / तस्स णं असोगवरपायवस्स उवरि बहवे अट्ट अट्ठ मङ्गलगा पन्नत्ता, तंजहा-सोत्थियसिविच्छ-नंदियावत्त-वद्धमाणग-भदासण--कलस-मच्छ-दप्पणा सव्वरयणामया अच्छा सराहा लगहा घट्ठा मट्ठा णीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पभा समिरीया सउज्जोया पासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिख्या 5 / तस्स णं असोगवरपायवस्स उरि बहवे किराहचामरज्मया नीलचामरज्या लोहियचामरज्मया हालिद्दचामरज्या सुकिल्लत्रामरज्झया अच्छा सराहा लराहा रुप्पपट्टा वइरामयदंडा जलयामलगंधिया सुरम्मा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा 6 / तस्स Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 73 श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] णं असोगवरपायवस्स उवरि बहवे छत्ताइच्छत्ता पडागाइघडागा घंटाजुयला त्रामरजुयला उप्पलहत्थगा पउमहत्थगा कुमुयहत्थगा नलिणहत्थगा सुभगहत्थगा सोगंधियहत्थगा पोंडरियहत्थगा महापोंडरियहत्थगा सयपत्तहत्थगा सहस्सपत्तहत्थगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 7 // सू० 3 // तस्स णं असोगवरपायवस्स हेट्ठा एत्थ णं एगे महं पुढविसिलापट्टए, वत्तवया उववातियगमेणं नेया [पन्नत्ते ईसिंखंधासमल्लीणे विक्खंभायाम-सुप्पमाणे किराहे अंजणग-घण-कुवलय-हलधरकोसेजसरिसे अागास-केस-कजल-कक्केयण-इंदनील-श्रयसिकुसुमप्पगासे भिंग-अंजणभंगभेय-रिट्टग-नीलगुलिय-गवलाइरेगे भमरनिकुरुंबभूए जंबूफल-असणकुसुमबंधण-नीलुप्पलपत्तनिकर-मरगय-यासासग-नयणकीय-असिवन्ने निद्धे घणे अज्झसिरे रूवग-पडिरूवग-दरिसणिजे श्रायंसगतलोवमे सुरम्मे सीहासणसंठिए सुरूवे मुत्ताजालखइयंतकम्मे ग्राइणग रूत-बूर-नवणीय-तूलफासे सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे] // सू० 4 // तत्थ णं अामलकप्पाए नयरीए से यो(सेणिए) राया होत्था महयाहिमवंत महंतमलय-मंदर-महिंदसारे अच्चंत-विसुद्ध-रायकुलवंसप्पसूए निरंतरं रायलक्खण-विराइयंगमंगे बहुजणबहुमाणपूइए सव्वगुणसमिद्धे खत्तिए मुइए मुद्धाभिसित्ते माउपिउसुजाए दयपत्ते सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंधरे मणुस्सिदे जणवयपिया जणवयंपाले जणवयपुरोहिए सेउकरे केउकरे नरपवरे पुरिसवरे पुरिससीहे पुरिसवग्घे पुरिसासीविसे पुरिसवरपोंडरीए पुरिसवरगंधहत्थी अड्ढ दित्ते वित्ते वित्थिन्न-विपुल-भवण-सयण-पासण-जाण-वाहणाइराणे बहुधण-बहुजायरूव-रजए आयोग-पयोगसंपउत्ते विच्छड्डिय-पउरभत्तपाणे बहुदासी-दासगो-महिस-गो-एलगप्पभुए पडिपुन्नजंत-कोस-कोट्ठागार-बाउहघरे बलवं दुबलपचामित्ते श्रोहयकंटयं मलियकंटयं उद्धियकंटयं अप्पडिकंटयं श्रोहयसत्तुं निहयसत्तु मलियसत्तु उद्धियसत्तुं निजियसत्तु पराइयसत्तुंववगय-दुभिवख Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 74 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः दोसमारि भयविष्पमुक्कं खेमं सिवं सुभिक्खं पसंतडिबडमरं रज्जं पसासेमाणे विहरइ ] // सू० 5 // ... तस्स णं सेयरगणो धारिणी [नाम] देवी [होत्था सुकुमालपाणिपादा अहीण-पडिपुराण-पंचिंदियसरीरा लक्खण-बंजण-गुणोववेया माण-उम्माणपमाण-पडिपुराण-सुजाय-सव्वंगसुंदरंगी ससि-सोमांगार-कंतपियदंसणा सुरुवा करयल-परिमिय-पसत्थ-तिवलि-बलियमझा कुंडलुल्लिहियगंडलेहा कोमुइरयणियर-विमल-पडिपुराण-सोमवयणा भिंगारागारचारवेसा संगयगयहसिय-भणिय-चिट्ठिय-विलास-ललिय-संलाव-निउण-जुत्तोवयारकुसला सुंदरथण-जघण-वयण कर-चरण-नयण-लायराण-विलासकलिया सेएण रराणा सद्धिं अणुरत्ता अविरत्ता इ8 सद्द-फरिसे स्स-रूव-गंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पचणुभवमाणा विहरइ] // सू० 6 // सामी समोसढे [ ते णं काले णं ते णं समए णं समणे भगवं महावीरे बाइगरे तित्थगरे सहसंबुद्धे पुरिसुत्तमे पुरिससीहे पुरिसवरपुंडरीए पुरिसवरगंधहत्थी अभयदए चक्खुदए मग्गदए सरणदए जीवदए दीवो ताणं सरणं गई पइट्टा धम्मवरचाउरंत-चकवट्टी अप्पडिहय-वरनाण-दंसणधरे वियट्टछ उमे जिणे जावए तिराणे तारए मुत्तं मोयए बुद्धे बोहए सव्वराणू सव्वदरिसी, सिवं अयलं अरुयं अणंतं अक्खयं श्रब्धाबाहं अपुणरावत्तिय सिद्धिगइणामधेज्जं ठाणं संपाविउकामे परहा जिणे केवली // सू० 7 // सत्तहत्थुस्सेहे समचउरंस-संगणसंठिए वजरिसह-नारायसंघयणे अणुलोम-वाउवेगे कंकग्गहणी कवीयपरिणामे सउणि-पोस-पिटुतरोरुपरिणए पउमुप्पल-गंध-सरिसनिस्सास-सुरभिवयणे छवी निरायंक-उत्तम-पसत्य-अइसेय-निरुवमपले जल्ल-मल्ल-कलंक-सेयरय-दोसवजिय-सरीरनिरुवलेवे छायाउज्जोइयंगमंगे घण-निचिय-सुबद्ध-लक्खणुराणय-कूडागार-निभपिडियग्गसिरए सामलि-बोंडघण-निचिय-फोडिय-मिउ-विसय-पसत्थ-सुहुम-लक्खण-सुगंध-सुदरभुव-मोयग Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीपिपातिक-सूत्रम् ] [ 75 भिंग-नेल-कजल-पहठ्ठ-भमरगण-निद्ध-निकुरंब-निचिय-कुचिय–पयाहिणावत्तमुद्धसिरए दालिम-पुप्फप्पगास-तवणिज-सरिस-निम्मल-सुणिद्ध-केसंतकेसभूमी छत्तागारुत्तिमंगदेसे णिव्वण-समलट्ठ मट्ठ-चंदद्ध-सम-णिडाले उडुवइ-पडिपुराण-सोमवयणे अल्लीण-पमाण-जुत्तसवणे सुस्सवणे पीणमंसल-कवोलदेसभाए ग्राणामिय-चाव-रुइल-किराहभराइ-तणुकसिण-णिद्धभमुहे अवदालिय-पुंडरीयणयणे कोयासिय-धवल-पत्तलच्छे गरुलाययः उज्जुगणासे उबचिय-सिलप्पवाल-विव-फल-सरिणभाहरो? पंडुर-ससि–सयल-विमलणिम्मान-संख-गोक्खीर-फेण-कुंद-दगरय-मुणालिया-धवल-दंतसेढी अखंडदंते अप्फुडियदंते अविरलदंते सुणिद्धदंते सुजायदंते एगदंतसेढी विव अणेगदंते हुयवह- णित-धोय-तत्त-तवणिज-रत्त-तल-तालुजीहे अवट्ठियसुविभत-चित्तमंतू मसल-संठिय-पसत्थ-सददूल-विउल्लहणुए जउरंगुल-सुप्पमाण-कुबुवर-सरिसग्गीवे वर-महिस-वराह-सीह-सद्दूल-उसभ-नाग-वरपडि. पुराण-विउलक्खंधे जुग-सन्निभ-पीण-रइय-पीवर-पउट्ठ-सुसंठिय-सुसिलिट्ठविसिट्ट-घण-थिर-सुबद्ध-संधि-पुरवर-फलिहवट्टियभुए भुयगीसर-विउलभोग-यायाणपलिह-उच्छूढदीहबाहू रत्ततलोवइय-मउय-मंसल-जायलक्खणपसत्थ-अच्छिद्द-जालपाणी पीवर-कोमल-वरंगुली श्रायंत्र-तंब-तलिणसुइ-रुइल-णिद्धनखे. चंदपाणिलेहे संखपाणिलेहे चकपाणिलेहे दिसासोत्थियपाणिलेहे चंद-सूर-संख-चक-दिसासोत्थियपाणिलेहे कणग-सिलायलुजल-पसत्थ-सम-तल-उवचिय-वित्थिराण-पिहुलवच्छे सिविच्छंकिय-वच्छे अकरंडुय-कणग-रुयय-निम्मल सुजाय-निरुवहय-देहधारी संनयपासे संगतपासे सुंदरपासे सुजायपासे मिय-माइय-पीण-रइयपासे उज्जुय-सम-सहियजब-तणु-कसिण-णिद्ध-श्राइज-लडह-रमणिज-रोमराई झस-विहग-सुजायपीणकुच्छी झसोयरे सुइकरणे पउमवियडणाभे गंगावत्तग-पयाहिणावत्ततरंगभंगुर-रविकिरण तरुणवोहिय-अकोसायंत-पउमगंभीरवियडणाभे साहय Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 76 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पश्चमो विभाग सोणंद-मुसल-दप्पण-णिगरिय वरकणग-च्छरु-सरिस-वर-वइरवलियमज्झे पमुझ्य-वर-तुरग-सीहवर-वट्टियकडी वरतुरग-सुजाय-गुज्झदेसे पाइराणहउ व्व णिरुवलेवे वरवारण-तुल्ल-विक्कम-विलसियगई गय-ससण-सुजायसन्निभोरू समुग्ग-निमग्ग-गूढजाणू एणी-कुरुविंदावन-वट्टाणुपुव्वजंघे संठिय-सुसिलिट्ठगूढगुप्फे सुप्पइट्ठियकुम्मचारचलणे अणुपुव्वसुसंहयंगुलीए उराणय-तणुतंबणिदणक्खे रनुप्पलपत्त-मउय-सुकुमालकोमलतले नगनगर-मगर-सागरचक्कंकवरंगमंगलंकियचलणे विसिट्ठरूवे हुयवह-निद्भूम-जलिय-तडितडिय-तरुणरविकिरणसरिसतेए अट्ठसहस्स-वरपुरिस-लक्खणधरे // सू० 8 // अणासवे अममे अकिंचणे छिन्नसोए निरुवलेवे ववगय-पेम-राग-दोसमोहे निग्गंथस्स पवयणस्स देसए सत्थनायगे पइट्ठावए समणगणवई समणग-विंदपरिघट्टए चउत्तीस-बुद्धवयणाइसेससंपत्ते पणतीस-सच्चवयणातिसेससंपत्ते श्रागासगएणं चक्केणं अागासगएणं छत्तेणं अागासियाहिं चामराहिं श्रागासफालिहमएणं सपायपीढेणं सीहासणेणं पुरतो धम्मज्झएणं पगढिन्जमाणेणं चउद्दसहिं समणसाहस्सीहिं छत्तीसाए अजियासाहस्सीहिं सद्धि संपरितुडे पुव्वाणुपुदि चरमाणे गामाणुगाम दुइजमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव श्रामलकप्पा नयरी जेणेव वणसंडे जेणेव असोगवरपायवे जेणेव पुढविसिलापट्टए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता ग्रहापडिरूवं उग्गहं उग्गिराहइ उग्गिरिहत्ता असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टगंसि पुरस्थाभिमुहे संपलिअंनिसन्ने संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरति] // सू० 1 // परिसा निग्गया जाव राया पज्जुवासइ [तए णं ग्रामलकप्पानयरीए सिंघाडग-तिय-चउक-चच्चर-चउम्मुह-महापहेसु बहुजणो अराणमराणं एवं श्राइक्खइ एवं भासेइ एवं पराणवेइ एवं परुवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया / समणे भगवं महावीरे जाव अागासगएणं छत्तेणं जाव संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरति, तं महाफलं खलु देवाणुप्पियाणं तहारूवाणं Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 77 अरहताणं नाम-गोयस्स वि सवणयाए किमंग पुण अभिगमण-वंदण-नमंसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए ? तं सेयं खलु एगस्स वि पारियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए ? तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं वंदामो णमंसामो सकारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासेमो, एयं तं इहभवे एमो र दिपाए सुहाए समाए सिरसपसाए प्राणुणमिलाए मरिसर, तए णं यामलकप्पाए नयरीए बहवे उग्गा उग्गपुत्ता भोगा भोगपुत्ता राइराणा राइराणपुत्ता खत्तिया खत्तियपुत्ता भडा भडपुत्ता जोहा जोहपुत्ता पसस्थारो मलाई मलइपुत्ता लेछई लेख्छइपुत्ता अराणे य बहवे राईसरतलवर-माडंबिय-कोडविय-इब्भ-सेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाहप्पभितयो अप्पेगइया वंदणवत्तियं अप्पेगइया पूयणवत्तियं एवं सकारवत्तियं सम्माणवत्तियं दंसणवत्तियं कोऊहलवत्तियं, अप्पेगइया अविणिच्छयहेउं-अस्सुयाई सुणेस्सामो सुयाई निस्संकियाइं करिस्सामो, अप्पेगइया अट्ठाई हेऊई कारणाई वागरणाई पुच्छिस्सामो, अप्पेगइया सव्वयो समंता मुडे भवित्ता अगारात्रो अणगारियं पव्वइस्सामो, पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवजिस्सामो, अप्पेगइया जिणभत्तिरागेणं अप्पेगइया 'जीयमेयं' ति कट्टु राहाया कयवलिकम्मा कयकोउय-मंगलपायच्छित्ता सिरसा कठे मालकडा पाविद्धमणिसुवराणा कप्पियहार-श्रद्धहार-तिसर-पालब-पलंबमाणकडिसुत्तय-कयसोहाभरणा पवरवत्थपरिहिया चंदणोलित्त-गायसरीरा, अप्पेगइया हयगया, एवं गयगया रहगया सिवियागया संदमाणियागया, अप्पेगइया पायविहारचारेणं पुरिसवग्गुरापरिक्खित्ता महया उकिट्ट-सीहणाय-बोलकलकलरवेणं पक्खुब्भिय-महासमुद्दरवभूयं पिव करेमाणा श्रामलकप्पाए नयरीए मझमझेणं णिग्गच्छंति णिग्गच्छित्ता जेणेव अंबसालवणे चेइए तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अदूरसामंते Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 78 ] | श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभाग छत्तादीए तित्थयराइसेसे पासंति पासित्ता जाण-वाहणाई ठवेंति उवित्ता जाण-वाहणेहिंतो पचोरहंति पच्चोरुहित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुतो अायाहिणपयाहिणं करेंति करित्ता वंदंति णमंसंति वंदित्ता गमस्सित्ता, णचासराणे णाइदूरे सुस्सूसमाणा णमंसमाणा अभिमुहा विणएणं पञ्जलिउडा पज्जुवासंति 1 / [तए णं से सेए राया नयणमालासहस्सेहिं पेच्छिजमाणे पेच्छिजमाणे जाव सा णं धारिणी देवी जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेष उवागच्छति उवागच्छित्ता जाव समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो श्रायाहिणपयाहिणं करेंति वंदति णमंसंति सेयरायं पुरायो कटु जाव विणएणं पञ्जलिकडायो प्रज्जुवासंति 2 / तए णं समणे भगवं महावीरे सेअस्स रगणो धारिणीए देवीए तीसे य महइमहालियाए परिसाए जाव धम्म परिकहेइ 3 / तए णं सा महइमहालिया मणूसपरिसा समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतिए धम्मं सोचा णिसम्म हट्टतुट्ठ जाव हियया जाव समणं भगवं महावीरं वंदित्ता एवं वयासी-सुक्खाए ते भंते ! निग्गंथे पावयणे जाव णस्थि णं अराणे केइ समणे वा माहणे वा जे एरिसं धम्मं श्राइविखत्तए किमङ्ग पुण एत्तो उत्तरतरं ? एवं वदित्ता जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगया 4 / तए णं से सेए राया सा धारिणी देवी समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतिए धम्म सोचा णिसम्म हट्टतुट्ट जाव हियया उट्ठाए उ8ति उद्वित्ता सुयक्खाए णं भंते ! निग्गंथे पावयणे एवं वदित्ता जामेव दिसि पाउन्भूयायो तामेव दिसिं पडिगयाओ] // सू० 10 // . ते काले णं ते णं समए णं सूरियाभे णामं देवे सोहम्मे कप्पे सूरियामे विमाणे सभाए सुहम्माए सूरियामंसि सिहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं, चउहिं अग्गमहिसीहि सपरिवाराहि, तिहिं परिसाहिं, सत्तहिं अणिएहि, सत्तहिं अणियाहिवईहिं, सोलसहिं थायरक्खदेव-साह. Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 79 श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् / स्सीहि, अन्नेहिं बहूहि सूरियाभविमाणवासीहिं वेमाणिएहिं देवेहि य देवीहि य सद्धिं संपरिबुडे महया अहय-नट्ट-गीय-वाइय-तंती-तल-ताल-तुडिय-घणमुइंग-पडप्पवादियरवेणं दिव्वाई भोगभोगाइं भुञ्जमाणे विहरति, इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं विउलेणं योहिणा याभोएमाणे श्राभोएमाणे पासति 3 // सू० 11 // तत्थ समणं भगवं महावीरं जंबूद्दीवे भारहे वासे ग्रामलकप्पाए नयरीए बहिया अंबसालवणे चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणं पासंति, पासित्ता हट्टतुट्ठचित्तमाणंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवस-विसप्पमाणहियए विकसिय-वरकमलणयणे पयलिय-वरकडग-तुडिय-केऊर-मउड-कुंडल-हारविरायंत-रइयवच्छे पालंब पलंबमाण-घोलंत-भूसणधरे ससंभमं तुरियं चवल सुरवरे सीहासणाश्रो अभुटेइ अभुट्टित्ता पायपीढायो पचोरहति पचोरुहित्ता पाउयाश्रो श्रोमुयइ अोमुयइत्ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेति करिना तित्थयराभिमुहे सत्तटुपयाई अणुगच्छइ अणुगच्छित्ता वामं जाणु अंचइ दाहिणं जाणु धरणितलंसि निहट्ट तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणितलंसि निमेइ निमित्ता ईसिं पच्चुन्नमइ पच्चुनमित्ता कडय-तुडियथं भियभुयायो साहरइ माहरित्ता करयलपरिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं वयासी॥ सू० 12 // नमोऽत्यु णं अरिहंताणं भगवंताणं श्रादिगराणं तित्थगराणं सयंसंबुद्धाणं पुरिसुत्तमाणं पुरिससीहाणं पुरिसवरपुराडरीयाणं पुरिसवरगंधहत्थीणं लोगुत्तमाणं लोगनाहाणं लोगहिश्राणं लोगपईवाणं लोगपजो. यगराणं अभयदयाणं चक्खुदयाणं मग्गदयाणं जीवदयाणं सरणदयाणं बोहिदयाणं धम्मदयाणं धम्मदेसयाणं धम्मनायगाणं धम्मसारहीणं धम्मवरचाउरंतचकवट्टीणं अप्पडिहय-वरनापदंसणधराणं वियट्टछउमाणं जिणाणं जावयाणं तिराणाणं तारयाणं बुद्धाणं बोहयाणं मुत्ताणं मोयगाणं सम्वन्नूणं सव्वदरिसीणं सिवं अयलं अख्यं श्रणंतं अक्खयं अव्वाबाहं अपुणरावत्तियं Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 80 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः सिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपत्ताणं // सू० 13 // नमोऽथु णं समणस्स भगवयो महावीरस्स. श्रादिगरस्स तित्थयरस्स जाव संपाविउकामस्स, वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इहगते, पासइ(उ) मे भगवं तत्थगते इहगतं ति कटु वदंति णमंसति वंदित्ता णमंसित्ता सीहासणवरगए पुव्वाभिमुहं सरािणसराणे // सू० 14 // तए णं तस्स सूरियाभस्स इमे एतारूवे अज्झस्थिते चिंतिते पत्थिते मनोगते संकप्पे समुपजित्था // सू० 15 / / सेयं खलु मे समणे भगवं महावीरे जंबद्दीवे दीवे भारहे वासे ग्रामलकप्पाए एयरीए बहिया अंबसालवणे चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता. संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति, तं महाफलं खलु तहारूवाणं भगवंताणं णामगोयस्स वि सवणयाए किमङ्ग पुण अभिगमण-वंदणणमंसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए ? एगस्स वि अारियस्त धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए. ? तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वंदामि णमंसामि सकारेमि सम्माणेमि कलाणं मंगलं चेतियं देवयं पज्जुवासामि, एयं मे पेच्चा हियाए सुहाए खमाए थिस्सेयसाए ग्राणुगामियत्ताए भविस्सति (तं सेय खलु मे समणं भगवं महावीरं वंदित्तए नमंसित्तए सकारित्तए सम्मणित्तए पज्जुवासित्तए)त्ति कटु एवं संपेहेइ, एवं संपेहित्ता भाभियोगे देवे सदावेइ सदावित्ता एवं वयासी॥ सू० 16 // एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे जंबूहीवे दीवे मारहे वासे यामलकप्पाए नयरीए बहिया ग्रंबसालवणे चेइए गृहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ 1 / तं.गच्छह णं तुमे देवाणुप्पिया ! जंबूद्दीवं दीवं भारहं वासं ग्रामलकप्पं णयरि अंबप्सालवणं चेइयं समणं भावं महावीरं तिक्खुत्तो श्रायाहिणपया. हिणं करेइ करेत्ता वंदह णमंसह वंदित्ता णमंसित्ता साइं साइं नामगोयाई साहेह साहित्ता समणस्स भगवश्रो महावीरस्स सव्वयो समंता जोयण Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ) .. परिमंडलं जं किंचि तणं वा कट्टवा कट्ठसगलं वा पत्तं वा कयवरं वा (सकरं वा) असुइं अचोक्खं वा पूइयं दुब्भिगंधं तं सव्वं बाहुणिय बाहुणिय एगते एडेह एडेत्ता णचोदगं णाइमट्टियं पविरलपप्फुसियं रयरेणुविणासणं दिव्वं सुरभिगंधोदयवासं वासह वासित्ता णिहयरयं ण?रयं भट्टरयं उवसंतरयं पसंतरयं करेह करित्ता कुसुमस्स जाणु(जराणु)स्सेहपमाणमित्तं श्रोहिं वासं वासह वासित्ता जलय-थलय-भासुरप्पभूयस्स विट्ठाइस्स दसद्धवराणस्स कालागुरु पवर-कुदुरुक-तुरुक-धूवमघमघंत-गंधुद्धयाभिरामं सुगंध-वरगंधियं गंधट्टिभूतं दिव्वं सुरवराभिगमणजोग्गं करेह कारवेह करित्ता य कारवेत्ता य खिप्पामेव एयमाणत्तियं पचप्पिणह 2 // सू० 17 // तए णं ते अाभियोगिया देवा सूरियाभेणं देवेणं एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ट जाब हियया करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्यए अंजलिं कटु “एवं देवो! तहत्ति प्राणाए' विणएणं वयणं पडिसुणंति, “एवं देवो तहत्ति प्राणाए' विणएणं वयणं पडिसुणेत्ता उत्तरपुरस्थिमं दिसिभागं अवकमंति, उत्तरपुरस्थिमं दिसिभागं अवकमित्ता वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहराणंति समोहणित्ता संखेजाई जोयणाई दंड निस्सिरंति, तंजहा-रयणाणं वयराणं वेरुलियाणं लोहियक्खाणं मसारगल्लाणं हंसगम्भाणं पुलगाणं(पुग्गलाणं) सोगंधियाणं जोईरसाणं अंजणाणं अंजणपुलगाणं रययाणं जायरूवाणं अंकाणं फलिहाणं रिट्ठाणं अहाबायरे पुग्गले परिसाडंति परिसाडित्ता ग्रहासुहुमे पुग्गले परियायंति परियाइत्ता दोच्चपि वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहराणंति समोह. णित्ता उत्तरवेउब्बियाई रूवाई विउव्वंति विउव्वित्ता ताए उकिट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए जवणाए सिग्याए उद्ध्याए दिव्वाए देवगईए तिरियं असंखेजाणं दीवसमुदाणं मझमज्झेणं वीईवयमाणे वीईवयमाणे जेणेव जंबुद्दीवे दीवे जेणेव भारहे वासे जेणेव अामलकप्पा णयरी जेणेव अंब Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 82 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पश्चमो विभागः सालवणे चेतिए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति, तेणेव उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो श्रायाहिणपयाहिणं करेंति वंदति नमसंति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासि-अम्हे णं भंते ! सूरियाभस्स देवस्स श्राभियोगा देवा देवाणुप्पियाणं वंदामो णमंसामो सकारेमो सम्माणेमो कलाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामो // सू० 18 // देवाइ समणे भगवं महावीरे ते देवे एवं वदासी-पोराणमेयं देवा ! जीयमेयं देवा ! किच्चमेयं देवा ! करणिजमेयं देवा ! श्राचिन्नमेयं देवा ! अब्भणुराणायमेयं देवा ! जं णं भवणवइ-वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया देवा अरहते भगवंते वंदंति नमसंति वंदित्ता नमंसित्ता तयो साइं साई णामगोयाइं साधिति तं पोराणमेयं देवा ! जाव अब्भणुराणायमेयं देवा ! // सू० 11 // तए णं ते अाभियोगिया देवा समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ट जाव हियया समणं भगवं महावीरं वदंति णमंसंति वंदित्ता णमंसित्ता उत्तरपुरस्थिमं दिसिभागं अवकमंति अवकमित्ता वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहराणंति समोहणित्ता संखेजाई जोयणाई दंडं निस्सिरंति 1 / तंजहा-रयणाणं जाव रिट्ठाणं अहाबायरे पोग्गले परिसाडंति अहाबायरे परिसाडित्ता दोच्चं पि वेउब्धियसमुग्घाएणं समोहराणंति समोहणित्ता संवट्टयवाए विउव्वंति 2 / से जहानामए भइयदारए सिया तरुणे बलवं जुगवं जुवाणे अप्पायंके (थिरसंघयणे) थिरग्गहत्थे (पडिपुराणपाणि) दढ-पाणिपाय-पिटुतरोरु(रुसंघाय)परिणए घण-निचिय-वट्ट-वलियखंधे चम्मेलुगदुघण-मुट्ठिय-समाहयगत्ते उरस्सबल-समन्नागए तल-जमल-जुयल(फलिह-निभ) बाहू लवण-पवण-जवण-पमहणसमत्थे छेए दक्खे पट्टे कुसले मेधावी णिउणसिप्पोवगए एगं महं सलागाहत्थगं वा दराडसंपुच्छणि वा वेणुसलागिगं वा गहाय रायङ्गणं वा रायंतेपुरं वा देवकुलं वा सभं वा पवं वा श्रारामं वा उजाणं वा अतुरियं अचवलं असंभंतं निरंतरं सुनिउणं Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 83 सव्वतो समंता संपमज्जेजा, एवामेव तेऽवि सूरियाभस्स देवस्स श्राभियोगिया देवा संवट्टयवाए विउव्वंति, विउवित्ता समणस्स भगवश्रो महावीरस्स सव्वतो समंता जोयणपरिमराडलं जं किंचि तणं वा पत्तं वा तहेब सव्वं बाहुणिय आहुणिय एगते एउंति एडित्ता खिप्पामेव उवसमंति // सू. 20 // दोच्चं पि वेउब्विय-समुग्घाएणं समोहराणंति, समोहणित्ता अब्भवदलए विउव्वंति 1 / से जहाणामए भइगदारगे सिया तरुणे जावसिप्पोवगए एगं महं दगवारगं वा दगकुम्भगं वा दगथालगं वा दगकलसगं वा गहाय श्रारामं वा जाव पवं वा अतुरियं जाव सव्वतो समंता श्रावरिसेजा 2 / एवामेव तेऽवि सूरियाभस्स देवस्स श्राभियोगिया देवा यभवदलए विउव्वंति विउवित्ता खिप्पामेव पतणतणायंति पतणतणाइत्ता खिप्पामेव विज्जुयायंति विज्जुयाइत्ता समणस्स भगवयो महावीरस्स सव्वश्रो समंता जोयणपरिमण्डलं णचोदगं णातिमट्टियं तं पविरलपप्फुसियं रयरेणुविणासणं दिव्वं सुरभिगंधोदगं वासं वासंति वासेत्ता णिहयरयं गट्ठरयं भट्टरयं उवसंतरयं पसंतरयं करेंति, करित्ता खिप्पामेव उवसामंति 3 // सू० 21 // तच्चं पि वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहराणंति पुप्फवद्दलए विउव्वंति 1 / से जहाणामए मालागारदारए सिया तरुणे जाव सिप्पोवगए एगं महं पुष्फजियं वा पुष्फपडलगं वा पुप्फचंगेरियं वा गहाय रायङ्गणं वा जाव सब्बतो समंता कयग्गह-गहिय-करयल-प-भट्ठ-विप्पमुक्केणं दसद्धवन्नेणं कुसुमेणं मुक–पुष्फपुजोवयारकलितं करेजा, एवामेव ते सूरियाभस्स देवस्स श्राभियोगिया देवा पुष्फवद्दलए विउव्वंति खिप्पामेव पतणतणायंति जाव जोयणपरिमण्डलं जलय-थलय-भासुरप्पभूयस्स बिटट्ठाइस्स दसद्भवनकुसुमस्स जाणुस्सेहपमाणमेतिं श्रोहिं वासंति वासित्ता कालागुरुपवर-कुंदुरुक-तुरुक-धूवमघमघंत-गंधुद्धयाभिरामं सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूतं दिव्वं सुरवराभिगमणजोग्गं करेंति य कारति य करेत्ता य कारवेत्ता य Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 84.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : पञ्चमो विभागः खिप्पामेव उवसामंति 2 // सू० 22 // जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति तेणेव उवागच्छित्ता समणं, भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव वंदित्ता नमंसित्ता समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतियातो अम्बसालवणातो चेइयातो पडिनिक्खमंति पडिनिक्खमित्ता ताए उकिट्ठाए जाव वीइवयमाणा वीइवयमाणा जेणेव सोहम्मे कप्पे जेणेव सूरियाभे विमाणे जेणेव सभा सुहम्मा जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छंति सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अञ्जलि कटु जएणं विजएणं वद्धावेंति वद्धावेत्ता तमाणत्तियं पचप्पिणंति // सू० 23 // तए णं से सूरियाभे देवे तेसिं थाभियोगियाणं देवाणं अंतिए एयमढे सोचा निसम्म हट्टतुट्ठ जाव हियए पायवाणियाहिवइं देवं सद्दावेति सहावेत्ता एवं वदासी-खिप्पामेव भो ! देवाणुप्पिया ! सूरियाभे विमाणे सभाए सुहम्माए मेघोघ-रसिय गंभीरमहुरसद जोयणपरिमण्डलं सूसरं (सुस्सरं) घंटं तिक्खुत्तो उल्लालेमाणे 'उल्लालेमाणे महया महया सणं उग्घोसेमाणे उग्घोसेमाणे एवं वयाहि आणवेति णं भो! सूरिया देवे गच्छति णं भो ! सुरियामे देवे जंवूद्दीवे दीवे भोरहे वासे श्रामलकप्पाए णयरीए अंबसालवणे चेतिते समणं भगवं महावीरं अभिवंदए, तुब्भेऽवि णं भो! देवाणुप्पिया ! सविड्डीए सव्वजुईए सव्वबलेणं सव्वसमुदएणं सव्वायरेणं सव्वविभूइए सव्वविभूसाए सव्वसंभमेणं सब्वपुष्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारेणं सव्व-दिव्व-तुडिय-सद्दसंनिनाएणं महयाए इड्डीए महयाए जुईए महया वर-तुडिय-जमगसमगपडुपुरुसपवाइयरवेणं सङ्ख-पणव-पडह-भेरि-झलरि खरमुहि-हुडुक-मुरजमुइंग-दु'दुहिनिग्घोस-नाइतरवेण णियगपरिवालसद्धिं संपरिबुडा साति सातिं जाणविमाणाई दुरूढा समाणा अकालपरिहीणं चेव सूरियाभस्स देवस्स अंतिए पाउब्भवह // सू० 24 // तए णं से पायत्ताणियाहिवती देवे सुरियाभेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे हट्टतुटु जोव हियए-एवं देवो ! तहत्ति Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] ... [ 85 आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेति पडिसुणित्ता जेणेव सूरियाभे विमाणे जेणेव सभा सुहम्मा जेणेव मेघोघ-रसिय गम्भीरमहुरसदा जोयणपरिमराडला सुस्सरा घंटा तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता तं मेघोघ-रसित-गम्भीरमहुरसह जोयणपरिममंडलं सुसरं घंटं तिक्खुत्तो उल्लालेति 1 / तए णं तीसे मेघोघ-रसित-गंभीर-महुरसहाए जोयणपरिमंडलाए सुसराए घटाए तिक्खुत्तो उल्लालियाए समाणीए से सूरियाभे विमाणे पासाय-विमाण-णिक्खुडावडिय. सद्द-घंटापडिसुया-सयसहस्ससंकुले जाए यावि होत्था 2 // सू० 25 / / तए णं तेसिं सूरियाभविमाणवासिणं बहणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य एगंतरइ-पसत्तनिचप्पमत्त-विसयसुहमुच्छियाणं सुसर-घंटारव-विउल-बोलतुरिय-चवलपडिबोहणे कए समाणे घोसण-कोउहल-दिन्नकन्नएगग्गचित्तउवउत्त-माणसाणं से पायत्ताणीयाहिवई देवे तंसि घंटारवंसि णिसंतपसंतसि महया महया सद्दणं उग्घोसेमाणे उग्घोसेमाणे एवं वदासी-हंद सुगंतु भवंतो सूरियाभविमाणवासिणो बहवे वेमाणिया देवा य देवीयो य सूरियाभविमाणवइणो वयणं हियसुहत्थं-(प्राणावणिय) श्राणवेइ णं भो ! सूरियामे देवे, गच्छइ णं भो ! सूरियाभे देवे जंबूद्दीवं दीवं भारहं वासं श्रामलकप्पं नयरीं अंबसालवणं चेइयं समणं भगवं महावीरं अभिवंदएं, तं तुब्भेऽवि णं देवाणुप्पिया ! सबिड्डीए अकालपरिहीणा चेव सूरियाभस्स देवस्स अंतियं पाउम्भवह // सू० 26 // तए णं ते सूरियाभविमाणवासिणो बहवे वेमाणिया देवा देवीयो य पायत्ताणियाहिवइस्स देवस्स अंतिए एयम8 सोचा णिसम्म हट्टतुट्ठ जाव हियया अप्पेगइया वंदणवत्तियाए अप्पेगइया पूयणवत्तियाए अप्पेगइया सकारवत्तियाए अप्पेगइया संमाणवर्तियाए अप्पेगइया कोऊहल-जिणभत्तिरागेणं अप्पेगइया सूरियाभस्स देवस्स वयणमणुयत्ते(मणुमन्ने)माणा अप्पेगइया अस्सुयांई सुणेस्सामो अप्पेगइया सुयाई निस्संकियाई करिस्सामो अप्पेगतिया अन्नमन्नमणुयत्तमाणा अप्पेगइया जिण Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 86 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पश्चमो विभागः भत्तिरागेणं अप्पेगइया धम्मोत्ति अप्पेगइया जीयमेयंति कटु सब्विहीए जाव अकालपरिहीणा चेव सूरियाभस्स देवस्स अंतियं पाउब्भवंति ॥सू. 27 // ____तए णं से सूरियामे देवे ते सूरियाभ-विमाणवासिणो बहवे वेमाणिया देवा य देवीयो य अकालपरिहीणा चेव अंतियं पाउब्भवमाणे पासति पासित्ता हट्टतुट्ठ जाव हियए अाभियोगियं देवं सद्दावेति सदावित्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो ! देवाणुप्पिया ! अणेग-खम्भ-सयसंनिविट्ठ लीलट्ठिय-सालभंजियागं ईहामिय-उसभ-तुरग-नर-मगर-विहग-बालगकिनर-रुरु-सरभ-चमर-कुञ्जर-वणलय--पउमलयभत्तिचित्तं खंभुग्गयवइर-वेइयापरिगयाभिरामं विजाहर-जमल-जुयल-जंतजुत्तं पिव अची-सहस्समालणीयं ख्वगसहस्सकलियं भिसमाणं भिन्भिसमाणं चक्खुल्लोयणलेसं सुहफासं सस्सिरीयरूवं घराटावलि-चलिय-महुर-मणहरसरं सुहं कंतं दरिसणिज्जं णिउण उचिय-मिसिमिसिंत-मणिरयण-घण्टियाजालपरिक्खित्तं जोयण-सयसहस्सवित्थिराणं दिव्वं गमणसज्ज सिग्घगमणं णाम जाणविमाणं विउव्वाहि, विउब्वित्ता खिप्पामेव एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणाहि // सू० 28 // तए णं से अाभियोगिए देवे सूरियाभेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे हटे जाव-हियए करयलपरिग्गहियं जाव पडिसुणेइ जाव पडिसुणेत्ता उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं श्रवक्कमति अवकमित्ता वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणइ समोहणित्ता संखेजाइं जोयणाई जाव अहाबायरे पोग्गले. परिसाउंति परिसाडित्ता अहासुहमे पोग्गले परियाएइ परियाइत्ता दोच्चं पि वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहाणत्ता अणेग-खम्भ-सयसन्निविट्ठ जाव दिव्वं जाणविमाणं विउविउं पवत्ते यावि होत्था // सू० 21 // तए णं से अाभियोगिए देवे तस्स दिव्वस्स जाणविमाणस्स तिदिसि तिसोवाणपडिरूवए विउव्वति, तंजहापुरथिमेणं दाहिणेणं उत्तरेणं, तेसि तिसोवाणपडिरूवगाणं इमे एयारूवे वराणावासे पराणत्ते, तंजहा-वइरामया णिम्मा रिट्ठामया पतिट्ठाणा वेरुलिया Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम्] मया खंभा सुवरणरुप्पमया फलगा लोहितक्खमइयायो सूइयो वयरामया संधी णाणामणिमया अवलंबणा अवलंबणबाहायो य पासादीया जाव पडिरूवा // सू० 30 // तेसि णं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरो पत्तेयं पत्तेयं तोरणं पराणत्तं, तेसि णं तोरणाणं इमे एयारूवे वराणावासे पराणत्ते, तंजहातोरणा णाणामणिमया णाणामणिमएसु थंभेसु उवनिविट्ठ-संनिविट्ठा विविहमुतंतराख्वोवचिया विविह-ताराख्वोवचिया जाव पडिरूवा // सू० 31 // तेसि णं तोरणाणं उप्पिं अट्ठमंगलगा पराणत्ता, तंजहा-सोत्थिय-सिरिवच्छ-णंदियावत्त-वद्धमाणग-भदासण-कलस-मच्छ-दप्पणा जाव पडिरूवा / तेसिं चणं तोरणाणं उप्पिं बहवे किराहचामरज्या जाव सुकिलचामरज्या अच्छा सराहा रुप्पपट्टा वइरदंडा जलयामलगंधिया सुरम्मा पासादीया दरिसणिजा अभिरुवा पडिरूवा विउधति 1 / तेसिं णं तोरणाणं उप्पि बहवे छत्तातिछत्ते पडागाइपडागे घंटाजुगले उप्पलहत्थए कुमुद-णलिण-सुभगसोगंधिय-पोंडरीय-महापोंडरीय-सतपत्त-सहस्सपत्तहत्थए सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे विउव्वति 2 // सू० 32 // तए णं से अाभियोगिए देवे तस्स दिव्वस्त जाणविमाणस्स अंतो बहुसमरमणिज्जं भूमिभागं विउव्वति 1 / से जहाणामए प्रालिंगपुक्खरे ति वा मुइंगपुक्खरे इ वा परिपुराणे सरतले इ वा करतले इ वा चंदमंडले इ वा सूरमंडले इ वा पायंसमंडले इ वा उब्भचम्मे इ वा वसहचम्मे इ वा वराहचम्मे इ वा सीहचम्मे इ वा वग्घचम्मे इवा छगलचम्मे इवा दीवियचम्मे इ वा अणेग-संकु-कीलग-सहस्सवितते णाणाविहपंचवन्नेहिं मणीहिं उवसोभिते आवड-पच्चावड-सेढिपसेढिसोत्थिय-सोवत्थिय-पूसमाणव-वद्धमाणग-मच्छंडग-मगरंडग-जार-मारफुल्लावलि-पउमपत्त-सागरतरंग-वसंतलय-पउमलयभत्तिचित्तेहिं सच्छाएहिं सप्पभेहिं समरीइएहिं सउजोएहिं णाणाविहपंचवराणेहिं मणीहिं उवसोभिए तंजहा-किराहेहिं णीलेहिं लोहिएहिं हालिदेहिं सुकिलेहिं 2 // सू०३३ // Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 88 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः तत्थ णं जे ते किराहा मणी तेसिं णं मणीणं इमे एतारूवे वरणावासे पराणत्ते, से जहानामए जीभूतए इ वा अंजणे इ वा खंजणे इ वा कजले इ वा मसी इ वा मसीगुलिया इ वा गवले इ वा गवलगुलिया इ वा भमरे इ वा भमरावलिया इ वा भमरपतंगसारे ति वा जंबूफले ति वा अद्दारिटे इ वा परपुढे इ वा गए इ वा गयकलभे इ वा किराहसप्पे इ वा किराहकेसरे इ वा अागासथिग्गले इ वा किराहासोए इ वा किराहकणवीरे इ वा किराहबंधुजीवे इ वा, भवे एयारूवे सिया ? णो इण? समढे, योवम्मं समणाउसो! ते णं किराहा मणी इत्तो इट्टतराए चेव कंततराए चेव मणुराणतराए चेव मणामतराए चेव वराणेणं पराणत्ता॥सू० ३४॥तस्थ णं जे ते नीला मणी तेसि णं मणीणं इमे एयारूवे वराणावासे पराणत्ते, से जहानामए भिगे इ वा भिंगपत्ते इ वा सुए इ. वा सुयपिच्छे इ वा चासे इ वा चासपिच्छे इ वा णीली इ वा णीलीभेदे इ वा णीलीगुलिया इ वा सामाए इ वा उच्चंतगे इ वा वणराती इ वा हलघरवसणे इ वा मोरग्गीवा इ वा पारेवयग्गीवा इ.वा श्रयसिकुसुमे इ वा बाणकुसुमे इ वा अंजणकेसियाकुसुमे इ वा नीलुप्पले इ वा णीलासोगे इ वा णीलकणवीरे इ वा णीलबंधुजीवे इवा, भवे एयारूवे सिया ? णो इण? सम?, ते णं णीला मणी एत्तो इट्टतराए चेव जाव वराणेणं पराणत्ता // सू० 35 // तत्थ णं जे ते लोहियगा मणी तेसि णं मणीणं इमेयारूवे वराणावासे पराणने, से जहाणामए ससरुहिरे इ वा उरभरुहिरे इ वा (नररुहिरे वा) वराहरुहिरे इ वा मणुस्सरुहिरे इ वा महिसरुहिरे इ वा बालिंदगोवे इ वा बालदिवाकरे इ वा संझन्भरागे इ वा गुंजद्धरागे इ वा जासुत्रणकुसुमे इ वा किंसुयकुसुमे इ वा पालियायकुसुमे इ वा जाइहिंगुलए ति वा सिलप्पवाले ति वा पवालग्रंकुरे इ वा लोहियक्खमणी इ वा लक्खारसगे ति वा किमिरागकंबले ति वा चीणपिट्ठरासी ति वा रतुप्पले इ वा रत्तासोगे ति वा रत्तकणवीरे ति वा रत्तवंधुजीवे तिवा, भवे एयारूवे सिया ? Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 86 श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् : सूर्याभः 1 ] णो इण? सम?, ते णं लोहिया मणी इत्तो इट्टतरार चेव जाव वराणेणं पराणत्ता ॥सू. 36 // तत्थ णं जे ते हालिदा मणी तेसि णं मणीणं इमेयारूवे वराणावासे पराणत्ते-से जहाणामए चंपए ति वा चंपकल्ली ति वा चंपगभेए इ वा हलिदा इ वा हलिदाभेदे ति वा हलिदागुलिया ति वा हरियालिया वा हरियालभेदे ति वा हरियालगुलिया ति वा चिउरे इ वा चिउरंगराते ति वा (वरकणगे वा) वरकणगनिघसे इ वा वरपुरिसवसणे ति वा अल्लकीकुसुमे ति वा चंपाकुसुमे इ वा कुहंडियाकुसुमे इ वा कोरंटकमलदामे ति वा तडवडाकुसुमे इ वा घोसेडियाकुसुमे इ वा सुवरणजूहियाकुसुमे इ वा सुहिरगणकुसुमे ति वा बीययकुसुमे इ वा पीयासोगे ति वा पीयकणवीरे ति वा पीयबंधुजीवे ति वा, भवे एयारूवे सिया ? णो इण? समठे, ते णं हालिदा मणी एतो इट्टतराए चेव जाव वराणेणं पराणत्ता॥सू० 37 // तत्थ णं जे ते सुकिल्ला मणी तेसि णं मणीणं इमे यारूवे वराणावासे पराणात्ते, से जहानामए अंके ति वा संखे ति वा चन्दे ति वा कुमुद-उदक-दयरय-दहि-घणक्खीर-(गो)वखीरपूरे ति वा कोंचावली ति वा हारावली ति वा हंसावली इ वा बलागावली ति वा, चंदावली ति वा सारतियबलाहए ति वा धंतधोयरुप्पपट्टे इ वा सालिपिट्ठरासी ति वा कुंदपुप्फरासी ति वा कुमुदरासी ति वा सुक्कच्छिवाडी ति वा पिहुणभिजिया ति वा भिसे ति वा मुणालिया ति वा गयदंते ति वा लवंगदलए ति वा पोंडरियदलए ति वा सेयासोगे ति वा सेयकणवीरे ति वा सेयबंधुजीवे ति वा, भवे एयारूवे सिया ? णो इण? समढे, ते | सुकिला मणी एत्तो इट्टतराए चेव जाव वन्नेणं पराणत्ता // सू० 38 // तेसि णं मणीणं इमेयारूवे गंधे पराणत्ते, से जहानामए कोट्ठपुडाण वा तगरपुडाण वा एलापुडाण वा चोयपुडाण वा चंपापुडाण वा दमणापुडाण वा कुंकुमपुडाण वा चंदणपुडाण वा उसीरपुडाण वा मरुयापुडाण वा Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 90 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः जातिपुडा वा जूहियापुडाण वा मल्लियापुडाण वा राहाणमल्लियापुडाण वा केतगिपुडाण वा पाडलिपुडाण वा णोमालियापुडाण वा अगुरुपुडाण वा लवंगपुडाण वा वासपुडाण वा कप्पूरपुडाण वा अणुवायंसि वा श्रोभिजमाणाण वा कुट्टिजमाणाण वा भंजिजमाणाण वा उकिरिजमाणाण वा विकिरिजमाणाण वा परिभुजमाणाण वा (परिभाइजमाणाण वा) भंडायो वा भंडं साहरिजमाणाण वा थोराला मणुराणा मणहरा घाणमणनिव्वुतिकरा सव्वतो समंता गंधा अभिनिस्सरंति भवे एयारूवे सिया ? णो इण? सम?, ते णं मणी एत्तो इट्टतराए चेव गंधेणं पन्नत्ता // सू० 31 // तेसि णं मणीण इमेयारूवे फासे पराणत्ते, से जहानामए प्राइणे ति वा रूए ति वा बूरे इ वा णवणीए इ वा हंसगब्भतूलिया इवासिरीसकुसुमनिचये इवा बालकुमुदपत्तरासी ति वा भवे एयारूवे सिया ? णो इण? सम?, ते णं मणी एत्तो इट्टतराए चेव जाव फासेणं पन्नत्ता॥ सू० 40 // ..तए णं से अाभियोगिए देवे तस्स दिव्वस्स जाणविमाणस्स बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं महं पिच्छाघरमंडवं विउव्वइ अणेगखंभसयसंनिविट्ठ अभुग्गय-मुकय-वरवेइया-तोरणवर-रइय-सालभंजियागं सुसिलिट्ठ-विसिट्ठलट्ठ संठिय-पसत्थ-वेरुलिय-विमलखंभ णाणामणि-(कणगरयण)खचिय-उज्जलबहुसम-सुविभत्त-भूमिभागं ईहामिय-उसभ तुरग-नर-मगर-विहग-वालगकिनर-रुरु-सरभ-चमर-कुञ्जर-वणलय-पउमलयभत्तिचित्तं खम्भुग्गय-वइरवेइया-परिगयाभिरामं विज्जाहर-जमल-जुयल-जंतजुत्तं पिव अच्चीसहस्समालणीयं स्वगसहस्सकलियं भिसमाणं भिब्भिसमाणं चक्खुल्लोयणलेसं सुहफासं सस्सिरीयरूवं कंचण-मणि-रयण-थूभियागं णाणाविह-पंचवराण-घण्टा-पडागपरिमण्डियग्गसिहरं चवलं मरीतिकवयं विणिम्मयंतं लाइय-उल्लोइयमहियं गोसीस-सरस रत्तचंदण-दहर-दिन्न-पंचंगुलितलं उवचिय-चंदणकलसं चंदण Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् : सूर्याभः 1 ] [ 91 घड-सुक्य-तोरण-पडिदुवार-देसभागं अासत्तोसत्त-विउल-बट्ट-वग्धारिय-मल्लदामकलावं पंचवराण-सरस-सुरभि-मुक्क-पुष्फ-पुंजोवयारकलियं कालागुरु-पवरकुंदरुक-तुरुक-धूवमघमघंत-गंधुद्धयाभिरामं सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूतं श्रच्छरगण संघ-संविकिराणं दिव्व-तुडिय-सहसंपणाइयं अच्छं जाव पडिरूवं 1 / तस्म णं पिच्छाघरमंडवस्स अंतो बहुसमरमणिजभूमिभागं विउव्वति जाव मणीणं फासो 2 / तस्स णं पेच्छाघरमंडवस्स उल्लोयं विउव्वति पउमलयभत्तिचित्तं जाव पडिरूवं 3 // सू० 41 // तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमझदेसभाए एत्थ णं एगं महं वइरामयं अक्खाडगं विउव्वति 1 / तस्स णं अक्खाडयस्स बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं महेगं मणिपेटियं विउव्यति अट्ट जोयणाई यायामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमयं अच्छं सराहं जाव पडिरूवं 2 / तीसे णं मणिपेढियाए उवरि एत्थ णं महेगं सीहासणं विउव्वइ, तस्स णं सीहासणस्स इमेयाख्वे वराणावासे पराणत्ते-तवणिज्जमया चक्कला रययामया सीहा सोवरिणया पाया णाणामणिमयाई पायसीसगाई जंबूणयमयाई गत्ताइं वइरामया संधी णाणामणिमये वेच्चे से णं सीहासणे ईहामिय-उसम-तुरग-नर-मगर-विहगवालग-किन्नर-रुरु-सरभ-चमर-कुञ्जर-वणलय-पउमलयभत्तिचित्तं ससारसारोवचिय-मणिरयण-पायवीढे अत्थरग-मिउ-मसूरग-णवतय-कुसंत-लिंबकेसरपञ्चत्थुयाभिरामे आईणग-रूय-बूर-णवणीय तूल फासमउए सुविरइयरयत्ताणे उवचिय-खोम-दुगुल्लपट्ट-पडिच्छायणे रत्तंसुअसंवुडे सुरम्मे पासाइए दरिसणिज्जे अभिरुवे पडिरूवे 3 // सू० 42 // तस्स णं सीहासणस्स उवरि एत्थ णं महेगं विजयदूसं विउव्वंति, संख-कुंद-दगरय-अमयमहियफेण-पुजसंनिगासंसव्वरयणामयं अच्छं सराहं पासादीयं दरिसणिज्जं अभिरुवं पडिरूवं 1 / तस्त णं सीहासणस्म उवरि विजयदूसस्स य बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं महं एमं वयरामयं अंकुसं विउव्वंति, तस्सिं च णं वयरामयंसि अंकुसंसि कुंभिक्कं Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः मुत्तादामं विउव्वंति 2 / से णं कुभिक्के मुत्तादामे अन्नेहिं चरहिं अद्धकुभिक्केहिं मुत्तादामेहिं तदद्धचत्तपमाणेहिं सव्वश्रो समंता संपरिखित्ते 3 / ते णं दामा तवणिज्जलंबूसगा ( सुवराण-पयरग-मंडियग्गा ) णाणामणिरयण-विविह-हारद्रहार-उवसोभियसमुदाया ईसिं अराणमराणमसंपत्ता वाएहिं पुवावर-दाहिणुत्तरागएहिं मंदायं मंदायं एजमाणाणि एजमाणाणि पलंबमाणाणि (वजमाणाणि, पझ्झमाणाणि, पझझमामाणि, पडंडमाणाणि, पभक्खमाणाणि) पलंबमाणाणि वदमाणाणि वदमाणाणि उरालेणं मगुन्नेणं मणहरेणं कराण-मणणिव्युतिकरेणं सहणं ते पएसे सव्वश्रो समंता अापरेमाणा श्रापूरमाणा सिरीए अतीव अतीव उवसोभेमाणा उपसोभेमाणा चिट्ठति // सू० 43 // तए णं से भाभियोगिए देवे तस्स सीहासणस्स अवरुत्तरेणं उत्तरेण उत्तरपुरथिमेणं एत्य णं सूरिश्राभस्स देवस्स चउराहं सामाणियसाहस्सीणं चत्तारि भदासणसाहस्सीयो विउव्वइ 1 / तस्स णं सीहासमास्स पुरिस्थमेणं एत्य णं सूरियाभस्स देवस्स चउराहं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं चत्तारि भदासणसाहस्सीयो विउव्वइ 2 / तस्स णं सीहासणस्स दाहिणपुरस्थिमेणं एत्थ णं सूरियाभस्त देवस्स अभितरपरिसाए अट्टराहं देवमाहस्सीणं अट्ठ भदासणसाहस्सीयो विउब्बइ 3 / एवं दाहिणेणं मज्झिमपरिसाए दसराहं देवसाहस्सीणं दस भदासणसाहस्सीयो विउव्वति दाहिणपञ्चत्थिमेणं बाहिरपरिसाए बारसगहं देवसाहस्सीणं बारस भदासणसाहस्सीयो विउव्वति पञ्चस्थिमेणं सत्तराहं अणियाहिवतीणं सत्त भद्दासणे विउव्वति 4 / तस्स णं सीहासणस्स उदिसि एत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स सोलसराहं यायरक्खदेवसाहस्सीणं सोलस भद्दासणसाहस्सीयो विउव्वति, तंजहापुरस्थिमेणं चत्तारि साहस्सीयो दाहिणेणं चत्तारि साहस्तीयो पचत्थिमेणं चत्तारि साइस्सीयो उत्तरेण चत्तारि साहस्सीयो 5 // सू० 44 // Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् : सूर्याश्रः 1 ] [ 93 तस्स दिव्वस्स जाणविमाणस्स इमेयाख्वे वराणावासे पराणत्ते, से जहानामए अइरुग्गयस्त वा हेमंतियवालियसूरियस्स वा खयरिंगालाण वा रत्ति पजलियाण वा जवाकुसुमवणस्स वा किंसुयवणस्स वा पारियायवणस्स वा सव्वतो समंता संकुसुमियस्स 1 / भवे एयारूवे सिया ? णो इण? सम8, तस्स णं दिबस्स जाणविमाणस्स एत्तो इट्टतराए चेव जाव वराणेणं पराणत्ते 2 / गंधो य.फ़ासो य जहा मणीणं 3 / तए णं से अाभियोगिए देवे दिव्वं जाणविमाणं विउब्बइ विउवित्ता जेणेव सूरियामे देवे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सूरियामं देवं करयलपरिग्गहियं जाव पञ्चप्पिणंति 4 // सू० 45 // तए णं से सूरियाभे देवे अाभियोगस्स देवस्स अंतिए एयमट्ठसोचा निसम्म हट्टतुट्ठ जाव हियए दिव्वं जिणिदाभिगमणजोग्गं उत्तरवेउबियरूवं विउव्वति विउव्वित्ता उहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं दोहिं अणीएहिं, तंजहा-गंधवाणीएण य णट्टाणीएण य सद्धिं संपरिबुडे तं दिव्वं जाणविमाणं अणुपयाहिणीकरेमाणे पुरथिमिल्लेणं तिसोमाणपडिरूवएणं दुरूहति दुरूहित्ता जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सीहासणवरगए पुरस्थाभिमुहे सगिणसराणे 1 / तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स चत्तारि सामाणियसाहस्सीयो तं दिव्वं जाणविमाणं अणुपयाहिणीकरेमाणा उत्तरिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं दुरूहंति दुरूहित्ता पत्तयं पत्तयं पुवणत्थेहिं भद्दासणेहिं णिसीयंति 2 / अवसेसा देवा य देवीयो य तं दिव्वं जाणविमाणं जाव दाहिणिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं दुरूहति दुरूहित्ता पत्तेयं पत्तेयं पुव्वणत्थेहिं भदासणेहिं निसीयंति 3 // सू० 46 // तए णं तस्स. सूरियाभस्स देवस्स तं दिवं जाणविमाणं दुरूढस्स समाणस्स अट्ट अट्ठ मङ्गलगा पुरतो अहाणुपुव्वीए संपत्थिता, तंजहा-सोत्थिय सिरिवच्छ जाव दप्पणा 1 / तयणंतरं च णं पुराणकलसभिंगार दिव्वा य छत्तपडागा सचामरा दंसणरतिया अालोय-दरिसणिजा Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 94 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः वाउधुय-विजय-वेजयंतीपडागा ऊसिया गगण-तल-मणुलिहंती पुरतो अहाणुपुव्वीए संपत्थिया 2 / तयणंतरं च णं वेरुलिय-भिसंतविमलदंड पलंब-कोरंट-मल्लदामोवसोभितं चंदमंडलनिभं -समुस्सियं विमलमायवत्तं पवरसीहासणं च मणिरयणभत्तिचित्तं सपायपीटं सपाउयाजोयसमाउत्तं बहुकिंकरामरपरिग्गहियं पुरतो ग्रहाणुपुब्बीए संपत्थियं 3 / तयणंतरं च णं वइरामय-बट्ट लट्ठ-संठिय-सुसिलिट्ठ-परिघट्ट-मट्ठ-सुपतिट्ठिए विसि? अणेग-वरपंचवण्ण-कुडभी-सहस्सुस्सिए परिमंडियाभिरामें वाउद्घय-विजय वेजयंती-पडाग-च्छत्तातिच्छत्तकलिते तुगे गगणतल-मणुलिहंतसिहरे जोश्रण-सहस्समूसिए महतिमहालए * महिंदज्झए पुरतो यहाणुपुव्वीए संपत्थिए 4 / तयणंतरं च णं सुरूव-णेवत्थ-परिकच्छिया सुसज्जा सव्वालंकारभूसिया महया भडचडगर-पहगरेणं(पञ्चाणीयाए) पंच श्रणीयाहिवईणो पुरतो अहाणुपुवीए संपत्थिया 5 / (तयणंतरं च णं बहवे अाभित्रोगिया देवा देवीयो य सरहिं सएहिं रूवेहि, सरहिं सरहिं विसेसेहि, सएहिं सएहिं विदेहि, सएहि सएहिं रोजाएहिं, सएहिं सएहिं णेवत्थेहिं पुरतो अहाणुपुबीए संपत्थिया) तयणंतरं च णं सूरियाभविमाणवासिणो बहवे वेमाणिया देवा य देवीयो य सबिड्डीए जाव रवेणं सूरियाभं देवं पुरतो पासतो य मग्गतो य समणुगच्छंति 6 // सू० 47 // तए णं से सूरियाभे देवे तेणं पञ्चाणीयपरिक्खित्तेणं वइरामय-वट्टलट्ठ संठिषण जाव जोयणसहस्समसिएणं महतिमहालतेणं महिंदज्झएणं पुरतो कड्डि. जमाणेणं चउहिं सामाणियसहस्सेहिं जाव सोलसहि अायरवखदेवसाहस्सीहिं अन्नेहि य बहूहिं सूरियाभविमाणवासीहिं वेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि य सद्धिं संपरिबुडे सब्विड्डीए जाव रवेणं सोधम्मस्स कप्पस्स मज्झमज्झेणं तं दिव्वं देविढि दिव्वं देवजुतिं दिव्यं देवाणुभावं उवलालेमाणे उवलालेमाणे उवदंसेमाणे उवदंसेमाणे पडिजागरेमाणे पडिजागरेमाणे जेणेव सोहम्मस्स कप्पस्स Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम्.: सूर्याभः 1 ] [ 95 उत्तरिल्ले णिजाणमग्गे तेणेव उवागच्छति, जोयणसयसाहस्सितेहिं विग्गहेहिं श्रोवयमाणे वीतीवयमाणे ताए उकिट्ठाए जाव तिरियं असंखिजाणं दीवसमुदाणं मझमझेणं वीइवयमाणे वीइवयमाणे जेणेव नंदीसरवरे दीवे जेणेव दाहिणपुरस्थिभिल्ले रतिकरपवते तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता तं दिव्वं देविढि जाव दिव्वं देवाणुभावं पडिसाहरेमाणे परिसाहरेमाणे पडिसंखेवेमाणे पडिसंखेवेमाणे जेणेव जम्बूद्दीवे दीवे जेणेव भारहे वासे जेणेव श्रामलकप्पा नयरी जेणेव अंबसालवणे चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समणं भगवंतं महावीरं तेणं दिवेणं जाणविमाणेणं तिक्खुत्तो श्रायाहिणं-पयाहिणं करेइ करित्ता समणस्स भगवतो महावीरस्स उत्तरपुरस्थिमे दिसिभागे तं दिव् जाणविमाणं ईसिं चउरंगुलमसंपत्तं घरणितलंसि ठवेइ ठवित्ता चरहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं दोहिं अणीयाहिं तंजहा-गंधवाणिएण य णट्टाणिएण य सद्धिं संपरिवुडे तायो दिव्वाश्रो जाणविमाणाश्रो पुरथिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरहति 1 / तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स चत्तारि सामाणियसाहस्सीयो तायो दिव्वाश्रो जाणविमाणायो उत्तरिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पचोरुहति, अवसेसा देवा य देवीयो य तायो दिव्वाश्रो जाणविमाणाश्रो दाहिणिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पञ्चोरुहंति 2 / / सू० 48 // तए णं से सूरियाभे देवे चउहिं श्रग्गमहिसीहिं जाव सोलसहिं पायरक्खदेवसाहस्सीहिं अराणेहि य बहूहिं सूरियाभविमाणवासीहिं वेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि य सद्धिं संपरिवुडे सब्विड्डीए जाव णादितरवेणं जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता समणं भगवंतं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेति करित्ता वंदति नमंसति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-अहं णं भंते ! सूरियाभे देवे देवाणुप्पियाणं वंदामि नमसामि जाव पज्जुवासामि // सू० 41 // Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 66] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // पञ्चमो विभागः -- सूरियाभाइ समणे भगवं महावीरे सूरियाभं देवं एवं वयासी-पोराणमेयं सूरियामा ! जीयमेयं सूरियामा ! किच्चमेयं सूरियामा ! करणिजमेयं सूरियामा ! थाइराणमेयं सूरियामा ! अब्भणुराणायमेयं सूरियामा ! जं णं भवणवइ-वाणमंतर-जोइस-वेमाणिया देवा अरहते भगवते वदंति नमसंति वंदित्ता नमंसित्ता तो पच्छा साइं साई नाम-गोत्ताई साहिति, तं पोराणमेयं सूरियामा ! जान अब्भशुराणायमेयं सूरियामा , तए णं से सूरियाभे देवे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हट्ट जाव समणं भगवंतं महावीरं वंदति नमंसति वंदित्ता नमंसित्ता नचासंगणे नातिदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्जुवासति // सू० 50 // तए णं समणे भगवं महावीरे सूरियाभस्स देवस्स तीसे य महतिमहालिताए परिसाए जाव परिसा जामेव दिसि पाउम्भूया तामेव . दिसि पडिगया // सू० 51 // - तए णं से सूरियाभे देवे समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतिए धम्म सोचा निसम्म हट्टतुट्ट जाव हयहियए उट्ठाए उ?ति उद्वित्ता समणं भगवंतं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-ग्रहं णं भंते ! सूरियाभे देवे किं भवसिद्धिते अभवसिद्धिते ? सम्मदिट्ठी मिच्छादिवी ? परित्तसंसारिते श्रणंतसंसारिते ? सुलभवोहिए दुल्लभवोहिए ? श्राराहते विराहते ? चरिमे अंचरिमे ? // सू० 52 // सूरियाभाइ समणे भगवं महावीरे सूरियाभं देवं एवं वदासी-सूरियामा ! तुमं णं भवसिद्धिए नो अभवसिद्धिते जाव चरिमे णो अचरिमे // सू० 53 // तए णं से सूरिश्राभे देवे समणेणं भगवया महावीरेण एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्टचित्तमाणंदिए परमसोमणस्सिए समणं भगवंतं महावीरं वदति नमंसति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासीतुब्भे णं भंते ! सव्वं जाणंह सव्वं पासह, सव्वयो जाणह सव्वश्रो पासह, सव्वं कालं जाणह सव्वं कालं पासह, सव्वे भावे जाणह सव्वे Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् : सूर्याभः 1 ] [ 97 भावे पामह 1 / जाणंति णं देवाणुप्पिया ! मम पुब्बि वा पच्छा वा मम-एयरूवं दिव्वं देविष्टि दिव्वं देवजुई दिव्वं देवाणुभावं लद्धं पत्तं अभिसमराणागयं ति, तं इच्छामि णं देवाणुप्पियाणं भत्तिपुब्वगं गोयमातियाणं समणाणं निग्गंथाणं दिव्वं देविढि दिव्वं देवजुई दिव्वं देवाणुभावं दिव्वं बत्तीसतिबद्धं नट्टविहं उवदंसित्तए 2 // सू०५४ // तए णं समणे भगवं महावीरे सूरियाभेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे सूरियाभम्स देवस्स एयमट्टणो श्रादाति णो परियाणति तुसिणीए संचिट्ठति // सू० 55 // तए णं से सूरियाभे देवे समणं भगवंतं महावीरं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी-तुम्भे णं भंते ! सव्वं जाणह जाव उवदंसित्तए त्ति कटु समणं भगवंतं महावीरं तिक्खुत्तो पायाहिणपयाहिणं करेइ करित्ता वंदति नमंसति वंदित्ता नमंसित्ता उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं अवकर्मात अवकमित्ता वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणति समोहणित्ता संखिजाई जोयणाई दण्डं निस्सिरति यहाबायरे पुग्गले परिसाडति 2 अहासुहुमे पुग्गले परियायति 2 दोच्चं पि विउव्वियसमुग्घाएणं जाव बहुसमरमणिज्जं भूमिभागं विउव्वति 1 / से जहा नाम ए श्रालिंगपुक्खरे इ वा जाव मणीणं फासो तस्स णं बहुसमरमणि जस्स भूमिभागस्त बहुमझदेसभागे पिच्छाघरमराडवं विउव्वति अणेग-खंभ-सयसंनिविट्ट-वराणो-ग्रंतो बहुसमरमणिज्ज भूमिभागं उल्लोयं अक्खाडगं च मणिपेढियं च विउव्वति 2 / तीसे णं मणिपेढियाए उवरि सीहासणं सपरिवारं जाव दामा चिट्ठति 3 // सू० 56 // ___तए णं से सूरियाभे देवे समणस्स भगवतो महावीरस्स बालोए पणामं करेति करित्ता अणुजाणउ मे भगवं ति कटु सीहासणवरगए तित्थयराभिमुहे संणिसराणे 1 ! तए णं से सूरियामै देवे तप्पढमयाए नानामणि-कणग रयण-विमल-महरिह-निउणश्रोविय--मिसिमिसिंत-विरतिय. महाभरण-कडग-तुड़िय-वर-भूसणुजलं पीवरं पलंबं दाहिणं भुयं पसारेति 13 Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 68 ] [ श्रीमदांगमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः तो णं सरिसयाणं सरित्तयाणं सरिव्वयाणं सरिसलावराण-रूव-जोव्वणगुणोववेयाणं एगाभरण-बसण-गहिश्र-णिजोबाणं दुहतो संवेल्लियग्गणियत्थाणं उप्पीलिय चित्त-पट्ट-परियर-सफेणकावत्त-रइय-संगय-पलंब-वत्थंतचित्त-चिल्ललग-नियंसणाणं एगावलि-कराठ-रइय-सोभंत-वच्छ-परिहत्थभूसणाणं अट्ठसयं णट्टसज्जाणं देवकुमाराणं णिगच्छति 2 // सू०५७ // तयणंतरं च णं नानामणि जाव पीवरं पलं धामं भुयं पसारेति तयो णं सरिसयाणं सरित्तयाणं सरिव्बयाणं सरिसलावराण-रूव-जोवणगुणोववेयाणं एगाभरणवसण-गहिय-णिज्जोयाणं दुहतो संवेल्लियग्गणियस्थाणं अाविद्धः तिलयामेलाणं पिणद्ध-गेवेजकंचुतीणं नानामणि-रयण भूमण-विराइयंगमंगाणं चंदाणणाणं चंदन्द्धसमनिलाडाणं चंदाहिय-सोमदंसणाणं उक्का इव उज्जोवेमाणीणं सिंगारागार-चारुवेसाणं संगयगय-हसिय-भणिय-चेट्ठियविलासललिय-संलाव-निउण-जुत्तोवयारकुसलाणं गहियाउजाणं अट्ठसयं नट्टसजाणं देवकुमारियाणं णिग्गच्छइ // सू० 58 // तए णं से सूरियामे देवे अट्ठसयं संखाणं विउव्वति अट्ठसयं संखवायाणं विउव्वइ, अट्ठसयं सिंगाणं विउव्वति अट्ठसयं सिंगवायाणं विउव्वति, अट्ठसयं संखियाणं विउब्धति ?सयं संखियवायाणं विउव्यति, अट्ठसयं खरमुहीणं विउव्वति अट्ठमयं खरमुहिवायाणं विउब्धति, अट्ठसयं पेयाणं विउव्वति अट्ठसथं पेयावायगाणं विउव्वति, अट्ठसयं पीरिपीरियाणं विउव्वति अट्ठसयं पीरिपीरियावायगाणं विउब्वति एवमाइयाइं एगूणपराणं बाउन्जविहाणाई विउज्वइ / / सू० 51 // तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारियायो य सद्दावेति 1 / तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीयो य सूरियाभेणं देवण सदाविया समाणा हट्ट जाव जेणेव सूरियामे देवे तेणेव उवागच्छंति तेणेव उवागच्छित्ता सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं जाव वद्धावित्ता एवं वयासी-संदिसंतु णं देवाणुप्पिया! जं अम्हेहिं कायव्वं 2 Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] , [:88 // सू० 60 // तए णं से सूरियाभे देवे ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीयो य एवं वयामी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! समणं भगवंत महावीरं तिक्खुत्तो पायाहिणपयाहिणं करेह करित्ता वंदह नमंसह वंदित्ता नमंसित्ता गोयमाइयाणं समणाणं निग्गंथाणं तं दिव्वं देविढि दिव्वं देवजुतिं दिव्वं देवाणुभावं दिव्वं बत्तीसइबद्धं णट्टविहिं उवदंसेह उपदंसित्ता खिप्पामेव एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह // सू० 61 // तए णं ते बहवे. देवकुमारा देवकुमारीयो य सूरियाभेणं देवेणं एवं वुना समाणा हट्ट जाव करयल जाव पडिसुणंति पडिसुणित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव बागच्छति उवागच्छित्ता समणं भगवंतं महावीरं / जाव नमंसित्ता जेणेव गोयमादिया समणा निग्गंथा तेणेव उवागच्छंति 1 / तए णं ते बहवे देवकुमारा देवकुमारीयो य समामेव समोसरणं करेंति करित्ता ( ता समामेव पंतियो बंधति बंधित्ता समामेव पंतियो नमसंति नमंसित्ता) समामेव अवणमंति श्रवणमित्ता समामेव उन्नमंति एवं सहितामेव श्रोनमंति एवं संहितामेव उन्नमंति सहियामेव उराणमित्ता संगयामेव श्रोनमंति. संगयामेव उन्नमंति उन्नमित्ता थिमियामेव श्रोणमंति थिमियामेव उन्नमंति समामेव पसरंति पसरित्ता समामेव श्राउजविहाणाइं गेराहति समामेव पवाएंसु पगाइंसु पणचिंसु.॥ सू० 62 // किं ते ? उरेणं मं] सिरेण तारं कठेण वितारं तिविहं तिसमय-रेयग-रइयं गुजाऽवंक-कुहरोवगूढं रत्तं तिठाण-करणसुद्धं सकुहरगुजंतवंस-तंती-तल-ताल-लय-गहसुसंपउत्तं महुरं समं सललियं मणोहरं मिउ-रिभियपयसंचारं सुरइ सुणइ वरचारुरूवं दिवं णट्टसज्ज गेयं पगीया वि होत्था // सू०६३ // किं ते ? उद्धमंताणं संखाणं सिंगाणं संखियाणं खरमुहीणं पेयाणं पिरिपिरियाणं, श्राहम्मंताणं पणवाणं पडहाणं, अप्फालिजमाणाणं भंभाणं होरंभाणं, (वीणाणं वीयंधीणं) तालिज्जताणं भेरीणं झलरीणं दुदुहीणं, बालवंताणं मुरयाणं मुइंगाणं Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 100 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // पश्चमो विमागा नंदीमुइंगाणं, उत्तालिज्जताणं थालिंगाणं कुतुबाणं गोमुहीणं मद्दलाणं, मुच्छिज्जताणं वीणाणं विपंचीणं वल्लकीणं, कुट्टिजंताणं महंतीणं कच्छभीणं चित्तवीणाणं, सारिजंताणं बद्धीसाणं सुघोसाणं नंदिघोसाणं, फुट्टिज्जंतीणं भामरीणं छब्भामरीणं परिवायणीणं, छिप्पंतीणं तूणाणं तुबवीणाणं, श्रामोडिज्जंताणं ग्रामोताणं झंझाणं नउलाणं, अच्छिज्जतीणं मुगुदाणं हुडुक्कीणं विचिक्कीणं, वाइज्जंताणं करडाणं डिडिमाणं किणियाणं कडम्बाणं, ताडिज्जंताणं ददरिगाणं ददरगाणं कुतुबाणं कलसियाणं मड्डयाणं, याताडिज्जंताणं तलाणं तालाणं कंसतालाणं, घट्टिजंताणं रिंगिरिसियाणं लत्तियाणं मगरियाणं सुसुमारियाणं, फूमिज्जंताणं वंसाणं वेलूणं वालीणं परिल्लीणं बद्धगाणं // सू० 64 // तए णं से दिव्वे गीए दिव्वे वाइए दिव्वे नट्टे एवं अब्भुए सिंगारे उराले मणुन्ने मणहरे गीते मणहरे नट्टे मणहरे वातिए उप्पिंजलभृते कहकहभूते दिव्वे देवरमणे पवत्ते या वि होत्था // सू० 65 // तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीयो य समणस्स भगवयो महावीरस्त सोत्थिय-सिविच्छनंदियावत्त-वद्रमाणग-भदासण-कलस-मच्छ-दप्पण-मंगलभत्तिचित्तं णाम दिव् नट्टविधि उवदंति [1] ।मू०६६ // तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीयो य सममेव समोसरणं करेंति करित्ता तं चेव भाणियत्वं जाव दिव्वे देवरमणे पवत्ते या वि होत्था१। तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीयो य समणस्स भगवश्रो महावीरस्स श्रावड-पञ्चावड-सेढि-पसेटि-सोत्थिय-सोवत्थिय-पूस-माणव-बद्धमाणग-मच्छंडमगरंड-जार-मार-फुल्लावलि-पउमपत्त-सागरतरंग-वसंतलता-पउमलयभत्तिचित्तं णाम दिव्वं णट्टविहिं उवदंसेंति [2] 2 // सू० 67 // एवं च एकिकियाए णट्टविहिए समोसरणादिया एसा वत्तव्वया जाव दिव्वे देवरमणे पवत्ते या वि होत्था 1 / तए णं ते बहवे देवकुमारा देवकुमारियायो य समणस्स Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] / 101 भगवतो महावीरस्स ईहामित्र-उसभ-तुरग-नर-मगर-विहग-वालग-किन्नर-रुरुसरभ-चमर कुंजर-वणलय-पउमलयभत्तिचित्तं णामं दिव्यं णट्टविहिं उवदंसेंति [3] 2 // सू०६८ // एगतो वंकं (वक्कं दुहश्रोवक्कं एगतोखुहं दुहोसुहं) एगो चकवालं दुहश्रो चकवालं चकद्धचकवाल णामं दिव्वं णट्टविहिं उवदंसेंति [4] // सू० 61 // चंदावलिपविभत्तिं च सूरावलिपविभति च वलियावलिपविभत्तिं च हंसावलिपविभत्ति च एगावलिपविभत्तिं च तारावलिपविभत्तिं च मुत्तावलिपविभत्तिं च कणगावलिपविभत्तिं च रयणावलिपविभत्तिं च णामं दिव्वं णट्टविहिं उपदंसेंति [5] // सू०७० // चंदुग्गमणपविभतिं च सूरुग्गमणपविभत्तिं च उग्गमणुग्गमणपविभत्तिं च णामं दिव्वं गट्टविहिं उपदंसेंति [6] / / सू० 71 // चंदागमणपविभत्तिं च सूरागमणपविभत्तिं च भागमणागमणपविभत्तिं च णामं० उवदंसेंति [७]॥सू० 72 // चंदावरणपविभत्तिं च सूरावरणपविभत्तिं च श्रावरणावरणपविभत्ति च णाम० उवदंसेंति [8] // सू० 73 // चंदत्थमणपविभत्तिं च सूरथमणपविभत्तिं च अत्थमणऽत्थमणपविभत्तिं च नामं० उवदंसेंति [१]॥सू०७४॥ चंदमंडलपविभत्तिं च सूरमंडलपविभत्तिं च नागमंडलपविभत्तिं च जक्खमंडलपविभत्तिं च भूतमंडलपविभत्ति च (रक्खस-महोरग-गंधव्वमंडलपविभत्ति च पिसायमंडलपविभत्तिं व) मंडलमंडलपविभत्तिं च नामं० उवदंसेंति [10] // सू० 75 // उसभमंडलपविभत्तिं च सीहमंडलपविभत्तिं च (उसभललियविवकंतं च सीहललियविक्कंतं च) हयविलंबियं गयविलंबियं हयविलसियं गयविलसियं मत्तहयविलसियं मत्तगजविलसियं मत्तहयविलंबियं मत्तगयविलंबियं दुयविलम्बियं णामं दिव्वं णट्टविहिं उवदंसेंति [११]॥सू०७६ // (सगडुद्धिपविभत्तिं च) सागरपविभत्तिं च नागरपविभत्तिं च सागर-नागरपविभत्तिं च णामं० उवदंसेंति [१२]॥सू०७७॥ णंदापविभत्तिं च चंपापविभत्ति च नंदा-चंपापविभत्तिं च णामं० उवदंसेंति [13] // सू० 78 // मच्छंडा Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 102 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः पविभत्तिं च मयरंडापविभत्तिं च जारपविभत्तिं च मारपंविभत्तिं च मच्छंडामयरंडा-जारा-मागपविभत्तिं च णामं० उवदंति [14] // सू० 76 // 'क' त्ति ककारराविभत्तिं च 'ख' त्ति खकारपविभत्तिं च 'ग' ति गकारपविभत्ति च 'व' ति कारपविभत्तिं च 'ङ' ति उकारपविभत्तिं च ककार-खकारगकार-धकार-ङकारपविभत्निं च णामं० उबदंसेंति [15] एवं चकारवग्गो पि [16] टकारवग्गो वि [17] तकारवग्गो वि [18] पकारवग्गो वि [11] // सू०८०॥ यसोयपल्लवपविभत्तिं च अंबपल्लवपविभत्तिं च जंबपल्लवपविभत्तिं व कोसंबपल्लवपविभत्तिं च पल्लव (पल्लव)पविभत्तिं च णाम उबदंसेंति (२०)॥सू० 81 // पउमलयापविभत्ति जाव सामलयापविभत्ति च लया(लया)पविभत्तिं च णामं० उवदसेंति (२१)।सू० 82 // दुयणाम० उवदंसेंति (22) विलंबियं णामं० उत्रदंसेंति (23) दुयविलंबियं णामं० उवदसेंति (24) अंपियं(२५) रिभियं (26) ग्रंत्रियरिभियं (27) प्रारभडं (28) भसोलं (21) पारभडमसोलं (30) उप्पयनिवयपवत्तं संकुचियं पसारियं (अपसारियं) रयारझ्यं भतं संभंतं णामं दिव्वं णट्टविहिं उबदसेंति (31) / सू०५३॥ ...तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीयो य. समामेव समोमरणं करेंति जाव दिव्वे देवरमणे पत्ते यावि होत्था 1 / तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीयो य समणस्स, भगवयो महावीरस्स पुव्वभवचरियणिबद्धं च चवणचरियणिबद्धं च संहरणचरियनिबद्धं च जम्मणचरिय. तिवद्धं च अभिसे यरियनिबद्धं च बालभावचरियनिबद्धं च जोवणचरिय-- निबद्धं च कामभोगचंरियनिबद्धं च निक्खमणचरियनिबद्धं च तवचरणचरियनिबद्धं च णाणुप्पायचरियनिबद्धं च तित्थपवत्तणचरिय-परिनिव्वाणचरियनिबद्धं च वरिमचरियनिबद्धं च णामं दिव्वं णट्टविहिं उवदंसेंति (३२)॥सू०८४॥ तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीयो य चउब्विहं वाइत्तं -वाएंति, तंजहा-ततं विततं घणं झुसिरं // सू० 85 // तए णं ते बहवे देवकुमार। Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 103 य देवकुमारियायो य चउव्विहं गेयं गायति तंजहा-उक्खित्तं पायंतं मंदायं रोइयावसाणं च ॥सू०८६॥ तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारियायो य चउन्विहं णट्टविहिं उवदंसंति, तंजहा-अंचियं रिभियं धारभडं भसोलं च // सू० 87 // तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारियायो य चउविहं अभिणयं अभिणयति, तंजहा-दिट्ठतियं पाडियंतियं (पाडियं) सामनोविणिवाइयं अंतोमज्झावसाणियं च // सू० 88 // तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारियायो य गोयमादियाणं समणाणं निग्गंथाणं दिव्वं देविढेि दिव्वं देवजुति दिव्वं देवाणुभावं दिव्वं बत्तीसइबद्धं नाडयं उवदंसित्ता समणं भगवंतं महावीरं तिक्खुत्तो पायाहिणपयाहिणं करेंति करित्ता वंदंति नमसंति वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छति उवासित्ता सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु जएणं विजएणं वद्धाति वद्धावित्ता एवं प्राणत्तियं पञ्चप्पिणंति 1 / तए. णं से सूरियाभे देवे तं दिव्वं देविढि दिव्वं देवजुई. दिव्वं देवाणुभावं पडिसाहरइ पडिसाहरेत्ता खणेणं जाते एगे एगभूए 2 / तए णं से सूरियामे देवे समणं भगवंतं महावीरं तिक्खुत्तो पायाहिणपयाहिणं करेइ वंदति नमंसति वंदित्ता नमंसित्ता नियगपरिवालसद्धिं संपरिखुडे तमेव दिव्वं जाणविमाणं दुरूहति दुरूहित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसि पडिगए 3 ॥सू०८६ // . भंते त्ति भयवं गोयमे समणं भगवंतं महावीरं वंदति नमंप्सति वंदित्वा नमंसित्ता एवं वयासी-॥ सू० 10 // सूरियाभस्सणं भंते ! देवस्स एसा दिवा देविट्ठी दिव्वा देवज्जुती दिव्वे देवाणुभावे कहिं गते कहिं अगुप्पविट्ठ ? // सू० 1.1 ॥गोयमा ! सरीरं गते सरीरं अणुप्पविट्ठ। सू०१२ // से केण?णं भंते ! एवं वुचइ-सरीरं गते सरीरं अणुप्पवि? ? ॥सू० 13 // गोयमा ! से जहा नाम ए कूडागारसाला सिया दुहतो लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा णिवाया णिवायगंभीरा, तीसे णं कूडागारसालाते अदूरसामते एत्थ Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 104 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः णं महेगे जण समूह चिट्ठति, तर णं से जणसमूह एगं महं भवदलगं वा वासवहलगं वा महावायं का एजमाणं वा पासति, पासित्ता तं कृतजगारसालं यंतो यणुप्पविमित्ता णं चिट्टड, से तेण?णं गोयमा ' एवं बुचतिसरीरं याप्पविट्टे // सू. 14 || कहि गांभंते ! सूरियानम्न दवस्स सूरियाभे नामं विमाणे पन्नते ? // सू. 15 || गायमा ! जंबुढीव दीव मंदरस्स पञ्चयस्स दाहिणणं इमीस रयणप्पभाए पुटवीए बहुसमरमणिजाता भूमिभागातो उट्ट चंदिम-मूरिय-गहगण-नक्खन-तारारूवाणं बहूई जोयगा. सयाई एवं-सहस्साई-सयसहस्साई बहूईया जयणकोडीया जायणमयकोडीयो जोयणसहप्सकोडी यो बहुई योजोयणसयनहस्सकोडीया वहुईयो जोग्रणकोडाकोडीयो उड्ढदूरं वीतीवइत्ता एत्थ ण सोहम्म नाम कप्पे पन्नत्ते पाईणपडीणायते उदीण-दाहिरावित्थिराणे यद्धचंद-संगणसंटिते यचिमालिभासरासिवराणाम असंखजायो जोग्रणकोडाकोडीयो यायामविवखंभगां असंखेजायो जोग्रणकोडाकोडीयो परिवखेवणं एस्थ णं सोहम्माणं देवाणं बत्तीस विमाणवास-सयसहस्साहं भवंति इति मक्खायं 1 / ते णां विमाणा सव्वरयणामया अच्छा जाव पबिरूवा 2 / तेसिं णं विमागाणं बहुममदनभाव पच वडिसया पन्नत्ता, तंजहा-यसागरडिसए सत्तवरावणसिए चंपगबडिमए (भूतवडेंसए भूयगवडिंसर) चूतवाडिसए मज्झे सोचमवाडिमए, ते गां पडिगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 3 / तस्म गं माधम्मवडिसगस्म महाविमाणस्स पुरस्थिमेणं तिरियं असंखेजाई जायणास्य. महस्साई वीइयइत्ता एत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स सूरियाभ विमागा एगणन यद्भतेरस-जोयणसवमहस्सा यागमविक्खंभणं अउणयालीसं च सयमहरमाई बावन्नं च सहस्माइं ग्रट्ट य यडयालजोयणसते परिक्खेवेणं 4 ॥सू. 16 / / सणं एगाणं पागारेणं सव्वयो समंता संपरिक्खित्ते, से गणं पागारे तिगिगा जोरणसयाई उड-उञ्चत्तेणं, मूले एगं जोयणमयं विक्खंभणं, मझे Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 105 पन्नासं जोयणाइं विक्खंभेणं, उप्पि पणवीसं जोयणाई विक्खंभेणं 1 / मूले वित्थिरणे मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुए-गोपुच्छसंठाणमंठिए सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे, से णं पागारे णाणाविहपंचवराणेहिं कविसीसएहिं उपसोभित्ते, तंजहा-कराहेहि य नीलेहि य लोहितेहिं हालिदेहिं सुकिल्लेहिं कविसीसएहिं 2 / ते णं कविसीसगा एगं जोयणं अायामेणं अद्धजोयणं विक्खंभेणं देसूणं जोयणं उड्ड उच्चत्तेणं सब्बरयणा(मणि)मया अच्छा जाव परिरूवा 3 // सू० 17 // सूरियाभस्स णं विमाणस्स एगमेगाए बाहाए दारसहस्सं दारसहस्सं भवतीति मक्खायं, ते णं दारा पंच जोयणसयाई उड्ड उच्चत्तेणं अड्डाइजाई जोयणसयाई विक्खंभेणं, तावइयं चेव पवेसेणं सेया वरकणग-थूभियागा ईहामिय-उसभ-तुरग-णर-मगर-विहग-वालग-किन्नर-रुरु-सरभ-चमर-कुंजरवणलय-पउमलय-भत्तिचित्ता खंभुग्गयवर-वयरवेइया परिगयाभिरामा विजाहर-जमल-जुयल-जंतजुत्ता विव अचीसहस्स-मालणीया रूवग-सहस्सकलिया भिसमाणा भिब्भिसमाणा चक्खुल्लोयणलेसा सुहफासा ससिरीयरूवा 1 / वनो दाराणं तेसिं होड, तंजहा-वइरामया णिम्मा रिट्ठामया पइट्ठाणा वेरुलियमया खंभा, जायरूबोवचिय-पवर-पंचवन-मणिरयण-कोट्टिमतला हंसगम्भमया एलुया, गोमेजमया इंदकीला, लोहियक्खमतीतो चेडायो जोईरसमया उत्तरंगा लोहियक्खमईयो सूईश्रो वयरामया संधी नाणामणिमया समुग्गया वयरामया अग्गला अग्गलपासाया रययामयाश्रो श्रावतणपेढियात्रो अंकुत्तरपामगा निरंतरियघणकवाडा भित्तीसु चेव भित्तिगुलित्ता छपन्ना तिगिण होति गोमाणसिया तत्तिया गाणामणि-रयणवालख्वग-लीलट्ठिश्र-सालभंजियागा वयरामया कूडा .रययारणा)मया उस्सेहा सवतरणिजमया उल्लोया गाणामणिरयण-जालपंजर-मणि-वंसगलोहियक्ख-पडिवंसग-रययभोमा अंकामया पवखा पवखबाहाश्रो जोई Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 106 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागा रसामया वंसा उसकवेल्लुयायो रययामईयो पट्टियागो जायरूवमईयो श्रोहाडणोश्रो वइरामईयो उवरिपुच्छणीयो सवसेयरययामये छायणे यंकमय-कणग-कूड-तवणिज-थूभियागा सेया संख-तल-विमल-निम्मलदधि-घण-गाक्खीर-फेण-रययणिगरप्पंगासा तिलग-रयणद्धचंदचित्ता नाणामणिदामालंकिया अंतो. बहिं च सराहा : तवणिज-वालुयापत्थडा सुहफासा सस्सिरीयरूवा पासाईया दरिसणिजा अभिरुवा पडिरूवा 2 // सू० 18 // तेसि णं दाराणं उभो पासे दुहयो निसीहियाए सोलस सोलस चंदणकलसपरिवाडीयो पन्नत्ताश्रो, ते णं चदणकलसा वरकमलपइट्ठाणा सुरभि-वरवारि-पडिपुराणा चंदणकयचच्चागा भाविद्धकंठेगुणा पउमुप्पलपिहाणा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवगा महया महयाइंदकुभसमाणा पन्नत्ता समणाउसो! // सू० 11 // तेसि दाराणं उभयो पासे दुहयो णिसीहियाए सोलस सोलस णागदंतपरिवाडीयो पन्नत्तायो, ते णं णागदंता मुत्ताजालंतरुसिय-हेमजाल-गवक्खजाल-खिखिणी-घंटाजालपरिक्खित्ता अब्भुग्गया अभिणिसिट्टा तिरिय-सुसंपरिग्गहिया अहेपनगद्ध - रूवा पन्नगद्धसंठाणसंठिया सव्ववयरामया अच्छा जाव पडिरूवा, महया महया गयदंतसमाणा पन्नत्ता समणाउसो ! 1 / तेसु णं णागदंतएसु बहवे किराहसुत्तबद्धा वग्धारितमल्लदामकलावा णीलसुत्तबद्धा वग्धारित-मल्लदामकलावा लोहितसुत्तबद्धा वग्धारित-मल्लदामकलावा हालिदसुत्तबद्धा वग्घारित-मल्लदामकलावा सुकिलसुत्तबद्धा वग्धारित-मल्लदामकलावा, ते णं दामा तवणिजलंबूसगा सुवन्नपयरगमंडिया नाणाविह-मणिरयण-विविह-हारउवसोभियसमुदया जाव सिरीए अईव अईव उपसोभेमाणा चिट्ठति 2 / तेसि णं णागदंताणं उवरि अन्नायो सोलस सोलस नागदंतपरिवाडीयो पन्नत्ता ते ण णागदंता तं चेव जाव गयदंतसमाणा पन्नत्ता समणाउसो ! 3 | तेसु णं णागदंतएसु बहवे रययामया सिकगा पनत्ता, तेसु णं रययामएसु Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् : 1 ) [ 107 सिक्कएसु बहवे वेरुलियामईश्रो धूवघडीयो पनत्तातायो णं धूवघडीयो कालागुरु-पवर-कुंदुरुक-तुरुक-धूवमघमघंत-गंधुधुयाभिरामाश्रो सुगंधवरगंधियातो गंधवट्टिभूयायो अोरालेणं मणुराणेणं मणहरेणं घाणमणणिव्वुइकरेणं गंधेणं ते पदेसे सव्वो समंता बापरेमाणा बारेमाणा जाव चिट्ठति 4 // सू० 100 // तेसि णं दाराणं उभयो पासे दुहयो णिसीहियाए सोलस सोलस सालभंजिया-परिवाडियो पन्नत्तात्रो, तायो णं सालभंजियायो लीलट्ठियायो सुपइट्ठियायो सुग्रलंकियायो णाणाविह-राग-वसणायो णाणा-मल्ल-पिणद्धाश्रो मुट्ठिगिज्म-सुमज्झायो आमेलग-जमल-जुयल-वट्टियअब्भुन्नय-पीण--रइय-संठिय-पीवरपत्रोहरायो रत्तावंगात्रो असियकेसीयो मिउ विसय-पसस्थ-लक्खण-संवेल्लियग्गसिरयायो ईसिं असोगवर-पायवसमुट्ठियायो वामहत्यग्गहियग्गसालायो ईसिं अद्धच्छिकडक्खचिट्ठिएणं लूसमाणीयो विव चक्खुल्लोयणलेसेहि य अन्नमन्नं खिजमाणीयो विव पुढविपरिणामायो सासयभावमुवगयाओ चंदाणणाश्रो चंदविलासिणीयो चंदद्ध-समणिडाला यो चंदाहिय-सोमदंसणायो उक्का विव उज्जोवेमाणायो विज्जुघण-मिरिय-सूर-दिप्पंत-तेय-अहिययर-सनिकासायो सिंगारागार-चारवेसायो पासाइयायो जाव चिट्ठति 4 // सू० 101 // तेसि णं दाराणं उभयो पासे दुहयो णिसीहियाए सोलस सोलस जालकडगपरिवाडीयो पन्नत्ता, ते णं जालकडगा सव्वरयणामया यच्छा जाव परिरूवा // मू. 102 // तेसि णं दाराणं उभो पासे दुयो निसीहियाए सोलस सोलस घंटापरिवाडीयो पन्नत्ता, तासि णं घंटाणं इमेयारूवे वन्नावासे पन्नत्ते, तंजहा-जंबूणयामईश्रो घंटायो वयरा'मयायो लालायो णाणामणिमया घंटापासा तवणिजामइयायो संखलायो रययामयायो रज्जूतो 1 / तायो णं घंटायो श्रोहस्सराबो मेहस्सरायो हंसस्सरायो कुचस्सरायो सीहस्सरायो दुदुहिस्सरायो णंदिस्सरायो Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 108 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः णंदिघोसायो मंजुस्सरायो मंजुघोसायो सुस्सरायो सुस्सरघोसायो उरालेणं मणुन्नेणं मणहरेणं कत्रमणनिव्वुइकरेणं सद्देणं ते पदेसे सव्वश्रो समंता आपरेमाणाश्रो श्रापरेमाणायो जाव चिट्ठति 2 // मू. 103 // तेसि णं दाराणं उभयो पासे दुहश्रो णिसीहियाए सोलस सोलस वणमालापरि. वाडीयो पन्नत्तायो, तायो णां वणमालायो णाणामणिमय-दुमलय-किसलयपल्लवसमाउलायो छप्पयपरिभुजमाण-सोहंतसस्सिरीयायो पासाईयाथो // सू० 104 // तेसि णं दाराणं उभयो. पासे दुहयो णिसीहियाए सोलस सोलस पगंठगा पन्नत्ता, ते णं पगंठगा अड्डाइजाई जोयणसयाई श्रायामधिक्खंभेणं पणवीसं जोयणसयं बाहल्लेणं. सव्ववयरामया अच्छा जाव पडिख्वा 1 / तेसि णं पगंठगाणं उवरि पत्तेयं पत्तेयं पासायवडेंसगा पन्नत्ता, ते णं पासायवडेंसगा अड्डाइजाई जोयणसयाई उट्ठ उच्चत्तेणं पणवीसं जोयणमयं विक्खंभेणं अभुग्गय मूसिअपहसिया विव विविहमणियण-भत्तिचित्ता वाउछुय-विजय-वेजयंत-पडागच्छत्ताइछत्तकलिया तुगा गगणतल-मणुलिहंतसिहरा जालंतर-रयण-पंजरुम्मिलियब्व मणिकणग-थूभि. यागा वियसिय-सयवत्त-पोंडरीय-तिलग-रयणद्धचंदचित्ता णाणामणिदामालंकिया अंतो बहिं च सराहा तवणिजवालुयापत्थडा सुहफासा सस्सिरीयरूवा पासादीया दरिसणिज्जा जाव दामा 2 // सू० 105 // तेसि णं दाराणं उभयो पासे सोलस सोलस तोरणा पन्नत्ता, णाणामणिमया णाणामणिमएसु खंभेसु उवणिविट्ठसन्निविट्ठा जाव पउमहत्थगा। तेमि णं तोरणाणं पत्तेयं पुरो दो दो सालभंजियारो पन्नत्तायो, जहा हेट्ठा तहेव 1 / तेसि णं तोरणाणं पुरश्रो नागदंता पन्नत्ता जहा हेट्ठा जाव दामा 2 / तेसि णं तोरणाणं पुरयो दो दो हयसंघाडा गयसंघाडा नरसंघाडा किन्नरसंघाडा किंपुरिससंघाडा महोरगसंघाडा गंधव्यसंघाडा उसभसंघाडा सब्वरयणामया अच्छा जाव पडिख्वा, एवं पंतीयो वीही मिहुणाई 3 / तेसि णं तोरणाणं Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम्: 1] [ 109 पुरो दो दो पउमलयात्रो जाव सामलयात्रो णिच्चं कुसुमियायो सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 4 / तेसि णं तोरणाणं पुरो दो दो दिसा (अक्खय)सोवत्थिया पन्नत्ता सबरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 5 / तेसि णं तोरणाणं पुरो दो दो चंदणकलसा पन्नत्ता, ते णं चंदणकलसा वरकमलपइट्टाणा तहेव तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो भिंगारा पन्नत्ता, ते णं भिंगारा वरकमलपइट्टाणा जाव महया मत्तगयमुहागितिसमाणा पन्नत्ता समणाउसो ! 6 / तेसि णं तोरणाणं पुरषो दो दो श्रायंसा पन्नत्ता, तेसि णं श्रायंसाणं इमेयारूवे वन्नावासे पन्नत्ते, तंजहा-तवणिजमया पगंठगा अंकमया (वेरुलियामया सुरया वइरामया दोवारंगा नाणामणिमया) मंडला अणुग्घसितनिम्मलाते छायाते समणुबद्धा चंदमंडलपडिणिकासा महया महया श्रद्धकायसमाणा पन्नत्ता समणाउसो!७। तेसिणं तोरणाणं पुरषो दो दो वइरनाभथाला पन्नत्ता, अच्छतिच्छडिय-सालितंदुल-णहसंदिट्ठपडिपुन्ना इव चिट्ठति सव्वजंबूणयमया जाव पडिरूवा महया महया रहचकवालसमाणा पन्नत्ता, समणाउसो ! 8 / तेसि णं तोरणाणं पुरषो दो दो पातीयो, तायो णं पाईश्रो सच्छोदगपरिहत्थाश्रो णाणाविहस्म फलहरियगस्स बहु पडिपुन्नाग्रो विव चिट्ठति सव्वरयणामईयो अच्छा जाव. पडिरूवायो महया महया गोकलिंजरचक्कसमाणीयो पन्नत्तायो, समणाउसों ! 1 | तेसिणं तोरणाणं पुरयो दो दो सुपइट्ठा पन्नत्ता णाणाविहभंडविरइया इव चिट्ठति सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तेसि णं तोरणाणं पुरषो दो दो मणोगुलियारो पन्नत्तायो, तासु णं मणोगुलियासु बहवे सुवन्न-रुप्पमया फलगा पन्नत्ता, तेसु णं सुवनरुपमएसु फलगेसु बहवे वयरामया नागदंतया पन्नता, तेसु णं वयरामएसु णागदंतएसु बहवे वयरामया सिकगा पन्नत्ता, तेसु णं वयरामएसु सिकगेसु किराहसुत्तसिकगवच्छिता णीलसुत्त-सिकगवच्छिया लोहिय-सुत्त-सिकगवच्छिया हालिह-सुत्त सिकगवच्छिया सुकिल-सुत्त-सिकग Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 110 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः वच्छिया हवे वायकरगा पन्नत्ता सव्ववेरुलियमया अच्छ। जाव पडिरूया 10 / तेसि णं तोरणाणं पुरयो दो दो चित्ता रयणकरंडगा पनत्ता, से जहा णामए रन्नो चाउरंतचकवट्टिस्स चित्ते रयणकरंडए वेरुलिय-मणिफलिहपडल पच्चोयडे साते पहाते ते पतेसे सव्वतो समंता बोभासति उज्जोवेति तवति पभासति एवमेव ते वि चित्ता रयणकरंडगा साते पभाते ते पएसे सबयो ममंता योभासांते उज्जोवेति तवति पभासंति 11 / तेमि णं तोरणाणं पुरयो दो दो हयकंठा गयकंठा नरकंठा किन्नरकंटा किंपुरिसकंठा महोरगकंठा गंधवकंठा उसमकंठा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 12 / तेसि णं तोरणाणं पुरयो (तेसु णं हयकंठेसु जाव उसभकठेसु) दो दो पुप्फचंगेरीयो मल्लचंगेरीयो चुन्नचंगेरीयो गंधचगेरीयो वत्थचंगेरीयो श्राभरणचंगेरीयो सिद्धत्थचंगेरीयो लोमहत्थचंगेरीयो पन्नत्तायो सब्बरयणामयायो अच्छायो जाव पडिरूवायो 13 / तेसि णं तोरणाणं पुरयो (तासु.णं पुप्फचंगरियासु जाव लोमहत्थचंगेरीसु ) दो दो पुष्फपडलगाई जार लोमहत्थपडलगाइं सबरयणामयाइं अच्छाई जाव पडिरूवाइं / तेसि गं तोरणाणं पुरयो दो दो सीहासणा पराणत्ता 14 / तेसि णं सीहा. भणाणं वगणो नाव दामा 15 / तेसि. णं लोरणाणं पुरको दो दो रुप्पमया छत्ता पन्नत्ता, ते णं छत्ता वेरुलियविमलदंडा जंबणयकन्निया वइरमंधी मुताजालपरिगया असहस्स-वरकंचणसलागा ददर-मलय-सुगंधिसब्बोउय-सुरभि-सीयलच्छाया मंगलभत्तिचित्ता चंदागारोवमा 16 / तेसि णं तोरणाणं पुरयो दो दो चामरायो पन्नत्तायो. तायो णं चामरायो चंदप्पभ-वेरुलिय-वयर-नानामणिरयण-खचिय-चित्तदराडायो सुहुम-रययदीहवालातो (नाणा-मणिकणग-रयय-विमल महरिहतवरणिज्जुजलविचित्तदंडात्रो चिल्लियायो) संखक-कद-दगरय-अमय-महियफेण-पुंज-संनिगासातो सबरयणामयायो यच्छाओ. जाव पडिरूवाश्रो 17 / तेसि णं तोरणाणं Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 111 श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् : 1 ] पुरो दो दो तेल्लसमुग्गा कोट्ठसमुग्गा पत्तसमुग्गा चोयगसमुग्गा तगरसमुग्गा एलासमुग्गा हरियालसमुग्गा हिंगुलयसमुग्गा मणोसिलासमुग्गा अंजणसमुग्गा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 18 // सू०.१०६ // सूरियाभे णं विमाणे एममेगे दारे अट्ठसयं चकझयाणं अट्ठसयं मिगझयाणं गरुडझयाणं छत्तज्झयाणं पिच्छज्याणं सउणिज्झयाणं सीहझयाणं उसमझयाणं अट्ठसंयं सेयाणं चउविसाणाणं नागवरकेऊणं एवमेव सपुवावरेणं सूरियाभे विमाणे एगमेगे दारे असीयं असीयं केउसहस्सं भवति इति मक्खायं 1 / तेसि णं दाराणं एगमेगे दारे पराणढेि पराणट्टि भोमा पन्नत्ता, तेसि णं भोमाणं भूमिभागा उल्लोया य भाणियव्वा 2 / तेसि णं भोमाणं च बहुभज्झदेसभागे पत्तेयं पत्तेयं सीहासणे, सीहासणवन्नतो सपरिवारो, अवसेसेसु भोमेसु पत्तेयं पत्तेयं भहासणा पन्नत्ता 3 / तेसि णं दाराणं उत्तमागारा (उवरिमागारा) सोलसविहेहिं रयणेहिं उवसो. भिया, तंजहा-रयणेहिं जाव रि?हिं, तेसि णं दाराणं उप्पि अट्ठ मंगलगा सज्भया जाव छत्तातिछत्ता एवमेव सपुवावरेणं सूरियाभे विमाणे चत्तारि दारसहस्सा भवंतीति मक्खायं 4 // सू० 107 // सूरियाभस्स विमाणस्त चउदिसि पंच जोयणसयाई अबाहाए चत्तारि वणसंडा पन्नत्ता, तंजहा-असोगवणे, सत्तिवणे चंपगवणे, चूयगवणे, पुरथिमेणं असोगवणे दाहिणणं सत्तवन्नवणे पचत्थिमेणं चंपगवणे उत्तरेणं चूयगवणे 1 / ते णं वणखंडा साइरेगाइं अद्धतेरस जोयणसयसहस्साई थायामेणं पंच जोयणसयाई विक्खंभेणं पत्तेयं पत्तेयं पागारपरिखित्ता किराहा किराहोभासा नीला नीलोभासा हरिया हरियोभासा सीया सीयोभासा निद्धा निद्धोभासा तिव्वा तिव्वोभासा किराहा किराहच्छाया नीला नीलच्छाया हरिया. हरियच्छाया सीया सीयच्छाया निद्धा निद्धच्छाया घणकडितडियच्छाया रम्मा महामेहनिकुरुंबभूया ते णं पायवा मूलमंतो वणखंडवन्नो 2. Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः // सू० 108 // तेसि णं वणसंडाणं अंतो बहुममरमणिजा भूमिभागा पराणत्ता, से जहा नामए प्रालिंगपुक्खरे ति वा जाव णाणाविहपंचवराणेहि मणीहि य तणेहि य उवसोभिया, तेसिं णं गंधो फासो णेयव्वो जहक्कम // सू० 101 // तेसि णं भंते ! तणाण य मणीण य पुवावरदाहिणुत्तरागतेहिं वातेहिं मंदायं मंदायं एइयाणं वेइयाणं कंपियाणं चालियाणं फंदियाणं घट्टियाणं खोभियाणं उदीरिदाणं केरिसए सद्दे भवति ? गोयमा ! से जहानामए सीयाए वा संदमाणीए वा रहस्म वा सच्छत्तस्स सज्मयस्स सघंटस्स सपडागस्स सतोरणवरस्स सनंदिघोसस्स मखिखिणिहेमजालपरिखित्तम्स हेमवय-चित्त-तिणिस-कणग-णिज्जुत्त-दारुयायस्स सुसंपिनद्ध-चकमंडल-धुगगस्स कालायस-सुकयणेमिजंतकम्मस्स पाइराणवर-तुरग-सुसंपउत्तस्स कुसल-णरच्छेय-सारहि-सुमंपरिग्गहियस्स सरसय. बत्तीस-तोण-परिमंडियस्स सकंकडावयंसगस्स सचावसर-पहरण-श्रावरणभरिय-जोधजुझसजस्स रायंगणंसि वा रायंतेउरंसि वा रम्म॑सि वा मणिकुट्टिमतलंसि अभिक्खणं अभिक्खणं अभिघट्टिजमाणस्स वा नियट्टिजमाणस्स वा पोराला मणोराणा मणोहरा कराण-मणनिव्वुइकरा सदा सबो समंता अभिणिस्सवंति, भवेयारूवे सिया ? णो इणढे सम? 1 / जहा णामए वेयालियवीणाए उतरमंदामुच्छियाए अंक सुपइटिगाए कुसल नरनारि-सुसंपरिग्गहियाते चंदणसार-निम्मिय-कोणपरिघट्टियाए पुनरत्तावरत्त-कालसमयंमि मंदायं मंदायं वेइयाए पवेइयाए चालियाए घट्टियाए खोभियाए उदीरियाए पोराला मणुराणा मणहरा कगण-मणनिव्वुइकरा सहा सम्बो समंता अभिनिस्सवंति, भवेयारूवे सिया ? यो इण? सम? 2 / से जहा नामए किन्नराण वा किंपुरिसाण वा महोरगाण वा गंधवाण वा भइसालवणगयाणं वा नंदणवणगयाणं वा सोमणसवणगयाणं वा पंडगवणगयाणं वा हिमवंत-मलय मंदर-गिरिगुहा-समन्नागयाण वा Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 113 एगयो सन्निहियाणं समागयाणं सन्निसन्नाणं समुवविट्ठाणं पमुइयपक्कीलियाणं गीयरइ-गंधव्व-हसियमणाणं गज्जं पज्जं कथं गेयं पयबद्धं पायबद्धं उक्खित्तं पायंतं मंदायं रोइयावसाणं सत्तसर-समन्नागयं (अट्ठरससंपउत्तं) छदोसविप्पमुक्कं एकारसालंकारं अट्टगुणोववेयं, गुजाऽवंक-कुहरोवगूढं रत्तं तिट्ठाणकरणसुद्धं पगीयाणं, भवेयारूवे ? हंता सिया 3 // सू० 110 // तेसि णं वणसंडाणं तत्थ तत्थ तहिं देसे देसे बहूईयो खुड्डा खुड्डियातो वावीयायो पुक्खरिणीयो दीहियायो गुजालियात्रो सरपंतियायो सरसरपंतियायो विलपंतियो अच्छायो सराहायो रययामयकूलायो समतीरातो वयरामयपासाणातो तवणिजतलायो सुवरण-सुज्झ-रयय-वालुयायो वेरुलिय-मणि-फालिय-पडल-पच्चोयडायो सुहोयार-सुउत्ताराणो णाणामणितित्थसुबद्धाश्रो चउकोणाश्रो श्राणुपुव्व-सुजात-वप्प-गंभीर सीयलजलायो संछन्न-पत्तभिसमुणालायो बहुउप्पल-कुमुय-नलिण-सुभग-सोगंधिय-पोंडरीयसयवत्त-सहस्सपत्त-केसरफुल्लोवचियायो छप्पय-परिभुजमाण-कमलायो अच्छविमल-सलिलपुराणाश्रो पडिहत्थ-भमंत-मच्छ-कच्छभ-अणेग-सउण-मिहुणगपविचरितानो पत्तेयं पत्तेयं परमवर-वेदियापरिक्खित्तायो पत्तेयं पत्तेयं वणसंडपरिखित्तायो अप्पेगझ्याश्रो श्रासबोयगायो अप्पेगइयायो वारुणोयगायो अप्पेगइयायो खीरोयगायो अप्पेगइयायो घोयगायो अप्पेगइयायो खोदो(खारो)यगायो अप्पेगतियातो पगतीए उयगरसेणं पराणत्तायो पासादीयायो दरिसणिज्जायो अभिरुवायो पडिरूवायो 1 / तासि णं वावीणं जाव बिलपंतीणं पत्तेयं पत्तेयं चउहिसिं चत्तारि तिसोपाणपडिरूवगा पराणत्ता, तेसि णं तिसोपाणपडिरूवगाणं अयमेयारूवे वराणावासे पराणत्ते, तंजहावइरामया नेमा रिट्ठामया पतिट्ठाणा वेरुलियामया. खंभा तोरणाणं झया छत्ताइछत्ता य णेयव्वा 2 // सू० 111 // . तासिं णं खुड्डाखुड्डियाणं वावीणं जावं बिलपंतियाणं तत्थ तत्थ देसे तहिं तहिं बहवे. उप्पायपव्वयगा 15 . Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 114 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु " पश्चमो विभागः नियइपव्वयगा (निययपव्वया) जगईपव्वयगा दारुइजपव्वयगा दगमंडवा दगमंचगा दगमालगा दगपासायगा उसड्डा खुडखुड्डगा अंदोलगा पक्खंदोलगा सब्बरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा // सू० 112 // तेसु णं उप्पायपव्वएसु पक्खंदोलएसु बहूई हंसासणाई कोंचासणाइं गरुलासणाई उरणयासणाई पणयासणाई दीहासणाई भदासणाई पक्खासणाई मगरासणाई उसभासणाइं सीहासणाई पउमासणाई दिसासोवत्थियाइं सव्वरयणामयाइँ अच्छाई जाव पडिरूवाई // सू० 113 // तेसु णं वणसंडेसु तत्थ तत्थ तहिं तहिं देसे देसे बहवे श्रालियघरगा मालियघरगा कयलिघरगा लयाघरगा अच्छणघरगापिच्छणघरगा मजणघरगा पसाहणघरगा गम्भघरगा मोहणघरगा सालघरगा जालघरगा कुसुमघरगा चित्तघरगा गंधव्वघरगा श्रायंसघरगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 1 / तेसु णं आलियघरगेसु जाव आयंसघरगेसु तहि तहिं घरएसु बहूइं हंसासणाइं जाव दिसासोवत्थियासणाई सव्वरयणामयाइं जाव पडिरूवाई // सू. 114 // तेसुणं वणसंडेसु तत्थ तत्थ देसे तहिं तहिं बहवे जातिमंडवगा जूहियामंडवगा मल्लियामंडवगा णवमालियामंडवगा वासंतिमंडवगा दहिवासुयमंडवगा सूरिल्लियमंडवगा तंबोलिमंडवगा मुद्दियामंडवगा णागलयामंडवगा अतिमुत्तयलयामंडवगा अप्फोयामंडगा मालुयामंडवगा अच्छा सव्वरयणामया जाव पडिख्वा // सू० 115 // तेसु णं जातिमण्डवएसु जाव मालुयामंडवएसु बहवे पुढविसिलापट्टगा हंसासणसंठिया जाव दिसासोवत्थियासणसंठिया अराणे य बहवे वरसयणासण-विसिट्ठ-संठाणसंठिया पुढविसिलापट्टगा पराणत्ता समणाउसो! आईणग-रूय-बूर-णवणीय-तूलफासा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 1 / तत्थ णं वहवे वेमाणिया देवा य देवीयो य श्रासयंति सयंति चिट्ठति निसीयंति तुयट्टति रमंति ललंति कीलंति किट्टति मोहेंति पुरा पोराणाणं सुचिराणाण सुपरि(ड)क्कंताण सुभाण Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 115 कडाण कम्माण कल्लाणाण कल्लाणं फलविवायगं पञ्चगुब्भवमाणा विहरंति 2 // सू० 116 // तेसि णं वणसंडाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं पत्तेयं पासायवडेंसगा पराणत्ता, ते णं पासायवडेंसगा पंच जोयणसयाई उड्डे उच्चत्तेणं अड्डाइजाइं जोयणसयाई विक्खंभेणं अब्भुग्गयमूसियपहसिया इव तहेव बहुमम-रमणिजभूमिभागो उल्लोयो सीहासणं सपरिवारं तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्डिया जाव पलिश्रोवमद्वितीया परिवति, तंजहा-असोए सत्तपराणे चंपए चूए / सू. 117 // सूरियाभस्स णं देवविमाणस्स अंतो बहुसमरणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, तंजहा-वणसंडविहूणे जाव बहवे वेमाणिया देवा देवीबो य श्रासयंति जाव विहरंति, तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहूमज्मदेसे एत्थ णं महेगे उवगारियालयणे पराणत्ते 1 / एगं जोयणसयसहस्सं थायामविक्खंभेणं तिरिण जोयणसयसहस्साई सोलस सहस्साई दोरिण य सत्तावीसं जोयणसए तिन्नि य कोसे अट्ठावीसं च धणुसथं तेरस य अंगुलाई श्रद्धंगुलं च किंचिविसेसूणं परिक्खेवेणं, जोयणं बाहल्लेणं, सव्वजंबूण्यामए अच्छे जाव पडिरूवे 2 // सू० 118 / / से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेण य सव्वतो समंता संपरिखिते, साणं पउमवरवेइया अद्धजोयणं उड्ड उच्चत्तेणं पंच धणुसयाई विक्खंभेणं उवकारियलेणसमा परिक्खेवेणं, तीसे णं पउमवरवेइयाए इमेयारूवे वराणावासे पराणत्ते, तंजहा-जयरामया (सिम्मा रिट्टामया पतिद्वाणा वेरुलियामया खंभा ) सुवण्णरुप्पमया फलया नाणामणिमया कलेवरा णाणामणिमया कलेवरसंघाडगा णाणामणिमया रूवा णाणामणिमया रूवसंघाडगा अंकामया जाव उपरिपुच्छणी सवरयणामए अच्छायणे, सा गं पउमवरवेइया एगमेगेणं हेमजालेणं एगमेगेणं गवक्ख जालेणं एगमेगेणं खिखिणीजालेणं एगगेणं घंटाजालेणं एगमेगेणं मुत्ताजालेणं एगमेगेगां मणिजालेगां Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 116 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः एगमेगेणं कणगजालेणं एगमेगेणं रयणजालेणं एगमेगेणं पउमजालेणं सव्वतो समंता संपरिखित्ता, ते णं जाला तवणिजलंबूसगा जाव चिट्ठांति 1 / तीसे णं परमवरवेइयाए तत्थ तत्थ देसे तहिं तहिं बहवे हयसंघाडा जाव उसभसंघाडा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिख्वा पासादीया जाव वीहीतो पंतीतो मिहुणाणि लयायो 2 / से केण?णं भंते ! एवं बुञ्चति-पउमवरवेइया पउमवरवेइया ? गोयमा ! पउमवरवेइयाए णं तत्थ तत्थ देसे तहिं तहिं वेइयासु वेड्याबाहासु य (वेइयफलतेसु य) वेइयपुडंतरेसु य खंभेसु खंभबाहासु खंभसीसेसु खंभपुडंतरेसु सूईसु सूईमुखेसु सूईफलएसु सूईपुडंतरेसु पक्खेसु पक्खबाहासु (पक्खपेरंतेसु) पक्खपुडंतरेसु बहुयाइं उप्पलाई पउमाई कुमुयाइं णलिणाति सुभगाई सोगंधियाई पुंडरीयाई महापुंडरीयाणि सयवत्ताइं सहस्सवत्ताइ सव्वरयणामयाइं अच्छाई पडिख्वाइं महया वासिकछत्तसमाणाई पराणत्ताई समणाउसो ! से एएणं अटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-पउमवरवेइया पउमवरवेइया 3 / पउमवरवेइया णं भंते ! किं सासया असासया ? गोयमा ! सिय सासया सिय असासया 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-सिय सासया मिय असासया ? गोयमा ! दव्वट्टयाए सासया, वन्नपजवेहिं गंधपजवेहिं रसपजवेहिं फासपजवेहिं असासया, से एएण?णं गोयमा ! एवं वुच्चति सिय सासया सिय असासया 5 / पउमवरवेइया णं भंते ! कालयो केवचिरं होइ ? गोयमा ! ण कयावि णासि ण कयावि णत्थि ण कयावि न भविस्सइ, भुवि च हवइ य भविस्सइ य, धुवा णियया सासया अवखया अव्वया अवट्टिया णिचा पउमवरवेइया ६॥सू. 111 // सा णं परमवरवेइया एगेणं वणसंडेणं सव्वयो समंता संपरिक्खित्ता 1 / से णं वणसंडे देसूणाई दो जोयणाई चकवालविक्खंभेणं उवयारियालयणसमे परिक्खेवेणं वणसंडवराणतो भाणितव्वो जाव विहरंति २॥सू. 120 // तस्स णं उबयारियालेणस्स चउदिसिं चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा पराणत्ता Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-पुत्रम् / [ 117 वराणयो, तोरणा झया छत्ताइच्छत्ता 1 / तस्स णं उवयारियालयणस्स उवरिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते जाव मणीणं फासो 2 // सू० 121 // तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महेगे मूलपामायवडेंसए पराणत्ते, से णं मूलपासायवडिंसते पंच जोयणसयाई उ8 उच्चत्तेणं अड्डाइजाइं जोयणसयाई विक्खंभेणं अब्भुग्गयमूसिय-वराणतो, भूमिभागो, उल्लोयो, सीहासगां, सपरिवार भाणियव्वं, पट्ट मंगलगा झयो छत्ताइच्छत्ता 1 / से णं मूलपासायवडेंसगे अराणेहिं चरहिं पासयवडेंसएहिं तयद्भुञ्चत्तप्पमाणमेत्तेहिं सबतो समंता संपरिखित्ता, ते णं पासायवडेंसगा अड्डाइजाई जोयणसयाई उड्ड उच्चत्तेणं पणवीसं जोयणसयं विक्खंभेगां जाव वराणो 2 / ते णं पातायवडिंसया अराणेहिं चउहिं पासायवडिसएहिं तयधुञ्चत्तप्पमाणमेत्तेहिं सवयो समंता संपरिखित्ता, ते णं पासयवडेंसया पणवीसं जोयणमयं उड्ड उच्चत्तेगां बासढि जोयणाई अद्धजोयगां च विक्खंभेगां अभुगयमूसिय वराणो भूमिभागो उल्लोयो सीहासयां सपरिवारं भाणियव्वं, अट्ठ मंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता 3, ते णं पासायवडेंसगा अगणेहिं चरहिं पासायव.सएहिं तदद्धच्चत्तपमाणमेत्तेहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता, ते णं पासायवडेंसगा बासहि जोयणाई श्रद्धजोयां च उड्ढ उच्चत्तेगां एकतीसं जोयणाई कोसं च विक्खंभेणं वराणयो, उल्लोश्रो सीहासमां सपरिवारं पासायव.सगाणं उवरि 8 मंगलगा झया छत्तातिछत्ता 4 // सू० 122 // तस्स णं मूलपासायवडेंसयस्स उत्तरपुरस्थिमेगां एत्थ णं सभा सुहम्मा पराणत्ता, एगं जोयणसयं थायामेणं पराणासं जोयणाई विक्खंभेगां बावत्तरि जोयणाई उड्ड उच्चत्तेगां अणेगखम्भ जाव अच्छरगण पासादीया 1 / सभाए णं सुहम्माए तिदिसिं तयो दारा पराणत्ता, तंजहापुरस्थिमेणं दाहिणेगां उत्तरेगां, ते गं दारा सोलस जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं अट्ठ जोयणाई विक्खम्भेगां तावतियं चेव पवेसेगां सेया वरकणगथूभियागा Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 118 / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः जाव वणमालायो 2 / [तेसि णं दाराणां उअरिं अट्ठ मंगलगा झया छत्ताइछत्ता] तेसि णं दाराणां पुरयो पत्तेयं पत्तेयं मुहमराडवे पराणत्ते, ते णं मुहमराडवा एगं जोयणसयं थायामेणां पराणासं जोयणाइं विक्खंभेगां साइरेगाइं सोलस जोयणाई उड्ढ उच्चत्तेगां वराणयो, सभाए सरिसो, [तेसि णं मुहमराडवाणां तिदिसि ततो दारा पराणत्ता, तंजहा-पुरस्थिमेगां दाहिणेगां उत्तरेसां, ते णं दारा सोलस जोयणाई उट्ठ उच्चत्तेगां अट्ठ जोयणाई विक्खंभेगां तावइयं चेव पवेसेणं सेया वरकणगथूभियागा जाव वणमालायो। तेसि णं मुहमंडवाणां भूमिभागा उल्लोया, तेसि णं मुहमंडवाणं उवरि अट्ट मंगलगा झया छत्ताइच्छत्ता] तेसि णं मुहमंडवाणां पुरतो पत्तेयं पत्तेयं पेच्छाघरमंडवे पराणत्ते, मुहमंडववत्तव्वया जाव दारा भूमिभागा उल्लोया 3 // सू० 123 // तेसि णं बहुसमरमणिजाणां भूमिभागाणां बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं पत्तेयं वइरामए अक्खाडए पराणत्ते, तेसि णं वयरामयाणां अक्खाडगाणां बहुमज्झदेसभागे पत्तेयं पत्तेयं मणिपेढिया पंराणत्ता, तायो णं मणिपेढियातो अट्ठ जोयणाई यायामविवखंभेगां चत्तारि जोयणाई बाहल्लेगां सव्वमणिमईयो अच्छायो जाव पडिरूवायो, तामि णं मणिपेढियाणां उवरिं पत्तेयं पत्तेयं सीहासणे पराणत्ते; सीहासणवराणयो सपरिवारो, तेसि णं पेच्छाघरमंडवाणां उवरि अट्ट मंगलगा झया छत्तातिछत्ता, तेमि णं पेच्छाघरमंडवाणां पुरयो पत्तेयं पत्तेयं मणिपेढियायो पराणत्तायो, तायो णं मणिपेढियातो स्रोलस सोलस जोयणाई अायामविक्खंभेणां अट्ठ जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमईयो अच्छायो पडिरूवायो, तासि णं उवरि पत्तेयं पत्तेयं (चेइय)थूभे पराणत्ते, ते णं (चेइय). थूभा सोलस सोलस जोयणाई अायामविखंभेणं साइरेगाई सोलस सोलस जोयणाई उड्डउच्चत्तेणं, सेया संखंक जाव सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तेसि णं थूभाणं उवरिं अट्ठ मंगलगा झया छत्तातिछत्ता जाव सहस्सपत्त Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 116 हत्थया 1 / तेसि णं थूभाणं पत्तेयं पत्तेयं चउदिसिं मणिपेढियातो पराणत्तात्रो, ताश्रो णं मणिपेढियातो अट्ठ जोयणाई थायामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमईयो अच्छायो जाव पडिरूवातो, तासि णं मणिपेढियाणं उवरिं चत्तारि जिणपडिमातो जिणुस्सेहपमाणमेत्तायो संपलियंकनिसन्नायो थूभाभिमुहीयो सन्निखित्तागो चिट्ठांति, तंजहाउसभा वद्धमाणा चंदाणणा वारिसेणा 2 / / सू० 124 // तेसि णं थूभाणं पुरतो पत्तेयं पत्तेयं मणिपेढियातो पराणत्तायो, तायो णं मणिपेढियातो सोलस जोयणाई यायामविक्खंभेणं अट्ट जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमईयो जाव पडिरूवातो 1 / तासि णं मणिपेढियाणं उवरिं पत्तेयं पत्तेयं चेइयरुक्खे पराणत्ते, ते णं चेइयरुक्खा अट्ट जोयणाई उड्डे उच्चत्तेणं श्रद्धजोयगां उव्वेहेणं, दो जोयणाइं खंधा श्रद्धजोयणं विक्खंभेणं छ जोयणाई विडिमा बहुमज्झदेसभाए अट्ट जोयणाई यायामविक्खंभेणं साइरेगाइं अट्ठ जोयणाई सव्वग्गेणं पराणत्ता 1 / तेसि णं चेइयरुक्खाणं इमेयारूवे वरागावासे पराणत्ते, तंजहा-वयरामय-मूलरयय-सुपइट्टियविडिमा रिट्ठामयविउलकंद-वेरुलिय-रुइलखंधा सुजाय-वर-जायरूव-पढमग-विसालसाला नाणामणिमय-रयण-विविह–साहप्पसाह-वेरुलिय–पत्त--तवणिजपत्तबिंटा जंबूणय-रत्तमउय सुकुमाल-पवाल-पल्लव-वरंकुरधरा विचित्त-मणिरयणसुरभि-कुसुम-फलभर-नमियसाला सच्छाया सप्पभा सस्सिरीया सउज्जोया अहियं नयण-मणणिव्वुइकरा अमयरस-समरसफला पासाईया. 3 / तेसि णं चेइयरुक्खाणं उवरि अट्ट मंगलगा झया छत्ताइछत्ता 4 / तेसि णं चेइयरुक्खाणं पुरतो पत्तेयं पत्तेयं मणिपेढियायो पराणत्तायो, ताश्रो णं मणिपेढियायो अट्ट जोयणाई अायामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमईयो अच्छायो जाव पडिरूवायो, तासि णं मणिपेढियाणं उवरिं पत्तेयं पत्तेयं महिंदज्झए पराणत्ते, ते णं महिंदज्झया सर्टि जोयणाई Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 120 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : पञ्चमो विभाग उड्ड उच्चत्तेणं श्रद्धकोसं (जोयण) उव्वेहेणं श्रद्धकोसं (जोयणं) विखंभेणं वइरामय जाब सिंहरा पासादीया 4 / तेसि णं महिंदझयाणं उवरिं अट्ठ मंगलगा झया छत्तातिछत्ता, तेसि णं महिंदज्झयाणं पुरतो पत्तेयं पत्तेयं नंदा पुक्खरिणीयो पराणत्तायो, तायो णं पुक्खरिणीयो एगं जोयणसंयं थायामेणं पराणासं जोयणाई (एगं जोयणं) विक्खंभेणं दस जोयणाई उव्वेहेणं अच्छायो जाव वराणयो, एगइयायो उदगरसेणं पराणत्तायो, पत्तेयं पत्तेयं पउमवरवेइयापरिखित्तायो पत्तेयं पत्तेयं वणसंडपरिविखत्तायो 5 / तासि णं णंदाणं पुक्खरिणीणं तिदिसि तिसोवाणपडिरूवगा पराणत्ता, तिसोवाणपडिरूवगाणं वराणो, तोरणा झया छत्तातिछत्ता 6 / सभाए णं सुहम्माए अड्यालीसं - मणोगुलियासाहस्सीयो पराणत्तायो, तंजहापुरथिमेणं सोलससाहस्सीयो पचत्थिमेणं सोलससाहस्सीयो दाहिणेणं अट्ठसाहस्सीयो उत्तरेणं अट्ठसाहस्सीयो 7 / तासु णं मणोगुलियासु बहवे सुवरणरुप्पमया फलगा पराणत्ता, तेसु णं सुवन्नरुप्पमएसु फलगेसु बहवे वइरामया णागदंता पराणत्ता, तेसु णं वइरामएसु णांगदंतएसु किराहसुत्तवट्टवग्धारिय-मल्लदामकलावा चिठंति, सभाए णं सुहम्माए अडयालीसं गोमाणसियासाहस्सीयो पन्नत्तायो, जह मणोगुलिया जाक णागदंतगा / तेसु णं णागदंतएसु बहवे रययामया सिकगा पराणत्ता, तेसु णं रययामएसु सिक्कगेसु बहवे वेरुलियामइयो धूवघडियाश्रो पराणत्तायो, तायो णं धूवघडियागो कालागुरुपवर जाव चिट्ठति 1 // सू० 125 / / सभाए णं सुहम्माए अतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते जाव मणीहिं उवसोभिए मणिफासो य उल्लोयो य, तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महेगा मणिपेढिया पराणत्ता सोलस जोयणाई थायामविक्खंभेणं अट्ठ जोयणाई. बाहल्लेणं सव्वमणिमयी जाव पडिरूवा 1 / तीसे णं मणिपेढियाएं उवरि एत्थ णं माणवए चेइयखंभे पराणत्ते, Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 121 सद्धिं जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं, जोयणं उव्वेहेणं, जोयणं विक्खंभेणं अडयालीसंग्रंसिए अडयालीसइ कोडीए (कोडाकोडीए) अडयालीसइविग्गहिए सेसं जहा महिंदमयस्स माणवगस्स णं चेइयखंभस्स उवरि बारस जोयणाई श्रोगाहेत्ता हेट्टावि बारस जोयणाई वज्जेत्ता मज्झे छत्तीसाए जोयणेसु एत्थ णं बहवे सुवणरुप्पमया फलगा पराणत्ता, तेसु णं सुवराणरुप्पामएसु फलएसु बहवे वइरामया णागदंता पराणत्ता, तेसु णं वइरामएसु नागदंतेसु बहवे रययामया सिकगा . पराणत्ता, तेसु णं रययामएसु सिक्कएसु बहवे वइरामया गोलवट्टसमुग्गया पराणत्ता, तेसु णं वयरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु बहवे(हुयो) जिणसकहातो संनिखित्तायो चिठंति 2 / तातो णं सूरियाभस्स देवस्ल अन्नेसि च बहूगां देवाण य देवीण य अचणिज्जायो जाव पज्जुवासणिजातो 3 / माणवगस्त चेइयखंभस्स उवरिं अट्ठ मंगलगा झया छत्ताइच्छत्ता 4 // सू. 126 // तस्स माणवगस्स चेइयखंभस्स पुरस्थिमेणं एत्थ णं महेगा मणिपेढिया पराणत्ता, अट्ठ जोयणाई श्रायामविक्खंभेगां चत्तारि जोश्रणाई बाहल्लेगां सव्वमणिमई अच्छा जाव पडिरूवा 1 / तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं एत्थ णं महेगे सीहासणे पराणत्ते सीहासणवराणतो सपरिवारो, तस्स णं माणवगस्स चेइयखंभस्स पञ्चत्थिमेगां एत्थ णं महेगा मणिपेटिया पराणत्ता अट्ठ जोयणाई अायामविक्खंभेगां चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमया अच्छा जाव पडिरूवा 2 / तीसे णं मणिपेढियाए उपरि एत्थ णं महेगे देवसयणिज्जे परागते, तस्त णं देवसयणिजस्स इमेयारूवे वराणावासे पराणत्ते, तंजहाणाणामणिमया पडिपाया सोवनिया पाया णाणामणिमयाई. पायसीसगाई जंबूणयामयाइं गत्तगाई वइरामया संधी णाणामणिमए विच्चे रययामई तूली लाहियक्खमया विबोयणा तवणिजमया गंडोवहाणया 3 / से णं सयणिज्जे सालिंगणवट्टिए उभगोबिब्बोयणं दुहतोउराणते मज्झे णयगंभीरे Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 122 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: पश्चमो विभागः गंगापुलिण-वालुयाउद्दालसालिसए सुविरइय-रयत्ताणे उवचिय-खोमदुगुल्लपट्टपडिच्छायणे आईणग-रूय-बूर-णवणीय-तूलफासमउते रत्तंसुयसंयुए सुरम्मे पासादीये जाव पडिरूवे 4 // सू० 127 // तस्स णं देवसयणिजस्स उत्तरपुरस्थिमेणं महेगा मणिपेढिया पराणत्ता, अट्ठ जोयणाई अायामविक्खंभेणं चत्तारि जोषणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमयी जाव पडिरूवा 1 / तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं एत्थ णं महेगे खुड्डए महिंदज्झए परणत्ते सर्टि जोयणाई उड्डे उच्चत्तेणं जोयणं विखंभेणं वइरामया वट्टलट्ठसंठियसुसिलिट्ठ जाव पडिरूवा 2 / उवरि अट्ठ मंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता, तस्स णं खुड्डागमहिंदज्मयस्स पचत्थिमेणं एत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स चोप्पाले नाम पहरणकोसे पन्नत्ते सव्ववइरामए अच्छे जाव पडिरूवे 3 / तत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स फलिहरयण-खग्ग-गयाघणुप्पमुहा बहवे पहरणरयणा संनिखित्ता चिठंति, उज्जला निसिया सुतिक्खधारा पासादीया जाव पडिरूवा 4 / सभाए णं सुहम्माए उवरि अट्ठ मंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता 5 // सू० 128 // ___सभाए णं सुहम्माए उत्तरपुरथिमेणं एत्थ णं महेगे सिद्धायतणे पराणत्ते, एगं जोयणसयं पायामेणं पन्नासं जोयणाई विक्खंभेणं बावत्तरि जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं सभागमएणं जाव गोमाणसियायो भूमिभागा उल्लोया तहेव 1 / तस्स णं सिद्धायतणस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महेगा मणिपेढिया पराणत्ता, सोलस जोयणाई यायामविक्खंभेणं अट्ठ जोयणाई बाहल्लेणं 2 / तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं एत्थ णं महेगे देवच्छंदए परागत्ते, सोलस जोयणाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाइं सोलस जोयणाई उ8 उच्चत्तेणं सव्वरयणामए जाव पडिरूवे 3 / एत्थ णं अट्ठसयं जिणपडिमाणं जिणुस्सेहप्पमाणमित्ताणं संनिखित्तं संचिट्ठति, तासि णं जिणपडि. माणं इमेयारूवे वराणावासे पराणत्ते, तंजहा-तवणिजमया हत्थतल-पायतला, Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 123 अंकामयाई नक्खाइं अंतोलोहियक्खपडिसेगाई, कणगामईयो जंघात्रो, . कणगामया जाणू, कणगामया ऊरू, कणगामईयो गायलट्ठीयो, तवणिजमयायो नाभीयो, रिटामइयो रोमराईयो, तवणिजमया चुचुया, तवणिजमया सिरिखच्छा, सिलप्पवालमया श्रोहा, फालियामया दंता, तवणिजमईयो जीहायो, तवणिजमया तालुया, कणगामईयो नासिगायो अंतोलोहियक्खपडिसेगायो, अंकामयाणि अच्छीणि अंतोलोहियक्खपडिसेगाणि [रिटामईयो तारायो] रिट्ठामयाणि अच्छिपत्ताणि, रिट्ठामईश्रो भमुहायो कणगामया कवोला, कणगामया सवणा, कणगामईयो ण्डिालपट्टियातो, -वइरामईयो सीसघडीयो तवणिजमईयो . केसंतकेसभूमीयो रिट्ठामया उपरि मुद्धया 4 // सू० 121 // तासि णं जिणपडिमाणं पिट्टनो पत्तेयं पत्तेयं छत्तधारगपडिमाश्रो पराणत्तात्रो, तायो णं छत्तधारगपडिमायो हिम-रयय-कुदेंदुप्पगासाई सकोरंट-मल्लदामधवलाई श्रायवत्ताई सलीलं धारेमाणीयो धारेमाणीयो चिठ्ठति 1 / तासि णं जिणपडिमाणं उभयो पासे पत्तेयं पत्तेयं चामरधारपडिमायो पराणत्तायो, तायो णं चामरधारपडिमातो चंदप्पह-बयर-वेरुलिय-नानामणि-रयण-खचिय-चित्तदंडायो सुहुम-रयत-दीह. वालायो संखंक कुद-दगरय-अमतमहिय-फेणपुज-सन्निकामाश्रो धवलायो चामरायो सलीलं धारेमाणी यो धारेमाणीयो चिठ्ठति 2 / तासि णं जिणपडिमाणं पुरतो दो दो नागपडिमातो जक्खपडिमायो भूयपंडि मातो कुडधारपडिमायो सव्वरयणामईयो अच्छायो जाव चिठंति 3 / तासि णं जिणपडिमाणं पुरतो अट्ठसयं घंटाणं अट्ठसयं चंदणकलसाणं अट्ठसयं भिंगाराणं, एवं अायंसाणं थालाणं पाईणं सुपइट्ठाणं मणोगुलियाणं वायकरगाणं चित्तगराणं रयणकरंडगाणं हयकंठाणं जाव उसभकंठाणं पुप्फचंगेरीणं जाव लोमहत्थचंगेरीणं पुष्फपडलगाणं तेल्लसमुग्गाणं जाव अंजणसमुग्गाणं अट्ठसयं झयाणं अट्ठमयं धूवकडुच्छुयाणं संनिखित्तं चिट्ठति, Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 124 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु : पञ्चमो विभागः सिद्धायतणस्स णं उवरि अट्ठ मंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता 4 ॥सू० 130 // तस्स णं सिद्धायतणस्स उत्तरपुरस्थिमे णं एत्य णं महेगा उववायसभा पराणत्ता, जहा सभाए सुहम्माए तहेव जाव मणिपेढिया अट्ट जोयणाई देवसयणिज्जं तहेव सयणिजवराणो अट्ठ मंगलगा झया छत्तातिछत्ता 1 / तीसे णं उववायसभाए उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं महेगे हरए पराणत्ते, एगं जोयणसयं थायामेणं पराणास जोयणाई विक्खंभेणं दस जोयणाई उव्वेहेणं तहेव से णं हरए एगाए परम-वरवेड्याए एगेण वणसंडेण सब्बयो समंता संपरिक्खित्ते 2 / तस्स णं हरयस्स तिदिसं तिसोवाणपडिरूवगा पन्नत्ता 3 / तस्स णं हरयस्स उत्तरपुरथिमे णं एत्थ णं महेगा अभिसेगसभा पराणत्ता, सुहम्मागमएणं जाव गोमाणसियायो मणिपेढिया सीहासणं सपरिवारं जाव दामा चिट्ठांति, तत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स सुबहु अभिसेयभंडे संनिखित्ते चिटइ, अट्ट मंगलगा तहेव 4 / तीसे णं अभिसेगसभाए उत्तरपुरत्थिमेणं एत्थ णं अलंकारियसभा पराणत्ता जहा सभा सुधम्मा, मणिपेढिया अट्ठ जोयणाई सीहासणं सपरिवारं, तत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स सुबहु अलंकारियभंडे संनिखित्ते चिट्ठति, सेसं तहेव 5 / तीसे णं अलंकारियसभाए उत्तरपुरस्थिमे णं तत्थ णं महेगा ववसायसभा पराणत्ता, जहा उववायसभा जाव सीहासणं सपरिवारं मणिपेढिया, अट्ठ मंगलगा तहेव, तत्थ णं सूरियाभस्म देवस्स एत्थ महेगे पोत्थयरयणे सन्निखित्ते चिट्टइ, तस्स णं पोत्थयरयणस्स इमेयारूवे वराणावासे पराणत्ते, तंजहा-रिट्ठामईयो कबि आयो (रिट्ठामयाई उक्कंठियाई) तवणिजमए दोरे नाणामणिमए गंठी रयणामयाई पत्तगाई वेरुलियमए लिप्पासणे रिट्ठामए छंदणे तवणिजमई संकला रिट्ठामई मसी वइरामई लेहणी रिट्ठामयाइं अक्खराइं धम्मिए लेक्खे 6 / ववसायसभाए णं उरि अट्ठ मंगलगा, तीसे णं ववसायसभाए उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं नंदा पुक्खरिणी परणत्ता हरयसरिसा, तीसे णं Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् / -[ 125 णंदाए पुक्खरिणीए उत्तरपुरथिमेणं महेगे बलिपीढे पण्णत्ते सब्बरयणामए अच्छ जाव पडिरूवे 7 // सू० 131 // तेणं कालेणं तेणं समएणं सूरियाभे देवे अहुणोववराणमित्तए चेव समाणे पंचविहाए पजत्तीए पजत्तीभावं गच्छइ, तंजहा-आहारपजत्तीए सरीरपजत्तीए इंदियपजत्तीए प्राणपाणपजत्तीए भासा-मणपजत्तीए, तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स पंचविहाए पजत्तीए पजत्तीभावं गयस्स समाणस्स इमेयारूवे अज्झस्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुपजित्थाकिं मे पुब्धि करणिज्जं? कि मे पच्छा करणिज्ज ? किं मे पुब्बि सेयं ? किं मे पच्छा सेयं ? कि मे पुवि पि पच्छा वि हियाए सुहाए खमाए णिस्सेयसाए श्राणुगामियत्ताए भविस्सइ ? ॥सू० 132 // तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स सामाणिय-परिसोववन्नगा देवा सूरियाभस्स देवस्स इमेयारूवमज्झत्थियं जाव समुप्पन्नं समभिजाणित्ता जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छंति, सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु जएणं विजएणं वद्धाविति बद्धावित्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पियाणं सूरियाभे विमाणे सिद्धायतणंसि जिणपडिमाणं जिणुस्सेहपमाणमित्ताणं अट्ठसयं संनिखित्तं चिट्ठति, सभाए णं सुहम्माए माणवए चेइए खंभे वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु बहुयो जिणसकहाश्रो संनिखित्ताश्रो चिट्ठांति 1 / तायो णं देवाणुप्पियाणं अराणेसिं च बहुणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य अचणिज्जाबो जाव पज्जुवासणिजायो, तं एयं णं देवाणुप्पियाणं पुर्वि करणिज्जं, तं एयं णं देवाणुप्पियाणं पच्छा करणिज्जं, तं एयं णं देवाणुप्पियाणं पुब्धि सेयं, तं एयं णं देवाणुप्पियाणं पच्छा सेयं तं एयं णं देवाणुप्पियाणं पुवि पि पच्छा वि हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए प्राणुगामियत्ताए भविस्सति 2 // सू. 133 / / तए णं से सूरियाभे देवे तेसिं सामाणियपरिसोववनगाणं देवाणं अंतिए एयमट्ठ Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1126 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः सोचा निसम्म हट्टतुट्ठ जाव हयहियए सयणिजायो अब्भुटठेति सयणिजायो अब्भुठेत्ता उववायसभायो पुरथिमिल्लेणं दारेणं निग्गच्छइ, जेणेव हरए तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता हरयं अणुपयाहिणीकरमाणे अणुपयाहिणीकरेमाणे पुरथिमिल्लेणं तोरणेणं अणुपविसइ अणुपविसित्ता पुरथिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पचोरुहइ पचोरुहित्ता जलावगाहं जलमजणं करेइ करित्ता जलकिड्ड करेइ करित्ता जलाभिसेयं करेइ करित्ता भायंते चोक्खे परमसुईभूए हरयायो पचोत्तरइ पच्चोत्तरित्ता जेणेव अभिसेयसभा तेणेव उवागच्छति तेणेव उवागच्छित्ता अभिसेयसभं अणुपयाहिणीकरेमाणे अणुपयाहिणीकरेमाणे पुरथिमिल्लेणं दारेणं अंणुपविसइ अणुपविसित्ता जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सन्निसन्ने / सू० 134 // तए णं सूरियाभस्स देवस्स सामाणियपरिसोववन्नगा देवा भाभियोगिए देवे सदावेंति सहावित्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो ! देवाणुप्पिया! सूरियाभस्स देवस्स महत्थं महग्धं महरिहं विउलं इंदाभिसेयं उबटुवेह 1 / तए णं ते पाभियोगिया देवा सामाणियपरिसोववन्नेहिं देवेहिं एवं वुत्ता समाणा हट्ठा जाव हियया करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं देवो! तह-त्ति प्राणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति, पडिसुणित्ता. उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं श्रवक्कमंति, उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं श्रवक्कमित्त वेउब्वियसमुग्घाएणं समो. हणंति, समोहणित्ता संखेजाइं जोयणाइं जाव दोच्चं पि वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणित्ता अट्ठसहस्सं सोवन्नियाणं कलसाणं अट्ठसहस्सं रुप्पमयाणं कलसाणं अट्ठसहस्सं मणिमयाणं कलसाणं अट्ठसहस्सं सुवराणरुप्पमयाणं कलसाणं अट्ठसहस्सं सुवन्नमणिमयाणं कलसाणं अट्ठसहस्सं रुप्पमणिमयाणं कलसाणं अट्ठसहस्सं. सुवरणरुप्पमणिमयाणं कलसाणं अट्ठसहस्सं भौमिजाणं कलसाणं एवं भिंगाराणं पायंसाणं थालाणं पाईणं. सुपतिढाणं Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-पूत्रम् ) [ 127 वायकरगाणं रयणकरंडगाणं पुष्फचंगेरीणं जाव लोमहत्थचंगेरीणं पुष्फपडलगाणं जाव लोमहत्थपडलगाणं सीहासणाणं छत्ताणं चामराणं तेल्लसमुग्गाणं जाव अंजणसमुग्गाणं झयाणं अट्ठसहस्सं धूवकडुच्छुयाणं विउव्वंति. विउवित्ता ते साभाविए य वेउविए य कलसे य जाव कडुच्छुए य गिराहंति गिरिहत्ता सूरियाभायो विमाणायो पडिनिक्खमंति पडि. निक्खमित्ता ताए उकिट्ठाए चवलाए जाव तिरियमसंखेजाणं जाव वीतिवयमाणे वीतिवयमाणे जेणेव खीरोदयसमुद्दे तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता खीरोयगं गिरिहंति जाई तत्थुप्पलाइं ताइं गेराहंति जाव सयसहस्सपत्ताई गिराहंति गिराहत्ता जेणेव पुक्खरोदए समुद्दे तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता पुक्खरोदयं गेराहति गिरिहत्ता.जाई तत्थुप्पलाई सयसहस्सपत्ताई ताई जाव गिरहंति गिरिहत्ता जेणेव समयखेत्ते जेणेव भरहेरवयाइं वासाई जेणेव मागहवरदामपभासाइं तित्थाई तेणेव उवागच्छति तेणेव उवागच्छित्ता तित्थोदगं गेहंति गेराहेत्ता तित्थमट्टियं गेगहंति गेरिहत्ता जेणेव गंगा-सिंधुरत्ता रत्तवईयो महानईश्रो तेणेव उबागच्छंति बागच्छित्ता सलिलोदगं गेरहंति सलिलोदगं गेरिहत्ता उभगोकूलमट्टियं गेराहति मट्टियं गेरिहत्ता जेणेव चुल्लहिमवंत-सिहरी-वासहरपव्वया तेणेव उवागच्छति तेणेव उवागच्छित्ता दगं गेराहति सव्वतूयरे सव्वपुप्फे सव्वगंधे सव्वमल्ले सव्वोसहिसिद्धत्थए गिराहंति गिरिहत्ता जेणेव पउमपुंडरीयदहे तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता दहोदगं गेराहंति गरिहत्ता जाई तत्थ उप्पलाइं जाव सयसहस्सपत्ताई ताई गेगहंति गेरिहत्ता जेणेव हेमवएरवयाई वासाइं जेणेव रोहियरोहियसा-सुवराणकूल-रुप्पकूलायो महाणईयो तेणेव उवागच्छंति, सलिलोदगं गेरहंति गेरिहत्ता उभगोकूलमट्टियं गिराहंति गिरिहत्ता जेणेव सद्दावति-वियडावति-परियागा वट्टवेयड्डपव्वया तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता सव्वतूयरे तहेव. जेणेव महाहिमवंत-रुप्पि-वासहरपव्वया तेणेव Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 128 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः उवागच्छंति तहेव जेणेव महापउम-महापुडरीयदहा तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता दहोदगं गिरहति तहेव जेणेव हरिवास-रम्मगवासाई जेणेव हरिकंत-नारिकतायो महाणईयो तेणेव उवागच्छति तहेव जेणेव गंधावइमालवंतपरियाया वट्टवेयड्ढपव्वया तेणेव तहेव जेणेव णिसढ–णीलवंतवासधरपञ्चया तहेव जेणेव तिगिच्छि-केसरिदहायो तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता तहेव जेणेव महाविदेहे वासे जेणेव सीतासीतोदायो महाणदीयो तेणेव तहेव जेणेव सव्वचकवट्टिविजया जेणेव सव्वमागह-वरदाम-पभासाइं तित्थाई तेणेव उवागच्छंति तेणेव उवागच्छित्ता तित्थोदगं गेगहंति गरिहत्ता सव्वंतरणईयो जेणेव सव्ववक्खारपव्वया तेंणेव उवागच्छंति सब्बतूयरे तहेव जेणेव मंदरे पव्वते जेणेव भदसालवणे तेणेव उवागच्छंति सव्वतूयरे सव्वपुप्फे सव्वमल्ले सव्वोसहिसिद्धत्थए य गेराहंति गरिहत्ता जेणेव णंदणवणे तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता सव्वतूयरे जाव सब्बोसहिसिद्धत्थए यं सरसगोसीसचंदणं गिराहंति गिरिहत्ता जेणेव सोमणसवणे तेणेव उवागच्छति सव्व. तूयरे जाव सम्बोसहिसिद्भस्थए य सरसगोसीसचंदणं च दिव्वं च सुमणदामं गिराहंति गिरिहत्ता जेणेव पंडगवणे तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता सव्वतूयरे जाव सव्वोसहिसिद्धत्थए / सरसं च गोसीसचंदणं च दिव्वं च सुमणदामं ददरमलयसुगंधियगंधे गिराहंति गिरिहत्ता एगतो मिलायंति मिलाइत्ता ताए उकिट्ठाए जाव जेणेव सोहम्मे कप्पे जेणेव सूरियाभे विमाणे जेणेव अभिसेयसभा जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थर अंजलिं कटु जएणं विजएणं वद्धाविति वद्धावित्ता तं महत्थं महग्धं महरिहं विउलं इंदाभिसेयं उवट्ठति 2 / तए णं तं सूरियामं देवं चत्तारि सामाणियसाहस्सीयो चत्तारि अग्गमहिसीयो सपरिवारातो तिन्नि परिसायो सत्त अणियाहि. Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् / [ 126 वइणो जाव अन्नेवि बहवे सूरियाभविमाणवासिणो देवा य देवीयो य तेहिं साभाविएहि य वेउविएहि य वरकमलपइट्ठाणेहि य सुरभिवरवारिपडिपुन्नेहिं चंदणकयचचिएहिं श्राविद्धकंठेगुणेहि पउमुप्पलपिहाणेहिं सुकुमाल कोमलपरिग्गहिएहिं अट्ठसहस्सेणं सोवनियाणं कलसाणं जाव अट्ठसहस्सेगां भोमिजागां कलसाग सम्बोदएहिं सव्वमट्टियाहिं सव्वतूयरेहि जाव सम्वोसहिसिद्धत्थएहि य सब्बिड्डीए जाव वाइएगां महया महया इंदाभिसेएगां अभिसिंचंति 3 // सू० 135 // . ___तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स महया महया इंदाभिसेए वट्टमाणे अप्पेगतिया देवा सूरिया विमागां नचोययं नातिमट्टियं पविरलफुसियरेणुविणासगां दिव्वं सुरभिगंधोदगं वासं वासंति, अप्पेगतिया देवा हयरयं नहरयं भट्टरयं उवसंतरयं पसंतरयं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणां पासिय-संमजियोवलितं सुइ-संमट्ट-रत्यंतरावणवीहियं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमागां मंचाइमंचकलियं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमागां णाणाविहरागोसियं भय-पडागाइ-पडागमंडियं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणां लाउल्लोइयमहियं गोसीससरस-रत्तचंदण-ददर-दिगणपंचंगुलितलं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमागां उवचियचंदणकलसं चंदण-घड-सुकय-तोरण-पडिदुवारदेसभागं करेंति, श्रप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणं श्रासत्तोसत्त-विउल-बट्ट-वग्घारियमल्लदामकलावं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणां पंचवराण-सुरभिमुक-पुप्फपुंजोवयारकलियं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमा कालागुरु-पवर-कुंदुरुक-तुरुक-धूव-मघमघंत-गंधुद्भूयाभिरामं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणां सुगंधगंधियं गंधवट्टिभूतं करेंति 1 / अप्पेगतिया देवा हिरगणवासं वासंति, सुवरणवासं वासंति, रथयवासं वासंति, वइरवासं वासंति, पुष्फवासं वासंति, फलवासं वासंति, मल्लवासं वासंति, गंधवासं Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 130 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः वासंति, चुराणवासं वासंति, श्राभरणवासं वासंति- 2 / अप्पेगतिया देवा हिरराणविहिं भाएंति, एवं सुवन्नविहिं भाएंति, रयणविहिं (वयरविहिं) पुष्फविहिं फलविहिं मल्लविहिं चुराणविहिं वत्थविहिं गंधविहिं भाएंति 3 / तत्य अप्पेगतिया देवा श्राभरणविहिं भाएंति, अप्पेगतिया चउन्विहं वाइत्तं वाइति-ततं विततं घणं झुसिरं, अप्पेगइया देवा चरविहं गेयं गायंति, तंजहा-उक्खित्तायं पायत्तायं मंदायं रोइतावसाणं 4 / अप्पेगतिया देवा दुयं नट्टविहिं उवदंसिंति अप्पेगतिया विलंबियणट्टविहिं उवदंसेंति, अप्पे. गतिया देवा दुतविलंबियं णट्टविहिं उवदंसेंति, एवं अप्पेगतिया अंचियं नट्टविहिं उवदंसेंति, अप्पेतिया देवां आरभडं भसोलं धारभडभसोलं उष्पायनिवायपवत्तं संकुचियपसारियं रियारियं भंतसंभंतणामं दिव्वं णट्टविहिं अदंसेंति 5 / अप्पेगतिया देवा चरब्विहं अभिणयं अभिणयंति, तंजहादिट्ठतियं पाडंतियं सामंतोवणिवाइयं लोगअंतोमझावसाणियं, अप्पेगतिया देवा बुक्कारेंति, अप्पेगतिया देवा पीणेंति, अप्पेमतिया लासेंति अप्पेगतिया हक्कारेंति, अंप्पेगतिया विणंति, तंडवेति, अप्पेगइया वग्गंति अप्फोडेंति, अप्पेगतिया अप्फोडेंति वग्गति, अप्पेगतिया तिवई छिदंति 6 / अप्पेगतिया हयहेसियं करेंति, अप्पेगतिया हत्थिगुलगुलाइयं करेंति, अप्पेगतिया रहघणघणाइयं करेंति, अप्ऐंगतिया हयहेसिय-हत्थिगुलगुलाइय-रहघणघणाइयं करेंति, 7 / अप्पेगतिया उच्छलेंति अप्पेगतिया पोलैंति, अप्पेगतिया उक्किट्ठियं करेंति, अप्पेगतिया उच्चलेंति पोच्छलेंति, अप्पगतिया तिन्नि वि 8 | अप्पेगतिया उवयंति, अप्पेगतिया उप्पयंति, अप्पेगतिया परिवयंति, अप्पेगइया तिन्नि वि 1 / अप्पेगइया सीहनायंति, अप्पेगतिया दहरयं करेंति, अप्पेगतिया भूमिचवेडं दलयंति, अप्पेतिया तिन्नि वि 10 / अप्पेगतिया गज्जंति, अप्पेगतिया विजुयायंति, यप्पेगइया वासं वासंति, अप्पेगतिया तिन्नि वि करेंति 11 / अप्पेगतिया. जलंति, Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] / 131 अप्पेगतिया तवंति, अप्पेगतिया पतवेंति, अप्पेगतिया तिन्नि वि 12 / अप्पेगतिया हक्कारेंति, अप्पेगतिया थुक्कारेंति, अप्पेगतिया धक्कारेंति, अप्पेगतिया साइं साइं नामाइं साहेति, अप्पेगतिया चत्तारि वि 13 / अप्पेगइया देवा देवसन्निवायं करेंति, अप्पेगतिया देवुज्जोयं करेंति, अप्पेगइया देवुकलियं करेंति, अप्पेगइया देवा कहकहगं करेंति, अप्पेगतिया देवा दुहदुहगं करेंति, थप्पेगतिया चेलुक्खेवं करेंति, अप्पेगइया देवसन्निवायं देवुजोयं देवुकलियं देवकहकहगं देवदुहदुहगं चेलुक्खेवं करेंति, अप्पेगतिया उप्पलहत्थगया जाव सयसहस्सपत्तहत्थगया, अप्पेगतिया कलसहत्थगया जाव धूवकडुच्छयहत्थगया हट्टतुट्ट जाव हियया सव्वतो समंता श्राहावंति परिधावंति 14 / तए णं तं सूरियामं देवं चत्तारि सामाणियसाहस्सीयो जाव सोलस आयरक्खदेवसाहस्सीयो अराणे य बहवे सूरियाभ-रायहाणिवत्थव्वा देवा य देवीयो य महया महया इंदाभिसेगेणं अभिसिंचंति अभिसिंचित्ता पत्तेयं पत्तेयं करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं वयासी-जय जय नंदा ! जय जय भद्दा ! जय जय नंदा ! भद्दते, अजियं जिणाहि, जियं च पालेहि, जियमज्झे वसाहि इंदो इव देवाणं चंदो इव ताराणं चमरो इव असुराणं धरणो इव नागाणं भरहो इव मणुयाणं बहूई पलिग्रोवमाई बहूई सागरोवमाई बहूइं पलिग्रोवमसागरोवमाइं चउराहं सामाणियसाहस्सीणं जाव आयरक्खदेवसाहस्सीणं सूरियाभस्स विमाणस्स अन्नेसिं च बहूणं सूरियाभविमाणवासीणं देवाण य देवीण या आहेवच्चं जाव महया महया कारेमाणे पालेमाणे विहराहि त्ति कटु जय जय सद्द पउंजंति 15 // सू० 136 // तए णं से सूरियाभे देवे महया महया इंदाभिसेगेणं अभिसित्ते समाणे अभिसेयसभायो पुरथिमिल्लेणं दारेणं निग्गच्छति निग्गच्छित्ता जेणेव अलंकारियसभा तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता अलंकारियसभं अणुप्पयाहिणीकरेमाणे 2 अलंकारियसभं Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 132 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः पुरथिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसति अणुपविसित्ता जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छति सीहासणवरगते पुरस्थाभिमुहे सन्निसन्ने 1 / तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स सामाणियपरिसोववन्नगा अलंकारियभंडं उवट्ठवेंति, तए णं से सूरियाभे देवे तप्पढमयाए पम्हलसूमालाए सुरभीए गंधकासाईए गायाइं लूहेति लूहित्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाइं अणुलिपति अणुलिंपित्ता नासानीसासवायवोझ चक्खुहरं वनफरिसजुत्तं हयलालापेलवातिरेगं धवलं : कणगखचियंतकम्मं श्रागासफालियसमप्पभं दिव्वं देवदूसजुयलं नियंसेति नियंसेत्ता हारं पिणद्धेति पिणद्धित्ता अद्भहारं पिणद्धेइ एगावलि पिणद्धेति पिणद्धित्ता मुत्तावलि पिणद्धेति पिणद्धित्ता रयणावलिं पिणद्धेइ पिणद्धित्ता एवं अंगयाइं केयूराई कडगाइं तुडियाई कडिसुत्तगं दसमुदाणंतगं वच्छसुत्तगं मुरविं कंठमुरविं पालंब कुडलाई चूडामणिं मउडं पिणद्धेइ गंथिम-वेढिम-पूरिम-संघाइमेणं चउविहेणं मल्लेणं. कप्परुक्खगं पिव अप्पाणं अलंकियविभूसियं करेइ करित्ता ददरमलयसुगंधगंधिएहिं गायाइं भुखंडेइ दिव्वं च सुमणदामं पिणद्धेइ 2 // सू० 137 // तए णं से सूरियाभे देवे केसालंकारेणं मलालंकारेण श्राभरणालंकारेणं वत्थालंकारेणं चउबिहेण अलंकारेण अलंकियविभूसिए समाणे पडिपुराणलंकारे सीहासणाश्रो अन्भुट्ठति अब्भुट्टित्ता अलंकारियसभायो पुरथिमिल्लेणं दारेणं पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता जेव ववसायसभा तेणेव उवागच्छति ववसायसभं अणुपयाहिणीकरेमाणे अणुपयाहिणिकरेमाणे पुरथिमिल्लेणं दारेणं यणुपविसति, जेणेव सीहासणवरगए जाव सन्निसन्ने 1 / तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स सामाणियपरिसोववन्नगा देवा पोत्थयरयणं उवणेति (उवणमंति) 2 / तते णं से सूरियाभे देवे पोत्थयरयणं गिरहति गिरिहत्ता पोत्थयरयणं मुयइ मुइत्ता पोत्थयरयणं विहाडेइ. विहाडित्ता पोत्थयरयणं वाएति पोत्थयरयणं वाएत्ता Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीओपातिक-सूत्रम् ] [ 133 धम्मियं ववसायं ववसइ ववसइत्ता (गिराहति गिरिहत्ता) पोत्थयरयणं पडिनिक्खिवइ सीहासणातो अभुट्ठति अब्भुट्ठत्ता ववसायसभातो पुरत्थिमिल्लेणं दारेणं पडिनिक्खमित्ता जेणेव नंदा पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता णंदापुक्खरिणि पुरथिमिल्लेणं तोरणेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पचोरुहइ पचोरुहित्ता हत्थपादं पक्खालेति पक्खालित्ता आयंते चोक्खे परमसूइभूए एगं महं सेयं रययामयं विमलं सलिलपुराणं मत्त-गय-मुहागितिकुभसमाणं भिंगारं पगेगहति पगेरिहत्ता जाइं तत्थ उप्पलाइं जाव सतसहस्सपत्ताई ताइं गेहति गरिहत्ता णंदातो पुक्खरिणीतो पच्चुत्तरति पच्चुत्तरित्ता जेणेव सिद्धायतणे तेणेव पहारेत्थ गमणाए 3 // सू० 138 // तए णं तं सूरियामं देवं चत्तारि य सामाणियसाहस्सीयो जाव सोलस थायरक्खदेवसाहस्सीयो अन्ने य बहवे सूरियाभविमाणवासिणो जाव देवीयो य अप्पेगतिया देवा उप्पलहत्थगा जाव सयसहस्सपत्तहत्थगा सूरियाभं देवं पिट्ठतो पिट्ठतो समणुगच्छंति 1 / तए णं तं सूरियाभं देवे बहवे अाभियोगिया देवा य देवीयो य अप्पेगतिथा कलसहत्थगा जाव अप्पेगतिया धूवकडुच्छयहत्थगता हट्टतुट्ठ जाव सूरियाभं देवं पिट्ठतो समणुगछति 2 / तए णं से सूरियाभे देवे चउहिं सामाणिगसाहस्सीहिं जाव अन्नेहि य बहूहि य जाव देवेहि य देवीहि य सद्धि संपरिखुडे सव्विड्डीए जाव णातियरवेणं जेगोव सिद्धायतणे तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता सिद्धायतणं पुरथिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसति अणुपविसित्ता जेणेव देवच्छंदए जेणेव जिणपडिमाश्रो तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता जिणपडिमाणं श्रालोए पणामं करेति करित्ता लोमहत्थगं गिराहति गिरिहत्ता जिगपडिमाणं लोमहत्थएणं पमजइ पमजित्ता जिणपडिमायो सुरभिणा गंधोदएणं राहाणेइ राहाणित्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाइं अणुलिंपइ अणुलिंपइत्ता सुरभिगंधकासाइएणं गायाइं लूहेति लूहित्ता जिणपडिमाणं Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 134 ) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः अहयाई देवदूसजुयलाई नियंसेइ नियंसित्ता पुष्फारुहणं मलारुहणं गंधारुहणं चुराणाहणं वन्नारुहणं वत्थारुहां पाभरणारुहणं करेइ करित्ता भासत्तोसत्तविउल-बट्टवग्धारिय-मल्लदामकलावं करेइ मलदामकलावं करेत्ता कयग्गहगहिय-करयल-पभट्ट विष्पमुक्केणं दमद्धवन्नेणं कुसुमेणं मुकपुप्फपुजोवयारकलियं करेति करित्ता जिणपडिमाणं पुरतो अच्छेहि सराहेहि रययामएहिं अच्छरसातंदुलेहिं अट्ठ मंगले बालिहइ, तंजहा-सोत्थिय जाव दप्पणं 3 / तयाणंतरं च णं चंदप्पभ-वइर-वेरुलियविमलदंडं कंचण-मणिरयण-भत्तिचित्तं कालागुरु-पवर-कुंदुरुक्क-तुरक-धूवमधमघंत-गंधुत्तमाणुविद्धं च धूववटि विणि-. . म्मुयंत वेरुलियमयं कडुच्छुयं पग्गहिय पयत्तेणं धूवं दाऊण जिणवराणं अट्ठसयविसुद्ध-गंथजुत्तेहिं अत्थजुत्तेहिं अपुणरुत्तेहिं. महावित्तेहिं संथुणइ संथुणित्ता सत्तट्ट पयाई पच्चोसकइ पच्चोसकित्ता वामं जाणुअंचेइ अंचित्ता दाहिण जाणु धरणितलंसि निहट्ट तिम्खुत्तो मुद्धाणं धरणितलंसि निवाडेइ निवाडित्ता ईसिं पच्चुराणमइ पच्चुराणमित्ता करयलपरिग्गहियं पिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं वयासी-नमोऽत्थु णं अरिहंताणं भगवंताणं श्रादिगराणं तित्थगराणं सयंसंबुद्धाणं पुरिसुत्तमाणं पुरिससीहाणं पुरिसवरपुराडरीयाणं पुरिसवरगंधहत्थीणं लोगुत्तमाणं लोगनाहाणं लोगहियाणं लोगपईवाणं लोगपज्जोयगराणं अभयदयाणं चक्खुदयाणां मग्गदयागां सरणदयागां बोहिदयागां धम्मदयाणां धम्मदेसयाणां धम्मनायगाणं धम्मसारहीणां धम्मवरचाउरंतचकवट्टीणां अप्पडिहयवरनाणदसणधराणं विअच्छउमाणं जिणाणां जावयाणं तिन्नागां तारयाणां बुद्धागां बोहयागां. मुत्तायां मोगागां सव्वन्नूगां सव्वदरिसीगां सिवं अयलं अरुयं अणंतं. अक्खयं-अव्वाबाहं अपुणरावित्ति-सिद्धिगइनामधेयं ठागां संपत्तागां 4 | वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव देवच्छंदए जेणेव सिद्धायतणस्स बहुमज्झदेसभाए तेणेव उवागच्छइ लोमहत्थगं परामुसइ सिद्धायतणस्स बहुमज्झदेसभागं लोमहत्थेणं Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] ( 135 पमजति, दिव्वाए दगधाराए अब्भुक्खेइ, सरसेगां गोसीसचंदणेगां पंचंगुलितलं मंडलगं श्रालिहइ कयग्गहगहिय जाव पुंजोवयारकलियं करेइ करेत्ता धूवं दलयइ 5 / जेणेव सिद्धायतणस्स दाहिणिल्ले दारे तेणेव उबागच्छति लोमहत्थगं परामुसइ दारचेडीयो य सालभंजियायो य वालरूवए य लोमहत्थएगां पमजइ दिव्वाए दगधाराए अभुक्खेइ सरसेगां गोसीसचंदणेगां चच्चए दलयइ दलइत्ता पुष्फारुहणं मल्लारुहां जाव अाभरणारहणां करेइ करेत्ता भासत्तोसत्त जाव धूवं दलयइ 6 / जेणेव दाहिणिल्ले दारे मुहमंडवे. जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए तेणेव, उवागन्छइ लोमहत्थगं परामुसइ बहुमज्झदेसभागं लोमहत्थेणं पमजइ दिवाए दगधाराए अभुक्खेइ सरसेगां गोसीसचंदणेगां पंचंगुलितलं मंडलगं प्रालिहइ कयग्गाहगहिय जाव धूवं दलयइ 7 / जेणेव दाहिणिलस्स मुहमंडवस्स पञ्चस्थिमिल्ले दारे तेणेव उवागच्छइ लोमहत्थगं परामुसइ दारचेडीयो य सालभंजियायो य वालरूवए य लोमहत्थेणं पमन्जइ दिव्वाए दगधाराए अभुक्खेइ सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चए दलयइ पुष्फारुहणं जाव ग्राभरणारुहगां करेइ यासत्तोसत्त-विउल-बट्ट-वग्धारियमल्लदामकलावं करेइ 2 कयगाहग्गहिय-करयल-पन्भट्ट-विप्पमुक्केणं धूवं दलयइ, जेणेव दाहिणिल्लमुहमंडवस्स उत्तरिल्ला खंभपंती - तेणेव उवागच्छइ लोमहत्थं - परामुसइ थंभे य सालभंजियाओ य वालरूवए य लोहमत्थएणं पमन्जइ जहा चेव पञ्चस्थिमिल्लस्स दारस्स जाव धूवं दलयइ जेणेव दाहिणिल्लस्स. मुहमंडवस्स पुरथिमिल्ले दारे तेणेव उवागच्छइ लोमहत्थगं परामुसति दारचेडीयो तं चेत्र सव्वं जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमंडवस्स दाहिणिल्ले दारे तेणेय उवागच्छइ दारचेडीयो य तं चेव सव्वं जेणेव दाहिणिल्ले पेच्छाघरमंडव जेणेव दाहिणिल्लस्स पेच्छाघरमंडवस्स बहुमज्झदेसभागे जेणेव वइरामए अवखाडए जेणेव Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभाग मणिपेढिया जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ लोमहत्थगं परामुसइ अक्खाडगं च मणिपेढियं च सीहासणं च लोमहत्थएणं पमन्जइ दिवाए दगधाराए सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चइ दलयइ 8 / पुप्फारुहणं श्रासत्तोसत्त जाव धूवं दलेइ जेणेव दाहिणिल्लस्स पेच्छाघरमंडवस्स पञ्चस्थिमिल्ले दारे उत्तरिल्ले दारे तं चेव जं चेव पुरथिमिल्ने दारे तं चेव, दाहिणे दारे तं चेव 1 / जेणेव दाहिणिल्ले चेईयथूभे तेणेव उवागच्छइ थूमं मणिपेढियं च दिवाए दगधाराए सरसेण गोसीसचंदणेण चचए दलेइ 10 / पुष्फारुहणं जाव श्राभरणारहणं करेइ 2 अासत्तोसत्त-विउलवट्ट-वग्धारिय-मल्लदामकलावं जाव धूवं दलेइ 11 / जेणेव पचत्थिमिल्ला मणिपेढिया जेणेव पञ्चस्थिमिल्ला जिणपडिमा तं चेव, जेणेव उत्तरिल्ला जिणपडिमा तं चेव सव्वं 12 / जेणेव पुरथिमिल्ला मणिपेढिया जेणेव पुरथिमिला जिणपडिमा तेणेव उवागच्छइ तं चेव, दाहिणिला मणिपेढिया दाहिणिला जिणपडिमा तं चेव, जेणेव दाहिणिल्ले चेइयरुक्खे तेणेव उवागच्छइ तं चेव 13 / जेणेव महिंदज्झए जेणेव दाहिणिल्ला नंदापुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति लोमहत्थगं परामुमति तोरणे य तिसोवाणपडिरूवए सालभंजियायो य वालरूवए य लोमहत्थएणं पमन्जइ दिव्वाए दगधाराए सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चए दलेइ पुप्फारुहणं थासत्तोसत्त-विउलवट्ट-वग्धारिय-मल्लदामकलावं जाव धूवं दलयति 14 / सिद्धाययणं अणुपयाहिणीकरमाणे जेणेव उत्तरिला गंदापुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति तं चेव, जेणेव उत्तरिल्ले चेइयरुक्खे तेणेव उवागच्छति, जेणेव उत्तरिल्ले चेइयथूभे तहेव, जेणेव पचत्थिमिल्ला पेढिया जेणेव पचत्थिमिला जिणपडिमा तं चेव, उत्तरिल्ले पेच्छाघरमंडवे तेणेव उवागच्छति, जा चेव दाहिमिल्लवत्तव्वया सा चेव सब्वा पुरथिमिल्ले दारे, दाहिणिल्ला खंभपंती तं चेव सव्वं 15 / जेणेव उत्तरिल्ले मुहमंडवे जेणेव उत्तरिल्लस्स मुहमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए तं चेव Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् / [ 137 सव्वं, पञ्चस्थिमिल्ले दारे तेणेव. उत्तरिल्ले दारे दाहिणिला खंभपंती सेसं तं चेव सव्वं, जेणेव सिद्धायतणस्स उत्तरिल्ले दारे तं चेव 16 / जेणेव सिद्धायतणस्स पुरस्थिमिल्ले दारे तेणेव उवागच्चइ तं चेव, जेणेव पुरत्थिमिल्ले मुहमंडवे जेणेव पुरथिमिल्लस्स मुहमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए तेणेव उवागच्छइ तं चेव, पुरथिमिल्लस्म मुहमंडवस्स दाहिणिल्ले दारे पञ्चत्थिमिल्ला खंभपंती उत्तरिल्ले दारे तं चेव पुरथिमिल्ले दारे तं चेव, जेणेव पुरथिमिल्ने पेच्छाघरमंडवे 17 / एवं थूमे जिणपाडेमायो चेइयरुक्खा महिंदज्झया णंदा पुक्खरिणी तं चेव जाव धूवं दलइ जेणेव सभा सुहम्मा तेणेव उवागच्छति सभं सुहम्मं पुरथिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसइ जेणेव माणवए चेइयखंभे जेणेव वइरामए गोलवट्टसमुग्गे तेणेव उवागच्छा उवागच्छइत्ता लोमहत्थगं परामुसइ वइरामए मोलवट्टसमुग्गए लोमहत्थेणं पमजइ वइरामए गोलवट्टसमुग्गए विहाडेइ जिणसगहायो लोमहत्थेणं पमज्जइ सुरभिणा गंधोदएणं पक्खालेइ पक्खालित्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहि य मल्लेहि य अच्चेइ धूवं दलयइ 18 / जिणसकहाश्रो वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु पडिनिक्वंवइ माणवगं चेइयखंभे लोमहत्थएणं पमजइ दिव्वाए दगधाराए सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चए दलयड, पुप्फारहणं जाव धूवं दलयइ 11 / जेणेव सीहासणे तं चेव, जेणेव देवसयणिज्जे तं चेव, जेणेव खुड्डागमहिंदज्झए तं चेव, जेणेव पहरणकोसे चोप्पालए तेणेव उवागच्छइ लोमहत्थगं परामुसइ पहरणकोसं चोप्पालं लोमहत्थएणं पमन्जइ दिवाए दगधाराए सरसेणं गोसीसचंदणेणं दलेड पुष्फारुहणं आसत्तोसत्त जाव धूवं दलयइ, जेणेव सभाए सुहम्माए बहुमज्भदेसभाए जेणेव मणि. पेढिया जेणेव देवसयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ लोमहत्थगं परामुसइ देवसयणिज्जं च मणिपेढियं च लोमहत्थएणं पमजइ जाव धूवं दलयइ 20 / जेणेव उववायसभाए दाहिणिल्ले दारे तहेव अभिसेयसभासरिसं जाव पुर 18 Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 138 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः थिमिल्ला गंदा पुक्खरिणी जेणेव हरए तेणेव उवागच्छइ तोरणे य तिसोवाणे य सालभंजियायो य वालरूवए य तहेव, जेणेव अभिसेयसभा तेणेव उवागच्छइ तहेव सीहासणं च मणिपेढियं च सेसं तहेव पाययणसरिसं जाव पुरथिमिल्ला गंदा पुक्खरिणी जेणेव अलंकारियसभा तेणेव उवागच्छइ जहा अभिसेयसभा तहेव सव्वं, जेणेव ववसायसभा तेणेव उवागच्छइ तहेव लोमहत्थयं परामुसति पोत्थयरवणं लोमहत्थएणं पमन्जइ पमजित्ता दिव्वाए दगधाराए अग्गेहिं वरेहि य गंधेहि मल्लेहि य अच्चेति मणिपेढियं सीहासगां च सेसं तं चेव पुरथिमिल्ला नंदा पुक्खरिणी जेणेव हरए तेणेव उवागच्छइ तोरणे य तिमोवाणे य सालभंजियायो य वालरूवए य तहेव 21 / जेणेव बलिपीढं तेणेव उवागच्छइ बलिविसज्जणं करेइ, श्राभियोगिए देवे सद्दावेइ सदावित्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सूरियाभे विमाणे सिंघाडएसु तिएसु चउक्केसु चच्चरेसु चउमुहेसु महापहेसु पागारेसु अट्टालएसु चरियासु दारेसु गोपुरेसु तोरणेसु पारामेसु उजाणेसु वणेसु वणराईसु काणणेसु वणसंडेसु अचणियं करेह अचणियं करेत्ता एवमाणत्तियं खिप्पामेव पचप्पिणह, तए णं ते श्राभियोगिया देवा सूरियाभेणं देवेणं एवं वुत्ता समाणा जाव पडिसुणित्ता सूस्यिाभे विमाणे सिंघाडएसु तिएसु चउक्कएसु चचरेसु चउम्मुहेसु महापहेसु पागारेसु अट्टालएसु चरियासु दारेसु गोपुरेसु तोरणेसु पारामेसु उजाणेसु वणेसु वणरातीसु काणणेसु वणसंडेसु अचणियं करेंति जेणेव सूरियाभे देवे जाव पच्चप्पिणंति 22 / तते णं से सूरियामे देवे जेणेव नंदा पुस्खरिणी तेणेव उवागच्छइ नंदापुक्खरिणिं पुरथिमिल्लेणं तिमोमाणपडिरूवएणं पच्चोरुहति हत्थपाए पक्खालेइ दायो पुक्खरिणीयो पच्चुत्तरेइ जेणेव सभा सुधम्मा तेणेव पहारिस्थ गमणाए 23 / तए णं से सूरियाभे देवे चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जाव सोलसहिं पायरक्खदेवसांहस्सीहिं Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 139 अन्नेहि य बहूहिं सूरियाभविमाणवासीहिं वेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि य सद्धिं संपरिबुडे सव्विड्डीए जाव नाइयरवेणं जेणेव सभा सुहम्मा तेणेव उवागच्छइ सभं सुधम्म पुरथिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसति अणुपविसित्ता जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ सीहासणवरगए पुरस्थाभिमुहे सरिणसराणे 24 // सू० 131 // तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स अवरुत्तरेणं उत्तरपुरस्थिमेणं दिसिभाएणं चत्तारि य सामाणियसाहस्सीयो चउसु भदासणसाहस्सीसु निसीयंति 1 / तए ण तस्स सूरियाभस्स देवस्स पुरस्थिमिल्लेणं चत्तारि अग्गमहिसीयो चउसु भद्दामणेसु निसीयंति 2 / तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स दाहिणपुरस्थिमेणं अभितरियपरिसाए अट्ठ देवसाहस्सीयो अट्ठसु भद्दासणसाहस्सीसु निसीयंति 3 / तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स दाहिणेणं मज्भिमाए परिसाए दस देवसाहस्सीयो दससु भदासणसाहस्सीसु निसीयंति 4 / तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स दाहिणपच्चत्थिमेणं बाहिरियाए परिसाएं बारस देवसाहस्सीतो बारससु भदासणसाहस्सीसु निसीयंति 5 / तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स पञ्चत्थिमेणं सत्त अणियाहिवइणो सत्तहि(सु) भदासणेहिं(सु) णिसीयंति 6 / तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स चउदिसिं सोलस आयरक्खदेवसाहस्सीयो सोलसहिं भद्दासणसाहस्सीहिं णिसीयंति, तंजहा-पुरथिमिल्लेणं चत्तारि साहस्सीयो, ते णं आयरक्खा सन्नद्ध-बद्ध-वम्मियकवया उप्पीलियसरासणपट्टिया पिणद्धगेविजा अाविद्ध-विमल-वर-चिंघपट्टा गहियाउहफहरणा तिणयाणि तिसंधियाई वयरामयकोडीणि धणूइं पगिझ पडियाइयकंडकलावा णीलपाणिणो पीतपाणिणो रत्तपाणिणो चावपाणिणो चारुपाणिणो चम्मपाणिणो दंडपाणिणो खग्गपाणिणो पासपाणिणो नीलपीय-रत्त-चाव-चारु-चम्मदंड-खग्ग-पासधरा गायरक्खा रक्खोवगा गुत्ता गुत्तपालिया जुत्ता जुत्तपालिया पत्तेयं पत्तेयं समययो विणययो Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 140 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पश्चमो विभागः किंकरभूया चिट्ठांति 7 / सूरियाभस्स णं भंते ! देवस्स केवइयं कालं ठिती पराणत्ता ? गोयमा ! चत्तारि पलिश्रोवमाई ठिती परणत्ता 8 / सूरियाभस्स णं भंते ! देवस्स सामाणियपरिसोववराणगाणं देवाणं केवइयं कालं ठिती पराणत्ता ? गोयमा ! चत्तारि पलियोवंमाई ठिती पराणत्ता, महिड्डीए महजुत्ती(ती)ए महब्बले महायसे महासोक्खे महानुभागे सूरियामे देवे, अहो णं भंते ! सूरियाभे देवे महिड्डीए जाव महाणुभागे 1 . // सू० 140 // सूरियाभे णं भंते ! देवे णं सा दिव्वा देविड्डी सा दिव्वा देवज्जुई से दिव्वे देवाणुभागे किराणा लद्धे किराणा पत्ते किराणा अभिसमन्नागए ? पुव्वभवे के अासी ? किंनामए वा ? को वा गुत्तेणं ? कयरंसि वा गामंसि वा नगरंसि वा निगमंसि वा रायहाणीए वा खेडंसि वा कब्बडंसि वा मडंबंसि वा पट्टणंसि वा दोणमुहंसि वा श्रागरंसि वा आसमंसि वा संबाहंसि वा सन्निवेसंसि वा ? किं वा दचा किं वा भोचा किं वा किच्चा किं वा समायरित्ता कस्स वा तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्त वा अंतिए : एगमवि पारियं धम्मयं सुवयणं सुच्चा निसम्म जंणं सूरियांभेणं देवेणं * सा दिव्वा देविड्डी जाव देवाणुभागे लद्धे पत्ते अभिसमन्नागए ? गोयमा ! ति समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं ग्रामंतेत्ता एवं वयासी // सू० 141 // सूरियाभो समत्तो. // इति सूर्याभदेव-कथा समाप्ता // . : Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अथ प्रदेसीनृप-कथा // Son: Nimsinnnnnninninine पलोई अछिदभिद पत्ताड-कूड-कवड-वास बहूणं नमक समु. एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे केयइअद्धे नामे जणवए होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे सव्वोउयफलसमिद्धे रम्मे नंदणवणप्पगासे पासाईए जाव पडिरूवे 1 / तत्थ णं केइयश्रद्धे जणवए सेयविया णामं नगरी होत्था, रिद्धस्थिमियसमिद्धा जाव पडिरूवा 2 / तीसे णं सेयवियाए नगरीए बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभागे एत्थ णं मिगवणे णाम उजाणे होत्था-रम्मे नंदणवणप्पगासे सव्वोउयफलसमिद्धे सुभसुरभिसीयलाए छायाए सव्वो चेव समणुबद्धे पासादीए जाव पडिरूवे 3 / तत्थ णं सेयवियाए णगरीए पएसी णामं राया होत्था, महयाहिमवंत जाव विहरइ 4 / अधम्मिए यधम्मिटे श्रधम्मक्खाई अधम्माणुए अधम्मपलोई यधम्मपजण(लज)णे अधम्मसीलसमुयायारे, अधम्मेण * चेव वित्ति कप्पेमाणे हण-छिंद भिंद-पवत्तए लोहियपाणी पावे चंडे रुद्द खुद्दे साहरसीए उक्कंचण-वंचण-माया-नियडि-कूड-कवड-सायिसंपयोगबहुले निस्सीले निव्वए निग्गुणे निम्मेरे निप्पञ्चक्खाण-पोसहोववासे बहूणं दुप्पय-चउप्पयमिय-पसु-पक्खी सिरिसवाण घायाए वहाए उच्छायणयाए अधम्मकेऊ समु-- ट्ठिए, गुरूणं णो अब्भुट्ठति णो विणयं पउंजइ (समण-माहण-भिवखुगाणं), सयस्स वि य णं जणवयस्स णो सम्मं करभरवित्ति पवत्तेइ 5 // सू० 142 // तस्स णं पएसिस्स रन्नो सूरियकता नाम देवी होत्था, सुकुमालपाणिपाया धारिणी वराणो पएसिणा रन्ना सद्धिं अणुरत्ता अविरत्ता इट्टे सद्दे स्वे जाव विहरइ // सू० 143 / / तस्स णं पएसिस्स रराणो णे? पुत्ते सूरियकंताए देवीए अत्तए सूरियकते नाम कुमारे होत्था, सुकुमालपाणिपाए जाव पडिरूवे 1 / से णं सूरियकते कुमारे जुवराया वि होत्था, पएसिस्स रनो रज्जं च रटुं च बलं च वाहणं च कोसं च कोट्ठागारं च पुरं च अंतेउरं च सयमेव पच्चुवेक्खमाणे पच्चुवेक्खमाणे विहरइ 2 // सू० 144 // Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 142 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः तस्स णं पएसिस्स रन्नो जेट्टे भाउयवयंसए चित्ते णामं सारही होत्था अड्डे जाव बहुजणस्स अपरिभूए साम-दंड-भेय-उवप्पयाण-पत्थसत्थईहामइविसारए उप्पत्तियाए वेणतियाए कम्मयाए पारिणामियाए चविहाए बुद्धीए उववेए, पएसिस्स रराणो बहुसु कज्जेसु य कारणेसु य कुडुबेसु य मंतेसु य गुज्झेसु य रहस्सेसु य निच्छएसु च ववहारेसु य ापुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे मेढी पमाणं श्राहारे बालंबणं चक्खू मेदिभूए पमाणभूए थाहारभूए बालंबणभूए चक्खुभूए सव्वट्ठाणसव्वभूमियासु लद्धपचए विदिराणविचारे रजधुराचितए श्रावि होत्था 5 // सू० 145 // ... तेणं कालेणं तेणं समयेणं कुणाला नामं जणवए होत्था, रिद्धत्थिमियसमिद्धे, तत्थ णं कुणालाए जणवए सावत्थी नाम नयरी होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धा जाव पडिरूवा 1 / तीसे णं सावत्थीए णगरीए बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए कोट्ठए नाम चेइए होत्था, पोराणे जाव पासादीए 2 / तत्थ णं सावत्थीए नयरीए पएसिस्स रन्नो अंतेवासी जियसत्तू नामं राया होत्था, महयाहिमवंत जाव विहरइ 3 / तए णं से पएसी राया अन्नया कयाइ महत्थं महग्धं महरिहं विउलं रायारिहं पाहुडं सजावेइ, सन्जावित्ता चित्तं सारहिं सदावेई, सद्दावित्ता एवं क्यासी-गच्छ णं चित्ता ! तुमं सावस्थि नगरि जियतत्तुस्स रगणो इमं महत्थं जाव पाहुडं उवणेहि, जाई तत्थ रायकज्जाणि य रायकिचाणि य रायनीतीयो य रायववहारा य ताई जियसत्तुणा सद्धिं सयमेव पच्चुवेक्खमाणे विहराहि त्ति कट्ट विसजिए 4 / तए णं से चित्ते सारही पएसिणा रगणा एवं वुत्ते समाणे हट्ट जाव पडिसुणेत्ता तं महत्थं जाव पाहुडं गेराहइ, पएसिस्स रगणो जाव पडिणिक्खमइ सेयवियं नगरि मझमझेणं जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता तं महत्थं जाव पाहुडं ठवेइ, कोडबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो ! देवाणुप्पिया ! सच्छत्तं जाव Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय सूत्रम् ] [ 143 चाउग्घंटे बासरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह जाव पञ्चप्पिणह 5 / तए णं ते कोडुबियपुरिसा तहेव पडिसुणित्ता खिप्पामेव सच्छत्तं जार जुद्धसज्ज चाउग्घंटे श्रासरहं जुत्तामेव उबट्टवेंति, तमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति 6 / तए णं से चित्ते सारही कोडुबियपुरिसाण अंतिए एयमढे जाव हियए राहाए कय. बलिकम्मे कय-कोउय-मंगल-पायच्छित्ते सन्नद्ध-बद्ध-वम्मियकवए उप्पीलियसरासणपट्टिए पिणद्ध-विज-विमलवरचिंधपट्टे गहियाउहपहरणे तं महत्थं जाव पाहुडं गेगहड, जेणेव चाउग्घंटे ग्रासरहे तेणेव उवागच्छइ चाउग्घंटे ग्रासरहं दुरूहेति 7 / बहुहिं पुरिसेहिं सन्नद्ध जाव गहियाउहपहरणेहिं सद्धिं संपरिबुडे सकोरिंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरेजमाणेणं महया भड-चडगर-रह-पहकर-विंदपरिक्खित्ते सायो गिहायो णिग्गच्छइ सेयवियं नगरि मझमज्झेणं णिग्गच्छइ सुहेहिं वासेहिं पायरासेहिं नाइविकि?हिं अंतरा वासेहिं वसमाणे वसमाणे केझ्यश्रद्धस्स जणवयस्स मझमझेणं जेणेव कुणालाजणवए जेणेव सावत्थी नयरी तेणेव उवागच्छद सावत्थीए नयरीए मझमज्झेणं अणुपविसइ 8 / जेणेव जियसत्तुस्स रराणो गिहे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेगोव उवागच्छद तुरए निगिराहइ, रहं ठवेति, रहायो पक्षोरुहइ 1 / तं महत्थं जाव पाहुडं गिराहइ जेणेव अभितरिया उवट्ठाणसाला जेणेव जियसत्तू राया तेव उवागच्छइ, जियसत्तुं रायं करयलपरिग्गहियं जाव कटु जएणं विजएणं वद्धावेइ, तं महत्थं जाव पाहुडं उवणेइ 10 / तए णं से जियसत्तू राया चित्तस्स सारहिस्स तं महत्थं जाव पाहुडं पडिच्छइ चित्तं सारहिं सकारेइ सम्माणेति पडिविसज्जेइ रायमग्गमोगादं च से श्रावासं दलयइ 11 / तए णं से चित्ते सारही विसजिते समाणे जियसत्तुस्स रनो अंतियायो पडि. निक्खमइ, जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव चाउग्घंटे बासरहे तेणेव उवागच्छइ, चाउग्घंटे बासरहं दुरूहइ, सावत्थिं नगरिं मझमझेणं Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 144 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः जेणेव रायमग्गमोगाढे अावासे तेणेव उवागच्छइ, तुरए निगिराहइ, रहं ठवेइ, रहायो पचोरुहइ 12 / राहाए कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाइं मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिते अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे जिमियभुत्त्तरागए वि य णं समाणे पुत्वावरगहकालसमयंसि गंधव्वेहि य णाडगेहि य उवनचिजमाणे उवनचिजमाणे उवगाइजमाणे उवगाइजमाणे उबलालिजमाणे इ8 सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोए पश्चणुभवमाणे विहरइ 13 // सू० 146 // तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावचिज्जे केसी नाम कुमारसमणे जातिसंपराणे कुलसंपराणे बलसंपराणे रूवसंपराणे विणयसंपराणे नाणसंपराणे दंसणसंपन्न चरित्तसंपराणे लज्जासंपराणे लाघवसंपराणे लजालाघवसंपन्ने श्रोयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी जियकोहे जियमाणे जियमाए जियलोहे जियणिदे जितिदिए जियपरीसहे जीवियास-मरणभय-विष्पमुक्के तवप्पहाणे गुणप्पहाणे करणप्पहाणे चरणप्पहाणे निग्गहप्पहाणे निच्छयप्पहाणे अजवप्पहाणे मद्दवप्पहाणे लाघवप्पहाणे खंतिप्पहाणे गुत्तिप्पहाणे मुत्तिप्पहाणे विजप्पहाणे मंतप्पहाणे बंभप्पहाणे वेयप्पहाणे नयप्पहाणे नियमप्पहाणे सच्चप्पहाणे सोयप्पहाणे नाणप्पहाणे दंसणप्पहाणे चरित्तप्पहाणे थोराले जाव चउदसपुब्बी चउणाणोवगए पंचहि अणगारसएहि सद्धि संपरिबुडे पुव्वाणुपुदि चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे सुहंसुहणं विहरमाणे जेणेव सावत्थी नयरी जेणेव कोट्टए चेइए तेणेव उवागच्छड़, सावत्थी-नयरीए बहिया कोट्ठए चेइए ग्रहापडिरूवं उग्गहं उग्गिाहइ उग्गिरिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ // सू० 147 // तर णं सावत्थीए नयरीए सिंघाडगतिय-चउक्क-बच्चर-चउमुह-महापहेसु महया जणसद्दे इ वा जणबहे इ वा जणबोले इ वा जणकलकले इ वा जणउम्मी इ वा जणउक्कलिया इ वा जणसन्निवाए इ वा जाव परिसा पज्जुवासइ 1 / तए णं तस्स सारहिस्स तं Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् [ 145 महाजणसह च जणकलकलं च सुणेत्ता य पासेत्ता य इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था 2 / किं णं अज जाव सावत्थीए णयरीए इंदमहे इ वा खंदमहे इ वा रुद्दमहे इ वा मउंदमहे इ वा सिवमहे इ वा वेसमणमहे इ वा नागमहे इ वा जक्खमहे इ वा भूयमहे इ वा थूममहे इ वा चेइयमहे इ वा रुक्खमहे इ वा गिरिमहे इ वा दरिमहे इ वा अगडमहे इ वा नईमहे इ वा सरमहे इ वा सागरमहे इ वा जं णं इमे बहवे उग्गा उग्गपुत्ता भोगा राइन्ना (इक्खागा णाया कोरवा) जाव इब्भा इन्भपुत्ता अराणे य बहवे राया-ईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुबिय-इभ-सेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाहप्पभितयो राहाया कयबलिकम्मा कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ता सिरसा-कठेमालकडा प्राविद्धमणिसुवरणा कप्पियहार-प्रद्धहार-तिसर-पालंबपलंबमाण-कडिसुत्तयक्यसोहाहरणा चंदणोलित्तगायसरीरा पुरिसवग्गुरापरिखित्ता महया उकिट्ठ-सीह-णाय-बोलकलकलरवेणं एगदिमाए जहा उववाइए जाव अप्पेगतिया हयगया जाव अप्पेगतिया गयगया पायचारविहारेणं महया महया वंदावंदरहि निग्गच्छंति एवं संपेहेइ संपेहित्ता कंचुइजपुरिसं सदावेइ सदावित्ता एवं वयासी-किं णं देवाणुप्पिया ! अज . सावत्थीए नगरीए इंदमहे इ वा जाव सागरमहे इ वा जेणं इमे बहवे उग्गा भोगा जाव णिग्गच्छंति? 3 / तए से कंचुईपुरिसे केसिस्स कुमारसमणस्स अागमण-गहियविणिच्छए चित्तं सारहिं करयलपरिग्गहियं जाव वद्धावेत्ता एवं वयासी-णो खलु देवाणुप्पिया ! अज सावत्थीए णयरीए इंदमहे इ वा जाव सागरमहे इ वा जे णं इभे बहवे जाव विंदाविंदरहिं निग्गच्छंति, एवं खलु भो ! देवाणुप्पिया! पासावचिज्जे केसी नाम कुमारसमणे जाइसम्पन्ने जाव दुइजमाणे इहमागए जाव विहरइ, तेणं अज सावत्थीए नयरीए बहवे उग्गा जाव इब्भा इब्मपुत्ता अप्पेगतिया वंदणवत्तियाए जाव महया वंदावंदएहि णिग्गच्छति 4 // सू० 148 // तए णं से चित्ते सारही कंचुइपुरिसस्स अंतिए एयमटुं सोचा निसम्म . Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 146 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विमागः हट्टतुट्ठ जाव हियए कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ सहावित्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो! देवाणुप्पिया ! चाउग्घंटं बासरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह जाव सच्छत्तं उवट्ठवेंति, तए णं से चित्ते सारही गहाए कयवलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिते अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरे जेणेव चाउग्घंटे बासरहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता चाउग्घंटं ग्रासरहं दुरूहइ सकोरिटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं महया भडचडगरेण विंदपरिखित्ते सावत्थीनगरीए मझमज्झेणं निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव कोट्टए चेइए जेणेव केसिकुमारसमणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता केसिकुमारसमणस्स अदूरसामंते तुरए णिगिराहइ रहं ठवेइ य, ठवित्ता पचोरुहति पचोरुहित्ता जेणेव केसिकुमारसमणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छिता केसिकुमारसमणं तिक्खुत्तो पायाहिणंपयाहिणं करेइ करित्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता णचासराणे णातिदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे पंजलिउडे विणएणं पज्जुवासइ 1 / तए णं से केसिकुमारसमणे चित्तस्स सारहिस्स तीसे महतिमहालियाए महच्चपरिसाए चाउज्जामं धम्म परिकहेइ, तंजहा-सव्वाश्रो पाणाइवायायो वेरमणं, सव्वायो मुसावायायो वेरमणं, सव्वायो अदिराणादाणाश्रो वेरमणं, सव्वाश्रो बहिद्धादाणायो वेरमणं 2 / तए णं सा महतिमहालिया महच्चपरिसा केसिस्स कुमारसमणस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया 3 // सू० 141 // तए णं से चित्ते सारही केसिस्स कुमारसमणस्स अंतिए धम्म सोचा निसम्म हट्ट जाव हियए उट्टाए उटठेइ उठेत्ता केसि कुमारसमणं तिक्खुत्तो थायाहिणंपयाहिणं करेइ वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता, एवं वयासी-सदहामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं, पत्तियामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं, रोएमि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं, अब्भुट्ठमि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं, एवमेयं निग्गेयं पावयणं, तहमेयं भंते ! निग्गंथं पांवयणं, Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 147 अवितहमेयं भंते ! निग्गथं पावयणं, असंदिद्धमेयं निग्गंथं पावयणं, इच्छियपडिच्छियमेयं भंते ! जंणं तुम्मे वदह त्ति कटु वंदइ नमसइ नमंसित्ता एवं वयासी-जहा णं देवाणुप्पियाणं अंतिए बहवे उग्गा भोंगा जाव इभा इन्भपुत्ता चिच्चा हिरराणं चिच्चा सुवराणं एवं धणं धन्नं बलं वाहणं कोसं कोट्ठागारं पुरं अंतेउरं, चिचा विउलं धण-कणग-रयण-मणि-मोत्तियसंख-सिलप्पवाल-संतसारसावएज्जं विच्छड्डित्ता विगोवइत्ता दाणं दाइयाणं परिभाइत्ता मुंडे भवित्ता अगारायो अणगारियं पव्वयंति, णो खलु अहं ता संचाएमि चिचा हिरगणं तं चेव जाव पवइत्तए, अहं णं देवाणुप्पियाणं अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवजित्तए 1 / अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिबंधं करेहि, तए णं से चित्ते सारही केसि. कुमारसमणस्स अंतिए पंचाणुव्वतियं जाव गिहिधम्म उवसंपजित्ताणं विहरति, तए णं से चित्ते सारही केसिकुमारसमणं वंदइ नमसइ नमंसित्ता जेणेव चाउग्घंटे बासरहे तेणेव पहारेत्थ गमणाए चाउग्घंटं श्रासरहं दुरूहइ जामेव दिसि पाउब्भूए तामेव दिसि पडिगए 2 // सू० 150 // तए णं से चित्ते सारही समणोवासए जाए अहिगयजीवाजीवे उवलद्धपुराणपावे यासव संवर-निजर-किरियाहिगरण-बंध-मोक्खकुसले असहिज्जे देवासुर-णाग-सुवरण-जक्ख-रक्खस-किन्नर-किंपुरिस-गरुल-गंधव्व-महोरगाईहिं देवगणेहिं निग्गंथायो पावयणायो अणडकमणिज्जे, निग्गंथे पावयणे णिस्संकिए णिक्कंखिए णिब्वितिगिच्छे लद्ध? गहियट्ठ पुच्छिय? अहिगयढे विणिच्छियढे अट्ठिमिन-पेम्माणुरागरत्ते–'अयमाउसो! निग्गंथे पावयणे अट्ठ अयं परम? सेसे अण?' ऊसियफलिहे अवंगुयदुवारेचियत्तंतेउरघरप्पवेसे चाउद्दसट्टमुद्दिट्ट-पुराणमासिणीसु पडिपुराणं पोसहं सम्म अणुपालेमाणे समणे णिग्गंथे फासुएसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पीढ-फलग सेजासंथारेणं वत्थ-पडिग्गह-कंबल-पायपुछणेणं योसहभेसज्जेणं पडिलाभेमाणे Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 148 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः ग्रहापरिग्गहेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावमाणे जाई तत्थ रायकजाणि य जाव रायववहाराणि य ताइं जियसत्तुणा रराणा सद्धि सयमेव पच्चुवेक्खमाणे पच्चुवेक्खमाणे विहरइ // सू० 151 // तए णं से जियसत्तुराया अण्णया कयाइ महत्थं जाव पाहुडं सज्जेइ, चित्तं सारहिं सदावेइ सदावित्ता एवं वयासीगच्छाहि णं तुमं चित्ता ! सेयवियं नगरिं, पएसिस्स रनो इमं महत्थं जाव पाहुडं उवणेहि, मम पाउग्गं च णं जहाभणियं अवितहमसंदिलं वयणं विनवेहि त्ति कटु विसजिए 1 / तए णं से चित्ते सारही जियसत्तुणा रन्ना विसजिए समाणे तं महत्थं जा गिराहइ जाव जियसत्तुस्स रराणो अंतियायो पडिनिक्खमइ सावत्थीनयरीए मज्झमज्झणं निग्गच्छइ जेणेव रायमग्गमोगाढे श्रावासे तेणेव उवागच्छइ तं महत्थं जाव ठवइ 2 / राहाए जाव सरीरे सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं महया भड-चडगर-विंदपरिक्खित्ते पायचारविहारेण महया पुरिसवग्गुरापरिक्खित्ते रायमग्गमोगाढायो अावासानो निग्गच्छइ सावत्थीनगरीए मज्झमज्भेणं निग्गच्छति जेणेव कोट्ठए चेइए जेणेव केसी कुमारसमणे तेणेव उवागच्छति केसिकुमारसमणस्स अंतिए धम्मं सोचा जाव हट्ठ उट्ठाए जाव एवं वयासी-एवं खलु अहं भंते ! जियसत्तुणा रन्ना पएसिस्स रन्नो इमं महत्थं जाव उवणेहि त्ति कटु विसजिए, तं गच्छामि णं अहं भंते ! सेयवियं नगरि, पासादीया णं भंते ! सेयविया णगरी, एवं दरिसणिजा णं भंते ! सेयविया णगरी, अभिरुवा णं भंते ! सेयविया नगरी, पडिरूवा णं भंते ! सेतविया नगरी, समोसरह णं भंते ! तुम्भे सेयवियं नगरि 3 // सू० 152 // तए णं से केसी कुमारसमणे चित्तेणं सारहिणा एवं वुत्ते समाणे चित्तस्स सारहिस्स एयम?णो श्राढाइ णो परिजाणाइ तुसिणीए संचिट्ठइ 1 / तए णं से चित्ते सारही केसीकुमारसमणं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी-एवं खलु अहं भंते ! जियसत्तुणा रना पएसिस्स रराणो इमं महत्थं जाव विसजिए Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 149 तं चेव जाव समोसरह णं भंते ! तुब्भे सेयवियं नगरि 2 ! तए णं केसीकुमारसमणे चित्तेण सारहिणा दोच्चं पि तच्चं पि एवं वुत्ते समाणे चित्तं सारहिं एवं वयासी-चित्ता ! से जहानामए वणसंडे सिया किराहे किराहोभासे जाव पडिरूवे 3 / से णूणं चित्ता ! से वणसंडे बहूणं दुपय-चउप्पयमिय-पसु-पक्खीसिरीसिवाणं अभिगमणिज्जे ?, हंता अभिगमणिज्जे 4 / तंसि च णं चित्ता ! वणसंडसि बहवे भिलुगा नाम पावसउणा परिवसंति, जे णं तेसिं बहूणं दुपय-चउप्पय-मिय-पसु-पक्खीसिरीसिवाण ठियाणं चेव मंससोणियं श्राहारेति 5 / से गुणं चित्ता ! से वणसंडे तेसि णं बहूणं दुपय जाब सिरीसिवाणं अभिगमणिज्जे ? णो तिण? सम8, कम्हा णं ? भंते ! सोवसग्गे, एवामेव चित्ता ! से तुम्भं पि सेवियाए णयरीए पएसी नाम राया परिवसइ अहम्मिए जाव णो सम्मं करभरवित्तिं पवत्तेइ, तं कहं णं अहं चित्ता ! सेयवियाए नगरीए समोसरिस्सामि ? 6 // सू० 153 // तए णं से चित्ते सारही केसि कुमारसमणं एवं वयासी-किं णं भंते ! तुब्भं पएसिणा रना कायव्वं ? अस्थि णं भंते ! सेयवियाए नगरीए अन्ने बहवे ईसरतलवर जाव सत्थवाहपभिइयो जे णं देवाणुप्पियं वंदिस्संति नमंसिस्सति जाव पज्जुवासिस्संति विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं पडिलाभिस्संति, पाडिहारिएण पीढफलगसेज्जासंथारेणं उवनिमंतिस्संति, तए णं से केसी कुमारसमणे चित्तं सारहिं एवं वयासी-अवि या इं चित्ता ! (आविस्संति चित्ता) जाणि. (समोसरि)स्सामो॥सू० 154 // तए णं से चित्ते सारही केसिकुमारसमणं वंदइ नमंसइ केसिस्स कुमारसमणस्स अंतियात्रो कोट्टयायो चेइयायो पडिणिकखमइ जेणेव सावत्थी गगरी जेणेव रायमग्गमोगाढे श्रावासे तेणेव उवागच्छइ कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ सदावित्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! चाउग्घंटे बासरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह जहा सेयवियाए नगरीए निग्गच्छद तहेव जाव वसमाणे कुणालाजणवयस्स मज्झमझेणं जेणेव केइयश्रद्धे Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 150 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभामः जेणेव सेयविया नगरी जेणेव मियवणे उजाणे तेणेव उवागच्छइ उजाणपालए सदावेइ एवं वयासी-जया णं देवाणुप्पिया! पासावचिज्जे केसी नाम कुमारसमणे पुव्वाणुपुदि चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे इहमागच्छिज्जा तया णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! केसिकुमारसमणं वंदिजाह नमंसिज्जाह वंदित्ता नमंसित्ता ग्रहापडिरूवं उग्गहं अणुजाणेजाह पडिहारिएणं पीढफलग जाव उवनिमंतिजाह, एयमाणत्तियं खिप्पामेव पञ्चप्पिणेज्जाह, तए णं ते उज्जाणपालगा चित्तेणं सारहिणा एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठ जाव हियया करयलपरिग्गहियं जाव एवं वयासी-तहत्ति प्राणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति ! सू० 155 // ____तए णं चित्ते सारही जेणेव सेयविया णगरी तेणेव उवागच्छइ सेयवियं नगरि मझमज्झेणं अणुपविसइ जेणेव पएसिस्स रराणो गिहे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ तुरए णिगिराहइ रहे ठवेइ रहायो पचोरूहइ तं महत्थं जाव गेराहइ जेणेव पएसी राया तेणेव उवागच्छइ पासिं रायं करयल जाव वद्धावेत्ता तं महत्थं जाव उवणेइ 1 / तए णं से पएसी राया चित्तस्स सारहिस्स तं महत्थं जाव पडिच्छइ चित्तं सारहिं सकारेइ सम्माणेइ पडिविसज्जेइ 2 / तए णं से चित्ते सारही पएसिणा रराणा विप्लजिए समाणे हट्ट जाव हियए पएसिस्म रन्नो अंतियायो पडिनिक्खमइ जेणेव चाउग्घटे यासरहे तेणेव उवागच्छइ चाउग्घंटे श्रासरहं दुरूहइ सेयवियं नगरि मझमझेणं जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ तुरए णिगिराहइ रहं ठवेइ रहायो पचोरुहइ राहाए जाव उप्पि पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं बत्तीसइबद्धएहिं नाडएहिं वरतरुणीसंपउत्तेहिं उवणचिजमाणे उवगाइजमाणे उवलालिजमाणे इट्टे सद्द. फरिस जाव विहरइ 3 // सू० 156 // तए णं कसी कुमारसमणे अण्णया कयाइ पाडिहारियं पीढफलग-सेज्जासंथारगं पञ्चप्पिणइ सावत्थीयो Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 151 नगरीयो कोढगायो चेइयायो पडिनिक्खमइ पंचहिं अणगारसएहिं जाव विहरमाणे जेणेव केयइश्रद्धे जणवए जेणेव सेयविया नगरी जेणेव मियवणे उजाणे तेणेव उवागच्छइ अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति 1 / तए णं सेयवियाए नगरीए सिंघाडग जाव महया जणसद्दे वा जाव परिसा णिग्गच्छइ, तए णं ते उजाणपालगा इमीसे कहाए लद्धट्ठा समाणा हट्टतुट्ट जाव हियया जेणेव केसी कुमारसमणे तेणेव उवागच्छंति केसि कुमारसमणं वंदति नमसंति श्रहापडिरूवं उग्गहं अणुजाणंति पाडिहारिएणं जाव संथारगणं उवनिमंतंति णामं गोयं पुच्छति श्रोधारेंति एगंतं अवकमंति अन्नमन्नं एवं वयासी-जस्स णं देवाणुप्पिया ! चित्ते सारही दंसणं कंखइ दंसणं पत्थेइ दंसणं पीहेइ दंसणं अभिलसइ जस्स णं णामगोयस्स वि सवणयाए हट्टतुट्ट जाव हियए भवति से णं एस केसी कुमारसमणे पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव सेयवियाए णगरीए बहिया मियवणे उज्जाणे अहापडिरूवं जाव विहरइ, तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया! चित्तस्स सारहिस्स एयम8 पियं निवेएमो पियं से भवउ, अराणमराणस्स अंतिए एयमट्ठ पडिसुणेति जेणेव सेविया णगरी जेणेव चित्तस्स सारहिस्स गिहे जेणेव चित्तसारही तेणेव उवागच्छंति चित्तं सारहिं करयल जाव वद्धाति एवं वयासी-जस्स णं देवाणुप्पिया ! दंसणं कंखंति जाव अभिलसंति जस्स णं णामगोयस्स वि सवणयाए हट्ट जाव भवह, से णं अयं केसी कुमारसमणे पुवाणुपुब्बि चरमाणे समोसढे जाव विहरइ 2 // सू० 157 // तए णं से चित्ते सारही तेसिं उजाणपालगाणं अंतिए एयम8 सोचा. णिसम्म हट्टतुट्ठ जाव (नरवरे) पासणायो अब्भुट्ठति पायपीढायो पच्चोरुहइ पाउयायो योमुयइ एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ, अंजलि मउलियग्गहत्थे केसिकुमारसमणाभिमुहे सत्तट्ठ पयाई अणुगच्छद करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 152 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः मत्थए अंजलि कटटु एवं वयासी-नमोऽत्थु णं अरहताणं जाव संपत्ताणं, नमोऽत्थु णं केसियस्स कुमारसमणस्स मम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स, वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इहगए पासउ मे त्ति कटटु वंदइ नमसइ 1 / ते उजाणपालए विउलेणं वत्थगंधमल्लालंकारेणं सकारेइ सम्माणेइ विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयइ पडिविसज्जेइ कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ एवं वयासी-खिप्पामेव भो! देवाणुप्पिया चाउग्घंटे बासरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह जाव पञ्चप्पिणह 2 / तए णं ते कोडुबियपुरिसा जाव खिप्पामेव सच्छत्तं सज्मयं जाव उबट्टवित्ता तमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति 3 / तए णं से चित्ते सारही कोडुबियपुरिसाणं अंतिए एयम४ सोचा निसम्म हट्ट? जाव हियए राहार कयवलिकम्मे जार सरीरे जेणेव चाउग्घंटे जाव दुरूहित्ता सकोरंट जाव महया भडचडगरेणं तं चेव जाव पज्जुवासइ धम्मकहाए जाव 4 // सू० 158 // तए णं से चित्ते सारही केसिस्स कुमारसमणस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हट्टतुढे तहेव एवं वयासी-एवं खलु भंते ! अम्ह पएसी राया अधम्मिए जाव सयस्स वि णं जणवयस्स नो सम्मं करभरवित्ति पवत्तेइ, तं जइ णं देवाणुप्पिया ! पएसिस्स रराणो धम्ममाइक्खेजा बहुगुणतरं खलु होजा पएसिस्स रगणो तेसिं च बहूणं दुपय-चउप्पय-मियपसुपक्खीसिरीसवाणं, तेसिं च बहूणं समणमाहणभिक्खुयाणं तं जइ णं देवाणुप्पिया! पएसिस्स बहुगुणतरं होजा सयस्स वि य णं जणवयस्स 1 / तए णं केसी कुमारसमणे चित्तं सारहिं एवं वयासी-एवं खलु चउहिं ठाणेहिं चित्ता ! जीवा केवलिपन्नत्तं धम्मं नो लभेजा सवणयाए, तंजहा[१] पारामगयं वा उजाणगयं वा समणं वा माहणं वा णो अभिगच्छइ णो वंदइ णो णमंसइ णो सकारेइ णो सम्माणेइ णो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासेइ नो अट्ठाई हेऊई पसिणाई कारणाई वागरणाई पुच्छइ, एएणं गणेणं चित्ता ! जीवा केवलिपन्नत्तं धम्मं नो लभंति सवणयाए [2] Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 153 उवस्सयगयं समणं वा तं चेव जाव एतेण वि अणेणं चित्ता ! जीवा केवलिपन्नतं धम्मं नो लभंति सवणयाए [3] गोयरग्गगयं समणं वा माहणं वा जाव नो पज्जुवासह, णो विउलेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभइ णो अट्ठाई जाव पुच्छइ, एएणं गणेणं चित्ता ! केवलिपन्नत्तं धम्मं नो लभइ सवणयाए [4] जत्थ वि णं समणेण वा माहणेण वा सद्धिं अभिसमागच्छइ तत्थ वि णं हत्थेण वा वत्थेण वा छत्तेगा वा अप्पाणं श्रावरित्ता चिट्ठइ, नो अट्ठाई जाव पुच्छइ, एएण वि ठाणेणं चित्ता ! जीवे केवलिपन्नत्तं धम्मं णो लभइ सवण्याए-एएहिं च णं चित्ता ! चरहिं ठाणेहिं जीवे णो लभइ केवलिपन्नत्तं धम्मं सवणयाए 2 / चउहि ठाणेहिं चित्ता ! जीवे केवलिपन्नत्तं धम्मं लभइ सवणयाए, तंजहा-[१] श्रारामगयं वा उजाणगयं वा समणं वा माहणं वा वंदइ नमसइ जाव पज्जुवासइ अट्ठाई जाव पुच्छइ, एएण वि जाव लभइ सवणयाए, एवं [2] उवस्सयगयं.[३] गोयरग्गगयं समणं वा जाव पज्जुवासइ विउलेणं जाव पडिलाभेइ अट्ठाइं जाव पुच्छइ, एएण वि जाव लभइ सवणयाए [4] जत्थ वि य णं समणेण वा अभिसमागच्छइ तत्थवि य णं णो हत्थेण वा जाव पावरेत्ताणं चिट्ठइ, एएण वि ठाणेणं चित्ता ! * * जीवे केवलिपनत्तं धम्म लभइ सवणयाए, तुझं च णं चित्ता ! पएसी राया बारामगयं वा तं चेव सव्वं भाणियव् श्राइलएणं गमएणं जाव अप्पाणं यावरेत्ता चिट्टइ, तं कहं णं चित्ता ! पएसिस्स रन्नो धम्ममाइक्खिस्सामो ? 3 // सू० 151 // तए णं से चित्ते सारही केसिकुमारसमणं एवं वयासीएवं खलु भंते! अराणया कयाई कंबोएहिं चत्तारि बासा उवणयं उवणीया ते मए पएसिस्स रराणो अनया चेव उवणीया, तं एएणं खलु भंते ! कारणेणं अहं पएसिं रायं देवाणुप्पियाणं अंतिए हव्वमाणेस्सामो, तं मा णं देवाणुप्पिया! तुम्भे पएसिस्स रन्नो धम्ममाइक्खमाणा गिलाएजाह 1 / अगिलाए णं भंते ! तुन्भे पएसिस्स रराणो धम्ममाइक्खेजाह, छंदेणं भंते ! Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 154 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः तुब्भे पएसिस्स रगणो धम्ममाइक्खेजाह, तए णं से केसी कुमारसमणे चित्तं सारहिं एवं वयासी-अवि या ई चित्ता ! जाणिस्सामो 2 / तए णं से चित्ते सारही केसि कुमारसमणं वंदइ नमसइ जेणेव चाउग्घंटे बासरहे तेणेव उवागच्छइ चाउग्घंटे त्रासरहं दुरूहइ जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए 3 // सू० 160 // तए णं से चित्ते सारही कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पलकमल कोमलुम्मिलियंमि अहापंडुरे पभाए कयनियमावस्सए सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते सायो गिहायो णिग्गच्छइ जेणेव पएसिस्स रन्नो . गिहे जेणेव पएसी राया तेणेव उवागच्छइ पएसिं रायं करयल जाव ति कटु जएणं विजएणं वद्धावेइ, एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पियाणं कंधोएहिं चत्तारि श्रामा उवणयं उवणीया, ते य मए देवाणुप्पियाणं अराणया चेव विणइया 1 / तं एह णं सामी ! ते श्रासे चिट्ठ पासह, तए णं से पएसी राया चित्तं सारहिं एवं वयासी-गच्छाहि णं तुमं चित्ता ! तेहिं चेव चउहिं श्रासेहिं अासरहं जुत्तामेव उवट्ठवेहि जाव पञ्चप्पिणाहि, तए णं से चित्ते सारही पएसिणा रन्ना एवं वुत्ते समाणे हटुतुट्ट जाव हियए उवट्ठवेइ एयमाणत्तियं पचप्पिणइ 2 / तए णं से पएसी राया चित्तस्स सारहिस्स अंतिए एयम सोचा णिसम्म हट्टतुटु जाव अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरे सायो गिहायो निग्गच्छइ जेणामेव चाउग्घंटे यासरहे तेणेव उवागच्छइ चाउग्घंटे श्रासरहं दुरूहइ, सेयवियाए नगरीए मझमझेणं णिग्गच्छइ, तए णं से चित्ते सारहीतं रहं णेगाइं जोयणाइं उभामेइ, तए णं से पएसी राया उराहेण य तराहाए य रहवाएणं परिकिलते समाणे चित्तं सारहिं एवं क्यासीचित्ता ! परिकिलंते मे सरीरे परावत्तेहि रहं, तए णं से चित्ते सारही रह परावत्तेइ, जेणेव मियवणे उजाणे तेणेव उवागच्छइ, परसिं रायं एवं वयासी-एस णं सामी! मियवणे उजाणे एत्थ णं श्रासाणं समं किलामं Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् / [ 155 सम्मं श्रवणेमो, तए णं से पएसी राया चित्तं सारहिं एवं वदासी-एवं होउ चित्ता ! 3 // सू० 161 // तए णं से चित्ते सारही जेणेव मियवणे उजाणे जेणेव केसिस्स कुमारसमणस्स अदूरसामंते तेणेव उवागच्छइ तुरए णिगिरहेइ रहं ठवेइ रहायो पचोरूहइ तुरए मोति परसिं रायं एवं वयासी-एह णं सामी! अासाणं समं किलामं सम्मं श्रवणेमो 1 / तए णं से पएसी राया रहायो पचोरूहइ, चित्तेण सारहिणा सद्धिं श्रासाणं समं किलामं सम्मं श्रवणेमाणे पासइ जत्थ केसीकुमारसमणं महइमहालियाए महचपरिसाए मझगए महया सद्देणं धम्ममाइक्खमाणं, पासइत्ता इमेयारूवे अझथिए जाव समुप्पजित्था-जड्डा खलु भो ! जड्डे पज्जुवासंति, मुंडा खलु भो ! मुंडं पज्जुवासंति, मूढा खलु भो ! मूदं पज्जुवासंति, अपंडिया खलु भो! अपंडियं पज्जुवासंति, निव्विराणाणा खलु भो ! निविण्णाणं पज्जुवासंति, से केस णं एस पुरिसे जड्डे मुंडे मूढ़े अपंडिए निविराणाणे सिरीए हिरीए उवगए उत्तप्पसरीरे, एस णं पुरिसे किमाहारमाहारेइ ? किं परिणामेइ ? किं खाइ किं पियइ कि दलइ किं पयच्छइ जंणं एस एमहालियाए मणुस्सपरिसाए मझगए महया सद्देणं ब्रूयाए ? एवं संपेहेइ, चित्तं सारहिं एवं वयासी-चित्ता! जड्डा खलु भो ! जड्डपज्जुवासंति जाव ब्रूयाइ, साए वि णं उजाणभूमीए नो संचाएमि सम्म पकामं पवियरित्तए ? 2 // सू० 162 // तए णं से चित्ते सारही पएसीरायं एवं वयासी-एस णं सामी ! पासावच्चिज्जे केसी नाम कुमारसमणे जाइसंपराणे जाव चउनाणोवगए अधोऽवहिए अराणजीविए 1 / तए णं से पएसी राया चित्तं सारहिं एवं वयासी-ग्राहोहियं णं वदासि चित्ता ! अराणजीवियत्तं णं वदासि चित्ता ! ? हता, सामी ! थाहोहिणं णं वयामि सामी ! अरणजीवियत्तं णं वदामि 2 / अभिगमणिज्जे णं चित्ता ! एस पुरिसे ? हंता ! सामी ! अभिगमणिज्जे, अभिगच्छामो णं चित्ता ! अम्हे एवं पुरिसं ? हंता Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 156 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः सामी ! अभिगच्छामो 3 // सू० 163 // तए णं से पएसी राया चित्तेण सारहिणा सद्धिं जेणेव केसीकुमारसमणे तेणेव उवागच्छइ केसिस्स कुमारसमणस्स अदूरसामंते ठिचा एवं वयासी-तुब्भे णं भंते ! श्राहोहिया अरणजीविया ?; तए णं केसी कुमारसमणे परसिं रायं एवं वदासी-पएसी ! से जहा णामए अंकवाणिया इ वा संखवाणिया इ वा दंतवाणिया इ वा सुकं भंसि(जि)उंकामा णो सम्मं पंथं पुच्छइ, एवामेव पएसी तुम्भे वि विणयं भंसेउकामो नो सम्म पुच्छसि, से गूणं तव पएसी ममं पासित्ता अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-जड्डा खलु भो ! जड्डे पज्जुवासंति, जाव पवियरित्तए, से गुणं पएसी ? समत्थे ? हंता ! अत्थि // सू० 164 // तए णं से पएसी राया केसि कुमारसमणं एवं वदासी-से केण?णं भंते ! तुझ नाणे वा दंसणे वा जेणं तुझे मम एयाख्वं अन्झत्थियं जाव संकप्पं समुप्पण्णं जाणह पासह ? तए णं से केसीकुमारसमण परसिं रायं एवं वयासी-एवं खलु पएसी अम्हं समणाणं निग्गंथाणं पंचविहे नाणे पराणत्ते, तंजहा-श्राभिणिबोहियणाणे सुयनाणे श्रोहिणाणे मणपजवणाणे केवलणाणे 1 / से किं तं श्राभिणिवोहियनाणे ? श्राभिणिबोहियनाणे चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-उग्गहो ईहा श्रवाए धारणा 2 / से किं तं उग्गहे ? उग्गहे दुविहे पराणत्ते, जहा नंदीए जाव से तं धारणा, से तं श्राभिणि. बोहियणाणे 3 / से किं तं सुयनाणे ? सुयनाणे दुविहे पराणत्ते, तंजहाअंगपविट्ठच अंगबाहिरं च, सव्वं भाणियव्वं जाव दिट्टिवायो 4 / श्रोहिणाणं भवपच्चइयं खयोवसमियं जहा णंदीए, मणपज्जवनाणे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-उज्जुमई य विउलमई य, तहेव केवलनाणं सव्वं भाणियव्वं 5 / तत्थ णं जे से श्राभिणिबोहियनाणे से णं ममं अत्थि, तत्थ णं जे से सुयणाणे से वि य ममं अत्थि, तत्थ णं जे से श्रोहिणाणे से वि य ममं अस्थि, तत्थ णं जे से मणपजवनाणे से वि य ममं अस्थि, तत्थ णं जे से केवल Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् / [ 157 नाणे से णं ममं नत्थि, से णं अरिहंताणं भगवंताणं, इच्चेएणं पएसी अहं तव चउविहेणां छउमत्थेणं णाणेणं इमेयारूवं अज्झथियं जाव समुप्परणं जाणामि पासामि 6 // सू० 165 // ___तए णं से पएसी राया केसि कुमारसमणं एवं वयासी-श्रह णं भंते ! इहं उवविसामि? पएसी ! एसाए उजाणभूमीए तुमंसि चेव जाणए 1 / तए णं से पएती राया चित्तेणं सारहिणा सद्धिं केसिस्स कुमारसमणस्स अदूरसामंते उवविसइ, केसिकुमारसमणं एवं वदासी-तुब्भे णं भंते ! समणाणं णिग्गंथाणं एसा सराणा एसा पइराणा एसा दिट्ठी एसा रुई एस हेऊ एस उवएसे एप्त संकप्पे एसा तुला एस माणे एस पमाणे एस समोसरणे जहा अराणो जीवो अगणं सरीरं, णो तं जीवो तं सरीरं ? तए णं केसी कुमारसमणे पएसिं रायं एवं वयासी-पएसी ! अम्हं समणाणं णिग्गंथाणं एसा सराणा जाव एस समोसरणे जहा अराणो जीवो अण्णं सरीरं, णो तं जीवो णो तं सरीरं 2 // सू० 166 // तए णं से पएसी राया केसि कुमारसमणं एवं वयासी-जति णं भंते ! तुम्भं समणाणं णिग्गंथाणं एसा सराणा जाव समोसरणे जहा अराणो जीवो अराणं सरीरं णो तं जीवो तं सरीरं, एवं खलु मभं अजए होत्था, इहेब जंबूदीवे दीवे सेयवियाए णगरीए अधम्मिए जाव सगस्स वि य णं जणवयस्स नो सम्मं करभरवित्ति पवत्तेति, से णं तुम्भं वत्तव्वयाए सुबहुं पावं कम्मं कलिकलुसं समजिणित्ता कालमासे कालं किच्चा अरणयरेसु नरएसु णेरइयत्ताए उववराणे 1 / तस्स णं अजगस्स णं ग्रहं णत्तुए होत्था इट्टे कंते पिए मणुराणे मणामे थेज्जे वेसासिए संमए बहुमए अणुमए रयणकरंडगसमाणे जीविउस्सविए हिययणंदिजणणे उंबरपुप्फ पिव दुल्लभे सवणयाए, किमंग पुण पासणयाए ? तं जति णं से अजए ममं श्रागंतु वएजा-एवं खलु नत्तुया ! श्रहं तव अजए होत्था, इहेव सेयवियाए नयरीए अधम्मिए जाव नौ सम्मं करभर Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 158 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः वित्तिं पवत्तेमि 2 / तए णं ग्रहं सुबहुं पावं कम्मं कलिकलुसं समजिणित्ता नरएसु उववराणे तं मा णं नत्तुया ! तुम पि भवाहि अधम्मिए जाव नो सम्मं करभरवित्तिं पवत्तेहि, मा णं तुमं पि एवं चेव सुबहुं पावकम्मं जाव उववजिहिसि, तं जइ णं से अजए ममं श्रागंतु वएज्जा तो णं अहं सद्दहेजा पत्तिएजा रोएजा जहा अन्नो जीवो अन्नं सरीरं णो तं जीवो तं सरीरं, जम्हा णं से अजए ममं श्रागंतु नो एवं वयासी तम्हा सुपइट्ठिया मम पइन्ना समणाउसो ! जहा तज्जीवो तं सरीरं 3 / / सू. 167 // तए णं केसी कुमारसमणे पएसिं रायं एवं वदासी-अस्थि णं पएसी ! तव सूरियकंता णामं देवी ? हंता अस्थि, जइ णं तुमं पएसी तं सूरियकंतं देवि राहायं कयवलिकम्मं कयकोउय-मंगलपायच्छित्तं सव्वालंकारविभूसियं केणइ पुरिसेणं राहाएणं जाव सव्वालंकारभूसिएणं सद्धिं इ8 सदफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सते कामभोगे पचणुभवमाणिं पासिन्जसि तस्स णं तुम पएसी ! पुरिसस्स कं डंडं निव्वत्तेजासि ? अहं णं भंते ! तं पुरिसं हत्थच्छिराणगं वा सूलाइगं वा सूलभिन्नगं वा पायछिन्नगं वा एगाहच्चं कूडाहच्चं जीवियायो ववरोवएज्जा 1 / अह णं पएसी से पुरिसे तुमं एवं वदेजा-मा ताव मे सामी ! मुहुत्तगं हत्थच्छिण्णगं वा जाव जीवियायो ववरोवेहि जाव ताव अहं मित्त-णाइ-णियग-सयण-संबंधिपरिजणं एवं वयामि-एवं खलु देवाणुप्पिया ! पावाई कम्माई समायरेत्ता इमेयारूवं श्रावई पाविजामि, तं मा णं देवाणुप्पिया! तुम्भे वि केइ पाबाई कम्माइं समायरह, मा णं से वि एवं चेत्र श्रावई पाविजिहिह जहा णं अहं, तस्स णं तुम पएसी ! पुरिसस्स खणमवि एयमट्ठ पडिसुणेजासि ? णो तिण? सम8 कम्हा णं ? जम्हा णं भंते ! अवराही णं से पुरिसे, एवामेव पएसी ! तव वि अजए होत्था इहेव सेयवियाए णयरीए अधम्मिए जाव णो सम्म करभरवित्तिं पवत्तेइ, से णं अम्हं वत्तव्बयाए सुबहुं जाव उववन्नो 2 / Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् / [ 156 तस्स णं अजगस्स तुमं णत्तुए होत्था इ8 कते जाव पासणयाए, से णं इच्छइ माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए णो चेव णं संचाएति हव्वमागच्छित्तए 3 / चऊहिं ठाणेहिं पएसी अहुणोववरणए नरएसु नेरइए इच्छेइ माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए नो चेव णं संचाएइ-अहुणोववन्नए नरएसु नेरइए से णं तत्थ महब्भूयं वेयणं वेदेमाणे इच्छेजा माणुस्सं लोगं हव्वमागच्छित्तए णो चेव णं संचाएइ 1, अहुणोववन्नए नरएसु नेरइए नरयपालेहिं भुजो भुजो समहिट्ठिजमाणे इच्छइ माणुसं लोगं हबमागच्छित्तए नो चेव णं संचाएइ 2, अहुणोववन्नए. नरएसु नेरइए निरयवेयणिज्जसि कम्मंसि अक्खीणंसि अवेइयंसि अनिजिन्नंसि इच्छइ माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए नो चेव णं संचाएइ 3, एवं णेरइए निरयाउयंसि कम्मंसि अक्खीणंसि अवेइयंसि अणिजिन्नंसि इच्छइ माणुसं लोगं हबमागच्छित्तए नो चेव णं संचाएइ हव्यमागच्छित्तए 4, इच्चेएहिं चऊहिं ठाणेहिं पएसी अहुणोववन्ने नरएसु नेरइए इच्छइ माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए णो चेव णं संचाएइ 4 / तं सदहाहि गां पएसी ! जहा-अन्नो जीवो अन्नं सरीरं, नो तं जीवो तं सरीरं 1. 5 // सू० 168 // तए णं से पएसी राया केसि कुमारसमणं एवं वदासी यत्थि णं भंते ! एसा पराणा उवमा, इमेण पुण कारणेण नो उवागछइ, एवं खलु भंते ! मम जिया होत्था इहेव सेयवियाए नगरीए धम्मिया जाव वित्तिं कप्पेमाणी समणोवासिया अभिगयजीवाजीवे उवलद्धपुराणपावे सव्वो वराणो जाव अप्पाणं भावमाणी विहरड़, साणं तुझ वत्तव्वयाए सुबहुं पुन्नोवचयं समजिणित्ता कालमासे कालं किच्चा अराणयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववराणा, तीसे णं अजियाए ग्रहं नत्तुए होत्था इट्टे कंते जाव पासणयाए, तं जइ णं सा अजिया मम श्रागंतु एवं वएजा-एवं खलु नत्तुया ! अहं तव अजिया होत्था, इहेव सेयवियाए नयरीए धम्मिया जाव वित्ति कप्पेमाणी समणोवासिया जाव विहरामि 1 / Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 160 ) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः तए णं अहं सुबहुं पुराणोवचयं समजिणित्ता जाव देवलोएसु उववराणा, तं तुम पि णत्तुया ! भवाहि धम्मिए जाव विहराहि, तए णं तुमं पि एयं चेव सुबहुं पुराणोवचयं समन्जिणित्ता जाव उववजिहिसि, तं जइ णं अजिया मम अगंतु एवं वएजा तो णं अहं सद्दहेजा पत्तिएजा रोइन्जा जहा-अरणो जीवो अगणं सरीरं, णो तं जीवो तं सरीरं 2 / जम्हा सा अजिया ममं श्रागंतु णो एवं वदासी, तम्हा सुपइट्ठिया मे पइराणा जहा-तं जीवो तं सरीरं, नो अन्नो जीवो अन्नं सरीरं 3 / / सू० 161 // तए णं केसी कुमारसमणे पएसीरायं एवं वयासी-जति णं तुमं पएसी! राहायं कयबलिकम्मं कयकोउय-मंगलपायच्छित्तं उल्लपड़साडगं भिंगार-कडुच्छुय-हत्थगयं देवकुल-मणुपविसमाणं केइ य पुरिसे वच्चघरंसि ठिचा एवं वदेजा-एह(हि) ताव सामी ! इह मुहुत्तगं श्रासयह वा चिट्ठह वा निसीयह वा तुयट्ठह वा, तस्स णं तुमं पएसी ! पुरिसस्स खणमवि एयमझें पडिसुणिजासि ? णो तिणढे सम? 1 / कम्हा णं ? भंते ! असुइ असुइ सामंतो, एवामेव पएसी ! तव वि अजिया होत्था इहेव सेयवियाए णयरीए धम्मिया जाव विहरति, सा णं अम्हं वत्तव्वयाए सुबहुं जाव उववन्ना, तीसे णं अजियाए तुम णत्तुए होत्था इठे जाव सवणयाए, किमंग पुण पासणयाए ? सा णं इच्छइ माणुसं लोगं हब्वमागच्छित्तए, णो चेवणं संचाएइ हव्वमागच्छित्तए 2 / चऊहिं ठाणेहिं पएप्ती ! अहुणोववरणए देवे देवलोएसु इच्छेजा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए, णो चेव णं संचाएइ-अहुणोववराणे देवे देवलोएसु दिव्वेहि कामभोगेहिं मुच्छिए गिद्धे गढिए अमोववराणे से णं माणुसे भोगे नो श्राढाति नो परिजाणाति, से णं इच्छिन माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए, नो चेव णं संचाएति 1, अहुणोववरणए देवे देवलोएसु दिव्वेहिं कामभोगेहिं मुच्छिए जाव अझोववरणे, तस्स णं माणुस्से पेम्मे वोच्छिन्नए भवति दिवे पिम्मे संकते भवति, से णं इच्छेजा माणुसं लोगं Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 161 हब्बमागच्छित्तए, णो चेव णं संचाएइ 2, अहुणोववरणे देवे दिव्वेहिं कामभोगेहिं मुच्छिए जाव अझोववराणे, तस्स णं एवं भवइ-इयाणिं गच्छं मुहुत्तं जाव इह गच्छं अप्पाउया णरा कालधम्मुणा संजुत्ता भवंति, से णं इच्छेजा माणुस्सं लोगं हव्वमागच्छित्तए, यो चेव णं संचाएइ 3, अहुणोववराणे देवे दिव्वेहिं जाव अझोववराणे, तस्स माणुस्सए उराले दुग्गंधे पडिकूले पडिलोमे, भवइ, उखु पि य णं चत्तारि पंच जोश्रणसए असुभे माणुस्सए गंधे अभिसमागच्छति, से णं इच्छेजा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए णो चेव णं संचाइजा 3 / इच्चेएहिं ठाणेहिं पएसी ! अहुणोववराणे देवे देवलोएसु इच्छेज माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए णो चेव णं संचाएइ हबमागच्छित्तए तं सदहाहि णं तुमं पएसी ! जहा-अन्नो जीवो अन्नं सरीरं, नो तं जीवो तं सरीरं 2, 4 // सू० 170 // तए णं से पएसी राया केसि कुमारसमणं एवं वयासी-अस्थि णं भंते ! एस पराणा उवमा, इमेणं पुण मे कारणेणं णो उवागच्छति, एवं खलु भंते ! अहं अन्नया कयाइं वाहिरियाए उवट्ठाणसालाए अणेगगणणायक-दंडणायग-राय-ईसर-तलवर-माडंबिय-कोडाविय-इब्भ-सेटि-सेणावइसत्यवाह-मंति:महामंति-गणग-दोवारिय-अमञ्च-चेड-पीढमद्द नगर-निगम-दुयसंधिवालेहिं सद्धिं संपरिखुडे विहरामि 1 / तए णं मम णगरगुत्तिया ससक्खं सलोद सगेवेज्जं अवउडबंधणबद्धं चोरं उवणेोते, तए णं अहं तं पुरिसं जीवंतं चेव अउभीए पक्खिवावेमि, अउमएणं पिहाणएणं पिहावेमि, अएण य तउएण य यायावेमि, श्रायपच्चइयएहिं पुरिसेहिं रक्खावेमि, तए अहं अण्णया कयाई जेणामेव सा अउकुभी तेणामेव उवागच्छामि उवागच्छित्ता तं अउकुभी उग्गलच्छामि उग्गलच्छावित्ता तं पुरिसं सयमेव पासामि णो चेव णं तीसे अयकुभीए केइ छिड्डे इ वा विवरे इ वा अंतरे इवा राई वा जयो णं से जीवे अंतोहितो बहिया णिग्गए 2 / जइ णं भीए पक्सिवान चोरं उवणीमम गगरगुत्तिया गम-दुय थएण य तया 21 . Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 162] | श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः भंते ! तीसे अउकुभीए होजा केइ छिड्डे वा जाव राई वा जत्रो णं से जीवे अंतोहितो बहिया णिग्गए, तो णं अहं सहेजा पत्तिएजा रोएजा जहा अन्नो जीवो अन्नं सरीरं नो तं जीवो तं सरीरं, जम्हा णं भंते ! तीसे अउकुंभीए णत्थि केइ छिड्डे वा जाव निग्गए, तम्हा सुपतिट्ठिया मे पइन्ना जहा-तं जीवो तं सरीरं, नो अन्नो जीवो अन्नं सरीरं 3 // सू० 171 // तए णं केसी कुमारसमणे पएसि रायं एवं वयासीपएसी ! से जहानामए कूडागारसाला सिया दुहयो लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा णिवायगंभीरा, श्रह णं केइ पुरिसे भेरिं च दंडं च गहाय कूडागारसालाए अंतो अंतो अणुप्पविसति तीसे कूडागारसालाए सव्वतो समंता घणनिचियनिरंतरणिच्छिड्डाई दुवारवयणाई पिहेइ, तीसे कूडागारसालाए बहुमझदेसभाए ठिचा तं भेरि दंडएणं महया महया सद्देणं तालेजा 1 / से गुणं पएसी! से सद्दे णं अंतोहितो बहिया निग्गच्छइ ? हंता णिग्गच्छइ 2 / अत्थि णं पएसी ! तीसे कूडागारसालाए केइ छिड्डे वा जाव राई वा जो णं से सद्दे अंतोहिंतो बहिया णिग्गए ? नो तिण? सम? 3 / एवामेव पएसी ! जीवे वि अप्पडिहयगई पुढवि भिचा सिलं भिन्चा पवयं भिचा अंतोहितो बहिया णिगच्छइ, तं सदहाहि णं तुमं पएसी ! अराणो जीवो, तं चेव 3, 4 // सू० 172 // तए णं पएसी राया केसिकुमारसमणं एवं वदासी-अस्थि णं भंते ! एस पराणा उवमा इमेण पुण कारणेणं णो उवागच्छइ, एवं खलु भंते ! अहं अन्नया कयाइ बाहिरियाए उवट्ठाणसालाए जाव विहरामि 1 / तए णं ममं णगरगुत्तिया ससक्खं जाव वणेति, तए णं अहं (त) पुरिसं जीवियायो ववरोवेमि जीवियायो ववरोवेत्ता अयोकुंभीए पक्खिवावेमि अउमएणं पिहावेमि जाव पच्चइएहिं पुरिसेहिं रक्खामि 2 / तए णं अहं अन्नया कयाइं जेणेव सा कुभी तेणेव उवागच्छामि तं अउकुभि उग्गलब्छामि तं अउकुंभी किमिकुभि पिव Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 163 पासामि णो चेव णं तीसे यउकुंभीए केइ छिडडे इ वा जाव राई वा जता णं ते जीवा बहियाहितो अणुपविट्ठा 3 / जति णं तीसे अउकुंभीए होज केइ छिड्डे इ वा जाव अणुपविट्ठा तेणं अहं सद्दहेजा जहा-अन्नो जीवो, तं चेव 4 / जम्हा णं तीसे अउकुभीए नत्थि कोइ छिड्डे इ वा जाव अणुपविट्ठा तम्हा सुपतिट्टिया मे पइराणा जहा तं जीवो तं सरीरं, तं चेव 5 // सू० 173 // तए णं केसी कुमारसमणे पएसी रायं एवं वयासी-अस्थि णं तुमे पएसी ! कयाइ अए धंतपुव्वे वा धमावियपुव्वे वा ? हंता अस्थि 1 / से गूणं पएसी ! अए धंते समाणे सव्वे अगणिपरिणए भवति ? हंता भवति 2 / अस्थि णं पएसी ! तस्स अयस्स केइ छिड्डे इ वा जेणं से जोई बहियाहिंतो अंतो अणुपवि? ? नो इणम? सम? 3 / एवामेव पएसी ! जीवो वि अप्पडिहयगई पुढवि भिन्चा सिलं भिचा बहियाहिंतो अणुपविसइ, तं सदहाहि णं तुमं पएसी ! तहेव 4, 4 // सू० 174 // तए णं पएसी राया केसीकुमारसमणं एवं वयासी-अस्थि णं भंते ! एस पराणा उवमा इमेण पुण मे कारणेणं नो उवागच्छइ, अस्थि णं भंते ! से जहानामए केइ पुरिसे तरुणे जाव सिप्पोवगए पभू पंचकंडगं निसिरित्तए ? हंता, पभू 1 / जति णं भंते! सो च्चेर पुरिसे बाले जाव मंदविन्नाणे पभू होजा पंचकंडगं निसिरित्तए, तो णं अहं सद्दहेजा जहा-अन्नो जीवो, तं चेव 2 / जम्हा णं भंते ! स चेव से पुरिसे जाव मंदविन्नाणे णो पभू पंचकंडयं निसिरित्तए तम्हा सुपइट्ठिया मे पइराणा जहा-तं जीवो, तं चेव 3 // सू० 175 // तए णं केसी कुमारसमणे पएसिं रायं एवं वयासी-से जहानामए केइ पुरिसे तरुणे जाव सिप्पोवगए णवएणं धणुणा नवियाए जीवाए बनवाइसुणा पभू पंचकंडगं निसिरित्तए ? हंता, पभू 1 / सो चेव णं पुरिसे तरुगो जाव निउणसिप्पोवगते कोरिल्लिएणं धणुणा कोरिल्लियाए जीवाए कोरिलिएणं इसुणा पभू पंचकंडगं निसिरित्तए ? णो तिणमट्ठ सम? 2 / कम्हा णं ? / भंते ! तस्स परिसस्स Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 164 ] [ श्रीमदागगसुधासिन्धुः // पञ्चमा विभागः अपजताई उवगरणाइं हवंति, एवामेव पएसी ! सो चेव पुरिसे वाले जाव मंदविन्नाणे अपजत्तोवगरणे, णो प्रभू पंचकंडयं निसिरित्तए, तं सद्दहाहि णं तुमं पएसी ! जहा-अन्नो जीवो तं चेव 5, 3 // सू० 176 // तए णं पएसी राया केसीकुमारसमणं एवं वयासी-अस्थि णं भंते ! एस. पराणा उवमा इमेण पुण कारणेणं नो उबागच्छइ, भंते ! से जहानामए केइ पुरिसे तरुणे जाव सिप्पोवगते पभू एगं महं अयभारगं वा तउयभारगं वा सीसगभारगं वा परिवहित्तए ? हंता पभू 1 / सो चेव णं भंते ! पुरिसे जुन्ने जराजन्जरियदेहे सिढिल-वलितयाविणट्ठगत्ते दंड-परिग्गहियग्गहत्थे पविरलपरिसडियदंतसेढी पाउरे किसिए पिवासिए दुबले किलंते नो पभू एगं महं अयभारगं वा जाव परिवहित्तए 2 / जति णं भंते ! सच्चेव पुरिसे जुन्ने जराजरियदेहे जाव परिकिलंते प्रभू एगं महं अयभारं वा जाव परिवहित्तए तो णं सहेजा तहेव 3 / जम्हा णं भंते ! से चेव पुरिसे जुन्ने जाव किलंते नो पभू एगं महं अयभारं वा जाव परिवहित्तए तम्हा सुपतिट्ठिता मे पइराणा तहेव 4 // सू० 177 // तए णं केसी कुमारसमणे पएसि रायं एवं वयासी-से जहानामए केइ पुरिसे तरुणे जाव सिप्पोवगए णवियाए विहंगियाए णवएहिं . सिक्कएहिं णवएहिं पच्छियपिंडएहिं पहू एगं महं श्रयभारं जाव परिवहित्तए? . हंता पभू 1 / पएसी ! से चेव णं पुरिसे तरुणे जाव सिप्पोवगए जुनियाए दुबलियाए घुणक्खइयाए विहंगियाए जुराणएहिं दुबलएहिं घुणक्खइएहिं सिढिलतयापिणद्धएहिं सिक्कएहिं जुग़णएहिं दुबलिएहिं घुणखइएहिं पच्छिपिंडएहिं पभू एगं महं अयभारंवा जाव परिवहित्तए? णो तिण8 सम? 2 / कम्हा णं भंते ! तस्स पुरिसस्स जुन्नाइं उवगरणाई भवंति ? पएसी ! से चेव से पुरिसे जुन्ने जाव किलंते जुत्तोवंगरणे तो पभू एगं महं अयभारं वा जाव परिवहित्तए, तं सदहाहि णं तुमं पएसी ! जहा-धन्नो जीवो अन्नं सरीरं 6, 3 // सू० 178 // तए णं से पएसी. केसिकुमारसमणं एवं 1 ॥कई पुरिमालयपिडति पुरिसे तरुण दुबलाहि हि पनि Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 165 वयासी-अत्थि णं भंते ! जाव नो उवागच्छइ, एवं खलु भंते ! जाव विहरामि 1 / तए णं मम णगरगुत्तिया चोरं उवणेंति, तए णं अहं तं पुरिसं जीवंतगं चेव तुलेमि तुलेत्ता छविच्छेयं अकुब्वमाणे जीवियायो ववरोवेमि मयं तुलेमि णो चेव णं तस्स पुरिसस्स जीवंतम्स वा तुलियस्स वा मुयस्स वा तुलियस्स केइ थाणत्ते वा नाणत्ते वा श्रीमत्ते वा तुच्छत्ते वा गुरुयत्ते वा लहुयत्ते वा 2 / जति णं भंते ! तस्स पुरिसस्स जीवंतस्स वा तुलियस्स मुयस्स वा तुलियस्स केइ अन्नत्ते वा जाव लहुयत्ते वा तो णं अहं सदहेजा, तं. चेव 3 / जम्हा णं भंते! तस्स पुरिसस्स जीवंतस्स वा तुलियस्स मुयस्स वा तुलियस्स नत्थि केइ अन्नत्ते वा लहुयत्ते वा तो णं अहं सद्दहेजा, तं चेव, तम्हा सुपतिट्ठिया मे पइन्ना जहा-तं जीवो, तं चेव ४॥सू० 176 // तए णं केसी कुमारसमणे पएसिं रायं एवं वयासी-अत्थि णं पएसी ! तुमे कयाइ वत्थी धंतपुब्वे वा धमावियपुव्वे वा ? ता अस्थि 1 / अत्थि णं पएसी! तस्म वत्थिस्स पुराणस्स वा तुलियस्स वा अपुराणसवा तुलियस्स केइ श्रणत्ते वा जाव लहुयत्ते वा ? णो तिण? सम? 2 / एवामेव पएसी ! जीवस्स अगुरुलघुयत्तं पडुच्च जीवंतस्स वा तुलियस्स मुयस्स वा तुलियस्स नत्थि, केइ ग्राणत्ते वा जाव लहुयत्ते वा, तं सदाहि णं तुम पएसी!, तं चेव 7 3 // सू० 180 // - - तए णं पएसी राया केसि कुमारसमणं एवं वयासी-अस्थि णं भंते! एसा जावं नो उवागच्छइ, एवं खलु भंते / ग्रहं अन्नया जाव चोरं उवणेति. 1 / तए णं अहं तं पुरिसं सव्वतो समंता समभिलोएमि, नो चेव णं तत्थ जीवं पासामि, तए णं अहं तं पुरिसं दुहा फालियं करेमि करिता सव्वतो समंता. समभिलोएमि, नो चेव णं तत्थ जीवं पासामि 2 / एवं तिहा चउहा संखेजफालियं करेमि.णो चेव णं तत्थ जीवं पासामि 3 / जइ णं भंते ! . अहं तं पुरिसं दुहा वा तिहा वा चउहा वा संखेनहा वा फालियंमि वा Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 166 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विमागः जीवं पासतो तो णं अहं सदहेजा नो तं चेव 4 / जम्हा णं भंते ! अहं तंसि दुहा वा तिहा वा चउहा वा संखिजहा वा फालियंमि वा जीवं न पासामि तम्हा सुपतिट्ठिया मे पइराणा जहा-तं जीवो तं सरीरं तं चेव 5 // सू० 181 // तए णं केसिकुमारसमणे पएसि रायं एवं वयासी-मूढतराए णं तुमं पएसी! तायो तुच्छतराश्रो, के णं भंते ! तुच्छतराए ? पएसी ! से जहाणामए केई पुरिसे वणथी वणोवजीवी वणगवेसणयाए जोइं च जोइभायणं च गहाय कट्ठाणं अडविं अणुपविट्ठा 1 / तए णं ते पुरिसा तीसे अगामियाए जाव किंचिदेसं अणुप्पत्ता समाणा एगं पुरिस एवं वयासीअम्हे णं देवाणुप्पिया ! कट्ठाणं अडविं पविसामो, एत्तो णं तुम जोइभाय. णाश्रो जोई गहाय अम्हें असणं साहेजासि, अह तं जोइभायणे जोई विझवेजा एत्तो णं तुम कट्ठामो जोइं गहाय अम्हं असणं साहेजासि त्ति कटु कट्ठाणं अडविं अणुपविट्ठा 2 / तए णं से पुरिसे तो मुहुतंतरस्स तेर्सि पुरिसाणं असणं साहेमि त्ति कटु जेणेव जोतिभायणे तेणेव उवागच्छइ जोइभायणे जोई विज्झायमेव पासति 3 / तए णं से पुरिसे जेणेव से कट्टे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता त कट्ठः सव्वश्रो समंता. समभिलोएति नो चेव णं तत्थ जोई पासति 4 / तए णं से पुरिसे परियरं बंधइ फरसु गिराहइ तं कट्ठदुहा फालियं करेइ सब्बतो समंता समभिलोएइ णो चेव णं तत्थ जोई पासइ, एवं जाव संखेजफालियं करेइ संवतो समंता समभिलोएइ नो चेव णं तत्थ जोइं पासइ 5 / तए णं से पुरिसे तंसि कट्ठांसि दुहाफालिए वा जाव संखेजफालिए वा जोडं अपासमाणे संते तंते परिसंते निविराणे समाणे परसु एगते एडेइ परियरं मुयइ एवं वयासीअहो ! मए तेसिं पुरिसाणं असणे नो साहिए त्ति कटु श्रोहयमणसंकप्पे चिंता-सोग-सागरसंपविढे करयल पल्लत्थमुहे अट्टज्माणोवगए भूमिगयदिट्ठिए झियाइ 6 / तए णं ते पुरिसा कट्ठाई छिदंति जेणेव से पुरिसे तेणेव Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् // [ 167 उवागच्छंति तं पुरिसं ग्रोहयमणसंकप्पं जाव झियायमाणं पासंति 2 एवं वयासी-कि णं तुमं देवाणुप्पिया ! श्रोहयमणसंकप्पे जाव झियायसि ? तए णं से पुरिसे एवं वयासी-तुज्झे णं देवाणुप्पिया ! कट्ठाणं अडविं अणुपविसमाणा ममं एवं वयासी-अम्हे | देवाणुप्पिया ! कट्ठाणं अडविं जाव पविट्ठा 7 / तए णं अहं तत्तो मुहुत्तंतरस्स तुझं असणं साहेमि ति कटु जेणेव जोइभायणं जाव झियामि / तए णं तेसिं पुरिसाणं एगे पुरिसे छेदे दक्खे पत्त? जाव उवएसलद्धे ते पुरिसे एवं वयासी-गच्छह णं तुझे देवाणुप्पिया ! राहाया कयवलिकम्मा जाव हव्वमागच्छेह जा णं अहं असणं साहेमि त्ति कटु परियरं बंधइ परसु गिराहइ सरं करेइ सरेण अरणिं महेइ जोई पाडेइ जोई संधुक्खेइ तेसिं पुरिसाणं असणं साहेइ 1 / तए णं ते पुरिसा राहाया कयबलिकम्मा जाव पायच्छित्ता जेणेव से पुरिसे तेणेव उवागच्छंति, तए णं से पुरिसे तेसिं पुरिसाणं सुहासणवरगयाणं तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवणेइ 10 / तए णं ते पुरिसा तं विउलं असणं 4 श्रासाएमाणा वीसाएमाणा जाव विहरंति, जिमियभुत्तुतरागया वि य णं समाणा श्रायंता चोक्खा परमसुइभूया तं पुरिसं एवं वयासीअहो ! णं तुमं देवाणुप्पिया! जड्डे मूढे अपंडिए णिबिराणाणे अणुवएसलद्धे जे णं तुम इच्छसि कट्ठांसि दुहाफालियंसि वा जोति पासित्तए, से एएण?णं पएसी ! एवं वुन्चइ मूढतराए णं तुमं पएसी ! तायो तुच्छतरायो 8, 11 // सू० 182 // तए णं पएसी राया केसिकुमारसमणं एवं वयासी-जुत्तए णं भंते ! तुब्भ इय छेयाणं दक्खाणं बुद्धाणं कुसलाणं महामईणं विणीयाणं विराणाणपत्ताणं उवएसलद्धार्ण ग्रहं इमीसाए (ए) महालियाए महवपरिसाए मज्झे उच्चावहिं बाउसेहिं पाउसित्तए उच्चावयाहिं उद्धंसणाहिं उद्धंसित्तए एवं निभंछणाहिं निभसित्तए निच्छोडणाहिं निच्छो. डित्तए ? // सू० 183 // तए णं केसी कुमारसमणे पएसिं रायं एवं Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 168 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभगाः वयासी-जाणासि णं तुम पासो ! कति परिसायो पराणत्तायो ? जाणामि चत्तारि परिसायो पराणत्ता, तंजहा-खत्तियपरिसा गाहावइपरिसा माहणयरिसा इसिपरिसा 1 / जाणासि णं तुमं पएसी राया ! एयासिं चउराह परिसाणं कस्स का दंडणीई परासत्ता ? हंता ! जाणामि 2 / जे णं खत्तियपरिसाए अवरज्झइ से णं हत्थच्छिराणए वा पायच्छिण्णए वा सीसच्छिराणए वा सूलाइए वा एगाहच्चे कूडाहच्चे जीवियायो ववरोविज्जइ 2 / जे णं गाहावइपरि. साए अवरज्झइ. से णं तएण वा वेढेण वा पलालेण वा वेढित्ता अगणिकारणं झामिजइ 4 / जेणं माहणपरिसाए अवरज्झइ से णं अणिट्टाहि. . अकंताहिं जाव अमणामाहिं वग्गूहि उवालंभित्ता कुडियालंकणए वा सूणगलंछणए वा कीरइ, निधिसए वा अाणविजइ 5 / जे णं इसिपरिसाए अवरज्मइ से णं णाइअणिवाहिं जाव णाइग्रमणामाहिं वग्गूहिं उबालभइ, एवं च ताव पएसी! तुमं जाणासि तहावि ण तुमं ममं वामं वामेणं दंड दंडेणं पडिकूलं पडिकूलेणं पडिलोमं पडिलोमेणं विवच्चासं विवच्चासेणं वट्टसि 6 / तए णं पएसी राया केसि कुमारसमणं एवं वयासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिएंहिं पढमिल्लुएणं चेव वागरणेण संलत्ते तए णं ममं इमेयारूवें अज्झथिए जाव संकप्पे समुपजित्था-जहा जहा णं एयस्स पुरिसस्स वाम वामेणं जाव विवच्चासं विवच्चासेणं वट्टिस्सामि तहा तहा णं अहं नाणं च नाणोवलंभं च करणं च करणोवलंभं च दंसणं च दंसणोवलंभं च जीवं च जीवोवलंभं च उवलभिस्सामि, तं एएणं अहं कारणेणं देवाणुप्पियाणं वामं वामेणं जाव विवञ्चासं विवच्चासेणं वट्टिए 7 // सू० 184 // तए णं केसी कुमारसमणे पएसीरायं एवं वयासी-जाणासि गणं तुमं पएसी! का ववहारगा पराणत्ता ? हंता जाणामि 1 / चत्तारि ववहारगा पराणत्ता-देइ नामेगे णो सराणवेइ 1, सन्नवेइ नामेगे नो देइ 2, एगे देइ वि सन्नवेइ वि 3, एगे णो देइ णो सगणवेइ 4, 2 / जाणासि णं तुमं पएसी ! Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 166 एएसिं चउराहं पुरिसाणं के ववहारी के अब्बवहारी ? हंता जाणामि 3 / तत्थ णं जे से पुरिसे देइ णो सराणवेइ से णं पुरिसे ववहारी 4 / तत्थ णं जे से पुरिसे णो देइ सगणवेइ से णं पुरिसे ववहारी 5 / तत्थ णं जे से पुरिसे देइ वि सन्नवेइ वि से पुरिसे ववहारी 6 / तत्थ णं जे से पुरिसे णो देइ णो सन्नवेइ से णं अववहारी 7 / एवामेव तुम पि ववहारी, णो चेव णं तुमं पएसी अववहारी 8 // सू० 185 // तए णं पएसी राया केसिकुमारसमणं एवं वयासी-तुज्झे णं भंते ! इय छेया दक्खा जाव उवएसलद्धा समत्था णं भंते ! ममं करयलंसि वा श्रामलयं जीवं सरीरायो अभिनिवट्टित्ताणं उवदंसित्तए ? 1 // तेणं काले णं ते णं समए णं पएसिस्स रराणो अदूरसामंते वाउयाए संवुत्ते, तणवणस्सइकाए एयइ वेयइ चलइ फंदइ घट्टइ उदीरइ तं तं भावं परिणमइ 2 / तए णं केसी कुमारसमणे पएसिरायं एवं वयासी-पाससि णं तुमं पएसी राया! एवं तणवणस्सई एयंतं जाव तं तं भावं परिणमंतं ? हंता पासामि 3 / जाणासि णं तुमं पएसी ! एयं तणवणस्सइकायं किं देवो चालेइ असुरो वा चालेइ णागो वा किन्नरो वा चालेइ किंपुरिसो वा चालेइ महोरगो वा चालेइ गंधवो वा चालेइ ? हंता जाणामि-णो देवो चालेइ जाव णो गंधव्वो चालेइ वाउयाए चालेइ 4 / पाससि णं तुम पएसी ! एतस्स वाउकायस्स सरूविस्स सकामस्स सरागस्स समोहस्त सवेयस्स सलेसस्त ससरीरस्स एवं ? णो तिण? समढे 5 / जइ णं तुमं पएसी राया ! एयस्स वाउकायस्स सरूविस्स जाव ससरीरस्स ख्वं न पाससि तं कहं णं पएसी ! तव करयलंसि वा श्रामलगं जीवं उवदंसिस्सामि ? 6 / एवं खलु पएसी ! दसट्ठाणाइं छउमत्थे मणुस्से सव्वभावेणं न जाणइ न पासइ, तंजहा-धम्मत्थिकायं 1 अधम्मत्थिकायं 2 अागासस्थिकायं 3 जीवं असरीरबद्धं 4 परमाणुपोग्गलं 5 सद६ गंधं 7 वायं 8 अयं जिणे भविस्सइ वा णो भविस्सइ 1 अयं सव्वदुक्खाणं अंतं 22 Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 170 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः करेस्सइ वा नो वा 10, 7 / एताणि चेव उप्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली सव्वभावेणं जाणइ पासड, तंजहा-धम्मत्थिकायं जाव नो वा करिस्सइ, तं सदहाहि णं तुमं पएसी ! जहा-अन्नो जीवो, तं चेव 1, 8 // सू० 186 // तए णं से पएली राया केसि कुमारसमगां एवं वयासीसे नूणं भंते ! हथिस्स कुयुस्स य समे चेव जीवे ? हंता पएसी ! हथिस्स य कुंथुस्स य समे चेव जीवे 1 / से गुणं भंते ! हत्थीउ कुंथू अप्पकम्मतराए चेव अप्पकिरियतराए चेव अप्पासवतराए चेव एवं श्राहार-नीहारउस्सास-नीसास:डीए महज्जुइअप्पतराए चेव, एवं च कुंथुयो हत्थी महाकम्मतराए चेव महाकिरियतराए चेव जाव ? हंता पएसी ! हत्थीयो कुथू अप्पकम्मतराए चेव कुंथुयो वा हत्थी महाकम्मतराए चेव तं चेव 2 / कम्हा णं भंते ! हथिस्स य कुथुस्स य समे चेव जीवे ? पएसी ! जहा णामए कूडागारसाला सिया जाव गंभीरा ग्रह णं केइ पुरिसे जोई व दीवं व गहाय तं कूडागारसालं अंतो 2 अणुपविसइ तीसे कूडागारसालाए सव्वतो समंता घणनिचियनिरंतराणि णिच्छिड्डाई दुवारवयणाई पिहेति तीसे कूडागारसालाए बहुमज्झदेसभाए तं पईवं पलीवेजा 3 / तए णं से पईवे तं कूडागारसालं अंतो 2 श्रोभासइ उज्जोवेइ तवति पभासेइ, णो चेव णं बाहिं, ग्रह णं पुरिसे तं पईवं इड्डरएणं पिहेजा, तए णं से पईवे तं इड्डरयं अंतो श्रोभासेइ, णो चेव णं इड्डरगस्स बाहिं णो चेव णं कूडागारसालाए बाहिं 4 / एवं गोकिलिजेणं पच्छिपिंडएणं गंडमाणियाए अाढतेणं श्रद्धाढतेणं पत्थएणं श्रद्धपत्थएणं कुलवेणं श्रद्धकुलवेणं चाउभाइयाए अट्ठभाइयाए सोलसियाए बत्तीसियाए चउसट्ठियाए दीवचंपएणं, तए णं से पदीवे दीवचंपगस्स अंतो श्रोभासति 4, नो.चेव णं दोवचंपगस्स बाहिं नो चेव णं चउसट्ठियाए बाहिं, णो चेव णं कूड़ागारसालं णो चेव णं कूडागारसालाए बाहिं, एवामेव पएसी ! जीवे वि जं जारिसयं पुव्वकम्मनिबद्धं बोंदि णिवत्तेइ तं Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 171 असंखेज्जेहिं जीवपदेसेहि सचित्तं करेइ खुड्डियं वा महालियं वा, तं सदहाहि णं तुमं पएसी ! जहा-अराणो जीवो, तं चेव णं 10,5 // सू० 187 // तए णं पएसी राजा केसि कुमारसमणं एवं वयासी-एवं खलु भंते ! मम अजगस्स एस सन्ना जाव समोसरणे जहा-तज्जीवो तं सरीरं, नो अन्नो जीवो अन्नं सरीरं, तयाणंतरं च णं ममं पिउणो वि एस सराणा, तयाणंतरं मम वि एसा सराणा जाव समोसरणं, तं नो खलु श्रहं बहुपुरिसपरंपरागयं कुलनिस्सियं दिढि छंडेस्सामि // सू० 188 // तए णं केसी कुमारसमणे पएसिरायं एवं वयासी-मा णं तुमं पएसी ! पच्छाणुताविए भवेजासि जहा व से पुरिसे अयहारए 1 / के णं भंते ! से यहारए ? पएसी ! से जहाणामए केई पुरिसा अत्थत्थी अत्थगवेसी अत्थलुद्धगा अत्थकंखिया अत्थपिवासिया अत्थगवेसणयाए विउलं पणियभंडमायाए सुबहुं भत्तपाणपत्थयणं गहाय एगं महं अकामियं छिन्नावायं दीहमद्धं अडविं अणुपविट्ठा, तए णं ते पुरिमा तीसे अकामियाए अडवीए कंचि देसं अणुप्पत्ता समाणा एगमहं अयागरं पासंति, श्रएणं सव्वतो समंता अाइगणां विच्छिराणं सच्छडं 'उवच्छडं फुडं गाढं पासंति हट्टतुट्ठ जाव हियया अन्नमन्नं सदावेंति एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया ! अयभंडे इ8 कते जाव मणामे, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं अयभारए बंधित्तए ति कटु अन्नमन्नस्स एयमट्ठ पडिसुणेति अयभारं बंधति अहाणुपुब्बीए संपत्थिया 2 / तए णं ते पुरिसा अकामियाए जाव अडवीए किंचि देसं अणुपत्ता समाणा एगं महं तउग्रागरं पासंति, तउएणं अाइराणं तं चेव जाव सदावेत्ता एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया! तउयभंडे जाव मणामे, अप्पेणं चेव तउएणं सुबहुँ अए लभति, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अयभारए छड्डेता तउयभारए बंधित्तए त्ति कटु अन्नमन्नस्स अंतिए एयमट्ठ पडिसुणेति अयभारं छड्डेति तस्यभारं बंधति 3 / तत्थ णं एगे पुरिसे णो संचाएइ अयभारं छड्डेत्तए Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 172 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभाग तउयभारं बंधित्तए, तए णं ते पुरिसा तं पुरिसं एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया ! तउयभंडे जाव सुबहुं अए लब्भति, तं छड्डहि णं देवाणुप्पिया ! श्रयभारगं, तउयभारगं बंधाहि 4 / तए से पुरिसे एवं वदासी-दूराहडे मे देवाणुप्पिया ! अए, चिराहडे मे देवाणुप्पिया ! अए, अइगाढवंधणबद्धे मे देवाणुप्पिया ! अए, असिढिलबंधणबद्धे देवाणुप्पिया ! अए, धणियबंधणबद्धे देवाणुप्पिया! अए, णो संचाएमि अयभारगं छड्डत्ता तउयभारगं बंधित्तए 5 / तए णं ते पुरिसा तं पुरिसं जाहे णो संचायंति बहूहिं बाघवणाहि य पनवणाहि य श्राघवित्तए वा पराणवित्तए वा तया श्रहाणुपुवीए संपत्थिया, एवं तंबागरं रुप्पागरं सुबराणागरं रयणागरं वइरागरं, तए णं ते पुरिसा जेणेव सया जणवया जेणेव साइं साइं नगराई तेणेव उवागच्छंति वयरविकणयं करेंति सुबहु-दासी-दास-गो-महिसगवेलगं गिराहंति अट्टतलमूसियवडंसगे काराति राहाया कयबलिकम्मा उप्पि पासायवरगया फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं बत्तीसइबद्धपहि .नाडएहिं वरतरुणीसंपउत्तेहिं उवणचिजमाणा उवलालिजमाणा इ8 सद्द-फरिस जाव विहरंति 6 / तए णं से पुरिसे अयभारेण जेणेव सए नगरे तेणेव उवागच्छइ अयभारेणं गहाय अयविक्किणणं करेति तंसि अप्पमोल्लंसि निहि. यंसि झीणपरिव्वए ते पुरिसे उप्पिं पासायवरगए जाव विहरमाणे पासति पासित्ता एवं वयासी-अहो ! णं अहं अधन्नो अपुन्नो अकयत्थो अकयलक्खणो हिरिसिरिविजिए हीणपुराणचाउद्दसे दुरंतपंतलक्खणे 7 / जति णं अहं मित्ताण वा णाईण वा नियगाण वा सुणतो तो णं अहं पि एवं चेव उप्पि पासायवरगए जाव विहरंतो, से तेण?णं पएसी एवं वुच्चइ-मा तुमं पएसी पच्छाणुताविए भविजासि, जहा व से पुरिसे अयभारिए 8 // सू० 186 // एत्थ णं से पएसी राया संबुद्धे केसिकुमारसमणं वंदइ जाव एवं वयासी-णं खलु भंते ! अहो पच्छाणुताविए भविस्सामि जहा व Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 173 से पुरिसे अयभारिए, तं इच्छामि णं देवाणुप्पियाणं अंतिए केवलिपन्नत्तं धम्मं निसामित्तए, श्रहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह, धम्मकहा जहा चित्तस्स तहेव गिहिधम्म पडिवजइ जेणेव सेयविया नगरी तेणेव पहारेस्थ गमणाए // सू० 110 // ___तए णं केसी कुमारसमणे परसिं रायं एवं वयासी-जाणासि तुम पएसी ! कइ अायरिया पन्नत्ता ? हंता जाणामि, तो पायरिया पराणत्ता, तंजहा-कलायरिए, सिप्पायरिए, धम्मायरिए 1 / जाणासि णं तुमं पएसी ! तेसिं तिराहं श्रायंरियाणं कस्स का विणयपडिबत्ती पउंजियव्वा ? हंता जाणामि, कलायरियस्स सिप्पायरिस्स उवलेवणं संमजणं वा करेजा पुरयो पुष्पाणि वा प्राणवेजा मजावेजा मंडावेजा भोयाविजा वा विउलं जीवितारिहं पीइदाणं दलएजा पुत्ताणुपुत्तियं वित्तिं कप्पेजा 2 / जत्थेव धम्मायरियं पासिज्जा तत्थेव वंदेजा गामसेजा सकारेजा सम्माणेजा कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासेजा फासुएसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभेजा पाडिहारिएणं पीढफलगसिज्जासंथारएणं उवनिमंतेजा 3 / एवं च ताव तुमं पएसी ! एवं जाणासि तहावि णं तुमं ममं वामेणं जाव वट्टित्ता ममं एयम8 अक्खामित्ता जेणेव सेयविया नगरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए 4 // सू० 11 1 // तए णं से पएसी राया केसि कुमारसमणं एवं वदासीएवं खलु भंते ! मम एयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था एवं खलु श्रहं देवाणुप्पियाणां वामं वामेणं जाव वट्टिए तं सेयं खलु मे कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पल-कमल-कोमलुम्मिलियम्मि अहापंडुरे पभाए रत्तासोगकिंसुय-सुबमुह-गुजद्धरागसरिसे कमलागर-नलिणिसंडबोहए उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरसिसि दिणयरे तेयसा जलंते अंतेउर-परियालसद्धिं संपरिवुडस्स देवाणुप्पिए वंदित्तए नमंसित्तए एतमट्ठ भुज्जो भुज्जो सम्मं विणएगां खामित्तए त्ति कटु जामेव दिसिं पाउब्भुते तामेव दिसि पडिगए 1 / तए णं Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 174 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः से पएसी राया कल पाउप्पभायाए रयणीए जाव तेयसा जलते हटुतु? जाव हियए जहेव कूणिए तहेव निगच्छइ अंतेउर-परियालसद्धिं संपरिबुडे पंचविहेणं अभिगमेणं वंदइ नमसइ एयमट्ठ भुजो भुजो सम्मं विणएणं खामेइ 2 // सू० 112 // तए णं केसी कुमारसमणे पएसिस्स रगणो सूरियकंतप्पमुहाणं देवीणं तीसे य महतिमहालियाए महच्चपरिसाए जाव धम्म परिकहेइ 1 / तए णं से पएसी राया धम्म सोचा निसम्म उट्ठाए उट्ठति केसिकुमारसमणं वंदइ नमसइ जेणेव सेयविया नगरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए 2 // सू० 113 // तए णं केसी कुमारसमणे पएसिरायं एवं वदासी मा णं तुमं पएसी ! पुबि रमणिज्जे भवित्ता पच्छा परमणिज्जे भविजासि, जहा से वरासंडे इ वा णट्टसाला इ वा इक्खुवाडए इ वा खलवाडए इ वा // सू० 114 // कहं णं भंते ! ? // सू० 115 // वाणसडे पत्तिए पुप्फिए फलिए हरियगरेरिजमाणे सिरीए अतीव उवसोभेमाणे चिट्टइ, तया णं वणसंडे रमणिज्जे भवति 1 / जया यं वणसंडे नो पत्तिए नो पुल्फिए नो फलिए नो हरियगरेरिजमाणे णो सिरीए अईव उवसोभेमाणे चिट्ठइ तया णं जुन्ने झडे परिसडियपंडुपत्ते सुक्करुक्खे इव मिलायमाणे चिट्टइ तया णं वणे णो रमणिज्जे भवति 2 // सू० 116 // जया णं णट्टसाला वि गिजइ वाइजइ नचिजइ हसिज्जइ रमिजइ तया णं णट्टसाला रमणिजा भवइ, जया णं नट्टसाला णो गिजइ जाव णो रमिजइ तया णं णसाला यरमणिजा भवति / / सू० 117 // जया णं इक्खुवाडे छिजइ भिजइ सिज्जइ पिजइ दिजइ तया णं इक्खुवाडे रमणिज्जे भवइ, जया णं इक्खुवाडे णो छिजइ जाव तया इक्खुवाडे अरमणिज्जे भवइ // सू० 118 // जया णं खलवाडे उच्छुब्भइ उडुइजइ मलइजइ मुणिजइ खजइ पिजइ दिजइ तया णं खलवाडे रमणिज्जे भवति जया णं खलवाडे नो उच्छुब्भइ जाव अरमणिज्जे भवति 1 / से तेण?णं पएसी ! एवं वुच्चइ मा णं तुमे पएसी ! पुब्दि Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् / [ 175 रमणिज्जे भवित्ता पच्छा परमणिज्जे भविजासि जहा वणसंडे इ वा 2 // सू० 111 // तए णं पएसी केसि कुमारसमणं एवं वयासी-णो खलु भंते ! अहं पुलिं रमणिज्जे भवित्ता पच्छा परमणिज्जे भविस्सामि, जहा वणसंडे इ वा जाव खलवाडे इ वा, अहं णं सेयवियानगरीपमुक्खाई सत्त गामसहस्साइं चत्तारि भागे करिस्सामि, एगं भागं बलवाहणस्स दलइस्सामि, एगं भागं कुट्ठागारे छुभिस्सामि, एगं भागं अंतेउरस्स दलइस्सामि, एगेणं भागेणं महतिमहलयं कूडागारसालं करिस्सामि, तत्थ णं बहूहिं पुरिसेहिं दिनभइभत्तवेयणेहिं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेत्ता बहूणं समणमाहणभिक्खुयाणं पंथियपहियाणं परिभाएमाणे बहूहिं सीलव्वयगुणव्वय-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासस्स जाव विहरिस्सामि त्ति कटु जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसिं पडिगए // सू० 200 // ____तए णं से पएसी राया कल्लं जाव तेयसा जलंते सेयवियापाभोक्खाई सत्त गामसहस्साई चत्तारि भाए कीरइ, एगं भागं बलवाहणस्स दलइ जाव कूडागारसालं करेइ, तत्थ णं बहूहिं पुरिसेहिं जाव उबवखडावेत्ता बहूणं समण जार परिभाएमाणे विहरइ / सू. 201 // तए णं से पएसी राया समगोवासए अभिगयजीवाजीवे उवलद्धपुराणपावे जाव विहरइ, जप्पभिई च णं पएसी राया समणोवासए जाए तप्पभिई च णं रज्जंत्र रट्ठच बलं च वाहणं च कोट्ठागारं च पुरं च अंतेउरंच जणवयं च अणाढायमाणे यावि विहरति 1 / तए णं तीस सूरियकताए देवीए इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था जप्पभिई चणं पएसी राया समणोवासए जाए तप्पभिइं च णं रज्जं च रटुंजाव अंतेउरं च ममं जणवयं च अणादायमाणे विहरइ 2 / तं सेयं खलु मे पएसिं रायं केणवि सत्थपोएण वा अग्गिपयोएण वा मंतप्पयोगेण वा विसप्पयोगेण वा उद्दवेत्ता सूरियकंतं कुमारं रज्जे ठवित्ता सयमेव रजसिरि कारेमाणीए पालेमाणीए विहरित्तए त्ति कटु एवं संपेहेइ संपेहित्ता सूरियकंतं कुमारं सदावेइ सहावित्ता Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 176 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पश्चमो विभागः एवं वयासी-जप्पभिई च णं पएसी राया समणोवासए जाए तप्पभिई च णं रज्जं च जाव अंतेउरं च णं जणवयं च माणुस्सए य कामभोगे अणादायमाणे विहरइ 3 / तं सेयं खलु तव पुत्ता ! पएसि रायं केणइ सत्थप्पयोगेण वा जाव उद्दवित्ता सयमेव रजसिरिं कारेमाणे पालेमाणे विहरित्तए 4 / तए णं सूरियकंते कुमारे सूरियकताए देवीए एवं वुत्ते समाणे सूरियकताए देवीए एयमट्ठणो बाढाइ नो परियाणाइ तुसिणीए संचिट्ठइ 5 / तए णं तीसे सूरियकताए देवीए इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था-मा णं सूरियकंते कुमारे पएसिस्स रन्नो इमं रहस्सभेयं करिस्सइ त्ति कटु पएसिस्स रराणो छिद्दाणि य मम्माणि य रहस्साणि य विवराणि य अंतराणि य पडिजागरमाणी पडिजागरमाणी विहरइ 6 ॥सू० 202 // तए णं सूरियकंता देवी अन्नया कयाइ पएसिस्स रगणो अंतरं जाणइ असणं जाव खाइमं सव्ववत्थगंधमल्लालंकारं विसप्पजोगं पउंजइ, पएसिस्स रराणो राहायस्स जाव पायच्छित्तस्स सुहासणवरगयस्स तं विससंजुत्तं असणं वत्थं जाव अलंकारं निसिरेइ घातइ 1 / तए णं तस्स पएसिस्स रराणो तं विससंजुत्तं असणं पाहारेमाणस्स सरीरगंमि वेपणा पाउन्भूया उज्जला विपुला पगाढा ककसा कडुया फरुसा निठुरा चंडा तिव्वा दुक्खा दुग्गा दुरहियासा पित्तजर-परिगयसरीरे दाहवक्कंतिया वि विहरइ 2 // सू० 203 // तए णं से पएसी राया सूरियकताए देवीए अत्ताणं संपलद्धं जाणित्ता सूरियकताए देवीए मणसावि अप्पदुस्समाणे जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ पोसहसालं पमजइ उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ दब्भसंथारगं संथरेइ दब्भमुंथारगं दुरूहइ पुरस्थाभिमुहे संपलियंकनिसन्ने करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं अंजलिं मत्थए त्ति कटु एवं वयासी-नमोऽत्थु णं अरहंताणं जाव संपत्ताणं 1 / नमोऽत्थु णं केसिस्स कुमारसमणस्स मम धम्मोवदेसगस्स धम्मायरियस्स, वंदामि णं भगवंतं तत्थ गयं इह गए, पाउस मे भगवं तत्थ गए इह गयं ति Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 177 कटु वंदइ नमसइ 2 / पुबि पि णं मए केसिस्स कुमारसमणस्स अंतिए थूलपाणाइवाए पञ्चवखाए जाव परिग्गहे, तं इयाणि पि णं तस्सेव भगवतो अंतिए सव्वं पागाइवायं पञ्चक्खामि जाव परिगहं सव्वं कोहं जाव मिच्छादंसणसल्लं, यकरणिज्जं जोयं पञ्चक्खामि, सव्वं असणं चउव्विहं पि थाहारं जावजीवाए पञ्चक्खामि, जं पि य मे सरीरं इ8 जाव फुसंतु त्ति एयं पि य णं चरिमेहिं ऊसासनिस्सासेहिं वोसिरामि त्ति कटु बालोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे सूरियाभे विमाणे उववायसभाए जाव वरणयो 3 // सू० 204 // तए णं से सूरियाभे देवे अहुणोववन्नए चेव समाणे पंचविहाए पजत्तीए पजत्तिभावं गच्छति, तंजहा-याहारपजत्तीए सरीरपजत्तीए इंदियपजत्तीए श्राणपाणपजत्तीए भासमणपज्जत्तीए, तं एवं खलु भो ! सूरियाभेणं देवेणं दिव्वा देविड्डी दिव्वा देवजुत्ती दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमन्नागए // सू० 205 // ___ सूरियाभस्स णं भंते ! देवस्स केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ? // सू० 206 // गोयमा ! चत्तारि पलिग्रोवमाई ठिती पराणत्ता, से णं मूरियाभे देवे तायो लोगायो ग्राउक्खएणं भवक्कएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चइत्ता कहिं गमिहिति कहिं उववजिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे जाणि इमाणि कुलाणि भवंति, तंजहा-अड्डाई दित्ताई विउलाई विच्छिणविपुल-भवण-सयणासण-जाणवाहणाई बहुधण-बहुजात-रूवरययाई यायोगपयोगसंपउत्ताइं विच्छड्डिय-पउर-भत्तपाणाइं बहुदासी-दास-गो-महिस-गवेलगप्पभूयाई बहुजणस्स अपरिभूताई, तत्थ अन्नयरेसु कुलेसु पुत्तत्ताए पञ्चाइस्सइ / / सू० 207 // तए णं तंसि दारगंसि गभगयंसि चेव समाणंसि अम्मापिऊणं धम्मे दढा पइराणा भविस्सइ 1 / तए णं तस्स दारयस्स नवराहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अट्ठमाणं राइंदियाणं वितिक्कंताणं सुकुमालपाणिपायं बहीण-पडिपुराण-पंचिदियसरीरं लक्खण-वंजण-गुणोववेयं 23 Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 17 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः माणुम्माण-पमाण-पडिपुन्न-सुजाय-सव्वंगसुदरंगं ससिसोमाकारं कंतं पियदंसणं सुरूवं दारयं पयाहिसि २॥सू० 208 // तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठितिवडियं करेहिति ततियदिवसे चंदसूरदंसणिगं करिस्संति छ? दिवसे जागरियं जागरिस्संति 1 / एक्कारसमे दिवसे वीइक्कते संपत्ते बारसाहे दिवसे णिबित्ते असुइजायकम्मकरणे चोक्खे संमजियोवलित्ते विउलं असणपाणखाइमसाइमं उवक्खडावेस्संति मित्तणाइ-णियग-सयणसंबंधिपरिजणं थामतेत्ता तथो पच्छा राहाया कयबलिकम्मा जाव अलंकिया भोयणमंडवंसि सुहासणवरगया ते मित्तणाइ जाव परिजणेण. सद्धिं विउलं असणं जाव पासाएमाणा विसाएमाणा परिभुजेमाणा परिभाएमाणा एवं चेत्र णं विहरिस्संति 2 / जिमियभुत्तुत्तरागया वि य णं समाणा अायंता चोक्खा परमसुइभूया तं मित्तणाइ जाव परिजणं विउलेणं वत्थगंधमलालंकारेणं सकोरेस्संति सम्माणिस्संति तस्सेव मित्त जाव परिजणस्स पुरतो एवं वइस्संति-जम्हा णं देवाणुप्पिया ! इमंसि दारगंसि गभगयंसि चेव समाणंसि घम्मे दढा पइशणा जाया, तं होउ णं अम्हं एयस्स दारयस्स दढपइराणे(इ) णामेणं 3 / तए णं तस्स दढपइराणस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेज्जं करिस्संति-दढपइराणो य दढपइराणो य 4 / तए णं तस्स अम्मापियरो अणुपुवेणं ठितिवडियं च चंदसूरियदरिसणं च धम्मजागरियं च नामधिजकरणं च पजेमणगं च पडिवद्धावणगं च पचंकमणगं च कन्नवेहणं च संवच्छरपडिलेहणगं व चूलोवणयं च अन्नाणि य बहूणि गम्भाहाणजम्मणाइयाई महया इड्डीसकारसमुदएणं करिस्संति 5 // सू० 201 // तए णं दढपतिराणे दारगे पंचधाईपरिक्खित्ते खीरधाईए मंडणधाईए मजणधाईए अंकधाईए किलावणधाईए, अन्नाहिं बहूहिं खुजाहिं चिलाइयाहिं वामणियाहि वडभियाहिं बब्बराहि बउसियाहिं जोगिहयाहिं पराणवियाहिं ईसिणियाहिं वारुणियाहि लासियाहिं लाउसियाहिं दमि Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 176 लीहिं सिंहलीहि पुलिदीहिं ग्रारबीहिं पक्कणीहिं बहीहिं मुरंडीहिं सबरीहिं पारसीहिं णाणादेसी-विदेसपरिमंडियाहिं इंगिय-चिंतिय-पत्थियवियाणाहिं सदेस-गोवत्थगहियवेसाहिं निउणकुसलाहिं विणीयाहिं चेडियाचकवाल-तरुणिवंद-परियालपरिवुडे वरिसधर-कंचुइ-महयर-वंदपरिक्खित्ते हत्थाथो हत्थं साहरिजमाणे उवनचिजमाणे अंकायो ग्रंकं परिभुजमाणे उबगिज्जेमाणे उवलालिजमाणे उवगूहिजमाणे अवतासिन्जमाणे परिनंदिजमाणे परिचुबिजमाणे रम्मेसु मणिकोट्टिमतलेसु परंगमाणे गिरिकंदरमल्लीणे विव चंपगवरपायवे णिव्वाघायंसि सुहंसुहेगां परिवड्डिरसड // सू० 210 // .. तए णं तं दढपतिगगां दारगं अम्मापियरो सातिरेगट्टवासजायगं जाणित्ता सोभणांसि तिहिकरणणखत्तमुहुत्तसि राहायं कयबलिकम्म कयकोउअमंगलपायच्छित्तं सव्वालंकारविभूसियं करेत्ता महया इट्ठीसकारसमुदएणं कलायरियस्स उवणेहिंति 1 / तए णं से कलायरिए तं दढपतिराणं दारगं लेहाइयायो गणियप्पहाणायो सउणरुयपज्जवसाणायो बावत्तरिं कलायो सुत्तो पत्थयो य गंथयो य करणयो (पसिक्खावेहि) य सेहावेहि य पसिक्खावेहि य, तंजहा-लेहं गणियं रूवं नट्ट गीयं वाइयं सरगयं पुवखरगयं समतालं जूयं जणवयं पासगं अट्ठावयं पारेकव्वं दगमट्टियं अन्नविहिं पाणविहिं वत्थविहिं विलेवणविहिं सयण विहिं अज्ज पहेलियं मागहियं णिहाइयं गाहं गीइयं सिलोगं हिरराणजुत्ति सुवराणजुत्तिं श्राभरणविहिं तरुणीपडिकम्मं इथिलक्खणं पुरिसलवखणं हयलक्खणं गयलक्खणं कुक्कुडलक्खणं छत्तलक्खयां चक्कलक्खगां दंडलक्खणां असिलवखणां मणिलक्खयां कागणिलक्खयां वत्थुविज्जं णगरमाणं खंधवारं माणवारं पडिचारं वूह चक्कवूहं गरुलवूहं सगडवूहं जुद्धं नियुद्धं जुद्धजुद्धं अट्ठिजुद्धं मुट्ठिजुद्धं बाहुजुद्धं लयाजुद्धं ईसत्थं छरुप्पवायं धांवेयं हिरराणपागं सुवराणपागं मणि Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 180 } [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागा पागं धाउपागं सुत्तखेड्डं वट्टखेड्डं खालियाखेड्ड पत्तच्छेज्ज कडगच्छेज्ज सजीवनिजीवं सउणरुयं इति 2 // सू० 211 // तए णं से कलायरिए तं दढपइरागां दारगं लेहाइयायो गणियप्पहाणायो सउण-रुय-पज्जवसाणायो बावत्तरि कलाश्रो सुत्तो य अत्थयो य गंथयो य करणो य सिक्खावेत्ता सेहावेत्ता अम्मापिऊणं उवणेहिंति 1 / तए णं तस्स दढपइराणस्स दारगस्स अम्मापियरो तं कलायरियं विउलेणं असण-पाण-खाइमसाइमेणं वत्थगंधमल्लालंकारेणं सकारिस्संति सम्माणिस्संति विउलं जीवियारिहं पीतिदाणं दलइस्संति विउलं जीवियारिहं पीतिदाणं दलइत्ता पडिविसज्जेहिति 2 // सू० 212 // तए णं से दढपतिराणे दारए उम्मुक्कबालभावे विराणायपरिणयमित्ते जोव्वणगमणुपत्ते बावत्तरिकलापंडिए णवंगसुत्तपडिबोहए अट्ठारसविह-दंसिप्पगार-भासाविसारए गीयरई गंधव्वणट्टकुसले सिंगारागारचारुवेसे संगय-गय-हसिय-भणिय-चिट्ठिय-विलाव-निउण-जुत्तोवयारकुसले हयजोही गयजोही रहजोही बाहुजोही बाहुप्पमद्दी अलंभोगसमत्थे साहस्सीए वियालचारी यावि भविस्सइ ।सू० 213 // तए णं तं दढपइराणं दारगं अम्मापियरो उम्मुकबालभावं जाव वियालचारिं च वियाणित्ता विउलेहिं अन्नभोगेहि य पाणभोगेहि य लेणभोगेहि य वत्थभोगेहि य मयणभोगेहि य उवनिमंतिहिति // सू० 214 // तए णं दढपइराणे दारए तेहिं विउलेहिं अन्नभोएहिं जाव सयणभोगेहिं णो सजिहिति सो गिझिहिति णो मुच्छिहिति णो अभोववजिहिति, से जहा णामए पउमुप्पले ति वा पउमे इ वा जाव सयसहस्सपतेति वा पंके जाते जले संवुड्ढे णोवलिप्पइ पंकरएणं नोवलिप्पइ जलरएणं 1 / एवामेव दढपइराणे वि दारए कामेहिं जाते भोगेहिं संवड्डिए णोवलिप्पिहिति मित्तणाइ-णियग-सयणसंबंधिपरिजणेणं 2 / से णं तथारूवाणं थेराणं अंतिए केवलं बोहिं बुझिहिति केवलं मुंडे भवित्ता अगारात्रो अणगारियं पव्वइस्सति, से णं अणगारे Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ते मणवयकायजा पडिसेवियं यावीकारण ज्ववायं श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 181 भविस्सइ ईरियासमिए जाव सुहुयहुयासणो इव तेयसा जलंते 3 / तस्स णं भगवतो अणुत्तरेणं णाणेण एवं दंसणेणं चरित्तेगां ग्रालएगां विहारेगां अजवेगां महवेगां लाघवेगां खंतीए गुत्तिए मुत्तीए अगुत्तरेगां सव्व-संजमसुचरिय-तव-फल-णिब्याणमग्गेण अप्पाणं भावमाणस्स अणंते अणुत्तरे कसिणे पडिपुगणे णिरावरणे णिव्वाघाए केवलवरनाणदंसणे समुप्पजिहिति 4 / तए णं से भगवं अरहा जिणे केवली भविस्सइ सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स परियायं जाणिहिति तंजहा-श्रागतिं गतिं ठिति चव उववायं तकं कडं मणोमाणसियं खइयं भुत्तं पडिसेवियं प्रावीकम्मं रहोकम्म यरहा यरहस्सभागी तं तं मणवयकायजोगे वट्टमाणाणां सबलोए सव्वजीवागां सब्वभावे जाणमाणे पासमाणे विहरिस्सइ 5 / तए णं दढपइन्ने केवली एयारूवेगां विहारेणां विहरमाणे बहूई वासाइं केवलिपरियागं पाउणित्ता यप्पणो ग्राउसेसं याभोएत्ता बहूई भत्ताइं पञ्चक्खाइस्सइ बहूई भत्ताई अणसणाए छेइस्सइ जस्सट्टाए कीरइ णग्गभावे केसलोचवंभचेरवासे अराहाणगं अदंतवणां अणुवहाणगं भूमिसेजायो फलहसेजाश्रो परघरपवेसो लद्भावलद्धाई माणावमाणाई परेसि हीलणाम्रो निदणायो खिंसणायो तजणायो ताडणाश्रो गरहणायो उच्चावया विरूरूवा बावीसं परीसहोवसग्गा गामकंटगा अहियासिज्जति तम पाराहेइ चरिमेहिं उस्सासनिस्सासेहिं सिज्झिहिति मुचिहिति परिनिव्वाहिति सव्वदुक्खाणमंतं करेहिति 6 // सू० 215 // सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता संजमेगां तवसा अप्पाणां भावमाणे विहरति // सू० 216 // णमो जिणागां जियभया। णमो सुयदेवयाए भगवतीए / णमो पगणत्तीए भगवईए / णमो भगवयो अरहो पासस्त / पस्से सुपस्से पस्सवणा णमो (पएस्सि पराहे पराणवणीए नमो) // सू० 217 // ग्रन्थाग्रं 2120 / Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HOOT / इति श्री राजप्रश्नीय सूत्रं द्वितीयं उपाङ्ग समाप्तम् / Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अहम् // श्रीचतुर्दशपूर्वधर-श्रुतस्थविर-विहितं // श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् // . . (तृतीयमुपाङ्गम् ) . - -* // अथ द्विविधाख्या प्रथमा प्रतिपत्तिः // ॥ऐं नमः // इह खलु जिणमयं जिणाणुमयं जिणाणुलोमं जिणप्पणीतं जिणपरूवियं जिणक्खायं जिणाणुचिन्नं जिणपण्णत्तं जिणदेसियं जिणपसत्थं अणुब्बीइए तं सदहमाणा तं पत्तियमाणा तं रोएमाणा थेरा भगवंतो जीवाजीवाभिगम-णाममज्झयणं पराणवइंसु // सू० 1 // से किं तं जीवाजीवाभिगमे ?, जीवाजीवाभिगमे दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-जीवाभिगमे य अजीवाभिगमे य॥ सू० 2 // से किं तं यजीवाभिगमे ?, यजीवाभिगमे दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-रूवियजीवाभिगमे य अरूवित्रजीवाभिगमे या|सू० 3 // से कि तं अरूवियजीवाभिगमे?, अरूवित्रजीवाभिगमे दसविहे पन्नत्ते, तंजहाधम्मत्थिकाए एवं जहा पराणवणाए जाव सेत्तं अरूविश्रजीवाभिगमे / सू० 4 // से किं तं रूविग्रजीवाभिगमे ?, रूविधजीवाभिगमे चरविहे पराणत्ते, तंजहा-खंधा खंधदेसा खंधप्पएसा परमाणुपोग्गला, ते समासतो पंचविहा पराणत्ता, तंजहा-वराणपरिणया गंधपरिणया रसपरिणया फासपरिणया संठाणपरिणया, एव ते जहा पराणवणाए, सेत्तं रूवियजीवाभिगमे, सेत्तं अजीवाभिगमे // सू० 5 // से किं तं जीवाभिगमे ?, जीवाभिगमे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-संसारसमावराणग-जीवाभिगमे य असंसारसमावराणग अजीवाभिम जहा-रूविग्रजीवाभावजीवाभिगमे दसाम / सू० Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 184 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः जीवाभिगमे य॥ सू० 6 // से किं तं असंसारसमावराणग-जीवाभिगमे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-अणंतरसिद्धासंसार-समावराणग-जीवाभिगमे य परंपरसिद्धासंसार-समावराणग-जीवाभिगमे य 1 / से किं तं अणंतरसिद्धासंसार-समावण्णग-जीवाभिगमे ?, 2 पराणरसविहे पराणत्ते, तंजहा-तित्थसिद्धा जाव अणेगसिद्धा, सेत्तं अणंतरसिद्धा 2 / से किं तं परंपरसिद्धा. संसारसमावराणगजीवाभिगमे ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-पढमसमयसिद्धा दुसमयसिद्धा जाव अणंतसमयसिद्धा, से तं परंपरसिद्धासंसारसमावरणग-जीवाभिगमे, सेत्तं असंसारसमावराणगजीवाभिगमे ३॥सू०७॥ से किं तं संसारसमावन्नजीवाभिगमे ?, संसारसमावराणएसु णं जीवेसु इमायो णव पडिवत्तीयो एवमाहिज्जंति, तंजहा-एगे एवमाहंसु-दुविहा संसारसमावराणगा जीवा पन्नत्ता, एगे एवमाहंसु-तिविहा संसारसमावराणगा जीवा पन्नत्ता, एगे एवमाहंसु-चउबिहा संसारसमावराणगा जीवा पनत्ता, एगे एवमाहंसु-पंचविहा संसारसमावराणगा जीवा पनत्ता, एतेणं अभिलावेणं जाव दसविहा संसारसमावरणगा जीवा पराणत्ता.॥ सू० 8 // तत्थ णं जे एवम्राहंसु दुविहा संसारममावराणगा जीवा पन्नत्ता, ते एवमाहंसु, तंजहा-तसा चेव थावरा चेव // सू० 1 // से किं तं थावरा.?, 2 तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-पुदविकाइया. 1 अाउकाइया 2 वणस्सइकाइया 3 ॥सू० 10 // से कि तं पुढविकाइया ?, 2 दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सुहुमपुढविकाइया य बायरपुढविकाइया य // सू० 11 // से किं तं सुहुमपुढविकाइया ?, 2 दुविहा पनत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य // सू. 12 // तेसि णं भंते ! जीवाणं कतिसरीरया पराणत्ता, गोयमा ! तो सरीरगा पन्नत्ता, तंजहा-थोरालिए तेयए कम्मए 1 / तेसि णं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलासंखेजतिभागं उक्कोसेणवि अंगुलासंखेजतिभागं 2 / तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरा Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् : प्रतिपत्तिः 1 ] [ 185 किंसंघयणा पराणत्ता ?, गोयमा ! छेवट्ठसंघयणा पराणत्ता 3 / तेसि णं भंते ! सरीरा किंसंठिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! मसूरचंदसंठिता परणत्ता 4 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति कसाया परणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि कसाया परागत्ता, तंजहा-कोहकसाए माणकसाए मायाकसाए लोहकसाए 5 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति सराणाश्रो पराणत्तायो ?, गोयमा ! चत्तारि सराणायो पराणत्तायो, तंजहा-श्राहारसरणा जाव परिग्गहसन्ना 6 / तेसि गं भंते ! जीवाणं कति लेसायो पराणत्तायो ?, गोयमा ! तिनि लेस्सा पन्नत्ता, तंजहा-किराहलेस्सा नीललेसा काउलेसा 7 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति इंदियाइं पराणत्ताई ?, गोयमा ! एगे फासिदिए पराणत्ते 8 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति समुग्वाया पराणत्ता ?, गोयमा ! तो समुग्घाया पराणत्ता, तंजहा-वेयणासमुग्धाते कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए 1 / ते णं भंते ! जीवा किं सन्नी असन्नी ?, गोयमा ! नो सन्नी असन्नी 10 / ते णं भंते ! जीवा किं इथिवेया पुरिसवेया णपुंसगवेया ?, गोयमा ! णो इत्थिवेया णो पुरिसवेया णपुसगवेया 11 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति पजत्तीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! चत्तारि पजत्तीश्रो पराणत्तायो, तंजहा-याहारपजत्ती सरीरपजत्ती इंदियपजत्ती प्राणपाणुपज्जत्ती 12 / तेसि णं भते ! जीवाणं कति अपजत्तीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! चत्तारि अपनत्तीयो पराणनायो, तंजहा-पाहारअपजत्ती जाव आणापाणुअपजत्ती 13 / ते णं भंते ! जीवा किं सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी ?, गोयमा! णो सम्मदिट्टी मिच्छादिट्ठी नो सम्ममिच्छादिट्टी 14 / ते णं भंते ! जीवा किं चक्खुदंसणी अवखुदंसणी श्रोहिदंसणी केवलदंसणी ?, गोयमा ! नो चक्खुदंसणी अचखुदंसणी नो योहिदंसणी नो केवलदंसणी 15 / ते णं भंते ! जीवा कि नाणी अराणाणी ?, गोयमा ! नो नाणी अराणाणी, नियमा दुअराणाणी, तंजहा-मतिअन्नाणी सुयराणाणी Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TWITHSiit 186 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः य 16 / ते णं भंते ! जीवा किं मणजोगी वयजोगी कायजोगी ?, गोयमा ! नो मणजोगी नो वयोगी कायजोगी 17 / ते णं भंते ! जीवा किं सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता ?, गोयमा ! सागारोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि 18 | ते णं भंते / जीवा किमाहारमाहारेंति ?, गोयमा! दव्वतो श्रणंतपदेसियाई खेत्तत्रो असंखेजपदेसोगाढाई कालो अन्नयरसमयद्वितीयाइं भावतो वगणव(म)ताई गंधव(म)ताई रसवं(म)ताई फासव(म)वाइं 11 / जाई भावनो वरणमंताई याहारेंति, ताई किं एगगराणाई थाहारेंति दुवराणाई थाहारेति तिवराणाई याहारेति चउवराणाई श्राहारेंति पंचवरणाई थाहारेंति ?, गोयमा ! ठाणमग्गणं पडुच्च एगवराणाइंपि दुवराणाइंपि तिवरणाइंपि चउवराणाइंपि पंचवरणाइंपि थाहारेंति, विहाणमग्गणं पडुच्च कालाइपि अाहारेंति जाव सुकिलाइंपि अाहारेंति 20 / जाई वराणो कालाई थाहारेति ताई कि एगगुणकालाई श्राहारेंति जाव अणंतगुणकालाई श्राहारेंति ?, गोयमा ! एगगुणकालाइंपि अाहारेंति जाव अणंतगुणकालाइंपि अाहारेंति एवं जाव सुकिलाई 21 / जाइं भावतो गंधमंताई थाहारेति ताई किं एगगंधाई थाहारेंति दुगंधाई थाहारेंति ?, गोयमा ! ठाणमग्गणं पडुच्च एगगंधाइंपि याहारेंति दुगंधाईपि श्राहारेंति, विहाणमग्गणं पडुच्च सुभिगंधाईपि अाहारेंति दुब्भिगंधाइंपि अाहारेंति 22 / जाइं गंधतो सुब्भिगंधाइं अाहारेंति ताई कि एगगुणसुब्भिगंधाई थाहारेति जाव अणतगुणसुरभिगंधाई थाहारेंति ?, गोयमा ! एगगुणसुभिगंधाइंपि अाहारेंति जाव अणंतगुणसुभिगंधाइंपि, याहारेंति, एवं दुभिगंधाइंपि 23 / रसा जहा वरांणा 24 / जाइं भावतो फासवं(म)ताई थाहारेति ताई कि एगफासाई याहारेंति जाव अट्टफासाई श्राहारेंति ?; गोयमा ! गणमग्गणं पडुच्च नो एगफासाई श्राहारेति नो दुफासाई श्राहारेंति नो तिफासाई श्राहारेति चउफासाई श्राहारंति पंचफासाइपि जाव Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: प्रतिपत्तिः 1 / [ 187 अट्ठफासाइंपि अाहारेंति, विहाणमग्गणं पडुच्च कक्खडाइपि श्राहारेंति जाव लुक्खाइपि अाहारेंति 25 / जाइं फासतो कक्खडाई थाहारेति ताई किं एगगुणकक्खडाइं श्राहारेंति जाव अणंतगुणकक्खडाई थाहारेंति ?, गोयमा ! एगगुणकक्खडाइंपि अाहारेंति जाव अणंतगुणकवखडाइंपि थाहारेंति, एवं जाव लुक्खा णेयव्वा 26 / ताई भंते ! किं पुट्ठाई थाहारेंति अपुट्ठाई थाहारेंति ?, गोयमा ! पुटाई थाहारेंति नो अपुढाई श्राहारेंति 27 / ताइं भंते ! योगाढाइं श्राहारेंति अणोगाढाई श्राहारेंति ?, गोयमा ! योगाढाई अाहारेंति नो अणोगाढाई अाहारेंति 28 | ताई भंते ! किमणंतरोगाढाई श्राहारेंति परंपरोगाढाई अाहारेंति ?, गोयमा ! अणंतरोगाढाई थाहारेंति नो परंपरोगाढाई श्राहारेंति 21 / ताई भंते ! कि अणूई श्राहारेंति बायराइं श्राहारेंति ?, गोयमा ! अणूइंपि अाहारेति बायराइंपि याहारेंति 30 / ताइं भंते ! उड्ढ थाहारॅति अहे याहारेंति तिरियं श्राहारेंति ?, गोयमा ! उड्ढापि अाहारेंति अहेवि अाहारेति तिरियपि अाहारेंति 31 / ताई भंते ! किं ग्राइं श्राहारेंति मज्झे अाहारेंति पज्जवसाणे श्राहारेंति ?, गोयमा ! अादिपि अाहारेंति मज्झेवि श्राहारेंति पजवसाणेवि श्राहारेंति 32 / ताइं भंते ! किं सविसए श्राहारेंति अविसए श्राहारेंति ?, गोयमा ! सविसए श्राहारेंति नो अविसए श्राहारेंति 33 / ताई भंते ! कि प्राणुपुदि थाहारेंति श्रणाणुपुब्बि पाहारेंति ?, गोयमा ! प्राणुपुब्बि याहारेंति नो अणाणुपुट्विं श्राहारेति 34 / ताई भंते ! किं तिदिसिं पाहारेंति चउदिसिं आहारेंति पंचदिसि श्राहारेंति छदिसि श्राहारेंति ?, गोयमा ! निव्वाघाएणं छदिसिं, वाघातं पडुन सिय तिदिसि सिय चउदिसि सिय पंचदिसिं, उस्सन्नकारणं पडुच्च वराणतो कालाई नीलाई जाव सुकिलाई, गंधतो सुब्भिगंधाई दुन्भिगंधाई, रसतो जाव तित्तमहुराई, फासतो कक्खडमउय जाव निद्धलुक्खाई तेसिं पोराणे वरणगुणे जाव फासगुणे विप्परिणामइत्ता Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 188 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः परिपालइता परिसाडइत्ता परिविद्धंसइत्ता अराणे अव्वे वरणगुणे गंधगुणे जाव फासगुणे उप्पाइत्ता प्रातसरीरयोगाढा पोग्गले सव्वप्पणयाए श्राहारमाहारेंति 35 / ते णं भंते ! जीवा कतोहिंतो उवरज्जति ? कि नेरइएहितो उववज्जति तिरिक्खमणुस्सदेवेहितो उववज्जंति ?, गोयमा ! नो नेरइएहितो उपवज्जति, तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति मगुस्सेहितो उववज्जंति, नो देवेहितो उववज्जति, तिरिक्खजोणिय-पजत्तापजत्तेहितो असंखेजवासाउयवजेहिंतो उववजंति, मणुस्सेहितो अकम्मभूमिग-असंखेजवासाउयवज्जेहिंतो उववज्जंति, वक्कंतीउववायो भाणियब्वो 36 / तेसि णं भंते ! जीवाणं केवतियं कालं ठिति पराणता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 37 / ते णं भंते ! जीवा मरणंतियसमुग्घातेणं किं समोहया मरंति असमोहया मरंति ?, गोयमा ! समोहयावि मरंति असमोहयावि मरंति 38 / ते णं भंते ! जीवा अणंतरं उबट्टित्ता कहिं गच्छंति ? कहिं उववज्जति ?-कि नेरइएसु उपवज्जति तिरिक्खजोगिएसु उववज्जंति मणुस्सेसु उववज्जंति देवेसु उववज्जति ?, गोयमा ! नो नेरइएसु उववज्जति तिरिक्खजोणिएसु उववज्जति मगुस्सेसु उववज्जति गो देवेसु उववज्जंति 31 / किं एगिदिएसु उववज्जति जाव पंचिदिएसु उववज्जंति ?, गोयमा ! एगिदिएसु उववज्जति जाव पंचेदियतिरिवखजोणिएसु उवरज्जंति, असंखेजवासाउयवज्जेसु पन्ज तापजत्तएसु उववज्जति मणुस्सेसु अकम्मभूमगअंतरदीवगणसंखेजवासाउयवज्जेसु पजत्तापज्जत्तएसु उववज्जति 40 ते णं भंते ! जीवा कतिगतिका कतिप्रागतिका पराणता ?, गोयमा ! दुगतिया दुागतिया, परित्ता असंखेजा पराणत्ता समणाउसो!, से तं सुहुमपुढविक्काइया 41 // सू० 13 // से किं तं बायरपुढविकाइया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सराहबायरपुढविकाइया य खरवायरपुढविकाइया य // सू० 14 // से किं तं सराहबायरपुढविकाइया ?, Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवा भिगम-सूत्रम् : प्रतिपत्तिः 1 ] [ 189 2 सत्तविहा पगणता, तंजहा-कराहमत्तिया, भेयो जहा पराणवणाए जाव ते समासतो दुविहा पगणत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 1 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति सरीरगा पराणत्ता ? गोयमा ! तयो सरीरमा पन्नत्ता, तंजहा-योरालिए तेयए कम्मए, तं चेव सव्वं नवरं चत्तारि लेसायो, अवसेसं जहा सुहुमपुढविकाइयाणं, पाहारो जाव णियमा छदिसि, उववातो तिरिक्खजोणियमणुस्सदेवेहितो, देवेहिं जाव सोधम्मेसाणेहितो, ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं बावीसं वाससहस्साई 2 / ते णं भंते ! जीवा मारणंतियसमुग्घाएणं किं समोहया मरंति असमोहता मरंति ?, गोयमा ! समोहतावि.मरंति असमोहतावि मरंति 3 / ते णं भंते ! जीवा अणंतरं उघट्टित्ता कहिं गच्छंति ? कहिं उववज्जति ? किं नेरइएसु उववज्जंति ?, पुच्छा, नो नेरइएसु उववज्जति तिरिक्खजोणिएसु उववज्जंति मणुस्सेसु उववज्जति नो देवेसु उववज्जति, तं चेव जाव असंखेजवासाउवज्जेहिं 4 / ते णं भंते ! जीवा. कतिगतिया कतित्रागतिया पराणत्ता ?, गोयमा ! दुगतिया तियागतिया परित्ता असंखेजा य समणाउसो !, से तं बायरपुढविकाइया, सेत्तं पुढविकाइया 5 // सू० 15 // से किं तं अाउकाइया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सुहुमत्राउकाइया य बायरबाउकाइया य, सुहुमाउकाइया दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्ता य अपजत्ता य 1 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति सरीरया पराणत्ता ?, गायमा ! तो सरीरया पराणत्ता, तंजहा-योरालिए तेयए कम्मए, जहेव सुहुमपुढविक्काइयाणं, णवरं थिबुगसंठिता पराणत्ता, सेसं तं चेव जाव दुगतिया दुधागतिया परित्ता असंखेजा पराणत्ता समणाउसो !, से तं सुहुमबाउक्काइया // सू० 16 // से किं तं बायराउकाइया ?, २.श्रणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-श्रोसा हिमे जाव जे यावन्ने तहप्पगारा, ते समासतो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्ता य अपजत्ता य 1 / तं चेव सव्वं Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 160 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः णवरं थिबुगसंठिता, चत्तारि लेसायो, श्राहारो नियमा छदिसिं, उववातो तिरिक्ख जोणियमणुस्सदेवेहि,ठितीजहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसं सत्तवाससहस्साई 2 / सेसं तं चे जहा बायरपुढविकाइया जाव दुगतिया तिश्रागतिया परित्ता असंखेजा पन्नत्ता समणाउसो, सेत्तं बायराऊ, सेत्तं बाउकाइया ॥सू० 10 // से किं तं वणस्सइकाइया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सुहुमवणस्सइकाइया य बायरवणस्सइकाइया य // सू० 18 // से कि तं सुहुमवणस्सइकाइया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तनहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य, तहेव णवरं अणित्थंथसंगणसंठिया, दुगतिया दुग्रागतिया अपरित्ता अणंता, अवसेसं जहा पुढविकाइयाण, से तं सुहुमत्रणस्सइकाइया 1 / से किं तं बायरवणस्सइकाइया ?, 2 दुविहा पराणता, तंजहा-पत्तेयसरीरबायरवणस्मतिकाइया य साधारणसरीरबायरवणस्सइकाइया य 2 // सू० 11 // से कि तं पत्तेयसरीरबादरवणस्सतिकाइया ?, 2 दुवालसविहा पराणत्ता, तंजहा-रुक्खा गुच्छा गुम्मा लता य वल्ली य पव्वगा चेव / तणवलयहरितयोसहिजलरुहकुहणा य बोद्धव्वा // 1 // 1 / से किं तं रुक्खा ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-एगट्ठिया य बहुवीया य 2 / से किं तं एगट्ठिया ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-निबंबजंबु जाव पुराणाग-णागरुक्खे सीवरिण तधा असोगे य, जे यावरणे तहप्पगारा, एतेसि णं मूलावि असंखेजजीविया, एवं कंदा खंधा तया साला पवाला पत्ता पत्तेयजीवा पुप्फाई अणेगजीवाई फला एगट्ठिया, सेत्तं एगट्ठिया 3 / से किं तं बहुबीया ?, 2 अणेगविधा पगणत्ता, तंजहा-अस्थिय तेंदुय-उंबरकवि? अामलक-फणस-दाडिम-णग्गोधकाउंबरीय-तिलयलउयलोद्धे धवे, जे यावराणे तहप्पगारा, एतेसि णं मूलावि असंखेजजीविया जाव फला बहुवीयगा, सेत्तं बहुवीयगा, सेत्तं रुक्खा 4 / एवं जहा पराणवणाए तहा भाणियव्वं जाव जे यावन्ने तहप्पगारा, सेत्तं कुहणानाणाविधसंगणा रुक्खाणं एगनीविया पत्ता। खंधोवि एगजीवो तालसरल Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: प्रतिपत्तिः 1 ] [ 161 नालिएरीणं // 1 // 'जह सगलसरिसवाणं पत्तेयसरीराणं' // 2 // गाहा 'जह वा तिलसक्कुलिया' // 3 // गाहा सेत्तं पत्तेयसरीर-बायखणस्सइकाइया 5 / / सू० 20 // से किं तं साहारणसरीर-बादरवणस्सइकाइया ?, 2 अणेगविधा पराणत्ता, तंजहा-यालुए मूलए सिंगबेर हिरिलि सिरिलि सिस्सिरिलि किट्टिया छिरिया छिरियविरालिया कराहकंदे वजकंदे सूरणकंदै खल्लूडे किमिरासि भद्दे मोत्थापिंडे हलिद्दा लोहारी णीहुथिभु अस्सकरणी सीहकन्नी सीउंदी मूसंढी जे यावराणे तहप्पगारा ते समासो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 1 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति सरीरगा पराणत्ता ?, गोयमा ! तो सरीरगा पन्नत्ता, तंजहा ओरालिए तेयए कम्मए, तहेव जहा बायरपुढविकाइयाणं, णवरं सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्म असंखेजतिभागं उकोसेणं सातिरेगजोयणसहस्सं, सरीरगा अणित्थंथसंठिता, ठिती जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं दसवाससहस्साई, जाव दुगतिया तिश्रागतिया परित्ता अणंता पराणत्ता, सेतं बायरवणस्सइकाइया, सेत्तं थावरा 2 // सू० 21 // से कि तं तसा ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-तेउकाइया वाउकाइया पोराला तसा पाणा // सू० 22 // से किं तं तेउक्काइया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सुहुमतेउकाइया य बादरतेउकाइया य ॥सू० 23 // से किं तं सहुमते उक्काइया ?, 2 जहा सुहुमपुढविकाइया नवरं सरीरगा सूइकलावसंठिया, एगगइया दुग्रागइया परित्ता असंखेजा पराणत्ता, सेसं तं चेव, सेत्तं सुहुमतेउकाइया // सू० 24 // से किं तं बादरतेउकाइया ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-इंगाले जाले मुम्मुरे जाव सूरकंतमणिनिस्सिते, जे यावन्ने तहप्पगारा, ते समासतो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्ता य अपजत्ता य 1 / तेसिणं भंते ! जीवाण कति सरीरमा पराणता ?, गोयमा ! तो सरीरगा पराणत्ता, तंजहा-थोरालिए तेयए कम्मए, सेसं तं चेव 2 / सरीरगा सूइ Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 162 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः कलावसंठिता, तिन्नि लेस्सा, ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिनि राइं. दियाई तिरियमणुस्सेहितो उववायो, सेसं तं चेव एगगतिया दुअागतिया, परित्ता असंखेजा पराणत्ता, सेत्तं तेउकाइया 3 // सू० 25 // से कि तं वाउकाइया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सुहुमवाउक्काइया य बादरखाउकाइया य, सुहुमवाउकाइमा जहा तेउकाइया णवरं सरीरा पडागसंठिता एगगतिया दुधागतिया परित्ता असंखिजा, सेत्तं सुहुमवाउकाइया 1 / से किं तं बादरवाउक्काइया ?, 2 अणेगविधा पराणत्ता, तंजहा-पाईणवाए पडीणवाए, एवं जे यावराणे तहप्पगारा, ते समासतो दुविहा परणत्ता, तंजहा-पज्जत्ता य अपजत्ता य 3 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति सरीरगा पराणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि सरीरंगा पराणत्ता, तंजहा-थोरालिए वेउम्बिए तेयए कम्मए, सरीरगा पडागसंठिता 3 / चत्तारि समुग्घाता-वेयणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए वेउव्वियसमुग्घाए, श्राहारो णिव्वाघातेणं छदिसि वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि सिय चउदिसि सिय पंचदिसिं, उववातो देवमणुयनेरइएसु णत्थि, ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि वाससहस्साई, सेसं तं चेव एगगतिया दुआगइया परित्ता असंखेजा पराणत्ता, समणाउसो !, सेत्तं बायरवाऊ, सेत्तं वाउकाइया // सू० 26 // से किं तं थोराला तसा पाणा ?, 2 चउविहा पराणत्ता, तंजहा-बेइंदिया तेइंदिया चरिंदिया पंचेंदिया // सू० 27 // से कि तं बेइंदिया ?, 2 अणेगविधा पराणत्ता, तंजहा-पुलाकिमिया जाव समुहलिक्खा, जे यावराणे तहप्पगारा, ते समासतो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पज्जत्ता य अपजत्ता य 1 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति सरीरगा पराणत्ता ?, गोयमा ! तो सरीरगा पराणत्ता, तंजहा-थोरालिए तेयए कम्मए 2 / तेसि णं भंते ! जीवाणं के महालिया सरीरोगाहणा पण्णता ?, जहन्नेणं अंगुलासंखेजभागं उक्कोसेणं बारसजोयणाई छेवट्ठसंघयणा हुंडसंठिता, चत्तारि कसाया, चत्तारि Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-पूत्रम् : प्रथमा प्रतिपत्तिः ] [ 163 सगणाश्रो, तिरािण लेसायो दो इंदिया 3 / तयो समुग्घाता-वेयणा कमाया मारणंतिया, नोसन्नी असन्नी, णपुंसकवेदगा, पंच पजत्तीयो, पंच अपजतीयो, सम्मट्टिीवि मिच्छदिट्ठीवि नो सम्ममिच्छदिट्ठी, णो श्रोहिदंसणी णो चक्खुदंसणी यचक्खुदंसणी नो केवलदसणी 4 / ते णं भंते ! जीवा किं णाणी अण्णाणी ?, गोयमा ! णाणीवि राणाणीवि, जे णाणो ते नियमा दुराणाणी, तंजहा-याभिणिबोहियणाणी सुयणाणी य, जे अन्नाणी ते नियमा दुअराणाणी-मतिअराणाणी य सुयश्रराणाणी य, नो मणजोगी वइजोगी कायजोगी, सागारोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि, थाहारो नियमा छदिसिं, उववातो तिरियमणुस्सेसु नेरइयदेवसंखेजवासाउयवज्जेसु, ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं बारस संवच्छराणि, समोहतावि मरंति असमोहताविः मरंति'५ / कहिं गच्छंति ?, नेरइयदेव असंखेजवासाउथवज्जेसु गच्छति, दुगतिया दुग्रागतिया; परित्ता असंखेजा, सेत्तं बेइंदिया 6 / सू० 28 // से किं तं तेइंदिया ?, 2 अणेगविधा पराणत्ता, तंजहायोवइया रोहिणीया हत्थिसोंडा जे यावराणे. तहप्पगारा, ते समासतो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्ता य अपजत्ता य, तहेव जहा / बेइंदियाणं, नवरं सरीरोगाहणा उकोसेणं तिन्नि गाउयाई, तिनि इंदिया, ठिई जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं एगूणपराणराइंदिया, सेसं तहेव, दुगतिया दुधोगतिया, परित्ता असंखेजा पराणत्ता, से तं तेइंदिया // सू० 21 // से किं ते चउरिदिया ?, 2 . अणेगविधा पराणत्ता, तंजहा-अंधिया पुत्तिया जाव गोमयकीडा, जे यावराणे तहप्पगारा, ते समासतो दुविहा पराणत्ता, तंजहांपजत्ता य अपजत्ता य 1 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति सरीरगा पराणत्तो ?, गोयमा ! तो सरीरगा पराणत्ता तं चेव, णवरं सरीरोगाहणा उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाई, इंदिया चत्तारि, चक्खुदसणी अचक्खुदंसणी, ठिती उक्कोसेणं छम्मासा, सेसं जहा तेइंदियाणं जाव असंखेजा पराणचा, से तं चउरिंदिया 25 Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 164 ] [ श्रीमदागमसुधामिन्धुः : पञ्चमो विमागः 2 // सू. 30 // से किं तं पंचेंदिया ?, 2 चउब्विहा पराणत्ता, तंजहा रतिया तिरिक्ख जोणिया मणुस्सा देवा // सू० 31 // से किं तं नेरइया ?, 2 सत्तविहा पराणत्ता, तंजहा-रयणप्पभापुढविनेरइया जाव अहे सत्तमपुढविनेरइया, ते समासयो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्ता य अपजत्ता य 1 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति सरीरगा पराणत्ता ?, गोयमा ! तयो सरीरया पराणत्ता, तंजहा-बेउविए तेयए कम्मए 2 / तेसि णं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा सरीरोगाहणा पराणत्ता, तंजहा-भवधारणिजा य उत्तरवेउब्बिया य, तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजो भागो उक्कोसेणं पंचधणुमयाई, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउबिया सा जहराणेणं अंगुलस्स संखेजतिभागं उक्कोसेणं धणुसहस्सं 3 / तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरा किसंघयणी पराणत्ता ?, गोयमा ! छराहं संघयणाणं असंघयणी णेवट्ठी णेव छिरा व राहारु णेव संघयणमत्थि, जे पोग्गला अणिट्ठा अकंता अप्पिया असुभा अमणुराणा अमणामा ते तेसिं संघातत्ताए परिणमंति 4 / तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरा किंसंठिता पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-भवधारणिजा य उत्तरवेउब्विया य, तत्थ णं जे ते भवधारणिज्जा ते हुंडसंठिया, तत्थ णं जे ते उत्तरवेउब्विया तेचि हुंडसंठिता पराणत्ता, चत्तारि कसाया चत्तारि सराणायो तिरिण लेसायो पंचेंदिया वत्तारि समुग्घाता पाइला, सन्नीवि प्रसन्नीवि, नपुंसकवेदा, छप्पज्जत्तीयो छ अपजत्तीयो, तिविधा दिट्ठी, तिन्नि दंसणा, गाणीवि अराणाणीवि, जे णाणी ते नियमा तिनाणी, तंजहा-श्राभिणिबोहियणाणी सुतणाणी श्रोहिनाणी, जे अण्णाणी ते अत्यंगतिया दुअराणाणी अत्यंगतिया तियराणाणी, जे य दुअराणाणी ते णियमा मइअण्णाणी य सुयअण्णाणी य, जे तिथराणाणी ते नियमा मतिअण्णाणी य सुयअण्णाणी य विभंगणाणी य, तिविधे Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: प्रथमा प्रतिपत्तिः ] / 165 जोगे, दुविहे उवयोगे, छद्दिसि पाहारो, भोसराणकारणं पडुच्च वराणतो कालाई जाव याहारमाहारेंति, उववायो तिरियमणुस्सेसु, ठिती जहन्नेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं तित्तीसं सागरोवमाई, दुविहा मरंति, उब्वट्टणा भाणियव्वा जतो अागता, णवरि संमुच्छिमेसु पडिसिद्धो दुगतिया दुबागतिया परित्ता असंखेजा पराणत्ता समगाउसो !, से तं नेरइया सू० 32 // से किं तं पंचेंदियतिरिवखजोणिया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-समुच्छिमपंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया य गम्भवक्कंतिय-पंचिंदिय-तिरिक्वजोणिया य // सू० 33 // से किं तं समुच्छिमपंचेदियतिरिक्खजोणिया ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-जलयरा थलयरा खहयरा // सू० 34 // से किं तं जलयरा?, 2 पंचविधा पराणत्ता, तंजहा-मच्छगा कच्छभा ममरा गाहा सुसुमारा।से किं तं मच्छा ?, एवं जहा पराणवणाए जाव जे यावराणे तहप्पगारा, ते समासतो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्ता य अपजत्ता य 1 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति सरीरगा पराणत्ता ?, गोयमा! तो सरीरया पराणत्ता, तंजहा-पोरालिए तेयए कम्मए 2 / सरीरोगाहणा जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोसेणं जोयणसहस्सं छेवट्ठसंघयणी हुंडसंठिता, चत्तारि कसाया, सराणायोवि 4, लेसायो 5, इंदिया पंच, समुग्घाता तिरिण णो सराणी अप्सराणी, णपुंसकवेदा, पजत्तीयो अपजत्तीयो य पंच, दो दिट्ठियो, दो दंसणा, दो नाणा दो अन्नाणा, दुविधे जोगे, दुविधे उवयोगे, श्राहारो छदिसिं, उववातो तिरियमणुस्सेहितो नो देवेहितो नो नेरइएहितो, तिरिएहिंतो असंखेजवासाउवज्जेसु, अकम्मभूमग-अंतरदीवग-असंखेजवासाउथवज्जेसु मणुस्सेसु, ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पुठ्यकोडी, मारणंतिय-समुग्घातेणं दुविहावि मरंति 3 / अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं ?, नेरइएसुवि तिरिक्खजोणिएसुवि मणुस्सेसुवि देवेसुवि, नेरइएसु रयणप्पहाए सेसेसु पडिसेधो, तिरिएसु सब्वेसु उववज्जंति संखेजवासाउएसुवि असंखेज Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 166 ] [ श्रीमदागमसुमसिन्धुः :: पश्चनो विभागः वासाउएसुवि चउप्पएसु पक्खीसुवि, मणुस्सेसु सव्वेसु कम्मभूमीसु नो यकम्मभूमीएसु अंतरदीवएसुवि संखिजवासाउएसुवि असंखिजवासाउएसुवि देवेसु जाव वाणमंतरा, चउगइया दुअागतिया, परित्ता असंखेजा पराणत्ता 4 / से तं जलयरसमुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खा 5 // सू० 35 // से कि तं थलयर-समुच्छिम-पंचेन्दियतिरिक्खजोणिया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-च उप्पय-थलयर-समुच्छिम-पंचेन्दियतिरिक्खजोणिया परिसप्पसंमुच्छिम-पंचेन्दिय-तिरिक्खजोणिया 1 / से किं तं थलयर-चउप्पयसमुच्छिमपंचेदिय-तिरिक्खजोणिया ?, 2 चउन्विहा पराणत्ता, तंजहा-एगखुरा दुखुरा गंडीपया सणफया जाव जे यावरणे तहप्पकारा ते समासतो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्ता य अपजत्ता य 2 / तो सरीरगा श्रोगाहणा जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं गाउयपुहुत्तं ठिती जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं चउरासीतिवाससहस्साई, सेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया दुअागतिया परित्ता असंखेजा पराणत्ता, सेत्तं थलयर-चउप्पदसंमुच्छिम-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया 3 / से किं तं थलयरपरि. सप्पसंमुच्छिमा ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-उरगपरिसप्पसंमुच्छिमा भुयगपरिसप्पसमुच्छिमा 4 / से किं तं उरगपरिसप्पसंमुच्छिमा ?, 2 चउबिहा पराणत्ता, तंजहा-यही अयगरा श्रासालिया महोरगा 5 / से किं तं यही ?, ही दुविहा पराणत्ता, तंजहा-दबीकरा मउलिणो य 6 / से किं त दव्वीकरा ?, 2 अणेगविधा पराणत्ता, तंजहा-श्रासीविसा जाव से तं दव्वीकरा 7 / से किं तं मउलिणो ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंनहा-दिवा गोणसा जाव से तं मउलिणो, सेत्तं ही 8 / से किं तं अयगरा ?, 2 एगागारा पराणत्ता, से तं श्रयगरा 1 / से किं तं थासालिया ?, 2 जहा पराणवणाए, से तं श्रासालिया 10 / से किं तं महोरगा?; 2 जहा पराणवणाए, से तं महोरगा, जे यावराणे तहप्पगारा ते Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवामिगम-सूत्रम् :: प्रथमा प्रतिपत्तिः ] [ 167 समामतो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्ता य अपजत्ता य, तं चेव, णवरि सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्सऽसंखेजभागं उक्कोसेणं जोयणपुहुत्तं. ठिई जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तेवराणं वाससहस्साई, सेसं जहा जलयराणं, जाव चउगतिया दुग्रागतिया परित्ता असंखेजा, से तं उरपरिसप्पा 11 / से किं तं भुयगपरिसप्प-समुच्छिमथलयरा ?, 2 अणेगविधा पराणत्ता, तंजहागोहा णउला जाव जे यावन्ने तहप्पकारा, ते समासतो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्ता य अपजत्ता य, सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलासंखेज्ज उकोसेणं धणुपुहत्तं ठिती उकोसेणं बायालीसं वाससहस्साइंसेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया दुधागतिया परित्ता असंखेजा पराणत्ता, से तं भुयपरिसप्पसंमुच्छिमा, से तं थलयरा 12 / से कि तं खहयरा 1. 2 चउन्विहा पराणत्ता, तंजहा-वम्मपक्खी लोमपक्खी समुग्गपक्खी विततपक्खी 13 / से किं तं चम्मपक्खी ?, 2 अणेगविधा पराणत्ता, तंजहा-वग्गुली जाव जे यावन्ने तहप्पगारा, से तं चम्मपक्खी 14 / से किं तं लोमपक्खी ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-लंका कंका जाव जे यावन्ने तहप्पगारा, से तं लोमपक्खी 15 / से किं तं समुग्गपक्खी ?, 2 एगागारा पराणत्ता जहा पराणवणाए, एवं विततपक्खी जाव जे यावन्ने तहप्पगारा ते समासतो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्ता य अपजत्ता य, णाणत्तं सरीरोगाहणा जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजभागं उक्कोसेणं धणुपुहुत्तं ठिती उकोसेणं बावत्तरिं वाससहस्साई, सेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया दुधागतिया परित्ता असंखेजा पराणत्ता, से तं खयरसमुच्छिम-तिरिक्खजोणिया, सेतं समुच्छिम-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया 16 // सू० 36 // से किं तं गम्भवक्कंतिय-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-जलयरा थलयरा खहयरा // सू० 37 // से कि तं जलयरा ?, जलयरा पंचविधा पराणना, तंजहा-मच्छा कच्छभा मगरा Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 168 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः . गाहा सुसुमारा, सव्वेसिं भेदो भाणितव्वो तहेव जहा पराणवणाए, जाव जे यावरणे तहप्पकारा ते समासतो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्ता य अपजत्ता य 1 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति सरीरगा परणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि सरीरगा पन्नत्ता, तंजहा-थोरालिए वेउबिए तेयए कम्मए, सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजभागं उक्कोसेणं जोयणसहस्सं 2 / छविहसंघयणी परणत्ता, तंजहा-वइरोसभनारायसंघयणी उसभनारायसंघयणी नारायसंघयणी अद्धनारायसंघयणी कीलियासंघयणी से(छे)वट्टसंघयणी 3 / छबिहा संठिता पराणत्ता, तंजहा-समचउरंससंठिता णग्गोधपरिमंडलसंठिता सातिसंठिता खुजसंठिता वामणसंठिता हुडसंठिता 4 / केसाया सव्वे सराणायो 4 लेसायो 6 पंच इंदिया पंच समुग्याता श्रादिला संगणी नो असरणी तिविधवेदा छप्पजत्तीयो छअप्पजत्तीयो दिट्ठी तिवि. धावि तिगिण ढंसणा, णाणीवि अराणाणीवि जे णाणी ते अत्थेगतिया दुणाणी अत्थेगतिया तिन्नाणी, जे दुन्नाणी ते नियमा थाभिणिबोहियणाणी य सुतणाणी य, जे तिन्नाणी ते नियमा प्राभिणियोहियणाणी सुतणाणी श्रोहिणाणी, एवं श्रराणाणीवि 5 / जोगे तिविहे उपयोगे दुविधे श्राहारो छदिसि उववातो नेरइएहि जाव अहे सत्तमा तिरिक्खजोणि एसु सव्वेसु असंखेजवासाउयवज्जेसु मणुस्सेसु अकम्मभूमग-अंतरदीवग-असंखेज-वासाउयवज्जेसु देवेसु जाव सहस्सारो. 6 / ठिती जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी, दुविधावि मरंति, ग्रंणंतरं उव्वट्टित्ता नेरइएसु.जाव अहे सत्तमा, तिरिक्खजोणिएसु मणुस्सेतु सब्वेसु. देवेसु जाव सहस्सारो, चउगतिया उागतिया परित्ता असंखेजा पराणत्ता, से तं जलयरा 7 // सू० 38 // से किं तं थलयरा ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-चउप्पदा य परिसप्पा य 1 / से किं तं चउप्पया ?, 2 चउबिधा पराणत्ता, तंजहा-एगक्खुरा सो चेव भेदो जाव जे यावन्ने तहप्पकारा ते समासतो दुविहा पराणत्ता, तंजहा Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवा जीवाभिगम-सूत्रम् : प्रथमा प्रतिपत्तिः ] [ 166 पजना य अपजत्ता य 2 / चत्तारि सरीरा श्रोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं छ गाउयाई 3 / ठिती उक्कोसेणं तिन्नि पलिश्रोमाई नवरं उव्वट्टित्ता नेरइएसु चउत्थपुर्वि गच्छंति सेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया चउागतिया परित्ता अमंखिजा पराणत्ता, से तं चउप्पया 4 / से किं तं परिसप्पा ?, 2 दुविहा पराणत्ता. तंजहा-उरपरिसप्पा य भुयगपरिसप्पा य 5 / से किं तं उरपरिसप्पा ?, 2 तहेव श्रासालियवज्जो भेदो भाणियव्यो, (तिरिण) सरीरा श्रोगाहणा जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजभागं उक्कोसेणं जोयणसहस्सं 6 / ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी उव्वट्टित्ता नेरइएसु जाव पंचमं पुढविं ताव गच्छति, तिरिक्खमणुस्सेसु सव्वेसु देवेसु जाव सहस्सारा, सेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया चउबागइम परित्ता असंखेजा से तं उरपरिसप्पा 7 / से किं तं भुयगपरिसप्पा ?, 2 भेदो तहेव, चत्तारि सरीरगा श्रोगाहणा जहन्नेणं अंगुलासंखेजइभागं उकोसेणं गाउयपुहुत्तं ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पुवकोडी, सेसेसु गणेसु जहा उरपरिसप्पा, णवरं दोच्चं पुदविं गच्छंति, से तं भुयपरिसप्पा पराणत्ता से तं थलयरा 8 // सू० 31 // से कि तं खयरा ?, 2 उबिहा पराणत्ता, तंजहा-चम्मपवखी तहेव भेदो, योगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणं धणुपुहुत्तं 1 / ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पलिश्रोवमस्स असंखेजतिभागो, सेसं जहा जलयराणं नवरं जाव तच्चं पुढविं गच्छति जाव से तं खहयरगम्भवक्कंतिय-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया, से तं तिरिक्खजोणिया 2 ॥सू. 40 // से किं तं मणुस्सा ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-समुच्छिममणुस्सा य गम्भवक्कंतियमणुस्सा य 1 / कहि णं भंते ! संमुच्छिममणुस्सा संमुच्छंति ?, गोयमा ! अंतो मणुस्सखेत्ते जाव करेंति 2 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति सरीरगा पराणत्ता ?, गोयमा ! तिन्नि सरीरगा Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 200 ]. / श्रीमदागर्मसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः पन्नत्ता, तंजहा-थोरालिए तेयए कम्मए, सेतं समुच्छिममणुस्सा 3 / से कि तं गम्भवक्कंतियमणुरसा ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-कम्मभूमया अकम्मभूमगा अंतरदीवगा; एवं माणुस्सभेदो भाणियव्वो जहा पराणवणाए तहा णिवसेसं भाणियवं जाव छउमत्था य केवली य, ते समासतो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्ता य अपजत्ता य 4 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति सरीरा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच सरीरया, तंजहा-थोरालिए जाव कम्मए 4 / सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलअसंखेजभागं उक्कोसेणं तिरिण गाउयाई छच्चेव संधयणा छस्संठाणा 6 / ते णं भंते ! जीवा कि कोह- . कसाई जाव लोभकसाई अकसाई ?, गोयमा ! सव्वेवि 7 / ते णं भंते ! जीवा किं आहारसन्नोवउत्ता जाव लोभसन्नोवउत्ता नोसन्नोवउत्ता ?, गोयमा ! सव्वेवि 8 / ते णं भंते ! जीवा किं कराहलेसा य जाव अलेसा ?, गोयमा ! सव्वेवि 1 / सोइंदियोवउत्ता जाव नोइंदियोवउत्तावि, सब्वे समुग्घात्ता, तंजहा-वेयणासमुग्घाते जाव केवलिसमुग्घाए, सन्नीवि नोसन्नी असन्नीवि, इथिवेयाविं जाव अवेदावि, पंच पज्जती, तिविहावि दिट्टी, चत्तारि दसणा 10 / णाणीवि अगणाणीवि, जे णाणी ते अत्थेगतिया दुणाणी अत्यंगतिया तिणाणी अत्यंगइया चउणाणी अत्थेगतिया एगणाणी जे दुराणाणी ते नियमा पाभिणियोहियणाणी सुतणाणी य जे तिणाणी ते श्राभिणिबोहियणाणी य सुतणाणी य श्रोहिणाणी य ग्रहवा याभिणिबोहियणाणी सुयनाणी मणपजवणाणी य, जे चउणाणी ते णियमा प्राभिणिबोहियणाणी सुतणाणी योहिणाणी मणपजवणाणी य, जे एगणाणी ते नियमा केवलनाणी, एवं अन्नाणीवि दुअन्नाणी तिअंगणाणी 11 / मणजोगीवि वइकायजोगीवि अजोगीवि, दुविहउवयोगे, श्राहारो छदिसिं, उववातो नेरइएहिं अहे सत्तमवज्जेहिं तिरिक्खजोणिएहितो, उववायो असंखेजवासाउयवज्जेहिं मरणुएहिं अकम्मभूमग-अंतरदीवग-असंखेज-वासा Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् : प्रथमा प्रतिपत्तिः ] [ 201 उयवज्जेहिं, देवेहिं सव्वेहि, ठिती जहन्नेणं णंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिरिण पलियोवमाई, दुविधावि मरंति, उव्वट्टित्ता नेरइयादिसु जाव अणुत्तरोववाइएसु, अत्थेगतिया सिझति जाव यंतं करेंति 12 / ते णं भंते ! जीवा कतिगतिया कइयागइया पराणत्ता ?, गोयमा ! पंचगतिया चउग्रागतिया परित्ता संखिजा पराणत्ता, सेत्तं मणुस्सा 13 // सू० 41 // से कि तं देवा ?, देवा चउव्विहा पराणत्ता, तंजहा-भवणवासी वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया 1 / से किं तं भवणवासी.?, 2 दसविधा परणत्ता, तंजहा-असुरा जाव थणिया, से तं भवणवासी 2 / से किं तं वाणमंतरा ?, 2 देवभेदो सयो भाणियन्वो जाव ते समासतो दुविहा पराणत्ता, तंजहापज्जत्ता य अपजत्ता य, तो सरीरगा-वेउविए तेयए कम्मए 2 / श्रोगाहणा दुविधा-भवधारणिजा य उत्तरवेउब्बिया य, तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजभागं उकोसेणं सत्त रयणीयो उत्तरवेउब्विया जहन्नेणं अंगुलस्स संखेजतिभागं उक्कोसेणं जोयणसयसहस्सं, सरीरगा छराहं. संवयणाणं असंघयणी शेवट्ठी णेव छिरा णेव राहारू नेव संघयणमस्थि 4 | जे पोग्गला इट्टा कंता जाव ते तेसिं संघायत्ताए परिणमंति, किंसंठिता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-भवधारणिजा य उत्तरवेउव्विया य, तत्थ णं जे ते भवधारणिज्जा ते णं समचउरंससंठिया पराणत्ता, तत्थ णं जे ते उत्तरवेउब्बिया ते णं नाणासंठाणसंठिया पराणत्ता 5 / चत्तारि कसाया चत्तारि सराणा छ लेस्सायो पंच इंदिया पंच समुग्याता सन्नीवि प्रसन्नीवि इत्यिवेदावि पुरिसवेदावि नो नपुंसगवेदा, पजती अपजत्तीयो पंच, दिट्ठी तिन्नि तिगिण दंसणा, णाणीवि अराणाणीवि, जे नाणी ते नियमा तिगणाणी अराणाणी भयणाए, दुविहे उवयोगे तिविहे जोगे श्राहारो णियमा छदिसिं, श्रोसन्नकारणं पडुच्च वराणतो हालिदसुकिलाई जाव अाहारमाहारेंति, उववातो तिरियमणुस्सेसु 6 / Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 202 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः ठिती जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई, दुविधावि मरंति, उव्वट्टित्ता नो नेरइएसु गच्छंति तिरियमणुस्सेसु जहासंभवं, नो देवेसु गछंति 7 / दुगतिया दुअागतिया परित्ता असंखेजा पराणत्ता, से तं देवा, से तं पंचेंदिया, सेत्तं श्रीराला तसा पाणा 8 // सू० 42 // थावरस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं बावीसं वाससहस्साई ठिती पराणत्ता 1 / तसस्त णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ? गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहृत्तं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिती पराणत्ता 2 / थावरे णं भंते ! थावरत्ति. कालतो केवचिरं होति ?, जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं गणतं कालं अंणतायो उस्सप्पिणिया (अवसप्पिणीयो) कालतो खेत्ततो अणंता लोया असंखेजा पुग्गलपरियट्टा, ते णं पुग्गलपरियट्टा श्रावलियाए असंखेजतिभागो 3 / तसे णं भंते ! तसत्ति कालतो केवचिरं होति ?, जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं असंखेजायो उस्सप्पिणीयो (अवसप्पिणीयो) कालतो खेत्ततो असंखेजा लोगा 4 / थावरस्स णं भंते ! केवतिकालं अंतरं होति ?, जहा तससंचिट्ठणाए 5 / तसस्स णं भंते ! केवतिकाले अंतरं होति ?, अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणसतिकाले 6 / एएसि णं भंते ! तसाणं थावराण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा तसा थावरा अणंतगुणा, सेतं दुविधा संसारसमावराणगा जीवा पराणत्ता 7 // सू० 43 // दुविहपडिवत्ती समत्ता.॥ // इति विविधाख्या प्रथमा प्रतिपत्तिः॥१॥ // अथ त्रिविधाख्या द्वितीया प्रतिपत्तिः // तत्थ जे ते एवमाहंसु तिविधा संसारसमावराणगा जीवा पराणत्ता ते Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / / द्वितीया प्रतिपत्तिः ] [ 203 एवमाहंस, तंजहा-इत्थि पुरिसा णपुसका // सू० 44 // से किं तं इत्थीयो ?, 2 तिविधायो पराणत्ता, तंजहा-तिरिक्खजोणियायो मणुस्सित्थोयो देविस्थीयो 1 / से किं तं तिरिक्खजोणिणित्थीयो ?, 2 तिविधागो पराणत्ता, तंजहा-जलयरीयो थलयरीयो, खहयरीयो 2 / से कि तं जलयरीयो?, 2 पंचविधायो पराणत्तायो, तंजहा-मच्छीयो जाव सुसुमारीयो 3 / से किं तं थलयरीो ?, 2 दुविधायो पराणत्ता, तंजहा-चउप्पदीयो य परिसप्पीयो य 4 / से किं तं चउप्पदीयो ?, 2 चउविधायो पराणत्ता, तंजहा-एगखुरीयो जाव सणप्फईयो 5 / से किं तं परिसप्पीओ ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-उरपरिसप्पीयो य भुजपरि. सप्पीयो य 6 / से किं तं उरपरिसप्पीयो ?. 2 तिविधायो पराणत्ता, तंजहा-ग्रहीयो अहिगरीयो महोरगायो, सेत्तं उरपरिसप्पीयो 7 / से किं तं भुयपरिसप्पोयो ?, 2 अणेगविधायो पराणत्ता, तंजहा-सेरडीयो सेरंधीयो गोहीयो णउलीयो सेवायो सराणाश्रो सरडीयो सेरंधीयो भावायो खारायो पवगणाइयायो चउप्पइयायो मूसियायो मुगुसियो घरोलियायो गोव्हियायो, जोव्हियायो बिरचिरालियायो, सेत्तं भुयगपरिसप्पीयो 8 / से किं तं खहयरीयो ?, 2 चउविधायो पराणत्ता, तंजहाचम्मपक्खीयो जाव सेत्तं खहयरीयो, सेत्तं तिरिवखजोणियो 1 / से किं तं मणुस्सियो?, 2 तिविधायो पराणत्ता, तंजहा-कम्मभूमियायो अकम्मभूमियायो अंतरदीवियायो 10 / से किं तं अंतरदीवियायो ?. 2 अट्ठावीसतिविधाो पराणत्ता, तंजहा-एगूरूइयायो अाभासियायो जाव सुद्रदंतीग्रो, सेत्तं अंतरदीवियायो 11 / से कि तं अकम्मभूमियायो ?, 2 तीसविधायो पराणत्ता, तंजहा-पंचसु हेमवएसु पंचसु एरराणवएसु पंचसु हरिवंसेसु पंचसु रम्मगवासेसु पंचसु देवकुरासु पंचसु उचरकुरासु, सेत्तं * अकम्मभूमियायो 12 / से कि तं कम्मभूमिया ?, 2 पराणरमविधायो Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 204 / [ श्रीमदागमसुथासिन्धुः / पञ्चमो विभागा परागत्तायो, तंजहा-पंचसु भरहेसु पंचसु एवएसु पंचसु महाविदेहेसु, सेत्तं कम्मभूमगमणुस्सीयो, सेत्तं मणुस्सित्थीयो 13 / से किं तं देवित्थियायो 2 चउविधा पराणत्ता, तंजहा-भवणवासिदेवित्थियायो वाणमंतरदेवित्थियायो जोतिसियदेवित्थियायो वेमाणियदेवित्थियायो 14 / से किं तं भवणवासिदेवित्थियायो?, 2 दसविहा पराणत्ता, तंजहा-असुरकुमार-भवणवासि-देवित्थियायो जाव थणियकुमार-भवणवासि-देवित्थियायो, से तं भवणवासिदेवित्थियायो 15 / से किं तं वाणमंतरदेवित्थियायो ?, 2 अट्ठविधायो पराणत्ता, तंजहा-पिसायवाणमंतरदेवित्थियायो जाव से तं वाणमंतरदेवित्थियायो 16 / से किं तं जातिसियदेवित्थियायो ?, 2 पंवविधाश्रो पराणत्ता, तंजहाचंदविमाण-जोतिसिय-देवित्थियायो सूरविमाण-जोतिसिय-देवित्थियायो गहविमाण-जोतिसिय-देवित्थियात्रो नवखत्तविमाण-जोतिसिय-देवित्थियात्रो ताराविमाण-जोतिसिय-देवित्थियायो, से तं जोतिसियायो 17 / से कि तं वेमाणियदेवित्थियायो ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सोहम्मकप्प-वेमाणियदेवित्थियायो ईसाणकप्प-वेमाणिय-देवित्थियात्रो, सेत्तं वेमाणित्थीयो 18 ॥सू० 45 // इत्थी णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणता ?, गोयमा ! एगेणं श्राएसेणं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पराणपन्नं पलिश्रोवमाई एक्केणं प्रादेसेणं जहन्नेणं अंतोमुहुतं उक्कोसेणं णव पलियोवमाई एगेणं यादेसेणं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्त पलिश्रोवमाई एगेणं श्रादेसेणं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पन्नासं पलिग्रोवमाई।सू० 46 // तिरिक्खजोणित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिरिण पलिग्रोवमाई 1 / जलयरतिरिक्खजोणित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पराणता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी 2 / चउप्पद-थलयर-तिरिक्खजोणिस्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहा तिरिक्खजोणित्थीयो 3 / उरगपरिसप्प Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाज़ीवाभिगम-सूत्रम् :: द्वितीया प्रतिपत्तिः ] / 205 थलयर तिरिक्खजोणित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसं पुब्धकोडी 4 / एवं भुयपरिसप्पथलयरतिरिक्खजोणित्थियो 5 / एवं खहयरतिरिक्खित्थीणं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेजतिभागो 6 / मणुस्सित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पाणता ?, गोयमा ! खेत्तं पडुन जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिगिण पलिश्रोवमाई, धम्मचरणं पडुच्च जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी 7 / कम्मभूमयमणुस्सित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा! खित्तं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिनी पलियोवमाई धम्मचरणं पडुच जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुषकोडी / भरहेरवय-कम्मभूमगमणुस्सित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! खेतं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं निन्नि पलियोधमाई, धम्मचरणं पडुच जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुचकोडी 1 / पुचविदेह-अवरविदेह-कम्मभूमग-मणुस्सित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! खेत्तं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पुवकोडी धम्मचरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी 10 / अकम्मभूमगमणुस्सित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जम्मणं पडुच्च जहन्नेणं देसूणं पलियोवमं पलियोवमस्स असंखेजतिभागऊणगं उक्कोसेणं तिन्नि पलिग्रोवमाई संहरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी 11 / हेमवएरगणवए जम्मणं पडुच्च जहन्नेणं देसूणं पलिश्रोमं पलियोवमस्स असंखेजइभागेण ऊणगं उक्कोसेणं पलिग्रोवमं, संहरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं देसूणा पुञ्चकोडी 12 / हरिवास-रम्मयवास-अकम्मभूमगमणुस्सित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई परणता ?, गोयमा ! जम्मणं पडुच्च जहन्नेणं देसूणाई दो पलिश्रोवमाई पलियोवमस्स असंखेजतिभागेण Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 206 ] ___ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः ऊणयाई उकोसेण दो पलि योवमाई, संहरणं पडुच्च जहराणेणं यंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी 13 / देवकुरु-उत्तरकुरु-अकम्मभूमगःमणुस्सित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिई पराणता ?, गोयमा ! जम्मणं पडुच्च जहन्नेणं देसू. णाई तिरिण पलिश्रोवमाइं पलियोवमस्स असंखेजतिभोगेण ऊणयाइंउ कोसेणं तिन्नि पलियोवमाई, संहरणं पडुच्च जहन्नेणं ग्रंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी 14 / अंतरदीवग-अकम्मभूमग-मणुस्सित्थीणं भंते ! केवतिकालं ठिती पराणता ?, गोयमा ! जम्मणं पडुच्च जहन्नेणं देसूणं पलियोवमरस असंखेजइभागं पलियोवमरस असंखेजतिभागेण ऊणयं उक्कोसेणं पलियोवमस्त असंखेजइभागं संहरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी 15 / देवित्थीगां भंते ! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता ?, गोयना ! जहन्नेगां दसवाससहस्साई उक्कोसेगां पणपन्नं पलिओवमाई 16 / भवणवासिदेविस्थीणां भंते !, जहन्नेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं अद्धपंचमाई पलियोषमाइं 17 / एवं असुरकुमार-भवणवासि-देवित्थियाए, नागकुमारभवणवासि-देवित्थियाएवि जहन्नेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं देसूणाई पलिग्रोवमाइं एवं सेसाणवि जाव थणियकुमाराणं 18 / वाणमंतरीणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई उकोसं यद्धपलियोवमं 11 / जोइसियदेवित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पराणता ?, गोयमा ! जहराणेणं पलियोवम अट्ठभागं उक्कोसेणं अद्धपलियोवमं पराणासाए वाससहस्सेहिं अभहियं 20 / चंदविमाण-जोतिसिय देवित्थियाए जहन्नेणं चउभागपलिश्रोवमं उक्कोसेणं तं चेव 21 / सूरविमाण-जोतिसिय-देवित्थियाए जहन्नेणं चउ. भागपलियोवमं उक्कोसेणं श्रद्धपलियोवमं पंचहिं वाससएहिमभहियं 22 / गहविमाण-जोतिसियदेवित्थीणं जहरणेणं चउभागपलिग्रोवमं उक्कोसेणं अद्धपलियोवमं 23 / णक्वत्तविमाण-जोतिसियदेविाणं जहराणेणं चउभागपलियोवमं उक्कोसेणं चउभागपलियोवमं साइरेगं 24 / तारा Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवीजीवाभिगम-सूत्रम् :: द्वितीया प्रतिपत्तिः ] / 207 विमाणजोतिसियदेवित्थियाए जहन्नेणं अट्ठभागं पलिश्रोवमं उक्कोसेणं सातिरेगं अट्ठभागपलियोवमं 25 / वेमाणियदेवित्थियाए जहराणेणं पलिग्रोवमं उकोसेणं पणपन्नं पलियोवमाइं 26 / सोहम्मकप्प-वेमाणियदेविस्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता ?, जहराणेणं पलियोवम उक्कोसेणं सत्त पलियोवमाइं 27 / ईसाणदेवित्थीणं जहरणेणं सातिरेगं पलियोवमं उकोसेणं णव पलिग्रोवमाई 28 // सू० 47 // इत्थी णं भंते ! इस्थित्ति कालतो केवञ्चिरं होइ ?, गोयमा ! एक्केणादेसेणं जहन्नेणं एवकं समयं उकोसं दसुत्तरं पलियोवमसयं पुवकोडिपुहुत्तमभहियं, एक्केणादेसेणं जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अट्ठारस पलिश्रोवमाइं पुवकोडीपुहुत्तमन्भहियाई, एक्केणादेसेणं जहराणेणं एक समयं उक्कोसेणं चउद्दस पलिअोवमाई पुषकोडीपुर्त्तमभहियाई, एक्कणादेसेणं जहराणेणं एक्कं समयं उकोसेणं पलिग्रोवमसयं पुब्बकोडीपुहुत्तमभहिये, एक्केणादेसेणं जहरणं एक्कं समयं उक्कोसेणं पलियोवमहत्तं पुव्वकोडीपुहुत्तमभहियं 1 / तिरिक्खजोणित्थी णं भंते ! तिरिक्खजोणित्थिति कालयो केवचिरं होति?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिश्रोवमाई पुनकोडी पुहुत्तमभहियाई, जलयरीए जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडिपुहुत्तं 2 / चउप्पद-थलयर-तिरिक्खजोणित्थिणं जहा बोहिता तिरिक्खजोणित्थीणं 3 / उरग-परिसप्पीभुयग-परिसप्पित्थीणं जधा जलयरीणं 4 / खहयरिजोणित्थीणं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पलिश्रोवमस्स असंखेजतिभागं पुवकोडिपुहुत्तमब्भहियं 5 / मणुस्तित्थी णं भंते ! कालो केवचिरं होति ?, गोयमा ! खेत्तं पडुच्च जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिश्रोवमाई पुवकोडिपुहुत्तमभहियाई, धम्मचरणं पडुच्च जहराणेणं एक्कं समयं उकोसेणं देसूणा पुव्वकोडी, एवं कम्मभूमियावि भरहेरवयावि, णवरं खेत्तं पडुच्च जहराणेणं अंतो उक्कोसेणं तिन्नि पलियोवमाई देसूण Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 208 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभाग पुवकोडीअन्भहियाई, धम्मचरणं पडुच्च जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं देसूणा पुब्बकोडी 6 / पुठ्वविदेहयवरविदेहित्थी णं खेत्तं पडुच्च जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडीपुडुत्तं, धम्मचरणं पडुच्च जहराणेणं एक्क समयं उकोसेणं देसूणा पुव्वकोडी 7 / अकम्मभूमकमणुस्सित्थी णं भंते ! कम्मभूमग-मणुस्सिस्थित्ति कालयो केवचिरं होइ ? गोयमा ! जम्मणं पडुच्च जहराणेणां देसूणं पलियोवमं पलियोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणं उक्कोसेणं तिरिण पलियोवमाई 8 / संहरणं पडुच्च जहराणेणं अंतो. मुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलियोवमाइं देसूणाए पुवकोडिए अब्भहियाई 1 / हिमवतेरराणवते अकम्मभूमगमणुस्सित्थीणं भंते ! हेमवतेरराणवते अकम्मभूमग-मणुस्सिस्थित्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जम्मणं पडुच्च जहराणेणं देसूणं पलियोवमं पलियोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणगं, उक्कोसेणं पलियोवमं 10 / साहरणं पडुच्च जहराणेणं अंतोमुहत्तं उकोसेणं पलियोवमं देसूणाए पुब्वकोडीए अभहियं 11 / हरिवासरम्मय-अकम्मभूमगमणुस्सित्थी णं भंते !, जम्मणं पडुच्च जहराणेणं देसूणाई दो पलिश्रोवमाइं पलिग्रोवमस्स असंखेजतिभागेण ऊणगाई, उक्कोसेणं दो पलिश्रोवमाई 12 / संहरणं पडुच्च जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसे दो पलिश्रोवमाई देसूणपुव्वकोडिमभहियाई 13 / उत्तरकुरुदेवकुरूणं, जम्मणं पडुच जहन्नेणं देसूणाई तिन्नि पलिग्रोवमाइं पलितोवमस्स असंखेजभागेणं ऊणगाई उक्कोसेणं तिन्नि पलियोवमाई, संहरणं पडुच्च जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलियोवमाई देसूणाए पुवकोडिए अमहियाई 14 / अंतरदीवाकम्मभूमकमणुस्सित्थीणं ?, 2 जम्मणं पडुच्च जहराणेणं देसूणं पलिग्रोवमस्स असंखेजतिभागं पलिग्रोवमस्स असंखेजतिभागेण ऊणं उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेजतिभागं 15 / साहरणं पडुच्च जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पलियोवमस्स असंखेजतिभागं देसूणाए Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / प्रतिपत्तिः 2 / [ 209 पुवकोडीए अभहियं 16 / देवित्थी णं भंते ! देवित्थित्ति कालतो केवचिरं होइ, जच्चेव संचिट्ठणा 17 // सू० 48 // इत्थीणं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहत्तं उकोसेणं अणंतं कालं वणस्सतिकालो, एवं सव्वासिं तिरिक्खित्थीणं 1 / मणुस्सित्थीए खेत्तं पडुच्च, जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो, धम्मवरणं पडुच्च जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अणंतं 'कालं जाव अबड्डपोग्गलपरियट्ट देसूणं, एवं जाव पुव्वविदेहअवरविदेहियायो 2 / अकम्मभूमग-मंणुस्सित्थीणं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होति ?, गोयमा ! जम्मणं पडुच्च जहन्नं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमब्भहियाई उकोसेणं : वणस्सतिकालो, संहरणं पहुंच जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो, एवं जाव अंतरदीवियायो 3 / देवित्थियाणं सव्वासि जहरागोणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो 4 // सूत्रं 41 // एतासि णं भंते ! तिरिक्खजोणित्थियाणं मणुस्सिस्थियाणं. देवित्थियाणं कतरा 2 हितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा मणुम्सिस्थियायो , तिरिक्खजोणित्थियागो असंखेजगुणाश्रो देवित्थियाश्रो असंखेजगुणायो 1 / एतासि णं भंते ! तिरिक्खजोणित्थियाणं जलयरीणं थलयरीणं खहयरीणं य. कतरा 2 हितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सबथोवाश्रो खहयर-तिरिक्खजोणित्थियायो थलयर-तिरिक्ख जोणित्थियात्रो. संखेजगुणायो जलयरतिरिक्ख जोणित्थियायो संखेजगुणायो 2 / एतासि णं भंते ! मणुस्सित्थीणं * कम्मभूमियाणं अकम्मभूमियाणं अंतरदीवियाण य कतरा 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सम्बत्थोवायो अंतरदीवग-अंकम्मभूमग-मणुस्सित्थियात्रो देवकुरूत्तरकुरु-यकम्मभूमग-मणुस्सित्थियात्रो दोवि तुल्लायो संखेजगुणाओं, हरिखास-रम्मयवास-कम्मभूमग-मणुस्सित्थियायो दोवि तुल्लायो Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 210 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः संखेजगुणाश्रो, हेमवतेरराणवास-कम्मभूमिग-मणुस्सित्थियात्रोदोवितुल्लायो संखिजगुणाश्रो, भरतेरवतवास-कम्मभूमगमणुस्सित्थियायो दोवि तुल्लायो संखिजगुणायो, पुनविदेह-अवरविदेह-कम्मभूमग-मणुस्तित्थियायो दोवि तुल्लाश्रो सखेजगुणात्रो 3 / एतासि णं भंते ! देवित्थियाणं भवणवासिणीणं वाणमंतरीणं जोइसिणीणं वेमाणिणीण य कयरा 2 हितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवायो वेमाणियदेवित्थियात्रो भवणवासिदेवित्थियात्रो असंखेजगुणायो वाणमंतरदेवित्थी(वीया)यो असंखेजगुणाश्रो जोतिसियदेवित्थियायो संखेजगुणायो 4 / एतासि णं भंते ! तिरिक्खजोणित्थियाणं जलयरीणं थलयरीणं खहयरीणं मणुस्सित्थीयाणं कम्मभूमियाणं अकम्मभूमियाणं अंतरदीवियाणं देविस्थीणं भवणवासियाणं वाणमंतरीणं. जोतिसियाणं वेमाणिणीण य कयरा 2 हितो अप्पा वा बहुश्रा वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा अंतरदीवग-अकम्मभूमगमणुस्सिस्थियायो देवकुरु-उत्तरकुरु-कम्मभूमग-मणुस्सित्थियायो दोवि संखेजगुणायो हरिखास-रम्मगवास-कम्मभूमग-माणुस्सित्थियात्रो दोवि संखेजगुणायो, हेमवतेरगणवयवास-अकम्मभूमग-मणुस्सित्थियायो दोऽवि संखेजगुणात्रो, भरहेरवतवास-कम्मभूमग-मणुस्सित्थीयो दोऽवि तुल्लायो संखेजगुणाश्रो, पुलविदेह-अवरविदेह-वास-कम्मभूमग-मणुस्सिस्थियात्रो दोवि संखेज़गुणात्रो, वेमाणियदेवित्थियात्रा असंखेजगुणाओ, भवणवासिदेवित्थियात्रो असंखेजगुणायो, खहयर-तिरिक्खजोणित्थियात्रो असंखेजगुणाश्रो, थलयर-तिरिक्खजोणित्थियाउ संखि जगुणाश्रो, जलयरतिरिवखजोणि त्थियायो संखेनगुणायो, वाणमंतरदेवित्थियायो संखेजगुणाश्रो जोइसियदेवित्थियायो संखेनगुणायो 5 // सू० 50 // इथिवेदस्स णं * भंते ! कम्मस्स केवइयं कालं बंधठिति पराणता ?, गोयमा ! जहन्नेणं सागरोवमस्स दिवड्डो सत्तभागो[उ] पलियोवमस्स असंखेजतिभागेण ऊणो Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् : प्रतिपत्तिः 2 ] [ 211 उकोसेणं पराणरस सागरोवमकोडाकोडीयो, पराणरस वाससयाई अबाधा, अबाहूणिया कम्मठिती कम्मणिसेयो 1 / इस्थिवेदे णं भंते ! किंपगारे पराणत्ते ?, गोयमा ! फुफुअग्गिसमाणे पराणत्ते, सेत्तं इत्थियायो 2 // सू० 51 // से किं तं पुरिसा ?, पुरिसा तिविहा पराणात्ता, तंजहातिरिक्ख जोणियपुरिसा मणुस्सपुरिसा देवपुरिसा 1 / से किं तं तिरिक्खजोणियपुरिसा ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-जलयरा थलयरा खहयरा, इस्थिभेदो भाणितव्यो, जाव खहयरा, सेत्तं खहयरा, सेत्तं खहयर-तिरिक्खजोणियपुरिसा 2 / से किं तं मणुस्सपुरिसा ?, 2 तिविधा परणत्ता, तंजहा-कम्मभूमगा अकम्मभूमगा अंतरदीवगा, सेत्तं मणुस्सपुरिसा 3 / से किं तं देवपुरिसा ?, देवपुरिसा चउबिहा पराणत्ता, इत्थीभेदो भाणितव्वो जाव सव्वट्ठसिद्धा 4 ॥सू० 52 // पुरिसस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं यंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं 1 / तिरिक्खजोणियपुरिसाणं मणुस्साणं जा चेव इत्थीणं ठिती सा चेव भाणियब्वा 2 / देवपुरिसाणवि जाव सबट्टसिद्धाणं ति 3 / ताव ठिती जहा पराणवणाए तहा भाणियव्वा 4 // सू० 53 // पुरिसे णं भंते ! पुरिसे त्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सागरोवमसतपुहुत्तं सातिरेगं 1 / तिरिवखजोणियपुरिसे णं भंते ! कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिन्नि पलियोवमाइं पुव्वकोडि-पुहुत्तमभहियाई, एवं तं चेव 2 / संचिट्टणा जहा इस्थीणं जाव खहयर-तिरिक्खजोणियपुरिसस्स संचिट्टणा 3 / मणुस्सपुरिसाणं भंते ! कालतो केचिरं होइ ?, गोयमा ! खेत्तं पडुच जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिनि पलियोबमाई पुषकोडिपुहृतमभहियाई, धम्मचरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी 4 / एवं सव्वत्थ जाव पुनविदेहयवरविदेह, अकम्मभूमगमणुम्पपुरिसाण जहा अकम्मभूमक Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 212 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विमागः मणुस्सित्थीणं जाव अंतरदीवगाणं जच्चेव ठिती सच्चेव संचिट्टणा जाव सबट्ठसिद्धगाणं 5 // सू० 54 // पुरिसस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं वणस्ततिकालो 1 / तिरिक्खजोणियपुरिसाणं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो, एवं जाव खहयरतिरिक्खजोणियपुरिसाणं 2 / मणुस्सपुरिसाणं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होइ ?, गोयमा ! खेत्तं पडुच जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो, धम्मचरणं पडुच्च जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अणंतं कालं अणंतायो उस्सप्पिणीयो जाव अवठ्ठपोग्गलपरियट्ट देसूणं, कम्मभूमकाणं जाव विदेहो जाव धम्मचरणे एक्को समत्रो सेसं जहित्थीणं जाव अंतरदीवकाणं 3 / देवपुरिसाणं जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं वणस्सतिकालो, भवणवासिदेवपुरिसाणं ताव जाव सहस्सारो, जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो 4 / श्राणतदेवपुरिसाणं भंते ! केवतियं कालं अंतर होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं वासपुहृत्तं उकोसेणं वणस्सतिकालो, एवं जाव गेवेजदेवपुरिसस्सवि 5 / अणुत्तरोववातियदेवपुरिसस्स जहराणेणं वासपुहुत्तं उकोसेणं संखेजाइं सागरोवमाई साइरेगाइं 6 // सू० 55 // अप्पाबहुयाणि जहेवित्थीणं जाव एतेसि णं भंते ! देवपुरिसाणं भवणवासीणं वाणमंतराणं जोतिसियाणं वेमाणियाण य कतेरे२हिंतो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सम्वत्थोवा वेमाणियदेवपुरिसा भवणवइदेवपुरिसा असंखेजगुणा दाणमंतरदेवपुरिसा असंखेजगुणा जोतिसिया देवपुरिसा संखेजगुणा 1 / एतेसि णं भंते! तिरिक्खजोणियपुरिसाणं जलयराणं थलयराणं खहयराणं मरणुस्सपुरिसाणं कम्मभूमकाणं अकम्मभूमकाणं अंतरदिवगाणं देवपुरिसाणं भवणवासीणं वाणमंतराणं जोइसियाणं वेमाणियाणं सोधम्माणं जाव सव्वट्ठसिद्धगाण य कतरेशहितो अप्पा वा बहुगा वा जाव विसेसाहिया वा ?, Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: प्रतिपत्तिः 2 ] [ 213 गोयमा ! सव्वत्थोवा अंतरदीवगमणुस्सपुरिसा देवकुरूत्तरकुरु-कम्मभूमगमणुस्सपुरिसा दोवि संखेजगुणा हरिवासरम्मगवास-अकम्मभूमग-मणुस्सपुरिसा दोवि संखेजगुणा हेमवतहेरगणवतवास-कम्मभूमग-मणुस्सपुरिसा दोवि संखिजगुणा भरहेरवतवासकम्मभूमगमणुस्सपरिसा दोवि संखेजगुणा पुव्वविदेहअवरविदेहकम्मभूमगमणुस्सपुरिसा दोवि संखेज्जगुणा अणुत्तरोववातियदेवपुरिसा असंखिजगुणा उवरिमगेविजदेवपुरिसा संखेजगुणा मझिमगेविजदेवपुरिसा संखेनगुणा हेट्ठिमगेविजदेवपुरिसा संखेजगुणा अच्चुयकप्पे देवपुरिसा संखेजगुणा, जाव आणतकप्पे देवपुरिसा संखेजगुणा सहस्सारे कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा महासुक्के कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा जाव माहिदे कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा सणंकुमारकप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा ईसाणकप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा सोधम्मे कप्पे देवपुरिसा संखेजगुणा भवणवासिदेवपुरिसा असंखेजगुणा खहयरतिरिक्खजोणियपुरिमा असंखेजगुणा थलयरतिरिक्खजोणियपुरिसा संखेजगुणा जलयरतिरिक्ख जोणियपुरिसा असंखेजगुणा वाणमंतरदेवपुरिसा संखेजगुणा, जोतिसियदेवपुरिसा संखेजगुणा // सू० 56 // पुरिसवेदस्त णं भंते ! कम्मस्स केवतियं कालं बंधट्टिती परणत्ता ?, गोयमा ! जहरणेणं अट्ठ संवच्छराणि, उक्कोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीयो, दसवाससयाई अबाहा, अवाहूणिया कम्मठिती कम्मणिसेयो 1 / पुरिसवेदे णं भंते ! किंपकारे पराणत्ते ?, गोयमा ! वणदवग्गिजालसमाणे पराणत्ते, सेतं पुरिसा 2 ॥सू० 57 // से किं तं णसका ?, णपुंसका तिविहा पराणात्ता, तंजहा-नेरइयनपुंसका तिरिक्खजोणियनपुसका मणुस्स. जोणियणपुंसका 1 / से किं तं नेरइयनपुंसका ?, नेरइयनपुसका सत्तविधा पराणता, तंजहा-रयणप्पभापुढविनेरइयनपुंसका सकरप्पभापुढविनेरइयणपुंसका जाव अधेसत्तमपुढविनेरइयनपुंसका, से तं नेरइयनपुंसका 2 / से किं Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 214 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः तं तिरिक्खजोणियणपुसका ?, 2 पंचविधा पराणत्ता, तंजहा-एगिदियतिरिक्खजोणियनपुसका, बेइंदियतिरिक्खजोणियनपुंसका तेइंदियतिरिक्खजोणियनपुंसका चउरिदियतिरिक्खजोणियनपुसका पंचेंदियतिरिक्खजोणियणपुंसका 3 / से किं तं एगिदियतिरिक्खजोणियनपुसका ?, 2 पञ्चविधा पराणत्ता, तंजहा-पुढविकाइया अाउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणस्सइकाइया, से तं एगिदियतिरिक्खजोणियणपुसका 4 / से किं तं बेइंदियतिरिक्खजोणियणपुंसका ?, 2 अणेगविधा पराणत्ता, तंजहा-पुला किमिया, से तं बेइंदियतिरिक्खजोणिया, एवं तेइंदियावि, चउरिंदियावि ५।से किं तं पंचेंदियतिरिक्खजोणियणपुंसका ?, 2 तिविधा पराणत्ता, तंजहा-जलयरा थलयरा खहयरा 6 / से किं तं जलयरा?, 2 सोचेर पुव्वुत्तभेदो यासालियवजितो भाणियब्बो, से तं पंचेंदियतिरिक्खजोणियणपुंसका 7 / से किं तं मणुस्सनपुसका ?, 2 तिविधा पराणत्ता, तंजहा-कम्मभूमगा अकम्मभूमगा अंतरदीवका, भेदो भाणियव्यो 8 // सू० 58 // णपुंसकरस णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई 1 / नेरइयनपुंसगस्स णं भंते ! केवं. तियं कालं ठिती पराणता ?, गोयमा ! जहराणेणं दसवाससहस्साई. उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई, सव्वेसिं ठिती भाणियव्वा जाव अधेसत्तमापुढविनेरइया 2 / तिरिक्खजोणियणपुंसकत्स णं भंते ! केवइयं कालं ठिती पन्नत्ता, गोयमा ! जहगणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पुनकोडी 3 / एगिदिय-तिरिक्खजोणिय-णापुसकस्स पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं वास सहस्साई 4 / पुढविकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणियणपुंसकरस णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई, सव्वेसि एगिदियणपुसकाणं ठिती भाणियब्बा, बेइंदियतेइंदियचरिदियणपुसकाणं ठिती भाणितव्या 5 / पंचिंदिय Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / प्रतिपत्तिः 2 ] [215 तिरिक्खजोणिय-णापुसकस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणता ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी, एवं जलयर-तिरिक्खचउप्पद-थलयर-उरगपरिसप्प-भुयगपरिसप्प-खहयरतिरिक्खजोणियणपुंसकस्स सव्वेसिं जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी 6 / मणुस्सणपुंसकस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा / खेत्तं पडुच्च जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पुवकोडी, धम्मचरणं पडुच्च जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं देसूणा पुवकोडी 7 / कम्मभूमग-भरहेरवय-पुव्वविदेह-अवरविदेह-मणुस्स-णपुंसकस्सवि तहेव 8 / अकम्भभूमग-मणुस्सणपुंसकस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जम्मणं पडुच्च जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं साहरणं पडुच्च जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी, एवं जाव अंतरदीवकाणं 1 / णसए णं भंते ! णसए त्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समय उकोसेणं तरुकालो 10 / णेरइयणपुसए णं भंते ! 2 गोयमा! जहराणेणं दस वाससहस्साइं उकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं, एवं पुढवीए ठिती भाणियव्वा 11 / तिरिक्खजोणियणपुंसए णं भंते ! 2 ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुतं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो, एवं एगिदियणपुंसकस्स, वणस्सतिकाइयस्सवि एवमेव,सेसाणं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखिज्ज कालं असंखेजायो उस्सप्पिणियोसप्पिणीयो कालतो, खेत्तयो संखेजा लोया 12 / बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिंदियनपुंसकाण य जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेज्जं कालं 13 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियगोपुसए णं भंते !?, गोयमा ! जहराणेण अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडिपुहुत्तं 14 / एवं जलयरतिरिक्खचउप्पद-थलचर-उरगपरिसप्प-भुयगपरिसप्प-महोरगाणवि 15 / मणुस्सणपुंसकस्स णं भंते ! खेत्तं पडुच्च जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडिपुहुत्तं, धम्मचरणं पडुच्च जहरणेणं एक्कं समयं उकोसेणं Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 216 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः देसूणा पुव्वकोडी 16 / एवं कम्मभूमग-भरहेरवय-पुव्वविदेह-अवरविदेहेसुवि भाणियव्वं 17 / अकम्मभूमक-मणुस्सणपुसए णं भंते / जम्मणं पडुच्च जहराणेणं अंतोमुहुत्तै उक्कोसेणं मुहुत्तपुडुत्तं, साहरणं पडुच्च जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुर्वकोडी 18 / एवं सव्वेसिं जाव अंतरदीव. गाणं 11 / णपुसकस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतर होइ ?, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं सागरोवमसयपुहुत्तं सातिरेग 20 / णेरइय•णपुंसकस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं - अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तरुकालो, रयणप्पभा-पुढवी-नेरइयणपुसकरस जहराणेणं अंतोमुहुर्त उक्कोसेणं तरुकालो, .एवं सव्वेसिं जाव अधेसत्तमा 21 / तिरिक्खजोणियणपुसकस्स जहराणणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहुत्तं सातिरेगं 22 / एगिदिय-तिरिक्खजोणियणपुसकस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साई संखेजवासमभहियाई 23 / : पुढविवाउतेउवाऊणं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सइकालो 24 / वणसंतिकाइयाणं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखेनं कालं जाव ' असंखेजा लोया, सेसाणं बेइंदियादीणं जाव खहयराणं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं वणस्सतिकालो 25 / मणुस्सणपुंसकस्स खेतं पडुच्च जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो, धम्मचरणं पडुच्च जहराणेणं एगं समयं उक्कोसेणं अणंतं कालं जाव अवड्डपोग्गल-परियट्ट देसूणं, एवं कम्मभूमकस्सवि भरतेरवतस्स पुव्वविदेह-अवरविदेहकस्सवि 26 / अकम्मभूमकमणुस्सणपुंसकस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतर होइ ?, जम्मणं पडुच जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकासेणं वणस्मतिकालो, संहरणं पडुच्च जह. राणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो एवं जाव अंतरदीवगति 21 // सू०५१ // एतेसि णं भंते ! णेरइयणपुसकाणं तिरिक्खजोणियनपुंसकाणं मणुस्सणघुसकाण य कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा ?, Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / प्रतिपत्ति 2 ] [ 217 गोयमा ! सव्वत्थोवा मणुस्सणपुंसका नेरइयनपुंसगा असंखेजगुणा तिरिक्खजोणिय-णपुसका अणंतगुणा 1 / एतेसि णं भंते ! रयणप्पहापुढवि-णेरइयणपुंसकाणं जाव अहेसत्तमपुढविणेरइयणपुंसकाण य कयरे 2 हिंतो जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा आहेसत्तमपुढवि-ओरइयणपुसका छ?पुढवि णेरड्यणपुसका असंखेजगुणा जाव दोच्चपुढवि-णेरइयणपुंसका असंखेजगुणा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयणपुसका थसंखेजगुणा 2 / एतेसि णं भंते ! तिरिक्खजोणिय-णपुंसकाणं एगिदियतिरिक्खजोणियं-णपुसकाणं पुढविकाइय जाव वणस्सतिकाइय-एगिदियतिरिक्खजोणियणपुसकाणं बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदिय-पंचेंदिय-तिरिवखजो. णिय-गापुसकाणं जलयराणं थलयराणं खहयराण य कतरे हितो जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा खहयर-तिरिक्खजोणिय-णपुंसका, थलयर-तिरिक्खजोणिय-नपुसका संखेजगुणा जलयरतिरिक्खजोणियनपुसका संखेजगुणा चतुरिंदियतिरिवखजोणिय-णापुसका विसेसाहिया तेइंदियतिरिक्खजोणिय-णपुसका विसेसाहिया बेइंदियतिरिक्खजोणिय-णपुसका विसेसाहिया तेउकाइप-एगिदियतिरिक्खा असंखेजगुणा पुढविकाइय-एगिदियतिरिक्खजोणिया विसेसाहिया, एवं ग्राउवाउ-वणस्सतिकाइय-एगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसका अणंतगुणा 3 / एतेसि णं भंते ! मणुस्सणपुंसकाणं कम्मभूमिणपुसकाणं अकम्मभूमिणपुसकाणं अंतरदीवकाण य कतरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा अंतरदीवग-अकम्मभूमग-मणुस्तणपुंसका देवकुरु उत्तरकुरु-अकम्मभूमगा दोवि संखेजगुणा एवं जाब पुब्वविदेह-अवरविदेहकम्मभूमगा दोवि संखेजगुणा 4 / एतेसि णं भंते ! णेरइयणपुसकाणं रयणप्पभापुढवि-नेरइय-नपुसकाणं जाव अधेसत्तमायुढविनेरइय-णपुंसकाणं तिरिक्खजोणियणपुसकाणं एगिदिय-तिरिवखजोणियाणं पुढविकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणियणपुंसकाणं जाव वणस्सतिकाइय 28 Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 218 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु : पञ्चमो विभागः एगिदियतिरिक्खजोणियणपुसकाणं बेइंदियतेइंदिय-चतुरिंदिय-पंचिंदिय-तिरिक्ख-जोणियणपुसकाणं जलयराणं थलयराणं खहयराणं मणुस्सणपुंसकाणं कम्मभूमिकाणं अकम्मभूमिकाणं अंतरदीवकाण य कतरे 2 हितो अप्पा 4, गोयमा ! सब्वत्थोवा अधेसत्तम-पुढवि-णेरइयणपुंसका छट्टपुढविनेरइयनपुंसका असंखेजगुणा जाव दोच्चपुढवि-ोरइयणपुसका असंखेजगुणा अंतरदीवगमणुस्सणपुसका असंखेजगुणा, देवकुरु-उत्तरकुरु-कम्मभूमिकमणुस्सणपुसका दोवि संखेजगुणा जाव पुव्वविदेह-अवरविदेह कम्मभूमगमणुस्सणपुसका दोवि संखेजगुणा, रयणप्पभापुढवि गोरइयणपुंसका असंखेजगुणा खहयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियनपुंसका असंखेजगुणा थलयर-पंचेंदियतिरिक्खजोणिय-गापुंसका संखिजगुणा जलयर-पंचेंदियतिरिवखजोणिय-णपुसका संखिजगुणा चतुरिंदियतिरिक्खजोणियणपुसका विसेसाहिया तेइंदिय-तिरिक्खजोणिय-गापुसका विसेसाहिया वेइंदिय-तिरिक्खजोणिय-णपुसका विसेसाहिया तेउकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिय-णपुसका असंखेजगुणा पुढविकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिय-णपुंसका विसेसाहिया श्राउकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणियपुसका विसेसाहिया वाउकाइयएगिदिय-तिरिक्खजोणिय-णपुंसका विसेसाहिया वणस्सइकाइय-एगिदियतिरिक्खजोणियणपुसका अणंतगुणा॥सू. ६०॥णपुसकवेदस्स गां भंते! कम्मस्स केवइयं कालं बंधठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहणणेणं सागरोवमस्स दोनि सत्तभागा पलिग्रोवमस्स असंखेजतिभागेण ऊणगा उकोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीयो, दोरिण य वामसहस्साइं अबाधा, अवाहूणिया कम्मठिती कम्मणिसेगो 1 / णपुंसकवेदे णं भंते ! किंपगारे पराणते ?, गोयमा ! मेहाणगरदाहसमाणे पराणत्ते समणाउसो !, से तं णपुसका 2 // सू०.६१ / / एतेसि णं भंते ! इत्थीणं पुरिसाणं नपुसकाण य कतरे२हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सम्बत्थोवा पुरिसा इत्थीयो संखिजगुणा णपुंसका Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: प्रतिपतिः 2 ) [ 216 अणंतगुणा 1 / एतेसि णं भंते ! तिरिक्खजोणिइत्थीणं तिरिक्खजोणियपुरिसाणं तिरिक्खजोणियणपुसकाण य कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा तिरिक्खजोणियपुरिसा तिरिक्खजोणियइत्थीयो असंखेजगुणा तिरिक्खजोणियणपुंसगा अणंतगुणा 2 / एतेसि णं भंते ! मणुस्सित्यीणं मणुस्सपुरिसाणं मणुस्सणपुसकाण य कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा मणुरसपुरिसा मणुस्सित्थीयो संखेजगुणा मणुस्सणपुंसका असंखेजगुणा 3 / एतेसि णं भंते ! देविस्थीणं देवपुरिसाणं णेरइयणपुंसकाण य कयरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्योवा णेरइयणपुंसका देवपुरिसा असंखेजगुणा देवित्थीयो संखेजगुणात्रो '4 / एतेसि णं भंते ! तिरिक्खजोणित्थीणं तिरिवखजोणियपुरिसाणं तिरिक्खजोणियणपुसकाणं मणुस्सित्थीणं मणुरसपुरिसाणं मणुस्सनपुंसकाणं देवित्थीणं देवपुरिसाणं णेरइयणपुसकाण य कतरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा मणुस्सपुरिसा मणुस्सिस्थीयो संखेजगुणा मणुस्मणपुंसका असंखेजगुणा रइयणपुसका असंखेजगुणा तिरिक्खजोणियपुरिसा असंखेजगुणा तिरिक्खजोणित्थियायो संखेजगुणा देवपुरिसा असंखेजगुणा देवित्थियायो संखिजगुणा तिरिवखजोणियणपुंसका अणंतगुणा 5 / एतेसि ण भंते ! तिरिक्खजोणिस्थीणं जलयरीणं थलयरीणं खहयराणं तिरिक्खजोणियपुरिसाणं जलयराणं थलयराणं खहयराणं तिरिक्खजोणिय-णपुसकाणं एगिदिय-तिरिवखजोणियणपुंसकाणं पुढविकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिय-णपुसकाणं जाव वणस्सतिकाइयतिरिवखजोणिय-णपुसकाणं बेइंदियतिरिक्खजोणिणपुसकाणं तेइंदियतिरिक्खजोणिय-णपुसकाणं चरिंदियतिरिक्खजोणियणपुसकाणं पंचेंदियतिरिक्खजोणियणपुसकाणं जलयराणं थलयराणं खहयराणं कतरे 2 हितो जाव विसेसाहिया वा ?; गोयमा ! सव्वत्थोवा Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 220 ] [ श्रोमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागा खहयर-तिरिक्खजोणियपुरिसा खहयर-तिरिक्खजोणित्थियाश्रो संखेजगुणा थलयर-पंचिंदिय-तिरिवखजोणियपुरिसा संखेजगुणा थलयरपंचिदियतिरि. क्खजोणित्थियात्रो संखेजगुणा जलयरतिरिक्खजोणियपुरिसा संखिजगुणा जलयरतिरिक्खजोणित्थीयायो संखेजगुणा खहयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणियणपुसका असंखेजगुणा थलयर-पंत्रिंदिय-तिरिक्खजोणियनपुंसगा संखिजगुणा जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियनपुंसका संखेजगुणा चरिंदियतिरिक्खजोणिय-गपुसका विसेसाहिया तेइंदियणपुसका विसेसाहिया बेइंदियनपुसका विसेसाहिया तेउक्काइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणियणपुंसका असंखेजगुणा पुढविकाइय-तिरिक्खजोणियणपुंसका विसेसाहिया आउकाइयतिरिक्खजोणिय–णपुसका विसेसाहिया वाउकाइयतिरिक्खजोणिय-णपुसका विसेसाहिया . वणप्फतिकाइयतिरिक्खजोणिय-णपुंसका एगिदियणपुसका अणंतगुणा 6 / एतेसि णं भंते ! मणुस्सित्थीणं कम्मभूमियाणं अकम्मभूमगाणं अंतरदीवयाणं मणुस्सपुरिसाणं कम्मभूमकाणं अकम्मभूमकाणं अंतरदीवकाणं मणुस्सणपुसकाणं कम्मभूमाणं अकम्मभूमाणं अंतरदीवकाण य कयरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! अंतरदीवगा मणुस्सित्थियात्रो मणुस्सपुरिसा य एते णं दुन्नि य तुल्लावि सव्वत्थोवा देवकुरु-उत्तरकुरुअकम्मभूमग-मणुस्सित्थियायो मणुस्सपुरिसा एते णं दोनिवि तुल्ला संखेजगुणा हरिवास-रम्मग-वास-कम्मभूमक-मणुस्सित्थियाउ मगुस्सपुरिसा य एते णं दोनिवि तुला संखेजगुणा हेमवत-हेरराणवत-अकम्मभूमक-मणुस्सित्थियात्रो मणुस्सपुरिसा य दोवि तुल्ला संखेजगुणा भरहेरवत-कम्मभूमगमणुस्सपुरिसा दोवि संखेजगुणा भरहेरखत-कम्ममणुस्सित्थियात्रों दोवि संखेजगुणा 7 / पुव्वविदेह-अवरविदेह-कम्मभूमगमणुस्सपुरिसा पुव्वविदेहअवरविदेह-कम्मभूमग-मणुस्सित्थियात्रो दोवि संखेजगुणा 8 / अंतरदीवग. Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: प्रतिपत्तिः 2 ] [ 221 मणुस्सणपुसका असंखेजगुणा देवकुरु-उत्तरकुरु-कम्मभूमक-मणुस्सणपुंसका दोवि संखेजगुणा, एवं तहेव जाव पुव(पुवावर)विदेह-कम्मभूमक-मणुस्सणपुंसका दोवि संखेजगुणा 1 / एतासि णं भंते ! देविस्थीणं भवणवासीणीणं वाणमंतरीणीणं जोइसिणीणं वेमाणिणीणं देवपुरिसाणं भवणवासिणं जाव वेमाणियाणं सोधम्मकाणं जाव गेवेजकाणं अणुत्तरोववातियाणं गेरइयणपुसकाणं रयणप्पभापुढवि-णेरइयणपुंसगाणं जाव अहेसत्तमपुढविनेरइयणपुंसगाणं कतरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा अणुत्तरोववातियदेवपुरिसा उवरिमगेवेजदेवपुरिसा संखेजगुणा तं चेव जाव श्राणते कप्पे देवपुरिसा संखेजगुणा, अहेसत्तमाए पुढवीए णेरड्यणपुंसका असंखेजगुणा, छट्ठीए पुढवीए नेरइयणपुसका असंखेजगुणा सहस्सारे कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा महासुक्के कप्पे देवा असंखेजगुणा पंचमाए पुढवीए नेरइयणपुसका असंखेजगुणा लंतए कप्पे देवा असंखेजगुणा चउत्थीए, पुढवीए नेरइया असंखेजगुणा बंभलोए कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा तच्चाए पुढवीए नेरइयणपुंसका असंखेजगुणा माहिंदे कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा सणकुमारकप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा दोच्चाए पुढवीए नेरइया असंखेनगुणा, इसाणे कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा / ईसाणे कप्पे देवित्थियात्रो संखेजगुणायो, सोधम्मे(कप्पे)देवपुरिसा संखे- / जगुणा सोधम्मे कप्पे देवित्थियायो संखेनगुणा भवणवासिदेवपुरिसा असंखेनगुणा भवणवासिदेवित्थियायो संखेजगुणाश्रो इमीसे रयणप्पभापुढवीए नेरइया असंखेजगुणा वाणमंतरदेवपुरिसा असंखेजगुणा वाणमंतर. देवित्थियात्रों संखेजगुणायो जोतिसियदेवपुरिसा संखेजगुणा जोतिसियदेवित्थियात्रो संखेजगुणा 10 / एतासि णं भंते ! तिरिवखजोणित्थीणं जलयरीणं थलयरीणं खहयरीणं तिरिक्खजोणियपुरिसाणं जलयराणं थलयराणं खहयराणं तिरिक्खजोणियणपुसकाणं एगिदियतिरिक्खजोणिय Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 222 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागो णपुंसकाणं पुढविकाइयएगिदियतिरिक्ख-जोणिय-गापुसकाणं श्राउकाइयएगिदियतिरिक्ख-जोणिय-णपुसकाणं जाव वणस्सतिकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसकाणं बेइंदियतिरिक्खजोणियणपुंसकाणं तेइंदियतिरिक्खजोणियणपुंसकाणं चउरिदियतिरिक्खजोणियनपुसकाणं पंचेंदियतिरिक्ख-जोणियणपुंसकाणं जलयराणं थलयराणं खहयराणं मणुस्सित्थीणं कम्मभूमियाणं अकम्मभूमियाणं अंतरदीवियाणं मणुस्सपुरिसाणं कम्मभूमयाणं अकम्मभूमयाणं अंतरदीवयाणं मणुस्सणपुसकाणं कम्मभूमिकाणं अकम्मभूमिकाणं अंतरदीवकाणं देविस्थीणं भवणवासिणीणं वाणमंतरीणीणं जोतिसिणीणं वेमाणिणीणं देवपुरिसाणं भवणवासिणीणं वाणमंतराणं जोतिसियाणं वेमाणियाणं सोधम्मकाणं जाव गेवेजका अणुत्तरोववातियाणं नेरइयणपुंसकाणं रयणप्पभापुढविनेरइयनपुसकाणं जाव अहेसत्तमपुढविणेरइयणघुसकाण य कयरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! अंतरदीव-अकम्मभूमक-मणुस्सित्थीयो मणुस्सपुरिसा य, एते णं दोवि तुल्ला सव्वत्थोवा, देवकुरु-उत्तरकुरु-अकम्मभूमग-मणुस्सइत्थीश्रो पुरिसा य एते णं दोवि तुला संखेजगुणा, एवं हरिवासरम्मगवास-कम्मभूमग-मणुस्सइत्थीयो पुरिसा यं, एवं हेमवत हेरगणवय-भरहेरवय-कम्मभूमग-मणुस्सपुरिसा दोवि संखेजगुणा भरहेरवतकम्मभूमग-मणुस्सित्थीयो दोवि संखेजगुणा पुव्वविदेह-अवरविदेह-कम्मभूमक-मणुस्सपुरिसा दोवि संखेजगुणा पुव्वविदेहअवरविदेह-कम्मभूमग-मणुस्सित्थियायो दोवि संखेजगुणा अणुत्तरोववातियदेवपुरिसा असंखेजगुणा उवरिमगेवेजा देवपुरिसा संखेजगुणा जाव आणते कप्पे देवपुरिसा सखेजगुणा अधेसत्तमाए पुढवीए नेरइयणपुंसका असंखेजगुणा छट्ठीए पुढवीए नेरइयनपुसका असंखेजगुणा सहस्सारे कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा महासुक्के कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा पंचमाए पुढवीए नेरइयनपुंसका असंखेजगुणा लंतए कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / / प्रातपत्तिः 2 / [ 223 चउत्थीए पुढवीए नेरइयनपुंसका असंखेजगुणा बंभलोए कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा तचाए पुढवीए नेरइयणपुंसका असंखेजगुणा माहिदे कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा सणंकुमारे कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा दोचाए पुढवीए नेरइयनपुंसका असंखेज्जगुणा अंतरदीवग-अकम्मभूमग-मणुस्सणपुंसका असंखेजगुणा देवकुरु-उत्तरकुरु-कम्मभूमग-मगुस्सणसका दोवि संखेजगुणा एवं जाव विदेहत्ति, ईसाणे कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा ईसागकप्पे देवित्थियायो संखेजगुणा सोधम्मे कप्पे देवपुरिसा संखेजगुणा सोहम्मे कप्पे देवित्थियायो संखेजगुणा भवणवासिदेवपुरिसा असंखेजगुणा भवणवासिदेवित्थियायो संखिजगुणायो इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइयणपुसका असंखेजगुणा खहयरतिरिक्खजोणियपुरिसा संखेजगुणा खहयरतिरिक्खजोणित्थियायो संखेजगुणा थलयतिरिक्खजोणियपुरिसा संखेजगुणा थलयरतिरिक्ख जोणित्थियायो संखेजगुणा जलयरतिरिक्खपुरिसा संखेजगुणा जलयरतिरिक्खजोणित्थियाउ संखेजगुणा, वाणमंतरदेवपुरिसा संखेजगुणा वाणमंतरदेवित्थियात्रो संखेजगुणा जोतिसियदेवपुरिसा संखेजगुणा जोतिसियदेवित्थियागो संखेजगुणा खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियणपुमा संखेजगुणा थलयरणपुसका संखेजगुणा जलयरणपुंसका संखेजगुणा चतुरिदियणपुंसका विसेसाहिया तेइंदियणपुंसका विसेसाहिया बेईदियणपुसका विसेसाहिया तेउकाइय-एगिदिय-तिरिवखजोणियणपुसका असंखेजगुणा पुढवीएगिदियतिरिक्खजोणिय-पुसका विसेसाहिया श्राऊएगिदियतिरिक्खजोणिय णपुसका विससाहिया वाऊएगिदियतिरिक्खजोणिय-णपुसका विसेसाहिया वणप्फतिकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुसका अणंतगुणा 11 // सू० 62 // इत्थीणं भंते ! . केवइयं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! एगेणं श्राएसेणं जहा पुबि भणियं 1 / एवं पुरिसस्मवि नपुसकस्सवि, संचिट्ठणा Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 220 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः पुनरवि तिराहपि जहापुचि भणिया, अंतरंपि तिराहंपि जहापुब्बिं भणियं तहा नेयव्वं 2 // सू० 63 // तिरिक्खजोणित्थियायो तिरिक्खजोणियपुरिसेहितो तिगुणाउ तिरूवाधियायो मणुस्सित्थियागो मणुस्सपुरिसेहितो सत्तावीसतिगुणात्री सत्तायीसयरूवाहियात्रो देवित्थियात्रो देवपुरिसेहितो बत्तीसइगुणायो बत्तीसइख्वाहियायो सेत्तं तिविधा संसारसमावराणगा जीवा पराणत्ता 1 / तिविहेसु होइ भेयो ठिई य संचिट्ठणंतरऽप्पबहुं / वेदाण य बंधठिई वेश्रो तह किंपगारो उ // 1 // से तं तिविहा संसारममावन्नगा जीवा पराणत्ता // सू०६४॥ तिविह-पडिवत्ती समत्ता // // इति द्वितीया प्रतिपत्तिः // 2 // ॥अथ चतुर्विधाख्य-तृतीय-प्रतिपत्तौ नैरयिकाख्य-प्रथमोद्देशकः॥ तत्थ जे ते एवमाहंसु चउविधा संसारसमावरणगा जीवा पराणत्ता ते एवमाहंसु, तंजहा-नेरइया तिरिक्खजोणिया मणुस्सा देवा // सू० 65 // से किं तं नेरझ्या ?, 2 सत्तविधा पराणत्ता, तंजहा-पढमापुढविनेरइया दोचापुढविनेरइया तचापुढविनेरइया चउत्थापुढवीनेरइया पंचमापुढविनेरइया छट्टापुढविनेरइया सत्तमापुढविनेरइया / सू० 66 // पढमा णं भंते ! पुढवी किनामा. किंगोत्ता पराणत्ता ?, गोयमा ! णामेणं घम्मा गोत्तेणं रयणप्पभा 1 / दोचा णं भंते ! पुढवी किंनामा किंगोत्ता पराणत्ता ?, गोयमा ! णामेणं वंसा गोत्तेणं सक्करप्पभा 2 / एवं एतेणं अभिलावेणं सव्वासि पुच्छा, णामाणि इमाणि से लातव्वा(णि), (सेला तईया) अंजणा चउत्थी रिट्ठा पंचमी मघा छट्ठी माघवती सत्तमी, (जाव) तमतमागोत्तेणं पराणत्ता 3 ( घम्मा वंसा सेला अंजण रिट्ठा मघा य माघवती। सत्तराहं पुढवीणं एए नामा उ नायव्वा // 1 // रयणा सक्कर वालुय पंका धूमा तमा य तमतमा य। सत्तरहं पुढवीणं एए गोत्ता मुणेयव्वा // 2 // Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ A), श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् : द्वितीया प्रतिपत्तिः ] [ 225 ॥सू० 67 // इमा णं भंते ! रयणप्पभापुढवी केवतिया बाहल्लेणं पराणत्ता?, गोयमा ! इमा णं रयणप्पभापुढवी असिउत्तरं जोयणसयसहस्सं बाहल्लेणं .परणत्ता, एवं एतेणं अभिलावेणं इमा गाहा अणुगंतव्वा-यासोनं बत्तीसं अट्ठावीसं तहेब वीसं च / अट्ठारस सोलसगं श्रद्रुत्तरमेव हिटिमिया // 1 // // सू० 68 // इमाणं भंते ! रयणप्पभापुढवी कतिविधा पण्णत्ता ?, गोयमा ! तिविहा पराणत्ता, तंजहा-खरकंडे पंकबहुले कंडे श्रावबहुले कंडे 1 / इमीसे णं भंते! रयणप्पभापुढवी खरकंडे कतिविधे पराणत्ते गोयमा! सोलसविधे पराणत्ते, तंजहा-रयणकंडे 1 वइरे 2 वेरुलिए 3 लोहितक्खे 4 मसारगल्ले 5 हंसगब्भे 6 पुलए 7 सोयंधिए 8 जोतिरसे, 1 अंजणे 10 अंजणपुलए 11 रयते 12 जातरूवे 13 अंके 14 फलिहे 15 रितु 16 कंडे 2 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभापुवीए रयणकड़े कतिविधे पराणते ?, गोयमा ! एगागारे पराणत्ते, एवं जाव रिट्ठ 3 / इमीसे णं भंते! रयणप्पभापुढवीए पंकबहुले कंडे कतिविधे पराणत्ते ?, गोयमा ! एकागारे परागते 4 / एवं श्रावबहुले कंडे कतिविधे पराणत्ते ?, गोयमा ! एकागारे परणत्ते 5 / सकरप्पभाए णं भंते ! पुढवी कतिविधा पराणत्ता ?, गोयमा ! . एकागारा पराणत्ता, एवं जाव अहेसत्तमा 6 // सू०६१ // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए केवइया निरयावास-सयसहस्सा पराणत्ता ?, गोयमा ! तीसं णिरयावाससयसहस्सा परणत्ता 1 / एवं एते अभिलावेणं सव्वासिं पुच्छा 2 / इमा गाहा अणुगंतव्वा-तीसा य पराणवीसा पराणरस दसेव तिगिण य हवंति / पंचूणसयसहस्सं पंचेव अणुत्तरा णरगा // 1 // जाव अहेसत्तमाए पंच अणुत्तरा महतिमहालया महाणरगा पराणत्ता, तंजहाकाले महाकाले रोरुए महारोरुए अपतिट्ठाणे 3 // सू० 70 // श्रथि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे घणोदधीति वा घणवातेति वा तणुवातेति वा श्रीवासंतरेति वा ?, हंता यत्थि, एवं जाव अहे सत्तमाए Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 226 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः // सू० 71 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए खरकंडे केवतियं बाहल्लेणं पराणत्ते ?, गोयमा ! सोलस जोयणसहस्साई बाहल्लेणं पन्नत्ते 1 / इमोसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए रयणकंडे केवतियं बाहल्लेणं. पन्नत्ते ?, गोयमा ! एक्कं जोयणसहस्सं बाहल्लेणं परणत्ते, एवं जाव रिट्टे 2 / इमोसे णं भंते / रयणप्पभाए पुढवीए पंक.बहुले कंडे केवतियं बाहल्लेणं पन्नत्ते ?, गोयमा ! चतुरसीतिजोयणसहस्साई बाहल्लेणं पराणत्ते 3 / इमीसे णं भंते / रयणप्पभाए पुढवीए श्रावबहुले कंडे केवतियं बाहल्लेणं पन्नत्ते ?, गोयमा ! असीतिजोयणसहस्साई बाहल्लेणं पन्नत्ते 4 / इमीसे णं भंते ! . रयणप्पभाए पुढवीए घणोदही केवतियं बाहरूलेणं पन्नत्ते ?, गोयमा ! वीसं जोयणसहस्साई बाहल्लेणं पराणत्ते 5 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए घणवाए केवतियं बाहल्लेणं पन्नत्ते ?, गोयमा ! असंखेंजाइं जोयणसहस्साई बाहल्लेणं पराणत्ते, एवं तणुवातेऽवि ओवासंतरेऽवि 6 / सक्कर. प्पभाए णं भंते ! पुढवीए घणोदही केवतियं बाहल्लेग पराणत्ते ?, गोयमा ! वीसंजोयणसहस्साई बाहल्लेणं पराणते सकरप्पभाए णं भंते! पुढवीए घणनाते केवइए बाहल्लेणं पराणते ?, गोयमा ! असंखेजाई जोयणसहस्साई बाह. ल्लेणं पराणत्ते, एवं तणुवातेवि 8 / अोवासंतरेवि जहा सकरप्पभा पुढवी एवं जाव अधेसत्तमा // सू० 72 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तर-जोयण-सय-सहस्सबाहलाए खेत्तच्छेएणं छिजमाणीए अस्थि दबाई वरणतो काल-नील-लोहित-हालिह-सुकिल्लाई गंधतो सुरभिगंधाई दुन्भिगंधाइं रसतो तित्त-कडुय-कसाय-अंबिलमहुराई फासतो कक्खड-मउयगरुय-लहुसीत-उसिण-णिद्धलुक्खाई संगणतो परिमंडल-वट्ट-तंस-चउरंसश्रायय-संगणपरिणयाइं अन्नमनबद्धाई 1 / अण्णमण्णपुट्ठाई. अण्णमरणयोगाढाइं अरणमगणसिणेहपडिबद्धाई श्रगणमराणघडताए चिट्ठति ?, हंता त्यि 2 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए खरकंडस्स सोलस Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: द्वितीया प्रतिपत्तिः ] [ 227 जोयण-सहस्सबाहल्लस्स खेत्तच्छेएणं विजमाणस्स अस्थि दव्वाइं वराणयो काल जाव परिणयाई ?, हंता अत्थि 3 / इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए रयणनामगस्स कंडस्स जोयणसहस्सबाहल्लस्स खेत्तच्छेएणं बिजमाणस्स तं चेव जाव हंता अस्थि, एवं जाव रिदृस्स 4 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए पंकबहुलस्स कंडस्स चउरासीति-जोयणसहस्सबाहल्लस्स खेत्ते तं चेव, एवं श्रावबहुलस्सवि असीतिजोयणसहस्सबाहल्लस्स 5 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए घणोदधिस्स वीसं जोयणसहस्सबाहल्लस्स खेतब्छेदेण तहेव 6 / एवं वणवातस्म असंखेजजोयणसहस्सबाहल्लस्स तहेव, श्रीवासंतरस्सवि तं चेव 7 1 सकरप्पभाए णं भंते ! पुढवीए बत्तीसुत्तर-जोयणसतसहस्साहल्लाए खेत्तच्छेएण छिजमाणीए अत्थि दव्वाई ‘वगणतो जाव घडताए चिट्ठति ?, हंता अस्थि 8 / एवं घणोदहिस्स वीसजोयण-सहस्सबाहलस्स घणवातस्स असंखेज जोयण-सहस्सबाहलस्स 1 / एवं जाव थोवासंतरस्त, जहा सकरप्पभाए एवं जाव अहेसत्तमाए 10 // सू० 73 // इमा णं भंते ! रयणप्पभा पुढवी किंसंठिता पराणत्ता ?, गोयमा ! झलरिसंठिता परापत्ता 1 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए खरकंडे किंसंठित्ते पर गत्ते ?, गोयमा ! झलरिसंठिते पराणत्ते 2 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवाए रवणकंडे किंसंठिते पराणते ?, गोयमा ! झलरिसंठिए पराणत्ते 3 / एवं जाव रिटे 4 / एवं पंकबहुलेवि, एवं श्रावबहुलेवि घणोदधीवि घणवारवि तणुवाएवि ओवासंतरेवि, सव्वे झलरिसंठिते पराणते 5 / सक्करप्पभा णं भंते ! पुढवी किंसंठिता पराणत्ता ?, गोयमा ! झलरिसंठिता पण्णत्ता 6 / सकरप्पभापुढवीए घणोदधी किंसंठिते पराणत्ते ?, गोयमा ! मल्लरिसंठिते पगणत्ते, एवं जाव योवासंतरे 7 / जहा सकरप्पभाए वत्तव्वया एवं जाव अहेसत्तमाएवि 8 // सू० 74 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्लातो उवरिमंतागो केवतियं अबा Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 228 / .. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः धाए लोयंते पराणते ?, गोयमा. ! दुवालसहिं जोयणेहिं अबाधाए लोयंते पराणते, एवं दाहिणिलातो पचत्थिमिल्लातो उत्तरिलातो 3 / सकरप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्लातो चरिमंतातो केवतियं अबाधाए लोयंते पराणत्ते ?, गोयमा ! तिभागणेहिं तेरसहि जोयणेहिं अबाधाएं लोयते पराणत्ते, एवं चउदिसिपि 2 / वालुयप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्लातो पुच्छा, गोयमा ! सतिभागेहिं तेरसहिं जोयणेहिं अबाधाए लोयंते पराणत्ते, एवं चउद्दिसिंपि, एवं सब्वासिं चउसुवि दिसासु पुच्छितव्वं 3 / पंकप्पभाए पुढवीए चोदसहि जोयणेहिं अबाधाए लोयते पण्णत्ते 4 / पंचमाए तिभागणेहिं पन्नरसहिं. जोयणेहिं अबाधाए लोयंते पराणत्ते 5 / छट्टीए. सतिभागेहिं पनरसहिं जोयणेहिं अबाधाए लोयंते पराणत्ते 6 / सत्तमीए सोलसहिं जोयणेहिं अबाधाए लोयंते पराणत्ते, एवं जाव उत्तरिल्लातो 7 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए पुरस्थिमित्ले चरिमंते कतिविधे परणते ?, गोयमा ! तिविहे पराणत्ते, तंजहा-घणोदधिवलए घणवायवलए तणुवायवलए 8 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए दाहिणिल्ले. वरिमंते . कतिविधे पराणत्ते ?, गोयमा ! तिविधे पराणत्ते, तंजहा-एवं जाव उत्तरिल्ले, एवं सब्बासि जाव अधेसत्तमाए उत्तरिल्ले 1 // सू. 75 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए घणोदधिवलए केवतियं बाहल्लेणं पराणते ?, गोयमा ! छ जोयणाणि बाहल्लेणं पराणत्ते 1 / सकरप्पभाए पुढवीए घणोदधिवलए केवतियं बाहल्लेणं पराणते ?, गोयमा ! सतिभागाई छजोयणाई बाहल्लेणं पराणत्ते 2 / वालुयप्पभाए पुच्छा, गोयमा ! तिभागूणाई सत्त जोयणाई बाहल्लेणं पन्नत्ते 3 / एवं एतेणं अभिलावेणं पंकप्पभाए सत्त जोयणाई बाहल्लेणं पराणत्ते 4 / धूमप्पभाए सतिभागाइं सत्त जोयणाई पराणत्ते 5 / तमप्पभाए तिभागूणाई अट्ठ जोयणाई 6 / तमतमप्पभाए अट्ठ जोयणाई 7 / इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए घणवायवलए केवतियं बाह Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवीजीवाभिगम-सूत्रम् :: द्वितीया प्रतिपत्तिः ) [ 226 ल्लेणं पराणत्ते ?, गोयमा ! अद्भपंचमाइं जोयणाई बाहल्लेणं 8 / सकरप्पभाए पुच्छा, गोयमा ! कोसूणाई पंच जोयणाई बाहल्लेणं पराणत्ताई, एवं एतेणं अभिलावणं वालुयप्पभाए पंच जोयणाई बाहल्लेखां पराणत्ताई, पंकप्पभाए सकोसाइं पंच जोयणाई बाहल्लेणं पराणत्ताई 1 / धूमप्पभाए यद्धकट्ठाई जोयणाई बाहल्लेणं पन्नत्ताई, तमप्पभाए कोसूणाई छजोयणाई बाहल्लेणं पराणत्ते, अहेसत्तमाए छजोयणाई बाहल्लेणं पराणत्ते 10 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तणुवायवलए केवतियं बाहल्लेणं पराणत्ते ?, गोयमा ! छक्कोसेणं बाहल्लेणं पराणत्ते, एवं एतेणं अभिलावेणं सकरप्पभाए सतिभागे छकोसे बाहल्लेणं पराणत्ते 11 / वालुयप्पभाए तिभागूणे सत्तकोसं बाहल्लेणं पराणत्ते 12 / पंकप्पभाए पुढवीए सत्तकोसं बाहल्लेणं परांणत्ते 13 / धूमप्पभाए सतिभागे सत्तकोसं 14 / तमप्पभाए तिभागूणे अट्ठकोसे बाहल्लेणं पन्नत्ते 15 / अधेसत्तमाए पुढवीए अट्ठकोसे वाहल्लेणं पराणत्ते 16 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए घणोदधिवलयस्स छज्जोयणवाहलस्स खेत्तच्छेएणं छिजमाणस्स अस्थि दव्याई वरणतो काल जाव हताः अस्थि 17 / सकरप्पभाए णं भंते ! पुढवीए घणोदधिवलयस्स संतिभागबजोयणवाहलस्स खेतच्छेदेणं. छिजमाणस्स जाव हंता अत्थि, एवं जाव अधेसत्तमाएं जं जस्स बाहल्लं 18 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए घणवातवलयस्स अद्धपंचमजोयणबाहलस्स खेत्तछेदेणं छिजमाणस्स जाव हंता अस्थि, एवं जाव अहेसत्तमाए जं जस्स बाहल्लं 11 / एवं तणुवायघलयस्सवि जाव अधेसत्तमा जं जस्स बाहल्लं 20 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए घणोदधिवलए किंसंटिते पराणते ?, गोयमा ! वट्टे वलयागार-संगणसंठिते पराणत्ते 21 / जे णं इमं रयणप्पभं पुढवि सम्बतो संपरिक्खिवित्ता णं चिट्ठति, एवं जाव अधेसत्तमाए पुढवीए घमोदधिवलए, गवरं अप्पणप्पणं पुढविं संपरिक्खिवित्ता Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 230 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः णं चिट्ठति 22 ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए घणवातवलए किंसंठिते पराणते ?, गोयमा ! वट्ट वलयागारे तहेव जाव जे णं इमीसेणं रयणप्पभाए पुढवीए घणोदधिवलयं सवतो समंता संपरिक्खिवित्ता णं चिट्ठइ एवं जाव अहेसत्तमाए घणवातवलए 23 / इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए तणुवातवलए किंसंठिते. पराणत्ते ?, गोयमा ! वट्ट वलयागारसंठाणसंठिए जाव जेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणवातवलयं सव्वतो समता संपरिक्खिवित्ता णं चिट्टइ, एवं जाव अधेसत्तमाए नणुवातवलए 24 / इमा णं भते ! रयणप्पभा पुढवी केवतियायामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! असंखेजाई जोयणसहस्साई यायामविक्खंभेणं असंखेजाई जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं पराणत्ते, एवं जाव अधेसत्तमा 25 / इमा णं भंते ! रयणप्पभा पुढवी अंते य मज्झे य सव्वस्थ समा बाहल्लेणं परणता ?, हंता गोयमा ! इमा णं रयाप्पभा पुटवी अंते य मज्झे य सव्वत्थ समा बाहल्लेणं, एवं जाव अधेसत्तमा 26 // सू० 76 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए सव्वजीवा उववरापपुवा ? सव्वजीवा अवराणा ?, गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए सव्वजीवा उववरणपुव्वा नो चेव णं सव्वजीवा उववरणा, एवं जाव अहेसत्तमाए पुढवीए 1 / इमा णं भंते ! रयणप्पाभा पुढवी सव्वजीव्वेहिं विजदपुव्वा सव्वजीवेहिं विजदा ?, गोयमा ! इमा णं रयणप्पभा पुढवी. सव्वजीवेहि विजढपुवा नो चेव णं सव्वजीवविजढा, एवं जाव अधेसत्तमा 2 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए सव्वपोग्गला पविठ्ठपुव्वा ? सव्वपोग्गला पविट्ठा ? मोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए सव्वपोग्गला पविठ्ठपुव्वा नो चेव णं सव्वपोग्गला पविट्ठा, एवं जाव अधेसत्तमाए पुढवीए 3 / इमा णं भंते ! रयणप्पभा पुढवी सयपोग्गलेहिं विजढपुव्वा ? सव्वपोग्गला विजढा ?, गोयमा ! इमा | रयणप्पभा पुढवी सव्वपोग्गलेहिं विजढपुवा Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: द्वितीया प्रतिपत्तिः ] [ 231 नो चेव णं सबपोग्गलेहिं विजढा, एवं जाव अधेसत्तमा 4 // सू० 77 // इमा णं भंते ! रयणप्पभा पुढवी किं सासया असासया ?, गोयमा ! सिय सासता सिय असासया 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ-सिय सासया सिय असासया ?, गोयमा ! दबट्टयाए सासता, वराणपजवेहिं गंधपजवेहि रसपजवेहिं फासपनवेहि असासता, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचतितं चेव जाब सिय असासता, एवं जाव अधेसत्तमा 2 / इमा णं भंते ! रयणप्पभापुढवी कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! न कयाइ ण ासि ण कयाइ पत्थि ण कयाइ ण भविस्सति 3 / भुविं च भवइ य भविस्सति य धुवा णियया सासया अक्खया अव्वया अवट्ठिता णिचा, एवं जाव अधेसत्तमा 4 // सू० 78 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए वरिल्लातो चरिमंतातो हेछिल्ले चरिमंते एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पराणते ?, गोयमा ! असिउत्तरं जोयणसतसहस्सं अबाधाए अंतरे पराणत्ते 1 / इमी से णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए उवरिल्लातो चरिमंतायो खरस्स कंडस्स हेट्ठिल्ले चरिमंते एस ण केवतियं बाधाए अंतरे पराणते ?, गोयमा ! सोलस जोयणसहस्साई अबाधाए अंतरे पराणत्ते 2 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए उवरिल्लातो चरमंतायो रयणस्स कंडरस हेट्ठिले चरिमंते एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पराणत्ते ?, गोयमा ! एक्कं जोयणसहस्सं अबाधाए अंतरे पाणते 3 / इमोसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए उवरिल्लातो चरिमंतातो वइरस्स कराडस्स उवरिल्ले चरिमंते एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पराणते ?, गोयमा ! एक्कं जोयणसहस्सं अबाधाए अंतरे पन्नत्ते 4 / इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए उवरिल्लायो चरि. मंतायो वइरस्स कंडस्स हेडिल्ले चरिमंते एस णं भंते ! केवतियं अबाधाए अंतरे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दो जोयणसहस्साई इमीसे णं अबाधाए अंतरे पराणत्ते, एवं जाव रिट्ठस्स उवरिल्ले पनरस जोयणसहस्साई, हेट्ठिल्ले Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 232 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पश्चमो विभागः चरिमते सोलस जोयणसहस्साई 5 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए उवरिलायो चरिमंतायो पंकबहुलस्स कंडस्स उवरिल्ले चरिमते एस णं अबाधाए, केवतियं अंतरे पराणते ?, गोयमा ! सोलस जोयणसहस्साई अवाधाएं अंतरे पराणत्ते 6 / हेट्ठिल्ले चरिमंतें एक्के जोयाणसयसहस्सं श्रावबहुलस्सं उवरि एक जोयणसयसहस्सं हेट्ठिल्ले चरिमंते असीउत्तरं जोयणसयसहस्सं 7 / घणोदहि उवरिल्ले असिउत्तरजोयणसयसहस्सं हेट्ठिल्ले चरिमते दो जोयणसयसहस्साई 8 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए घणवातस्स उवरिल्ले चरिमंते दो जोयणसयसहस्साई 1 / हेडिल्ले चरिमंते असंखेजाई जोयणसयसहस्साई 10 / इमीसे णं भते ! रयणापभाए पुढवीए तगुवातस्स उवरिल्ले चरिमंते असंखेजाई जोयणसयसहस्साई अबाधाए अंतरे हेट्ठिल्लेवि असंखेजाई जोयणसयसहस्साई, एवं श्रीवासंतरेवि 11 / दोचाए णं भंते ! पुढवीए उवरिल्लातो चरिमंतायो हेटिल्ले चरिमंते एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पराणते ?, गोयमा ! बत्तीसुत्तरं जोयणसयसहस्सं श्रवाहाएं अंतरे पराणत्ते 12 ! सकरप्पभाएं पुढवीए उवरि घणोदधिस्स हेट्ठिल्ले चरिमंते बावण्णुत्तरं जोयाणमयसहस्सं अबाधाए 13 / धणवानस्स असंखेजाइं जोयणसंयसहस्साई पराणत्ताई 14 / एवं जाव उवासंतरस्सवि जावऽधेसत्तमाए, गवरं जीसे जं बाहल्लं तेण घणोदधी संबंधेतब्बो बुद्धीए . 15 / सक्करप्पभाए अणुसारेणं घणोदहिसहिताणं इमं पमाणं 16 / तचाए णं भंते ! अडयालीसुत्तरं जोयणसतसहस्सं 17 / पंकप्पभाए पुढवीए चत्तालीसुत्तरं जोयणसयसहस्सं 18 / धूमप्पभाए पुढवीए अट्टतीसुत्तरं जोयणसतसहस्सं 11 / तमाए पुढवीए छत्तीसुत्तरं जोयमासतसहस्सं 20 / अधेसत्तमाए पुढवीए अट्ठाव्वीसुत्तरं जोयणसतसहस्सं जाव अधेसत्तमाए 21 / एस णं भंते ! पुढवीए उवरिल्लातो चरिमंतातो उवासंतरस्स हेछिल्ले चरिमंते केवतियं अबाधाए अंतरे पराणत्ते ?, गोयमा! असंखेजाई जोयणसयसहस्साई Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 15 श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: तृतीया प्रतिपत्तिः / [ 233 अबाधाए अंतरे पगणत्ते 22 ॥सू० 76 // इमा णं भंते ! रयणप्पभा पुढवी दोच्चं पुढविं पणिहाय बाहल्लेणं किं तुल्ला विसेसाहिया संखेजगुणा ? वित्थरेणं किं तुल्ला विसेसहीणा संखेजगुणहीणा ?, गोयमा ! इमा णं रयणप्पभा पुढवी दोच्चं पुढवीं पणिहाय बाहल्लेणं नो तुल्ला विसेसाहियो नो संखेजगुणा, वित्थारेणं नो तुला विसेसहीणा णो संखेजगुणहीणा 1 / दोचा णं भंते ! पुढवी तच्चं पुढवि पणिहाय बाहल्लेणं कि तुल्ला ? एवं चेव भाणितव्वं 2 / एवं तच्चा चउत्थी पंचमी छट्ठी 3 / छट्टी णं भंते ! पुढवी सत्तमं पुढवि पणिहाय बाहल्लेणं किं तुल्ला विसेसाहिया संखेजगुणा?, एवं चेव भाणियव्वं 4 / सेवं भंते 2 जाव विहरति 5 // सूत्रं 60 // नेरइयउद्देसश्रो पढमो // // इति तृतीयप्रतिपत्तौ प्रथम उद्देशकः // 3.1 // // अथ तृतीयप्रतिपत्तौ नरकाख्य-द्वितीयोद्देशकः॥ कइ णं भंते ! पुढवीयो पगणतायो ?, गोयमा ! सत्त पुढवीश्रो पराणत्तायो, तंजहा-रयणप्पभा जाव अहेसत्तमा 1 / इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसयसहस्सबाहल्लाए. उवरि केवतियं श्रोमाहित्ता हेट्ठा केवइयं, वजित्ता मज्झे केवतिए केवतिया निरयावाससयसहस्सा पराणता ?, गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए. पुढवीए असीउत्तरजोयणसयसहस्सबाहल्लाए उवरि एगं जोयणसहस्सं श्रोगाहित्ता हेट्ठावि एगं जोयणसहस्सं वज्जेत्ता मज्झे अडसत्तरी जोयणसयसहस्सा, एत्थ णं रयणप्पभाए पुढवीए नेरइयाणं तीसं निरयावाससयसहस्साई भवतित्तिमक्खाया 2 / ते णं णरगा अंतो वट्टा बाहिं चउरंसा जाव असुभा णरपुसु वेयणा, एवं एएणं अभिलावेणं उवजंजिऊण भाणियव्वं ठाणप्पयाणुसारेणं, जत्थ जं बाहल्लं जत्थ जत्तिया वा नरयावाससयसहस्सा जाव अहेसत्तमाए पुढवीए, अहेसत्त Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 234 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागा माए मज्झिमं केवतिए कति अणुत्तरा महइ महालता महाणिरया पराणत्ता ? एवं पुच्छितव्वं वागरेयव्वंपि तहेव 3 // सू० 81 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीएं णरका किंसंठिया पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-श्रावलियपविट्ठा य श्रावलियबाहिरा य, तत्थ णं जे ते श्रावलियपविट्ठा ते तिविहा पराणत्ता, तंजहा-वट्टा तंसा चउरंसा, तत्थ णं जे ते श्रावलियबाहिरा ते णाणासंठाणसंठिया पराणत्ता, तंजहा-अयको? संठिता पिट्ठपयणगसंठिता कंडूसंठिता लोहीसंठिता कडाहसंठिता थालीसंठिता पिहडगसंठिता किमियडसंठिता किन्नपुडगसंठिया उडवसंठिया मुरवसंठिता मुयंगसंठिया नंदिमुयंगसंठिया ग्रालिंगकसंठिता सुघोससंठिया दहरयसंठिता पणवसंठिया पडहसंठिया भेरिसंठिया झल्लरीसंठिया कुतुबकसंठिया नालिसंठिया, एवं जाव तमाए 1 / अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए णरका किंसंठिता पराणता ?, गोयमा दुविहा पराणत्ता, तंजहा-बट्टे य तंसा य 2 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नरका केवतियं बाहल्लेणं परणता ?, गोयमा ! तिरिण जोयणसहस्साई बाहल्लेणं पराणत्ता, तंजहाहेट्ठा घणा सहस्सं मज्झे झुसिरा सहस्सं उप्पि संकुइया सहस्सं, एव जाव अहेसत्तमाए 3 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभार पुढवीए नरगा केवतियं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पराणता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-संखेजवित्थडा य असंखेजवित्थडा य, तत्थ णं जे ते संखेजविस्थडा ते णं संखेजाई जोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं संखेजाई जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं पराणत्ता तत्थ णं जे ते असंखेजवित्थडा ते णं असंखेजाई जोयणसहस्साई यायामविक्खंभेणं असंखेजाई जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं परणत्ता, एवं जाव तमाए 4 / अहेसत्तमाए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-संखेजवित्थडे य असंखेजवित्थडा य, तस्थ णं जे ते संखेजवित्थडे से णं एक जोयणसयसहस्सं पायामविक्खंभेणं Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् - तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 235 तिन्नि जोयणसयसहस्साई सोलस सहस्साई दोन्नि य सत्तावीसे जोयणसए तिन्नि कोसे य अट्ठावीसं च धणुसतं तेरस, य अंगुलाई श्रद्धंगुलयं व किंचिविसेसाधिए परिक्खेवेणं परांणत्ता, तत्थ णं जे ते असंखेजवित्थडा ते णं असंखेजाइं . जोयणसयसहस्साइं आयामविक्खंभेणं असंखेजाई जाव परिक्खेवेणं पराणत्तां 5 // सू० 82 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नरया केरिसया वगणेणं पराणत्ता ?, गोयमा ! काला कालावभासा गंभीरलोमहरिसा भीमा उत्तासणया परमकिराहा वराणेणं पराणत्ता, एवं जाव अधेसत्तमाए 1. / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए णरका केरिसका गंधेणं पराणता ?, गोयमा ! से जहाणामए अहिमडेति वा गोमडेति वा सुणगमडेति वा मज्जारमडेति वा मणुस्समडेति वा महिसमडेति वा मूसगमडेति वा श्रासमडेति का हथिमडेति वा सीहमडेति वा वग्घमडेति वा विगमडेति वा दीवियमडेति वा मयकुहियचिरविणकुणिम-वावराणदुन्भिगंधे असुइविलीण-विगयबीभत्थदरिसणिज्जे किमिजालाउलसंसत्ते, भवेयारूवे सिया ?, णो इण? सम8, गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढेवीए णरगा एत्तो अणि?तरका चेव अंकंततरका चेव जाव श्रमणामतरा चेव गंधेणं पराणत्ता, एवं जाव अधेसत्तमाए पुढवीए 2 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए परया केरिसया फासेणं परणता ?, गोयमा ! से जहानामए असिपत्तेइ वा खुरपत्तेइ वा कलंबचीरियापत्तेइ वा सत्तग्गेइ वा कुंतग्गेइ वा तोमरग्गेति वा नारायग्गेति वा सूलग्गेति वा लउलग्गेति वा भिंडिमालग्गेति वा सूचिकलावेति वा कवियच्छूति वा विंचुयकंटएति वा इंगालेति वा जालेति वा मुम्मुरेति वा, अचिति वा अलाएति वा सुद्धागणीइ वा, भवे एतास्वे सिया ?, णो तिण? सम8, गोयमा ! इमीसे गं रयणप्पभाए पुढवीए णरगा एत्तो अणि?तरा चेव जाव श्रमणामतरका चेव फासे णं परांणत्ता, एवं जाव Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . 236 / . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः अधेसत्तमाए पुढबीए 3 // सू० 83 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नरका केमहालिया पराणत्ता ?, गोयमा ! अयगणं जंबुद्दीवे 2 सबदीवसमुदाणं सव्वन्भंतरए सव्वखुड्डाए व? तेलापूव-संठाणसंठिते वट्टे रथचकवाल-संठाणसंठिते वट्ट पुक्खरकरिणया-संठाणसंठिते वट्ट पडिपुराणचंद-संगणसंठिते एक्कं जोयणसतसहस्सं अायामविक्खंभेणं जाव किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, देवे णं महिड्डीए जाव महाणुभागे जाव इणामेव इणामेवत्तिक? इमं केवलकप्पं जंबद्दीवं 2 तिहिं अच्छरानिवाहिं तिसत्तक्खुत्तो अणुपरियट्टित्ता णं हव्वमागच्छेजा 1 / से णं देवे ताए उकिटाए तुरिताए चवलाए चंडाए सिग्याए उद्धृयाए जयणाए छेगाए दिवाए दिव्वगतीए वीतिवयमाणे 2 जहरणेणं एगाहं वा दुयाहं वा तिग्राहं वा उकोसेणं छम्मासेणं वीतिवएज्जा, प्रत्येगतिए वीइवएना अत्थेगतिए नो वीतिवएजा 2 / एमहालता णं गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए णारगा पराणत्ता 3 / एवं जाव अधेसत्तमाए, णवरं अधेसत्तमाए अत्थेगतियं नरगं वीइवइजा, अत्थेगइए नरगे नो वीतिवएजा 4 // सू० 84 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए गरगा किंमया पराणत्ता ?, गोयमा ! सव्ववइरामया पराणत्ता, तत्थ णं नरएसुं बहवे जीवा य पोग्गला य अवकमति विउक्कमति चयंति उववज्जंति, सासत्ता णं ते णरगा दव्वळुयाए वरणपज्जवेहिं गंधपजवेहिं रसपजवेहिं फासपनवेहिं असासया, एवं जाव अहेसत्तमाए // सू० 85 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नेरइया कतोहिंतो उववज्जति किं असगणीहितो उववज्जति सरीसिवेहितो उपवज्जंति पक्खीहिंतो उववज्जति चउप्पएहितो उववज्जति उरगेहितो उववज्जति इत्थियाहिंतो उववज्जति, मच्छमणुएहितो उववज्जंति ?, गोयमा ! असरणीहितो उपवज्जति जाव मच्छमणुएहितोषि उववजंति,-असगणी खलु पढमं दोच्चं च सरीसिवा ततिय पक्खी। सीहा जंति चउत्थीं उरगा Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवा जीवाभिगम-सूत्रम् : तृतीया प्रतिपत्तिः ) [ 237 पुण पंचमी जंति // 1 // छद्धिं च इत्थियात्रो मच्छा मणुया य सत्तमि जति 1 / जाव अधेसत्तमाए पुढवीए नेरइया णो असरणीहितो उववज्जंति जाव णो इत्थियाहिंतो उववज्जति मच्छमणुस्सेहिंतो उववज्जति 2 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुटवीए रतिया एकसमएणं केवतिया उववज्जंति ?, गोयमा ! जहराणेणं एको वा दो वा तिनि वा उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखिजा वा उववज्जति, एवं जाव अधेसत्तमाए. 3 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए णेरतिया समए समए अवहीरमाणा अवहीरमाणा केवतिकालेणं अवहिता सिता ?. गोयमा ! ते णं असंखेजा समए समए अवहीरमाणा अवहीरमाणा असंखेजाहिं उस्सप्पिणीयोसप्पिणीहि अवहीरंति नो चेवणं अवहिता सिता जाव अधेसत्तमा 4 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए रतियाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा सरीरोगाहणा पराणत्ता, तंजहा-भवधारणिजा य उत्तरवेउब्विया य, तत्थ णं जा सा भवधारणिजा सा जहन्नेणं अंगुलस्स असं. खेजतिभागं उक्कोसेणं सत्त धणू तिरिण य रयणीयो छच्च अंगुलाई, तत्थ णं जे से उत्तरवेउविए से जहराणेणं अंगुलस्स संखेजतिभागं उक्कोसेणं पराणरस धणूइं अट्ठाइजायो रयणीयो 5 / दोचाए भवधारणिज्जे जहराणो अंगुलासंखेजभागं उकोसेणं पराणरस धणू अड्डाइजातो रयणीयो उत्तरवेउब्बिया जहराणेणं अंगुलस्स संखेजभागं उक्कोसेणं एकतीसं धाई एका रयणी 6 / तच्चाए भवधारणिज्जे एकतीसं धणू एक्का रयणी, उत्तरवेउब्विया बासट्टि धरण्इं दोगिण रयणीयो 7 / चउत्थीए भवधाणिज्जे बासट्ट धाई दोरिण य रयणीयो, उत्तरवेउब्बिया पणवीसं धणुसयं 8 / पंचमीए भवधारणिज्जे पणवीसं धणुसयं, उत्तरवेउबिया अहाइजाई धणुसयाइं / छट्ठीए भवधारणिज्जा अड्डाइजाई घणुसयाई, उत्तरवेउविया पंचधणुसयाई 10 / सत्तमाए भवधारणिजा पंचवणुसयाइं उत्तरवेउविए Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 238 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः धणुसहस्सं 11 // सू० 86 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयाणं सरीरया किंसंघयणी पराणत्ता ?, गोयमा ! छराहं संघयणाणं असंघयणा, णेवट्ठी णेव छिरा णवि राहारू णेव संघयणमस्थि, जे पोग्गला अणिट्ठा जाव अमणामा ते तेसिं सरीरसंघायत्ताए परिणमंति, एवं जाव अधेसत्तमाए 1 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नेरतियाणं सरीरा किंसंठित्ता पराणता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य, तत्थ णं जे ते भवधारणिज्जा ते हुंडसंठिया पराणत्ता, तत्थ णं जे ते उत्तरवेउब्विया तेवि हुंडसंठिता. पराणत्ता, एवं जाव अहेसत्तमाए 2 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए णेरतियाणं सरीरंगा केरिसता वराणेणं पराणता ?, गोयमा ! काला कालोभासा जावं परमकिराहा वराणेणं पराणत्ता, एवं जाव अहेसत्तमाए 3 / इमीसे ण भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नेरइयाणं सरीरया केरिसया गंधेणं पराणत्ता ?, गोयमा ! से जहानामए अहिमडे इ वा तं चेव जाव अहेसत्तमा 4 / इमीसे णं रयणप्पभाएं पुढवीए नेरइयाणं सरीरया केरिसया फासेणं पराणत्ता ?, गोयमा ! फुडितच्छविविच्छविया खरफरुसझामझुसिरा फासेणं / पराणत्ता, एवं जाव, अधेसत्तमाए 5 // सू० 87 // इंमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए रतियाणं केरिसया पोग्गला ऊसासत्ताएं परिणमंति ?, गोयमा ! जे पोग्गला अणिट्टा जाव अमणामा ते तेसि ऊसासत्ताए परिणमंति, एवं जाव अहेसत्तमाए, एवं श्राहारस्सवि सतसुवि 1 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नेरतियाणं कति लेसायो पराणत्तायो ?, गोयमा ! एका काउलेसा पराणत्ता, एवं सकरप्पभाएऽवि 2 / वालुयप्पभाए पुच्छा, दो लेसाश्रो पराणत्तायो, तंजहानीललेसा कापोतलेसा य, तत्थ जे काउलेसा ले बहुतरा जे णीललेस्सा पराणत्ता ते थोवा 3 / पंकप्पभाए पुच्छा, एका नीललेसा पराणत्ता 4 / Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-स्त्रम् - तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 236 धूमप्पभाए पुच्छा, गोयमा ! दो लेस्साश्रो पराणत्ताश्रो, तंजहा-किराहलेस्सा य नीललेस्सा य, ते बहुतरका जे नीललेस्सा, ते थोवतरका जे किराहलेसा 5 / तमाए पुच्छा, गोयमा ! एका किराहलेस्सा, अधेसत्तमाए एका परमकिराहलेस्सा 6 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नेरइया किं सम्मदिट्ठी मिच्छदिट्ठी सम्मामिच्छदिट्ठी ?, गोयमा ! सम्मदिट्ठीवि मिच्छदिट्ठीवि सम्मामिच्छदिट्ठीवि, एवं जाव अहसत्तमाए 7 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए णेरतिया किं नाणी अण्णाणी ?, गोयमा ! णाणीवि अण्णाणीवि, जे णाणी ते -णियमा तिणाणी, तंजहा-श्राभिणिबोधितणाणी सुयणाणी अवधिणाणी, जे अण्णाणी ते अत्थेगतिया दुअराणाणी अत्थेगइया तिथ. नाणी, जे दुअन्नाणी ते णियमा मतिअन्नाणी य सुयश्रराणाणी य, जे तिअन्नाणी ते नियमा मतियराणाणी सुयराणाणी विभंगणाणीवि, (सकरप्पभा–पुढवी-नेरइया किं नाणी अन्नाणी ? गोयमा ! नाणीवि अन्नाणीवि, जे नाणी ते नियमा तिनाणी आभिणिबोहियणाणी सुयणाणी अवधिणाणी, जे अन्नाणी ते णियमा तिअन्नाणी, मतिअन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगणाणी) सेसा णं णाणीवि श्रगणाणीवि तिगिण जाव अधेसत्तमाए 8 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए कि मणजोगी वइजोगी कायजोगी ?, तिरिणवि, एवं जाव अहेसत्तमाए 1 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभापुढवी नेरइया किं सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता ?, गोयमा ! सागारोवउत्तावि अणागारो उत्तावि, एवं जाव अहेसत्तमाए पुढवीए 10 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नेरइया श्रोहिणा केवतियं खेत्तं जाणंति पासंति ?, गोयमा ! जहराणेणं श्रद्धट्टगाउताई उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाई 11 / सकरप्पभापुटवीए जहराणेणं तिनि गाउयाई उक्कोसेणं श्रद्धट्ठाई, एवं श्रद्धद्धगाउयं परिहायति जाव अधेसत्तमाए जहरणेणं श्रद्धगाउयं उक्कोसेणं गाउयं 12 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नेरतियाणं कति समुग्धाता पराणत्ता ?, Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 240 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पश्चमो विभागः गोयमा ! चत्तारि समुग्धाता पराणत्ता, तंजहा–वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए. वेउब्वियसमुग्घाए, एवं जाव अहेसत्तमाए 13 // सू० 88 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नेरतिया केरि. सयं खुहप्पिवासं पचणुब्भवमाणा विहरति ?, गोयमा ! एगमेगस्स णं रयणप्पभापुढविनेरतियस्स असम्भावपट्ठवणाए सव्वोदधी वा सव्वपोग्गले वा श्रासगंसि पविखवेजा णो चेव णं से रयणप्पभाए. पुढवीए णेरतिए तित्ते वा सिता वितराहे वो सिता, परिसया णं गोयमा ! रयणप्पभाए रतिया खुधप्पिवासं पचणुब्भवमाणा विहरंति, एवं जाव अधेसत्तमाए 1 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नेरतिया किं एकत्तं पभू विउवित्तए पुहृतंपि पभू विउवित्तए ?, गोयमा ! एगंत्तपि पभू पुहुत्तंपि पभू. विउवित्तए, एगत्तं विउव्वेमाणा एगं महं मोग्गररूवं वा एवं मुसुदि-करवत्तअसि-सत्ती-हल-गता-मुसल-चकणाराय-कुत-तोमर-मूल-लउडभिंडमाला य जाव भिंडमालरूवं वा पुहृत्तं विउव्वेमाणा मोग्गररूवाणि वा जाव भिंडमालरूवाणि वा ताई संखेजाइं णो असंखेजाई संबद्धाइंनो असंबद्धाइं सरिसाई नो असरिसाइं विउध्वंति, विउम्बित्ता अराणमराणस्स कायं अभिहणमाणा अभिहणमाणा वेयणं उदीरेंति उज्जलं विउलं पगाढं ककसं कडयं फरसं निठुरं चंडं तिव्वं दुक्खं दुग्गं दुरहियासं, एवं जाव धूमप्पभाए पुढवीए 2 / छट्टसत्तमासु णं पुढवीसु नेरझ्या बहू महंताई लोहियकुंथूरूवाई वहरामइतुंडाई गोमयकीडसमाणाई विउव्वंति, विउवित्ता अन्नमन्नस्म कायं समतुरंगेमाणा खायमाणा खायमाणा सयपोरागकिमिया विव चालेमाणा 2 अंतो अंतो श्रणुप्पविसमाणा 2 वेदणं उदीरंति उजलं जाव दुरहियासं 3 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढेवीए नेरइया कि सीतवेदणं वेइंति उसिणवेदणं वेइंति सीउसिणवेदणं वेदेति ?; गोयमा ! यो सीयं वेदणं वेदेति उसिणं वेदणं वेदेति नो सीतोसिणं, ते अप्पयरा उगहजोणिया वेदेति, एवं जाव Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवामिगम-सूत्रम् :: तनीया प्रतिपत्तिः / / 241 वालयप्पभाए 4 / पंकप्पभाए पुच्छा. गोयमा ! सीयपि वेदणं वेदेति, उसिणंपि वेयणं वेयंति, नो सीटोसिणवेयणं वेयंति, ते बहुतरगा जे उसिणं वेदणं वदेति, ते थोवयरगा जे सीतं वेदणं वेइंति 5 / धूमप्पभाए पुच्छा, गोयमा ! सीतंपि वेदणं वेटेंति उसिणंपि वेदणं वेटेंति णो सीतोसिणं,. ते बहुतरगा जे सीयवेदणं वेति ते थोघयरका जे उसिणवेदणं वेदेति 6 / तमाए पुच्छा, गोयमा ! सीयं वेदणं वेति नो उसिण वेदणं वेदेति नो सीतोसिणं वेदणं वेदेति, एवं अहेसत्तमाए णवरं परमसीयं 7 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए ोरइया केरिसयं णिरयभवं पचणुभवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! ते णं तत्थ णिच्चं भीता णिच्चं तसिता णिच्चं छुहिया णिच्चं उब्विग्गा निच्चं उपप्पुषा णिच्चं वहिया निच्चं परममसुभमउलमणुबद्धं निरयभवं पञ्चणुभवमाणा विहरति 8 / एवं जाव अंधेसत्तमाए j पुढवीए पंच अणुत्तरा महतिमहालया महाणरगा पराणत्ता, तंजहाकाले महाकाले रोरुए महारोरुए अप्पतिट्ठाणे 1 / तत्थ इमे पंच महापुरिसा अणुतरेहिं दंडसमादाणेहिं कालमासे कालं किचा अ-पतिट्ठाणे णरए णेरतियत्नाए उववरणा, तंजहा-रामे 1, जमदग्गिपुत्ते, दढाउ 2, लेच्छतिपुत्ते, वसु. 3, उवरिचरे, सुभूमे 4, कोरव्वे बंभ दत्ते 5, चुलणिसुते 6, ने णं तत्थ नेरतिया जाया काला कालोभासा जाव परमकिराहा राणेणं पराणत्ता, तंजहा-ते णं तत्थ वेदणं वेदेति उज्जलं विउलं जाव दुरहियासं 10 / उसिण-वेदणिज्जेसु णं भंते ! रतिएसु रतिया केरिसयं उसिणवेदणं पञ्चणुब्भवमाणा विहरंति ? गोयमा.! से जहाणामए. कम्मारदारए सिता तरुणे बलवं जुगवं अप्पायंके थिरग्गहत्थे दढपाणि-पाद-पास-पिटुंत... रोरु-संघाय-परिणए लंघण-पवण-जवण-वग्गण-पमहण-समत्थे. तल-जमलजुयल-बहुफलिहणिभबाहू घण-णिचित-वलिय-वट्टखंधे चम्मेट्ठग-दुहण-मुट्ठियसमाहय-णिचितगत्तगत्ते उरस्सबलसमगणागए. छेए दक्खे - पट्टे कुसले Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 242 ) .: श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभाग णिउणे मेहावी णिउणसिप्पोवगए एगं महं अयपिंडं उदगवारसमाणं गहाय तं तापिय ताविय कोट्टित कोट्टित उभिदिय उभिदिय चुरिणय चुगिणय जाव एमाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा उक्कोसेणं अद्धमासं संहणेजा, से णं तं सीतं सीतीभूतं अश्रोमएणं संदंसएणं गहाय असब्भावपट्ठवणाए उसिणवेदणिज्जेसु णरएसु पक्खिवेजा, से णं तं उम्मिसिय-णिमिसियंतरेणं पुणरवि पच्चुद्धरिस्सामित्तिकटटु पविरायमेव पासेना पविलीणमेव पासेजा पविद्धत्थमेव पासेजा णो चेव णं संचाएति अविरायं वा अविलीणं वा अविद्धत्थं वा पुणरवि पच्चुद्धरित्तए 11 / से जहा वा मत्तमातंगे [पाए] कुजरे सट्ठिहायणे पढम-सरयकालसमतंसि वा चरम-निदाघकालसमयंसि वा उराहाभिहए तराहाभिहए दवग्गि-जालाभिहए बाउरे सुसिए (झिजिए) पिवासिए दुबले किलंते एक्कं महं पुक्खरिणिं पासेजा चाउकोणं समतीरं अणुपुब्व-सुजाय-वप्प-गंभीर-सीतलजलं संकराणा-पत्तभिसमुणालं बहुउप्पलकुमुद-णलिण-सुभग-सोगंधिय-पुंडरीय-महापुंडरीय-सयपत्त-सहस्सपत्त-केसरफुल्लोवचियं छप्पय-परिभुजमाणकमलं अच्छ-विमल-सलिल पुराणं परिहत्थभमंत-मच्छकच्छभं अणेग-सउण-गण-मिहुणय-विरइय-सददुन्नइय-महुरसर. नाइयं तं पासड, तं पासित्ता तं योगाहइ, श्रोगाहित्ता से णं तत्थ उराहंपि पविणेजा तिराहपि पविणेजा खुहंपि पविणिज्जा जरंपि पविणिज्जा दाहंपि पविणिजा णिहाएज वा पयलाएज वा सति वा रति वा धिति वा मति वा उपलभेजा, सीए सीयभूए संकसमाणे संकसमाणे सायासोक्खबहुले यावि विहरिजा, एवामेव गोयमा ! असम्भावपटुवणाए. उसिणवेयणिज्जेहिंतो णरएहितो ोरइए - उबट्टिए समाणे जाई इमाई मगुस्सलोयसि भवंति गोलियालिंगाणि वा सोंडियालिंगाणि वा भिंडियालिंगाणि वा श्रयागराणि वा तंबागराणि वा तउयागराणि वा सीसागराणि वा रुप्पागराणि वा सुक्न्नागराणि वा हिरराणागराणि वा कुभारागणी इ वा. Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवा जीवाभिगम-सूत्रम् : तृतीया प्रतिपत्तिः / [ 243 मुमागणी वा इट्टयागणी वा कवेल्लुयागणी वा लोहारंबरिसे इ वा जंतवाडचुल्ली वा हंडियलित्थाणि वा सोंडियलित्थाणि वा गलागणी ति वा, तिलागणी वा तुसागणो ति वा, तत्ताई समजोतीभूयाई फुल्लकिंसुयसमाणाई उक्कासहस्साई विणिम्मुयमाणाई जालासहस्साई पमुच्चमाणाई इंगालसहस्साई पविक्खरमाणाई अंतो 2 हुहुयमाणाई चिट्ठति ताई पासड, ताई पासित्ता ताई योगाहइ ताई भोगाहित्ता से णं तत्थ उराहंपि पविणेजा तराहपि पविणेज्जा खुहंपि पविणेजा जरंपि पविणेज्जा दाहंपि पविणेजा णिहाएज वा पयलाएज वा सतिं वा रतिं वा धिई वा मतिं वा उबलभेजा, सीए सीयभूए संकसमाणे संकममाणे सायासोक्खबहुले यावि विहरेजा, भवेयारूवे सिया ?, णो इण? सम?. गोयमा ! उसिणवेदणिज्जेसु शरएसु नेरतिया एत्तो अणिट्टतरियं चेव उसिणवेदणं पचणुभवमाणा विहरति 12 / सीयवेदणिज्जेसु णं भंते णिरएसु रतिया केरिसयं सीयवेदणं पञ्चणुब्भवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! से जहाणामए कम्मारदारए सिया तरुणे जुगवं बलवं जाव सिप्पोवगते एगं महं अयपिंडं दगवारसमाणं गहाय ताविय ताविय कोट्टिय कोट्टिय जहराणेणं एकाहं वा दुअाहे. वा तियाहं वा उक्कोसेणं मासं हणेजा, से णं तं उसिणं उसिणभूतं अयोमएणं संदसएणं गहाय असब्भावपट्ठवणाए सीयवेदणिज्जेसु णरएसु पक्खिवेजा, से णं तं (उमिसियनिमिसियंतरेण पुणरवि पच्चुद्धरिस्सामीतिकटु पविरायमेव पासेजा, तं चेव णं जाव णो चेव णं संचाएजा पुणरवि पच्चद्धरित्तए, से णं से जहाणामए मत्तमायंगे तहेव जाव सोखबहुले) यावि विहरेजा एवामेव गोयमा ! असम्भावपट्टवणाए सीतवेदणेहितो णरएहितो नेरतिए उव्वट्टिए समाणे जाई इमाई इहं माणुस्सलोए हवंति, तंजहा-हिमाणि वा हिमपुजाणि वा हिमपडलाणि वा हिमपडलपु.जाणि वा तुसाराणि वा तुसारपुजाणि वा हिमकुंडाणि वा हिमकुंडपुंजाणि वा सीताणि वा ताई पासति पासित्ता Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 244 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विमाग ताई योगाहति श्रोगाहित्ता से णं तत्थ सीतंपि पविणेज्जा तगहपि पविणेजा खुहपि पविणेजा जरंपि पविणेजा दाहंपि पविणेजा निदाएज वा पयलाएज वा जाव उसिणे उसिणभूए संकसमाणे संकसमाणे सायासोक्खबहुले यावि विहरेजा, गोयमा ! सीयवेयगिज्जेसु नरएसु नेरतिया एत्तो अणिट्ट यरियं चेव सीतवेदणं पञ्चणुभवमाणा विहरंति 13 // सू० 81 // 'इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए रतियाणं केवतियं कालं ठितो पगणता ?, गोयमा ! जहरागोणविं उक्कोसेणवि ठिती भाणितव्या जाव अधसत्तमाए // सू० 10 // इमीसे. णं भंते ! रयणप्पभाए रतिया श्रणंतरं उव्वट्टिय कहिं गच्छति ? कहिं उववज्जति ? कि नेरतिएसु उपवज्जति ? किं तिरिक्ख जोणिएसु उववज्जति ?, एवं उव्वट्टणा भाणितव्वा जहा पक्कतीए तहा इहवि जाव अहेसत्तमाए // सू० 11 // इमीसे गं. भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नेरतिया केरिसयं पुढविफासं पञ्चगुन्भवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! अणिढे जाव श्रमणाम, एवं जाव अहेसत्तमाए 1 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नेरइया केरिसयं श्राउफासं पचणुभवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! अणिटुं जाव अमणाम, एवं जाव अहेसत्तमाए, एवं जाव वणफतिफासं अधेसत्तमाए पुढबीए 2 / डमा णं भंते ! रयणप्पभापुड़वी दोच्च पुढवि पणिहाय सव्वमहतिया बाहल्लेणं सव्वक्खुड्डिया सव्वतेसु?, हंता ! गोयमा ! इमा णं रयणप्पभा- पुढवी दोच्चं पुढवि पणिहाय जाव सव्वक्खुड्डिया सव्वतेसु 3 / दोचा णं. भंते ! पुटवी तच्चं पुढवि पणिहाय सव्वमहंतिया बाहल्लेणं पुच्छा, हंता गोयमा ! दोचा णं पुटवी जाव सव्वाखुड्डिया सव्वतेसु, एवं एएणं अभिलावेणं जाव छट्टिता , पुढवी अहेसत्तमं पुढवि पणिहाय सव्वक्खुड्डिया सव्वंतेसु // सू० 12 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए नरया: वाससयसहस्सेसु इकमिवकसि निरयावासंसि सव्वे पाणा सव्वे भूया सव्वे Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् : तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 245 जीवा सब्वे सत्ता पुढवीकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए नेरइयत्ताए उववन्नपुब्बा ?, हंता गोयमा ! असति अदुवा अणंतखुत्तो, एवं जाव अहसत्तमाए पुढवीए णवरं जत्थ जत्तिया णरका / [ इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए निरयपरिसामंतेसु जे पुढविकाइया जाव वणप्फतिकाइया ते णं भंते ! जीवा महाकम्मतरा चेव महाकिरियतरा चेव महाभासवतरा चेव महावेयमातरा चेव ?, हंता गोयमा !इमीसे णं भिंते !] रयणप्पभाए पुढवीए निरयपरिसामंतेसु तं व जाव महावेदणतरका चेव, एवं जाव अधेमत्तमा ] // सू० 13 // पुढ़वीं श्रोगाहित्ता, नरगा संठाणमेव बाहल्लं / विक्खंभपरिक्खेवे वगणो गंधो य फासो य // 1 // तेसिं महालयाए उवमा देवेण होइ कायब्वा / जीवा य पोग्गला वकमंति तह सासया निरया // 2 // उववायपरीमाणं अवहारुचत्तमेव संघयणं / संठाणवरणगंधा फासा ऊसासमाहारे // 3 // लेसा दिट्ठी नाणे जोगुवोगे तहा समुग्घाया। तत्तो खुहापिवासा विउठवणा वेयणा य भए // 4 // उववायो पुरिसाणं श्रोवम्मं वेयणाए दुविहाए / उव्वट्टणपुढवी उ, उववायो सव्वजीवाणं // 5 // एयात्रा संगहणिगाहायो / सू० 14 // चउविहपडिवत्तीए बीश्रो उद्दे. सयो समत्तो॥ // इति तृतीय प्रतिपत्तौ नरकाधिकारे द्वितीय उद्देशकः // 3-1-2 // // अथ चतुर्विधाख्य-तृतीयप्रतिपत्तौ नरकाख्य-तृतीयोद्देशकः॥ इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नेरतिया केरिसयं पोग्गलपरिणामं पचणुभवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! अणि? जाव श्रमणाम, एवं जाव अहेसत्तमाए ( एवं नेयवं-पुग्गलपरिणामे वेयणा य लेसा य नामगोए य / अरई भए य सोगे, खुहा पिवासा य वाट्ठी य // 1 // उस्सासे अणुतावे कोहे माणे य मायलोभे य / चत्तारि य सन्नायो नेरइयाणं तु Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 246 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : पञ्चमो विभागः परिणामे // 2 // ) एत्थ किर अतिवयंति नरवसभा केसवा जलचरा य / मंडलिया रायाणो जे य महारंभकोडुबी // 1 // भिन्नमुहुत्तो नरएसु होति तिरियमणुएसु चत्तारि / देवेसु श्रद्धमासो उक्कोस विउठवणा भणिया // 2 // जे पोग्गला अणिट्ठा नियमा सो तेसि होइ अहारो। संगणं तु जहरणं नियमा हुंडं तु नायव्वं // 3 // असुभा विउठवणा खलु नेरइयाणं तु होइ सव्वेसिं / वेउल्वियं सरीरं असंघयण हुंडसंठाणं // 4 // अस्सायो उववरणो अस्सायो चेव चयइ निरयभवं / सबपुढवीसु जीवो सव्वेसु ठिइविसेसेसु // 5 // उववाएण व मायं नेरइयो देवकम्मणा वावि / अज्झवसाणनिमित्तं . अहवा कम्मणुभावेणं // 6 // नेरइयाणुप्पागो उक्कोसं पंचजोयणसयाई / दुक्खेणभिदुयाणं वेयणसयसंपगाढाणं // 7 // अच्छिनिमीलियमेत्तं नत्थि सुहं दुक्खमेव पडिबद्धं / नरए नेरइयाणं अहोनिसं पञ्चमाणाणं // 8 // तेयाकम्मसरीरा सुहुमसरीरा य जे अपजना। जीवेण मुक्कमेत्ता वच्चंति सहस्ससों भेयं // 1 // अतिसीतं अतिउराहं अतितराहा अतिखुहा अतिभयं वा। निरए नेरइयाणं दुक्खसयाई अविस्सामं // 10 // एत्थ य भिन्नमुहुत्तो पोग्गल असुहा य होइ अस्सायो। उबवायो उप्पाश्रो अच्छि सरीरा उ बोद्धव्वा // 11 // नारयउद्दे सयो तइयो॥ से तं. नेरतिया // सू० 15 // . // इति तृतीयप्रतिपत्तौ नरकाधिकारे तृतीय उद्देशकः / / 3-1-3 // // अथ तृतीयप्रतिपत्तौ तिर्यगधिकार प्रथमोद्देशकः // से किं तं तिरिक्खजोणिया ?, तिरिक्खजोणिया पंचविधा पराणत्ता, तंजहा-एगिदिय-तिरिक्खजोणिया बेइंदिय-तिरिक्खजोणिया तेइंदिय-तिरिक्खजोणिया चरिंदिय-तिरिक्खजोणिया पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया य 1 / से किं तं एगिदिय-तिरिक्खजोणिया ?, 2 पंचविहा पराणत्ता, तंजहा-पुढविकाइय-एगिदिय -तिरिक्ख जोणिया जावः वणस्सइकाइय-एगिदिय-तिरिक्ख Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् - तृतिया प्रतिपत्तिः] [ 247 जाणिया 2 / से किं तं पुढविकाइय एगिदिय-तिरिक्खजोणिया ?, 2 दुविहा पाणता, तंजहा-सुहुम पुढविकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिया बादर-पुढविकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिया य 3 / से किं तं सुहुम-पुढविकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया ?. 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तसुहुमपुढविकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिया अपजत्तसुहुमपुढविकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिया, से तं सुहुमा 4 / से किं तं बादरपुढविकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तबादरपुढविकाइय-एगिदियतिरिक्खजोणिया अपज्जत्तवादरपुढविकाइय-एगिदिय--तिरिक्खजोणिया से तं वायरपुढविकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिया 5 / से तं पुढवीकाइयएगिदिया 6 / से किं तं बाउकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिया ?, 2 दुविहा परणत्ता, एवं जहेव पुढविकाइयाणं तहेव, वाउकायभेदो एवं जाव वणस्सतिकाइया से तं वास्तइकाय-एगिदियतिरिक्खजोणिया 7 / से किं तं बेइंदियतिरिक्खजोणिया ?, 2 दुविधा पगणता, तंजहा-पजत्तकबेइंदियतिरिक्खजोणिया अपजत्तबेइंदियतिरिक्खजोणिया, से तं बेइंदियविरिक्खजोणिया, एवं जाव चरिंदिया 8 / से कि तं पंचेंदियतिरिक्खजोणिया ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया थलयर--पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया खहयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया 1 / से किं तं जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहासंमुच्छिम-जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया य गम्भवक्कतिय-जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया य 10 / से किं तं समुच्छिम जलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणिता ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तगसंमुच्छिम-जलयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया जलयरा अपजत्तगसमुच्छिम-जलयर-पंचिदियतिरिक्खजोणिया जलयरा, से तं समुच्छिजलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणिया 11 / से किं तं गम्भवक्कंतिय--जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्ख Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 248 / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विमाग जोणिया ?, 2 दुविधा पगणता, तंजहा-पजत्तगभवक्कंतिय-जलयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया अपजत्तगम्भवक्कंतिय-जलयर-पंचिदिय-तिरि. क्खजोणिया, से तं गम्भवक्कतियपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया, से तं जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया 12 / से किं तं थलयर-पंचेंदियतिरिक्खजोणिता ?. 2 दुविधा पराणत्ता, तंजहा–च उप्पय-थलयर. पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया परिसप्प-थलयर-पंचेंदिय-निरिक्खजोणिता 13 / से कि तं चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया ? चउप्पय-तिरिक्खजोणिया दुविहा पराणत्ता,तंजहा-समुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचेंदिय-तिरिवख- . जोणिया गम्भवक्कंतिय-चउप्पय-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिता य, जहेव जलयराणं तहेव चउकतो भेदो, सेत्तं चउप्पद-थलयर-पंचेंदियतिरिक्खजोणिया 14 / से किं तं परिसप्प-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-उरगपरिसप्प-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिता भुयगपरिसप्प-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिता 1.5 / से किं तं उरगपरि. सप्प-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिता ?, उरगपरिसप्प-थलयर-पंचेंदियतिरिक्खजोणिया 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-जहेव जलयराणं तहेव चउकतो भेदो, एवं भुयगपरिसप्पाणवि भाणितव्वं, से तं भुयगपस्सिप्प-थलयरपंचेंदिय-तिरिक्खजोणिता; से तं थनयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिता 16 / से किं तं खहयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिता ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहासंमुच्छिम-खहयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिता गम्भववकंतिय-खहयर-पंचेंदियतिरिक्खजोणिता य 17 / से किं तं समुच्छिम-खहयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिता ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तग-संमुच्छिम-खहयर-पंचेंदियतिरिक्खजोणिया अपजत्तग-संमुच्छिम-खहयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया य, एवं गब्भवक्कंतियावि जाव फ्जत्तगगम्भवक्कंतियावि जाव अपजत्तगगम्भवक्कंतियावि 18 / खहयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं भंते ! कति Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजावाजीवाभिगम-सूत्रम् / तृतीया प्रतिपत्तिः / [249 विधे जोणिसंगहे पराणते ?, गोयमा ! तिविहे जोणिसंगहे पराणत्ते, तंजहा-अंडया पोयया समुच्छिमा, अंडया तिविधा पराणत्ता, तंजहा-इत्थी पुरिसा णपुसगा, पोतया तिविधा पगणता, तंजहा-इत्थी पुरिसा णपुसया, तत्थ णं जे ते संमुच्छिमा ते सव्वे णपुंसका 11 // सू० 16 // एतेसि णं भंते ! जीवाणं कति लेसायो पराणत्तायो ?, गोयमा ! छल्लेसायो पराणत्तायो, तंजहा-कराहलेसा जाव सुकलेसा 1 / ते णं भंते ! जीवा किं सम्मदिट्ठी मिच्छदिट्ठी सम्मामिच्छदिट्ठी?, गोयमा! सम्मदिट्ठोवि मिच्छदिट्ठीवि सम्मामिच्छदिट्टीवि 2 / ते णं भंते ! जीवा कि णाणी अराणाणी ?, गोयमा! णाणीवि अण्णाणीवि तिरािण णाणाडं तिरािण अगणाणाई भयणाए 3 / ते णं भते ! जीवा किं मणजोगी वइजोगी कायजोगी ?, गोयमा ! तिविधावि 4 ते णं भंते ! जीवा किं सागारोवउत्ता श्रणागारोवउत्ता ?, गोयमा ! सागारोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि 5 / ते णं भंते / जीवा को उववज्जति किं नेरतिएहितो उववज्जति तिरिक्खजोणिएहितों उववज्जति ?, पुच्छा, गोयमा ! असंखेज-वासाउय-अकम्मभूमग-अंतरदीवगवज्जेहिंतो उववज्जति 6 / तेसि णं भंते ! जीवाणं केवतियं काल ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेजतिभागं 7 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति समुग्धाता पराणत्ता ?, गोयमा ! पंच समुग्घाता पगणत्ता, तंजहा-वेदणासमुग्घाए जाव तेयासमुग्घाए 8 / ते णं भंते ! जीवा मारणांतियसमुग्धागणं किं समोहता मरंति असमोहता मरति ?, गोयमा ! समोहतावि मरंति असमोहयावि मरंति 1 / ते ण भंते ! जीवा श्रणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति ? कहिं उववज्जति ?-कि नेरतिएसु उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएसु पुच्छा, गोयमा! एवं उव्वट्टणा भाणियव्वा जहा वक्कंतीए तहेव 10 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति जातीकुलकोडीजोणीपमुह-सयसहस्सा पराणता ?, गोयमा ! बारस जातीकुलकोडी-जोणी Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 250 ) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभाग पमुह-सयमहस्सा . 11 / भुयगपरिसप्प-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं भंते ! कतिविधे जोणीसंगहे पराणत्ते ?, गोयमा ! तिविहे जोणीसंगहे पगणने, तंजहा-ग्रंडगा पोयगा संमुच्छिमा, एवं जहा खहयराणं तहव, णाणत्तं जहन्नेणं अतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुब्बकोडी, उव्वट्टिता दोच्चं पुढवि गच्छंति, णव जातीकुलकोडी-जोणीपमुहसतसहस्सा भवंतीति मक्खायं, सेसं तहव 12 / उरगपरिसप्प-थलयर-पचेंदिय तिरिक्खजोणियाणं भंते ! पुच्छा, जहेर भुयगपरिसप्पाणं तहेव, णवरं ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुनकोडी, उध्वट्टित्ता जाव पंचमिं पुदविं गच्छंति, दस जातीकुलकोडी 13 / उप्पय-थलयर-पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! दुविधे पराणत्ते, तजहा-जराउया (पोयया) य संमुच्छिमा य, (से किं तं) जराउया.(पोयया)?, 2 तिविधा पराणत्ता, तंजहा-इत्थी पुरिसा णपुंसका, तत्थ णं जे ते संमुच्छिमा ते सव्वे गपुसया 14 / तेसि णं भंते! जीवाणं कति लेस्सायो पराणत्तायो ?, सेसं जहा पक्खीणं, णाणत्तं ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलियोवमाइं, उव्वट्टित्ता चउत्थिं पुढविं गच्छति, दस जातीकुलकोडी 15 / जलयर-पंचेंदियतिरिवखजोणियाणं पुच्छा, जहा भुयगपरिसप्पाणं णवरं उव्वट्टित्ता जाव. अधेसत्तमं पुढवि पद्धतेरस जातीकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्सा पत्नत्ता 16 / चउरिंदियाणं भंते ! कति जातीकुलकोडीजोणीपमुहसतसहस्सा पराणत्ता ?, गोयमा ! नव. जाईकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्सा समक्खाया 17 / तेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! अट्ठजाईकुल जाव मक्खाया 18 / बेइंदियाणं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! सत्त जाईकुलकोडी. जोणीपमुहसयसहस्सा / / सू० 17 // कई णं भंते ! गंधा पराणत्ता ? कई णं भंते ! गंधसया पण्णत्ता ?, गोयमा ! सत्त गंधा सत्त गंधसया पराणत्ता 1 / कई गं भंते ! पुष्फजाई कुलकोडीजोणिपमुहसयसहस्सा पराणता ?, गोयमा ! . सोलस-पुप्फजातीकुलकोडीजोणीपमुह-सयसहस्सा पराणत्ता, Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री जीवाजोवाभिगम-सूत्रम् :: तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 251 तंजहा-चत्तारि जलयराणं चत्तारि थलयराणं चत्तारि महारुक्खियाणं चत्तारि महागुम्मिताणं 2 / कति णं भंते ! वल्लीश्रो कति वल्लिसता पराणता ? गोयमा ! चत्तारि वल्लीयो.चत्तारि वल्लीसता पराणत्ता 3 / कति णं भंते ! लतायो कति लतासता पराणत्ता ?, गोयमा ! अट्ठ लयायो अट्ठ लतासता पराणत्ता 4 / कति णं भंते ! हरियकाया हरियकायसया पराणता ?, गोयमा ! तश्रो हरियकाया तथो हरियकायसया पराणत्ता, फलसहस्संच बिटबद्धाणं फलसहस्सं च णालबद्धाणं, ते सव्वे हरितकायमेव समोयरंति, ते एवं समणुगम्ममाणा 2 एवं समणुगाहिजमाणा 2 एवं समणुपेहिजमाणा 2 एवं समणुत्रितिजमाणा 2 एएसु चेव दोसु काएसु समोयरंति, तंजहातसकाए चेत्र थावरकाए चेव, एवमेव सपुवावरेणं श्राजीवियदिट्टतेणं चउरासीति जातिकुलकोडी-जोणीपमुह-सतसहरसा भवंतीति मक्खाया|सू.१८॥ अत्थि णं भंते ! विमाणाई सोत्थि(अच्चि)याणि सोत्थि(अच्चि)यावत्ताई सोत्थिय(अच्चि)पभाई सोत्थिय(अचि)कंताई सोत्थिय(अच्चि)वन्नाई सोत्थिय(अच्चि)लेसाई सोत्थिय(अचि)झयाई सोत्थिय(अचि)सिंगाराइंसोत्थिय(अचि)कूडाई सोत्थिय(अच्चि)सिट्टाई सोत्थुत्तर(अच्चि)वडिंसगाई ?, हंता अस्थि 1 / तेणं भंते ! विमाणा. केमहालता पन्नत्ता ? गोयमा ! जावतिए णं सूरिए उदेति जावइएणं च सूरिए अत्थमति एवतिया तिराणोवासंतराइं अत्थेगतियस्स देवस्स एगे विक्कमे सिता, से णं देवे ताए उकिट्टाए तुरियाए जाव दिवाए देवगतीए वीतीवयमाणे 2 जाव एकाहं वा दुयाहं वा उकोसेणं छम्मासा वितीवएजा, अत्थेगतिया विमाणं वितीवइज्जा अत्यंगतिया विमाणं नो वीतीवएजा, एमहालता णं गोयमा ! ते विमाणा- पराणत्ता 2 / अस्थि णं भंते ! विमाणाई अच्चीणि (सोत्थियाई) चिरावत्ताई तहेव जाव श्रच्चुत्तरवडिसगाति ?, हंता अस्थि 3 / ते विमाणा केमहालता पराणत्ता ?, गोयमा ! एवं जाव सोत्थी(याई)णि णवरं एवतियाई पंच उवासंतराई Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 252 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पश्चमो विभागः अत्थेगतियस्स देवस्स एगे विक्कमे सिता सेसं तं चेव 4 / अस्थि णं भंते ! विमाणाई कामाई कामावत्ताई जाव कामुत्तरवडिप्सयाई ?, हंता अस्थि 5 / ते णं भंते ! विमाणा केमहालया पराणता ?, गोयमा ! जहा सोत्थीणि(सोत्थियाईणि) णवरं सत्त उवासंतराइं विक्कमे सेसं तहेव 6 / अस्थि णं भंते ! विमाणाई विजयाई वेजयंताई जयंताई अपराजिताई ?, हंता अत्थि७। ते णं भंते ! विमाणा केमहालया पण्णता ?, गोयमा ! जावतिए सूरिए उदेइ एवइयाई नव श्रीवासंतराइं, सेसं तं वेव. नो चेव णं ते विमाणे वीईवएजा एमहालया णं विमाणा पराणत्ता, समणाउसो ! 8 // सू० 11 / तिरिक्ख.. जोणियउद्दसत्रो पढमो॥ // इति तृतीयप्रतिपत्तौ तिरंगधिकारे प्रथम उद्देशकः // 3-2-1 // // अथ तृतीयप्रतिपत्तौ तिर्यगधिकार द्वितीयोद्देशकः // - कतिविहा णं भंते ! संसारसमावराणगा जीवा पराणता ?, गोयमा ! छविहा पराणत्ता, तंजहा-पुढविकाइया जाव तसकाइया 1 / से किं तं पुदविकाइया ?, पुढविकाइया दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सुहुमपुढविकाइया य बादरपुढविकाइया य 2 / से किं तं सुहुमपुढविकाइया ?, 2 दुविहा परणत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य, सेत्तं सुहुमपुढविकाइया 3 / से किं तं बादरपुढविक्काइया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य, एवं जहा पराणवणापदे, सगहा सत्तविधा पराणत्ता, खरा अणेगविहा पन्नत्ता, जाव असंखेजा, से तं बादर पुढविकाइया, सेत्तं पुढविकाइया 4 / एवं चेव जहा पराणवणापदे तहेव निरवसेसं भाणितव्वं जाव वणप्फतिकाइया, एवं जाव जत्थेको तत्थ सिता संखेज्जा सिय असंखेजा सिता श्रणंता, सेत्तं बादरवणप्फतिकाइया, से तं वणस्सइकाइया 5 / से किं तं तसकाइया ?, 2 चउब्विहा पराणत्ता, तंजहा-बेइंदिया Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् - तृतीया प्रतिपत्तिः / _[ 153 तेइंदिया चरिंदिया पंचेंदिया 6 / से किं तं बेइंदिया ?, 2 अणेमविधा पराणत्ता, एवं जं चेव पराणवणाएदे तं चेव निरवसेसं भाणितव्वं जाव सव्वट्ठसिद्धगदेवा, सेतं अणुत्तरोववाइया, से तं देवा, से तं पंचेंदिया, से तं तसकाइया 7 // सू० 100 // कतिविधा णं भंते ! पुढधी पराणत्ता ?, गोयमा ! छबिहा पुढवी पराणत्ता, तंजहा-सराहापुढवी सुद्धपुढवी वालुयापुढवी मणोसिलापुढवी सक्करापुढवी खरपुढवी 1 / सराहापुढवीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं एगं वाससहस्सं 2 / सुद्धपुढवीए पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बारस वाससहस्साई 3 / वालुयापुढवी पच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं चोइस वाससहस्साई 4 / मणोसिलापुढवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सोलस वाससहस्साई 5 / सकरापुढवीए पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अट्ठारस वाससहस्साई 6 / खरपुढवि पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीस वाससहस्साई 7 / (सराहा य सुद्धवालु अ मणोसिला सक्करा य खरपुढवी। इग-बार-चोइस-सोल-ढार-बावीस-समसहस्सा // 1 // ) नेरइयाणं भंते ! कवतियं कालं ठिती पराणत्ता?, गोयमा ! जहराणेणं दस वाससहस्साई उकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिती, एयं सव्वं भाणियव्वं जाव सव्वट्ठसिद्धदेवत्ति 8 / जीवे णं भंते ! जीवेत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सब्बद्धं 1 / पुढविकाइए णं भंते ! पुढविकाइएत्ति कालतो केवचिरं होति ?, गोयमा ! सव्वद्धं, एवं जाव तसकाइए १०॥सू० 101 // पडप्पन्नपुढविकाइया णं भंते ! केवतिकालस्स गिल्लेवा सिता ?, गोयमा ! जहराणपदे असंखेजाहिं उस्सप्पिणियोसप्पिणीहिं उक्कोसपए असंखेजाहिं उस्सप्पिणीयोसप्पिणीहिं, जहन्नपदातो उकोसपए असंखेजगुणा, एवं जाव पडुप्पन्नवाउकाइया :1 / पडुप्पन्नवणप्फइकाइयाणं भंते ! केवतिकालस्स Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 254) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विमागः निल्लेवा सिता ?, गोयमा ! पडुप्पन्नवणप्फइकाइयाणं जहराणपदे अपदा उकोमपदे अपदा, पडुप्पन्नवणप्फतिकाइयाणं णत्थि निल्लेवणा 2 / पडुप्पन्नतसकाइयाणं पुच्छा, जहराणपदे सागरोवमसतपुहुत्तस्स. उक्कोसपदे सागरोवमसतपुहुत्तस्स, जहराणपदा उक्कोसपदे विसेसाहिया 3 ॥सू० 102 // अविसुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे असमोहतेणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेस्सं देवं देविं श्रणगारं जाणइ पासइ ?, गोयमा ! नो इणढे समढे 1 / अविसुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे असमोहएणं अप्पाणएणं विसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ पासइ ?, गोयमा ! नो इण? समढे 2 / अविसुद्धलेस्से अणगारे समोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणति पासति ?; गोयमा ! नो इण? सम? 3 / अविसद्धलेस्से अणगारे समोहतेणं अप्पाणेणं विसुद्धलेस्सं देवं. देविं अणगारं जाणति पासति ?, नो तिण8 समढे 4 / अविसुद्धलेस्से णं भंते! अणगारे समोहयासमोहतेणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणति पासति ?, नो तिण8 सम8. 5 / अविसुद्धलेस्से अणगारे समोहतासमोहतेणं अप्पाणेणं विसुद्धलेस्सं देवं देवि श्रणगारं जाणति पासति ?, नो तिण? समढे 6 / विसुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे असमोहतेणं अप्पाणेणं अविसुद्ध लेस्सं देवं देवि अणगारं जाणति पासति ?, हंता जाणति पासति जहा अविसुद्धलेस्मेणं घालावगा एवं विसुद्धलेस्सेणवि छ घालावगा भाणितव्वा, जाव विसुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे समोहतासमोहतेणं अप्पामेणं विसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणति पासति ?, हंता जाणति पासति 7 // सू० 103 // अराणउत्थिया णां भंते ! एवमाइक्खंति एवं भासेंति एवं पराणवेंति एवं पस्वंति–एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियायो पकरेति, तंजहा-सम्मत्तकिरियं च मिच्छत्तकिरियं च, जं समयं संमत्तकिरियं पकरेति, तं समयं मिच्छत्तकिरियं पकरेति, जं समयं Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: तृतीया प्रतिपत्तिः } / 255 मिच्छत्तकिरियं पकरेइ तं समयं संमत्तकिरियं पकरेड, संमत्तकिरियापकरणताए मिच्छत्तकिरियं पकरेति मिच्छत्तकिरियापकरणताए संमत्तकिरियं पकरेति 1 / एवं खुल एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरितातो पकरेति, तंजहासंमत्तकिरियं च मिच्छत्तकिरियं च, से कहमेतं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जन्नं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति एवं भासंति एवं पराणवेंति एवं परति एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियायो पकरेति तहेव जाव सम्मत्तकिरियं च मिच्छत्तकिरियं च 2 | जे ते एबमाइंसु तं णं मिच्छा, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एगं किरियं पकरेति, तंजहा-संमत्तकिरियं वा मिच्छत्तकिरियं वा, जं समयं संमत्तकिरियं एकरेति णो तं समयं मिच्छत्तकिरियं पकरेति, तं चेव जं समयं मिच्छत्तकिरियं पकरेति नो तं समयं संमत्तकिरियं पकरेति, संमत्तकिरियापकरणयाए नो मिच्छत्तकिरियं पकरेति मिच्छत्तकिरियापकरणयाए णो संमत्तकिरियं पकरेति 3 / एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एगं किरियं पकरेति, तंजहा-संमत्तकिरियं वा मिच्छत्तकिरियं वा // सू० 104 // से तं चाम्बिह पडिवत्तीए तिरिक्खजोणियउद्देसयो बीयो समत्तो॥ // इति तृतीयप्रतिपत्तौ तिर्यगधिकारे द्वितीय उद्देशकः // 3-2-2 // // अथ तृतीयप्रतिपत्तौ मनुष्याधिकारे प्रथमोद्देशकः // ... से किं तं मणुस्सा ?, मणुस्सा दुविहा पराणत्ता, तंजहा-समुच्छिममणुस्मा य गम्भवक्कंतियमणुस्सा यं // सू० 105 // से किं तं समुच्छिममणुस्सा ?, 2 एगागारा पराणत्ता 1 / कहि णं भंते ! संमुच्छिममणुस्सा संमुच्छंति ?, गोयमा ! अंतोमणुस्सखेत्ते जहा पराणवणाए जाव सेत्तं संमुच्छिममणुस्सा 2 // सू० 106 // से कि तं गम्भवक्कंतियमणुस्सा ?, 2 तिविधा पराणत्ता, तंजहा-कम्मभूमगा अकम्मभूमगा अंतरदीवगा॥सू० 107 // Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 226 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: पञ्चमो विभागः से किं तं अंतरदीवगा ?, 2 अट्ठावीसतिविधा पराणत्ता, तंजहा-एगोख्या थाभासिता वेसाणिया णांगोली हयकरणगा-गजकराणगा गोकराणगा सक्कु. लीकन्नगा यायंसमुहा मेंदमुहा अयोमुहा गोमुहा अासमुहा हत्थिमुहा सिहमुहा विजुमुहा वग्धमुहा वासकराणा सिंहकराणा अकराणा कराणयावरणा उकामुहा मेहमुहा विज्जुदंता विज्जुजीहा घणदंता गूढदंता सुद्भदंता // सू० 108 // कहि णं भंते ! दाहिणिलाणं एगोरूमणुस्साणं एगोरूदीवे णामं दीवे पराणत्ते ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे 2 मंदरस्से पब्वयस्स दाहिणेणं चुल्लहिमवंतस्त वासघरपव्वयस्स उत्तरपुरच्छिमिल्लायो चरिमंतायो लवणसमुद्दतिन्नि जोयणसयाइं श्रोगाहित्ता एत्थ णं दाहिणिलाणं एगोरुयमणुस्साणं एगुरुयदीवे णामं दीवे पराणते तिन्नि जोयणसयाई प्रायामविखंभेणं णव एकूणपराणजोयणसएं किंचि विसेसेण परिक्खेवेणं एगाए पउमवरवेदियाए एगेणं च वणसंडेणं सबो समंता संपरिविखत्ते 1 / सा णं पउमवरवेदिया अट्ठ जोयणाई उट्ठ उच्चत्तेणं पंच धणुसयाई विक्खंभेणं एगुरुयदीवं समंता परिक्खेवेणं पराणत्ता 2 / तीसे णं पउमवरवेदियाए अयमेयास्वे वराणावासे पगणते, तंजहा-वइरामया निम्मा एवं वेतियावरणश्रो जहा रायपसेणईए तहा. भाणियव्यो 3 // सू० 101 // सा णं पउमवरवेतिया एगेणं वणसंडेणं सब्बश्रो समंता संपरिक्खित्ता 1 / से णं वणसंडे देसूणाई दो जोयणाई चकवालविरखंभेणं वेतियासमेणं परिक्खेवेणं पराणत्ते, से णं वणसंडे किराहे किराहोभासे, एवं जहा रायपसेणइय-वणसंडवरणश्रो तहेव निरवसेसं भाणियबं, तणाण य वरणगंधफासो सहो तणाणं वावीश्रो उप्पायपव्वया पुढविसिलापट्टगा य भाणितब्वा जाव तत्थ णं बहबे वाणमंतरा देवा य देवीश्रो य श्रासयंति जाव विहरंति 2 ॥सू० 110 // एगोख्यदीवस्स णं दीवस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, से जहाणामए प्रालिंगपुक्खरेति वा 1 / एवं सयणिज्जे भाणितब्वे Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् : प्रथमाधिकारेः तृतीया प्रतिप्रत्तिः / [ 257 जाव पुढविसिलापट्टगंसि तत्थ णं बहवे एगुरुयदीवया मणुस्सा य मणुस्सीयो य श्रासयंति जाव विहरंति 2 / एगुरुयदीवे णं दीवे तत्थ तत्थ देसे तहि 2 बहवे उद्दालका कोदालका कतमाला णयमाला णट्टमाला सिंगमाला संखमाला दंतमाला सेलमालगा णाम दुमगणा पराणत्ता, समणाउसो ! कुसविकुस-विसुद्धरुक्खमूला मूलमंतो कंदमंतो जाव बीयमंतो पत्तेहि य पुप्फेहि य अच्छराणपडिच्छराणा सिरीए अतीव 2 उवसोभेमाणा उपसोहेमाणा चिट्ठांति 3 / एकोख्यदीवे णं दीवे रुक्खा बहवे हेरुयालवणा भेरुयालवणा मेरुयालवणा सेरुयालवणा सालवणा सरलवणा सत्तवराणवणा पूतफलित्रणा खज्जूरिवणा णालिएरिवणा कुसविकुस-विसुद्ध रुवखमूला जाव चिट्ठति, एगुरूदीवेणं तत्थ 2 बहेव तिलया लवया नग्गोधा जाव रायरुक्खा णंदिरुक्खा कुसविकुस-विसुद्धरुक्खमूला जाव चिट्ठांति 4 / एगुख्यदीवे णं तत्थ 2 बहुयो पउमलयात्रो जाव सामलयाश्रो निच्चं कुसुमितायो एवं लयावरणयो जहा उपवाइए जाव पडिरूवायो 5 / एकोख्यदीवे णं तत्थ 2 बहवे सेरियागुम्मा जाव महाजातिगुम्मा ते णं गुम्मा दसद्धवराणं कुसुमं कुसुमंति विधूयग्गसाहा जेण वायविधूयग्गसाला एगुरुयदीवस्स बहूसमरमणिजभूमिभागं मुक्कपुष्फयुंजोक्यारकलियं करेंति 6 / एकोख्यदीवे णं तत्थ 2 बहूयो वणरातीयो पराणत्ताश्रो, ताो णं वणरातीतो किराहातो किराहोभासायो जाव रम्मायो महामेह-णिगुरुंबभूतायो जाव महतीं गंधद्धणि मुयंतीयो पासादीतायो 4,7 / एगुरुयदीवे तत्थ 2 बहवे मत्तंगा णाम दुमगणा पराणत्ता समणाउसो ! जब से चंदप्पभमणि-सिलाग-वरसीधुपवरवारुणि-सुजातफलपत्तपुप्फचोयणिज्जा संसार-बहुदवजुत्त संभारकाल-संधयासवा-महुमेर-गरिटा भदुद्धजाती-पसन्नमेल्लगसताउ खज्जूर-मुद्दिया-सारकाविसायण-सुपक-खोयर-सवर-सुरा वराण-रस-गंध-फरिस-जुत्तबलवीरियपरिणामा मजविहित्थ-बहुप्पगारातदेवं ते मत्तंगयावि दुमगणा प्रोगबहु-विविह-वीससा Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 258 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विमागः परिणयाए मजविहीए उववेदा फलेहि पुराणा वीसंदंति कुसविकुस-विसुद्धरुक्खमूला जाव चिट्ठति 1, 8 / एकोरूए दीवे तत्थ 2 बहवो भिंगंगया णाम दुमगणा पराणत्ता समणाउसो!, जहा से बारग-घडकरग-कलसककरि-पायंकंचणि-उदंकवद्धणि-सुपविट्टरपारी-वसक-भिंगार-करोडि-सरगथरग-पत्तीथाल-णत्थग-बवलियश्रवपदगवारक-विचित्तवट्टक- मणिवट्टक-सुत्तिचारुपिणया कंचण-मणिरयणभत्तिविचित्ता भायणविधीए बहुप्पगारा तहेव ते भिंगंगयावि दुमगणा अणेग बहुग-विविहवीमसाए परिणताए भाजणविधीए उववेया फलेहिं पुनाविव विमट्टति कुसविकुसविसुद्धक्खमूला जाव चिट्ठति 2, 1 / एगोरूगदीवे णं दीवे तत्थ 2 बहवे तुडियंगा णाम दुमगणा परांणता समणाउसो।, जहा से आलिंग-मुयंग-पणव-पडह-दहरगकरडिडिडिमभंभा-होरंभ-करिणयार-खरमुहि-मुगुद-संखिय-परिलीवव्वगपरिवाइणि-वंसावेणु वीणा-सुघोसविवंचिमहति-कच्छभिरगसगा--तलताल-कंसताल-सुसंपउत्ता श्रोतोज-विधीणिउण-गंधव-समय-कुसलेहिं फंदिया तिट्ठाणसुद्धा तहेव ते तुडियंगयावि दुमगणा अणेगबहु-विविध-वीससा-परिणामाए तत-विततघणसुसिराए चउविहाए यातोजविहीए उववेया फलेहिं पुराणा विसट्टति कुसविकुस-विसुद्धरुक्खमूला जाव चिट्ठति 3, 10 / एगोरुयंदीणं दीवे तत्थ 2 बहवे दीवसिहा णाम दुमगणा पराणत्ता समणाउसो !, जहा से संझाविरागसमए नवणिहिपतिणो दीविया चकवालविंदे पभूय-वट्टिपलित्ताणेहिं धणिउज्जालियतिमिरमदए कणगणिगर-कुसुमित-पालियातयवणप्पगासो कंत्रणमणिरयण-विमल-महरिह-तवणिज्जुजल-विचित्तदंडाहिं दीवियाहिं सहसा पजलिऊसविय-णिद्ध-तेयदिप्पंत-विमल-गहगणसमापहाहि. वितिमिरकर-सूर पसरिउल्लोयचिल्लियाहिं जावुजल-पहसियाभिरामाहिं सोभेमाणा तहेव ते दीवसिहावि दुमगणा अणेगबहु-विविह-वीससापरिणामाए उज्जोयविधीए उववेदा फलेहिं पुराणा विसट्टांति कुप्तविकुसविसुद्ध-रुक्खमूला जाव चिट्ठति Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / [ 256 4, 11 / एगुरूयदीवे तत्थ 2 बहवे जोतिसिहा णाम दुमगणा पराणत्ता, समणाउसो !, जहा से अचिरुग्गय-सरय-सूरमंडल-पडत(पचंड)उकासह. स्सदिप्पंत-विज्जुजाल-हुयवह-निम-जलियनिद्धंतधोय-तत्त-तवणिज-कियासोय-जावा-सुयण कुसुम-विमउलिय पुज-मणिरयण-किरण-जच्च-हिंगुलुयणिगररूवाइरेगरूवा तहेव ते जोतिमिहावि दुमगणा अणेगबहु-विविह-बीससापरिणयाए उज्जोयविहीए उववेदा सुहलेस्सा मंदलेस्सा मंदायवलेस्सा कूडाय इस ठाणठिया अन्नमन्नसमोगाढाहिं लेस्साहिं सार पभाए सपदेसे सव्वश्रो समंता योभासंति उजोति पभासेंति कुसविकुसविसुद्ध-रक्खमूला जाव चिट्ठति 5, 12 / एगुरूयदीवे तत्थ 2 बहवे चित्तंगा णाम दुमगणा पगणत्ता समणाउसो!, जहा से पेच्छाघरे विचित्ते रम्मे वरकुसुम-दाममालुजले भासंत-मुक-पुष्फ पुजोवयारकलिए विरल्लिय-विचित्त-मल्ल-सिरिदाममल्ल-सिरिसमुदयप्पगम्भे गंथिम वेढिम पूरिम संघाइमेण मल्लेण छेयसिप्पियं विभारतिषण सञ्चतो चेव समणुबद्धे पविरल-लंवंत-विप्पइट्ठोहिं पंचवरागोहिं कुस्तुमदामेहिं सोभमागहिं. सोभमाणे वणमालंतग्गए चेव दिप्पमाणे तहेव ते चित्तंगयावि दुमगणा अणेगबहुविविह-वीससापरिणयाए मल्लविहीए उपवेया कुसविकुसविसुद्ध-रुक्खमूला जाब चिट्ठति 6, 13 / एगुरुयदीवे तत्य 2 बहवे चित्तरसा णाम दुमगणा पराणत्ता समणाउसो !, जहा से सुगंधवर-कलमसालि-तंदुल-विसिट्ट-णिरुवहतदुद्धरद्धे सारय-घय-गुड-खंडमहुमेलिए अतिरसे परमराणे होज उत्तमवराणगंधभंते रराणो जहा वा चकवट्टिस्स होज णिउणेहिं सूतपुरिसेहि सजिएहिं वाउ(चउर)कप्पसेअसित्ते इव योदणे कलमसालिणिज्जत्तिएदि एक्के सव्वप्फमिउवसयसंगसित्थे अणेगसालणगसंजुत्ते ग्रहवा पडिपुराण-दव्वुवक्खडेसु सकए वरण-गंध-रस-फरिसजुत्त-बल-विरियपरिणामे इंदियबल-पुट्ठिवद्धणे खुष्पिवासमहणे पहाणे गुल-कटि(ट्ठि)यखंड-मच्छंडियउवणीए पमोयगे सराहसमियगब्भे हवेज Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 260 ] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विपागः परमइटुंगसंजुत्ते तहेव ते चित्तरसावि दुमगणा अणेगबहुविविह-वीससापरिणपाए भोजणविहीए उववेदा कुमविकुसविसुद्ध-रुखमूला जाव चिट्ठति 7, 14 / एगुरूए दीवे णं तत्थ 2 बहवं मणियंगा नाम दुमगणा पराणत्ता समणाउसो !, जहा से हारद्धहार-वट्टणग-मउड-कुंडल-वासुत्तग-हेमजालमणिजाल-कणगजालग-मुत्तगउचिइय-कडगाखुडिय-एकावलि-कंठसुत्त-मंग(ज). रि-मउरत्य-गेवेज-सोणिसुत्तग-चूलामणि-कणग-तिलग-फुलसिद्धत्यय-कराणवालि-ससिसूर-उसम-चक्कग-तलभंग-तुडिय-हत्थिमालग-वलक्ख-दीणारमालिता चंदसूरमालिता हरिमय-केयूर-वलय-पालंय-अंगुलेजग-कंचीमेहलाकलावपयरग-पायजाल-घंटिय--खिखिणि-रयणोरुजालत्थिगिय–वरणेउर. चलणमालिया कणगणिगरमालिया कंचणमणिरयणभत्तिचित्ता भूसणविधी बहुप्पगारा तहेव ते मणियंगावि दुमगणा अणेगबहुविविहवीससापरिणताए भूमणविहीए उववेया कुसविकुसविसुद्ध-रुस्खमूला जाव चिट्ठति 8, 15 / एगुख्यए दीवे तत्थ 2 बहवे गेहागारा नाम दुमगणा पण्णत्ता समणाउसो! जहा से पागारट्टालग-चरियदार-गोपुर-पासायाकासतलमंडव-एगसालबिमालग-तिसालग-चउरंस-चउसालगभघर--मोहणघर-वलभिघर-चित्तसालमालयभत्तिवर-वट्ट-तंस-चतुरंस-दियावत्त-संठियायत-पंडुरतल-मुडमाल. हम्मियं श्रव णं धवलहर-श्रद्धमागह-विभम-सेलद्धसेलसंठिय-कूडागारट्ठ. सुविहिकोट्ठग-अणेगघर-सरणलेण--श्रावण-विडंगजाल-चंदणिज्जूह-अपवरकदोवालि-चंदसालिय-रूवविभत्तिकलिता भवणविही बहुविकप्पा तहेव ते गेहागा. रावि दुमगणा अणेगबहुविविध-वीससापरिणयाए सुहारुहणे सुहोत्ताराए सुहनिक्खमणप्पवेसाए ददरसोपाणपंतिकलिताए पइरिकाए सुहविहाराए मणोऽणुकूलाए भवणविहीए उववेया कुसविकुसविसुद्ध-रुक्खमूला जाव चिट्ठांति 1, 16 / एगोरुयदीचे तत्थ 2 बहवे अणिगणा णामं दुमगणा पराणत्ता समणाउसो ! जहा से योगसो मंतणुतं कंबल-दुगुल्ल-कोसेज-कालमिग Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [261 पट्टचीणंसुय-बरणातवारवणिगयतु-श्राभरण-चित्तसहिणग-कल्लाणग-भिंगिणीलकजल-बहुवराण-रत्तपीत--सुकिल्ल-मक्खयमिग-लोमहेमप्फरुराणगवसरत्तग-सिंधुयोसभदामिलवंग-कलिंग-नेलिणतंतुमयभत्तिचित्ता वत्थविही बहुप्पकारा हवेज वरपट्टणुग्गता वरणरागकलिता तहेब ते अणियणावि दुमगणा अणेगबहुविविह-बीससापरिणताए वत्थविधीए उववेया कुसविकुसविसुद्ध-रुक्खमूला जाव चिट्टांति 10, 17 / एगोख्यहीवे णं भंते ! दीवे मणुयाणं केरिसए आगारभावपडोयारे पराणत्ते ?, गोयमा ! ते णं मणुया अणुवमवरतर-सोमचारुरूवा भोगुत्तमगयलवखणा (भोगलरखणघरा) भोगसस्सिरीया सुजायसवंगसुदरंगा सुपतिट्ठिय-कुम्मचारुचलणा रत्तुप्पल-पत्तमउयसुकुमालकोमलतला नगनगर-सागरमगर-चक्कंक-वरंक-लक्खणंकियचलणा अणुपुब्व-सुसाहतंगुलीया उराणय-तणु-तंबणिद्धणखा संठिय-सुसिलिट्ठ-गूढगुप्फा एणीकुरुविंदावत्त-वट्टाणुपुव्वजंघा समुग्गणि-मग्ग-गूढजाणू गतससणसुजात-सरिणभोरू वरवारण-मत्त-तुलविक्कम-विलासितगती सुजात-वरतुरगगुज्झदेसा याइराणहतोव णिवलेवा पमुइय-वरतुरिय-सीह-अतिरेगवट्टियकडी साहय-सोणिंद-मुसल-दप्पण-णिगरितवरकणगच्छ(रु)-सरिस--वरवइरपलितमज्मा उज्जुय-समसहित-सुजात-जचतणु-कसिण-णिद्धादेज-लडह-सुकुमालमउय-रमणीजरोमराती गंगावत्त-पयाहिणावत्त-तरंगभंगुर-रविकिरणतरुणबोधित कोसायंत-पउम-गंभीरवियडणाभी झस-विहग-सुजातपीणकुच्छी झसोदरा सुइकरणा पम्हवियडणाभा सगणयपासा संगतपासा सुदरपासा सुजातपासा मितमाइय-पीणरतियपासा अकरुंडय-कणगरुयग-निम्मल-सुजाय-निरुवहय. देहधारी पसत्य-बत्तीस लक्खणधरा कणगसिलातलुजल-पसत्थ-समयलोवत्रिय-विच्छिन्न-पिहुलवच्छी सिरिवच्छंकियवच्छा पुरवर-फलिह-वट्टियभुया भुयगीसर-विपुल-भोग-यायाण-फलिह-उच्छूढदीहबाहू जूयसन्निभ-पीण-रतियपीवरपउट्ठ-संठिय- -सुसिलिट्ठ-विसिट्ठ-घणथिर-सुबद्ध-सुनिगूढ-पव्वसंधी Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 262 / -: " | श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो बिमागो रत्ततलोवइत-मउय-मंसल-पसत्थलक्खण-सुजाय-अच्छिद्दजालपाणीपीवरखट्टियसुजाय-कोमलवरंगुलीया तंबतलिण-सुचि-रुइर-णिद्धणक्खा चंदपाणिलेहा सूरपाणिलेहा संखपाणिलेहा चकपाणिलेहा दिसासोअस्थियपाणिलेहा चंदसूर-संख-चक्क-दिसासोअस्थिय-पाणिलेहा श्रणेग-वरलक्खणुत्तम-पसत्थसुचिरतियपाणिलेहा वरमहिस-वराह-सीह-सदूल-उसभ-णाग-वरपडिपुन्न-विउ. ल-उन्नत-मइंदखंधा चउरंगुल-सुप्पमाण-कंबुवरसरिसगीवा-अवट्टित-सुविभत्तसुजात-चित्त-मंसू-मंसल संठिय-पसत्थ-सद्ल-विपुल हणुयायो तवितसिलप्पवालबिंबफल-सन्निभाहरोट्ठा पंडुर-ससि-सगल-विमल-निम्मल-संख-गोखीर-फेण-दग-. रयमुणालिया धवलदंतसेढी अखंडदंता अफुडियदंता अविरलदंता सुजातदंता एगदंतसेढिव्व श्रोगदंता हुतवह-निद्धंतघोततत्त-तवणिज-रत्ततलतालुजीहा गरुलाययउज्जुतुगणासा अवदालिय-पोंडरीयणयंणा कोकासित-धवलपत्तलच्छा प्राणामिय-चाव-रुइल-किराह-पूराइय-संठिय-संगत-बायत-सुजात-तणुकसिण-निद्धभुमया अल्लीणप्पमाण जुत्तसवणा सुस्सवणा पीण-मंसल-कवोलदेसभागा अचिरुग्गय-बालचंद-संठिय-पसत्थ-विच्छिन्न-समणिडाला उडुवतिपडिपुराण-सोमवदणा छत्तागोरुत्त-मंगदेसा घणणिचिय-सुबद्ध-लक्खणुराणयकूडागार-णिभ-पिडियसिस्से दाडिमपुप्फ-पगास-तवणिज-सरिसनिम्मल-सुजायकेसंतकेसभूमी सामलि-बोंड-घणणिचिय-छोडिय-मिउविसय-पमत्थ-सुहुमलक्खण-सुगंध-सुदर-भुयमोयग-भिंगणील-कजल-पहटुभमरगणणिद्ध-णिकुरुंबनिचिय-कुचिय-पदाहिणावत्तमुद्धसिरया लक्खण-वंजण गुणोववेया-सुजायसुविभत्त-सुरूवगा(संगतंगा) पासाइया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा, ते णं मणुया हंसस्सरा कोंचस्सरा नंदिघोसा सीहस्सरा सीहघोसा मंजुस्सरा मंजुघोसा सुस्सरा सुस्प्तरणिग्घोसा छायाउजोतियंगमंगा वजरिसभनारायसंघयणा समचउरंससंगणसंठिया.सिणिछवी णिरायंका उत्तमपसत्थअइसेसनिरुवमतणू जल्ल-मल-कलंक-सेयरय-दोसजियसरीरा निरुवमलेवा अणुलोमवाउवेगा Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / [263 कंकग्गहणी कबोतपरिणामा सउणिव्व पोसपिटुतरोरुपरिणता विग्गहियउन्नयकुच्छी पउमुप्पल-सरिस-गंध-णिस्सास-सुरभिवदणा अधणुसयं ऊसिया, तेसि मणुयाणं चउसट्टि पिट्टिकरंडगा पराणत्ता समणाउसो !, ते णं मणुया पगतिभदगा पगतिविणीतगा पगतिउवसंता पगति-पयणु-कोह-माण-मायालोभा मिउमद्दवसंपराणा अल्लीणा भद्दगा विणीता अप्पिच्छा असंनिहिसंचया अचंडा विडिमंतरपरिवसणा जहिच्छियकामगामिणो य ते मणुयगणा पराणत्ता समणाउसो ! 18 / तेसि णं भंते ! मणुयाणं केवतिकालस्स थाहारट्टे समुष्पजति ?, गोयमा ! चउत्थभत्तस्स पाहारट्टे समुप्पजति 16 / एगोरुयमणुईणं भंते ! केरिसए अगारभावपडोयारे पराणत्ते ?, गोयमा ! तायो णं मणुईयो सुजाय-सव्वंगसुदरीयो पहाणमहिलागुणेहिं जुत्ता अच्चंत-विसप्पमाण-पउम-सूमाल-कुम्म-संठित-विसिट्ठचलणायो जुम्मिश्रो पीवर-निरंतर-पुट्टसाहितंगुलीता उरणय-रतियनलिणंव सुइ-णिद्धणखा रोमरहिय-वट्ट लट्ठसंठिय-अजहराण-पसत्थ-लक्खण-अकोप्पजंघजुयला सुणिम्मिय-सुगूढ-जाणुमंडल-सुबद्धसंधी कयलिक्खंभातिरेग-संठिय-णिव्वण-सुकुमाल-मउयकोमल-अविरल-समसहित-सुजात-बट्ट-पीवरणिरंतरोरू अट्ठावय-वीचीपट्टसंठिय-पसत्थ-विच्छिन्न-पिहुलसोणी वदणायामप्पमाण-दुगुणितविसालमंसल-सुबद्ध-जहण-वरधारणीतो वजविराइय-पसत्थ-लक्खण-णिरोदरा तिवलि-वलीय-तणुणमियमज्झितातो उज्जुय-सम-सहित-जचतणुकसिण-णिद्ध-प्रादेज-लडह-सुविभत्त-सुजात-कंत-सोभंत रुइल-रमणिजरोमराई गंगावत्त-पदाहिणावत्त-तरंग-भंगुर-रविकिरण-तरुणबोधित-अकोसायंत-परमवण-गंभीरवियडणाभी अणुब्भड-पसस्थ-पीणकुच्छी सराणयपासा संगयपासा सुजायपासा मितमातियपीणरइयपासा अकरंडुय-कणग-स्यग-निम्मल-सुजाय-णिरुषहय गातलट्ठी कंचण-कलस-समपमाण-समसहित-सुजात-लट्टचूचुय-ग्रामेलग-जमल-जुगल-वट्टिय-अभुगणय-रतियसंठियपयोधरायो Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 264 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः भुयंगणुपुत्व-तणुय-गोपुच्छ-वट्ट-समसहिय-णमिय-श्राएज-ललियवाहायो तंबणहा मंसलग्गहत्या पीवरकोमलवरंगुलीयो णिद्धपाणिलेहा रविससिसंख-चक-सोत्थिय-सुविभत्त-सुविरतियपाणिलेहा पीणुराणय-कक्खवत्थिदेसा पडिपुराण-गलकवोला चउरंगुल-सुप्पमाण-कंबु-वरसरिसगीवा मंसल-संठियपसत्थहणुया दाडिम-पुष्फप्पगास-पीवरपलंब-कुचियवराधरा सुंदरोत्तरोट्ठा दधि-दगरय चंद-कुद-वासंति-मउल-अच्छिद्दविमलदसणा रत्तुप्पल-पत्त मउयसुकुमाल-तालुजीहा कणयवर-मुउल-अकुडिल-अभुग्गत-उज्जुतुंगणासा सारद-णवकमल-कुमुद-कुवलय-विमुक्क-दल-णिगर-सरिस-लक्खण-अंकियकंतणयणा पत्तल-जवलायंत-तंबलोयणाश्रो श्राणामित-चाव-सइल-किराहभराइसंठिय-संगत-यायय-सुजात(तणु)कसिणणिद्धभमुया अल्लीण--पमाण-जुत्तसवणा(सुसवणा) पीण-मट्ठ-रमणिजगंडलेहा चउरंस-पसत्थ-समणिडाला कोमुतिरयणिकर-विमल-पडिपुन्नसोमवयणां छत्तुनयउत्तिमंगा कुडिल-सुसिणिद्धदीहसिरया छत्तज्झय-जुग-थूभ-दामिणि-कमंडलु-कलस वावि-सोत्थिय-पडागजव-मच्छ-कुम्म-रह-वरमगर-सुक-थाल-अंकुस-अट्ठावय-वीइ-सुपइट्टक-मयूर. सिरिदामाभिसेय-तोरण-मेइणि-उदधि-वरभवणगिरि-वरश्रायंस-ललिय-गतउसभ-सीह-चमर-उत्तम-पसत्थ-बत्तीसलक्खणधरातो हंहसरिसगतीतो कोतिलमधुर-गिरसुस्सरायो कंता सव्वस्स अणुनतातो ववगतवलिपलिया वंगदुव्वगण-बाही-दोभग्ग-सोगमुक्कायो उच्चत्तेण य नराण थोवृणमूसियायो सभाव-सिंगाराचारचारुवेसा संगतगत-हसित-भणिय-चेट्ठिय-विलास-संलावणिउण-जुत्तोवयारकुसला सुदरथण-जहण-वदण-कर-चलण-णयणमाला वरणलावराण-जोवण-विलासकलिया नंदणवण-विवर-चारिणीउव्व अच्छरायो अच्छेरगपेच्छणिज्जा पासाईतातो दरिसणिज्जातो अभिरुवायो पडिरुवायो 20 / तासि णं भंते ! मणुईणं केवतिकालस्स श्राहार? समुप्पज्जति ?, गोयमा ! उत्थभत्तस्स आहार? समुप्पजति 21 / ते. गणं Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवानीवाभिगम-पत्रम् : अधिकारः 1 तृतीया प्रातपत्तिः / भंते ! मणुया किमाहारमाहारेंति ?, गोयमा ! पुढविपुष्फफलाहारा ते मणुयगणा पराणत्ता समणाउसो ! 22 / तीसे णं भंते ! पुढवीए केरिसए आसाए पराणते ?, गोयमा ! से जहाणामए गुलेति वा खंडेति वा सकराति वा मच्छंडियाति का भिसकदेति वा पप्पडमोयएति वा पुष्फदामेइ वा पुष्फउत्तराइ वा पउमुत्तराइ वा अकोसिताति वा विजताति वा महाविजयाइ वा श्रायंसोवसाति वा श्रणोवसाति वा चाउरके गोखीरे चउठाणपरिणए गुडखंडमच्छंडिउवणीए मंदग्गिकडीए वराणेणं उववेए जाव फासेणं, भवेतारूवे मिता ?, नो इशाढे समझे, तीसे णं पुढवीए एत्तो इट्टयराए चेव जाव मणामतराए चे प्रासाए णं पराणत्ते, तेसि णं भंते ! पुष्फफलाणं केरिसए श्रासाए पगणते ?, गोयमा ! से जहानामए चाउरंतचकवट्टिस्स कलाणे पवरभोयणे सतसहस्सनिष्फन्ने वराणेणं उववेते गंधेणं उपवेते रसेणं उबवेते फासेणं उववेते आसाइगिज्जे वीसाइणिज्जे दीवणिज्जे बिहणिज्जे दप्पणिज्जे मयणिज्जे सविदियगातपल्हायणिज्जे, भवेताळवे सिता ?, णो तिण? सम?, तेसि णं पुष्पफलाणं एत्तो इट्टतराए चेव जाव श्रास्साए णं पराणत्ते 23 / ते णं भंते ! मणुया तमाहारमाहारित्ता कहि वसहि उति ?, गोयमा ! रुस्खगहालता णं ते मणुयगणा पराणत्ता समणाउमो ! 24 / ते णं भंते ! रुक्खा किंसंठिया पराणता ?, गोयमा ! कूडागारसंठिता पेच्छाघरसंठिता सत्तागारसंठिया भयसंठिया थूभसंठिया तोरणसंठिया गोपुरचेतियपा(या)लगसंठिता अट्टालगसंठिना पासादसंठिया हम्मतलसंठिया गवक्खसंठिया वालग्गपोत्तियसंठिया वलभीसंठिया अराणे तत्थ बहवे वरमवण-सयणासण-विसिट्ठ-संठाणसंठिता सुहसीयलच्छाया णं ते दुमगणा पराणत्ता समणाउसो ! 25 / अस्थि णं भंते ! एगोख्यहीवे दीवे गेहाणि वा गेहावणाणि वा ?, णो तिण? सम8, रुवखगेहालया णं ते मणुयगणा पमणत्ता समणाउसो ! 26 / अस्थि णं भंते ! एगूख्यदीवे 2 LIFEHitr Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः गामाति वा णगराति वा जाव सन्निवेसाति वा ?, णो तिण8 समढे, जहिच्छितकामगामिणो ते मणुयगणा पराणत्ता समणाउसो ! 27 / अस्थि णं भंते ! एगूख्यदीवे असीति वा ममीइ वा कसीइ वा पणीति वा वणिजाति वा ?, नो तिणडे सम?, ववगय-असिमसि-किसि-पणियवाणिज्जा णं ते मणुयगणा पराणत्ता समणाउसो ! 28 / अस्थि णं भंते ! एगुरुयद्दीवे हिरगणेति वा सुवन्नेति वा कंसेति वा दूसेति वा मणीति वा मुत्तिएति वा विपुन-धणकणग-रयण-मणिमोत्तिय-संख-सिलप्पवाल-संतसारसावएज्जेति वा ?, हता अस्थि, णो चेव णं तेसि मणुयाणं तिब्वे ममत्तभावे समुप्पजति 21 / अस्थि णं भंते ! एगोरुयदीवे रायाति वा जुवरायाति वा ईसरेति वा तलवरेइ वा माडंबियाति वा कोडबियाति वा इब्भाति वा. सेट्ठीति वा सेणावतीति वा सस्थवा हाति वा ?, णो तिण? समढे, ववगयइट्ठीसकारा णं ते मणुयगणा पराणत्ना समणाउसो ! 30 / अस्थि णं भंते ! एगूख्यदीवे 2 दासाति वा पेसाइ वा सिस्साति वा भयगाति वा भाइलगाइ वा कम्मगरपुरिसाति वा ?, नो तिण? सम?, ववगतग्राभियोगिता णं ते मणुयगणा पराणत्ता समणाउसो ! 31 / अस्थि णं भंते ! एगोरुयदीवे दीवे माताति वा पियाति वा भायाति वा भइणीति वा भजाति वा पुत्ताति वा धूयाइ वा सुराहाति वा ?, हंता अस्थि, नो चेव णं तेसि णं मणुयाणं तिब्वे पेमबंधणे समुप्पजति, पयांपेजबंधणा णं ते मणुयगणा पराणत्ता समणाउसो ! 32 / अस्थि णं भंते ! एगुरुयदीवे श्ररीति वा वेरएति वा घातकाति वा वहकाति वा पडिणीताति व पञ्चमित्ताति वा ?, णो तिण8 सम?, ववगतवेराणुबंधा णं ते मणुयगणा पराणत्ता समणाउसो.। 33 / अस्थि णं भंते ! एगोरूए दीवे मित्ताति वा वतंसाति वा घडिताति वा सहीति वा सुहियाति वा महाभागाति वा संगतियाति का ?, णो तिण? सम?, ववगतपेम्मा ते मणुयगणा पराणत्ता: समणाउसो ! 34 / अस्थि व भंते ! Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / / 267 एगोरूयदीवे अावाहाति वा वीवाहाति वा जराणाति वा महाति वा थालिपाकाति वा चेलोवणतणाति वा सीमंतुराणयणाइ वा पिति(मन)पिंडनिवेदणाति वा ?, णो तिण? सम8, ववगत-श्रावाह-विवाह जराणभद्दथालिपाग-चोलोवण-तण-सीमंतुराणय-गमतपिंडनिवेदणा गां ते मणुयगणा पराणत्ता समणाउणो ! 35 / अत्थि णं भंते ! एगोरुयदीवे 2 इंदमहाति वा खंदमहाति वा. रुद्दमहाति वा सिवमहाति वा वेसमणमहाइ वा मुगुदमहाति वा णागमहाति वा जक्खमहाति वा भूतमहाति वा कूवमहाति वा तलायणदिमहाति वा दहमहाति वा पव्वयमहाति वा रुक्खरोवणमहाति वा चेइयमहाइ वा थूभमहाति वा ?, णो तिण? समठे, ववगतमहमहिमा णं ते मणुयगणा पराणत्ता समणाउसो ! 36 / अत्थि णं भंते ! एगोरुयदीवे दीवे णडपेच्छाति वा णट्टपेच्छाति वा मल्लपेच्छाति वा मुट्ठियपेच्छाइ वा विडंबगपेच्छाइ वा कहगपेच्छाति वा पवगपेच्छाति वा अक्खायगपेच्छाति वा लासगपेच्छाति वा लंखपेच्छाइ वा मंखपेच्छाइ वा तूणइस्लपेच्छाइ वा तुबत्रीणपेच्छाइ वा कावणपेच्छाइ वा मागहपेच्छाइ वा जल्लपेच्छाइ वा ?, णो तिण8 सम8, ववगतकोउहल्ला णं ते मणुयगणा पराणत्ता समणाउसो ! 37 / अस्थि णं भंते ! एगुरुयदीवे सगडाति वा रहाति वा जाणाति वा जुग्गाति वा गिल्लीति वा थिल्लीति वा पिपिल्लीइ वा पवहणाणि वा सिवियाति वा संदमाणियाति वा ?, णो तिण? सम?, पादचारविहारिणो णं ते मणुस्सगणा. पराणत्ता समणाउसो ! 38 / अत्थि णं भंते ! एगुरुयदीवे यासाति वा हत्थीति वा उट्टाति वा गोणाति वा महिसाति वा खराति वा धोडाति वा अजाति वा एलाति वा ?, हंता अत्थि, नो चेव णं तेमि मणुयाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति 31 / अस्थि गां भंते ! एगुरुयदोवे दीवे सीहाति वा वग्याति वा विगाति वा दीवियाइ वा अच्छाति वा परच्छाति वा परस्सराति वा तरच्छाति वा बिडालाइ वा सुगागाति वा Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 268 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः कोलसुणगाति वा कोकंतियाति वा ससगाति वा चित्तलाति वा चिल्ललगाति वा ?, हंता अस्थि, नो चेव णं ते अण्णमराणस्स तेसि वा मणुयाणं किंचि श्राबाहं वा पाबाहं वा उप्पायंति वा छविच्छेदं वा करेंति, पगतिभदका णं ते सावयगणा पराणत्ता समणाउसो ! 40 / अस्थि णं भंते ! एगुरुयदोवे दीवे सालीति वा वीहीति गोधूमाति वा जवाति वा तिलाति वा इक्खूति वा ?, हंता अस्थि, नो चेव णं तेसिं मणुयाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति 41 / अस्थि णं भंते ! एगूळयदीवे दीवे गत्ताइ वा दरीति वा घंसाति वा भिगति वा उवाएति वा विसमेति वा विजलेति वा धूलीति वा रेणूति वा पंकेइ वा चलणीति वा ?, णो तिण? सम?, एगुरुयदीवे णं दीवे बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणते समणाउसो ! 42 / अत्थि णं भंते ! एगुरुयदीवे दीवे खाणूति वा कंटएति वा हीरएति वा सकराति वा तणकयवराति वा पत्तकयवराइ वा असुतीति वा पूतियाति वा दुन्भिगंधाइ वा चोक्खाति वा ?, णो तिण? सम8, ववगयखाणु-कंटक-हीर-सकर. तणकयवर-पत्तकयवर--असुति-पूतिय-दुन्भि-गंध-मचोक्खपरिवजिए णं एगुरुयदीवे पराणते समणाउसो ! 43 / अस्थि णं भंते ! एगुरुयदीवे दीवे दंसाति वा मसगाति वा पिसुयाति वा जूताति वा लिक्खाति वा ढेकुणाति वा ?, णो तिण? समढे, ववगत-दंस-मसग-पिसुत-जूत-लिक्खढेकुणपरिवजिए णं एगुरुयदीवे पराणते समणाउसो ! 44 / अत्थि णं भंते ! एगुरुयदीवे हीइ वा श्रयगराति वा महोरगाति वा ?, हंता अत्थि, नो चेव णं ते अन्नमन्नस्स तेसिं वा मणुयाणं किंचि आबाहं वा पबाहं वा छविच्छेयं वा करेंति, पगइभद्दगा णं ते वालगगणा पराणत्ता समणाउसो ! 45 / अस्थि णं भंते ! एगुरुयदीवे गहदंडाति वा गहमुसलाति वा गहगजिताति वा गहजुद्धाति वा गहसंधाडगाति वा गहअवसव्वाति वा प्रभाति वा अब्भरुक्खाति वा संझाति वा गंधवनगराति वा गजिताति का विज्जुताति वा Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गयाइ वा पडीरावा उद्गमच्छाति वरपरिवेसाति वा श्रीजीवाजीवामिगम-सूत्रम् :: अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः [ 266 उक्कापाताति वा दिसादाहाति वा णिग्याताति वा पंसुविट्ठीति वा जुवगाति वा जक्खालित्ताति वा धूमिताति वा महिताति वा रउग्घाताति वा चंदोवरागाति वा सूरोवरागाति वा चंदपरिवेसाइ वा सूरपरिवेसाति वा पडिचंदाति वा पडिसूराति वा इंदधाति वा उदगमच्छाति वा अमोहाइ वा कविहसियाइ वा पाईणवायाइ वा पडीणवायाइ वा जाव सुद्धवाताति वा गामदाहाति वा नगरदाहाति वा जाव सगिणवेसदाहाति वा पाणवखतजणक्खय-कुलक्खय-धणक्खय-वसणभूतमणारिताति वा ?, णो तिण? समढे 46 / अस्थि णं भंते ! एगुरुयदीवे दीवे डिंबाति वा डमराति वा कलहाति वा बोलाति वा खाराति वा वेराति वा विरुद्धरजाति वा ?, णो तिण? सम?, ववगत-डिंब-डमर-कलह-बोलखार-वेर विरुद्ध-रजविवजिता णं ते मणुयगणा पराणत्ता समणाउसो ! 47 / अत्थि णं भंते ! एगुरुयदीवे दीवे महाजुद्धाति वा महासंगामाति वा महासंनाहाति वा महासत्थनिवयणाति वा महापुरिसवाणाति वा महारुधिरवाणाति वा नागवाणाति वा खेणवाणाइ वा तामसवाणाइ वा दुभूतियाइ वा कुलरोगाति वा गामरोगाति वा णगररोगाति वा मंडलरोगाति वा सिरोवेदणाति वा अच्छिवेदणाति वा कराणवेदणाति वाणकवेदणाइ वा दंतवेदणाइ वा नखवेदणाइ वा कासाति वा सासाति वा सोसाति वा जराति वा दाहाति वा कच्छूति वा खसराति वा कुद्धाति वा कुडाति वा दगराति वा अरिसाति वा अजीरगाति वा भगंदराइ वा इंदग्गहाति वा खंदग्गहाति वा कुमारग्गहाति वा णागग्गहाति वा जक्खगहाति वा भूतग्गहाति वा उव्वेयग्गहाति वा धणुग्गहाति वा एगाहियग्गहाति वा बेयाहियगहिताति वा तेयाहियगहियाइ वा चाउत्थगाहियाति वा हिययसूलाति वा मत्थगसूलाति वा पाससूलाइ वा कुच्छिसूलाइ वा जोणिसूलाइ वा गाममारीति वा जाव सन्निवेसमारीति वा पाणक्खय जाव वसणभूतमणारितानि वा ?, णो तिणढे सम?, ववगतरो Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 270 / | श्रीमदागमसुधासिन्युः :: पञ्चमो विभागः गायंका णं ते मण्यगणा पराणत्ता समणाउसो! 48 | अस्थि णं भंते ! एगुरुयदीवे दीवे अतिवासति वा मंदवासाति वा सुवुट्टीइ वा मंदबुट्ठीति वा उद्दवाहाति वा पवाहाति वा दगुम्भेयाइ वा दगुप्पीलाइ वा गामवाहाति वा जाव सन्निवेसवाहाति वा पाणक्खय जाव वसणभूतमणारिताति वा ?, णो तिण? सम?, ववगतदगोवदवा णं ते मणुयगणा पराणत्ता समणाउसो ! 41 / अस्थि णं भंते ! एगुरुयदीवे दीवे श्रयागराति वा तम्बागराइ वा सीसागराति वा सुवरणागराति वा रतणागराति वा वइरागराइ वा वसुहाराति वा हिरगणवासाति वा सुवरणवासाति वा रयणवासाति वां वइरवासाति वा श्राभरणवासाति वा पत्तवासाति वा पुप्फवासाति वा फलवासाति वा बीयवासाति वा मल्लवासाति वा गंधवासाति वा वरणवासाति वा चुराणवासाति वा खीरखुट्टीति वा रयणबुट्टीति वा हिरगणवट्ठीति बा सुवराणबुट्ठीति वा तहेव जाव चुराणवुट्ठीति वा सुकालाति वा दुकालाति वा सुभिक्खाति वा दुभिक्खाति वा अप्पग्याति वा महग्याति वा कयाइ वा महाविक्कयाइ वा सरिणहीइ वा सचयाइ वा निधीइ. वा निहारणाति वा चिरपोराणाति वा पहीणसामियाति वा पहीणसेउयाइ वा पहीणगोत्तागाराई वा जाइं इमाई गामागर-णगर खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणासम-संवाहसन्निवेसेसु सिंघाडग-तिग-चउक्क-चचर-चउमुह-महापहपहसु णगरणिद्धमण--सुसागा-गिरिकंदर-संतिसेलोवट्ठाणभवणगिहेसु सन्निक्खित्ताई चिट्ठति, नो तिण8 सम8, 50 / एगुरुयदीवे णं भंते ! दीवे मणुयाणं कवतियं कालं ठिती पराणता ?, गोयमा ! जहन्नेणं पलिग्रोवमस्स असं. खेजइभागं असंखेजतिभागेण ऊणगं उक्कोसेणं पलियोवमस्स असंखेजतिभागं 51 / ते णं भंते ! मणुया कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छंति कहिं उववज्जंति ?, गोयमा ! ते गण मणुया छम्मासावसेसाउया मिहुणतांई पसवंति अंउणासीइं राइंदियाइं मिहुणाई सारक्खंति संगोविति य, सारक्खित्ता 2 Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / [271 उस्ससित्ता निस्ससित्ता कासित्ता छीतित्ता अकिट्टा अव्वहिता अपरियाविया (पलियोवमस्स असंखिज्जइभागं परियाविय) सुहंसुहेणं कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, देवलोयपरिग्गहा णं ते मणुयगणा पणत्ता समणाउसो ! 52 / कहि णं भंते ! दाहिणिलाणं अाभासियमगुस्साणं ग्राभासियदीवे णाम दीवे पराणत्ते ?, गोयमा ! जंबूहीवे दोवे चुल्लहिमवंतस्त वासघरपवतस्स दाहिणपुरच्छिमिल्लातो चरिमंतातो लवणसमुद्दतिनि जोयणसयाणि सेसं जहा एगुरुयाणं णिरवसेसं सव्वं 53 / कहि णं भंते ! दाहिणिलाणं णंगोलिमणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! जंबद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं चुल्लहिमवंतस्स वासधरपव्वयस्स उत्तर(दाहिण)पुरच्छिमिल्लातो चरिमंतातो लवणसमुद्दतिरिण जोयणसताई ससं जहा एगुरुयमणुस्साणं 54 / कहि णं भंते ! दाहिणिल्लाणं वेसाणियमणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! जंबद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं चुल्लहिमवंतस्स वामधरपव्वयस्स दाहिण(उत्तर)पञ्चस्थिमिल्लाश्रो चरिमंतायो लवणसमुई तिगिण जोयणसयाणि सेसं जहा एगुरूयाणं 55 ॥सू० 111 // कहि णां भंते ! दाहिणिल्लाणं हयकराणमणुस्साणं हयकराणदीवे णामं दीवे पंराणत्ते?,गोयमा! एगुख्यदीवस्स उत्तरपुरच्छिमिल्लातो चरिमंतातो लवणसमुद्घ चत्तारि. जोयणसयाई. योगाहित्ता एत्थ णं दाहिणिलाणं हयकराणमणुस्साणं हयकराणदीवे णामं दीवे पराणत्ते, चत्तारि जोयणसयाई आयामविक्खंभेणं वारस जोयणसया पन्नट्ठी किंचिविसेसूणा परिवखेवेणं से णं एगाए पउमवरवेतियाए अवसेसं जहा एगुरूयाणं 1 / कहि णं भंते ! दाहिणिल्लाणं गजकरणमणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! श्राभासियदीवस्स दाहिणपुरच्छिमिल्लातो चरिमंतातो लवणसमुद्द चत्तारि जोयणसताई सेसं जहा हयकराणाणं 2 / एवं गोकराणमणुस्साणं पुच्छा वेसाणितदीवस्स दाहिणपञ्चथिमिल्लातो चरिमंतातो लवणसमुह चत्तारि जोयणसताई सेसं जहा Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 272 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धु :: पश्चमो विभागः हयकराणाणं 3 / सक्कुलिकगणाणं पुच्छा, गोयमा ! णंगोलियदीवस्स उत्तरपञ्चस्थिमिल्लातो चरिमंतातो लवणसमुद्द चत्तारि जोयणसताइं सेसं जहा हयकराणाणं 4 / अातंसमुहाणं पुच्छा, हतकराणयदीवस्स उत्तरपुरच्छिमिल्लातो चरिमंतातो पंच जोयणसताइं श्रोगाहित्ता एस्थ णं दाहिणिलाणं. श्रायंसमुहमणुस्साणं पायसमुहदीवे णाम दीवे पराणत्ते, पंच जोयणसयाइ अायामविखंभेणं, बासमुहाईणं छ सया, श्रामकन्नाईणं सत्त, उक्कामुहाईणं अट्ठ, घणदंताइणं जाव नव जोयणसयाई,एगूरुयपरिक्खेवो नव चेव सयाइं अउणपन्नाई। बारसपन्नडाइं हयकगणाईणं परिक्खेवो // 1 // श्रायंसमुहाईणं पन्नरसेकासीए. जोयणसते किंचिविसेसाधिए परिक्खेवेणं 5 / एवं एतेणं कमेणं उवउञ्जिऊण तव्वा चत्तारि चत्तारि एगपमाणा, णाणत्तं श्रोगाहे, विक्खंभे परिक्खेवे पढमबीतततियचउकाणं उग्गहो विक्खंभो परिक्खेवो भणितो, चउत्थचउपके छजोयणासयाई, थायामविक्खंभेणं अट्ठारसत्ताणउते जोयणमते विक्खंभेणं 6 / पत्रमचउक्के सत्त जोयणसताई आयामविक्खंभेणं बावीसं तेरसोत्तरे जोयणसए परिक्खेवेणं 7 / छट्टचउक्क अट्ठजोयणसताई अायामविक्खंभेणं पुणवीसं गुणतीसजोयणसए परिक्खेवेणं = | सत्तमचउक्के नवजोयणसताई श्रायाविखंभेणं दो जोयणसहस्साई अट्ठ पणयाले जोयणसए परिक्खेवेणं 1 / जस्स य जो विखंभो उग्गहो तस्स तत्तिश्रो चेव। पढमाइयाण परिरतो जाण सेसाण अहिश्रो उ // 1 // सेसा जहा एगुरुयदीवस्स जाव सुद्रदंतदीवे देवलोकपरिग्गहा णं ते मणुयगणा पराणत्ता समणाउसो ! 10 / कहि णं भंते ! उत्तरिल्लाणं एगुख्यमणुस्साणं एगुरुयदीवे णामं दीवे पराणते ?, गोयमा ! जंबद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं सिहरिस्स वासधरपव्वयस्स उत्तरपुरच्छिमिल्लाश्रो चरिमंतागो लवणसमुह तिरिण जोयणसताई भोगाहित्ता एवं जहा दाहिणिल्लाणं तहा उत्तरिल्लाण भाणि Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीव जीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 प्रतिपत्तिः 3 ] [ 273 तव्वं, णवरं सिहरिस्स वासहरपव्वयस्स विदिसास, एवं जाव सुद्धदंतदीवेत्ति जाव सेत्तं अंतरदीवका 11 // सू० 112 // से कि तं अकम्मभूमगमणुस्सा ?, 2 तीसविधा पराणत्ता, तंजहा-पंचहिं हेमवएहिं, एवं जहा पराणवणापदे जाव पंचहिं उत्तरकुरूहिं, सेत्तं अकम्मभूमगा 1 / से किं तं कम्मभूमगा ?, 2 पराणरसविधा पराणत्ता, तंजहा-पंचहिं भरहेहिं पंचहिं एरवरहिं पंचहिं महाविदेहेहिं, ते समासतो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-बायरिया मिलेच्छा, एवं जहा पराणवणापदे जाव सेत्तं पायरिया, सेत्तं गब्भवक्कंतिया, सेत्तं मणुस्सा 2 // सू० 113 // // इति तृतीयप्रतिपत्तो मनुष्याधिकारे प्रथम उद्देशकः // 3-3-1 // // अथ तृतीय-प्रतिपत्तौ देवाधिकार प्रथमोद्देशकः // से किं तं देवा ?, देवा चउबिहा पराणत्ता, तंजहा-भवणवासी वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया // सू० 114 // से किं तं भवणवासी ?, 2 दसविहा पराणत्ता, तंज़हा-असुरकुमारा जहा पराणवणापदे, देवाणं भेश्रो तहा भाणितब्बो जाव अणुत्तरोववाइया पंचविधा पराणत्ता, तंजहाविजयवेजयंत जाव सव्वट्ठसिद्धगा, सेत्तं अणुत्तरोववातिया // सू० 115 // कहि णं भंते ! भवणवासिदेवाणं भवणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! भवणवासी देवा परिवसंति ?, गोयमा ! इमीसे रयाणप्पभाए पुढवीए असीउत्तर. जोयणसयसहस्सबाहल्लाए, एवं जहा पराणवणाए जाव भवणवासाइता, त(ए)स्थ णं भवणवासीणं देवाणं सत्त भवणकोडीयो बावत्तरि भवणावाससयसहस्सा भवंतित्तिमक्खाता, तत्थ णं बहवे भवणवासी देवा परिवसंतिअसुरा नाग सुवन्ना य जहा पराणवणाए जाव विहरंति // सू० 116 // कहि णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं भवणा पन्नत्ता ?, पुच्छा, एवं जहा Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 274 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विमागः पराणावणाठाणपदे जाव विहरति 1 / कहि णं भंते ! दाहिणिलाणं असुरकुमारदेवाणं भवणा पुच्छा, एवं जहा गणपदे जाव चमरे, तत्थ असुरकुमारिदे असुरकुमारराया परिवसति जाव विहरति 2 // सू० 117 // चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुरकुमाररनो कति परिसातो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! तो परिसातो पन्नत्तायो, तंजहा–समिता चंडा जाता, अभितरिता समिता मज्झे चंडा बाहिं च जाया 1 / चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्सः असुररन्नो अभितरपरिसाए कति देवसाहस्सीतो पराणत्तायो ?, मज्झिमपरिसाए कति देवसाहस्सीयो पराणत्तायो ?, बाहिरियाए परिसाए. कति देवसाहस्सीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! चमरस्स.णं असुरिंदस्स 2 अभितरपरिसाए चउवीसं देवसाहस्सीतो पराणत्तायो, मझिमिताएं परिसाए अट्ठावीसं देवसाहस्सीतो पराणत्तायो, बाहिरिताए परिसाए बत्तीसं देवसाहस्सीतो पराणत्तायो 2 / चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुररगणों अभितरिताए परिसाए कति देविसता पराणत्ता ?, मज्झिमियाए परिसाए कति देविसया पराणत्ता ?, बाहिरियाए परिसाए कति देविसता पराणत्ता ?, गोयमा ! चमरस्स णं असुरिंदस्स असुररराणो अभितरियाए परिसाए श्रद्धट्ठा देवसिता पराणत्ता मज्झिमियाए परिसाए तिनि देविसता परांणत्ता बाहि. रियाए अड्डाइजा देविसया पराणत्ता 3 / चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुररराणो अभितरियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ? मज्झिमियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ? बाहिरियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पराणता ? अभितरियाए परिसाए देवीणं केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ? मन्भिमियाए परिसाए देवीणां केवतियं कालं ठिती पराणोत्ता ? बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवतीयं कालं ठिती पराणता ?, गोयमा ! चमरस्स णं असुरिंदस्स 2 अभितरियाए परिसाए देवाणं अट्ठाइजाई पलिग्रोवमाई ठिई पराणत्ता, मज्झिमाए परिसाए देवाणं दो Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 प्रतिपत्तिः 3 / [ 275 पलियोवमाई ठिई पराणत्ता बाहिरियाए परिसाए देवाणं दिवट्ठ पलिश्रोवमं अभितरियाए परिसाए देवीणं दिवट्ठ पलिग्रोवमं ठिती पराणत्ता मज्झिमियाए परिसाए देवीणं पलियोवमं ठिती पराण त्ता, बाहिरियाए परिसाए देवीणं अद्धपलि ग्रोवमं ठिती पराणत्ता 4 / से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति-चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो तो परिसातो पराणताश्रो, तंजहा-ममिया चंडा जाया, अभितरिया समिया मज्झिमिया चंडा बाहिरिया जाया ?, गोयमा ! चमरस्स णं असुरिदस्स असुररन्नो अभितरपरिसा देवा वाहिता हव्वमागच्छंति णो श्रव्याहिता, मभिमपरिसाए देवा वाहिता हव्वमागच्छंति श्रवाहितावि, बाहिरपरिसा देवा अव्वाहिता हव्वमागच्छति, अदुत्तरं च णं गोयमा ! चमरे असुरिदे असुरराया अन्नयरेसु उच्चावएसु कजकोडुबेसु समुप्पन्नेसु अभितरियाए परिसाए सद्धिं संमइसंपुच्छणाबहुले विहरइ मभिमपरिसाए सद्धि पयं एवं पवंचेमाणे 2 विहरति बाहिरियाए परिसाए सद्धि पयंडेमाणे 2 विहरति, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ-चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररगणो तो परिसायो पराणत्तायो, समिया चंडा जाता, अभितरिया समिया मज्झिमिया चंडा बाहिरिया जाता 5 // सू० 118 // कहि णं भंते ! उरिल्लाणं असुरकुमाराणं भवणा पराणता ?, जहा ठगणपदे जाव बली, एस्थ वइरोयणिंदे वइरोयणराया परिवसति जाव विहरति 1 / बलिस्स णं भंते ! वयरोयणिदस्स वइरोयणरन्नो कति परिसायो पराणत्तायो ?, गोयमा ! तिगिण परिसा, तंजहा-समिया चंडा जाया, अभितरिया समिया मज्झिमिया चंडा बाहिरिया जाया 2 / बलिस्स णं वइरोयणिदस्स वइरोयणरन्नो अभितरियाए परिसाए कति देवसहस्सा ? मज्झिमियाए परिसाए कति देवसहस्सा जाव बाहिरियाए परिसाए कति देविसया पराणत्ता ?, गोयमा ! बलिस्स णं वइरोयणिदस्स 2 अभितरियाए परिसाए वीसं देवसहस्सा पराणता, Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 276 / / श्रीमदागमसुधासिन्धु :: पञ्चमो विभागः मज्झिमियाए परिसाए चउबीसं देवसहस्सा पराणत्ता, बाहिरियाए परिसाए. अट्ठावीसं देवसहस्सा पराणत्ता, अभितरियाए परिसाए अद्धपंचमा देविसता, मज्झिमियाए परिसाए चत्तारि देसिया पगणता, बाहिरियाए परिसाए अद्भुट्टा देविसता पराणत्ता 3 / बलिस्स ठितीए पुन्छा, जाव बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स 2 अभितरियाए परिसाए देवाणं श्रद्ध?पलि. श्रोवमा ठिती पराणत्ता, मझिमियाए परिसाए तिनी पलियोवमाइं ठिती पराणत्ता, बाहिरियाए परिसाए देवाणं अड्डाइजाई. पलिश्रोवमाई ठिई पन्नत्ता, अभितरियाए परिसाए देवीणं अड्डाइजाइं पलिग्रोवमाई ठिती पराणत्ता, मज्झिमियाए परिसाए देवीणं दो पलिश्रोवमाई ठिती परणत्ता, बाहिरियाए परिसाए देवीणं दिवड्ड पलिग्रोवमं ठिती पराणत्ता, सेसं जहा चमरस्म असुरिंदस्स असुरकुमाररगणो 4 // सू० 111 // कहि णं भंते ! नागकुमाराणं देवाणं भवणा पराणत्ता ?, जहा ठाणपदे जाव दाहिणिल्लावि पुच्छियव्वा जाव धरणे इत्थ नागकुमारिंदे नागकुमारराया परिवसति जाव विहरति 1 / धरणस्स णं भंते ! णागकुमारिंदस्स नागकुमाररराणो कति परिसायो पराणत्तायो ?, गोयमा ! तिगिण परिसायो, ताथो चेव जहा चमरस्स 2 / धरणस्स णं भंते ! णागकुमारिंदस्स णागकुमाररन्नो यभितरियाए परिसाए कति देवसहस्सा पन्नना ?, जाव बाहिरियाए परिसाए कति देवीसता पराणत्ता ?, गोयमा ! धरणस्स णं णागकुमारिंदस्स नागकुमाररराणो अभितरियाए परिसाए सर्टि देवसहस्साई मज्झिमियाए परिसाए सत्तरि देवसहस्साई बाहिरियाए असीतिदेवसहम्साई अभितरपरिसाए पराणत्तरं देविसतं पराणत्तं मन्झिमियाए परिसाए परणासं देविसतं पण्णत्तं बाहिरियाए परिसाए पणवीसं देविसतं पराणत्तं 3 / धरणस्स णं रन्नो अभितरियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती परणता ? Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 प्रतिपत्तिः 3 / [ 277 मज्झिमियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पराणता ? बाहिरियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पराणता ? अभितरियाए परिसाए देवीणं केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ? मज्झिमियाए परिसाए देवीणं केवइयं काल ठिती पराणत्ता ? बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवतियं कालं ठिती पराणता ?, गोयमा ! धरास्स रगणो श्रभितरियाए परिसाए देवाणं सातिरेगं यद्धपलिश्रोवमं ठिती पराणत्ता, मझिमियाए परिसाए देवाणं श्रद्धपलिग्रोवमं ठिती पराणत्ता, बाहिरियाए परिसाए देवाणं देसूणं अद्धपलिश्रोवमं ठिती पराणत्ता, अभितरियाए परिसाए देवीणं देसूणं यद्धपलियोवमं ठिती पराणत्ता, मझिमियाए परिसाए देवीणं सातिरेगं चउभागपलिश्रोवमं ठिती पराणत्ता, बाहिरियाए परिसाए देवाणं चउभागपलियोवमं ठिती पराणत्ता, अट्ठो जहां चमरस्स 4 / कहि णं भंते ! उत्तरिल्लाणं णागकुमाराणं जहा ठाणपदे जाव विहरति 5 / भूयाणंदस्स णं भंते ! णागकुमारिंदस्स णागकुमाररगणो अभितरियाए परिसाए कति देवसाहस्सीयो पराणत्तायो ?, मझिमियाए परिमाए. कति देवसाहस्सीयो पराणत्तायो ?, बाहिरियाए परिसाए कइ देवसाहस्सीयो पराणत्तायो ? अभितरियाए परिसाए कइ देविसया पराणत्ता ? मन्झिमियाए परिसाए कइ देविसया पराणत्ता ? बाहिरियाए परिसाए कइ देविसया पराणता ?, गोयमा ! भूयाणंदस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो अभितरियाए परिसाए पन्नासं देवसहस्सा पराणत्ता, मज्झिमियाए परिसाए सर्टि देवसाहस्सीयो पाणत्तात्रो, बाहिरियाए परिसाए सत्तरि देवसाहस्सीयो पराणत्ताश्रो?, अभितरियाए परिसाए दो पणवीसं देविसयाणं पराणत्ता, मज्झिमियाए परिसाए दो देवीसया पराणत्ता, बाहिरियाए परिसाए पराणत्तरं देविसयं पराणत्तं 6 / भूयाणंदस्स णं भंते ! नागकुमारिंदस्स नागकुमाररगणो अभितरियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ? जाव Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 278 ) .. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पराणता ?, गोयमा ! भूताणंदस्स णं अभितरियाए परिसाए देवाणं देणं पलिग्रोवमं ठिती पराणत्ता, मन्झिमियाए परिसाए देवाणं साइरेगं अद्धपलिश्रोवमं ठिती पराणता, बाहिरियाए परिसाए देवाणं अद्भपलिश्रोवमं ठिती पराणत्ता, अभितरियाए परिसाए श्रद्धपलियोवमं ठिती पराणत्ता, मज्झिमियाए परिमाए देवीणं देसूर्ण श्रद्धपलियोवमं ठिती पराणत्ता, बाहिरियाए परिसाए देवीणं साइरेगं चउभागपलियोवमं ठिती पगणता, अत्थो जहा चमरस्स, अबसेसाणं वेणुदेवादीणं महाघोसपजवसाणाणं ठाणपदवत्तव्वया णिरवयवा भाणियब्बा, परिसातो जहा घरणभूतागणदाणां (सेसाणं भवणवईणं) दाहि. णिल्लाणं जहा धरणस्स उत्तरिल्लाणं जहा भूताणंदस्स, परिमाणंपि ठितीवि 7 // सू० 120 // कहि णं भंते ! वाणमंतराणं देवाणं भवणा (भोमेजा णगरा) पराणता ? जहा ठाणपदे जाव विहरति 1 / कहिणं भंते ! पिसायाणं देवाणं भवणा पराणत्ता ?, जहा गणपदे जाव विहरंति कालमहाकाला य तत्थ दुवे पिसायकुमाररायाणो परिवसंति जाब विहरंति 2 / कहि णं भंते ! दाहिणिल्लाणं पिसायकुमाराणं जाव विहरंति काले य एत्य पिसायकुमारिंदे पिसायकुमारराया परिवसति महड्डिए जाव विहरति 3 / कालस्स णं भंते ! पिसायकुमारिंदस्स पिसायकुमाररगणो कति परिसायो पराणत्तायो ?, गोयमा ! तिरिण परिसायो पराणत्तायो, तंजहा-ईसा तुडिया दढरहा, श्रभितरिया ईसा मन्झिमिया तुडिया बाहिरिया दढरहा 4 / कालस्स णं भंते ! पिसायकुमारिंदस्स पिसायकुमाररगणो अभितरपरिसाए कति देवसाहस्सीयो पराणत्तायो ? जाव बाहिरियाए परिसाए कइ देविसया पराणत्ता ?, गोयमा ! कालस्स णं पिसायकुमारिंदस्स पिसायकुमाररायस्स अभितरिय. परिसाए अट्ठ देवसाहस्सीयो पराणत्तायो, मज्झिमपरिसाए दस देवसाहस्सीयो पराणत्तायो, बाहिरियपरिमाए बारस देवसाहस्सीयो पराणत्तायो, अभितरियाए Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 प्रतिपत्तिः 3 ) [ 276 परिमाए एगं देविसतं पराणत्तं, मज्झिमियाए परिसाए एगं देविसतं पराणत्तं बाहिरियाए परिसाए एगं देविसतं पराणत्तं 5 / कालस्स णं भंते ! पिसायकुमारिंदस्स पिसायकुमाररगणो अभितरियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ? मन्झिमियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पगणता ? बाहिरियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ? जाव बाहिरियाए देवीणं केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! कालस्स णं पिसायकुमारिदस्स पिसायकुमाररगणो अभितरपरिसाए देवाणं श्रद्धपलि. श्रोवमं ठिती पराणत्ता, मज्झिमियाए परिसाए देवाणं देसूणं श्रद्धपलिग्रोवमं ठिती पराणत्ता, बाहिरियाए परिसाए देवाणं सातिरेगं चउभागपलिश्रोवमं ठिती पराणता, अभंतरपरिसाए देवीणं सातिरेगं चउब्भागपलिग्रोवर्म ठिती पराणत्ता, मज्झिमपरिसाए देवीणं चउभागपलियोवमं ठिती पराणत्ता, बाहिरपरिसाए देवीणं देसूणं चउब्भागपलियोवमं ठिती पराणता, मज्झिमपरिसाए देवीणं चउब्भागलियोवमं ठिती पराणत्ता, बाहिरपरिसाए देवीणं देसूणं चउभागपलिग्रोवमं ठिती पराणत्ता, अट्ठो जो चेव चमरस्स, एवं उत्तरस्सवि, एवं गिरंतरं जाव गीयजसस्स 6 // सू० 121 // कहि णं भंते ! जोइसियाणं देवाणं विमाणा पराणत्ता ? कहि णं भंते ! जोतिसिया देवा परिवसंति ?, गोयमा ! उप्पिं दीवसमुदाणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजातो भूमिभागातो सत्तणउए जोयणसते उड्ड उप्पतित्ता दसुत्तर-जोयणसया बाहल्लेणं, तत्थ णं जोइसियाणं देवाणं तिरियमसंखेजा जोतिसियविमाणावाससतसहस्सा भवंतीतिमक्खायं, ते णं विमाणा श्रद्धकविठ्ठकसंठाणसंठिया, एवं जहा ठाणपदे जाव चंदिमसूरिया य तत्थ णं जोतिसिंदा जोतिसरायाणो परिवसंति महिड्डिया जाव विहरंति 1 / सूरस्स णं भंते ! जोतिसिंदस्स जोतिसरगणो कति परिसायो पराणत्तायो ?, गोयमा ! तिगिण परिसायो पगणत्ताश्रो, तंजहा-तुबा तुडिया Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 280 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः पेचा, अभितरया तुबा मन्झिमिया तुडिया वाहिरिया पेचा, सेसं जहा कालस्स परिमाणं, ठितीवि 2 / अटो जहा चमरस्स 3 / चंदस्सवि एवं चेव 4 // सू० 122 // कहि णं भंते ! दीवसमुद्दा ? केवइया णं भंते ! दीवसमुद्दा ? केमहालया णं भंते ! दीवसमुद्दा ? किसंठिया णं भंते! दीवसमुद्दा ? किमाकारभावपडोयारा णं भंते ! दीवसमुद्दा णं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जंबुद्दीवाइया दीवा लवणादीया समुद्दा संगणतो एकविहविधाणा वित्थारतो अणेगविधविधाणा दुगुणादुगुणे पडुप्पाएमाणा 2 पवित्थरमाणा 2 अोभासमाणवीचीया बहुउप्पल-पउम-कुमुद-णलिण-सुभग-सोगंधिय-पोंडरीयमहापोंडरीय-सतपत्त-सहस्सपत्त-पप्फुल्ल केसरोवचिता पत्तेयं पत्तेयं परम-वरवेइयापरिक्खित्ता पत्तेयं पत्तेयं वणसंडपरिक्खित्ता अस्सि तिरितलोए असंखेजा दीवसमुद्दा सयंभुरमण-पज्जवसाणा पराणत्ता समणाउमो ! // सू० 123 // तत्थ णं अयं जंबुद्दीवे णामं दीवे दीवसमुदाणं अभितरिए सव्वखुड्डाए व? तेलापूय-संठाणसंठिते वट्ट रहबकवाल संठाणसंहिते वट्टे पुक्खरकरिणयासंठाणसंठिते वट्टे पडिपुन्नचंद-संठाणसंठिते, एक्क जोयणसयसहस्सं थायामविक्खंभेणं तिगिण जोयणसयसहस्साइं सोलस य सहस्साई दोरिण य सत्तावीसे जोयणसते तिगिण य कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरस अंगुलाई श्रद्धंगुलकं च किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं. पराणते 1 / से णं एकाए जगतीए सव्वतो समंता संपरिक्खिते 2 / सा णं जगती अट्ट जोयणाई उड्डे उच्चत्तेणं मूले बारस जोयणाई विक्खंभेणं मज्मे अट्ट जोयणाई विक्खंभेणं उप्पिं चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता उप्पि तणुया गोपुच्छ-संठाणसंठिता सव्ववइरामई अच्छा सराहा लगहा घट्ठा मट्ठा णीरया णिम्मला णिप्पंका णिक्कंकडच्छाया सप्पभा समिरीया सउज्जोया पासादीया दरिसणिजा अभिरूवा पडिरूवा 3 / साणं जगती. एक्केणं जालकडएणं सवतो समंता संपरिक्खित्ता 4 / से णं जालकडए णं Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 281 श्रद्धजोयणं उड्ड उच्चत्तेणं पंचधणुसयाई विखंभेणं सव्वरयणामए अच्छे सराहे लरहे घटे म? णीरए णिम्नले णिप्पंके णिकंकडच्छाए सप्पभे [ सस्सिरीए ] समरीए सउज्जोए पासादीए दरिसणिज्जे अभिरुवे पडिस्वे 5 / / सू० 124 // तीसे णं जगतीए उप्पिं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगा महई पउमवरवेदिया पराणत्ता, सा णं पउमवरवेदिया श्रद्धजोयणं उड्ढ उच्चत्तेणं पंच धणुसयाई विक्खंभेणं सव्वरयण्णामए जगतीसमिया परिक्खेवेणं सव्वरयणामई जाव पडिरूवा 1 / तीसे णं परमवरवेड्याए अयमेंयाख्वे वराणावासे पराणत्ते, तंजहा-वइरामया नेमा रिट्टामया पइट्ठाणा वेरुलियामया खंभा मुवराणरुप्पमया फलगा वइरामया संधी लोहितक्खमइयो सूईयो णाणामणिमया कलेवरा कलेवरसंघाडा णाणामणिमया रूवा नाणामणिमया रूवसंघाडा अंकामया पक्खा पक्खबाहायो जोतिरसामया वंसा वंसकवेल्लुया य रययामईश्रो पट्टियाश्रो जातरूवमयीयो श्रोहाडणीयो वइरामयीयो उवरि पुछणीयो सव्वसेए रययामते साणं छादणे 2 / सा णं पउमवरवेइया एगमेगेणं हेमजालेणं एगमेगेणं गवक्खजालेणं एगमेगेणं खिखिणिजालेणं एगमेगेणं घंटाजालेणं एगमेगेणं मुत्ताजालेणं एगमेगेणं मणिजालेणं कणयजालेणं रयणजालेणं एगमेगेणं पउमवरजालेणं सव्वरयणामएणं सव्वतो समंता संपरिविखत्ता 3 / ते णं जाला तवणिजलंबसगा सुवरणपयरगमंडिया णाणामणिरयण-विविह-हारद्धहारउवसोभित-समुदया ईसिं अगणमराणमसंपत्ता पुव्वावर-दाहिण-उत्तरागतेहिं वाएहि मंदागं 2 एजमाणा 2 कंपिज्जमाणा 2 लंबमाणा 2 पझझमाणा 2 सद्दायमाणा 2 तेणं श्रोरालेणं मणुगणेणं कराणमणणेव्वुतिकरणं सद्देणं सव्वतो समंता श्रापूरमाणा सिरीए अतीव उवखोभेमाणा 2 चिट्ठति 4 / तीसे णं पउमबरवेइयाए तत्थ तत्थ देसे तहिं तहि बहवे हयसंघाडा गयसंघाडा नरसंघाडा किराणरसंघाडा किंपुरिससंघाडा महारगसंघाडा गंधव Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः संघाडा वसहसंघाडा सव्वरयणामया अच्छा सराहा लराहा घट्टा मट्ठा णीरया णिम्मला णिप्पंका णिक्कंकडच्छाया सप्पभा समिरिया सउज्जोया पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा 5 / तीसे णं परमवरवेइयाए तत्थ तत्थ देसे तहिं तहिं बहवे हयपंतीग्रो तहेव जाव पडिरूवायो 6 / एवं हयवीहीयो जाव पडिरूवाश्रो, एवं हमिहुणाई जाव पडिरूवाई 7. तीसे णं परमवरवेइयाए तत्य तत्थ देसे तहि तहिं बहवे पउमलयात्रो नागलताश्रो, एवं असोगलयायो चंपगलयायो चूयवणलयानो वासंतिलयायो अतिमुत्तगलयायोकुदलयायो सामलयायो णिच्चं कुसुमियायो जाव सुविहत्त-पिंडमंजरि-वडिंसकधरीयो सव्वरयणामईयो सराहायो लगहायो घट्टायो मट्ठाश्रो णीरयायो णिम्मलायो णिप्पंकायो णिवककडच्छायाश्रो सप्पभानो समिरीयायो सउज्जोयायो पासाई यायो दरिसणिज्जायो अभिरुवायो पडिरूवायो 8 / तीसे गणं पउमवरवेइयाए तत्थ तत्थ देसे सहि तहिं बहवे अक्खयसोत्थिया पराणत्ता सम्बरयणामया अच्छा 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ-पउमवरवेइया पउमवरवेइया ?, गोयमा ! पउमारवेइयाए तत्थ तत्थ : देसे तहिं. नहिं वेदियासु वेतियाबाहासु वेदियासीसफलएसु वेदियापुडंतरेसु खंभेसु खंभबाहामु खंभसीसेसु खंभपुडंतरेसु सूईसुः सुईमुहेसु सूईफलएसु सुईपुडंतरेसु पक्खेसु पक्खबाहासु पक्खपेरंतरेसु बहूइं उप्पलाई पउमाईजाव सतसहस्सपत्ताई संवरयणामयाइं अच्छाई सराहाई लण्हाइं घट्ठाई मट्ठाई णीरयाई णिम्मलाई निप्पकाई निक्कंकडच्छायाई सप्पभाई समिरीयाई सउज्जोयाइं पासादियाई दरिसणिजाई अभिरुवाइं पडिरूवाइं महता 2 वासिकच्छत्तसमयाइं पराणत्ताई समणाउसो !, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ पउमवरवेदिया 2, 1 / पउवरवेइया णं भंते ! किं. सासया असासया ?, गोयमा ! सिय सासया सिय असासया 10 / से केण?णं भंते ! एवं 'बुचइ-सिय सासया सिय असासया ?, Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 283 श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] गोयमा ! दबट्टयाए सासता वराणपजवेहिं गंधपजवेहिं रसपनवेहिं फासपज्जवेहिं असासता, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-सिय सासता सिय असासता 11 / परमपरवेझ्या णं भंते ! काल यो केवचिरं होति ?, गोयमा ! ण कयावि णासि ण कयावि णत्थि ण कयावि न भविस्सति 12 / भुवि व भवति य भविस्सति य धुवा नियया सासता अक्खया अव्वया अवट्ठिया णिचा परमवरवेदिया 13 // सू० 125 // तीसे णं जगतीए उप्पिं बाहिं पउमवरवेझ्याए एत्थ णं एगे महं वणसंडे पराणत्ते देसूणांइं दो जोयणाई चकवालविक्खंभेणं जगतीसमए परिक्खेवेणं किण्हे किराहोभासे जाव अणेगसगड-रहजाणजुग्गपरिमोयणे सुरम्मे पासातीए सराहे लण्हे घट्टे म8 नीरए निप्पंके निम्मले निक्कंकडच्छाए सप्पभे समिरीए सउज्जोए पासादीए दरिसणिज्जे अभिरुवे पडिरूवे 1 / तस्स णं वणसंडस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते से जहानामए-श्रालिंगपुक्खरेति वा मुइंगपुक्खरेति वा सरतलेइ वा करतलेइ वा पायंसमंडलेति वा चंदमंडलेति वा सूरमंडलेति उरब्भचम्मेति वा उसभचम्मेति या वराहचम्मेति वा सीहचम्मेति वा वग्घचम्मति वा विगवम्मेति वा दीवितचम्मेति वा अणेग-संकु-कीलग-सहस्सवितते श्रावड-पच्चावड-सेढी-पसेढी-सोत्थिय -सोवत्थिय-पूसमाण-बद्धमाण-मच्छंडकमकरंडक-जारमार-फुल्लावलि-पउमपत--सागरतंरग-वासंतिलय-पउमलय-भत्तिचित्तेहिं सच्छाएहिं समिरीएहि सउजोएहि नाणाविहपंचवराणेहिं तणेहि य मणिहि य उवसोहिए, तंजहा-किराहेहिं जाव सुकिल्लेहिं 2 / तत्थ णं जे ते किराहा तणा य मणी य तेसि णं अयमेतारूवे वराणावासे पराणत्ते, से जहानामए-जीमूतेति वा अंजणेति वा खंजणेति वा कज्जलेति वा मसीइ वा गुलियाइ वा गालेइ वा गवलगुलियाति वा भमरेति वा भमरावलियाति वा भमरपत्तगयसारेति वा जंबुफलेति वा श्रद्दारिद्वति वा पुरिपुट्टएति Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 284 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः वा गएति वा गयकलंभेति वा कराहसप्पेइ वा 'कराहकेसरेइ वा अागासथिग्गलेति वा कराहासोएति वा किराहकणवीरेइ वा कराहबंधुजीवएति वा, भवे एयारूवे सिया ?, गोयमा ! णो तिण? सम?, तेसि णं कराहाणं तणागणं मणीण य इत्तो इट्टयराए चेव कंततराए चेव पिययराए चेव मणुराणतराए चेव मणामतराए' चेव वराणेणं पराणत्ते 3 / तत्थ णं जे ते णीलगा तणा य मणी य तेसि णं इभेतारूवे वराणावासे पराणत्ते, से जहानामए-भिंगेइ वा भिंगपत्तेति वा चासेति वा चासपिच्छेति वा सुएति वा संयपिच्छेति वा णीलीति वा गीलीभेएति वा पीलीगुलियाति वा सामाएति का उच्चंतएति वावणराईइ वाहलहरवसणेइ वामोरम्गीवाति वा पारेवयगीवाति वा अयसिकुसुमेति वा वाणकुसुमेति वा अजणकेसिंगाकुसुमेति वा णीलुप्पलेति वा णीलासोपति वा णीलकणवीरेति वा णीलबंधुजीवएति वा, भवे एयारूवे सिता ?, णो इण? सम, तेसि णं णीलगाणं तणाणं मणीण य एत्तो इट्ठतराए चेव कंततराए चेव जाव वराणेणं पराणते 4 / तत्थ णं जे ते लोहितगा तणा य मणी य तेसि णं अयमेयारूवे वराणावासे पराणत्ते, से जहाणामए-ससकरुहिरेति वा उरभरुहिरेति वा णररुहिरेति वा वराहरुहि. रेति वा महिसरुहिरेति वा बालिंदगोवएति वा बालदिवागरेति वा संझन्भरागेति वा गुजद्धराएति वा जातिहिंगुलुएति वा सिलप्पवालेति वा पवालं. कुरेति वा लोहितक्खमणीति वा लक्खारसएति वा किमिरागेइ वा रत्तकंबलेइ वा चीणपिट्ठरासीइ वा जासुयण,कुसुमेड वा किंसुअकुसुमेइ वा पालियाइकुसुमेइ वा रत्तुप्पलेति वा रत्तासोगेति वा रत्तकणयारेति वा. रत्तबंधुजीवेइ वा, भवे एयारूवे सिया ?, नो तिण8 सम8, तेसिणं लोहियगाणं तणाण य मणीण य एत्तो इट्टतराए चेव जाव वगणेणं पराणत्ते 5 / तत्थ णं जे ते हालिदगा तणा य मणीय तेसि णं अयमेयाख्वे वराणावासे पराणत्ते, से जहा णामए-चंपए वा चंपगच्छल्लीइ वा चंपयभेएइ वा हालिदाति वा हालिद्दभेएति वा Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / [ 285 हालिद्दगुलियाति वा हरियालेति वा हरियालभेएति वा हरियालगुलियाति वा चिउरेति वा चिउरंगरागेति वा वरकणएति वा वरकणगनिघसेति वा सुवरणसिप्पिएति वा वरपुरिसवसणेति वा सल्लइकुसुमेति वा चंपककुसुमेइ वा कुटुंडियाकुसुमेति वा कोरंटकदामेइ वा तडउडाकुसुमेति वा घोसाडियाकुसुमेति वा सुवरणहियाकुसुमेति वा सुहिरन्नयाकुसुमेइ वा कोरिटवरमल्लदामेति वा बीयगकुसुमेति वा पीयासोएति वा पीयकरणवीरेति वा पीयबंधुजीएति वा, भवे एयारूवे सिया ?, नो इण? सम?, ते णं हालिद्दा तणां य मणी य एतो इट्ठयरा चेव जाव वराणेणं पराणत्ता 6 / तत्थ णं जे ते सुकिल्लगा तणा य मणी य तेसि णं अयमेयारूवे वराणावासे पराणत्ते, से जहानामए-कति वा संखेति वा चंदेति वाकु देति वा कुमुएति वा दयरएति वा दहिघणेइ वा खीरेइ वा खीरपूरेइ वा हंसावलीति वा कोंचावलीति वा हारावलीति वा बलायावलीति वा चंदावलीति वा सारतियबलाहएति वा धंतधोयरुप्पपट्टेइ वा सालिपिट्टरासीति वा कुंदपुप्फरासीति वा कुमुयरासीति वा सुकछिवाडीति वा पेहुणमिजाति वा बिसेति वा मिणालियाति वा गयदंतेति वा लवंगदलेति वा पोंडरीयदलेति वा सिंदुवारमल्लदामेति वा सेतासोएति वा सेयकणवीरेति वा सेयबंधुजीएइ वा, भवे एयारुवे सिया ?, णो तिण? समढे, तेसि णं सुकिल्लाणं तणाणं मणीण य एत्तो इट्टतराए चेव जाव वराणेणं पराणत्ते 7 / तेसि णं भंते ! तणाण य मणीण य केरिसए गंधे पराणते ?, से जहाणामए–कोटपुडाण वा पत्तपुडाण वा चोयपुडाण वा तगरपुडाण वा एनापुडाण वा किरिमेरिपुडाण वा चंदणपुडाण वा कुकुमपुडाण वा उसीरपुडाण वा चंपगपुडाण वा मरुयगपुडाण का दमणगपुडाण वा जातिपुडाण वा जूहियापुडाण वा मल्लियपुडाण वा णोमालियपुडाण वा वासंतियपुडाण वा केयतिपुडाण वा कप्पूरपुडाण वा , पाडलिपुडाण वा अणुवायंसि उभिज्जमाणाण य णिभिजमाणाण य Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 286 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः कोटेजमाणाण वा विजमाणाण वा उकिरिजमाणाण वा विकिरिजमाणाण वा परिभुजमाणाण वा परिभाएजमाणाण वाभंडायो वा भंडं साहरिजमाणाणं अोराला मणुराणा घाणमणणिव्वुतिकरा सवतो समंता गंधा अभिणिस्सवंति, भवे एयाख्वे सिया ?, णो तिण? सम8, तेसि णं तणाणं मणीण य एत्तो उ इट्टतराए चेव जाव मणामतराए चेव गंधे पराणत्ते 8 / तेसि णं भंते ! तणाण य मणीण य केरिसए फासे पराणते ?, से जहाणामए आईणेति वा रूएति वा रेति वा णवणीतेति वा हंसगम्भतूलीति वा सिरीसकुसुमणिचतेति वा बालकुमुदपत्तरासीति वा, भवे एतारूवे सिया ?, गो तिण8 समढे, तेसि णं तणाण य मणीण य एत्तो इट्टतराए चेव जाव फासेणं पराणत्ते 1 / तेसिं णं भंते ! तणाणं पुवावर-दाहिणउत्तरागतेहिं वाएहि मंदायं मंदायं एइयाणं वेइयाणं कंपियाणं खोभियाणं चालियाणं फंदियाणं घट्टियाणं उदीरियाणं केरिसए सद्दे पराणत्ते ?, से जहाणामएसिवियाए वा संदमाणीयाए (वा) रहबरस्स वा सछत्तस्स. सज्झयस्स सघंटयस्स सतोरणवरस्म सदिघोसस्स सखिखिणि-हेमजाल-परंतपरिखिस्सस्स हेमवयखेत-चित्तविचित्त तिणिसकणग-निज्जुत्तदारुयागस्स सुपिणिद्धारक(सुविसुद्धचक)मंडलधुरागस्स कालायस-सुक्य-णेमिजंतकम्मरस थाइराण-वरतुरगसुसंपउत्तस्स कुसल-रछेय-सारहिसुसंपरिगहितस्स . सरसतबत्तीस-तोरण-परिमंडितस्स सकंकड-वडिस. गस्स सचावसर-पहरणावरणहरियस्स जोहजुद्धस्स रायंगणंसि वा अंतेपुरंसि वा रम्मसि वा मणिकोट्टिमतलंसि अभिक्खणं 2 अभिघट्टिजमाणस्स वा णियट्टिजमाणस्स वा परूढवरतुरंगस्स चंडवेगाइट्ठस्स अोराला मणुराणा कराणमणणिव्वुतिकरा सव्वतो समंता सदा अभिणिस्सवंति, भबे एतारूवे सिया ?, णो तिण? समढे, से जहाणामए-वेयालियाए वीणाए उत्तरमंदामुच्छिताए अंके सुपइट्टियाए वंदण-सारकाणपडिपट्टियाए Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / / 287 कुसल-शरणारि-संपगहिताए पदोसपच्चूसकालसमयंसि ( पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि ) मंदं मंदं एइयाए वेड्याए खोभियाए उदारियाए अोराला मणुराणा कराणमणणिव्वुतिकरा सब्बतो समंता सदा अभिणिस्सवंति, भवे एयारूचे सिया ?, णो तिण? सम?, से जहाणामए-किराणराण वा किपुरिसाण वा महोरगाण वा गंधव्वाण वा भदसालवणगयाण वा नंदणवणगयाण वा सोमणसवणगयाण वा पंडगवणगयाण वा हिमवंत-मलयमंदर-गिरि-गुहसमगणागयाण वा एगतो सहिताणं संमुहावगयाणं समुविट्ठाणं संनिविट्ठाणं पमुदियपक्कीलियाणं मोयरति-गंधव्वहरिसियमणाणं गेज्ज पज्जं कत्थं गेयं पयविद्धं पायविद्धं उक्खित्तयं पबत्तयं मंदायं रोचियावसाणं सत्तमरसमराणागयं अट्ठरससुसंपउत्तं छद्दोसविप्पमुक्कं एकारसगुलंकारं अट्ठगुणोववेयं गुंजंतवंसकुहरोवगूढं रत्तं तित्थाणकरणसुद्धं मधुरं समं सुललियं सकुहर-गुजंत-वंसतंती-तालसुसंपउत्तं तालसुसंपउत्तं तालसमं रयसुसंपउत्तं गहसुसंपउत्तं मणोहरं मउयरिभियपयसंचारं सुरभि सुणति वरचारुरुवं दिव्वं न सज्ज गेयं पगीयाणं, भवे एयारूवे सिया ?, हंता गोयमा ! एवंभूए सिया 10 ॥सू. 126 // तस्स णं वणसंडस्स तत्थ तत्थ देसे 2 तहिं तहिं बहवे खुड्डा खुड्डिया यो वावीयो पुक्खरिणीयो गुजालियायो दीहियात्रो सरसीयो सरपंतियायो सरसरपंतीयो बिलपंतियो अच्छायो सराहायो रयतामयकूलायो वइरामयपासाणायो तवणिजमयतलायो वेरुलिय-मणिफालिय-पडलपबोयडायो णवणीयतलायो सुवराणसुब्भ(झ)-रययमणिवालुयायो सुहोयारासुउत्तारायो णाणामणितित्थसुबद्धायो चारु(चउ)कोणाश्रो समतीरायो पाणुपुब्व-सुजाय-वप्पगंभीर-सीयलजलायो संछराणपतभिसमुणालायो बहुउप्पल-कुमुय-णलिण-सुभग-सोगंधित-पोंडरीय-सयपत्तमहस्सपत्त-फुल्लकेसरोवइयायो छप्पय-परिभुजमाणकमलायो अच्छविमल-सलिलपुराणाश्रो परिहत्थ-भमंत-मच्छ-कच्छभ-अणेग-सउण-मिहुण Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 288 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विमागः परिचरितायो पत्तेयं पत्तेयं पउमवरवेदियापरिक्खित्तायो पत्तेयं पत्तेयं वणसंडपरिक्खित्तायो अप्पेगतियात्रो त्रासवोदायो अप्पेगतियायो वारुणोदायो अप्पेगतियायों खीरोदात्रो अप्पेगतियायो घोदायो अप्पेगतियायो [इवखु]खोदोदायो (अमयरस-समरसोदाश्रो) अप्पेगतियायो पगतीए उदग(अमय)रसेणं पराणत्ताश्रो पासाइयायो 4, तासि णं खुड्डियाणं वावीणं जाव बिलपंतियाणं तत्थ 2 देसे 2 तहिं 2 जाव बहवे तिसोवाणपडिरूवगा पराणत्ता 1 / तेसि णं तिसोवाणपडिरूवाणं अयमेयारूवे वराणायासे पराणत्ते, तंजहा-वइरामया नेमा रिट्ठामया पतिट्ठाणा वेरुलियामया खंभा सुवराणरुप्पामया फलगा वइरामया संधी लोहितक्खमईयो सूईयो णाणामणिमया अवलंबणा अवलंबणबाहायो 2 / तेसि णं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरतो पत्तेयं 2 तोरणा पराणत्ता 3 / ते णं तोरणा णाणामणिमयखंभेसु उवणिविट्ठसरिणविट्ठा विविहमुत्तंतरोवइता विविहतारारूवोवचिता ईहामिय-उसभ-तुरग-गरमगर-विहग-वालग-किराणररुरुसरभ-चमरकुंजर-वणलयपउमलयभत्तिचित्ता खंभुग्गय-वइर-वेदियापरिगताभिरामा विजाहर-जमल-जुयलजंतजुत्ताविव अच्चिसहस्सम लणीया स्वसहस्सकलिया भिसमाणा भिभिसमाणा चक्खुल्लोयणलेसा सुहफासा सस्सिरीयस्वा पासातिया 4, 4 / सेसि णं तोरणाणं उप्पिं बहवे अट्ठमंगलगा पराणत्ता, सोत्थिय-सिरिवच्छ-दियावत्त-वद्धमाण-भदासण-कलस-मच्छदप्पणा सव्व. रतणामया अच्छा सराहा जाव पडिरूवा 5 / तेसि णं तोरणाणं उप्पिं बहवे किराहचामरज्मया नीलचामरझया लोहियचामरन्झया हारिदचामरझया सुकिल्लचामरज्मया अच्छा सराहा रुप्पपट्टा वइरदंडा जलयामलगंधीया सुरुवा पासाइया 4, 6 / तेसि णं तोरणाणं उप्पि बहवे छत्ताइछत्ता पडागाइपडागा घंटाजुयला चामरजुयला उप्पलहत्थया जाव सयसहस्सवत्तहत्थगा सबरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 7 / तासि णं खुड्डियाणं Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-पूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 289 वावीणं जाब बिलपंतियाणं तत्थ तत्थ देसे 2 तहिं तहिं बहवे उप्पायपव्वया णियइपव्वया जगतिपव्वया दारुपव्वयगा दगमंडवगा दगमंचको दगमालका दगपासायगा ऊसडा [खुड्डा(ला)]खडख(ह)डगा अंदोलगा पक्खंदोलगा मारयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 8 ।तेसु णं उप्पायपव्वतेसु जाव पक्खंदोलएसु बहवे हंसासणाई कोंचासणाई गरुलासणाई उराणयासणाई पणयासणाई दीहासणाई भदासणाई पक्खासणाई मगरासणाई उसभासणाई सीहासणाई पउमासगाई दिसासोवत्थियासणाई सबरयणामयाइं अच्छाई सराहाई लण्हाइं घटाई मट्ठाई णीरयाई णिम्मलाई निप्पकाई निक्कंकडच्छायाई सप्पभाई सम्मिरीयई सउज्जोयाई पासादीयाई दरिमणिजाई अभिरूवाई पडिरूवाइं 1 / तस्स णं वणसंडस्स तत्थ तत्थ देसे 2 तहि तहिं बहवे शालिवरा मालिघरा कयलिघरा लयाघरा अच्छणघरा पेच्छणघरा मजणघरगा पमाहणघरगा गम्भघरगा' मोहणघरगा सालघरगा जालघरगा कुसमघरगा वित्तघरगा गंधवघरगा पायंसघरगा सव्वरयणामया अच्छा सराहा लगहा घट्टा मट्ठा णीरया णिम्मला णिपंका निवकंकडच्छाया सप्पभा सम्मिरीया संउज्जोया पासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा . 10 / तेसु णं बालिघरएसु जाव अायंसघरएसु, बहूई हंसासणाई जाव दिसासोवत्थियासणाई सबरयणामयाइं जाव पडिस्वाई 11 / तस्स णं वणसंडस्स तत्थ तत्थ देसे 2 तहिं तहिं बहवे जाइमंडवगा जूहियामंडवगा मल्लियामंडवगा णवमालियामंडवगा वासंतीमंडवगा. दधिवासुयामंडवगा सूरिल्लिमंडवगा तंबोलीमंडवगा मुद्दियामंडवगा णागलयामंडवगा अतिमुत्तमंडवगा अष्फोतामंडवगा मालुयामंडवगा सामलयामंडवगा णिच्चं कुसुमिया णिच्चं जाव पडिरूवा 12 / तेसु णं जातीमंडवएसु बहवे मुढविसिलापट्टगा. पराणत्ता, तंजहा-हमासणसंठिता . कोंचासणसंठिता गरुलासणसंठिता उराणयासणसंठिता पणयासणसंठिता दीहासणसंठिता भदासणसंठिता पक्खा 37 Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 210 / ..... / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः सणसंठिना मगरालणसंठिता उसभासणसंठिता सीहासणसंठिता पउमासणसंठिता दिसासोत्थियासणासंठिता पराणत्ता; तत्थ बहवे वरसयणासणविसिट्ठसंठाणसंठिया पराणत्ता समणाउसो ! थाइराणगख्य-वर-णवणीत-तूलफासा मज्या सम्बरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 13 ! तत्थ णं बहवे वाणमंत। देवा देवीयो य पासयंति सयंति चिट्ठति णिसीदंति तुयति रमंति ललंति कीलंति मोहंति पुरापोराणाणं सुचिराणाणं सुपरिक्कंताणं सुभाणं कलाणाणं कडाणं कम्माणं कलाणं फलवित्तिविसेसं पचणुब्भवमाणा विहरंति 14 / तीसे णं जगतीए उप्पि अंतो पउमवरवेदियाए एत्थ णं एगे महं वणसंडे पराणत्ते, देसूणाई दो जोयणाई विक्खंभेणं वेइयासमएणं परिक्खेवेणं किराहे किराहाभासे वणसंडवगणो मणि-तणसदावहूणो णेयधो, तत्थ णं बहवे वाणमतरा देवा देवीयो य श्रासयंति सयंति चिट्ठांति णिसीयंति तुयट्टति रमंति ललंति कीडंति मोहंति पुरा पोराणाणं सुचिगणाणं सुपरिक्कंताणं सुभाणं कंताणं कम्माणं कल्लाणं फलवित्तिविसेसं पञ्चणुभवमाणा विहरति 15 // सू० 127 // जंबुद्दीवस्स णं भंते ! दीवस्स कति दारा पराणत्ता ? गोयमा ! चत्तारि दारा पराणत्ता, तंजहाविजये वजयंते जयंते अपराजिए // सू० 128 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवस्स दीवस्स विजये नामं दारे पराणने ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं पणयालीसं जोयणसहस्साई बाधाए जंबुद्दीवे दीवे पुरच्छिमपेरंते लवणसमुद्दपुरच्छिमद्धस्स पञ्चत्थिमेणं सीताए महाणदीए उप्पि एत्थ णं जंबुद्दीवस्स दीवस्स विजये णामं दारे पराणत्ते अट्ठ जोयणाई उखु उच्चत्तेणं चत्तारि जोयणाई विश्वंभेणं तावतियं चेव पवेसेणं सेए वरकणगथूभियागे ईहामिय-उसभ-तुरग-नरमगर-विहग-वालग-किरणर-हरु-सरभचमर-कुंजर-वणलत-पउमलयभत्तिचित्ते खंभुग्गत-वइर-वेदियापरिगताभिरामे विजाहर-जमल-जुयलजंतजुत्ते इव अचीसहस्समालिणीए स्वगसहस्स. Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवा जीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / [261 कलिते भिसिमाणे भिब्भिसमाणे चखुल्लोयणलेसे सुहफासे सस्सिरीयस्वे वगणो दारस्स (तस्मिमो होइ) तंजहा-वइरामया णिम्मा रिट्ठामया पतिट्ठाणा वेरुलियामया खंभा जायसवोवचिय-पवर-पंचवगण-मणिरयणकोट्टिमतले हंमगम्भमए एलुए गोमेजमते इंदक्खीले लोहितक्खमईयों दारचिडायो जोतिरसामते उत्तरंगे वेरुलियामया कवाडा वइरामया संधी लोहितक्खमईयो सूईओ णाणामणिमया समुग्गगा वईरामई अग्गलायो अग्गलपासाया वइरामई श्रावत्तणपेढिया अंकुत्तरपासते गिरंतरितघणकवाडे भित्तीसु चेव भित्तीगुलिया छप्पराणा तिरिण होति गोमाणसी तत्तिया णाणामणियणवालरूवग-लीलट्ठियसालभंजिया वइरामए कूडे रययामए उस्सेहे सव्वतवणिजमए उल्लोए णाणामणिरयण-जालपंजर-मणिवंसग-लोहितवख-पडिवंसग-रयतभोम्मे अंकामया पक्खबाहायो जोतिरसामया वंसा वंसकवेल्लुगा य रयतामयो पट्टितायो जायरूवमती श्रोहाडणी वइरामयी उवरि पुच्छणी सव्वसेतरययमए च्छायो अंकमतकणग-कूडतवणिजथूभियाए सेते संख-तलविमल-णिम्मल-दधिघण-गोखीर-फेण-रययणिगरप्पगासे तिलग-रयणद्धचंदचित्ते णाणामणि मयदामालंकिए अंतो य बहिं च सराहे तवणिजरुइलवालुयापत्थडे सुहाफासे सस्सिरीयरूवे पासातीए 4, 1 / विजयस्स णं दारस्स उभयो पासिं दुहतो णिसीहियाते दो दो चंदगाकलसपरिवाडीयो पराणत्तायो, ते णं चंदणकलसा वरकमलपइट्ठाणा सुरभिवरवारिपडिपुराणा चंदणकयचचागा याबद्रकठेगुणा पउमुप्पलपिहाणा सव्वरयणामया अच्छा सराहा जाव पडिरूवा महता महता महिंदकुंभसमाणा पराणत्ता समणाउसो! 2 / विजयस्स णं दारस्स उभयो पासिं दुहतो णिसीहिश्राए दो दो णागदंतपरिवाडीयो, ते णं णागदंतगा मुत्नाजालंतरूसित-हेमजाल-गवक्खजालखिखिणी-चंदाजालपरिक्खित्ता अभुग्गता अभिणिसिट्ठा तिरियं सुसंपगहिता अहेपण्णगद्ध रूवा पराणगद्धसंठाणसंठिता सव्वरयणामया अच्छा जाव Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 262 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः // पश्चमी विमागः पडिरूवा महता महया गयदंतसमाणा पराणत्ता समणाउमो ! 3 / तेसु गां णागदंतएसु हवे किराहसुत्तबद्ध(व)वग्घारितमल्लदामकलावा जाव सुकिल्लसुत्तबद्ध(वट्ट)वग्यारिय-मल्दामकलावा 4 / ते गां दामा तवजिलंबूसगा सुघराणपतरगमंडिता णाणामणिरयणविविधहारदहार-उवमोभितसमुदया जाव सिरीए अतीव अतीव उपसोभेमाणा उवसोभेमाणा चिट्ठति 5 / तेसि णं णागदंतकाणं उबरि अराणाश्रो दो दो णागदंतपरिवाडीयो पराणत्तायो, तेसि णं णागदंतगाणं उप्पिं दो दो णागदंता मुत्ताजालंतरूसिया तहेव जाव समणाउसो ! 6 / तेसु णं णागदंतएसु बहवे रयतामया सिक्कया पराणता, तेसु णं रयणामएसु सिक्कएसु बहवे वेलियामतीश्रो धूवघडीयो पराणत्तायो, तंजहा-ताश्रो णं धूवघडीयो कालागुरु-पवरकुदरकतुरुक्क-धूवमघमघंत-गंधुद्धयाभिरामाश्रो सुगंधवरगंधगंधियायो गंधवट्टि. भूयायो अोरालेणं मणुराणेणं घाणमणणिव्वुइकरेणं गंधेणं तप्पएसे सव्वतो समंता बारेमाणीयो यापूरेमाणीयो अतीव अतीव सिरीए जाव चिट्ठति 7 / विजयस्स णं दारस्स उभयतो पासिं दुहतो णिसीधियाए दो दो सालभंजियापरिवाडीयो पराणत्तायो, तायो णं सालभंजियायो लीलट्ठितायो सुपयट्ठियायो सुअलंकिताबो णाणागारवसणायो णाणामल-पिणट्ठि(द्धि)श्रो मुट्ठीगेज्झमझायो थामेलग-जमलजुयल-वट्टिप्रभुराणय-पीणरचिय-संठिय पोहरायो रत्तावंगायो असियकेसीयो मिदुविसय-पसत्थ-लक्खणसंवैल्लितग्गसिरयायो ईसिं असोगवरपादवसमुट्ठितायो वामहत्थ-गहितग्गसालायो ईसिं अड्डऽच्छिकडक्ख चिट्ठि(विद्धि)एहिं लूसेमाणीतो इव चक्खुल्लोय. णलेसाहिं अण्णमगणं खिजमाणीयो इव पुढविपरिणामाश्रो सासयभावमुव. गतायो चंदाणणाश्रो चंदविलासिणीयो चंदद्धसमनिडालायो चंदाहियसोमदंसणायो उका इव उजोएमाणीयो विज्जुघणा-मरीचि-सूरदिप्पंत-तेय. अहिययरसंनिकासायो सिंगारागार-चारुवेसायो पासाइयायो 4 तेयसा Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 263 अतीव अतीव उवसोभेमाणीयो उव सोभेमाणीश्रो चिट्ठांति = | विजयस्स णं दारस्स उभयतो पासिं दुहतो णिसीहियाए दो दो जालकडगा पराणत्ता, ते णं जालकडगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 1 / विजयस्स णं दारस्स उभयोपासि दुहश्रो णिसीधियाए दो दो घंटापरिवाडियो पराणत्तायो, तासि णं घंटाणं अयमेयारूवे वराणावासे पराणत्ते, तंजहा-जंबूणतमतीयो घंटायो वइरामतीयो लालायो णाणामणिमया घंटापासगा तवणिजमत्तीयो संकलायो रयतामतीयो रज्जूश्रो 10 / तायो णं घंटायो याहस्सरायो मेहस्सरायो हंसस्सरायो कोंचस्सराश्रो णंदिस्सरायो णंदिघोसायो सीहस्सराश्रो सीहघोसायो भंजुस्सगयो मंजुघोसायो, सुस्सरायो सुस्मरणिग्घोसायो ते पदेसे अोरालेणं मणुराणेणं कराणमणनिव्वुइकरेण सहा जाव चिट्ठति 11 / विजयस्स णं दारस्स उभोपासिं दुहतो णिसीधिताए दो दो वणमालापरिवाडीयो पराणत्तात्रो, तायो णं वणमालाश्रो णाणादुमलता-किसलय-पल्लव-समाउलायो छप्पय-परिभुजमाणकमल-सोभंतसस्सिरीयायो पासाईयायो ते पएसे उरालेणं जाव गंधेणं यापूरेमाणीयो जाव चिट्ठति 12 // सू० 121 // विजयस्स णं दारस्स उभयो पासिं दुहतो णिसीहियाए दो दो पगंठगा पराणत्ता, ते णं पगंठगा चत्तारि जोयणाई थायामविवखंभेणं दो जोयणाई बाहल्लेणं सव्ववइरामता अच्छा जाव पडिरूवा 1 / तेसि णं पयंठगाणं ऊवरि पत्तेयं पत्तेयं पासायवडेंसगा पराणत्ता, ते णं पासायवडिंसगा चत्तारि जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं दो जोयणाई थायामविक्खंभेणं अब्भुग्गय-मूसितपहसिताविव विविह-मणिरयणभत्तिचित्ता वाउछुय-विजय-वेजयंती-पडागच्छत्ता तिछत्तकलिया तुंगा गगणतलमभिलंघमाण(णुलिहंत)सिहरा जालंतर-रयणपंजरुम्मिलितव मणिकणगथूभियागा वियसिय-सयवत्त-पोंडरीय-तिलक-रयणद्धयंदचित्ता णाणामणिमयदामा किया अंतो य बाहिं च सराहा तवणिज Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 264 ) / भीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विमागः रुइल-बालुयापत्थडगा सुद्ध(ह)फासा सस्सिरीयस्वा पासातीया 4, 2 / तेसि णं पासायवडेंसगाणं उल्लोया पउमलता जाव सामलयाभत्तिचित्ता सव्वतवणिजमता अच्छा जाव पडिरूवा 3 / तेसि णं पामायवडिंसगाणं पत्तेयं पत्तेयं अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, से जहाणामए थालिंगपुक्खरेति वा जाव मणीहिं उवसोभिए, मणीण गंधो वराणो फासो य नेयव्यो ? / तेसि णं बहुसमरमणिजाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेमभाए पत्तेयं पत्तेयं मणिपेढियायो पराणत्तायो, तायों णं मणिपेढियायो जोयणं पायामविक्खंभेणं अट्ठजोयणं बाहल्लेणं सव्वरयणामईश्री जाव पडिरूवायो, तासि णं मणिपेटियाणं उवरि पत्तेयं. 2 सीहासणे पराणत्ते, तेसि णं सोहासणाणं अयमेयारूवे वराणावासे पराणत्ते, तंजहा-तवणिजमया चकवाला रयतामया सीहा सोवरिणया पादा णाणामणिमयाइं पायवीढगाई जंबूणयमताई गत्ताई वतिरामया संधी नाणामणिमए वेच्चे, ते णं सीहासणा ईहामियउसभ जाव पउमलयभत्तिचित्ता ससारसारोवइय-विविह-मणिरयणपायपीढा अच्छरग-मिउ-मसूरग-नवतय-कुसंत-लित्त(च)(सीह)केसर-पच्चस्थुताभिरामा उयचिय-खोमदुगुल्लयपडिच्छयणा सुधिरचितरयत्ताणा रत्तंसुयसंवुया सुरम्मा थाईणग-रूय-बूर-णवनीत-तूलमउयफासा मउया पासाईया 4,5 / तेसि णं सीहासणाणं उप्पि पत्तेयं पत्तेयं विजयदूसं पराणत्ते, ते णं विजयदूसा सेता संख-कुंद-दगरय अमत-महिय-फेणपुंजसन्निकासा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 6 / तेसि णं विजयदूसाणं बहुमंझदेसभाए पत्तेयं पत्तेयं वइरामया अंकुसा पराणत्ता, तेसु णं वइरामएसु अंकुसेसु पत्तेयं 2 कुंभिका मुत्तादामा पराणत्ता, ते णं कुभिका मुत्तादामा अन्नेहिं चाहिं चरहिं तदछुच्चप्पमाणमेत्तेहिं श्रद्धकुंभिक्केहिं मुत्तादामेहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता, ते णं दामा तवणिज्जलंबसका सुवराणप्रयरगमंडिता जाव चिट्ठति, तेसि णं पासायवडिंसगाणं उप्पिं बहवे अट्ठमंगलगा पराणत्ताः सोत्थिय तधेव Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवीजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 नृतीया प्रतिपत्तिः / [ 265 जाव छत्ता 7 // सू० 130 // विजयस्स णं दारस्स उभयो पासिं दुहयो णिसीहियाए दो दो तोरणा पराणत्ता, ते णं तोरणा णाणामणिमया तहेव जाव अट्ठमंगलका य छत्तातिछत्ता 1 / तेसिणं तोरणाणं पुरतो दो दो सालभंजितायो पराणत्ताश्रो, जहेव णं हेट्टा तहेव 2 / तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो णागदंतगा पराणत्ता, ते णं णागदंतगा मुत्ताजालंतरूसिया तहेव तेसु णं णागदंतएसु बहवे किराहे सुत्तवट्ट-वग्धारित-मल्लदामकलावा जाव चिट्ठति 3 / तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो हयसंघाडगा जाव उसभसंघाडगा पराणत्ता सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, एवं पंतीयो वीहीयो मिहुणगा, दो दो पउमलयात्रो जाव पडिरूवायो, तेसि णं तोरणाणं पुरतो (अक्खाअसोवत्थिया सब्बरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा तेसि णं तोरणाणं पुरतो) दो दो चंदणकलसा पगणत्ता, ते णं चंदणकलसा वरकमलपइट्ठाणा तहब सव्वरयणामया जाव पडिरूवा समणाउसो ! 4 / तेसिणं तोरणाणं पुरयो दो दो भिंगारगा पराणत्ता वरकमलपइट्ठाणा जाव सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा महतामहता मत्तगयमुहागितिसमाणा पराणत्ता ममणाउसो ! 5 / तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो श्रामगा पराणत्ता, तेसि णं अातंसगाणं अयमेयारूवे वराणावासे पराणत्ते, तंजहा-तवणिजमया पयंठगा वेरुलियमया थंभया (बरहा) वइरामया वरंगा णाणामणिमया वलक्खा अंकमया मंडला अणोघसिनिम्मलासाए छायाए सव्वतो चेव समणुबद्धा चंदमंडलपडिणिकासा महतामहता श्रद्धकायसमाणा पराणत्ता समणाउसो ! 6 / तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो वइरणाभे थाले पराणत्ते, ते णं थाला अच्छतिच्छडिय-सालितंदुल नहसंदट्ठ(बहु)पडिपुराणा चे चिट्ठति सव्वजंबूणतामता अच्छा जाव पडिरूवा महतामहता रहचकसमाणा समणाउसो! 7 / तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो पातीश्रो पराणत्ताश्रो, ताश्रो णं पातीयो अच्छोदयपडिहत्थाश्रो णाणा Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 266 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : पञ्चमो विभागः विधपंचवरणस्स फलहरितगस्स बहुपडिपुराणायो विव चिट्ठति सव्वरयणामतीयो जाव पडिरूवायो महयामहया गोकलिंजग-चक्कसमाणाश्रो पराणताश्रो समणाउसो ! 8 / तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो सुपतिट्ठगा पराणत्ता, ते णं सुपतिमा णाणाविध-पंचवराण. पसाहणगभंडविरचिया सव्वोसधिपडिपुराणा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 1 / तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो मणोगुलियाको पराणत्तायो 10 / तासु णं मणोगुलियासु बहवे सुवरणरुप्पामया फलगा पराणत्ता, तेसु णं सुवरणरुप्पामएसु फलएसु बहवे वईरामया णागदंतगा मुत्ताजालंतरुसिता हेम जाव गयंदगसमाणा पराणना, तेसु णं वइरामएसु णागदतएसु बहवे रययामया सिकया पराणत्ता, तेसु णं स्ययामएसु सिकएसु बहवे वायकरगा पराणत्ता 11 / ते णं वायकरगा किराहसुत्तसिकगवत्थिया जाव सुकिलसुत्तसिकगवत्थिया सव्वे वेरुलियामया अच्छा जाव पडिरूवा 12 / तेसि गं तोरणाणं पुरश्रो दो दो चित्ता रयणकरंडगा पराणता, से जहाणामएरराणो चाउरंतचक्कवट्टिस्स चित्ते रयणकरंडे वेरुलियमणि-फालिय-पडलपञ्चोयडे साएं पभाए ते पदेसे सब्बतो समंता ग्रोभासइ उज्जोवेति तावेइ पभासेति, एवामेव ते चित्तरयणकरेंगा पराणत्ता वेरुलियपडलपच्चोयडा साए पभाए तें पदेसे सव्वतो समंता अोभासेति 13 / तेसिणं तोरणाणं पुरतो दो दो हयकंठगा जाब दो दो उसमकंठगा पराणत्ता सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 14 / तेसु णं हयकंठएसु जाव उसभकंठएसु दो दो पुष्फचंगेरीयो, एवं मल्लगंध-चुराण-वत्याभरणचंगेरीयो सिद्धत्थचंगेरीयो लोमहत्थचंगेरीयो. सव्वरयणामतीयो अच्छायो जाव पडिरूवायो. 15 / तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो पुष्फपडलाइं जाव लोमहत्थपडलाई सव्वरयणामयाइं जाव पडिरूवाइं 16 / तेसि मां तोरणाणं पुरतो दो दो सीहासणाई पराणत्ताई, तेसि णं सीहासणाणं अयमेयारूवे वराणावासे Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् : अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 267 पराणत्ते तहेब जाव पासातीया 4, 17 / तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो रुप्पछदाछत्ता पराणता, ते णं छत्ता वेरुलिय-भिसंतविमलदंडा जंबूणयकन्निकावइरसंधी मुत्ताजालपरिगता अट्टमहस्स-वरकंचणसलागा ददरमलयसुगंधी सम्बोउ-सुरभि-सीयलच्छाया मंगलभत्तिचित्ता. चदागारोवमा वट्टा 18 / तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो चामरायो पराणत्तायो, तायो णं चामरायो चन्दप्पभ-वइर-वेरुलिय-नानामणिरयणखचियदंडा णाणामणिकणगरयण-विमल-महरिह-तवणिज्जुजल-विचित्तदंडायो चिल्लिायो सुहुमरयतदीहवालाश्रो संखक-कुद-दगरययमय-महियफेणपुंज-सरिणकासाश्रो सव्वरयणामतायो अच्छाश्रो जाव पडिरूवायो 11 / तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो तिल्लसमुग्गा कोट्ठसमुग्गा पत्तसमुग्गा चोयसमुग्गा तयरसमुग्गा एलासमुग्गा हरियालसमुग्गा हिंगुलयसमुग्गा मणोसिलासमुग्गा अंजणसमुग्गा सम्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 20 // . सू० 131 // विजये णं दारे अट्ठसतं चकद्धयाणं अटुसयं मिगद्धयाणं अट्ठसयं गरुडझयाणं अट्ठसयं विगद्धयाणं श्रट्ठसयं रुरुयज्मयाणं अट्ठसतं छत्तज्झयाणं अट्ठसयं पिच्छज्झयाणं अट्ठसयं सउणिज्झयाणं अट्ठसतं सीहज्मयाणं असतं उसभझयाणं असतं .सेयाणं चउविसाणाणं णागवरकेतूणं एवामेव सपुवावरेणं विजयदारे य ग्रासीयं केउसहस्सं भवतित्ति मक्खायं 1 / विजये णं दारे णव भोमा पराणना, तेसि णं भोमाणं अंतो-बहुसंमरमणिजा भूमिभागा पराणत्ता जाव मणीणं फासो, तेसि णं भोमाणं उप्पिं उल्लोया पउमलया जाव सामलताभत्तिचित्ता जाव सव्वतवणिजमता. अच्छा जाव पडिरूवा, तेसि णं भोमाणं बहुमज्भदेसभाए जे से पंचमे भोम्मे तस्स णं भोमस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगे महं सीहासणे पराणत्ते, सीहास वराणतो. विजयदूसे जाव अंकुस जाव दामा चिट्ठति, तस्स णं सीहासणरस अवरुत्तरेणं उत्तरेणं उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं विजयस्स देवस्स चउराहं Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 268 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विमाग. मामाणियसहस्साणं चत्तारि भदासणसाहस्सीयो पराणत्तायो, तस्स णं मीहासणस्त पुरच्छिमेणं एत्थ णं विजयस्स देवस्स चउराहं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं चत्तारि भद्दासणा पराणत्ता, तस्स णं सीहासणस्स दाहिणपुरत्थिमेणं एत्य णं विजयस्स देवस्स अभितरियाए परिसाए अट्ठगहं देवसाहस्तीणं अट्टराहं भदासणसाहस्सीयो पराणत्तायो, तस्स णं सीहासणस्स दाहिणेणं विजयस्स देवस्स मज्झिमियाए परिसाए दसराहं देवसाहस्सीणं दस महासण साहस्सीयो पराणतायो, तस्स णं सीहामणस्स दाहिणपञ्चत्थिमेणं एत्य णं विजयस्स देवस्स बाहिरियाए परिसाए वारसरहं देवसाहस्सीणं बारम भद्दासणसाहस्सीयो पराणत्ताथो 2 / तस्म णं सीहासणस्स पचत्थिमेणं एत्थ णं विजयस्स देवस्स सत्तगहं अणियाहिवतीणं सत्त भदासणा पराणत्ता, तस्स णं सीहासणस्स पुरस्थिमेणं दाहिणेणं पचत्थिमेणं उत्तरेणं एत्थ णं विजयस्स देवस्स सोलस पायरक्खदेवसाहस्सीणं सोलस भदासणसाहस्सीयो पराणत्तायो, तंजहा-पुरस्थिमेणं चत्तारि माहस्सीओ, एवं चउसुवि जाव उत्तरेणं चत्तारि साहस्सीओ, अवसेसेसु भोमेसु पत्तेयं पत्तेयं भद्दामणा पराणत्ता 3 // सू० 132 // विजयस्स णं दारस्स उवरिमागारा सोलसविहेहिं रतणेहि उवसोभिता, तंजहा-रयणेहिं वयरेहि वेलिएहिं जाव रिटेहिं 1 / विजयस्स णं दारस्स उप्पिं बहवे अट्ठमंगलगा पराणता, तंजहा-सोत्थितसिरिवच्छ जाव दप्पणा सब्बरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 2 / विजयस्त णं दारस्स उप्पि बहवे कराहवामरज्मया जाव सब्बरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 3 / विजयस्स णं दारस्स उप्पिं बहवे छत्तातिच्छत्ता तहेव 4 // सू. 133 // से केणढणं भंते ! एवं कुवति-विजए णं दारे 2 ?, गोयमा ! विजए णं दारे विजए णाम देवे महिड्डीए महज्जुतीए जाव महाणुभावे पलिश्रोवमट्टितीए परिवसति, से णं तत्थ चउराहं सामाणियसाहस्सीणं चउराहं श्रग्गमहिसीणं सपरिवाराणं Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीया जीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / [ 266 तिराहं परिमाणं सत्तगहं अणियाणं सत्तगह अणियाहिवईणं सोलसराहं पायरक्खदेवसाहस्सीणं विजयस्स णं दारस्त विजयाए रायहाणीए अराणेसिं व बहूणं विजयाए रायहाणीए वत्थव्वगाणं देवाणं देवीण य ाहेबच्चं जाव दियाई भोगभोगाइं भुजमाणे विहरइ, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चति-विज़ये दारे विजये दारे, अदुत्तरं च णं गोयमा ! विजयस्स णं दारस्स सासए णामधेज्जे पराणत्ते जराण कयाइ णत्थि ण कयाइ ण भविस्सति जाव अवट्ठिए णिच्चे विजए दारे // सू० 134 // कहि णं भंते ! विजयस्स देवस्स विजया णाम रायहाणी पराणता ?, गोयमा ! विजयस्स णं दारस्स पुरथिमेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीतिवतित्ता अराणमि जंबहीवे दीवे बारस जोयणसहस्साई श्रोगाहित्ता एस्थ णं विजयस्स देवस्स विजया णाम रायहाणी परणत्ता बारस जोयणसहस्साई यायामविखंभेणं सत्ततीसजोयणसहस्साई नव य अडयाले जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पराणते 1 / सा णं एगेणं पागारेणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता 2 / से गां पागारे सत्ततीसं जोयणाई श्रद्धजोयणं च उ8 उच्चत्तेणंमूले श्रद्धतेरस जोयणाई विक्खंभेणं मझेत्थ सकोसाई छजोयणाई विखंभेणं उप्पिं तिरिण सद्धकोसाइं जोयणाई विक्खंभेणं मूले विच्छिराणे माझे संखिने जपिं गुए शाहिर अंतो से गोपुच्चसंगाएतरिते सव्वकणगामए अच्छे जाव पडिरूवे 3 / से गां पागारे णाणाविहपंचवराणेहिं कविसीसएहि उवसोभिए, तंजहा-किराहेहिं जाव सुकिल्लेहिं 4 / ते णं कविसीसका श्रद्धकोसं थायामेणं पंचधणुसताई विक्खंभेणं देसोणमद्धकोसं उड्ड उच्चत्तेणं सव्वमणिमया अच्छा जाव पडिरूवा 5 / विजयाए णं रायहाणीए एगमेगाए बाहाए. पणुवीसं पणुवीसं दारसतं भवतीति मक्खायं 6 / ते णं दारा बावटि जोयणाई श्रद्धजोयणं च उ8 उच्चत्तेणं एकतीसं. जोयणाई कोसं च विक्खंभेणं तावतियं चेव पवेसेणं सेता बरक Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 300 / . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः णगथूभियागा ईहामिय तहेव जघा विजए दारे जाव तवणिजवालुगपत्थडा सुहफासा सम्मि(म)रीए सख्वा पासातीया 4,7 / तेसि णं दाराणं उभयपासिं दुहतो णिसीहियाए दो वंदण-कलस-परिवाडीयो पराणत्तायो तहेव भाणियव्वं जाव वणमालायो 8 / तेसि णं दाराणं उभयो पासिं दुहतो मिसीहियाए दो दो पंगंठगा पराणत्ता, ते णं पगंठगा एकतीसंजोयणाई कोसं च थायामविक्खंभेणं पन्नरस जोयणाई अट्ठाइज्जे कोसे बाहल्लेणं पराणत्ता सव्ववइरामया अच्छा जाव पडिरूवा 1 / तेसि णं पगंठगाणं उप्पि पत्तेयं 2 पासायवडिंसगा पराणत्ता 10 / ते णं पासायवडिसगा एकतीसं जोयणाई कोसं व उड्ड उच्चत्तेणं पन्नरस जोयणाई अड्डाइज्जे य कोसे आयामविक्खभेणं सेसं तं चेव जाव समुग्गया णवरं बहुवयणं भाणितव्वं 11 / विजयाए णं रायधाणीए एगमेगे दारे अट्ठसयं चकमयाणं जाव अट्ठसत सेयाणं चउविसाणाणं णागवरकेऊणं, एवामेव म पुव्वावरेणं विजयाए रायहाणीए एगमेगे दार श्रासीतं 2 केउसहस्सं भवतीति मक्खायं 12 / विजयाए णं रायहाणीए एगमेगे दारे (तेसि णं दाराणं पुरो) सत्तरस भोमा पराणत्ता, तेसि णं भोमाणं भूमिभागा उल्लोया (य) पउमलया भत्तिचित्ता 13 / तेसि णं भोमाणं बहुमज्भदेसभाए जे ते तवमनवमा भोमा तेसि णं भोमाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं 2 सीहासणा पराणत्ता, सीहासणवराणथो जाव दामा जहा हेट्ठा, एस्थ | श्रवसेसेसु भोमेसु पत्तेयं पत्तेयं भदासणा पराणत्ता 14 / तेसि णं दाराणं उत्तिमं (उपरिमा) गारा सोलसविधेहिं रयणेहिं उवसोभिया तं चेव जाव छत्ताइछत्ता, एवामेव पुव्वावरेण विजयाए रायहाणीए पंच दारसता भवंतीति मक्खाया 15 / / सू० 135 // विजयाए णं रायहाणीए चउदिसि पंचजोयणसताई अबाहाए, एत्थ णं चत्वारि वणसंडा पराणत्ता, तंजहा-असोगवणे सत्तवराणवणे चंपगवणे, चूतवणे, पुरथिमेणं ग्रंसोगवणे दाहिणेणं सत्तवरांणवणे पचत्थिमेणं Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जीवाजीवभिगम-सूत्रम् / अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 301 चंपगवणे उत्तरेणं चूतवणे 1 / ते णं वणसंडा साइरेगाई दुवालस जोयणसहस्साई श्रागमेणं पंच जोयणसयाई विक्खंभेणं पराणत्ता पत्तेयं पत्तेयं पागारपरिक्खित्ता किराहा किराहोभासा वणसंडवरणश्रो भाणियव्वो जाव बहवे वाणमंतरा देवा य देवीश्रो य आसयंति सयंति चिट्ठति णिसीदंति तुयट्टांति रमंति ललति कीलंति मोहंति पुरापोराणाणं सुचिराणाणं सुपरिकंताणं सुभाणं कम्माणं कडाणं कल्लाणं फलवित्तिविसेसं पञ्चणुभवमाणा विहरंति 2 / तेसिणं वणसंडाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं पत्तेयं पासायवडिसगा पराणत्ता, ते णं पामायवडिंसगा बावट्टि जोयणाई श्रद्धजोयणं च उड्ढ उच्चत्तेणं एकतीस जोयणाई कोसं च पायामविक्खंभेणं अभुग्गतमूसिया तहेव जाव अंतो बहुसमरमणिज्जा भूमिभागा पराणत्ता उल्लोया पउमभत्तिचिता भाणियव्वा, तेसि णं पासायवडेंसगाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं पत्तेयं सीहासणा पराणत्ता वराणावासो सपरिवारा, तेसि णं पासायवडिंसगाणं उप्पिं बहवे अट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता 3 / तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्डीया जाव पलियोवमद्वितीया परिवसंति, तंजहा-असोए सत्तवराणे चंपए चूते 4 / तत्थ णं ते साणं साणं वणसंडाणं साणं साणं पासायवडेंसयाणं साणं साणं सामाणियाणं साणं साणं अग्गमहिसीणं साणं साणं परिसाणं साणं साणं श्रायरक्खदेवाणं पाहेबच्चं जाब विहरति 5 / विजयाएणं रायहाणीए अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे परणत्ते जाव पंचवराणेहिं मणीहिं उबसोभिए तणसद्दविहूणे जाव देवा य देवीयो य श्रासयंति जाव विहरंति 6 / तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्भदेसभाए एस्थ णं एगे महं श्रोवरियालेणे पराणत्ते बारस जोयणसयाई प्रायामविक्खंभेणं तिनि जोयणसहस्साई सत्त य पंचाणउते जोयणसते किचिविसेसाहिए परिवखेवेणं अद्धकोसं बाहल्लेणं सव्वजंबूणतामतेणं अच्छे जाव पडिस्वे 7 / से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेणं वणसंडेणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 302 ) ( श्रीमदागम सुधासिन्धुः :: पञ्चमो विमागः पउमवरवेतियाए वरण यो वणसंडवराणयो जाब विहरंति, से णं वणसंडे देसूणाई दो जोयणाई चकवालविक्खंभेणं श्रीवारियालयणममपरिक्खेवणं 8 / तस्स णं थोरियालयास्स चउदिसि चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा पराणता, वराणयो, तेसि णं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरतो पत्तेयं पत्तेयं तोरणा पराणत्ता छत्तातिछत्ता 1 / तस्स णं उवारियालणस्स उप्पि बहुममरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते जाव मणीहि उवसोभिते मणिवराणो, गंधरसफासो. तस्स णं बहुसमरमणिजस भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगे महं मूलपासायवडिंसए पराणत्ते, से णं पासायवडिसए बावटि जोयणाई . श्रद्धजोयणं च उड्ढ उच्चत्तेणं एकतीसं जोयणाई कोसं च पायामविवखंभेणं श्रब्भुग्गयमूसियप्पहसिते तहेव तस्स णं पासायवडिंसगस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते जाव मणिफासे. उल्लोए 10 / तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे एत्थ गणं एगा महं मणिपेढिया पत्नत्ता, मा च एगं जोयणमायामविक्खंभेणं श्रद्धजोयणं बाहल्लेणं सबमणिमई अच्छा सराहा 11 / तीसे णं मणिपेदियाए उवरि एगे महं मीहासंणे पन्नत्ते, एवं सीहासणवराणयो सपरिवारो, तस्स णं पासायवडिमंगस्म उप्पिं बहवे अमंगलगा झया. छत्तातिछत्ता 12 / से णं पासायवडिसए अराणेहिं चाहिं तदद्धचत्तप्पमाणमेत्तेहिं पासायवडिसएहिं सबतो समंता संपरिक्खिचे..ते. णं पासायवडिंमगा एकतीसं जोयणाई कोसं च उड्ढ उच्चत्तेणं श्रद्धसोलसजोयणाई अद्धकोसं च यायामविक्खंभेणं अभुग्गत-मूसियपहसियाविव तहेव, तेसि णं पासायडिसयाणं अंतो बहुसमरमणिजा भूमिभागा उल्लोया 13 | तेसि गं बहुसमरमणिजाणां भूमिभागाणं बहुमज्भदेसभाए. पत्तेयं पत्तेयं सीहासणं पराणत्तं, वराणो, तेसिं परिवारभूता भदासणा पराणत्ता, तेसि. गं. अट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता 14 / ते णं पासायवडिसका अराणेहिं चउहि चाहिं तदद्ध. Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / / अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] चत्तप्पमाणमेत्तेहिं पामायवडेंसएहिं सबतो समंता संपरिक्खित्ता 15 / ते णं पासायवडेंसका यद्धसोलसजोयणाई यद्धकोसं च उड्डे उच्चत्तेणं देसूणाई अट्ट जोयणाई आयामविक्खंभेणं अभुग्गयमूसियपहसियाविव तहेव, तेसि णं पासायवडेंसगाणं अंतो बहुसमरमणिज्जा भूमिभागा उल्लोया, तेसि णं बहुसमरमणिजाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं पत्तेयं परमासणा पत्नत्ता, तेमि णं पासायाणं अट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता 16 / ते पासायवडेंसगा अगणेहिं उहिं तदद्धच्चत्तप्पमाणमेत्तेहिं पासायव.सपहिं सवतो समंता संपरिक्खित्ता 17 / ते णं पासायवडेंसका देसूणाई पट्ट जोयणाई उड्डे उच्चत्तेणं देसूणाई चत्तारि जोयणाई श्रायामविक्खंभेणं अभुग्गतमूसियपहसियाविव भूमिभागा उल्लोया भदासणाई वरिं मंगलमा झया छत्तातिछत्ता, ते णं पासायवडिंसगा अराणेहिं चउहिं तदद्धचत्तप्पमाणमेत्तेहिं पासायवडिसएहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता 18 | ते णं पासायवडिसगा देसूणाई चत्तारि जोयणाई उड्ढ उच्चत्तेणं देसू. णाई दो जोयणाई अायामविक्खंभेणं अभुग्गयमूर्सियपहसियाविव भूमिभागा उल्लोयापउमासणाई उवरिं मंगलगा झया छत्ताइच्छत्ता ११॥सू० 136 // तस्स णं मूलपासायवडेंसगस्स उत्तरपुरस्थिमे णं एत्य णं विजयस्स देवस्स सभा सुधम्मा पराणत्ता अद्धत्तेरसजोयणाई आयामेणं छ सकोसाइं जोयणाई विक्खंभेणं णव जोयणाई उड्दं उच्चत्तेणं, अणेगांभसत-संनिविट्ठा अब्भुग्गयसुकयवइरवेदिया तोरणवर-रतिय-सालभंजिया सुसिलिट्ठ-विसिट्ट-लट्ठ-संठियपसत्य-वेरुलियविमलखंभा णाणामणि-कणग-रयण-खइय-उज्जल-बहुसमसुवि. भत्त-वित्त(णिचिय)रमणिजकुट्टिमतला ईहामिय-उसभ-तुरग-णर-मगर-विहगवालग-किराणररुरु-सरभ-चमर-कुंजर-वणलय-पउमलयभत्तिचित्ता थंभुग्गयवइर-वेइयापरिगयाभिरामा विजाहरजमल-जुयल-जंतजुत्ताविव अचिसहस्समालणीया रूवगसहस्सकलिया भिसमाणी भिब्भिसमाणी चवखुलोयणलेसा Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 304 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः सुहफामा सस्सिरीयरूवा कंत्रणमणि-रयणथूभियागा नाणाविह पंचवराण घंटापडागपडिमंडितग्गसिहरा धवला मिरीइकवचं विणिम्मुयंती लाउलोइयमहिया गोसीस-सरस-रत्तचंदण-दइर दिन्नपंचंगुलितला उवचिय-चंदणकलसा चंदणघडसुकय-तोरण-पडिदुवारदेसभागा आसत्तोसत्त-विउल-बट्ट-वग्धारिय-मल्लदामकलावा पंचवरण सरस-सुरभि-मुक-पुष्फपुजोवयारकलिता कालागुरु-पवरकुंदुरुक-तुरुक-धूव-मघमघेत-गंधुद्धयाभिरामा सुगंधवरगंधिया गंधवट्टिभूया श्रच्छरगण-संघसंविकिना दिब्बतुडिय-मधुर-सहसंपणाइया सुरम्मा सबरय. णामती अच्छा जाव पडिरूवा 1 / तीसे णं सोहम्माए सभाए तिदिसि तो. दारा पराणत्ता 2 / ते गां दारा पत्तेयं पत्तेयं दो दो जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं एगं जोयणं विक्खंभेणं तावइयं चेव पवेसेणं सेया वरकणगथूभियागा जाव वणमालादारवन्नयो 3 / तेंसि णं दारागां पुरश्रो मुहमंडवा पराणत्ता, ते णं मुहमंडवा बद्धतेरसजोषणाई थायामेगां छजोयणाई सक्कोसाई विश्वंभेगां साइरेगाई दो जोयणाई उड्डे उच्चत्तेगां मुहमंडवा श्रणेगखंभसयसंनिविट्ठा जाव उल्लोया भूमिभागवराणश्रो 4 / तेसि णं मुहमंडवाणां उवरि पत्तेयं पत्तेयं अट्ट मंगला पराणत्ता, तंजहा-सोत्थिय-सिरिवच्छ-नंदियावत्त-वद्धमाणगभद्दासण-कलम-मच-दप्पणा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिख्वा 5 / तेसि णं मुहमंडवाणां. पुरयो पत्तेयं पत्तेयं पेच्छाघरमंडवा पराणत्ता; ते णं पेच्छाघरमंडवा श्रद्धतेरसजोयणाई श्राथामेगां जाव दो जोयणाई उड्ड उच्चतेंगां जाव मणिफासो 6 / तेसि गां बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं पत्तेयं वइरामयअक्खाडगा पराणत्ता, तेसि गां वइरामयागां अक्खाडगागां बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं 2 मणिपीढिया पराणत्ता, तायो गां मणिपीढियायो जोयणमेगं श्रायामविक्खंभेगां श्रद्धजोयगां बाहल्लेगां सव्वमणिमईयो अच्छायो जाव पडिरूवायो 7 / तासि गां मणिपीढियाणां उप्पि पत्तेयं पत्तेयं सीहासणा पराणता, सीहास गवरणको जाव दामा परिवारो / तेसि गां पेच्छाघरमंड Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्सा बहुकिराहचामरममावत्तारि मणिपाठवाय बाहल्लेण - श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् : अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 305 वागां उप्पि अट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता 1 / तेसि गां पेच्छाघरमंडवाणां पुरतो तिदिसिं तो मणिपेढियात्रो पन्नत्ताश्रो, तायो गां मणिपेढियायो दो जोय. णाई यायामविखंभेणं जोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमतीयो अच्छायो जाव पडिरूपायो 10 / तासि णं मणिपेढियाणं उप्पिं पत्तेयं पत्तेयं चेइयथूभा पराणत्ता, ते गां चेइयथूभा दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं सातिरेगाइं दो जोयणाई उर्ल्ड उच्चत्तेणं सेया संखंक-कुद-दगरयामय-महित-फेणपुंजसरिणकासा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 11 / तेसि णं चेइयथूभाणं उप्पिं अट्ठ मंगलगा बहुकिराहचामरझया पराणत्ता छत्तातिछत्ता 12 / तेसिणं चेतियथूभाणं चउदिसिं पत्तेयं पत्तेयं चत्तारि मणिपेढियायो पन्नत्तायो, तायो णं मणिपेढियायो जोयणं आयामविक्खंभेणं श्रद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमईयो 13 / तासि णं मणिपीढियाणं उप्पि पत्तेयं पत्तेयं चत्तारि जिणपडिमाश्रो जिणुस्सेहपमाणमेत्तायो पलियंकणिसराणाश्रो थूभाभिमुहीयो सन्निविट्ठायो चिट्ठति, तंजहा-उसभा वद्धमाणा चंदाणणा वारिसेणा 14 / तेसि णं चेतियथूभाणं पुरतो तिदिसिं पत्तेयं पत्तेयं मणिपेढियाश्री पन्नत्तायो, ताशो गं मणिपेढियायो दो दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं जोयणं बाहल्लेणं सबमणिमईयो अच्छायो लराहायो सराहायो घटायो मट्ठायो णिप्पंकायो णीरयायो सस्सिरीयागोजाव पडिरूवायो 15 / तासि णं मणिपेढियाणं उप्पिं पत्तेयं पत्नेयं चेइयरुवखा पराणत्ता, ते णं चेतियरुक्खा अट्ठजोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं श्रद्धजोयणं उव्वेहेणं दो जोयणाई खंधी अद्धजोयणं विक्खंभेणं छजोयणाई विडिमा बहुमज्भदेसभाए अट्ठजोयणाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाइं अट्ठजोयणाई सव्वग्गेणं पराणत्ताई १६।तेसिणं चेइयरुक्खाणं अयमेतारूवे वराणावासे पराणत्ते, तंजहा-वइरामया मूला रययसुपतिट्टिता विडिमा रिटामय-विपुलकंद-वेरुलिय-रुतिलखंधी सुजात-वरजायरूव-पढमगविसालसाला नाणामणिरयण-विविध-साहप्पसाह 36 Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 306 / [ श्रीमदागमसुधामिन्धुः / पञ्चमो विभागः वेरुलियपत्त-तवणिजपत्तवेंटां जंबूनय-रत्त-मउय सुकुमाल-पवाल-पल्लवं-कुरधरा ( जंबूयण-रत्त मउय-सुकुमाल-कोमल-पवाल-पल्लव-सोभंत--वरंकुरग्गसिहरा) विचित्त-मणिरयण-सुरभि-कुसुम-फल भरेण णमियसाला सच्छाया सप्पभा समिरीया सउज्जोया अमयरस-प्समरसफला अधियं गायण-मणा-णिवृतिकरा पासातीया दरिसणिजा अभिरुवा पडिरूवा 17 / ते णं चेइयरुक्खा यन्नेहिं बहूहिं तिलय-लवय-छत्तोवग-सिरीस-सत्तवन-दहिवन-लोद्र-धवचंदण-नीवकुडय-कयंव-पणस-ताल-तमाल-पियाल-पियंगु-पारावय-रायरुक्खनंदिरुक्खेहिं सब यो समंता संपरिक्खित्ता 18 | ते णं तिलया जाव नंदिरुक्खा मूलवंतो कंदमंतो जाव सुरम्मा 11 / तेणं तिलया जाव नंदिरुक्खा अन्नेहिं बहूहिं पउमलयाहिं जाव सामलयाहिं सब्बतो समंता संपरिक्खित्ता, तात्रोणं पउमलयात्रो जाव सामलयात्रो निच्चं कुसुमियायो जाव पडिरूवाश्रो 20 / तेसि णं चेतियरुक्खाणं उप्पि बहवे अट्ठमंगलगा झया छत्ततिछत्ता 21 / तेसि णं चेइयरुवखाणं पुरतो तिदिसिं तो मणिपेढियायो पराणत्ताश्रो, तायो णं मणिपेढियात्रो जोयणं श्रायामविक्खंभेणं श्रद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमतीयो अच्छा जाव पडिरूवाश्रो 22 / तासि णं मणिपेढियाणं उप्पि पत्तेयं पत्तेयं माहिंदझ्या अट्ठमाइं जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं श्रद्धकोसं उब्वेहेणं श्रद्धकोसं विखंभेणं वइरामय-बट्ट-लट्ठ-संटिय-सुसिलिट्ठ परिघट्ट-मट्ठसुपतिहिता विसिट्टा अणेगवर-पंचवरणकुडभी सहस्सपरिमंडियाभिरामा वाउछुय-विजय-वेजयंतीपडागा छत्तातिछत्तकलिया तुगा गगणतलमभिलंघमाणसिंहरा पासादीया जाव पडिरूवा 23 / तेसि | महिंदज्झयाणं उप्पिं अट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता 24 / तेसि णं महिंदज्झयाणं पुरतो तिदिसिं तो गंदाश्रो पुक्खरिणीयो पन्नत्तात्रो, ताश्री णं पुक्खरिणीयो श्रद्धतेरसंजोयणाई थायामेणं सकोसाई छ जोयणाई विखंभेणं दसजोयणाई उव्वेहेणं अच्छाश्रो सराहाश्रो पुक्खरिणीवराणो पत्तेयं Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-मत्रम् :: अधिकारः ? तृतीया प्रातपत्तिः / .. [307 पत्तेयं पउमवरवेइयापरिक्खित्तायो पत्तेयं पत्तेयं वणसंडपरिक्खित्तायो वराणयो जाव पडिरूवायो 25 / तेसि णं पुवखरिणीणं पत्तेयं 2 तिदिसि तिसोवाणपडिरूवगा पन्नत्ता, तेसि णं तिसोवाणपडिरूवगाणं वराणो, तोरणा भाणियब्बा, जाव छत्तातिच्छत्ता सभाए णं सुहम्माए छ मणोगुलिसाहस्सीयो पराणत्तायो, तंजहा–पुरस्थिमे णं दो साहस्सीयो पञ्चत्थिमेणं दो साहस्तीयो दाहिणेणं एगसाहस्सी उत्तरेणं एगा साहस्सी, तासु णं मणोगुलियासु बहवे सुवरणरुप्पामया फलगा पण्णत्ता, तेसु णं सुवराणरुप्पामएसु फलगेसु बहवे वइरामया णागदंतगा पराणत्ता, तेसु णं वइरामएसु नागदंतएसु बहवे किराहसुत्त-वट्टवग्धारित-मल्लदामकलावा जाव सुकिल-बट्टवग्धारितमल्लदामकलावा, ते णं दामा तवणिजलंबूसगा जाव चिट्ठति 26 / सभाए णं सुहम्माए छगोमाणसीसाहस्सीयो पराणत्तायो, तंजहा-पुरस्थिमेणं दो साहस्सीयो, एवं पञ्चत्थिमेणवि दाहिणणं सहस्सं एवं उत्तरेणवि, तासु णं गोमाणसीसु बहवे सुव्वराणरुप्पमया फलगा पनत्ता, जाव तेसु णं वइरामएसु नागदंतएसु बहवे रयतामया सिकता पराणत्ता, तेसु णं रयतामएसु सिकएसु बहवे वेरुलियामईयो धूवघडितायो पराणनाया, तायो णं धूवघडियायो कालागुरु-पवर-कुंदुरुक्क-तुरुक जाव घाणमणणिवुइकरेणं गंधेणं सव्वतो समंता यापूरेमाणीयो चिट्ठांति 27 / सभाए णं सुधम्माए अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते जाव मणीणं फासो उल्लोया पउमलयभत्तिचित्ता जाव सव्रतवणिजमए अच्छे जाव पडिस्वे 28 / / सू. 137 // तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमझदेसभाए एत्थ णं एगा महं मणिपीडिया पराणत्ता, सा णं मणिपीढिया दो जोयणाई अायामविक्खंभेणं जोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमता 1 / तीसे णं मणिपीढियाए उप्पि एत्थ णं माणवए णाम चेइयखंभे पराणत्ते श्रद्धटुमाइं जोयणाई उ8 उच्चत्तेणं श्रद्धकोसं उव्वेहेणं श्रद्धकोसं विक्खंभेणं छकोडीए Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 108) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागो छलसे छविग्गहिते वइसमय-बट्टलट्ठसंठिते, एवं जहा महिंदमयस्स वराणयो जाव पासातीए 2 / तस्स णं माणवकस्स चेतियखंभस्स उवरि छकोसेयोगाहित्ता हेटावि ठकोसे वज्जेत्ता मज्झे अद्धपंचमेसु जोयणेसु एस्थ णं बहवे सुवराणरुप्पमया फलगा पन्नत्ता, तेसु णं सुवरणरुप्पमएसु फल एसु बहवे वइरामया णागदंता पराणत्ता, तेसु णं वइरामएसु नागदंतएसु बहवे रययामता सिकगा पराणत्ता 3 / तेसु णं रययामयसिकएसु बहवे वइरामया गोलवट्टसमुग्गका पराणत्ता, तेसु णं वइगमएसु गोलवट्टसमुगएसु बहवे जिणसकहाश्रो संनिक्खित्तायो चिट्ठति, जायो णं विजयस्स देवस्स अराणेसि च बहूणं वाणमंतराणं देवाण य देवीण य अचणिजायो वंदणिजायो प्रयणि जायो सकारणिजायो सम्माणणिजायो कलाणं मंगलं देवयं चेतियं पज्जुवासणिज्जायो 4 / माणवस्स णं चेतियखंभस्त उवरिं अट्टमंगलगा झया छत्तातिछत्ता 5 / तस्स णं माणवकस्स चेतियखंभस्स पुरच्छिमेणं एत्थ णं एगा महामणिपेढिया पन्नत्ता, सा णं मणिपेढिया दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं जोयणं बाहल्लेणं सब्वमणिमई जाव पडिरूवा 6 / तीसे णं मणिपेढियाए उप्पिं एत्थ णं एगे महं सीहासणे पण्णते, सीहासणवराणश्रो 7 / तस्स णं माणगस्स चेतियखंभस्म पचत्थिमेणं एत्थ णं एगा महं मणिपेढिया पन्नत्ता, जोयणं यायामविखंभेणं अद्ध जोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमती अच्छा 8 / तीसे णं मणिपेढियाए उप्पि एत्थ णं एगे महं देवसयणिज्जे पराणत्ते, तस्स णं देवसयणिजस्स अयमेयारूवे वराणावासे पराणत्ते, तंजहा-नाणामणिमया पडिपादा सोवरिणया पादा नाणामणिमया पायसीसा जंबूणयमयाई गत्ताई वइरामया संधी णाणामणिमते चिच्चे रइयामता तूली लोहियक्खमया बिब्बोयणा तवणिजमती गंडोवहाणिया, से णं देवसयणिज्जे उभश्रो बिब्बोयणे दुहयो उगणए मज्झणयगंभीर सालिंगणवट्टीए गंगापुलिण-वालुउद्दालसालिसए श्रोतवित Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीनाभिगम-सूत्रम् / / अधिकारः 1 तृतीया प्रांतात्तिः ] / / 306 क्खोमदुगुल-पट्टपडिच्छायणे सुविरचितरयत्ताणे रत्तंसुयसंवुते सुरम्मे थाईणगरूत-चूर-णवणीय-तूलफासमउए पासाईए 1 / तस्स णं देवसयणिज्जस्स उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं महई एगा मणिपीठिका पराणत्ता, जोयणमेगं थायामविक्खंभेणं श्रद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमई जाव अच्छा 10 / तीस णं मणिपीढियाए उप्पिं एगं महं खुड्डए महिंदज्झए पराणत्ते अट्ठमाई जोयणाई उड्ढ उच्चत्तेणं श्रद्धकोसं उब्वेघेणं श्रद्धकोसं विक्खंभेणं वेरुलियामयचट्टलट्ठमंठिते तहेव जाव मंगला झया छत्तातिछत्ता 11 / तस्स णं खुड्डमहिंदज्झयस्म पञ्चस्थिमेणं एत्थ णं विजयस्स देवस्स चुप्पालए नाम पहरण कोसे पराणत्ते 12 / तस्थ णं विजयस्स देवस्स फलिह-रयणपामोक्खा बहवे पहरणरयणा संनिक्खित्ता चिट्ठति, उज्जल सुणिसिय-सुतिक्खघारा पासाईया 13 / तीसे णं सभाए सुहम्माए उप्पिं बहवे अट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता 14 // सू० 138 // सभाए णं सुधम्माए उत्तरपुरथिमेणं एत्थ णं एगे महं सिद्धायतणे पराणते अद्धतेरस जोयणाई थायामेणं छजोयणाई सकोसाई विक्खंभेणं नव जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं जाव गोमाणसिया वत्तव्वया जा चेव सहाए सुहम्माए वत्तव्बया सा चेव निरवसेसा भाणियव्वा तहेव दारा मुहमंडया पेच्छाघरमंडवा झया थूमा चेइयरुक्खा महिंदज्मया णंदायो पुक्खरिणीयो, तो य सुधम्माए जहा पमाणं. मणगुलीयाणं गोमाणसीया धूवयघडिश्रो तहेव भूमिभागे उल्लोए य जाव मणिफासे 1 / तस्स णं सिद्धायतणस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगा महं मणिपेढिया पराणत्तादो जोयणाई अायामविक्खंभेणं जोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमयी अच्छा जाव पडिरूवा, तीसे णं मणिपेढियाए उप्पिं एत्थ णं एगे महं देवच्छंदए पराणत्ते दोजोयणाई अायामविक्खंभेणं साइरेगाइं दो जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं सवरयणामए अच्छे 2 / तत्थणं देवच्छंदए अट्ठसतं जिणपडिमाणं जिणुस्सेहप्पमाणमेत्ताणं संणिक्खित्तं चिट्ठइ 3 / तासि णं जिगपडिमाणं अयमेयारूवे वराणावासे पराणत्ते, जोयणाई तीसे मणिपढियामाइरंगाई दो जोयणाणजिणुस्सेहप्यमाणाने, Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 310 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: पञ्चमो विभागः तंजहा-तवणिजमता हत्थतला अंकामयाइं णक्खाइं अंतोलोहियक्खपरिसेयाई कणगमया पादा कणगामया गोप्फा कणगामतीयो जंघायो कणगामया जाणू कणगामया ऊरू काणगामयायो गायलंटीयो तवणिजमतीयो णाभीयो रिद्वामतीश्रो रोमरातीयो तवणिजमया चुच्चुया तवणिजमता सिविच्छा कणगमयायो बाहायो कणगमईयो पासायो कणगमतीयो गीवाश्रो रिटामते मंस सिलप्पवालमया उट्ठा फलिहामया दंता तवणिजमतीयो जीहायो तवणिजमया तालुया कणगमतीयो गासायो अंतोलोहितक्खपरिसेयायो अंकामयाइं अच्छीणि अंतोलोहितक्खपरिसेताई पुलगमतीयो दिट्ठीयो.. रिट्ठामतीयो तारगाो रिट्ठामयाई अच्छिपत्ताई रिट्ठामतीयो भमुहायो कणगामया कवोला कणगामया सवणा कणगामया णिडाला वट्टा वइरामतीश्रो सीसघडीयो तवणिजमतीयो केसंतकेसभूमीयो 'रिट्ठामया उपरिमुद्धजा 4 / तासि णं जिणपडिमाणं पिट्ठतो पत्तेयं पत्तेयं छत्तवारपडिमायो पराणत्तात्रो, तायो णं छत्तधारपडिमायो हिमरततकुदेंदुसप्पकासाई सकोरेंट-मल्लदामधवलाई प्रातपत्तातिं सलीलं योहार. माणीयो चिट्ठति 5 / तासि णं जिणपडिमाणं उभयो पासिं पत्तेयं पत्तेयं चामरधारपडिमायो पन्नत्तायो, तायो णं चामरधारपडिमायोः चंदप्पह-वरइवेरुलिय-नाणामणि-कणग-रयण-विमल महरिह-तवणिज्जुजल-विचित्तदंडायो बिल्लियायो संखंक कुंद-दगरय-अमत मथित-फेणपुंजसंगिणकासायो सुहुमरयतदीहवालात्रो धवलायो चामरायो सलीलं श्रोहारेमाणीयो चिट्ठांति 6 / तासि णं जिणपडिमाणं पुरतो दो दो नागपडिमायो दो 2 जखपडिमायो दो 2 भूतपडिमायो दो 2 कुडधारपडिमायो विणयोणयात्रो पायवडियायो पंजलिउडायो संणिक्खित्तायो चिट्ठति सव्वरयणामतीयो अच्छायो सराहायो लगहायो घटायो मट्टायो णीरयायो गिप्पंकायो जाव पडिरूवायो 7 / तासि णं जिणपडिमाणं पुरतो अट्ठसतं घंटाणं Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / [ 311 अट्ठसतं चंदणकलसागणं एवं असतं भिंगारगाणं एवं प्रायंसगाणं थालाणं पातीणं सुपतिटकाणं मणगुलियाणं वातकरगाणं चित्ताणं रयणकरंडगाणं हयकंठगाणं जाव उसभकंठगाणं पुष्फचंगेरीणं जाव लोमहत्थचंगेरीणं अट्ठसयं पुष्फपडलगाणं अट्ठसयं तेल्लसमुग्गाणं जाव धूवगडच्छुयाणं संणिखित्तं चिट्ठति / तस्स णं सिद्धायतणस्स णं उप्पिं बहवे अठ्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता उत्तिमागारा सोलसविहेहिं रयणेहिं उवसोभिया तंजहा-रयणेहिं जाव रिटेहिं 1 | (वंदणकलसा भिंगारगा य अायंसगा य थाला य / पाईयो सुपइट्ठाः मणगुलिया वायकरगा य // 1 // चित्ता रयण-". करंडा हयगयनरकंठगा य चंगेरी। पडला सिंहासणछत्तवामरा समुग्गयक(जु)या य // 2) // सू० 131 // तस्स णं, सिद्धाययणस्स णं उत्तरपुरस्थिमेगां एत्थ णं एगा महं उपवायसभा पराणत्ता जहा सुधम्मा तहेव जाक गोमाणसीओ उववायसभाएवि दारा मुहमंडवा सव्वं भूमिभागे तहेव नाव मणिफासो (सुहम्मासभावत्तव्वया भाणियवा जाव भूमीए फासो) 1 / तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एस्थ णं एगा महं मणिपेढिया पराणत्ता जोयणं आयामविक्खंभेणं श्रद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमती अच्छा जाव पडिरूवा, तीसे णं मणिपेढियाए उप्पि एत्थ णं एगे महं देवसयणिज्जे पराणत्ते, तस्स णं देवसयणिजस्स वरणो , उववायसभाए णं उप्पिं अट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता जाव उत्तिमागारा, तीसे णं उबवायसभाए उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं एगे महं हरए पराणत्ते, से णं हरए श्रद्धतेरसजोयणाई थायामेणं छकोसाति जोयणाई विक्खंभेणं दस जोयणाई उव्वेहेणं अच्छे सराहे वराणो जहेव णंदाणं पुक्खरिणीणं जाव तोरणवराणो , तस्स णं हरतस्स उत्तरपुरत्थिमेणं एत्थ णं एमा महं अभिसेयसभा घराणत्ता जहा सभासुधम्मा तं चेव निरवसेसं जाव गोमाणसीश्रो भूमिभाए उल्लोए तहेव 2 / तस्स णं बहुसमरमणिज़स्स भूमिभागस्स 14. . ... Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागा बहुमज्भदेसभाए एत्थ णं एगा महं मणिपेढिया पगणता जोयणं पायामविक्खंभेणं अद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमया अच्छा 3 / तीसे णं मणिपेढियाए उप्पि एत्थ णं महं एगे सीहासणे पराणते, सीहासणवगणयो अपरिवारो 4 / तत्थ णं विजयस्स देवस्स सुबहु अभिसेक्के भंडे संणिक्खित्ते चिट्ठति, अभिसेयसभाए उप्पिं अट्ठमंगलए जाव उत्तिमागारा सोलमविधेहि रयणेहि, तीसे णं अभिसेयसभाए उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं एगा महं अलंकारियमभावत्तव्वया भाणियव्वा जाव गोमाणसीयो मणिपेढियायो जहा अभिसेयसभाए उप्पि सीहासणं अपरिवारं 5 / तत्थ णं विजयस्स देवस्स सुबहु अलंकारिए भंडे संनिक्खिते चिट्ठति, उत्तिमागारा अलंकारियसहाए उप्पिं मंगलगा झया जाव छत्ताइछत्ता 6 / तीसे णं अलंकारियसहाए उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं एगा महं ववसातसभा पराणत्ता, अभिसेयसभावत्तव्वया जाव सीहासणं अपरिवारं 7 / त(ए)स्थणं विजयस्स देवस्स एगे महं पोत्थयरयणे संनिक्खित्ते चिट्ठति, तत्थ णं पोत्थयरयणस्स श्रयमेयारूवे वराणावासे पन्नत्ते, तंजहा-रिटामतियो कंबियायो रयतामताति पत्तकाई रिट्ठामयातिं अक्खराई तवणिजमए दोरे गाणामणिमए गंठी शूकमयाई पत्ताई वेरुलियमए लिप्पासणे तवणिजमती संकला रिट्ठमए छादने रिटामया मसी वइरामयी लेहणी रिट्ठामयाइं अक्खराइं धम्मिए सत्थे, ववसायसभाए णं उप्पिं अट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता उत्तिमागारेति 8 / तीसे णं ववसा(उववा)यसभाए उत्तरपुरच्छिमेणं एगे महं बलिपेढे पराणत्ते दो जोयणाई थायामविक्खंभेणं जोयणं बाहल्लेणं सवरयतामए अच्छा जाव पडिरूवे 1 / एत्थ णं तस्स णं बलिपेढस्स उत्तरपुरस्थिमेणं एगा महं णंदापुक्खरिणी पराणत्ता जं चेव माणं हरयस्स तं चेव सव्वं 10 // सू० 140 // तेणं कालेणं तेणं समएणं विजयए देवे विजयाए. रायहाणीए उववातसभाए देवसयणिज्जसि देवदूसंतरिते Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / / अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] ( 313 अंगुलस्म असंखेजतिभागमेत्तीए बोंदीए विजयदेवत्ताए उववगणे 1 / तए णं से विजये देवे बहुणोववराणमेत्तए चेव समाणे पंचविहाए पजत्तीए पजत्तीभावं गच्छति, तंजहा-याहारपजचीए सरीरपजत्तीए इंदियपजत्तीए प्राणापाणुपजत्तीए भासामणपजत्तीए 2 / तए णं तस्स विजयस्स देवस्स पंचविहाए पजत्तीए पजत्तीभावं गयस्स इमे एयाख्वे अज्झथिए चिंतिए पत्थिते मणोगए संकप्पे समुप्पजित्था-कि मे पुव्वं सेयं ? किं मे पच्छा सेयं ? कि मे पुब्बि करणिज्ज ? कि मे पच्छा करणिज्जं ? कि मे पुब्बि वा पच्छा वा हिताए सुहाएं खेमाए णीस्सेयसाते अणुगामियत्ताए भविस्सतीतिकटु एवं संपेहेति 3 / तते णं तस्स विजयस्स देवस्स सामाणियपरिसोववरणगा देवा विजयस्स. देवस्स इमं एतास्वं अज्झत्थितं त्रितियं पत्थियं मणोगयं संकप्पं. समुप्पराणं जाणित्ता जेणामेव से विजए देवे तेणामेव उवागच्छंति तेणामेव उवागच्छित्ता विजयं देवं करतलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वाति जएणं विजएणं वद्धावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पियाणं विजयाए रायहाणीए सिद्धायतणंसि अट्ठसतं जिणपडिमाणं जिगुस्सेहपमाणमेत्ताणं संनिक्खित्तं चिट्ठति सभाए य सुधम्माए माणवए चेतियखंभे वइरामण्सु गोलवट्टसमुग्गतेसु बहूयो जिणसक हाथो सन्निक्खित्तायो चिट्ठति जाश्रो णं देवाणुप्पियाणं " अन्नेसि च. बहूणं विजयरायहाणिवत्थव्वाणं. देवाणं देवीण य अञ्चणिज्जाओ वंदणिज्जायो प्रयणिजायो सकारणिजायो सम्माणणिज्जायो कल्लाणं मंगलं देवयं चेतियं पज्जुवासणिजायो एतगणं देवाणुपियाणं पुविपि सेयं एतराणं देवाणुप्पियाणं पच्छावि सेयं एतराणं देवाणुप्पियाणं पुचि करणिज्ज पच्छा करणिज्जं एतराणं देवाणुप्पियाणं पुब्बि वा पच्छा वा जाव प्राणुगामियत्ताते भविस्मतीतिकटु महता महता जय जय सह पउंजंति 4 / तए णं 40 Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ से विशिसम्म दृष्टय ता देवस्या जीव हमाणे पुलि 314 ] ___ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः से विजए देवे तेसिं सामाणिय-परिसोववराणगाणं देवाणं अंतिए एयमट्ठ मोचा णिसम्म हट्ट तुट्ट जाव हियते देवसयणिजात्रो अब्भुट्ठइ 2 दिव्वं देवदूमजुयलं परिहेइ 2 ता देवसयणिजायो पचोरुहइ 2 उपपातसमायो पुरस्थिमेणं बारेण णिग्गच्छइ 2 जेणेव हरते तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता हरयं अणुपदाहिणं करेमाणे करेमाणे पुरत्थिमेणं तोरणेणं श्रणुप्पविसति 2 पुरथिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पचोरुहति 2 हरयं श्रोगाहति 2 जलावगाहणं करेति 2 जलमजणं करेति 2 जलकिड्ड करेति 2 श्रायंने चोक्खे परमसूतिभूते हरतातो पच्चुत्तरति 2 जेणामेव अभिसेयसभा तेणामेव उवागच्छति 2 अभिसेयसभं पदाहिणं करेमाणे पुरथिमिल्लेणं बारेणं अणुपविसति 2 जेणेव सए सीहासणे तेणेव उवागच्छति 2 सीहासणवरगते पुरच्छाभिमुहे सरिणसराणे 5 / तते णं तस्स विजयस्स देवस्म सामाणिय-परिसोववरणगा देवा अाभियोगिते देवे सद्दावेंति 2 ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! विजयरस देवस्स महत्थं महग्धं महरिहं विपुलं इंदाभिसेयं उवट्ठवेह 6 / तते णं ते श्राभिश्रोगिता देवा सामाणियपरिसोववराणेहिं एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठ जाव हितया करतलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं देवा तहत्ति श्राणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति 2 उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं श्रवक्कमति 2 वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणंति 2 संखेजाई जोयगाई दंडं णिसरंति तंजहारयणाणं जाव रिट्ठाणं, अहाबायरे पोग्गले परिसाउंति 2 ग्रहासुहुने पोग्गले परियायंति 2 दोच्चंपि वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणंति 2 अट्ठसहस्सं सोवरिणयाणं कलसाणं अट्ठसहस्सं रुप्पामयाणं कलसाणं अट्ठसहस्सं मणिमयाणं अट्ठसहस्सं सुवराणरुप्पामयाणं अट्ठसहस्सं सुवरणमणिमयाणं अट्ठसहस्सं रुप्पामणिमयाणं अट्ठसहस्सं सुवराणरुप्पामताणं अट्ठसहस्सं भोमेजाणं अट्ठसहस्सं भिंगारगाणं एवं पायंमगाणं थालाणं पातीणं सुपतिट्ठकाणं मणोगुलियाणं Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / / 315 वायकरगाणं चित्ताणं रयणकरंडगाणं पुष्फचंगेरीणं जाव लोमहत्थचंगेरीणं पुष्फपडलगाणं जाव लोमहत्थगपडलगाणं असतं सीहासणाणं छत्ताणं चामराणं अवपडगाणं वट्टकाणं तवसिप्पाणं खोरकागां पीणकाणां तेलसमुग्गकाणं अट्ठसतं धूवकडुच्छुयाणं विउव्वंति ते साभाविए विउविए य कलसे य जाव धूवकडच्छुए य गेगहंति गरिहत्ता विजयातो रायहाणीतो पडिनिक्खमंति 2 ताए उक्किद्वाए जाव उद्धृताए दिव्वाए देवगतीए तिरियमसखे जाणं दोवममुद्दाणं मझ मज्भेगां वीयीवयमाणा 2 जेणेव खीरोदे समुद्दे तेणेव उवागच्छति तेणेव उवाच्छित्ता खीरोदगं गिराहंति 2 जाति तस्थ उप्पलाई जाव सतसहस्सपत्ताति तातिं गिरहंति 2 जेणेव पुक्खरोदे समुद्दे तेणेव उवागच्छति 2 पुक्खरोदगं गेहति पुक्खरोदगं गिरिहत्ता जाति तत्य उप्पलाई जाव सतसहस्मपत्ताई ताई गिराहति 2 जेणेव समयखेत्ते जेणेव भरहेरखयातिं वासाइं जेणेव मागधवरदामपभासाइं तित्थाई तेणेव बागच्छति तेणेव उवागच्छित्ता तित्थोदगं गिराहंति 2 तित्थमट्टियं गेगहंति 2 जेणेव गंगासिंधुरत्तारत्तवतीसलिला तेणेव उवागच्छति 2 सरितोदगं गेगहंति 2 उभयो लडमट्टियं गेगहंति गेमिहत्ता जेणेव चुल्लहिमवंत-सिंहरिवासधरपव्वता तेणेव उवागच्छंति तेणेव उवागच्छित्ता सञ्बतूवरे य सव्वपुप्फे य सव्वगंधे य सबमल्ले य सव्वोसहिसिद्धत्थए गिराहंति सव्वोसहिसिद्धत्थए गिरिहत्ता जेणेव पउमद्दहपुंडरीयदहा तेणेव उवागच्छंति तेणेव 2 दहोदगं गेगहंति जाति तत्थ उप्पलाइं जाव सतसहस्सपत्ताई ताई गेराहंति ताई गिरिहत्ता जेणेव हेमवयहेरगणवयाई वासाई जेणेव रोहिय-रोहितंस-सुवरणकूल-रुप्पकूलायो तेणेव उवागच्छति 2 ता सलिलोदगं गेरहंति 2 उभयो तडमट्टियं गिराहंति गरिहत्ता जेणेव सदावाति-मालवंतपरियागा वट्टवेतड्डपव्वता तेणेव उवागच्छंति तेणेव उवागच्छित्ता सव्वतुवरे य जाव सव्वोसहिसिद्धत्थए य गेहंति, सिद्धत्थए य Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 316 ] __ / श्रीमदागमसुधासिन्धु : पश्चमो विभागा गेरिहत्ता जेणेव महाहिमवंत-रुप्पि-वासधरपवता तेणेव उवागच्छंति तेणेव उवागच्छित्ता सव्वपुप्फे तं चेव जेणेव महापउमदह-महापुंडरीयदहा तेणेव उवागच्छंति तेणेव उबागच्छित्ता जाई तत्थ उप्पलाइं तं चेव जेणेव हरिवासे रम्मावासति जेणेव हरकान्त-हरिकंत णरकंत-नारिकताबो सलिलायो तेणेव उवागच्छंति तेणेव उवागच्छित्ता सलिलोदगं गेराहंति सलिलोदगं गेरिहत्ता जेणेव वियडावाइ-गंधावति-बट्टवेयडपव्वया तेणेव उवागच्छति सव्वपुप्फे य तं चेव जेणेव णिसह-नीलवंत-वासहरपव्वता तेणेव उवागच्छंति तेणेव उवागच्छित्ता सव्वतूवरे य तहेव जेणेव तिगिच्छिदहकेसरिदहा तेणेव उवागच्छंति 2 जाई तत्थ उप्पलाइं तं चेव जेणेव पुनविदेहावरविदेहवासाई जेणेव सीयासीनोयाश्रो महाणईश्रो जहा णईश्रो जेणेव सब्वचकवट्टिविजया जेणेव सव्वमागह-वरदामपभासाई तित्थाई तहेव जहेव जेणेव सव्ववक्खारपवता सव्वतुवरे य जेणेव सव्वंतरणदीयो सलिलोदगं गेराहंति 2 तं चेव जेणेव मंदरे पवते जेणेव भद्दमालवणे तेणेव उवागच्छंति सव्वतुवरे य जाव सव्वोसहिसिद्धत्थए गिराहंति 2 जेणेव णंदणवणे तेणेव . उवागच्छइ 2 सञ्चतुवरे जाव सव्वोसहिसिद्भत्थे य सरसं च गोसीसचंदणं गिराहंति 2 जेणेव सोमणसवणे तेणेव उवागच्छंति तेणेव उागच्छित्ता सव्दतुवरे य जाव सव्वोसहिसिद्धस्थए य सरमगोसीसचंदणं दिव्वं च सुमणदामं गेराहंति गरिहत्ता जेणेव पंडगवणे तेणामेव समुवागच्छति 2 सव्वतूबरे जाव सम्बोसहिसिद्धत्थए य सरसं च गोसीसचंदणं दिव्वं च सुमणोदामं ददरयमलयसुगंधिए य गंधे गेरिहंति 2 ता एगतो मिलंति 2 जंबद्दीवस्स पुरथिमिल्लेणं दारेणं णिग्गच्छंति पुरथिमिल्लेणं निग्गच्छित्ता ताए उकिट्ठाए जाव दिव्वाए देवगतीए तिरियमसंखेजाणं दीवसमुदाणं मझमज्झेणं वीयीवयमाणा 2 जेणेव विजया रायहाणी तेणेव उवागच्छंति 2 विजयं रायहाणिं अणुप्प Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपतिः / [ 317 याहिणं करेमाणा 2 जेणेव अभिसेयसभा जेणेव विजए देवे तेणेव उवागच्छति 2 करतलपरिम्गहितं सिरसावत्त मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धाति विजयस्स देवस्स तं महत्थं महग्धं महरिहं. विपुलं अभिसेयं उबवेंति 7 / तते णं तं विजयदेवं चत्तारि य सामाणियसाहस्सीयो चत्तारि अग्गमहिसीनो सपरिवाराश्रो तिगिण परिसायो सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई सोलस पायरक्खदेवसाहस्सीयो श्रन्ने य बहवे विजय-रायधाणि-वत्थव्वगा वाणमंतरा देवा य देवीयो य तेहिं साभावितेहि उत्तरवेउन्वितेहिं य वरकमलपतिट्टाणेहिं सुरभि वरवारिपडिपुराणेहिं चंदणकयबचातेहिं पाविद्धक,गुणेहिं पउमुप्पलपिधाणेहिं करतल-सुकुमाल-कोमलपरिग्गहिएहि अट्ठसहस्साणं सोवरिणयाणं कलसाणं रूप्पमयाणं ताव अट्ठसहस्साणं भोमेयाणं कलसाणं सव्वोदपहिं सव्वमट्टियाहिं सव्वतुवरेहि सवपुप्फेहिं जाव सव्वोसहि-सिद्धत्थरहिं सव्विड्डीए सव्वजुत्तीए सव्वबलेणं सव्वसमुदएणं सव्वायरेणं सम्बविभूतिए सव्वविभूसाए सव्वसंभमेणं सव्वोरोहणं सव्वणाडएहिं सवपुष्फ-गंध-मल्लालंकारविभूसाए सव्वदिव्वतुडियणिणाएणं महया इड्डीए महया जुत्तीए महया बलेणं महता समुदएणं महता 2 तुरिय-जमगसमग-पडुप्पवादितरवेणं संख-पणव-पडह-भेरि-मल्लरि-खरमुहिमुरव-मुयंग-दुंदुहि-हुडुक्क-णिग्घोस-संनिनादितरवेणं महता महता इंदाभिसेगेणं अभिसिंचंति 8 / तए णं तस्स विजयस्स देवस्स महता महता इंदाभिसेगंसि वट्टमाणंसि अप्पेगतिया देवा णचोदगं णातिमट्टियं पविरलफुसियं दिव्वं सुरभिं रयरेणुविणासणं गंधोदगवासं वासंति, अप्पेगतिया देवा णिहतरयं णट्टरयं भट्टरयं पसंतरयं उवसंतरयं करेंति, अप्पेगतिया देवा विजयं रायहाणि सभितरबाहिरियं आसित-सम्मजितोवलितं सित्त-सुइसम्मट्ट-रत्यंतरावणवीहियं करेंति, अप्पेगतिया देवा विजयं रायहाणिं मंचातिमंचकलितं करेंति, अप्पेगतिया देवा विजयं रायहाणिं णाणाविह-रागरंजिय Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 318 / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः ऊसिय-जयविजय-वेजयंती-पडागातिपडागमंडितं करेंति, अप्पेगतिया देवा विजयं रायहाणिं लाउल्लोइयमहियं करेंति, अप्पेगतिया देवा विजयं गोसीससरस-रत्तचंदण-दइर-दिराणपंचंगुलितलं करेंति, अप्पेगतिया देवा विजयं उवचिय-चंदणकलसं चंदण-घड-सुकय-तोरण-पडिदुवारदेसभागं करेंति, अप्पेगतिया देवा विजयं अासत्तोसत्त-विपुल-बट्ट-वग्धारित-मल्लदामकलावं करेंति, अप्पेगइया देवा विजयं रायहाणिं पंचवरण-सरस-सुरभि-मुक्क-पुप्फपुंजोवयारकलितं करेंति, अप्पेंगइया देवा विजयं कालागुरु-पवर-कुंदुरुक-तुरुक-धूवडझंत-मघमतगंधुद्धयाभिरामं सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूयं करेंति, अप्पे- ' गइया देवा हिरगणवासं वासंति, अप्पेगइया देवा सुवराणवासं वासंति, अप्पेगइया देवा एवं रयणवासं वइरवासं पुप्फवासं मल्लवासं गंधवासं चुराणवासं वस्थवासं पाहारणवास, अप्पेगइया देवा हिरगणविधि भाइंति, एवं सुवरणविधि रयणविधि वतिरविधि पुष्फविधि मल्लविधि चुगणविधिं गंधविधि वस्यविधि भाइंति श्राभरणविधि 1 | अप्पेगतिया देवा दुयं गट्टविधि उवदंसेंति थप्पेगतिया विलंबितं णट्टविहिं उवदंसेंति अप्पेगझ्या देवा दुतविलंबितं णाम णट्टविधि उवदंसेंति अप्पेगतिया देवा अंचियं णट्टविधि अदंसेंति अप्पेगतिया देवा रिभितं णट्टविधि उवदंसेंति अप्पेगतिया अंचितरिभितं णाम दिव्वं णविधि उवदंसेंति अप्पेगतिया देवा श्रारभडं णट्टविधि उवदंसेंति अप्पेगतिया देवा भसोलं णट्टविधि उपदंसेंति अप्पेगतिया देवा पारभडभसोलं णाम दिव्वं पट्टविधिं वदंति अप्पेगतिया देवा उप्पायणिवायपवुत्तं संकुचियपासारियं रियारियं भंतसंभंतं णाम दिव्वं णविधि उवदंसेंति अप्पेगतियां देवा चउबिधं वातियं वादेति, तंजहा-ततं विततं घणं झुसिरं, अप्पेगतिया देवा चउविधं गेयं गातंति, तंजहा-उक्खित्तयं पवत्तयं मंदायं रोइदावसाणं, अप्पेगतिया देवा चउब्विधं अभिणयं अभिणयंति, तंजहा-दिट्ठतियं पार्ड. तियं सामंतोवणिवातियं लोगमज्भावसाणियं, अप्पेगतिया देवा पीणंति Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चिदेति या छिदति अपणाहते अप्पेगतिया देवात थपेगतिया देवा श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 316 अप्पेगतिया देवा वुक्कारेंति अप्पेगतिया देवा तंडवैति अप्पेगतिया देवा लासेंति अगतिया देवा पीणंति वुक्कारेंति तंडवेंति लासंति अप्पेगतिया देवा वुक्कारेंति अप्पेगतिया देवा श्रष्फोडंति अप्पेगतिया देवा वग्गंति अप्पेगतिया देवा तिवति छिदंति अप्पेगतिया देवा अप्फोडेंति * वग्गंति तिवति छिदेंति अप्पेगतिया देवा हतहेसियं करेंति अप्पेगतिया देवा हत्थिगुलगुलाइयं करेंति अप्पेगतिया देवा रहघणघणातियं करेंति अप्पेगतिया देवा हयहेसियं करेंति हथिगुलगुलाइयं करेंति रहघणघणाइयं करेंति अप्पेगतिया देवा उच्छोलेंति अप्पेगतिया देवा पन्छोलेंति अप्पेगतिया देवा उक्किट्टि करेंति अप्पेगतिया देवा उकिट्ठीयो करेंति अप्पेगतिया देवा उच्छोलेंति पच्छोलेंति उकिट्टिो करेंति अप्पेगतिया देवा सीहणादं करेंति श्रप्पेगतिया देवा पाददहरयं करेंति अप्पेगतिया देवा भूमिचवेडं दलयंति अप्पेगतियादेवा सीहनादं पादददरयं भूमिचवेडं दलयंति, अप्पेगतिया देवा हकारेंति अप्पेगतिया देवा वुक्कारेंति अप्पेगतिया देवा थक्कारेंति अप्पेगतिया देवा पुकारेंति अप्पेगतिया देवा नामाई सावेंति अप्पेगतिया देवा हक्कारेंति वुक्कारेंति थकारेंति पुकारेंति णामाई सावेंति अप्पेगतिया देवा उप्पतंति अप्पेगतिया देवा णिवयंति अप्पेगतिया देवा परिवयंति अप्पेगतिया देवा उप्पयंति णिवयंति परिवयंति अप्पेगतिया देवा जलेंति अप्पेगतिया देवा तवंति अप्पेगतिया देवा पतवंति अप्पेगतिया देवा जलंति तवंति पतवंति अप्पेगइया देवा गज्जेंति अप्पेगइया देवा विज्जुयायंति अप्पेगइया देवा वासंति अप्पेगइया देवा गज्जति विज्जुयायंति वासंति अप्पेगतिया देवा देव सन्निवायं करेंति अप्पेगतिया देवा देवुकलियं करेंति अप्पेगइया देवा देवकहकहं करेंति अप्पेगतिया देवा देवदुहदुहं करेंति अप्पेगतिया देवा देवसन्निवायं देवउकलियं देवकहकहं देवदुहदुहं करेंति अप्पेगतिया देवा देवुजोयं करेंति अप्पेगतिया देवा विज्जुयारं करेंति अप्पेगतिया देवा चेलुक्खेवं करेंति अप्पेगतिया देवा Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 32. ] ... [श्रीमदागमसुंधासिन्धु / पञ्चमो विभागः देवुजोयं विज्जुतारं चेलुक्खेवं करेंति अप्पेगतिया देवा उप्पलहत्थगता जाव सयमहस्सपत्तहत्थगता घंटाहत्थगता कलसहत्थगता जाव धूवकडुच्छहत्थगता हट्ठ तुट्ठा जाव हरिसवस-विसप्पमाणहियया विजयाए रायहाणीए सव्वतो समंता अाधाति पाधावेंति 10 / तए णं तं विजयं देवं चत्तारि सामाणियसाहस्सीयो चत्तारि अग्गमहिसीयो सपरिवारायो जाव सोलसथायरक्ख देव साहस्मीयो अराणे य बहवे विजयरोयहाणीवत्थव्वा वाणमंतरा देवाय देवीयो य. तेहिं वरकमलपतिट्ठाणेहिं जाव असतेणं सोवरिणयाणं कलसाणं तं चेव जाव अट्ठसएणं भोमेजाणं कलसाणं सव्वोदगेहिं सव्वमट्टियाहिं सव्वतुबरेहिं सवपुप्फेहिं जाव सव्वोसहिसिद्धत्थाहिं सब्बिड्डीए जाव निग्योसनाइयरवेणं महया 2 इंदाभिसेएणं अभिसिंचंति 2 पत्तेयं पत्तेयं सिरसावत्तं अंजलि कटु एवं वयासि-जय जय नंदा ! जय जय भद्दा ! जय जय नंद भ६ ते अजियं जिणेहि जियं पालयाहि अजितं जिणेहि सत्तुपक्खं जितं पालेहि मित्तपक्खं जियमज्झे वसाहि तं देव ! निरुवसग्गं. इंदो इव देवाणं चंदो इव ताराणं चमरो इव असुराणं धरणो इव नागाणं भरहो इव मणुयाणं बहूणि पलिश्रोवमाई बहूणि सागरोचमाणि चउराहं सामाणियसाहस्सीणं जाव पायरक्खदेवसाहस्सीणं विजयस्स देवस्स विजयाए रायहाणीए अराणेसि च बहूणं विजयरायहाणिवत्थव्वाणं वाणमंतराणं देवाणं देवीण य आहेवच्चं जाव श्राणा-ईसर-सेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे विहराहित्तिकट्टु महता 2 सद्देणं जयजयसद्द पउंजंति 11 // सू० 141 // तए णं से विजए देवे महया 2 इंदाभिसेएणं अभिसित्ते समाणे सीहासणायो अभुट्ठई सीहासणायो अभुट्ठत्ता अभिसेय. सभातो पुरस्थिमेणं दारेणं पडिनिक्खमति 2 जेणामेव अलंकारियसभा तेणेव उवागच्छति 2 अलंकारियसभं अणुप्पयाहिणीकरेमाणे 2 पुरथिमेणं दारेणं अणुपविसति पुरथिमेणं दारेणं अणुपविसित्ता जेणेव सीहासणे Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / [ 321 तेणेव उवागच्छति 2 मीहासणवरगते पुरत्थाभिमुहे सरािणसगणे, तए णं तस्म विजयस्स देवस्स सामाणियपरिसोववराणगा देवा अाभियोगिए देवे सहाति 2 एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! विजयस्स देवस्स थालंकारियं भंडं उवगोह, तेगोव ते पालंकारियं भंडं जाव उवट्ठवेंति 1 / तए णं से विजए देवे तप्पढमयाए पम्हलसूमालाए दिव्वाए सुरभीए गंधकासाईए गाताई लूहेति गाताई गुहेत्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गाताई अणुलिंपति मरसेणं गोसीसचंदणेणं गाताई अणुलिपेत्ता ततोऽणंतरं च णं नासा-णीसासवायाज्मं चक्खुहरं वगणफरिसजुत्तं हतलालापेलवातिरेगं धवलं कणगखइयंतकम्मं यागास-फलिह-सरिसप्पभं अहतं दिव्वं देवदूसजुयलं णियंसेइ णियंसेत्ता हारं पिणिद्धेइ हारं पिणिवेत्ता एवं एकावलि पिणिधति एकावलि पिणिंधेत्ता एवं एतेणं अभिलावेणं मुत्तावलि कणगावलिं रयणावलिं कडगाई तुडियाई अंगयाइं केयूराई दसमुदिताणंतकं कडिसुत्तकं तेश्रत्थिसुत्तगं मुरविं कंठमुरवि पालंबं कुंडलाइं चूडामणि चित्तरयणुकडं मउडं पिणिधेइ पिणिधित्ता गंठिम-वेढिम-पूरिम-संघाइमेणं चउविहेणं मल्लेणं कप्परुक्खयंपिव अप्पाणं अलंकियविभूसितं करेति, कप्परुक्खयंपिव अप्पाणं अलंकियविभूसियं करेत्ता ददर-मलय-सुगंधगंधितेहिं गंधेहिं गाताई सुक्किडति. 2 दिव्वं च सुमणदामं पिणिद्धति 2 / तए णं से विजए देवे केसालंकारेणं वत्थालंकारेणं मल्लालंकारेणं आभरणालंकारेणं चउविहेणं अलंकारेणं अलंकिते विभूसिए तमाणे पडिपुराणालंकारे सीहासणाश्रो अब्भुट्टेइ 2 अलंकारियसभायो पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं पडिनिक्खमति 2 जेणेव ववसायसभा तेणेव उवागच्छति 2 ववसायसमं अणुप्पदाहिणं करेमाणे 2 पुरथिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसति 2 जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छति 2 सीहासणवरगते पुरस्थाभिमुहे सरिणसरणे 3 / तते णं तस्स विजयस्स देवस्स श्राहियोगिया देवा पोत्थयरयणं उवणेति 4 / तए Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 322 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागा णं से विजए देवे पोत्थयरयणं गेराहति 2 पोत्थयरयणं मुयति पोत्थयरयणं मुएत्ता पोत्थयरयणं विहाडेति पोत्थयरयणं विहाडेत्ता पोत्थयरयणं वाएति पोत्थयरयणं वापत्ता धम्मियं ववसायं पगेराहति धम्मियं ववसायं पगेरिहत्ता पोत्थयरयणं पडिणिक्खिवेइ 2 सीहासणायो अमुट्ठति 2 ववसायसभायो पुरथिमिल्लेणं दारेणं पडिणिक्खमइ 2 जेणेव णंदापुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति 2 णंदं पुक्खरिणिं अणुप्पयाहिणीकरमाणे पुरथिमिल्नेणं दारेणं अणुपविसति 2 पुरथिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पचोरहति 2 हत्थं पादं पक्खालेति 2 एगं महं सेतं रयतामयं. विमलसलिलपुराणं मत्तगय-महामुहाकितिसमाणं भिंगारं पगिराहति भिंगारं पगेरिहत्ता जाई तत्थ उप्पलाई पउमाई जाव सतसहस्सपत्ताई ताई गिराहति 2 णंदातो पुक्खरिणीतो पच्चुत्तरेइ 2 जेणेव सिद्धायतणे तेणेव पहारेत्थ गमणाए 5 / तए णं तस्स विजयस्स देवस्स चत्तारि सामाणियसाहस्सीयो जाव राणे य बहवे वाणमंतरा देवा य देवीयो य अप्पेमइया उप्पलहत्थगया जाव सयसहस्स पत्त-हत्थगया विजयं देवं पिट्ठतो पिट्ठतो अणुगच्छति 6 / तए णं तस्स विजयस्स देवस्स बहवे आभियोगिया देवा देवीयो य कलसहत्थगता जाव धूवकडुन्छयहत्थगता विजयं देवं पिट्ठतो 2 अणुगच्छति 7 / तते णं से विजए देवे चउहि सामाणियसाह. स्सीहिं जाव अराणेहि य बहूहि वाणमंतरेहिं देवेहि य देवीहि य सद्धिं संपरिखुडे सविड्डीए सव्वजुत्तीए जाव णिग्घोसणाइयरवेणं जेणेव सिद्धाययणे तेणेव उवागच्छति 2 सिद्धायतणं अणुप्पयाहिणीकरे. माणे 2 पुरथिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसति अणुपविसित्ता जेणेव देवच्छंदए तेणेव उवागच्छति 2 श्रालोए जिणपडिमाणं पणामं करेति 2 लोमहत्थगं गेराहति लोमहत्थगं गेरिहत्ता जिणपडिमात्रो लोमहत्थएणं पमजति 2 सुरभिणा गंधोदएणं गहाणेति 2 Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / / 323 दिव्वाए सुरभिगंधकासाइए गाताई लूहेति 2 सरसेणं गोसीसचंदणेणं गाताणि अणुलिंपइ अणुलिंपेत्ता जिणपडिमाणं ग्रहयाई सेताई दिव्वाई देवदूसजुयलाई णियंसेइ नियंसेत्ता अग्गेहिं वरेहि य गंधेहि य मल्लेहि य अच्चेति 2 पुप्फारुहणं गंधारहणं मल्लारुहणं वरणारुहणं चुराणाहणं थाभरणारहणं करेति करेत्ता आसत्तोसत्त-विउल-बट्ट-वग्धारित-मल्लदामकलावं करेति 2 अच्छेहि सरहेहिं [सेएहिं] रययामएहि अच्छरसातंदुलेहिं जिणपडिमाणं पुरतो अट्ठमंगलए प्रालिहति सोत्थियसिरिवच्छ जाव दप्पणा अट्ठमंगलगे थालिहति श्रालिहित्ता कयग्गाहग्गहित-करतलपभट्ठविप्पमुक्केण दसद्धवन्नेणं कुसुमेणं मुक्क-पुष्फपुजोक्यारकलितं करेति 2 चंदप्पभ-वइर-वेरुलिय-विमलदंडं कंचण मणि-रयणभत्तिचित्तं कालागुरुपवर-कुदुरुक्क तुरुक्क-धूवगंधुत्तमाणुविद्धं धूमवट्टि विणिम्मुयंतं वेरुलियामयं कडुच्छुयं पग्गहित्तु पयत्तेण धूवं दाऊण जिणवराणं अट्ठसय-विसुद्ध-गंधजुत्तेहिं महावित्तेहिं प्रत्यजुत्तेहिं अपुणरुत्तेहिं संथुणइ 2 सत्तट्ट पयाई श्रोसरति सत्तटुपयाई योसरित्ता वामं जाणु अंचेइ 2 दाहिणं जाणु धरणितलंसि णिवाडेइ तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणियलंसि णमेइ नमित्ता ईसिं पच्चुराणमति 2 कडयतुडियथंभियाश्रो भुयायो पडिसाहरति 2 करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं वयासी-णमोज्थु णं अरिहंनाणं भगवंताणं जाव सिद्धिगइणामधेयं ठाणं संपत्ताणं तिकटु वंदति णमंसति वंदित्ता णमंसित्ता जेणेव सिद्धायतणस्स बहुमज्भदेसभाए तेणेव उवागच्छति 2 दिवाए उदगधाराए अब्भुवसति 2 सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितलेणं मंडलं आलिहति 2 चच्चए दलयति चच्चए दलयित्ता कयग्गाहग्गहिय-करतल-पभविष्पमुक्केणं दसद्धवराणेणं कुसुमेणं मुक्कपुष्फपुजोवयारकलियं करेति 2 धूवं दलयति 2 जेणेव सिद्धायतणस्स दाहिणिल्ले दारे तेणेव उवागच्छति 2 लोमहत्थयं गेगहइ 2 दारचेडीश्रो Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 324 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पामो विभागः य सालिभंजियायो य वालरूवए य लोमहत्थएणं पमजति 2 बहुमज्झदेसभाए सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितलेणं अणुलिंपति 2 चच्चए दलयति 2 पुष्फारुहणं जाव श्राहरणारहणं करेति 2 यासत्तोमत्तविपुल जाव मल्लदामकलावं करेति 2 कयग्गाहग्गहित जाव पुंजोवयारकलितं करेति 2 धूवं दलयति 2 जेणेव मुहमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए तेणेव उवागच्छति 2 बहुमज्झदेसभाए लोमहत्थेणं पमज्जति 2 दिवाए उदगधाराए अभुक्खेति 2 सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितलेणं मंडलगं श्रालिहति 2 बच्चए दलयति 2 कयग्गाह जाव धूवं दलयति 2 जेणेव मुहमंडवगस्स पञ्चथिमिल्ले दारे तेणेव उवागच्छति 2 लोमहत्थगं गेराहति 2 दारचेडीयो य सालिभंजियायो य वालरूबए य लोमहत्थगेण पमजति 2 दिवाए उदगंधाराए अभुक्खेति 2 सरसेणं गोसीसचंदोणं जाव चचए दलयति 2 अासत्तोसत्त जाव कलावं करेति 2 कयग्गाहग्गहित जाव कलियं करेति 2 धूवं दलयति 2 जेणेव मुहमंडवगस्स उत्तरिल्ला णं खंभपती तेणेव उवागच्छई 2 लोमहत्थगं परामुमइ सालभंजियायो दिवाए उदगधाराए सरसेणं गोसीसचंदणेणं पुप्फारुहणं जाव आसत्तोसत्त जाव कलावं करेति 2 कयग्गाहग्गहित जाव कलियं करेति 2 धूवं दलयति जेणेव मुहमंडवस्स पुरस्थिमिल्ले दारे तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव दारस्स अचणिया जेणेव दाहिणिल्ले दारे तं चे जेणेव पेच्छाघरमंडवस्म बहुमज्भदेसभाए जेणेव वइरामए अक्खाडए जेणेव मणिपेटिया जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छति 2 लोमहत्थगं गिराहति लोमहत्थगं गिगिहत्ता अक्खाडगं च सीहासणं च लोमहत्थगेण पमजति 2 दिव्याए उदगधाराए अभुक्खेति पुप्फारुहणं जाव धूवं दलयति जेणेव पेच्छाघर-मंडव-पञ्चस्थिमिल्ले दारे दारचणिया उत्तरिल्ला खंभपंती तहेव, पुरथिमिल्ले दारे तहेव जेणेव दाहिणिल्ले दारे तहेव, जेणेव चेतियथूभे तेणेव उवागच्छति 2 लोमहत्थगं गेराहति 2 Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवा जीवाभिगम-सूत्रम् :: अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 325 चेतियथूभं लोमहत्थएणं पमज्जति 2 दिव्वाए दगधाराए अब्भुक्खे सरसेण जाव पुप्फारुहणं घासत्तोसत्त जाव धूवं दलयति 2 जेणेव पचत्थिमिल्ला मणिपेढिया जेणेव जिणपडिमा तेणेव उवागच्छति जिणपडिमाए बालोए पणामं करेइ 2 लोमहत्थगं गेराहति 2 तं चेव सव्वं जं जिणपडिमाणं जाव सिद्धिगइनामधेनं ठाणं संपत्ताणं वंदति णमंसति, एवं उत्तरिल्लाएवि, एवं पुरथिमिलाएवि, एवं दाहिणिल्लाएवि, जेणेव चेइयरुक्खा दारविही य मणिपेढिया जेणेव महिंदज्झए दारविही, जेणेव दाहिणिला नंदापुवखरणी तेणेव उवागच्छति लोमहत्थगं गेराहति चेतियायो य तिसोपाणपडिरूवए य तोरणे य सालभंजियायो य वालरूवए य लोमहत्थरण पमजति 2 दिव्वाए उदगधाराए सिंचति सरसेणं गोसीसचंदणेणं अणुलिपति 2 पुप्फारुहणं जाव धूवं दलयति 2 सिद्धायतणं अणुप्पयाहिणं करेमाणे जेणेव उत्तरिल्ला णंदापुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति 2 तहेव महिंदज्झया चेतियरुक्खो चेतियथूमे पञ्चत्थिमिल्ला मणिपेढिया जिणपडिमा उत्तरिल्ला पुरथिमिल्ला दविखणिल्ला पेच्छाघरमंडवस्सवि तहेव जहा दक्खिणिलस्स पञ्चस्थिमिल्ले दारे जाव दक्खिणिला णं खंभपंती मुहमंडवस्सवि तिरहं दाराणं अचणिया भणिऊणं दक्खिणिल्ला णं खंभपंती उत्तरे दारे पुरच्छिमे दारे सेसं तेणेव कमेण जाव पुरथिमिल्ला णंदापुक्खरिणी जेणेव सभा सुधम्मा तेणेव पहारेत्थ गमगाए = / तते णं तस्स विजयस्स चत्तारि सामाणियसाहस्सीश्रो एयप्पभिति जाव सब्विड्डीए जाव गाइयरवेणं जेणेव सभा सुहम्मा तेणेव उवागच्छति 2. तं णं सभं सुधम्म अणुप्पयाहिणीकरेमाणे 2 पुरस्थिमिल्लेणं अणुपविसति 2 श्रालोए जिणसकहाणं पणामं करेति 2 जेणेव मणिपेढिया जेणेव माणवचेतियक्खंभे जेणेव वइरामया गोलवट्टसमुग्गका तेणेव उवागच्छति 2 लोमहत्थयं गेराहति 2 वइरामए गोलवट्टसमुग्गए लोमहत्थएण. पमजइ 2 वइरामए गोलवट्टसमुग्गए विहाडेति 2 निणस Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 326 / : श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः कहायो लोमहत्थएणं पमजति 2 सुरभिणा गंधोदएणं तिसत्तखुत्तो जिणसकहाश्रो पक्खालेति 2 सरसेां गोसीसचंदणेणं अणुलिपइ 2 अग्गेहिं वरेहिं गंधेहि मल्लेहि य अचिणति 2 धूवं दलयति 2 वइरामासु गोलवट्टसमुग्गएसु पडिणिक्खिवति 2 मागावकं चेतियखंभं लोमहत्थएणं . पमजति 2 दिव्वाए उदगधाराए अभुक्खेइ 2 सरसेणं गोसीसचंदणेणं चचए दलयति 2 पुप्फारुहणं जाव अासत्तोसत्त जाव कलावं करेति 2 कयग्गाहग्गहित जाव कलियं करेति 2 धूवं दलयति 2 जेणेव सभाए सुधम्माए बहुमज्झदेसभाए तं चेव जेणेव सीहासणे तेणेव जहा दारचणिता जेणेव देवसयणिज्जे तं चेव जेणेव खुड्डागे महिंदज्झए तं चेव जेणेव पहरणकोसे चोप्पाले तेणेव उवागच्छति 2 पत्तेयं 2 पहरणाई लोमहत्थ• एणं पमज्जति पमजित्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं तहेव सव्वं सेसंपि दक्षिण दारं श्रादिकाउं तहेव णेयव्वं जाव पुरच्छिमिल्ला गांदापुक्खरिणी सव्वाणं * संभाणं जहा सुधम्माए. सभाए तहा अचणिया उववायसभाए णवरि देवसयणिजस्स अञ्चणिया सेसासु सीहासणाण अच्चणिया हरयस्स जहा णंदाए पुक्खरिणीए अचणिया, ववसायसभाए पोत्थयरयणं लोमहत्थएणं पमजति 2 दिव्वाए उदगधाराए सरसेणं गोसीसचंदणेणं अणुलिपति अग्गेहिं वरेहिं गंधेहि य मल्लेहि य अञ्चिणति 2 सीहासणे लोमहत्थएणं पमजति जाव धूवं दलयति सेसं तं चेव णंदाए जहां हरयस्त तहा जेणेव बलिपीदं तेणेव उवागच्छति 2 श्राभियोगिए देवे सद्दावेति 2 एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! विजयाए रायहाणीए सिंघाडगेसु य तिएसु य चउक्केसु य चच्चरेसु य चतुमुहेसु य महापहपहेसु य पासाएसु य पागारेसु य. अट्टालएसु य चरियासु य दारेसु यं गोपुरेसु य तोरणेसु य वावीसु य पुक्खरिणीसु य जाव बिलपंतिगासु य श्रारामेसु य उजाणेसु य काणणेसु य वणेसु य वणसंडेसु य वणराईसु य अचणियं करेह करेत्ता ममेयमाण Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री जीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 327 त्तियं खिप्पामेव पञ्चप्पिणह 1 / तए णं ते याभियोगिया देवा विजएणं देवेणं एवं वुत्ता समाणा जाव हट्टतुट्टा विणएणं पडिसुति 2 विजयाए रायहाणीए सिंघाडगेसु य जाव अच्चणियं करेत्ता जेणेव विजए देवे तेणेव उवागच्छति 2 एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति 10 / तए णं से विजए देवे तेसि णं आभियोगियाणं देवाणं अंतिए एयम? सोचा णिसम्म हट्टतुट्ट. चित्तमाणंदिय जाव हयहियए जेणेव णंदापुरिणी तेणेव उवागच्छति 2 पुरथिमिल्लेणं तोरणेणं जाव हत्थपायं पक्खालेति 2 श्रायंते चोक्खे परमसुइभूए णंदापुक्खरिणीयो पच्चुत्तरति 2 जेणेव सभा सुधम्मा तेणेव पहारेत्थ गमणाए 11 / तए णां से विजए देवे चरहिं सामाणियसाहस्सीहिं जाव सोलसहिं पायरक्खदेवसाहस्सीहिं सब्विड्डीए जाव निग्घोसनाइयरवणं जेणेव सभा सुधम्मा तेणेव उवागच्छति 2 सभं सुधम्मं पुरस्थिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसति 2 जेणेव मणिपेढिया तेणेव उवागच्छति 2 सीहासणवरगते पुरच्छाभिमुहे सरिणसगणे 11 // सू० 142 // तए णं तस्स विजयम्स देवस्म चत्तारि सामाणियसाहस्सीयो अवरुत्तरेणं उत्तरेणं उत्तरपुरच्छिमेणं पत्तेयं 2 पुवणत्थेसु भदासणेसु णिसीयंति 1 / तए णं तस्स विजयस्स देवस्स चत्तारि अग्गमहिसीनो पुरथिमेणं पत्तेयं 2 पुबणत्थेसु भदासणेसु णिसीयंति 2 / तए णं तस्स विजयस्स देवस्स दाहिणपुरथिमेणं अभितरियाए परिसाए अट्ठ देवसाहस्सीयो पत्तेयं 2 जाव णिसीयंति 3 / एवं दक्खिणेणं मज्झिमिया परिसाए दस देवसाहस्सीयो जाव णिसीदंति 4 / दाहिणपञ्चत्थिमेणं बाहिरियाए परिसाए बारस देवसाहस्सीश्रो पत्तेयं 2 जाव णिसीदंति 5 / तए णं तस्स विजयस्स देवस्स पञ्चत्थिमेणं सत्त अणियाहिवती पत्तेयं 2 जाव णिसीयंति 6 / तए णं तस्स विजयस्स देवस्स पुरथिमेणं दाहिणेणं पचत्थिमेणं उत्तरेणं सोलस थायरक्खदेवसाहस्सीयो पत्तेयं 2 पुवणत्थेसु भदासणेसु णिसीदंति, तए णं तस्स विजन पत्तेयं 2 पुब्बणत्या महिसोथो पुरथिमा Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 328 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पश्चमो विभागः नंजहा-पुरस्थिमेणं चत्तारि साहस्सीयो जाब उत्तरेणं 4, 7 / ते णं यायरक्खा सन्नद्ध-बद्ध-वम्मियकवया उप्पीलिय-सरासणपट्टिया पिणद्ध-गेवेजविमल-बरचिंधपट्टा गहियाउहपहरणा तिणयाइं तिसंधीणि वइरामया कोडीणि धणूई अहिगिज्झ परियाइयकंडकलावा गीलपाणिणो पीयपाणिणो रत्तपाणिणो चावपाणिणो चारुपाणिणो चम्मपाणिणो खग्गपाणिणो दंडपाणिणो पासपाणिणो णीलपीयरत्त-चावचारु-चम्मखग्ग-दंडपासवरधरा श्रायरक्खा रक्खोवगा गुत्ता गुत्तपालिता जुत्ता जुत्तपालित्ता पत्तेयं 2 समयतो विणयतो किंकरभृताविव चिट्ठति 8 / विजयस्स णं भंते ! देवस्स केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ? गोयमा ! एगं पलियोबम ठिती पराणत्ता, विजयस्स’णं भने ! देवस्स सामाणियाणं देवाणं केवतियं कालं ठिती पराणता ?, एगं पलिश्रीवमं ठिती परणत्ता, एवंमहिड्डीए एवंमहज्जुतीए एपंमहब्बले एवंमहायसे एवंमहासुक्खे एवंमहाणुभागे विजए देवे 2, 1 // सू० 143 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवस्स वेजयंते णामं दारे पराणत्ते ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे. 2 मंदरस्स पव्वयस्स दक्खिणेणं पणयालीसं जोयणसहस्साई अबाधाए जंबुद्दीवदीवदाहिणपेरते लवणसमुद्ददाहिणद्धस्स उत्तरेणं एत्थ णं जंबुद्दीवस्स 2 वेजयंते गणाम दारे पसणत्ते अट्ट जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं सच्चेव सव्वा वत्तव्वता जाव णिच्चे 1 / कहि णं भंते ! जंबुद्दीवस्स रायहाणी ?, दाहिणे णं जाव वेजयंते देवे 2, 2 / कहि णं भंते ! जंबुद्दीवस्स 2 जयंते णाम दारे पराणत्ते ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पञ्चस्थिमेणं पणयालीसं जोयणसहस्साइं जंबुद्दीवपञ्चत्थिमपेरते लवणसमुद्दपञ्चस्थिमद्धस्स पुरच्छिमेणं सीयोदाए महाणदीए उप्पि एत्थ णं जंबुद्दीवस्स जयंते णाम दारे पराणत्ते, तं चेव से पमाणं जयंते देवे पचत्थिमेणं से रायहाणी जाव महिड्डीए 3 / कहि णं भंते ! जंबुद्दीवस्स अपराइए णाम दारे पराणते ?, गोयमा ! मंदरस्स उत्तरेणं पणयालीसं जोयणंसहस्साई Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् : अ०. 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] - [ 329 अबाहाए जंबुद्दीवे 2 उत्तरपेरंते लवणसमुदस्स उत्तरद्धस्स दाहिणेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे 2 अपराइए णामं दारे पराणते तं चेव पमाणं, रायहाणी उत्तरेणं जाव अपराइए देवे, चउराहवि अराणमि जंबुद्दीवे 4 // सू० 144 // जंबुद्दीवस्स णं भंते ! दीवस्स दारस्स य दारस्स य एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पराणचे ?, गोयमा ! अउणासीति जोयणसहस्साई बावराणं च जोयणाई देसूगां च श्रद्धजोयणां दारस्स य 2 अबाधाए अंतरे पराणत्ते ?, ।।सू० 145 // जंबुद्दीवस्स णं भंते ! दीवस्स पएसा लवणं समुह पुट्ठा ?, हंता पुट्ठा 1 / ते णं भंते ! किं जंबुद्दीवें 2 लवणसमुद्दे ?, गोंयमा ! जंबुद्दीवे दीवे नो खलु ते लवणसमुद्दे 2 / लवणसं णं भंते ! समुदस्स पदेसा जंबुद्दीवं दीवं पुट्ठा ?, हंता पुट्ठा 3 / तेणं भंते ! किं लवणसमुद्दे जंबूद्दीवे दीवे ?, गोयमा ! लवणे णं ते समुह नो खलु ते जंबुद्दोवे दीके 4 / जंबुद्दीवे णं भंते / दीवे जीवा उद्दाइत्ता 2 लवणसमुद्दे पञ्चायति ?, गोयमा ! अत्थेगतिया पञ्चायंतिः अत्यंगतिया नो पञ्चायति 5 / लवणे णं भंते ! समुद्दे जीवा उद्दाइत्ता 2 जंबुद्दीवे 2 पञ्चायंति ?, गोयमा ! अत्थेगतिया पञ्चायति अत्थेगतिया नो पञ्चायति 6 // सू० 146 // से केणटेणं भंते ! एवं वुचति जंबुद्दीवे 2 ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं णोलवंतस्स दाहिणेणं मालवंतस्स' वक्खारपव्वयस्स पञ्चत्थिमेणं गंधमायणस्स वक्खारपव्वयस्स पुरथिमेणं एत्थ णं उत्तरकुरा णामं कुरा पराणत्ता, पाईणपडीणायता उदीणदाहिणविच्छिराणा श्रद्धचंद-संठाणसंठिता एकारस जोयणसहस्साइं अट्ट बायाले जोयणसते दोगिण य एकोणवीसतिभागे जोयणस्स विक्खंभेणं 1 / तीसे जीवा पाईणपडीणायता दुहयो वक्खारपव्वयं पुट्ठा, पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरथिल्लं वक्खारपव्वतं पुट्ठा पञ्चत्थिमिल्लाए कोडीए पञ्चािमल्लं वक्खारपव्वयं पुट्ठा, तेवराणं जोयणसहस्साई आयामेणं, तीसे धणुपटुं दाहि 42 Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एखणजे भूमिभागे पागारभावपडोयार पराणते 2 / उत्तर दुवालस पलिमा एकूणपणाबहा मणुस्सा तयालीसे "मगा नाम ___ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभाग णेणं सर्टि जोयणसहस्साई चत्तारि य अट्ठारसुत्तरे जोयणसते दुवालस य एकूणवीसतिभाए जोयणस्स परिवखेवेणं पराणत्ते 2 / उत्तरकुराए णं भंते ! कुराए केरिसए श्रागारभावपडोयारे पराणते ?, गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, से जहाणामए थालिंगपुक्खरेति वा जाप एवं एकोस्यदीववत्तवया जाव देवलोगपरिग्गहा णं ते मणुयगणा पराणत्ता समणाउसो !, णवरि इमं णाणत्तं-छधणुस्सहस्समूसिता दोछ पन्ना पिट्ठकरंडसत्ता अट्ठमभत्तस्स आहारट्टे समुप्पजति तिरिण पलिश्रोवमाइं देसूणाई पलिग्रोवमस्सासंखिजइभागेण ऊणगाइं जहन्नेणं तिन्नि पलिश्रोवमाई उकोसेणं एकूणपराणराइंदियाई अणुपालणा, सेसं जहा एगुरुयाणं 3 / उत्तरकुराए णं कुराए छबिहा मणुस्सा अणुसज्जंति,. तंजहा-पम्हगंधा ? मियगंधा 2 अम्ममा 3 सहा 4 तेयालीसे 5 सणिचारी 6, 4 // सू० 147 // कहि णं भंते ! उत्तरकुराए कुराए जमगा नाम दुवे पंचता पनत्ता ?, गोयमा ! नीलवंतस्स वासघरपवयस्स दाहिणेणं ट्ठचोत्तीसे जोयणसते चत्तारि य सत्तभागे जोयणस्स अबाधाए सीताए महाणईए पुन्वपच्छिमेणं उभश्रो कूले, इत्थ णं उत्तरकुराए जमगा णाम दुवे पव्वता पगणत्ता एगमेगं जोयणसहस्सं उट्ठ उच्चत्तेणं अड्डाइजाई जोयणसताणि उव्वेहेणं मूले एगमेगं जोयणसहस्सं अायामविक्खंभेणं मज्झे श्रद्धट्ठमाइं जोयणसताई थायामविक्खंभेणं उरि पंचजोयणसयाई मायामविक्खंभेणं मूले तिगिण जोयणसहस्साइं एगं च बावढि जोयणसतं किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं मज्झे दो जोयणसहस्साई तिनि य / बावत्तरे जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिवखेवेणं पन्नत्ते उवरि पनरसं एक्कासीते जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेगां पण्णत्ते, मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता उप्पिं तणुया गोपुच्छसंठाणसंठिता सव्वकणगमया अच्छा सराहा जाव पडिरूवा पत्तेयं 2 पउमवर-वेड्यापरिक्खित्ता liliklilietidlitet DEZ Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजी गाभिगम-सूत्रम् / / अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / / 331 पत्तेयं 2 वणसंडपरिविवत्ता, वराणो दोगहवि, तेमि णं जमगपव्वयाणं उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते वराणयो जाव श्रासयंति सयंति जाव पञ्चणुभवमाणा विहरंति 1 / तेसि णं बहुसमरमणिजाणं भूमिभागाणं बहुमझदेसभाए पत्तेयं 2 पासायवडेंसगा पराणत्ता, ते णं पासायवडेंसगा बावढि जोयणाई श्रद्धजोयणं च उ8 उच्चत्तेणं एकत्तीसं जोयणाई कोसं च विक्खंभेणं अभुग्गतमूसिता वगणो भूमिभागा उल्लोता दो जोयणाई मणिपेढियाश्रो वरसीहासणा सपरिवारा जाव जमगा चिट्ठांति 2 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चति जमगा पव्वता 2 ?, गोयमा ! जमगेसु गां पव्वतेसु तत्थ तत्थ देसे देसे तहि तहिं बहुइयो खुड्डाखुड्डियात्रो वावीयो जाव बिलपंतितायो, तासु णं खुड्डाखुड्डियासु जाव विलपंतियासु बहूइं उप्पलाई जाव सतसहस्सपत्ताई जमगप्पभाई जमगवराणाई जमगवराणाभाई, जमगा य एत्थ दो देवा महिड्डीया जाव पलिग्रोवमद्वितीया परिवसंति, ते णं तत्थ पत्तेयं पत्तेयं चउराहं सामाणियसाहस्सीणं जाव जमगाण पब्वयाणं जमगाण य रायधाणीणं अगणेसि च बहूणं वाणमंतराणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं जाव पालेमाणा विहरति, से तेणटेणं गोयमा ! एवं बुञ्चति जमगपव्वया 2, अदुत्तरं च णं गोयमा ! जाव णिचा 3 / कहि णं भंते ! जमगाणं देवाणं जमगायो नाम रायहाणीश्री पराणत्तायो ?, गोयमा ! जमगाणं पञ्चयाणं उत्तरेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीईवतित्ता अराणमि जंबहीवे 2 बारस जोयणसहस्साई श्रोगाहित्ता एत्थ णं जमगाणं देवाणं जमगायो णाम रायहाणीयो परांणत्ताश्रो बारसजोयणसहस्स जहा विजयस्स जाव महिड्डिया जमगा देवा जमगा देवा 4 ॥सू० 148 // कहि णं भंते ! उत्तरकुराए 2 नीलवंतहहे णामं दहे पराणते ?, गोयमा ! जमगपव्वयाणं दाहिणेणं अट्ठचोत्तीसे जोयणसते चत्तारि सत्तभागा जोयणस्स अवाहाए सीताए महाणईए बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं उत्तरकुराए 2 Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 332 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: पञ्चमो विभागः नीलवंतबहे नामं दहे पन्नत्ते, उत्तरदक्खिणायए पाईणपडीणविच्छिन्ने एगं जोयणसहस्सं थायामेण पंच जोयणसताई विखंभेणं दस जोयणाई उव्वे. हेणं अच्छे सराहे रयतामतकूले चउकोणे समतीरे जाव पडिरूवे उभश्रो पासि दोहि य परमवरवेइयाहिं वणसंडेहिं सबतो समंता संपरिक्खित्ते दोराहवि वराणश्रो 1 / नीलवंतदहस्स णं दहस्स तत्थ 2 जाव बहवे तिसोवाणपडिरूवगा पराणत्ता, वराणश्रो भाणियबो ज़ाव तोरणत्ति 2 / तरस णं नीलवंतद्दहस्स णं दहस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगे महं पउमे पराणत्ते, जोयणं पायामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं. श्रद्धजोयणं बाहल्लेणं दस जोयणाई उज्वेहणं दो कोसे ऊसिते जलंतातो सातिरेगाई दसद्धजोयणाई मव्वग्गेणं पराणत्ते 3 / तस्स णं पउमस्स श्रयमेयारूवे वण्णावासे पराणत्ते, तंजहा-वइरामता मूला रिट्ठामते कंदे वेरुलियामए नाले वेरुलियामता बाहिरपत्ता जंबूणयमया अभितरपत्ता तवणिजमया केसरा कणगामई करिणया. नाणामणिमया पुक्खरस्थिभुता 4 / सा णं करिणया श्रद्धजोयणं पायामविक्खंभेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेगां कोसं बाहल्लेणं सव्वप्पणा. कणगमई अच्छा सराहा जाव पडिरूवा 5 / तीसे णं करिणयाए उवरि बहुसमरमणिज्जे देसभाए पराणत्ते. जाव मणीहिं 6 / तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्य णं एगे महं भवणे पराणत्ते, कोसं थायामेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं देसूणं कोसं उड उच्चत्तेणं अणेगखंभसतसंनिविट्ठ जाव वराणो, तस्स णं भवणस्स तिदिसिं ततो दारा पराणत्ना पुरथिमेणं दाहिणेणं उत्तरेणं, ते णं दारा पंचवणुसयाई उ8 उच्चत्तेणं अड्डाइजाई धणुसताई विखंभेणं तावतियं चेव पवेसेणं सेया वरकणगथूभियागा जाव वणमालाउत्ति 7 / तस्स णं भवणस्स अंतो बहु. समरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते से जहा नामए-श्रालिंगपुक्खरेति वा जाव मणीणं वरणयो 8 / तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झ Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाज़ीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / [ 333 देसभाए एत्थ णं मणिपेढिया पराणत्ता, पंचधणुसयाई अायामविक्खंभेगां अट्ठाइजाई धणुसताई बाहल्लेगां सव्वमणिमई 1 / तीसे णं मणिपेढियाए उवरि एत्थ णं एगे महं देवसयणिज्जे पराणत्ते, देवसयणिजस्स वराणश्रो 10 / से णं पउमे अरणे अट्ठसतेणं तदद्धच्चत्तप्पमाणमेत्ताणं पउमाणं सब्बतो समंता संपरिक्खित्ते 11 / ते णं पउमा श्रद्धजोयणं पायामविक्खभेणं तं तिगुणं. सविसेसं परिक्खेवेणं कोसं बाहल्लेणं दस जोयणाई उव्वेहेणं कोसं ऊसिया जलंताश्रो साइरेगाई ते दस जोयणाई सव्वग्गेणं पराणत्ताई 12 / तेसि णं परमाणं अयमेयारूवे वरणावासे पराणत्ते, तंजहा-वइरामया मूला जाव णाणामणिमया पुक्खरस्थिभुगा 13 / ताश्रो णं कगिणयायो कोसं पायामविक्खंभेगां तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं अद्धकोसं बाहल्लेणं सव्वकणगामईयो अच्छाश्रो जाव पडिरूवाश्रो 14 / ताप्ति णं करिणयाणां उप्पिं बहुसमरमणिजा भूमिभागा जाव मणीणं वराणो गंधो फासो 15 / तस्स णं पउमस्स अवरुत्तरेणं उत्तरेणं उत्तरपुरच्छिमेणं नीलवंतदहस्स कुमारस्स चउराहं सामाणियसाहस्सीणं चत्तारि पउमसाहस्सीयो पराणत्तायो, एवं सब्बो परिवारो नवरि पउमाणं भाणितब्बो 16 / से णं पउमे अराणेहिं तिहिं पउमवरपरिक्खेवेहिं सवतो समंता संपरिक्खित्ते, तंजहा-अभितरेणं मज्झिमेणं बाहिरएणं, अभितरएणं पउमपरिक्खेवे बत्तीसं पउमसयसाहस्सीयो पन्नत्तायो, मज्झिमए णं पउमपरिक्खेवे चत्तालीसं पउमसयसाहस्मीयो पन्नत्तायो बाहिरए णं पउमपरिक्खेवे अडयालीसं पउमसयसाहस्सीयो पराणत्तायो, एवामेव सपुवावरेगां एगा पउमकोडी वीसं च पउमसतसहस्सा भवतीति मक्खाया 17 / से केण?णं भंते ! एवं वुचति-णीलवंतहहे दहे ?, गोयमा ! णीलवंतदहे णं तत्थ तत्थ जाइं उप्पलाइं जाव सतसहस्सपत्ताइं नीलवंतप्पभाति नीलवंतदहकुमारे य, सो चेव गमो जाव नीलवंतदहे 2, 18 ॥सू० 14 // नीलवंत Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 331 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः दहस्स णं पुरथिमपञ्चत्थिमेणं दस जोयणाई अबाधाए एत्थ णं दस दस कंचणगपव्वत्ता पराणत्ता, ते णं कंचणगपव्वता एगमेगं जोयणसतं उड्डे उच्चत्तेणं पणवीसं 2 जोयणाई उव्वेहेणं मूले एगमेगं जोयणसतं विवखंभेणं मज्झे पराणत्तरि जोयणाई विक्खंभेणं उवरि पराणासं जोयणाई विक्खंभेणं मूले तिरािण सोले जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं मज्झे दोनि सत्ततीसे जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेगां उबरि एगं अट्ठावरणं जोयणसतं किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता उप्पिं तणुया गोपुच्छसंठाणसंठिता सव्वकंचणमया श्रच्छा जाव पडिरूवा, पत्तेयं 2 पउमवरवेतिया परिक्खित्ता पत्तेयं 2 वणसंडपरिक्खित्ता 1 / तेसि गां कंचणगपव्वताणां उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे जाव श्रासयंति सयंति जाव पञ्चणुभवमाणा विहरंति, तेसि णं बहुसमरमणिजाणं भूमिभागागां बहुमज्मदेसभाए पत्तेयं पत्तेयं पासायवडेंसगा सड्ढवावडिं जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं एकतीसं जोषणाई कोसं च विखंभेणं मणिपढिया दोजोयणिया सीहासगां सपरिवारा 2 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चति-कंचणगपव्वता कंचणगपव्वता ?, गोयमा ! कंचणगेसु णं पवतेसु तत्थ तत्थ वावीसु उप्पलाइं जाव कंचणगवण्णाभाति कंचणगा जाव देवा महिड्डीया जाव विहरंति, उत्तरेणं कंचणगाणां कंचणियायो रायहाणीयो अराणांमि जंबूद्दीवे 2 तहेव सव्वं भाणितव्वं 3 / कहि णं भंते ! उत्तराए कुराए उत्तरकुरुइहे पराणते ?, गोयमा ! नीलवंतदहस्स दाहिणेणं श्रद्धचोत्तीसे जोयणसते, एवं सो चेव गमो तव्वो जो णीलवंतदहस्स सव्वेसि सरिसको दहसरिनामा य देवा, सव्वेसि पुरथिमपञ्चस्थिमेणं कंचणगपव्वता दस 2 एकप्पमाणा उत्तरेणं रायहाणीयो अराणमि जंबुद्दीवे 4 / कहि णं भंते ! चंददहे एरावणदहे मालवंतहहे एवं एक्केको णेयब्वो 5 // सू० 150 // कहि णं भंते ! उत्तरकुराए 2 जंबूसुदंसणाए Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] जंबूपेढे नाम पेढे पगणते ?, गोयमा ! जंबूद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरपुरच्छिमेणं नीलवंतस्स वामधरपवतस्स दाहिणेणं मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पञ्चत्थिमेणं गंधमादणस्स वक्खारपव्वयस्म पुरत्थिमेणं सीताए महाणदीए पुरथिमिल्ले कूले एत्थ णं उत्तरकुरुकुराए जंबूपेढे नाम पेढे पंचजोयणसताई आयामविक्खंभेणं पगणरस एक्कासीते जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं बहुमज्मदेसभाए बारस जोयणाई बाहल्लेणं तदगांतरं च णं माताए 2 पदेसे परिहाणीए सब्बेसु चरमंतेसु दो कोसे बाहल्लेणं पराणत्ते सबजंबूणतामए अच्छे जाव पडिरूवे 1 / से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सव्वतो समंता संपरिक्खेत्ते वराणो दोराहवि 2 / तस्स णं जंबूपेढस्स चउदिसिं चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा पराणत्ता तं चेव जाव तोरणा जाव चत्तारि छत्ता 3 / तस्स णं जंबूपेढस्स उप्पि बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते से जहाणामए श्रालिंगयुक्खरेति वा जाव मणिपेढिया जाव सयंति जाव विहरंति 4 / तस्स गं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्भदेसभाए एत्थ णं एगा महं मणिपेढिया पराणत्ता अट्ठ जोयणाई अायामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं मणिमती अच्छा सराहा जाव पडिरूवा 5: / तीसे णं मणिपेढियाए, उवरि एत्य णं महं जंबूसुदंसणा पराणत्ता अट्टजोयणाई. उट्ठ उच्चत्तेणं श्रद्धजोयणं उव्वेहेणं दो जोयणाति खंधे घट्ट जोयणाई विक्खंभेगां छ जोयणाई विडिमा.. बहुमज्झदेसभाए अट्ठ जोयणाई विक्खंभेगां सातिरेगाइं अट्ठ जोयणाई सव्वग्गेणं परणत्ता, वइरामयमूला रयत सुपतिट्ठियविडिमा, एवं चेतियरुक्खवराणो जाव सव्वो रिट्ठामयविउलकंदा वेरुलियरइरक्खंधा सुजायवरजाय-रूव-पढमग-विसालसाला नाणामणिरयण-विविह-साहप्पसाह-वेरूलियपत्त-तबणिजपत्तविंटा जंबूणय-रत्त-मउय-सुकुमाल-पवाल(कोमल)-पल्लवंकुरधरा(रग्गसिहरा) विचित्त-मणिरयण-सुरहिकुसुमा फलभार-नमियसाला सच्छाया Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 336 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः . सप्पभा सस्सिरीया उज्जोया यहियं मणोनिव्वुइकरा पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा 6 // सू० 151 // जंबूए गां सुदंसणाएं चउद्दिसि चत्तारि साला पराणत्ता, तंजहा-पुरस्थिमेणं दक्खिणेणं पञ्चस्थिमेणं उत्तरेणं, तत्थ णं जे से पुरथिमिल्ले साले एत्थ णं एगे महं भवणे पराणते एगं कोसं थायामेणं श्रद्धकोसं विवखंभेणं देसूणं कोसं उड्ड उच्चत्तेणं अणेगखंभ सयसंनिविट्ठ वराणयो जाव भवणस्स दारं तं चैव पमाणं पंचधणुसताति उर्ल्ड उच्चत्तेणं अड्डाइजाइं विक्खंभेणं जाव वणमालाश्रो भूमिभामा उल्लोया , मणिपेढिया पंचधणुसतिया देवसयणिज्ज भौणियव्वं 1 / तत्थ गांजे से दाहिणिल्ले साले एत्थ णं एगे महं पासायक्डेंसए पराणत्ते, कोसं व उड्ड उच्चत्तेणं अद्धकोसं पायामविक्खंभेणं अभुग्गयमूसियप्पहसिए तहेव तस्स णं पासायडिसयस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पगणत्ते जाव मणिफासा उल्लोता 2 / तस्स णं बहुपमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्भदेसभाए सीहासगां सपरिवार भाणियव्वं 3 | तत्थ गण जे से पचत्थिमिल्ले साले एत्थ णं पासायवडेंसए पराणते तं चेव पमागां सीहासणां सपरिवार भाणियव्वं तत्थ णं जे से उत्तरिल्ले साले एत्थ णं एगे महं पासायव.सए पण्णत्ते तं चेवं पमाणं सीहासगां सपरिवार 4 / तत्थ एंजे से उरिमविडिमे एत्थ णं एगे महं सिद्धायतणे कोसं अायामेगां श्रद्धकोसं विक्खंभेगां देसूगां कोसं उड्ढ उच्चत्तेगां अणेगखंभसतसन्निविढे वंगणयो तिदिसिं तयो दारा पंचधणुसता अड्डाइजधणुसयविखंभा मणिपेढिया पंचधणुसतिया देवच्छंदो पंचधणुसतविक्खंभो सातिरेगपंचधणुसउच्चत्ते 5 / तत्थ णं देवच्छंदए अट्ठसयं जिणपडिमाणं जिणुस्सेधप्पमाणाणां, एवं सव्वा सिद्धायतणवत्तव्वया भाणियव्वा जाव धूवकडुच्छुया उत्तिमागारा सोलसविधेहिं रयणेंहिं उवेए चेव जंबू णं सुदंसणा मूले बारसहिं पउमवरवेदियाहिं सव्वतो समंता संगरिविवत्ता, तायो णं परमवरवेतियायो श्रद्धजोयणं उड्ड उच्चत्तेणं . Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवा जीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / [ 337 पंचधणुसताई विखंभेणं वराणयो 6 / जंबू सुदंसणा थराणेणं असतेणं जंबूणं तयद्धचत्तप्पमाणमेत्तेणं सब्बतो समंता संपरिक्खित्ता 7 / तायो णं जंबो चत्तारि जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं कोसं चोव्वेघेणं जोयणं खंधो कोसं विक्खंभेणं तिरिण जोयणाई विडिमा बहुमन्मदेसभाए चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं सातिरेगाई चत्तारि जोयणाई सव्वग्गेणं वइरामयमूला सो चेव चेतियरुख-वराणी 8 | जंबूए णं सुदंसणाए अवस्तरेणं उत्तरेगां उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं श्रणादियस्सं चउराहं सामाणियसाहस्सीणं चत्तारि जंबूमाहस्सीयो पराणत्तायो, जंबूए सुदंसणाए पुरथिमेणं एत्थ णं अणाढियस्स देवस्स चउराहं अंग्गमहिसीणं चत्तारि जंबूथो पराणत्तायो, एवं परिवारो सब्बो णायव्वो जंबए जाव श्रायरक्खाणं 1 / जंबू णं सुदंसणा तिहिं जोयणसतेहिं वणसंडेहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता, तंजहा-पढमेणं दोच्चेणं तच्चेणं 10 / जंबूए सुदंसणाए पुरथिमेणं पढमं वणसंडं परामासं जोयणाई श्रोगाहित्ता एत्थ णं एगे महं भवणे पराणत्ते, पुरथिमिल्ले भवणसरिसे भाणियव्वे जाव सयणिज्जं, एवं दाहिणेणं पञ्चत्थिमेणं उत्तरेणं 11 / जंबूए णं सुदंसणाए उत्तरपुरस्थिमेणं पढमं वणसंडं पराणासं जोयणाई श्रोगाहित्ता चत्तारि णंदापुक्खरिणीयो पराणत्ता,तंजहा-पउमा पउमप्पभा चेव कुमुदा कुमुयप्पभा१२। तायो णं णंदायो पुक्खरिणीयो कोसं पायामेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं पंचधणुमयाइं उव्वेहेणं अच्छायो सराहायो लगहायो घटायो मट्ठायो णिप्पंकाश्रो णीरयात्रो जार पडिरूवायो वरुणो भाणियन्वो जाव तोरणत्ति 13 / तासि णं णंदापुक्खरिणीणं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं पासायवडेंसए पराणत्ते कोसप्पमाणे अद्धकोसं विक्खंभो सो चेव सो वरणत्रो जाव सीहातणं सपरिवारं 14 / एवं दक्खिणपुरथिमेणवि पराणासं जोयणाई श्रोगाहित्ता चत्तारि णंदापुक्खरिणीश्रो उप्पलगुम्मा नलिणा उप्पला उप्पलुजला तं चेव पमाणं तहेव पासायवडेंसगा तापमाणा 15 / 43 Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 338 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पश्चमो विभागः 5 एवं दक्खिणपञ्चत्थिमेणवि पराणासं जोयणाणं परं-भिंगा भिंगणिभा चेव अंजणा कन्जलप्पभा, सेसं त चेव 16 / जंबूए णं सुदंसणाए उत्तरपुर. थिमे पढमं वणसंडं परणासं जोयणाई योगाहित्ता एस्थ णं चत्तारि णंदाश्रो पुक्खरिणीयो पराणत्तायो, तंजहा-सिरिकता सिरिमहिया सिरिचंदा चेव तह य सिरिणिलया 17 // तं चेव पमाणां तहेव पासायवडिसो 18 / जंबूए णं सुदंसणाए पुरथिमिलस्सं भवणस्स उत्तरेणं उत्तरपुरस्थिमेणं पासायवडेंसगस्स दाहिोणं एस्थ णं एगे महं कूडे पण्णत्ते अट्ठ जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं मूले बारस जोयणाई विवखंभेणं मज्झे अट्ठ जोयणाई थायामविक्खंभेणं उवरिं चत्तारि जोयणाई थायामविक्खंभेणं मूले सातिरेगाई सत्ततीसं जोयणाई परिक्खेवेणं मज्झे सातिरेगाइं पणुवीसं जोयणाई परिक्खेवेणं उवरिं सातिरंगाई बारम जोयणाई परिक्खेवेणं मूले विच्छिन्ने मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुए गोपुच्छसंगणसंठिए सव्वजंबूणयामए अच्छे जाव पडिरूवे, से णं एगाए पउमवरवेझ्याए एगेणं वणसंडेणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते दोराहवि वराणो 11 / तस्स णं कूडस्स उवरि बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते जाव प्रासयंति जाव विहरंति 20 / तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एगं सिद्धायतणं कोसप्पमाणं सब्बा सिद्धायतणवत्तव्बया 21 / जंबूए णं सुदंसणाए पुरस्थिमस्स भवणस्स दाहिणेणं दाहिणपुरथिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स उत्तरेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पराणत्ते तं चेव पमाणं सिद्धायतणं च. 22 / जंबूए णं सुदंसणाए दाहि. णिल्लस्स भवणस्स पुरस्थिमेणं दाहिणपुरस्थिमस्स पासायवडेंसगस्स पचत्थिमेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पराणत्ते, दाहिणस्स भवणस्स पुरतो दाहिणपञ्चथिमिल्लस्स पासायवडिंसगस्स पुरस्थिमेणं एत्थ णं एगे महं कूडे जंबूतो पचत्थिमिल्लस्स भवणस्स दाहिणेणं दाहिणपञ्चथिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स उत्तरेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पनत्ते, तं चेव पमाणं सिद्धायतणं च, जंबूए. Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] / 336 पञ्चत्थिमेणं भवणस्स उत्तरेणं उत्तरपञ्चत्थिमस्म पासायवडेंसगस्स दाहिणेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पराणत्ते तं चंव पमाणं सिद्धायतणं च 23 / जंबूए उत्तरस्स भवणस्स पञ्चस्थिमेणं उत्तरपञ्चत्थिमस्स पासायवडेंसगस्स पुरथिमेणं एस्थ णं एगे कूडे पगणत्ते, तं चेव, जंबूए उत्तरभवणास्स पुरथिमेणं उत्तरपुरथिमिलस्स पासायवडेंसगस्स पञ्चत्थिमेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पराणत्ते, तं चेव पमागां तहेव सिद्धायतणं 24 / जंबू णं सुदंसणा अराणेहि बहूहिं तिलएहि लउएहिं जाव रायरुक्खेहि हिंगुरुक्खेहि जाव सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता 25 / जंबूते णं सुदंसणाए उवरि बहवे अट्ठमंगलगा पराणत्ता, तंजहा-सोत्थियसिखिच्छ किराहा चामरझया जाव छत्तातिच्छता 26 / जंबूए णं सुदंसणाए दुवालस णामधेजा पराणत्ता, तंजहासुदंसणा अमोहा य, सुप्पबुद्धा जसोधरा / विदेहजंबू सोमणसा, णियया णिचमंडिया // 1 // सुभद्दा य विसाला य, सुजाया सुमणीतिया / सुदंसणाए जंबूए, नामधेजा दुवालस // 2 // स केण?णं भंते ! एवं वुचइजंबूसुदंसणा 21, गोयमा ! जंबूते णं सुदंसणाते जंबूदीवाहिवती श्रणाढिते णामं देवे महिड्डीए जाव पलिश्रोवमट्टितीए परिवसति, से णं तत्थ चउराहं सामाणियसाहस्सीणं जाव जंबूदीवस्स जंबूए सुदंसणाए अणाढियाते य रायवाणीए जाव विहरंति 27 / कहि णं भंते ! श्रणाढियस्स जाव समत्ता वत्तव्वया रायधाणीए महिड्डीए 28 / अदुत्तरं च णं गोयमा जंबूद्दीवे 2 तस्थ तत्थ देसे तहिं 2 बहवे जंबूरुक्खा जंबूवणा जंबूवणसंडा णिच्चं कुसुमिया जाव सिरीए अतीव उवसोभेमाणात 2 चिट्ठति, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-जंबुद्दीवे 2, अदुत्तरं च णं गोयमा ! जंबुद्दीवस्स सासते णामधेज्जे पराणत्ते, जन्न कयावि णासि जाव णिच्चे 21 // सू० 152 // जंबूद्दीवे णं भंते ! दीवे कति चदा पभासिंसु वा पभासेंति वा. पभासिसंति वा ? कति सूरिया तविंसु वा तवंति वा तंविस्संति वा ? कति नक्खत्ता Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 340 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः जोयं जोयंसु वा जोयंति वा जोएस्संति वा ? कति महग्गहा चार चरिंसु वा चरिंति वा चरिस्संति वा ? केवतितायो तारागणकोडाकोडीयो सोहंसु वा सोहंति वा सोहेस्संति वा ? गोयमा ! जंबूद्दीवे णं दीवे दो चंदा पभासिंसु वा 3 दो सूरिया तर्विसु वा 3 छप्पन्न नक्खत्ता जोगं जोएंसु वा 3 .छावत्तरं गहसतं वारं चरिंसु वा ३-एगं च सतसहस्सं तेत्तीसं खलु भवे सहस्साई। णव य सया पन्नासा तारागणकोडिकोडीणं // 1 // सोभिंसु वा सोभंति वा सोभिस्संति वा / सू० 153 // जंबदीवं णाम दीवं लवणे णामं समुद्दे वट्टे वलयागार-संठाणसंठिते सव्वतो समंता संपरिविखत्ताणं चिट्ठति 1 / * लवणे णं भंते ! समुद्दे किं समकवालसंठिते विसमचकवालसंठिते ?, गोयमा ! समचक्वालसंठिए नो विसम-चकवालसंठिए 2 / लवणे णं भंते ! समुद्दे केवतियं चकवालविक्वंभेणं ? केवतियं परिक्खेवेणं पराणत्ते ?, गोयमा ! लवणे गां समुद्दे दो जायणसतसहस्साई चकवालविक्खंभेणं पन्नरसजोयणसयसहस्साइं एगासीइसहस्साहं सयमेगोण-चत्तालीसे किंचिविसेसाहिए - लवणोदधिणो चकवालपरिक्खेवेणं 3 / से णं एकाए. पउमवरवेदियाए एगेण य वणसंडेणं सवतो समंता संपरिक्खित्ते चिट्ठइ, दोराहवि वरणश्रो 4 / सा णं परमवरवेदिया श्रद्धजोयणं उड्डे उच्चत्तेग पंचधा-सयविक्खंभेणं लवणसमुद्द-समियपरिक्खेवेणं, सेसं तहेब 5 / से णं वणसंडे देसूणाई दो जोयणाई जाव विहरइ 6 / लवणस्स णं भंते ! समुदस्स कति दारा पराणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि दारा परांणत्ता, तंजहा-विजये वेजयंते जयंते अपराजिते, 7 / कहि णं भंते ! लवणसमुदस्स विजए णामं दारे पराणते ?, गोयमा ! लवणसमुदस्स पुरथिमपेरंते धायइखंडस्स दीवस्स पुरथिमद्धस्स पञ्चत्थिमेणं सीबोदाए महानदीए उप्पिं एत्थ णं लवणस्स समुदस्स विजए णामं दारे पराणत्ते, घट्ट जोयणाई उ8 उच्चत्तेणं चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं, एवं तं चेव सव्वं जहा जंबुद्दीवस्स विजयस्सरिसेवि (दारसंरिसमेयंपि) Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवा जीवाभिगम-सूत्रम् / अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ) [ 341 रायहाणी पुरथिमेणं अगणमि लवणममुद्दे 8 / कहि णं भंते ! लवणसमुद्दे वेजयंते नामं दारे पराणत्ते ?, गोयमा ! लवणसमुदस्स दाहिणपेरंते धातइसंडदीवस्स दाहिणद्धस्स उत्तरेणं सेसं तं चेव सव्वं 1 / एवं जयंतेवि, णवरि सीयाए महाणदीए उप्पिं भाणियव्वे, एवं अपराजितेवि, णवरं दिसीभागो भाणियव्यो 10 / लवणस्स णं भंते ! समुदस्स दारस्स य 2 एस णं केवतियं बाधाए अंतरे पराणते ?, गोयमा !-तिराणेव सतसहस्सा पंचाणउतिं भवे सहस्साई। दो जोयणसत असिता कोसं दारंतरे लवणे॥१॥' जाव अबाधाए अंतरे पराणत्ते 11 / लवणास्स णं भंते ! पएसा धायइसंडं दीवं पुट्ठा तहेव जहा जंबूद्दीवे धायइसंडेवि सो च्चेव गमो 12 / लवणे णं भंते ! समुद्दे जीवा उदाइत्ता सो चेव विही, एवं धायइसंडेवि 13 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-लवणसमुद्दे 21, गोयमा ! लवणे णं समुद्दे उदगे श्राविले रइले लोणे लिंदे खारए कडुए अप्पेज्जे बहूणं दुपय-चउप्पयमिय-पसु-पक्खिसिरीसवाणं नराणस्थ तज्जोणियाणं सत्ताणं, सोत्थिए- एत्थ लवणाहिवई देवे महिडीए पलिश्रोवमट्टिईए, से णं तत्थ सामाणिय जाव लवणसमुदस्स सुत्थियाए रायहाणीए अराणेसि जाव विहरइ, से एएणटेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ लवणे णं समुद्दे 2, अदुत्तरं च णं गोयमा ! लवणसमुद्दे सासए जाव णिच्चे 14 // सू० 154 // लवणे णं भंते ! समुद्दे कति चंदा पभासिंसु वा पभासिंति वा पभासिस्संति वा ?, एवं पंचराहवि पुच्छा, गोयमा ! लवणसमुद्दे चत्तारि चंदा पभासिसु वा 3 चत्तारि सूरिया तर्विसु वा 3 बारसुत्तरं नक्खत्तसयं जोगं जोएंसु वा 3 तिगिण बावराणा महग्गहसया चारं चरिंसु वा 3 दुरिण सयसहस्सा सत्तट्टि च सहस्सा नव य सया तारागणकोडाकोडीणं सोभं सोभिंसु वा 3 // सू० 155 // कम्हा णं भंते ! लवणसमुद्दे चाउद्दसट्टमुद्दिट्टपुरिणमासिणीसु अतिरेगं 2 वट्ठति वा हायति वा ?, गोयमा ! जंबूद्दीवस्स णं दीवस्स Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 342 / / श्रामदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः चउदिसि बाहिरिल्लायो वेइयंतायो लवणसमुद्द पंचाणउति 2 जोयणसहस्साई योगाहित्ता एत्थ णं चत्तारि महालिंजर-संगणसंठिया महइमहालया महापायाला पराणत्ता, तंजहा-वलयामुहे केतूा जूवे ईसरे, ते णं महा. पाताला एगमेगं जोयणसयमहस्सं उज्वेहेणं मूले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं मज्झे एगपदेसियाए सेटीए एगमेगं जोयणसतसहस्सं विक्खंभेणं उपरि मुहमूने दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं 1 / तेसि णं महापायालाणं कुड्डा सव्वत्थ समा दसजोयणसतबाहल्ला पराणत्ता सव्ववइरामया अच्छा जाव पडिरूवा 2 / तत्थ णं वहवे जीवा पोग्गला य अवकमंति विउक्कमंति चयंति उवचयंति सासया णं ते कुडडा दवट्टयाए वराणपजवेहि जाव फासपजवेहिं असासया 3 / तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्डीया जाव पलियोवमद्वितीया परिवसंति, तंजहा-काले महाकाले वेलवे पभंजणे 4 / तेसि णं महापायालाणं तयो तिभागा पराणत्ता, तंजहा-हेडिल्ले तिभागे मझिल्ले तिभागे उपरिमे तिभागे 5 / ते णं तिभागा तेत्तीसं जोयणसहस्सा तिरिण य तेत्तीसं जोयणसतं जोयणतिभागं च बाहल्लेगां 6 / तत्थ णं जे से हेट्ठिल्ने तिभागे एत्थ णं वाउकायो संचिट्टति, तत्थ णं जे से मझिल्ले तिभागे एत्थ णं वाउकाए य ग्राउकाए य संचिट्ठति, तत्थ णं जे से उवरिल्ले तिभागे एत्थ णं अाउकाए संचिट्ठति, अदुत्तरं च णं गोयमा ! लवणसमुद्दे तत्थ 2 देसे बहवे खुड्डालिंजर-संगणसंठिया खुड्ड-पायालकलसा पराणत्ता, ते णं खुड्डा पाताला एगमेगं जोयणसहस्सं उव्वेहेणं मूने एगमेगं जोयणसतं विक्खंभेणं मज्झे एगपदेसियाए सेढिए एगमेगं जोयणसहस्सं विक्खंभेणं उप्पिं मुहमूले एगमेगं जोयणसतं विक्खंभेणं 7 / तेसि णं खुड्डागपायालाणं कुड्डा सव्वत्थ समा दस जोयणाई बाहल्लेणं पराणत्ता सव्ववइरामया अच्छा जाव पडिरूवा = / तत्थ णं बहवे जीवा पोग्गला य जाव असासयावि, पत्तेयं 2 श्रद्धपलियोवमट्टितीताहिं देवताहिं Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] . [ 343 परिग्गहिया 1 / तेसि णं खुड्डगपातालाणं ततो तिभागा पन्नत्ता, तंजहाहेछिल्ले तिभागे मझिल्ले तिभागे उरिल्ले तिभागे, ते णं तिभागा तिरिण तेत्तीसे. जोयणसते जोयणतिभागं च बाहल्लेणं पराणने 10 / तत्थ णं जे से हेछिल्ले तिभागे एत्थ णं वाउकायो ममिल्ले तिभागे वाउपाए बाउयाते य उवरिल्ले बाउकाए, एवामेव सपुत्वावरेणं लवणसमुद्दे सत्त पायालसहस्सा अट्ठ य चुलसीता पातालसता भवंतीति मक्खाया 11 / तेसि णं महापायालाणं खुड्डगपायालाण य हेटिममज्झिमिल्लेसु तिभागेसु जया बहवे ओराला वाया संसेयंति संमुच्छिमंति एयंति चलंति कंपति खुब्भंति घट्टति फंदति तं तं भावं परिणमति तया णं से उदए उराणामिजति, जया णं तेसिं महापायालाणं खुड्डागपायालाण य हेट्ठिलमझिल्लेसु तिभागेसु नो बहवे ओराला जाव तं तं भाव न परिणमति तया णं से उदए नो उन्नामिजइ अंतरावि य णं ते वायं उदीरेंति अंतरावि य णं से उदगे उगणामिजइ अंतरावि य ते वाया नो उदीरंति अंतरावि य णं से उदगे णो उराणामिजइ. एवं खलु गोयमा ! लवणसमुह चाउद्दसट्टमुद्दिट्ठपुराणमासिगीसु, अइरेगं 2 वडति वा हायति वा / / सू० 156 // लवणे णं भते ! समुद्दाए तीसाए मुहुत्ताणं कतिखुतो अतिरेगं 2 वडति वा हायति वा ?, गोयमा ! लवणे णं समुहे तीसाए मुहुत्ताणं दुक्खुत्तो अतिरेगं 2 वट्ठति वा हायति वा 1 / से केणट्ठणं भंते ! एवं वुच्चइ-लवणे णं समुद्दे तीसाए मुहुत्ताणं दुक्खुतो अइरेगं 2 वड्डइ वा हायइ वा ?, गोयमा ! उदुमंतेसु पायालेसु वड्डइ श्रापूरितेसु पायालेसु हायइ, से तेण?णं गोयमा ! लवणे णं समुद्दे तीसाए मुहुत्ताणं दुक्खुत्तो अइरेगं अइरेगं वडइ वा हायइ वा 2 // सू० 157 // लवणसिहा णं भंते ! केवतियं चकवालविक्खंभेणं केवतियं अइरेगं 2 वट्ठति वा हायति वा ?, गोयमा ! लवणसीहाए णं दस जोयणसहस्साई चकवालविक्खंभेणं देसूर्ण श्रद्धजोयणं अतिरेगं वडति वा 2 . Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 344 ) _ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः हायति वा 1 / लवणस्स णं भंते ! समुदस्स कति णागसाहस्सीयो अभितरियं वेलं धारंति ?, कइ नागसाहस्मीयो बाहिरियं वेलं धरंति ?, कइ नागसाहस्सीयो अग्गोइयं धरति ?, गोयमा ! लवणसमुदस्स. बायालीसं णागसाहस्सीयो अभितरियं वेलं धारेंति, बावत्तरिणागसाहस्सीयो बाहिरियं वेलं धारेंति, सढि णागसाहस्सीयो अग्गोदयं धारेंति, एवमेव सपुव्वावरेणं एगा णागसतमाहस्सी चोवत्तरिं च णागसहस्सा भवंतीति मक्खाया 2 // सू० 158 // कति णं भंते / वेलंधरा णागराया पराणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि वेलंधरा णागराया पराणत्ता, तंजहा-गोथू सिवए संखे मणोसिलए 1 / एतेसि णं भंते ! चउराहं वेलंधरणागरायाणं कति श्रावासपवता पराणत्ता ? गोयमा ! चत्तारि यावासपव्वता पराणत्ता, तंजहा-गोथूमे उदगमासे संखे दगसीमाए 2 / कहि णं भंते ! गोथूभस्स वेलंधर-णागरायस्स गोथूभे णामं श्रावासपब्बते पराणते ?, गोयमा ! जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पुरस्थिमेणं लवणं समुद्दबायालीसं जोयणसहस्साई श्रोगाहित्ता एत्थ णं गोथूभस्स वेलंधरणागरायस्स गोथूभे णामं श्रावासपवते पराणत्ते, सत्तरसएकवीसाइं जोयणसताई उड्ड उच्चत्तेणं चत्तारि तीसे जोयणसतै कोसं च उब्वेधेणं मूले दसबावीसे जोयणमते अायामविक्खंभेणं मज्झे सत्तलेवीसे जोयणसते उवरि चत्तारि चउवीसं जोयणसए आयामविक्खंभेणं मूले तिगिण जोयणसहस्साइं दोगिण यः बत्तीसुत्तरे जोयणसए किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं मज्झे दो जोयणसहस्साई दोगिण य छलसीते जोयणसते किंचिविसेमाहिए परिक्खेवेणं उपरि एगं जोयणसहस्सं तिरिण य ईयाले जोयणसते किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं मूले वित्थिगणे मज्झे संखित्ते उप्पि तणुए गोपुच्छसंगणसंठिए सबकणगामए अच्छे जाव पडिरूवे 3 / से णं एगाए पउमवरवेदियाए एगेण य वणसंडेणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते, दोराहवि वराणी 4 / गोथूभस्स णं. श्रावासपव्वतस्स उवरि बहुसम-र. किावणसते किंचिविसेसूण वकणगामए अच्छतो समंता से Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विश्वंभेणं वगण यावासपव्वए 2 डियागो जाव गावलियोवमट्टिती श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् : अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] . [ 345 मणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते जाव पासयंति जाव विहरंति 5 / तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमझदेसभाए एत्थ णं एगे महं पासायवडेंसए बावट्ठ जोयणद्धं च उड्डे उच्चत्तेणं तं चेव पमाणं श्रद्धं थायामविक्खभेणं वराणो जाव सीहासणं सपरिवारं 6 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ गोथूमे श्रावासपब्बए 21, गोयमा ! गोथूभे णं श्रावासपवते तत्थ 2 देसे तहिं 2 बहुश्रो खुड्डाखुड्डियात्रो जाव गोथूभवरणाई बहूई उप्पलाई तहेब जाव गोथूभे तत्थ देवे महिड्डीए. जाव पलिग्रोवमद्वितीए परिवसति, सेणं तत्थ चउराहं सामाणियसाहस्सीणं जाव गोथूभयस्स श्रावासपव्वतस्स गोथूभाए रायहाणीए जाव विहरति, से तेण?णं जाव णिच्चे 7 / रायहाणि पुच्छा गोयमा ! गोथूभस्स श्रावासपव्वतस्स पुरस्थिमेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीतिवइत्ता अराणंमि लवणसमुद्दे तं चेव पमाणं तहेव सव्वं 8 / कहि णं भंते ! सिवगस्स वेलंधरणागरायस्स दोभासणामे श्रावासपव्वते पराणत्ते ?, गोयमा ! जंबद्दीवे णं दीवे मंदरम्स पव्वयस्स दक्खिणेणं लवणसमुद्द बायालीसं जोयणसहस्साई श्रोगाहित्ता एत्थ णं सिवंगस्स वेलंधरणागरायस्स दोभासे णामं श्रावासपब्बते पराणत्ते, तं चेव पमाणं जं गोथूभस्स, णवरि सव्वयंकामए अच्छे जाव पडिरूवे जाव अट्ठो भाणियब्बो, गोयमा ! दोभासे णं श्रावासपव्वते लवणसमुद्दे अट्ठजोयणियखेत्ते दगं सव्वतो समंता श्रोभासेति उज्जोवेति तवति पभासेति सिवए इत्थ देवे महिड्डीए जाव रायहाणी से दविखणेणं सिविगा दोभासस्स सेसं तं चेव 1 / कहि णं भंते ! संखस्स वेलंधरणागरायस्स. संखे णाम आवासपवते पराणते ?, गोयमा! जंबुद्दीवे णं दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पञ्चत्थिमेणं बायालीसं जोयणसहस्साई एस्थ j. संखस्स वेलंधरनागरायस्स संखे .णामं श्रावासपव्वते, तं चेव पमाणं णवरं सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे 10 / से णं एगाए पउमवरवेदिवाए Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 346 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः एगेण य वणसंडेणं जाव अटो बहूयो खुड्डाखुड्डिायो जाव बहूई उप्पलाई संखाभाई संखवरणाई संखवण्णाभाई संखे एत्थ देवे महिड्डीए जाव रायहाणीए पञ्चत्थिमेणं संखस्स श्रावासपव्वयस्स संखा नाम रायहाणी तं चेव पमाणं 11 / कहि णं भंते ! मणोसिलकस्स वेलंधरणागरायस्स उदगसीमाए णामं श्रावासपवते पराणते ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स उत्तरेणं लवणममुद्द बायालीसं जोयणसहस्साई भोगाहित्ता एत्थ णं मणोसिलगस्स वेलंधरणागरायस्स उदगसीमाए णामं यापासपवते पराणत्ते तं चेव पमाणं णवार सव्वफलिहामए अच्छे जाव अट्ठो, गोयमा! दगसीमंते णं आवासपवते. सीतासीतोदगाणं, महाणदीणं तत्थ गतो सोए पडिहम्मति से तेणटेणं जाव णिच्चे मणोसिलए एत्थ देवे महिड्डीए जाव से णं तत्थ चउराहं सामाणियसाहस्सीणं जाव विहरति 12 / कहि णं भंते ! मणोसिलगस्स वेलंधरणागरायस्स मणोसिला णाम रायहाणी ?, गोयमा ! दंगसीमस्स श्रावासपब्वयस्स उत्तरेणं तिरियमसंज्जे दीवसमुद्दे विईवइत्ता अराणमि लवणे एत्थ णं मलोसिलिया णाम रायहाणी पराणत्ता तं चेव पमाणं जाव मणोसिलाए देवे-कणगंक-रयय-फालियमया य वेलं. धराणमावासा / अणुवेलंधरराईण पव्वया होंति रयणमया ॥१॥सू०१५१ // कइ ण भंते ! अणुवेलंधररायाणो पराणता ?, गोयमा ! चत्तारि अणुवेलंधर-णागरायाणो पराणत्ता, तंजहा-ककोडए कदमए केलासे श्रमणप्पमे 1 / एतेसि णं भंते ! चउराहं अणुवेलंधरणागरायाणं कति श्रावासपव्वया पनत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि श्रावासपव्वया पराणत्ता, तंजहा-ककोडए 1 कदमए 2 कइलासे 3 अरुणप्पभे 4, 2 / कहि णं भंते ! ककोडगस्स अणुवेलंधरणागरायस्म कक्कोडए णामं श्रावासपवते पराणते ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरपुरच्छिमेणं लवणसमुद्द बायालीसं जोयणसहस्साई श्रोगाहित्ता एत्थ णं ककोडगस्स Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 347 जीवाजीवभिगम-सूत्रम् / अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] नागरायस्स ककोडए णामं आवासपबते पराणत्ते सत्तरस एकवीसाइं जोयणसताई तं चेव पमाणं जं गोथूभस्स णवरि सव्वरयणामए अच्छे जाव निरवसेसं जाप सपरिवार श्रटो से बहुई उप्पलाई ककोडप्पभाई सेसं तं वेव णवरि ककोडगपब्वयस्स उत्तरपुरच्छिमेणं, एवं तं चेव सव्वं, कद्दमस्सवि सो चेव गमत्रो अपरिसेसियो, णवरि दाहिणपुरच्छिमेणं आवासो विज्जुप्पभा रायहाणी दाहिणपुरस्थिमेणं, कइलासेवि एवं चेव, णवरि दाहिणपञ्चत्थिमेणं कयलासावि रायहाणी ताए चेव दिसाए, अरुणप्पभेवि उत्तरपञ्चत्थिमेणं रायहाणीवि ताए चेव दिसाए, चत्तारि विगप्पमाणा सव्वरयणामया य 3 // सू० 160 // कहि णं भंते ! सुट्टियस्स लवणाहिवइस्स गोयमदीवे णामं दीवे पराणते ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पचत्थिमेणं लवणसमुद्द बारसजोयणसहस्साई श्रोगाहित्ता एत्थ णं सुट्ठियस्त लवणाहिवइस्स गोयमदीवे नामं दीवे पराणत्ते, बारसजोयणसहस्साई अायामविक्खंभेणं सत्ततीसं जोयणसहस्साई नव य अडयाले जोयणसए किंत्रिविसेसोणे परिवखेवणं, जंबूदीवंतेणं अद्धकोणणउते जोयणाइं चत्तालीसं पंचणउतिमागे जोयणस्स ऊसिए जलंतायो लवणसमुद्दतेणं दो कोसे ऊसिते जलंतायो 1 / से णं एगाए य पउमवरवेइयाए एगेणं वणसंडेणं सव्वतो समंता तहेव वराणो दोराहवि 2 / गोयमदीवस्स णं दीवस्स अंतो जाव बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, से जहानामएआलिंग जाव ग्रासयंति जाव विहरंति 3 / तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं सुट्टियस्स लवणाहिवइस्स एगे महं श्रइकीलावासे नामं भोमेजविहारे पराणत्ते बावट्टि जोयणाई श्रद्धजोयणं उदउच्चत्तेणं एकतीसं जोयणाई कोसं च विक्खंभेणं अणेगखंभसतसन्निविट्ठ भवणवराणश्रो भाणियब्बो 4 / अइकीलावासस्स णं भोमेजविहारस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते जाव मणीणं भासो 5 / तस्स णं Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 348 ) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ एगा मणिपेढिया पराणत्ता 6 / सा णं मणिपेढिया दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं जोयणबाहल्लेणं सव्वमणिमयी अच्छा जाव पडिरूवा 7 / तीसे णं मणिपेढियाए उवरि एत्थ णं देवसयणिज्जे पराणत्ते वराणश्रो 8 | से केण?णं भंते ! एवं वुचति-गोयमदीवे णं दीवे ?, तत्थ 2 तहिं 2 बहूई उप्पलाई जाव गोयमप्पभाई गोयमवरणाई गोयमवण्णाभाई से एएणद्वेणं गोयमा ! जावं णिच्चे 1 / कहि णं भंते ! सुट्टियस्स लरणाहिवइस्स सुट्ठिया णाम रायहाणी पराणता ?, गोयमदीवस्स पचत्थिमेणं तिरियमसंखेजे जाव अराणमि लवणसमुद्दे बारस जोयणसहस्साई अगाहित्ता, एवं तहेव सव्वं णेयत्वं जाव सुत्थिए देवे 10 // सू० 161 // कहि णं भंते ! जंबूद्दीवगाणं चंदाणं चंददीवा णामं दीवा पराणत्ता ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पवयस्स पुरच्छिमेणं लवणसमुद्द बारस जोयणसहस्साई श्रोगाहित्ता एत्थ णं जंबूदीवगाणं चंदाणं चंददीवा णामं दीवा पराणत्ता, जंबुद्दीवंतेणं अडेकोणणउई जोयणाई चत्तालीसं पंचाणउति भागे जोयणस्स ऊसिया जलंतातो लवणसमुद्दतेणं दो कोसे ऊसिता जलंतायो, बारस जोयणसहस्साई श्रायामविक्खंभेणं, सेसं तं चेव जहा गोतमदीवस्स परिक्खेवो पउमवरवेझ्या पत्तेयं 2 वणसंडपरि० दोराहवि वराणो बहुसमरमणिजा भूमिभागा जाव जोइसिया देवा श्रासयंति जाव विहरंति 1 / तेसि णं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पासायवडेंसगा बावट्ठि जोयणाई बहुमज्झदेसभाए मणिपेढियायो दो जोयणाई जाव सीहासणा सपरिवारा भाणियब्वा तहेव अट्ठो, गोयमा ! बहुसु खुड्डासु खुड्डियासु बहूई उप्पलाई चंदवराणाभाई चंदा एत्थ देवा महिड्डीया जाव पलिग्रोवमट्टितीया परिवसंति, ते णं तत्थ पत्तेयं पत्तेयं चउराहं सामाणियसाहस्सीणं जाव चंददीवाणं चंदाण य रायहाणीणं अन्नेसिं च बहूणं जोतिसियाणं देवाणं Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 प्रतिपत्तिः 3 / [ 346 देवीण य आहेबच्चं जाव विहरंति, से तेण?णं गोयमा ! चंददीवा जाव णिचा 2 / कहि णं भंते ! जंबुद्दीवगाणं चंदाणं चंदायो नाम रायहाणीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! चंददीवाणं पुरथिमेणं तिरियं जाव अराणमि जंबुद्दीवे 2 बारस जोयणसहस्साई शेगाहित्वा तं चेव पमाणं जाव एमहिड्डीया चंदा देवा 2, 3 / कहि णं भंते ! जंबुद्दीवगाणं सूराणं सूरदीवा णामं दीवा पराणत्ता ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पञ्चत्थिमेणं लवणसमुह बारस जोयणसहस्साई भोगाहित्ता तं चैव उच्चत्तं अायामविक्खंभेणं परिक्खेवो वेदिया. वणसंडा भूमिभागा जाव श्रासयंति जाब विहरंति, पासायवडेंसगाणं तं चैव पमाणं मणिपेढिया सीहासणा सपरिवारा अट्ठो उप्पलाई सूरप्पभाई सूरा एत्थ देवा जाव रायहाणीयो सकाणं दीवाणं पच्चत्थि मेणं श्रगणंमि जंबुद्दीवे दीवे सेसं तं चेव जाव सूरा देवा 4 // सू० 162 // कहि गां भंते ! श्रभितरलावणगाणां चंदाणां चंददीवा णामं दीवा पराणत्ता ?, गोयमा ! जंबूद्दीवे 2 मंदरस्स। पव्वयस्स पुरथिमेगां लवणसमुद्द बारस जोयणसहस्साई श्रोगाहित्ता एत्थ / गां अभितरलावणगाणां चंदा चंददीवा णाम दीवा पराणत्ता, जहा जंबुद्दीवगा चंदा तहा भाणियव्वा णवरि. रायहाणीयो अराणंमि लवणे सेसं तं चे 1 / एवं अभितरलावणगाणं सूराणवि लवणसमुई बारस जोयणमहस्साई तहेव सवं जाव रायहाणीयो 2 / कहि णं भते ! बाहिरलावणगाणं चंदाणं चंददीवा पराणत्ता ?, गोयमा! लवणस्स समुदस्स पुरथिमिल्लायो वेदियंतायो लवणसमुद्द पचत्थिमेणं बारस जोयणसहस्साई श्रोगाहित्ता एत्थ णं बाहिरलावणगाणं चंददीवा नाम दीवा पराणत्ता चायतिसंडदीवंतेणं अद्धकोणणवतिजोयणाई चत्तालीसं च पंचणउतिभागे जोयणस्स ऊसिता जलंतातो लवणसमुद्दतेणं दो कोसे ऊसिता बारस जोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं परमवरवेइया वणसंडा बहुसमरमणिज्जा Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मा सपरिवारा सो समुह विईवस्तागण सूर 350 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः भूमिभागा मणिपेढिया सीहासणा सपरिवारा सो चेव अट्ठो रायहाणीयो सगाण दीवाणं पुरथिमेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे विईवइत्ता अराणमि लवणसमुद्दे तहेव सव्वं 3 / कहि णं भंते ! बाहिरलावणगाणं सूराणं सूरदीवा णामं दीवा पराणत्ता ? गोयमा ! लवणसमुद्दपञ्चत्थिमिल्लातो वेदियंतायो लवणसमुद्दपुरस्थिमेणं बारस जोयणसहस्साई धायतिसंडदीवंतेणं श्रद्ध. कूणणउति जोयणाई चत्तालीसं च पंचनउतिभागे जोयणस्स दो कोसे ऊसिया से तहेब जाव रायहाणीयो सगाणं दीवाणं पञ्चस्थिमेणं तिरियमसंखेज्जे लवणे व बारस जोयणसहस्साई तहेव सव्वं भाणियव्वं 4 / ॥सू०१६३॥ कहि णं भंते ! धायतिसंडदीवगाणं चंदाणं चंददीवा पराणता?, गोयमा ! धायतिसंडस्स दीवस्स पुरथिमिलायो वेदियंतायो कालोयं णं समुद्द बारस. जोयणसहस्साई भोगाहित्ता एत्थ णं धायतिसंडदीवाणं चंदाणं चंददीवा णामं दीवा पराणत्ता, सव्वतो समंता दो कोसा ऊसिता जलंतायो बारस जोयणसहस्साइं तहेव विक्खंभपरिक्खेवो भूमिभागो पासायवडिसया मणिपेढिया सीहासणा सपरिवारा श्रट्ठो तहेव रायहाणीयो, सकाणं दीवाणं पुरस्थिमेणं अगणंमि धायतिसंडे दीवे सेसं तं चेव, एवं सूरदीवावि, नवरं धायइसंडस्स दीवस्स पचत्थिमिल्लातो वेदियंतायो कालोयं णं समुद्द बारस जोयणसहस्साई तहेव सव्वं जाव रायहाणीयो सूराणं दीवाणं पचत्थिमेणं अाणमि धायइसंडे दीवे सव्वं तहेव // सू. 164 // कहि णं भंते ! कालोवगाणं चंदाणं चंददीवा पराणत्ता ?, गोयमा ! कालोयसमुदस्स पुर. च्छिमिल्लायो वेदियंतायो कालोयराणं समुद्द पञ्चत्थिमेण बारस जोयणसहस्साई श्रोगाहित्ता एत्थ णं कालोयगचंदाणं चंददीवा सव्वतो समंता दो कोसा ऊसिता जलंतातो सेसं तहेव जाव रायहाणीयो सगाणं दीवाणं पुरच्छिमेणं अराणमि कालोयगसमुद्दे बारस जोयणसहस्साइं तं चेव सव्वं जाव चंदा देवा 2,1 / एवं सूराणवि, णवरं कालोयगपचंत्थिमिलातो Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] ( 351 वेदियंतातो कालोयसमुद्दपुरच्छिमेणं बारस जोयणसहस्साई श्रोगाहित्ता तहेव रायहाणीयो सगाणं दीवाणं पचत्थिमेणं अराणमि कालोयगसमुद्दे तहेव सव्वं 2 / एवं पुक्खरखरगाणं चंदाणं पुक्खवरस्स दीवस्स- पुरत्थिमिलायो वेदियंतायो पुक्खरसमुद्द बारस, जोयणसहस्साई * योगाहित्ता चंददीवा अराणमि पुक्खरखरे दीवे रायहाणीश्रो तहेव 3 / एवं सूराणवि दीवा पुक्खरवरदीवस्स पञ्चस्थिमिल्लायो वेदियंतायो पुक्खरोदं समुद्द बारस जोयणसहस्साई भोगाहित्ता तहेव सव्वं जाव रायहाणीयो दीविल्गाणं दीवे समुद्दगाणं समुद्दे चेव एगाण अभितरपासे एगाणं बाहिरपासे रायहाणीयो दीविल्लगाणं दीवेसु समुद्दगाणं समुद्दसु सरिणामतेसु 4 // सू० 165 // इमे णामा अणुगंतव्वा, जंबुद्दीवे लवणे धायइ कालोद पुक्खरे वरुणे / खीर घय इक्खु(वरो य)णंदी अरुणवरे कुंडले रुयगे // 1 // श्राभरणवत्थगंधे . उप्पलतिलते य पुढवि णिहिरयणे / वासहरदहनईश्रो विजया वक्खारकप्पिदा // 2 // पुरमंदरमावासा कूडा णक्खत्तवंदसूरा य, एवं भाणियव्वं // सू० 166 // कहि णं भंते ! देवहीवगाणं चंदाणं चंददीवा णामं दीवा पराणत्ता ?, गोयमा ! देवदीवस्स देवोदं समुद वारस जोयणसहस्साई भोगाहित्ता तेणेव कमेण पुरत्थिमिल्लायो वेइयंतागो जाव रायहाणीयो सगाणं दीवाणं पुरस्थिमेणं देवहीवं (देवोदं) समुह असंखेजाइं जोयणसहस्साई भोगाहित्ता एत्थ ण देवदीवयाणं चंदाणं चंदाश्रो णामं रायहाणीयो पराणत्तायो, सेसं तं चेव, देवदीवचंदा दीवा, एवं सूराणवि, णवरं पञ्चत्थिमिल्लायो वेदियंतायो पचत्थिमेणं च भाणितव्वा, तंमि चेव समुद्दे 1 / कहि णं भंते ! देवसमुद्दगाणं चंदाणं चंददीवा णामं दीवा पराणत्ता ?, गोयमा ! देवोदगस्स समुद्दगस्स पुरत्थिमिल्लायो वेदियंताबो देवोदगं समुद्द पचत्थिमेणं बारस जोयणसहस्साई तेणेव कमेणं जाव- रायहाणीयो सगाणं दीवाणं पञ्चत्थिमेणं देवोदगं Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 352 ] श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमों विभागः समुद्द असंखेजाई जोयणसहस्साई योगाहित्ता एत्थ णं देवोदगाणं चंदाणं चंदायो णाम रायहाणीयो पराणत्तायो, तं चेव सव्वं, एवं सूराणवि, गवरि देवोदगस्स पञ्चस्थिमिल्लातो वेतियंतातो देवोदगसमुदं पुरथिमेणं बारस जोयणसहस्माइं श्रोगाहिना रायहाणीयो सगाणं 2. दीवाणं पुरथिमेणं देवोदगं समुह असंखेजाई जोयणसहस्साइं एवं णागे जखे भूतेवि चउराहं दीवसमुद्दाणं 2 / कहि णं भंते ! सयंभूरमणदीवगाणं चंदाणं चंददीवा णामं दीवा पराणता ?, सयंभूरमणम्स दीवस्स पुरथिमिलातो वेतियंतातो सयंभूरमणोदगं समुद्द बारस जोयणसहस्साई तहेव रायहाणीयो सगाणं 2 "दीवाणं पुरथिमेणं सयंभूरमणोदगं समुद्दपुरथिमेणं असंखेजाई जोयणसहस्साइं तं चेव, एवं सूराणवि, सयंभूरमणस्स पञ्चस्थिमिल्लातो वेदियंतायो रायहाणीयो मकाणं 2 दीवाणं पचत्थिमिल्लाणं सयंभूरमणोदं समुह असंखेजाई जोयणमहस्साई सेस तं चेव 3 / कहि णं भंते ! सयं. भूरमणसमुहकाणं चंदाणं चंददीवा णामं दीवा पराणत्ता ?, सयंभूरमणस्स समुदस्स पुरथिमिल्लायो वेतियंतातो सयंभूरमणं समुद्द' पञ्चस्थिमेणं बारस जोयणसहस्साई योगाहित्ता, सेसं तं चे 4 / एवं सूराणवि, सयंभूरमणस्स ‘पञ्चस्थिमिल्लायो सयंभूरमणोदं समुद्द पुरथिमेणं बारस जोयणसहस्साई श्रोगाहित्ता रायहाणायो सगाणं दीवाणं पुरथिमेणं सयंभूरमणं समुह असंखेजाई जोयणसहस्साई श्रोगाहित्ता, एत्थ णं सयंभूरमण जाव सूगदेवा - 5 // सूत्रं 167 / / अस्थि णं भंते ! लवणसमुद्दे वेलंधराति वा णाग राया खन्नाति वा अग्घाति वा सिहाति वा विजाती वा हासवट्टीति ?, हंता अस्थि 1 / जहा णं भंते ! लवणसमुद्दे अस्थि वेलंधराति वा णागराया अग्घा सिंहा विजाती वा हासवट्टीति वा तहा णं बाहिरतेसुवि समुद्देसु अस्थि वेलंधराइ वा गागरायाति वा अग्घाति वा सीहाति वा विजातीति वा हासवट्टीति वा ?, णो तिण? समढे 2 // सूत्रं 168 // Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 353 लवणे णं भंते ! समुद्दे किं ऊसितोदगे कि पत्थडोदगे कि खुभियनले कि श्रखुभियजले ?, गोयमा ! लवणे णं समुद्दे ऊसियोदगे नो पत्थडोदगे खुभियजले नो अवखुभियजले 1 / जहा णं भंते ! लवणे समुद्दे श्रोसितोदगे नो पत्थडोदगे खुभियजले नो अक्खुभियजले तहा णं बाहिरगा समुद्दा कि ऊसियोदगा पत्थडोदगा खुभियजला अक्खुभियजला ?, गोयमा ! बाहिरगा समुद्दा नो उस्सितोदगा पत्थडोदगा नो खुभियजला अक्खुभियजला, पुराणा पुराणप्पमाणावोलट्टमाणावोसट्टमाणा समभरघडताए चिट्ठति 2 / अस्थि णं भंते ! लवणसमुद्दे बहवो अोराला बलाहका संसेयंति संमुच्छंति वा वासं वासंति वा ?, हंता अत्थि 3 / जहा णं भंते ! लवणममुद्दे बहवे अोराला बलाहका संसेयंति संमुच्छति वासं वासंति वा तहा णं बाहिरएसुवि समुद्देसु बहवे अोराला संसेयंति संमुच्छंति वासं वासंति ?, णो तिण8 समढे 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुञ्चति बाहिरगा णं समुद्दा पुराणा पुराणप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडियाए चिट्ठति ?, गोयमा ! बाहिरएसु णं समुद्देसु बहवे उदगजोणिया जीवा य पोग्गला य उदगत्ताए वक्रमति विउकमंति चयंति उवचयंति, से तेण?णं एवं उच्चति-बाहिरगा समुद्दा पुराणा पुराणप्पमाणा जाव समभरघडताए चिट्ठति 5 ॥सू० 161 // लवणे णं भंते ! समुद्दे केवतियं उब्वेहपरिवुडीते परागत्ते ?, गोयमा ! लवणस्स गण समुदस्स उभोपासिं पंचाणउति 2 पदेसे गंता पदेसं उव्वेहपरिवुडीए पगणत्ते, पंचाणउति 2 वालग्गाई गंता वालग्गं उव्वेहपरिवुड्डीए पराणत्ते, पचाणउति 2 लिक्खायो गंता लिक्खा उव्वेहपरिवुड्डीए पराणत्ते, पंचाणउइ जवानो जवमज्झे अंगुलविहत्थि-रयणी-कुच्छी धणु गाउय-जोयण-जोयणसत-जोयणसहस्साई गंता जोयणसहस्सं उब्वेहपरिवुड्डीए 1 / लवणे णं भंते ! समुद्दे केवलियं उस्सेहपरिवुड्डीए पराणत्ते ?, गोयमा ! लवणरस .णं. समुदस्स उभश्रोपासिं Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 354 ). / श्रीमदागमसुधासिन्धु :: पञ्चमो विभागः पंचागउति पदेसे गंता सोलसपएसे ' उस्सेहपरिवुड्डीए पराणत्ते, एएोव कमेणं जाव पंचाणउति 2 जोयणसहस्साई गंता सोलस जोयणसहस्साई उस्सेधपरिवुड्डिए पराणत्ते 2 // सू० 170 // लवणस्स णं भंते ! समुदस्स केमहालए गोतित्थे पराणते ?, गोयमा ! लवणस्स णं समुदस्स उभोपासि पंचाणउति 2 जोयणसहस्साई गोतित्थं पराणत्तं 1 / लवणस्स णं भंते ! समुदस्स केमहालए गोतित्थविरहिते खेत्ते पराणते ?, गोयमा ! लवणस्स णं समुदस्स दस जोयणसहस्साई गोतित्थविरहिते खेत्ते पराणत्ते 2 / लवणस्स णं भंते ! समुदस्स केमहालए उदगमाले पराणते ?, गोयमा ! दस जोयणसहस्साई उदगमाले पराणत्ते 3 // सू० 171 // लवणे णं भंते ! समुद्दे किंसंठिए पराणत्ते ?, गोयमा! गोतित्थसंठिते नावासंगणसंठिते सिप्पिसंपुडसंठिए श्रासखंधसंठिते वलभिसंठिते वट्टे वलयागारसंगणसंठिते पराणत्ते 1 / लवणे णं भंते ! समुद्दे केवतियं चकवालविक्खंभेणं ? केवतियं परिक्खेवणं ? केवतियं उव्वेहेणं ? केवतियं उस्सेहेणां ? केवतियं सव्वग्गेणं पराणत्ते ?, गोयमा ! लवणे णं समुद्दे दो जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं पराणरस जोयणसतसहस्साई एकासीनिं च सहस्साई सतं च इगुयालं किंचिविसेसूणे परिवखेवणं, एगं जोयणसहस्सं उव्वेघेणं सोलस जोयणसहस्साई उस्सेहेणं सत्तरस जोयणसहस्साई सव्वग्गेणं पराणत्तं 2 // सूत्रं 172 // जइ णं भंते ! लवणसमुद्दे दो जोयणसतसहस्साई चकवालविक्खंभेणं पराणरस जोयणसतसहस्साई एकासीतिं च सहस्साई सतं इगुयालं किंचि विसेसूणा परिक्खेवेणं एगं जोयणसहस्सं उव्वहेणं सोलस जोयणसहस्साइं उस्सेघेणं सत्तरस जोयणसहस्साई सव्वग्गेणं पराणत्ते कम्हा णं भंते ! लवणसमुद्दे जंबुद्दीवं 2 नो उवीलेति नो उप्पीलेति नो चेव णं एकोदगं करेति ? गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे भरहेरवएसु वासेसु श्ररहंतचकवट्टिबलदेवा वासुदेवा चारणा विजाघरा समणा समणीयो परिक्खन, गोयमा जायणमतमाग जायण Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवामिगम-सूत्रम् :: अ० 1 प्रतिपत्तिः 3 ] [355 मावया सावियानो मणुया पगतिभद्दया पगतिविणीया पगतिउवसंता पगतिपयणु-कोहमाण-मायालोमा मिउमद्दवसंपन्ना अल्लीणा भद्दगा विणीता, तेसि णं पणिहाते लवणे समुद्दे जंबुद्दीवं दीवं नो उवीलेति नो उप्पीलेति नो चेव णं एगोदगं करेति, गंगा-सिंधु-रत्तारत्तवईसु सलिलासु देवया महिड्डियागो जाव पलिश्रोवमट्टितीया परिवसंति, तेसि णं पणिहाए लवणसमुद्दे जाव नो चेव णं एगोदगं करेति, चुल्लहिमवंतसिहरेसु वासहरपव्वतेसु देवा महिड्डिया जाव पलिग्रोवमट्टितीया परिखसंति, तेसि णं पणिहाए लवणसमुद्दे जाव नो चेव णं एगोदगं करेति, हेमवतेरराणवतेसु वासेसु मणुया पगतिभदगा जाब विणीता, तेसि णं जाव एगोदगं करेति, रोहितंस-सुवरणकूलारूप्पकूलासु सलिलासु देवयानो महिड्डियायो तासि पणिहाते जाव एगोदगं करेति, सद्दावाति-वियडावाति-वट्टवेयड्डषव्वतेसु देवा महिडिया जाव पलिश्रोवद्वितीया परिवसंति, महाहिमवंतरप्पिसु वासहरपवतेसु देवा महिड्डिया जाव पलिग्रोवमट्टितीया, हरिवास-रम्मयवासेसु मणुया पगतिभद्दगा गंधावाति-मालवंतपरिताएसु वट्टवेयड्डपव्वतेसु देवा महिड्डिया जाव पलिग्रोवमद्वितीया परिवसंति तेसि णं जाव एगोदगं करेति, णिसढनीलवंतेसु वासधरपव्वतेसु देवा महिडिया जाव पलिग्रोवमट्टितीया परिवसंति तेसि णं जाव एगोदगं करेति, सव्वायो दहदेवयाश्रो भाणियव्या, पउमदह-तिगिच्छि-केसरिदहावसाणेसु देवा महिड्डियागो जाव पलियोवमट्टितीया परिवसंति तासि पणिहाए जाव एगोदगं करेति, पुव्वविदेहावरविदेहेसु वासेसु. अरहंत-चकवट्टि-बलदेव-वासुदेवा चारणा विजाहरा समणा समणीयो सावगा सावियायो मणुया पतिभइया जाव विणीता, तेसिं पणिहाए लवणसमुद्दे जाव एगोदगं करेति, सीया. सीतोदगासु सलिलासु देवता.महिड्डिया जाव पलिग्रोवमट्टितीया परिवसंति तेसिणं जावं एगोदगं करेति, देवकुरुउत्तरकुरुसु मणुया पगतिभदगा Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 156 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः जाव विणीता जाव करेति, मंदरे पन्वते देवता महिड्डिया जाव पलिश्रोवमट्टितीया परिवसंति तेसि णं जाव एगोदगं करेति, जंबूए य सुदंसणाए जंबूदीवाहिवती अणाढिए णामं देवे महिड्डीए जाव पलिश्रोवमठितीए परिवसति तस्स पणिहाए लवणसमुहे नो उवीलेति नो उप्पीलेति नो चेव णं एकोदगं करेति, अदुत्तरं च णं गोयमा ! लोगट्टिती लोगाणुभावे जराणां लवणसमुद्दे जंबुद्दीवं दीवं नो उवीलेति नो उप्पीलेति नो चेव णमेगोदगं करेति // सू० 173 // लवणसमुदं धायइमंडे नाम दीवे व? वलयागारसंगणसंठिते सव्वतो समंता संपरिक्खिवित्ता णं चिट्ठांति, धायतिसंडे णं भंते ! दीवे किं समचकवालसंठिते विसमचकवालसंठिते ?; गोयमा ! समचकवालसंठिते नो विसमचकवालसंठिते 1 / धायइसंड़े णं भंते ! दीवे केवतियं चकवालविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवण पराणत्ते?, गोयमा ! चत्तारि जोयणसतसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं एगयालीसं जोयणसतसहस्साई दसजोयणसहस्साई णवएगटे जोयणसते किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं पण्णत्ते 2 / से णं एगाए पउमवरवेदियार एगेणं वणसंडेणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते दोराहवि वराणो दीवसमिया परिक्खेवेणं 3 / धायइसंडस्स णं भंते ! दीवस्स कति दारा पराणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि दारा पराणत्ता, विजए वेजयंते जयंते अपरा. जिए 4 / कहि णं भंते.! धायइसंडस्स दीवस्स विजए णामं दारे पराणत्ते?, गोयमा ! धायइसंडपुरस्थिमपेरते कालोयममुद्दपुरथिमद्धस्स पञ्चस्थिमेणं सीयाए महाणदीए उप्पिं एत्य णं धायइसंडस्स दीवस्स विजए णामं दारे पण्णत्ते तं चेत्र पमाणं, रायहाणीयो अराणंमि धायइसंडे . दीवे, दीवस्स वत्तव्बया भाणियव्वा, एवं चत्तारिवि दारा भाणियव्वा 5 / धायसंडस्स णं भंते ! दीवस्स दारस्स य 2 एस णं केवइयं अबाहाए अंतरे पराणते ?, गोयमा ! दस जोयणसयसहस्साई सत्तावीसं च जोयणसहस्साई सत्तपणतीसे जोयणसए तिन्नि य कोसे दारस्स य 2 अबाहाए अंतरे पराणत्ते 6 / धायइ Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-स्त्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] / 37 संडस्स णं भंते ! दीवस्स पदेसा कालोयगं समुद्दपुट्टा?, हंता पुट्ठा 7 / ते णं भंते ! किं धायइसंडे दीवे कालोए समुद्दे ?, गोयमा ! ते खलु धायइसंडे नो खलु ते कालोयसमुद्दे एवं कालोयम्सवि 8 धायइसंडहीवे जीवा उद्दाइत्ता 2 कालोए समुद्दे पञ्चायति ?, गोयमा ! अत्यंगतिया पञ्चायति अत्थेगतिया नो पञ्चायति 1 / एवं कालोएवि प्रत्येगतिया पञ्चायति अत्येगतिया णो पञ्चायति 10 / सेकेण?णं. भंते ! एवं वुच्चति-धायइसंडे दीवे 2 ?, गोयमा ! धायइसंडे णं दीवे तस्य तत्थ देसे तहिं 2 पएसे धायइरुक्खा धायइवराणां धायइसेंडा णिच्चं कुसुमिया जाव उवसोभेमाणा 2 चिट्ठति, धायइ-महाधायइरुक्खेसु सुदंसणपियदंसणा दुवे देवा महिटिया जाव पलिश्रोवमट्टितीया परिवसंति से एएणोणं जाव धायइसंडे दीवे 2, अदुत्तरं च णं गोयमा ! जाव णिच्चे 11 | धायइसंडे णं भंते ! दीवे कति चंदा पभासिंसु वा 3 ? कति सूरिया तविंसु वा 3? कइ महग्गहा चार चरिंसु वा 3 ? कइ णक्खत्ता जोगं जोइंसु वा 3 ? कइ तारागणकोडाकोडीयो सोभेसु वा 31, गोयमा ! बारस चंदा पभासिंसु वा 3, एवं-चउवीसं ससिरविणो णक्खत्त सता य तिनि छत्तीसा / एगं च गहसहस्सं छप्पन्नं धायईसंडे // 1 // अट्ठव सयसहस्सा तिरािण सहस्साई सत्त य सयाई / धायइसंडे दीवे तारागण कोडाकोडीणं // 2 // सोमेंसु वा 3, 12 ॥सू० 174 // धायइसंडं णं दीवं कालोदे णाम समुद्दे व वलयागार-संठाणसंठिते सव्वतो समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्ठइ, कालोदे णं समुद्दे कि समचकवाल-संठाणसंठिते विसमचकवालसंठाणसंठिते ?, गोयमा! समचकवालसंठाणसंठिते णो विसमचकवालसंठाणसंठिते 1 / कालोदे णं भंते ! समुद्दे केवतियं चकवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं पराणते ?, गोयमा ! अट्ठ जोयणसयसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं एकाणउति जोयणसयसहस्साई सत्तरि सहस्साई छच्च पंचुत्तरे जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणां पराणत्ते 2 / सेणं एगाए पउम Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 358 / / श्रीमदागमसुधासिन्धु * पश्चमो विभागः वरवेदियाए एगेणं वणसंडेगां दोराहवि वराणो 3 / कालोयस्स णं भंते ! समुदस्स कति दारा पराणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि दारा पराणत्ता, तंजहाविजए वेजयंते जयंते अपराजिए 4 / कहि णं भंते ! कालोदस्स समुदस्स विजए णामं दारे पराणत्ते ?, गोयमा ! कालोदे समुद्दे पुरथिमपेरते पुक्खर. वरदीव-पुरस्थिमद्भस्स पचत्थिमेणं सीतोदाए महाणदीए उप्पि एत्थणं कालोदस्स समुदस्स विजये णामं -दारे पराणत्ते, अट्ठव जोयणाइं तं चेव पमाणां जाव रायहाणीयो 5 / कहि णं भंते ! कालोयस्स समुद्दस्त वेजयंते णाम दारे पगणत्ते ?, गोयमा ! कालोयसमुदस्स दक्षिणपेरंते पुक्खरवरदीवस्स दक्खिणद्धस्स उत्तरेणं एत्थ.णं कालोयसमुदस्स वेजयंते नामं दारे पन्नत्ते 6 / कहि णं भंते ! कालोयसमुदस्स जयंते नामं दारे पन्नत्ते ?, गोयमा ! कालोयसमुदस्स पञ्चस्थिमपेरंते पुक्खरखरदीवस्स पञ्चस्थिमद्धस्स पुरस्थिमेणं सीताए महाणदीए उप्पिं जयंते नामं दारे पराणत्ते 7 / कहि णं भंते ! अपराजिए नामं दारे पराणत्ने ?, गोयमा ! कालोयसमुदस्स उत्तरद्धपरंते पुक्खरवर-दीवोत्तरद्धस्स दाहिणयो एत्थ णं कालोयसमुहस्स अपराजिए णामं दारे पन्नत्ते, सेसं तं चेय 8 / कालोयस्स णं भंते ! समुदस्स दारस्स य 2 एस णं केवतियं 2 अबाहाए अंतरे पराणते ?, गोयमा !-बावीस सयसहस्सा बाणउति खखु भवे सहस्साई / छच्च सया बायाला दारंतर तिन्नि कोसा य // 1 // दारस्स य 2 श्रावाहाए अंतरे पराणत्ते 1 / कालोदस्स णं भंते ! समुदस्स पएसा पुक्खरखरदीवस्त. दीवस्स तहेव, एवं पुक्खरखरदीवस्सवि जीवा उदाइत्ता 2 तहेव भाणियव्वं 10 / से केण?णं भंते ! एवं वुञ्चति कालोए समुद्दे 2 ?, गोयमा ! कालोयस्स णं समुदस्स उदके ग्रासले मासले पेसले कालए मासरासिवराणाभे पगतीए उदगरसेणं पराणत्ते, कालमहाकाला एत्थ दुवे देवा महिड्डीया जाव पलियोवमट्टितीया परिवसंति, से तेण?णं गोयमा ! जाव णिच्चे 12 / कालोए णं भंते ! समुद्दे कति चंदा Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 प्रतिपत्तिः 3 / [ 356 पभासिसु वा 3 ? पुच्छा, गोयमा ! कालोए णं समुद्दे बायालीस चंदा पभासेंसु वा ३-बायालीसं चंदा बायालीसं च दिणयरा दित्ता / कालोदधिम्मि एते चरंति संबद्धलेसागा // 1 // णक्खत्ताण सहस्सं एगं बावत्तरं च सतमराणं / छच सता छण्णउया महागहा तिगिण य सहस्सा // 2 // अट्ठावीसं कालोदहिम्मि बारस य सयसहस्साइं / नव य सया पन्नासा तारागणकोडिकोडीणं // 3 // सोमेंसु वा 3, 13 // सू० 175 // कालोयं णं समुद्द पुक्खरवरे णामं दीवे पट्टे वलयागार-संगणसंठिते सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते णं चिट्टइ, तहेव जाव सम-चकवाल-संगणसंठिते नो विसम-चकवाल-संठाणसंठिए 1 / पुक्खरखरे णं भते ! दीवे केवतियं चकवालविखंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पराणते ?, गोयमा ! सोलस जोयणसतसहस्साई चकवालविक्खंभेणं-'एगा जोयणकोडी बाणउतिं खलु भवे. सयसहस्सा / अउणाणउतिं अट्ठ सया चउगाउया य [परिरो] पुक्खरवरस्स // 1 // से णं एमाए पउमवरवेदियाए एगेण य वणसंडेण संपरिक्खित्ते, दोराहवि वरागायो 2 / पुवखरवरस्स णं भंते ! कति दारा पराणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि दारा पराणत्ता, तंजहा-विजए वेजयंते जयंते अपराजिते 3 / कहिणं भंते ! पुक्खरखरस्स दीवरस विजए णामं दारे. पराणत्ते ?, गोयमा ! पुक्खरखर-दीव-पुरच्छिमपेरंते पुक्खरोद-समुद्दपुरच्छि-. मद्धस्स पत्थिमेणं एत्थ णं पुक्खरखरदीवस्स विजए णामं दारे पराणत्ते तं चेव सवं, एवं चत्तारिवि दारा, सीयासीोदा णत्थि भाणितव्वाश्रो 4 / पुक्खरवरस्स णं भंते ! दीवस्स दारस्स य 2 एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पराणत्ते ?, गोयमा !-'अडयाल सयसहस्सा बावीसं खलु भवे सहस्साई। अगुणुनरा य चउरो दारंतर पुक्खरवरस्स // 1 // पदेसा दोराहवि पुट्ठा, जीवा दोसु भाणियब्वा 5 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चति पुक्खरवरदीवे 2 ?, गोयमा ! पुक्खरखरे णं दीवे तत्थ 2 देसे तहिं 2 . Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 360 / / ओमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभाग. बहवे पउमरुक्खा पउमवणसंडा णिच्चं कुसुमिता जाव चिट्ठति, पउममहापउमरुक्खे एस्थ ण परमपुंडरीया णामं दुवे देवा महिड्डिया जाव पलिश्रो. वमट्टितीया परिवसंति, से तेणटेणं गोयमा ! एवं बुच्चति पुरखरखरदीवे 2 जाव निच्चे 6 / पुक्खरवरे णं भंते ! दीवे केवइया चंदा पभासिंसु वा 3 ?, एवं पुच्छा,-चोयालं चंदसयं चउयालं चे सूरियाण सयं / पुक्खरवरदीवंमि चरंति एते पभासेंता // 1 // चत्तारि सहस्साई बत्तीसं चैव होति णवत्ता / छच्च सया बावत्तर महग्गहा बारह सहस्सा // 2 // छराणउइ सयसहस्सा चत्तालीसं भवे सहस्साई / चत्तारि सया पुक्खर (वर) तारागणकोड.' कोडीणं // 3 // सोभेसु वा 3,7 / पुक्खरखरदीवस्स णं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं माणुसुत्तरे नाम पव्वते पराणत्ते वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते जे णं पुक्खरखरं दीवं दुहा विभयमाणे 2 चिट्ठति, तंजहा-अभितरपुक्खरद्धं च बाहिरपुक्खरद्धं च 8 / अभितरपुक्खरद्धे णं भंते ! केवतियं चक्कवालेणं परिक्वेवेणं पराणते ?, गोयमा! अट्ट जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं-कोडी बायालीसा तीसं दोगिण य सया अगुणवराणा / पुक्खरअद्धपरिरयो एवं च मणुस्सखेत्तस्स // 1 // से केण?णं भंते ! एवं वुञ्चति अभितरपुक्खरद्धे य 21, गोयमा ! अभितरपुक्खरद्धेणं माणुसु. त्तरेणं पब्बतेणं सब्बतो समंता संपरिक्खित्ते, से एएण?णं गोयमा ! अभितरपुक्खरद्धे य 2, अदुत्तरं च णं जाव णिच्चे हैं / अम्भितरपुवखरद्धे णं भंते ! केवतिया चंदा पभासिसु वा 3 सा चेव पुच्छा जाव तारागणकोड. कोडीयो ?, गोयमा !बावत्तरिं च चंदा बावत्तरिमेव दिणकरा दित्ता। पुक्खरवरदीवड्ढे चरंति एते पभासेंता // 1 // तिनि सया छत्तीसा छच्च सहस्सा महग्गहाणं तु / णक्खत्ताणं तु भवे सोलाइ दुवे सहस्साई // 2 // अडयाल सयसहस्सा बावीसं खलु भवे सहस्साई। दोन्नि सया. पुवखरद्धे तारागणकोडिकोडीणं // 3 // सोभेसु वा 3, 10 // सू० 176 // Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 361 श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] समयखेत्ते णं भंते ! केवतियं पायामविक्खंभेणं कवतियं परिक्खेवेणं पराणत्ते ?, गोयमा ! पणयालीसं जोयणसय सहस्साई अायामविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी जाव अभितर-पुक्खरद्धपरिरथो से भाणियव्वो जाव अउणपराणे 1 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चति माणुसखेत्ते 2 ?, गोयमा ! माणुसखेत्ते णं तिविधा मणुस्सा परिवसंति, तंजहा-कम्मभूमगा अकम्मभूमगा अंतरदीवगा, से तेण?णं गोयमा ! एवं उच्चति-माणुसखेते माणुसखेत्ते 2 / माणुसखेत्ते णं भंते ! कति चंदा पभामेंसु वा 3 ?, कइ सूरा तवइंसु वा 3.?, गोयमा !-बत्तीसं चंदसयं बत्तीसं चेव सूरियाण सयं / सयलं मणुम्सलोयं चरेंति एते पभासेता // 1 // एकारस य सहस्सा छप्पि य सोला महग्गहाणं तु / छच्च सया छाणउया खत्ता तिरिण य सहस्सा // 2 // अडमीइ सयसहस्सा चत्तालीस सहस्स मणुयलोगंमि / सत्त य सता अण्णा तारागणकोडकोडीणं // 3 ॥सोमं सोभेसु वा 3, 3 / एसो तारापिंडो सव्वसमासेण मणुयलोगंमि / बहिया पुण ताराश्रो जिणेहिं भणिया असंखेजा // 1 // एवइयं तारग्गं जं भणियं माणुसंमि लोगंमि / चारं कलंबुया-पुष्फसंठियं जोइसं चरइ // 2 // रविससिगहनक्खत्ता एवइया ग्राहिया मणुयलोए / जेसि नामागोयं न पागया पनवेहिति // 3 // छावट्ठी पिडगाइं चंदाइचा मणुयलोगंमि / दो चंदा दो सूरा य होंति एक्केक्कए पिडए // 4 // छावट्ठीपिडगाइं नक्खत्ताणं तु मणुयलोगंमि / छप्पन्न नक्खत्ता य होंति एक्केकए पिडए // 5 // छावट्ठी पिडगाई महागहाणं तु मणुयलोगंमि / छावत्तरं गहसयं च होइ एक्केकए पिडए // 6 // चत्तारि य पंतीयो चंदाइचाण मणुयलोगंमि / छावट्ठिय छावट्ठि य होइ य एक्केकया पंती॥ 7 // छप्पन्नं पंतीयो नक्खत्ताणं तु मणुयलोगंमि / छावट्ठी छावट्ठी हवइ य एक्केकया पंती.॥८॥ छावत्तरं गहाणं पंतिसयं होइ मणुयलोगंमि / छावट्ठी छावट्ठीय होति एक्केकिया पंती // 1 // ते मेरु 46 Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 362) [ श्रीमंदागमसुधासिन्धुः :: पश्चमो विभागः परियडन्ता पयाहिणावत्तमंडला सवे / अणवट्ठियजोगेहिं चंदा सूरा गहगणा य // 10 // नक्खत्ततारगाणं अवट्ठिया मंडला मुणेयव्वा / तेऽवि य पयाहिणावत्तमेव मेरुं अणुचरंति // 11 // रयणियर-दिणयराणं उ8 व अहे व संकमो नत्थि / मंडलसंकमणं पुण अभितरबाहिरं तिरिए // 12 // रयणियरदिणयराणं नक्खत्ताणं. महग्गहाणं च / चारविसेसेण भवे सुहदुक्खविही मणुस्साणं // 13 // तेसिं पविसंताणं तावक्खेत्तं तु वढए नियमा। तेणेव कमेण पुणो परिहायइ निक्खमंताणं // 14 // तेसिं कलंबुयापुष्फसंठिया होइ तावखेत्तपहा। अंती य संकुया बाहि वित्थडा चंदसूरगणा // 15 // केणं वट्ठति चंदो परिहाणी कगण होइ चंदस्स / कालो वा जोराहो वा केणऽणुभावेण चंदस्स ? // 16 // किराहं राहुविमाणं निव्वं चंदेण होइ अविरहियं / चउरंगुलमप्पत्तं हिट्ठा चंदस्स तं चरइ // 17 // बावढि बावडिं दिवसे दिवसे उ सुकपक्खस्स / जं परिवड्डइ चंदो खवेइ तं व कालेणं // 18 // पन्नरसइभागेण य चंदं पन्नरसमेव तं वरइ। पन्नरसइभागेण य पुणोवि तं चेव तिकमई // 11 // एवं वड्डइ चंदो परिहाणी एवं होइ चंदस्स / कालो वा जोगहा वा तेणणुभावेण चंदस्स // 20 // अंतो मणुस्सखेत्ते हवंति चारोवगा य उववरणा.। पंचविहा जोइसिया चंदा सूरा गहगणा य // 21 // तेण परं जे सेसा चंदाइच-गह-तारनक्खत्ता / नत्थि गई नवि चारो अवट्ठिया ते मुणेयव्वा / / 22 // दो चंदा इह दीवे चत्तारि य सागरे लवणतोए / धायइसंडे दीवे बारस चंदा य सूरा य // 23 // दो दो जंबद्दीवे ससिसूरा दुगुणिया भवे लवणे (एवं जंबुद्दीवे दुगुणा लवणं चउग्गुणा होति) / लावणिगा य तिगुणिया ससिसूरा धायईसंडे // 24 ॥धायइसंडप्पभिई उहिट्ठतिगुणिया भवे चंदा। श्राइलचंदसहिया श्रणंतराणंतरे खेते // 25 // रिक्खग्गह-तारग्गं दीवसमुद्दे जहिच्छसे नाउं / तस्स ससीहिं गुणियं रिक्खुम्गह-तारगाणं तु // 26 // चंदातो Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / अ० 1 प्रतिपत्तिः 3 ] [.363 सूरस्स य सूरा चंदस्स अंतरं होइ। पन्नास सहस्साइं तु जोयणाणं श्रणूणाई // 27 // सूरस्स य सूरस्स य ससिणो ससिणो या अंतरं होइ / बहियारो मणुस्सनगस्स जोयणाणं सयसहस्सं // 28 // सूरंतरिया चंदा चंदंतरिया य दिणयरा दित्ता। चित्तंतरलेसागा सुहलेसा मंदलेसा य // 21 // अट्ठासीइंच गहा अट्ठावीसं च होंति नक्खत्ता। एगससीपरिवारो एत्तो ताराण वोच्छामि // 30 // छावट्ठिसहस्साई नव चेव सयाई पंचसयराई / एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीणं // 31 // बहियारो माणुसनगस्स * चंदसूराणऽवट्ठिया जोगा (तेया) / चंदा अभीइजुत्ता सूरा पुण होति पुस्सेहिं // 32 // 3 // सू० 177 // माणुसुत्तरे णं भंते ! पवते केवतियं उड्ड उच्चत्तेगां ? केवतियं उब्वेहेगां ? केवतियं मूले विवखंभेणं ? केवतियं मज्भे विवखंभेगां ? केवतियं सिहरे विखंभेणं ? केवतियं अंतो गिरिपरिरएगा ? केवतियं बाहिं गिरिपरिरएगां ? केवतियं मज्झे गिरिपरिरएगां? केवतियं उवरि गिरिपरिरएगां ?, गोयमा ! माणुसुत्तरे णं पवते सत्तरस एकवीसाइं जोयणसयाई उड्डे उच्चत्तेगां चत्तारि तीसे जोयणसए कोसं च उव्वेहेणां मूले दसबावीसे जोयणसते विक्खंभेगां मज्झे सत्ततेवीसे जोयणसते विक्खंभेगां उवरि चत्तारिचउवीसे जोयणसते विक्खंभेणं अंतो गिरिपरिरएगां-एगा जोयणकोडी. बायालीसं च सयसहस्साइं 1 / तीसं च सहस्साई दोगिण य श्रउणापरणे जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, बाहिरगिरिपरिरएगां एगा जोयणकोडी बायालीसं च सतसहस्साइं छत्तीसं च सहस्साई सत्तचोदसोत्तरे जोयणसते परिक्खेवेगां, मज्झे गिरिपरिरएगां एगा जोयणकोडी बायालीसं च सतसहस्साई चोत्तीसं च सहस्सा अट्टतेवीसे जोयणसते परिक्खेवेगां, उवरि गिरिपरिरएगां एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साई बत्तीसं च सहस्साई नव य बत्तीसे जोयणसते परिक्खेवेगां, मूले विच्छिन्ने मज्झे Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 364 ) [ श्रीमदगमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विमागा संखित्ते उप्पिं तणुए अंतो सरहे मज्झे उदग्गे चाहिं दरिसणिज्जे ईसिं सगिणसरणे सीहणिसाई अवद्ध-जवरासि-संठाणसंठिते सव्वजंबूणयामए अच्छे सरहे जार पडिरूवे, उभयोपासिं दोहिं पउमवरवेदियाहिं दोहिं य वणसंडेहिं सवतो समंता संपरिखित्ते वराणो दोराहवि 2 / से केण?णं भंते ! एवं वुचति-माणुसुत्तरे पवते 2?, गोयमा ! माणुसुत्तरस्स णं पवतस्स अंतो मणुया उप्पिं सुवराणा बाहिं देवा अदुत्तरं च णं गोयमा ! माणुसुत्तरपव्वतं मणुयाण कयाइ वितिवइंसु वा वीतिवयंति वा वीतिवइस्संति वा णरणत्थ चारणेहिं वा विजाहरेहिं वा देवकम्मुणा वावि, से तेण?णं, गोयमा ! एवं वुच्चति माणुसुत्तरे पव्वते 2, अदुत्तरं च णं जाव णिच्चेत्ति 3 / जावं च णं माणुसुत्तरे पवते तावं च णं अस्सिलोए त्ति पवुञ्चति, जावं च णं वासातिं वा वासधरातिं वा तावं च णं अस्सि लोएत्ति पवुचति, जावं च णं गेहाइ वा गेहावयणाति वा तावं च णं अस्सि लोएत्ति पवुञ्चत्ति, जावं च णं गामाति वा जाव रायहाणीति वा तावं च णं अस्सिलोएत्ति पचत्ति, जावं च णं अरहंता चक्कट्टि बलदेवा वासुदेवा पडिवासुदेवा चारणा विजाहरा समणा समणीयो सावया सावियाथो मणुया पगतिभद्दगा विणीता तावं च णं अस्सि लोएत्ति पवुञ्चति, जावं च णं समयाति वा श्रावलियाति वा प्राणापाणूइति वा थोवाइ वा लवाइ वा मुहुत्ताइ वा दिवसाति वा अहोरत्ताति वा पवखाति वा मासाति वा उति वा अयणाति वा संवच्छराति वा जुगाति वा वाससताति वा वाससह. स्साति वा वाससयसहस्साइ वा पुव्वंगाति वा पुव्वाति वा तुडियंगाति वा 4 / एवं पुव्वे तुडिए अडडे अववे हुहुए उप्पले पउमे णलिणे अच्छिणिउरे श्रउते णउते मरते चूलिया सीसपहेलिया जाव य सीसपहेलियंगेति वा सीसपहेलियाति वा पलिश्रोवमेति वा सागरोवमेति वा उवसप्पिणीति वा श्रोसप्पिणीति का तावं च णं अस्सि लोगे वुच्चति 5 / जावं च णं बादरे Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवीजीवाभिगम-सूत्रम् / अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / [ 365 विज्जुकारे बायरे थणियसबे तावं च णं अस्सि लोगे वुच्चति, जावं च णं बहवे अोराला बलाहका संसेयंति संमुच्छंति वासं वासंति तावं च णं असि लोए, जावं च णं बायरे तेउकाए तावं च णं अस्सि लोए, जावं च णं श्रागराति वा नदीउ(खणी)इ वा णिहीति वा तावं च णं अस्सिलोगित्ति पवुञ्चति, जावं च णं अगडाति वा णदीति वा तावं च णं अस्सि लोए जावं च णं चंदोवरागाति वा सूरोवरागाति वा चंदपरिएसाति वा सूरपरिएसाति वा पडिचंदाति वा पडिसूराति वा इंदधणूइ वा उदगमच्छेइ वा कपिहसिताणि वा तावं च णं अमिलोगेति पवुञ्चति 6 / जावं च णं चंदिम-सूरियगह-णक्खत्त-तारारूवाणं अभिगमण-निग्गमण-बुड्डिणिवुड्डि-श्रणवट्टियसंठाणसंठिती बाघविजति तावं च णं अस्सि लोएत्ति पवुञ्चति ॥सू० 178 // अंतो णं भंते ! मणुस्सखेत्तस्स जे चंदिम-सूरिय-गहगण-णखत्ततारारूवा ते णं भदंत ! देवा कि उड्डोववणगा कप्पोववरणगा विमाणोववरणगा चारोववरणगा चारद्वितीया गतिरतिया गतिसमावराणगा ?, गोयमा ! ते णं देवा णो अड्डोववरणगा णो कप्पोववरणगा विमाणोववरणगा चारोववरणगा नो चारद्वितीया गतिरतिया गतिसमावराणगा उडमुह-कलंबुध-पुप्फ-संठाणसंठितेहिं जोयणसाहस्सितेहिं तावखेत्तेहिं साहस्सियाहिं बाहिरियाहिं वेउब्वियाहिं परिसाहिं महयाहय-नट्ट-गीत-वादिततंतीतल-ताल--तुडिय-घणा--मुइंग-पडुप्पवादितरवेणं दिव्वाई भोगभोगाई भुजमाणा महया उकिट्टि-सीहणाय-बोल- कलकलसद्दे ण विपुलाई भोगभोगाइं भुजमाण अच्छयपव्वयरायं पदाहिणावत्तमंडलयारं मेलं अणुपरियडंति 1 / तेसि णं भंते ! देवाणं इंदे चवति से कहमिदाणिं पकरेंति ?, गोयमा ! ताहे चत्तारि पंच सामाणिया तं ठाणं उपसंपजित्ताणं विहरंति जाव तत्थ अन्ने इंदे उववराणे भवति 2 / इंदट्ठाणे णं भंते ! केवतियं कालं विरहिते उववातेणं ?, गोयमा! जहराणेणं एक्कं समयं Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 366 // ___ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभाग उक्कोसेणं छम्मामा 3 / बहिया णं भंते ! मणुस्सखेत्तस्स जे चंदिमसूरियगहणक्खत्तताराख्वा ते णं भंते ! देवा कि उड्डोववरणगा कप्पोववराणगा विमाणोववरणगा चारोववरणगा चारद्वितीया गतिरतिया गतिसमावरणगा?, गोयमा ! ते णं देवा णो उड्ढोववरणगा नो कप्पोववरणगा विमाणोववनगा नो चारोववराणगा चारद्वितीया नो गतिरतिया नो गतिसमावराणगा पकिट्टग-संगणसंठितेहिं जोयणसतसाहस्सिएहिं तावक्खेत्तेहिं साहस्सियाहि य बाहिराहिं वेउब्वियाहि परिसाहिं महताहत-गट्ट-गीय-वाइयरवेणं दिव्वाई भोगभोगाइं मुंजमाणा सुहलेस्सा सीयलेस्सा मंदलेस्सा मंदायवलेस्सा चित्तंतरलेसागा कूडा इव ठाणहिता अराणोरणसमोगाढाहि लेसाहि ते पदेसे सव्वतो समंता श्रोभासेंति उज्जोवेंति तवंति पभासेंति 4 / जया णं भंते ! तेसि देवाणं इंदे चयति से कहमिदाणिं पकरेंति?, गोयमा ! जाव चत्तारि पंच सामाणिया तं ठाणं उपसंपजित्ताणं विहरंति जाव तत्थ अराणे उववरण भवति 5 / इंदट्ठाणे णं भंते ! केवतियं कालं विरहयो उववातेणं ?, गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं छम्मासा 6 // सू० 171 // पुक्खरवरगणं दीवं पुक्खरोदे णाम समुद्दे वट्ट वलयागारसंठाणसंठिते जाव संपरिक्खिवित्ताणं चिट्ठति 1 / पुक्खरोदे णं भंते ! समुद्दे केवतियं चकवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं पराणत्ते ?, गोयमा ! संखेजाइं जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं संखेजाई जोयणसयसहस्साई परिक्खेवेणं पराणत्ते 2 / पुक्खरोदस्स णं समुदस्स कति दारा पराणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि दारा पराणत्ता तहेव सव्वं पुक्खरोद-समुद्द-पुरस्थिमपेरंते वरुणवर-दीव-पुरस्थिमद्धस्स पचत्थिमेणं एत्थ णं पुक्खरोदस्स विजए नामं दारे पराणत्ते, एवं सेसाणवि 3 / दारंतरंमि संखेजाइं जोयणसयसहस्साई अबाहाए अंतरे पराणत्ते, पदेसा जीवा य तहेव 3 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चति ?पुक्खरोदे समुद्दे 2 ?, गोयमा ! पुक्खरोदस्स णं समुदस्स उदगे अच्छे पत्थे Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-स्त्रम् / अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 367 जच्चे तणुए फलिहवराणाभे पगतीए उदगरसेणं सिरिधरसिरिप्पभा य दो देवा जाव महिड्डीया जाव पलिग्रोवमट्टितीया परिवसंति, से एतेण?णं जाव णिच्चे 4 / पुक्खरोदे णं भंते ! समुद्दे केवतिया चंदा पभासिंसु वा -3 ?, संखेजा चंदा पभासेंसु वा 3 जाव तारागण कोडीकोडीउ सोभेसु वा 3, 5 / पुक्खरोदे णं समुद्दे वरुणवरेणं दीवेणं संपरिक्खित्ते वट्टे वलयागारे जाव चिट्ठति, तहेव समचक्वालसंठिते केवतियं चकवालविक्खं. भेणं ? केवइयं परिक्खेवेणं पराणत्ता ? गोयमा ! संखिजाइं जोयणसयसहस्माइं चकवालविक्खंभेणं संखेजाइं जोयणसतसहस्साई परिक्खेवेणं पराणत्ते, पउमवर-वेदिया-वणसंडवराणश्रो दारंतरं पदेसा जीवा तहेव सव्वं 6 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ वरुणवरे दीवे 21, गोयमा ! वरुणवरे णं दीवे तत्थ 2 देसे 2 तहिं 2 बहुश्रो खुड्डा खुड्डियाओं जाव बिलपंतियात्रो अच्छायो पत्तेयं 2 पउमवरवेड्या-परिक्खित्ताश्रो वणसंडवराणश्रो वारुणिवरोदग-पडिहत्थानो पासातीतायो 4, तासु णं खुड्डाखुड्डियासु जाव बिलपंतियासु बहवे उप्पायपव्वता जाव खडहडगा सव्वफलिहामया अच्छा तहेव वरुणवरणप्पभा य एत्थ दो देवा महिड्डीया परिवसंति, से तेण?णं जाव णिच्चे 7 / जोतिसं सव्वं संखेजगेणं जाव तारागणकोडिकोडीयो 8 / वरुणवरगणं दीवं वरुणोदे णामं समुद्दे वट्टे वलयागारे जाव चिट्ठति, समचकवालविक्खंभेणं विसमचकवालविक्खंभेणं, तहेव सव्वं भाणियव्वं, विक्खंभपरिक्खेवो संखिजाई जोयणसहस्साई दारंतरं च पउमवरवेदियापरिक्खित्ते वणसंडे पएसा जीवा अट्ठो, गोयमा ! वारुणोदस्स णं समुदस्स उदए से जहा नामए चंदप्पभाइ वा मणिसिलागाइ वा वरसीधु-वरवारुणीइ वा पत्तासवेइ वा पुप्फासवेइ वा चोयासवेइ वा फलासवेइ वा महुमेरएइ वा जातिप्पसन्नाइ वा खज्जूरसारेइ वा मुद्दियासारेइ वा कापिसायणाइ वा सुपक्कखोयरसेइ वा पभूतसंभारसंचिता पोसमास-सतभिसंय-जोगवत्तिता निस्व Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 368 ] : / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः हत-विसिट्ठ-दिन्नकालोवयारा सुधोता उक्कोसग (मयपत्ता) अपिट्टपुट्ठा (पिट्ठ निट्ठिजा) मुखइंत-वरकिमदिराणकदमा कोपसन्ना अच्छा वरवारुणी अतिरसा जंबूफलपुवन्ना सुजाता ईसिउट्ठावलंबिणी अहियमधुरपेजा ईसासिरत्तणेत्ता कोमल-कबोलकरणी जाव प्रासादिता विसदिता अणिहुय-मलाव-करणहरिसपीतिजणणी संतोस-तत-बिबोक-हावविन्भम-विलास-वेल्लहलगमणकरणी विरणमधियसत्तजणणी य होति संगाम-देस-कालेकय-रणसमरपसरकरणी कढियाण-विज्जुपयतिहिययाण मउयकरणी य होति उववेसिता समाणा गति खलावेति य सयलंमिवि सुभासवुप्पालिया समरभग्ग-वणोसहयारसुरभिरसीविया सुगंधा पासायणिज्जा विस्सायणिज्जा पीणणिज्जा दप्पणिजा मयणिजा सबिंदिय-गातपल्हायणिजा श्रासला मांसला पेसला (ईसी श्रोट्ठावलंबिणी ईसी तंबच्छिकरणी ईसी वोच्छेया कडुश्रा) वराणेणं उववेया गंधेणं उववेया रसेणं उववेया फासेणं उववेया, भवे एयाख्वे सिया ?, गोयमा ! नो इण8 सम8, वारुणस्स णं समुद्दस्स उदए एत्तो इट्टतरे जाव उदए, से एएण?णं एवं वुच्चति वरुणवरे दीवे 2, तत्थ णं वारुणिवारुणकंता देवा महिड्डीयां जाव पलिश्रोवमट्टितीया परिवसंति. से एएणटेणं जाव णिच्चे सव्वं जोइससंखिज्जे केण नायव्वं वारुणवरे णं दीवे कइ चंदा पभासिंसु वा 31, 1 // सू० 180 // वारुणवरगणं समुद्द खीरवरे णामं दीवे वट्टे जाव चिट्ठति सव्वं संखेजगं विक्खंभे य परिक्खेवो य. जाव अट्ठो, बहूयो खुड्डाखुड्डियायो वावींथो जाव सरसरपंतियाओ खीरोदगपडि. हत्थानो पासातीयायो 4, तासु णं खुड्डियासु जाव बिलपंतियासु बहवे उप्पायपव्वयगा निययपव्वयगा जगतीपव्वयगा दारुपव्वयगा मंडवगा दगमंडवगा दकमालगा दगपासाया उसडगा खडखडगा अंदोलगा पक्खंदोलगा सव्वरयणामया. जाव पडिरूवा, पुंडरीगपुक्खरदंता एत्थ दो देवा महिड्डीया जाव पखिसंति, से एतेणट्रेणं जाव निच्चे जोतिसं सव्वं संखेज्ज Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपरि) : . [ 369 1 / खीरखरगणं दीवं खीरोए नामं समुद्दे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते जाव परिक्खिवित्ता णं चिट्ठति, समकवालसंठिते नो विसमचकवालसंठिते, संखेजाई जोयणमहस्साई विक्खंभपरिक्खेवो तहेव. सव्वं जाव अट्ठो, गोयमा ! खीरोयस्स णं समुदस्स उदगं से जहाणामए-सुउसुहीमारुपरांणअज्जुण-तरुण-सरसपत्त-कोमल-अस्थिग्गत्तणग्ग-पोंडग-वरुच्छुचारिणीणं लवंगपत्त-पुष्फ पल्लव-ककोलग-सफल-रुक्ख-बहुगुच्छ--गुम्मकलित-मलट्ठिमधुपयुर--- पिप्पलीफलित-बल्लिवरविवरचारिणीणं अप्पोदग-पीत-सइरस-समभूमिभागणिभयसुहोसियाणं सुप्पेसित-सुहातरोग-परिवजिताण णिरुवहतसरीरिणं . कालप्पसविणीणं बितिय-ततिय-सामप्पसूताणं अंजण-वर-गवल-वलय-जलधर-जच्चंजण-रिट्ठ-भमर--पभूयसमप्पभाणं कुडदोहणाणं वद्धत्थीपत्थुताण रूढाणं मधुमासकाले संगहनेहो अजचातुरक्केव होज तासिं खीरे मधुररस-विवगच्छ-बहुदवसंपउत्ते पत्तेयं मंदग्गिसुकड्डिते थाउत्ते खंडगुड-मच्छडितोववेते रराणो चाउरंतचक्वट्टिस्स उवट्ठविते श्रासायणिज्जे विस्सायणिज्जे पीणणिज्जे जाव सबिदिय-गात-पल्हातणिज्जे जाव वराणेणं उवविते जाव फासेणं, भवे एयारूवे सिया ?, णो इण? सम8, खीरोदस्स णं से उदए एत्तो इट्ठयराए चेव जाव श्रासाएणं पराणत्ते, विमलविमलप्पभा य एत्थ दो देवा महिड्डीया जाव परिवसंति, से तेण?णं संखेज चंदा जाव तारा कोडाकोडीयो 2 // सू० 181 // खीरोदरणं समुह घयवरे णामं दीवे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते जाव परिचिट्ठति समचकवालसंठाणसंठिते नो विसमचकवाल-संठाणसंठिते संखेजविक्खंभपरिक्खेवो पदेसा जाव अट्ठो, गोयमा ! घयवरे णं दीवे तत्थ 2 बहवे खुड्डाखुड्डीयो वावीश्रो जाव घयोदगपडिहत्थायो उप्पायपव्वगा जाव सव्वकंचणमया श्रच्छा जाव पडिरूवा, कणयकणयप्पभा एत्थ दो देवा महिड्डीया चंदा संखेजा 1 / घयवरराणं दीवं च घतोदे गाम समुद्दे कट्टे वलयागारसंगणसंठिते जाव 47 Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 370 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धु :: पञ्चमो विभागः चिटुति, समचक्वालसंठाणसंठिया तहेव दारपदेसा जीवा य अट्ठो, गोयमा ! घयोदगस्स णं समुदस्स उदए से जहानामए पप्फुल्ल-सल्लइ-विमुक्कल-करिणयार. सरसवसुविबुद्ध-कोरेंटदामपिंडिततरस्स निद्ध-गुण-तेय दीविय-निरुवहय-विसिट्ठसुदरतरस्स सुजाय-दहिमहिय-तदिवस-गहिय-नवणीय-पडवणाविथ मुकड्डियउद्दावसजवीसंदियस्स अहियं पीवर-सुरहिगंध-मणहर-महुर-परिणाम-दरिसणिजस्स पत्थनिम्मल-सुहोवभोगस्स सरयकालंमि होज गांधतवरस्स मंडए, भवे एतारूवे सिया ?, णो तिण? सम?, गोयमा ! घतोदस्स णं समुदस्स एत्तो इट्टतर जाव अस्साएणं पराणत्ता, कंतसुकंता एत्थ दो देवा महिड्डीया जाव परिवसंति सेसं तं चेव जाव तारागणकोडाकोडीयो 2 / घतोदराणं समुद्द खोदवरे णामं दीवे व वलयागारे जाव चिट्ठति तहेव जाव अट्ठो, खोतवरे णं दीवे तत्थ 2 देसे 2 तहिं 2 खुड्डावावीयो जाव खोदोदगपडिहत्यायो उप्पातपव्वयता सव्ववेरुलियामया जाव पडिरूवा, सुप्पभमहप्पभा य एत्थ दो देवा महिड्डीया जाव परिवति, से एतेणं सव्वं जोतिसं तं चेव जाव तारागणकोडाकाडीयो 3 / खोयवरराणं दीवं खोदोदे नाम समुद्दे वट्ट वलयागारसंठाणसंठिए जाव संखेजाई जोयणसतपरिक्खेवेणं जाव अट्ठ, गोयमा ! खोदोदस्स णं समुदस्स उदए से जहानामए-यासल-मांसल-पसत्थ-वीसंत-निद्ध-सुकुमाल भूमिभागे सुच्छिन्ने सुकट्ट लठ्ठ-विसिट्ठ-निरुवहयाजीय-वावीतसुकासज-पयत्त-निउण-परिकम्म--अणुपालिय-सुबुट्टिनुड्डाणं सुजाताणं लवण-तण-दोसजियाणं णयाय-परिवटियाणं निम्मात-सुदराणं रसेणं परिणय--मउपीण-पोरभंगुर-सुजाय-मधुररस-पुप्फविरिइयाणं उबद्दव-विवजियाणं सीयपरिफासियाणं अभिणवतवग्गाणं अपालिताणं तिभायणिच्छोडियवाडिगाणं अवणितमूलाणं गंठिपरिसोहिताणं कुसलणरकप्पियाण उव्वणं जाव पोंडियाणं बलवग-णर-जत्तंत-परिगालितमेत्ताणं खोयरसे होजा वत्थपरिपूए चाउज्जातगसुवासिते अहियपत्थलहुके Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 371 वराणोववेते तहेव, भवे एयारूवे सिया ?, णो तिण? सम8, खोयरसस्स णं समुद्दस्स उदए एत्तो इट्टतरए चेव जाव ग्रासाएगां पन्नत्ते पुराणपुराणप्पभा (पुराणभद्दमाणिभदा) य (पुराणपुराणभद्दा) इत्थ दुवे देवा जाव परिवसंति, सेसं तहेव जोइसं संखेज्जं चंदा जाव ताराकोडाकोडीयो 4 ॥सू० 182 // खोदोदराणं समुह गंदीसरवरे णामं दीवे वट्टो वलयागारसंठिते तहेव जाव परिक्खेवो 1 / पउमवरवेदिया वणसंडपरिवखेवो दारा दारंतरप्पदेसे जीवा तहेव 2 / से केण?णं भंते !, गोयमा ! देसे 2 बहुश्रो खुड्डाखुड्डियात्रो वावीथो जाव बिलपंतियायो खोदोदगपडिहत्यागो उप्पायपव्वगा सबवइरामया. अंच्छा जाव पडिरूवा 3 / अदुत्तरं च णं गोयमा ! णंदिसरदीव-चकवाल-विक्खंभ-बहुमज्भदेसभागे. एस्थ णं चउद्दिसिं चत्तारि अंजणपब्बतां पराणत्ता, ते णं अंजणपव्वयगा चतुरंसीति-जोयण-सहस्साई उड्ड उच्चत्तेणं एगमेगं जोयणसहस्सं उब्वेहेणं मूले साइरेगाई दस जोयण- . सहस्साई धरणियले दस जोयणसहस्साइं पायामविक्खंभेणं ततोऽणांतरं च णं माताए 2 पदेसपरिहाणीए परिहायमाणा 2 उवरि एगमेगं जोयणसहस्सं अायामविक्खंभेणं मूले एकतीसं जोयणसहस्साई छच्च तेवीसे जोयणसते किंचिविसेसाहिया परिक्खेवेणं धरणियले एकतीसं जोयणसहस्साई छच्च तेवीसे जोयणसते देसूणे परिक्खेवेणं : सिहरतले तिरिण जोयणसहस्साई एकं च बावट्ठ जोयणसतं किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं पराणत्ता मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता. उप्पिं तणुया गोपुच्छसंगणसंठिता सव्वंजणामया अच्छा जाव पत्तेयं 2 पउमवरवेदियापरिक्खित्ता पत्तेयं 2 वणसंडपरिक्खित्ता वगणो 4 / तेसि णं अंजणपव्वयाणं उवरि पत्तेयं 2 बहुसमरमणिजो भूमिभागो पराणत्तो, से जहाणामए-श्रालिंगपुवखरेति वा जाव सयंति 5 / तेसि णं बहुसमरमणिजाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं 2 सिद्धायतणा एकमेकं ज़ोयणसतं थायामेणं.. पराणासं जोयणाई Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 372 ] [ श्रीमदागमसुघासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः विक्खंभेणं बावत्तरि जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं अणेगखंभसतसनिविट्ठा वराणो 6 / तेसि णं सिद्धायतणाणं पत्तेयं 2 चउदिसि चत्तारि दारा पराणत्ता, तंजहा-देवदारे असुरदारे णागदारे सुवराणदारे, तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्डीया जाव पलिश्रोवद्वितीया परिवसंति, तंजहा-देवे असुरे णागे सुव्वणे, ते णं दारा सोलस जोयणाई उ8 उच्चत्तेणं अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं तावतियं चेव पवेसेणं सेया वरकणगथूभियागा जाव सस्सिरीयरूवा वन्नयो जाव वणमाला 7 / तेसि णं दाराणां चउद्दिसिं चत्तारि मुहमंडवा पराणत्ता, ते णं मुहमंडवा एगमेगं जोयणसतं थायामेणं पंचास जोयणाई विक्खंभेणं साइरेगाणं सोलस जोयणाई उढ उच्चत्तेणं वराणश्रो 8 / तेसि णं मुहमंडवाणं चउदि(तिदि)सिं चत्तारि (तिरिण) दारा पराणत्ता, ते गां दारा सोलस जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं अट्ट जोयणाई विक्खंभेणं तावतियं चेव पवेसेणं सेसं तं चेव जाव वणमालायो 1 / एवं पेच्छाघरमंडवावि, तं चेव पमाणं जं मुहमंडवाणं दारावि तहेव, णवरि बहुमज्झदेसे पेच्छाघरमंडवाणं अक्खाडगा मणिपेढियायो श्रद्धजोयणप्पमाणाश्रो सीहासंणा अपरिवारा जाव दामा थूभाई चउदिसि तहेव णवरि सोलसजोयणप्पमाणा. साविरेगाई सोलस जोयणाई उच्चा सेसं तहेव जाव जिणपडिमा 10 / चेइयरुक्खा तहेव चउदिसि त चेव पमाणं जहा विजयाए. रायहाणीए गवरि मणिपेढियाए सोलसजोयणप्पमाणात्रो, तेसि णं चेइयरुक्खाणं उदिसि चत्तारि मणिपेढियायो अट्ठजोयणविक्खंभाश्रो चउजोयणबाहलायो महिंदज्मया चउसट्टिजोयणुचा जोयणोव्वेधा जोयणविक्खंभा सेसं तं चेव 11 / एवं चउद्दिसि चत्तारि णंदापुक्खरिणीश्रो, णवरि सोयरसपडिपुराणायो जोयणसतं श्राया. मेणं पन्नासं जोयणाई विक्खंभेणं परणासं जोयणाई उव्वेधेणं सेसं तं चेव, मणुगुलियाणं, गोमाणसीण य अडयालीसं.२ सहस्साई पुरच्छिमेणवि Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् : अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / / 373 सोलस पचत्थिमेणवि सोलस दाहिणेणवि श्रट्ट उत्तरेणवि अट्ट साहस्सीयो तहेव सेसं उल्लोया भूमिभागा जाव बहुमज्झदेसभागे, मणिपेढिया सोलस जोयणा अायामविक्खंभेणं अट्ट जोयणाई बाहल्लेणं तारिसं मणिपीढियाणं उप्पिं देवच्छंदगा सोलस जोयणाई आयामविक्खंभेणं सातिरेगाई सोलस जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं सव्वरयण्मयं अट्ठसयं जिणपडिमाणं सवो सो चेव गमो जहेव वेमाणियसिद्धायतणस्स 12 / तत्थ णं जे से पुरच्छिमिल्ले अंजणपवते तस्स णं चउदिसिं चत्तारि णंदाश्रो पुक्खरिणीयो पराणत्तायो, तंजहा-णंदुत्तरा य णंदा पाणंदा णंदिवद्धणा 13 / ( नंदिसेणा अमोघा य गोथूभा य सुदंसणा ) तायो णंदापुक्खरिणीयो एगमेगं जोयणसतसहस्सं यायामविक्खंभेणं दस जोयणाई उव्वेहेणं अच्छायो सराहायो पत्तेयं पत्तेयं पउमवरवेदियापरिक्खित्ता पत्तेयं पत्तेयं वणसंडपरिक्खिता तत्थ तत्थ जाव सोवाणपडिरूवगा तोरणा 14 / तासि णं पुक्खरिणीणं बहुमज्झदेसभाए (तासि णं पुक्खरिणीणं चउदिसिं चत्तारि वणसंडा पराणत्ता, तंजहापुरच्छिमेणं दाहिणेणं पञ्चत्थिमेगां उत्तरेणं,-पुव्वेण असोगवणं दाहिणतो होइ चंपगवणंतु (सत्तपराणवणं) / अवरेण चंपगवणं चूयवणं उत्तरे पासे // 1 // तासिणं पुक्खरिणीणं पत्तेयं पत्तेयं चउदिसिं चत्तारि वणसंडा पराणत्ता, तंजहा--पुरच्छिमेगां दाहिणेगां अवरेगां उत्तरेगां-पुव्वेगां असोगवां जाव चूयवां उत्तरे पासे / / 2 / / ) तासि गां बहुमझदेसभाए पत्तेयं पत्तेयं दहिमुहपञ्बया पराणत्ता, ते णं दहिमुहपव्वया चउसटि जोयणसहस्साई उड्ढ उच्चत्तेणं एगं जोयणसहस्सं उव्वेहेणं सव्वस्थसमा पल्गसंगणसंठिता दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं एकतीसं जोयणसहस्साई छच्च तेवीसे जोयणसए परिक्खेवेणं पराणत्ता सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तहा पत्तेयं पत्तेयं पउमवरवेइयापरिक्खित्ता वणसंडवराणयो जाव श्रासयति सयंति जाव विहरंति 15 / सिद्धायतणं तं चेव पमाणं अंजणपव्वएसु सच्चेव वत्तव्वया णिरवसेसा Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 37.1 ] . .. [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: पञ्चमो विभाग भाणियबा जाव उप्पिं अट्ठमंगलगा 16 / तत्थ णं जे से दक्खिगिल्ले. अंजणगपव्वते तस्स णं चउदिसिं चत्तारि णंदाश्रो पुक्खरिणीयो पराणतायो, तंजहा-भदा य विसाला य कुमुया पुंडरिगिणी, (नंदुत्तरा ये नंदा श्रानंदा नंदिवड्डणा ) तं चेव पमाणं तं चेव दहिमुहा पव्वया तं चेव पमाणं जाव सिद्धायतणा 17 / तत्थ णं जे से पञ्चथिमिल्ले अंजणगपव्वए तस्स णं चउदिसिं चत्तारि गंदा पुषखरिणीयो पराणत्तायो, तजहा-पंदिसेणा अमोहा य, गोत्थूमा य सुदंसणा, ( भद्दा विसाला कुमुदा पुंडरिक्रिमी) तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाब सिद्धायतणा 18 / तत्थ णं जे से उत्तरिल्ले अंजणगपवते तस्स णं चउद्दिसिं चत्तारि णंदापुक्खरिणीयो पन्नत्तानो, तंजहा-विजया वेजयंती जयंती अपराजिया, सेसं तहेव जावं सिद्धायतणा सबा ते चिय बराणणा णातव्वा 11 / तत्थ णं बहघे भवणवावाणमंतरजोतिसियवेमाणिया देवा चाउमासियापडिवएसु संवच्छरिपसु वा अराणेसु बहसु जिण जम्मण-णिक्खमण-णाणुप्पत्ति-परिणिव्वाणमादिएसु य देवकज्जेसु य देवसमुदएसु य देवसमितीसु य देवसमवाएसु य देवपोयणेसु य एगंतयो सहिता समुवागता समाणा समुदितपक्कीलिया अट्टाहिवारूवाश्रो महामहिमायो करेमाणा पालेमाणा सुहंसुहेणं विहरंति 20 / कइलासहरिवाहणा य तत्थ दुवे देवा महिड्डीया जाव पलियोवमट्टितीया परिवसंति से एतेणढणं गोयमा! जाव णिचा जोतिसं संखेज्ज 21 ॥सू०१८॥ णंदिस्सरवरगणं दीवं णंदीसरोदे णामं समुद्दे व वलयागारसंठाणसंठिते जाव सव्वं तहेव अट्ठो जो खोदोदगस्स जाव सुमणसोमणसभदा पथ दो देवा महिड्डीया जाव परिवसंति सेसं तहेब जाव तारग्गं / सू० 184 // णंदीसरोदं समुद्द अरुणे णामं दीवे वट्ट वलयागार जाव संपरिक्खित्ता णं चिट्ठति 1 / अरुणे णं भंते !.दीवे किं समचकवालसंठिते विसमचकवालमंठिए ? गोयमा ! समचकवालसंठिते नो विसमचकवालसंठिते; केवतियं Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् में अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 375 चकवालविखंभेणं संठिते ?, संखेन्जाई जोयणसयसहस्साई चकवालविखंभेणं संखेजाई जोयणसयसहस्साई परिक्खेवेणं पराणत्ते, पउमवरवणसंडदारा दारंतरा य तहेव संखेजाई जोयणसतसहस्साई दारंतर जाव अट्ठो, वावीयो खोतोदगपडिहत्थायो उप्पातपव्वयका सव्ववइरामया अच्छा जाव पडिरूवा, असोग वीतसोगा य एत्थ दुवे देवा महिड्डीया जाव परिखसंति से तेण?णं जाव संखेज्जं सव्वं 2 / अरुणराणं दीवं अरुणोदे णामं समुद्दे तस्सवि तहेव परिक्खेवो अट्ठो खोतोदगे णवरि सुभद्द सुमणभद्दा एत्थ दो देवा महिड्डीया सेसं तहेव 3 / अरुणोदगं समुद्द अरुणवरे णामं दीवे व? वलयागारसंगणसंठिते तहेव संखेजगं सव्वं जाव अट्ठो खोयोदगपडिहत्थाश्रो उप्पायपव्वतया सव्ववइरामया अच्छा जाव पडिरूवा, अरुणवरभद्द-अरुणवरमहाभदा य एत्थ दो देवा महिड्डीया जाव परिवसंति सेसं तहेव 4 / एवं अरुणवरोदेवि समुद्दे जाव देवा अरुणवरअरुणमहावरा य एत्थ दो देवा सेसं तहेव 5 / अरुणवरोदण्णं समुद्द अरुणवरावभासे णाम दीवे वट्टे जाव देवा अरुणवरावभासभदारुणवरावभासमहाभद्दा य एत्थ दो देवा महिट्ठीया जाव परिवसंति सेसं तहेव 6 / एवं अरुणवरावभासे समुद्दे णवरि देवा अरुणवरावभासवरारुणवरावभासमहावरा य एत्थ दो देवा महिहीया जाव परिवसंति सेसं तहेव 7 / कुडले दीवे कुडलभद्दकुडलमहाभदाय दो देवा महिड्डीया जाव परिवसंति सेसं तहेव, कुडलोदे समुद्दे चक्खुसुभचक्खुकंता एत्थ दो देवा महिड्डीया जाव परिवसंति सेसं तहेव 8 |कुडलवरे दीवे कुंडलवरभद्द-कुंडलवरमहाभदा य एत्थ दो देवा महिड्डीया जाव परिखसंति सेसं तहेव 1 / कुंडलवरोदे समुद्दे कुंडलवरवर-कुडलवरमहावराय पत्थ दो देवा महिड्डीया जाव परिवसंति सेसं तहेव 10 / कुंडलवरावभासे दीवे कुंडलवरावभासभद्द-कुंडलवरावभासमहाभदा य एत्थ दो देवा महिड्डीया जाव परिवसंति सेसं तहेव 11 / कुडलवरोभासोदे समुद्दे कुंडलवरोभासावरकुंडलवरोभास Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 376 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः महावरा य एत्थ दो देवा. महिड्डीया जाव. पलिग्रोवमंद्वितीया परिवसंति 12 / कुंडलवरोभासं णं समुद्द रुचगे णामं दीवे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते . जाव चिट्ठति, किं समचकवालसंगणसंठिते विसमचक. संठाणसंठिते ? गोयमा ! समचकवालसंठाणसंठिते नो विसमचकवालवालसंठाणसंठिते, केवतियं चकवालविवखंभेणं पराणत्ते?, सव्वट्ठ मणोरमा य एत्थ दो देवा सेसं तहेव 13 / रुयगोदे नाम संमुद्दे जहा खोदोदे समुद्दे संखेजाइं जोयणसतसहस्साई चकवालविक्खंभेणं संखेजाई जोयणसतसहस्साई परिक्खेवेणं दारा दारंतरंपि संखेजाई जोतिसंपि सव्वं संखेज्जं भाणियव्वं, अट्ठोवि जहेव खोदोदस्स नवरि सुमणसोमणसा य एत्थ दो देवा महिड्डीया तहेव रुयगाश्रो थाढत्तं असंखेज्ज विक्खंभा परिक्खेवो दारा दारंतरं च जोइसं च सव्वं असंखेज्ज भाणियत्वं 14 / स्यगोदरणं समुद्दस्यगवरे णं दीवे वट्ट रुयगवरभद्द-रुयगवरमहाभद्दा य एत्थ दो देवा स्यगवरोदे रुयगवरवर-रुयगवरमहावरा य एत्थ दो देवा महिड्डीया जाव परिवसंति सेसं तहेव 15 / रुयगवरावभासे दीवे रुयगवरावभासभद्द-रुयगवरावभासमहाभदा य एत्थ दो देवा महिड्डीया जाव परिवसंति सेसं तहेव 16 / रुयगवरावभासे समुद्दे रुयगवरावभासवर-रुयगवरावभासमहावरा य एत्थ दो देवा महिडीया नाव परिवसंति सेसं तहेव जाव (जंबद्दीवे लवणे धायइ कालोय पुवखरे वरुणे। खीर घर-खोय-नंदी अरुणवरे कुंडले ख्यगे॥१॥) 17 / हारदीवे हारभदहारमहाभद्दा एत्थ जाव परिवसंति सेसं तहेव 18 / हारसमुद्दे हारवरहारवरमहावरा एत्थं दो देवा महिड्डीया जाव परिवसंति सेसं तहेव 11 ।हारवरोदे दीवे हारवरभदहारवरमहाभद्दा एत्थ दो देवा महिड्डीया जाव परिवसंति सेसं तहेव 20 / हारवरोए समुद्दे हारवरहारवरमहावस एत्थ जाव परिवसंति सेसं तहेव 21 / हारवरावभासे दीवे हारवरावभासभद-हारवरावभासमहाभदा एस्थ जाव परिवसंति सेसं तहेव 2.2 / हारवरावभासोए समुद्दे हारवरावभासंवर-हार Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-मूत्रम् :: अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 377 वरावभासमहावरा य एत्थ जाव परिवसंति सेसं तहेव 23 / एवं सब्वेवि तिपडोयारा तव्वा जाव सूरवरोभासोए समुद्दे, दीवेसु भहनामा वरनामा होंति उदसीसु जाव पच्छिमभावं व खोतवरादीसु सयंभूरमणपज्जतेसु वावीत्रों खोयोदगपडिहस्थाश्रो प्रध्वयका य सव्ववइरामया 24 / देवदीवे दीवे दो देवा महिड्डीया जाव परिवसंति सेसं तहेव 25 / देवभहदेवमहाभद्दा एत्थ जाव परिवसंति सेसं तहेव 26 / देवोदे समुद्दे देववरदेवमहावरा एत्थ जाव परिवसंति सेसं तहेव जाव सयंभूरमणे दीवे सयंभूरमगाभद-सयंभूरमणमहाभद्दा एत्थ दो देवा महिड्डीया जाव परिवसंति सेसं तहेव 27 / सयंभुरमणगणं दीवं सयंभुरमणोदे नामं समुद्दे वट्टे वलयागारसंगणसंठित्ते जाव असंखेन्जाई जोयणसतसहस्साई परिक्खेवेणं जाव अट्ठो, गोयमा ! सयंभुरमणोदए उदए अच्छे पत्थे जच्चे तणुए फलिहवराणाभे पगतीए उदगरसेणं पण्णत्ते, सयंभुरमणवर-सयंभुरमणमहावरा य इत्थ दो देवा महिड्डीया जाव परिवसंति, सेसं तहेव जाव असंखेज्जायो तारागणकोडिकोडीयो सोभेसु वा 3, (देवे नागे जक्खे भूए य सयंभूरमणे अ एक्के भाणियन्वो) (देवादयोऽन्त्या एकोकारा) (देवे नागे जक्खे भूए य सयंभूरमणे एतेन्तिमा पञ्च एक्केका पडिपत्तव्वा ) 28 // सू. 185 // केवइया णं भंते ! जंबुद्दीवा दीवा णामधेज्जेहिं पराणत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा जंबुद्दीवा 2 नामधेज्जेहिं पराणत्ता, केवतिया णं भंते ! लवणसमुद्दा 2 पराणत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा लवणसमुद्दा नामधेज्जेहिं पराणत्ता, एवं धायतिसंडावि, एवं जाव असंखेजा सूरदीवा नामधेज्जेहि य 1 / एगे देवे दीवे पराणत्ते एगे देवोदे समुद्दे पराणत्ते, एवं णागे जक्खे भूते जाव एगे सयंभूरमणे दीवे एगे सयंभूरमणसमुद्दे णामधेज्जेणं पण्णत्ते 2 // सू० 186 // लवणस्स णं भंते ! समुदस्स उदए केरिसए. अस्साएणं पराणत्ते ?, गोयमा ! लवणस्स उदए श्राइले रइले लिंदे लवणे कडुए अपेज्जे बहूणं दुपय-चउप्पय-मिग Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 378 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः पसु पक्खिसरिसवाणं णरणत्य तज्जोणियाणं सत्ताणं 1 / कालोयस णं भंते ! समुदस्स उदए केरिसए अस्साएणं पराणत्ते ?, गोयमा ! श्रासले पेसले मांसले कालए मासरासिवराणामे पगतीए उदगरसेणं पराणते 2 / पुक्खरोदगस्स णं भंते ! समुदस्स उदए केरिसए पराणत्ते ?, गोयमा ! अच्छे जच्चे तणुए फालियवराणाभे पगतीए उदगरसेणं पराणत्ते 3 / वरुणोदस्स णं भंते ! समुदस्स उदए केरिसए पराणते ? गोयमा ! से जहा णामएपत्तासवेति वा चोयासवेति वा खज्जुरसारेति वा सुपिकखोतरसेति वा मेरएति वा काविसायणेति वा चंदप्पभाति वा मणसिलाति वा वरमीधूति वा पवरवारुणी वा अट्ठपिट्ठपरिणिहिताति वा जंबुफलकालिया वरप्पसराणा उकोसमदप्पत्ता ईसिउट्ठावलंबिणी ईसितंबच्छिकरणी ईसिवोच्छेयकरणी श्रासला मांसला पेसला वराणेणं उववेत्ता जाव णो तिण? समढे, वारुणोदए इत्तो इट्ठतरए चेव जाव अस्साएणं पन्नत्ते 4 / खीरोदस्स णं भंते! उदए केरिसए अस्साएणं पराणते ?, गोयमा ! से जहा णामए-रन्नो चाउरंतचकवट्टिस्स चाउरक्के गोखीरे पजत्ति-मंदग्गिसुकड़िते थाउत्तर-खंड-मच्छंडितोववेते वराणेणं उववेते जाव फासेण उववेए, भवे एयारूवे सिया ?, णो तिणढे सम?, गोयमा ! खीरोयगस्स समुदस्स एत्तो इ8 जाव अस्साएणं पराणत्ते 5 / घतोदस्स णं से जहा णामए सारतिकस्स गोघयवरस्स मंडे सल्लइ-करिणयार. पुप्फवराणाभे सुकड्डित-उदार-सज्झवीसंदिते वराणेणं उववेते जाव फासेण य उववेए, भवे एयारूवे सिया ?, णो तिण? समठे, इत्तो इट्टयरे खोदोदस्स से जहा णामए उच्छृण जचपुडकाण हरियालपिंडराणं भेरुडछणाण वा कालपोराणं तिभाग-निव्वाडिय-वाडगाणं बलवग-गुरजंत-परिगालियमित्ताणं जे य रसे होजा वत्थपरिपूए चाउज्जातगसुवासिते अहियपत्थे लहुए वराणेणं उववेए जाव भवेयारूवे सिया ?, नो तिण? सम8, एत्तो इट्ठयराए, एवं सेटगागवि समुदाणं भेदो जाव सयंभूरमणस्स, णंवरि अच्छे Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / / अ०. 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / [ 379 जच्चे पत्थे जहा पुक्खरोदस्स 6 / कति णं भंते ! समुद्दा पत्तेगरसा पराणता ?, गोयमा ! चत्तारि समुद्दा पत्तेगरसा पराणत्ता, तंजहा-लवणे वरुणोदे खीरोदे घयोदे 7 / कति णं भंते ! समुद्दा पगतीए उदगरसे णं पराणत्ता ?, गोयमा ! तयो समुद्दा पगतीए उदगरसेणं पराणत्ता, तंजहाकालोए पुक्खरोए सयंभुरमणे, अवसेसा समुद्दा उस्सरणं खोतरसा पन्नत्ता समणाउसो!, 8 // सू० 187 // कति णं भंते ! समुद्दा बहुमच्छ-कच्छभाइराणा पराणत्ता ?, गोयमा ! तथो, समुद्दा बहुमच्छ-कच्छभाइराणा पराणत्ता, तंजहा-लवणे कालोए सयंभूरमणे, अवसेसा समुद्दा अप्पमच्छकच्छभाइराणा पराणत्ता समणाउसो ! 1 / लवणे णं भंते ! समुद्दे कति मच्छजाति-कुलकोडि-जोणीपमुहसयसहस्सा पराणत्ता ?, गोयमा ! सत्त मच्छजाति-कुलकोडी-जोणीपमुह-सतसहस्सा पराणत्ता 2 / कालोए णं भंते ! समुद्दे कति मच्छजाति-कुलकोडी-जोणीपमुह-सतसहस्सा पराणत्ता ?, गोयमा ! नव मच्छजाति-कुलकोडी-जोणीपमुह-सतसहस्सा पन्नत्ता 3 / सयंभूरमणे णं भंते ! समुद्दे कति मच्छजाति-कुलकोडि-जोणीपमुह-सतसहस्सा पराणत्ता ?, गोयमा! अद्धतेरस मच्छजाति-कुलकोडी-जोणीपमुह-सतसहस्सा पराणत्ता 4 / लवणे णं भंते समुद्दे मच्छाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पराणत्ता ?,गोयमा! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोसेणं पंचजोयणसयाई 5 / एवं कालोए उकोसेणं सत्त जोयणसताई 6 / सयंभूरमणे, जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोसेणं दस जोयणसताई 7 // सू० 188 // केवतिया णं भवे ! दीवसमुद्दा नामज्जेहिं पराणत्ता ?, गोयमा ! जावतिया लोगे सुभा णामा सुभा वराणा जॉव सुभा फासा एवतिया दीवसमुद्दा नामधेज्जेहिं पराणत्ता 1 / केवतिया णं भंते ! दीवसमुद्दा उद्धारसमएणं पराणत्ता ?, गोयमा ! जावतिया अड्डाइजाणं. सागरोवमाणं उद्धारसमया एवतिया दीवसमुद्दा उद्धारसमएणं पन्नत्ता 2 // सू० 186 // दीवसमुद्दा Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 380 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विमागा णं भंते ! किं पुढविपरिणामा अाउपरिणामा जीवपरिणामा पुग्गलपरिणामा ?, गोयमा ! पुढविपरिणामावि ग्राउपरिणामावि जीवपरिणामावि पुग्गलपरिणामावि 1 / दीवसमुद्देसु णं भंते ! सव्वपाणा सबभूया सव्वजीवा सव्वसत्ता पुढविकाइयत्ताए जाव तसकाइयत्ताए उववराणपुव्वा ?, हंता ! गोयमा ! असति अदुवा अणंतखुत्तो 2 // सू० 110 // इति दीवसमुद्दा समत्ता॥ __कतिविहे णं भंते इंदियविसए पोग्गलपरिणामे पराणत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे इंदियविसए पोग्गलपरिणामे पराणत्ते, तंजहा-सोतिदियविसए जाव फासिदियविसए 1 / सोतेंदियविसए णं भंते ! पोग्गलपरिणामे कतिविहे पराणत्ते ?. गोयमा ! दुविहे पराणत्ते, तंजहा-सुब्भिसद्दपरिणामे य दुभिसद्दपरिणामे य, एवं चक्खिदियविसयादिएहिवि सुरूवपरिणामे य दुरूवपरिणामे य 2 / एवं सुन्भिगंधपरिणामे य दुन्भिगंधपरिणामे य, एवं सुरमपरिणामे य दूरसपरिणामे य, एवं सुफासपरिणामे य दुफासपरिणामे य 3 / से नूणं भंते ! उच्चावएसु सद्दपरिणामेसु उच्चावएसु रूवपरिणामेसु एवं गंधपरिणामेसु रसपरिणामेसु फासपरिणामेसु परिणममाणा पोग्गला परिणमंतीति वत्तव्वं सिया ?, हंता गोयमा ! उच्चावएसु सद्दपरिणामेसु परिणममाणा पोग्गला परिणमंतित्ति वत्तव्वं सिया 4 / से गुणं भंते ! सुन्भिसदा पोग्गला दुब्भिसद्दत्ताए परिणमंति दुभिसदा पोग्गलो सुब्भिसदत्ताए परिणमंति ?, हंता गोयमा ! सुब्भिसद्दा दुन्भिसद्दत्ताए परिणमंति दुब्भिसदा सुब्भिसदत्ताए परिणमंति 5 / से गुणं भंते ! सुरूवा पुग्गला दूरूवत्ताए परिणमंति दुरूवा पुग्गला सुरूवत्ताए परिणमंति ?, हंता गोयमा !, सुरूवा पुग्गला दूरूवत्ताए परिणमंति, दूरूवा पुग्गला सुरूवत्ताए परिणमंति 6 / एवं सुब्भिगंधा पोग्गला दुब्भिगंधत्ताए परिणमंति दुब्भिगंश पोग्गला सुब्भिगंधत्ताए परिणमंति ?, हंता गोयमा / Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / / 381 सुभिगंधा पोग्गला दुभिगंधत्ताए परिणमंति. दुभिगंधा पोग्गला सुन्भिगंधत्ताए परिणमति 7 / एवं सुफासा दुफासत्ताए ?, सुरसा दूरसत्ताए ?, हंता गोयमा! एवं दो पालावगा भाणियब्वा 8 // सू० 111 // देवे णं भंते ! महिड्डीए जाव महाणुभागे पुवामेव पोग्गलं खिवित्ता पभू तमेव अणुपरियट्टित्ताणं गिरिहत्तए ?, हंता पभू 1 / से केणढेणं भंते ! एवं बुञ्चति-देवे णं महिड्डीए जाव गिरिहत्तए ?, गोयमा ! पोग्गले खित्ते समाणे पुवामेव सिग्घगती भवित्ता तो पच्छा मंदगती भवति, देवेणं महिड्डीए जाव महाणुभागे पुन्बंपि पच्छावि सीहे सीहगती (तुरिए तुरियगतो) चे से तेण?णं गोयमा / एवं वुच्चति जाव एवं अणुपरियट्टित्ताणं गेरिहत्तए 2 / देवे णं भंते ! महिड्डीए जाव महा. णुभावे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पुव्वामेव बालं अच्छित्ता अभेत्ता पभुगंठित्तए ?, नो इण? सम? 1, 3 / देवे णं भंते ! महिडिए बाहिरए पुग्गले अपरियाइत्ता पुव्वामेव बालं छित्ता भित्ता पभू गंठित्तए ?, नो इण? समढे 2, 4 / देवे णं भंते ! महिड्डीए बाहिरए पुग्गले परियाइत्ता पुव्वामेव बालं अच्छित्ता भित्ता पभू गंठित्तए ?, नो इण? समढे 3, 5 / देवे णं भंते ! महिड्डीए जाव महाणुभागे बाहिरे पोग्गले परियाइत्ता पुवामेव बालं छेत्ता भेत्ता पभू गंठित्तए ?, हंता पभू 4, 6 / तं चेव णं गंठिं छउमत्थे ण जाणति ण पासति एवंसुहुमं च णं गढिया 3, 7 / देवे णं भंते ! महिड्डीए जाव महाणुभावे पुवामेव बालं अच्छेत्ता अभेत्ता पभू दीहीकरित्तए वा हस्सीकरित्तए वा ?, नो तिणढे सम? 4, 8 / एवं चत्तारिवि गमा, पढमबिइयभंगेसु अपरियाइत्ता एगंतरियगा अच्छेत्ता अभेत्ता, सेसं तहेव, तं चेव सिद्धिं छउमत्थे ण जाणति ण पासति एसुहुमं च णं दीहिकरेज वा हस्सीकरेज वा 1 // सू० 112 // अयि णं भंते ! चंदिमसूरियाणं हिडिपि ताराख्वा अणुपि तुल्लावि समंपि तारारुवा Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 382 / - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः अणुपि तुल्लावि उप्पिपि तारारूवा अणुपि तुलावि ?, हंता अस्थि 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुञ्चति-अस्थि णं चंदिमसूरियाणं जाव उपिपि तारारूवा अणुपि तुल्लावि ?, गोयमा ! जहा जहा णं तेसिं देवाणं तवनियमवंभचेरवासाई उस्सियाइं (उकडाई) भवंति तहा तहा णं तेसि देवाणं एवं पराणायति अणुत्ते वा तुलने वा, से एएण?णं गोयमा ! अस्थि णं चंदिमसूरियाणं जाव उप्पिपि तारारूवा अणुपि तुल्लावि 2 // सू० 113 // एगमेगस्स णं भंते! चंदिमसूरियस्स केवइयो णक्खत्तपरिवारो पराणत्तो, केवइयो महागहपरिवारो पराणत्तो ? केवइयो तारागण कोडाकोडि परिवागे पन्नतो ? गोयमा ! एगमेगस्स णां चंदिमसूरियस्सअट्ठासीति च गहा अट्ठावीसं च होइ नक्खत्ता। एगससीपरिवारो एत्तो ताराण वोच्छामि / / 1 // छावट्ठिसहस्साई णव चेव सयाई पंचसयराई। एगससीपरिवारो : तारागणकोडिकोडीणं // 2 // // सू० 114 // जंबूदीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमिल्लायो चरिमंतायो केवतियं अबाधाए जोतिसं चारं चरति ?; गोयमा ! एकारसहिं एकवीसेहिं जोयणमएहिं अबाधाए जोतिसं चारं चरति, एवं दक्खिणिलायो पञ्चस्थिमिल्लायो उत्तरिल्लायो एक्कारसहिं एकवीसेहिं जोयणसएहिं जाव चारं चरति 1 / लोगंतायो भंते ! केवतियं अवाधाए जोतिसे पराणत्ते ?, गोयमा ! एकारसहिं एकारेहिं जोयणसतेहिं अबाधाए जोतिसे परणत्ते 2 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजायो भूमिभागायो केवतियं अवाहाए सव्वहेटिल्ले तारारूवे चारं चरति ? केवतियं अबाधाए सूरविमाणे चारं चरति ? केवतियं अबाधाए चंदविमाणे चारं चरति ? केवतियं अबाधाए सव्वउवरिल्ले तारारूवे चारं चरति ?, गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाएं पुढवीए बहुसमरमणिजायो भूमिभागायो सत्तहिं णउएहिं जोयणसतेहिं अबाहाए जोतिसं सव्वहेट्ठिल्ले तारारूवे चारं चरति, अहिं Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / [ 383 जोयणसतेहिं अबाधाए सूरविमाणे चारं चरति, अट्टहि असीएहि जोयणमतेहि अबाधाए चंदविमाणे चारं चरति, नवहिं जोयणसएहि अबाहाए सबउवरिल्ले ताराख्वे चारं चरति 3 / सव्वहेट्ठिमिल्लायो णं भंते ! तारारुवायो केवतियं अबाहाए। सूरविमाणे चारं चरइ ? केवइयं अबाहाए चंदविमाणे चारं चरइ ? केवतियं अबाहाए सव्वउवरिल्ले ताराख्वे चारं चरइ ?, गोयमा ! सव्वहेटिल्लायो णं दसहिं जोयणेहिं सूरविमाणे चारं चरति णउतीए जोयणेहिं अबाधाए चंदविमाणे चारं चरति दसुत्तरे जोयणसते अबाधाए सबोपरिल्ले तारारूवे चारं चरइ 4 / सूरविमाणाम्रो णं भंते ! केवतियं अबाधाए चंदविमाणे चारं चरति ? केवतियं सव्वउवरिल्ले ताराख्वे चारं चरति ?, गोयमा! सूरविमाणाश्रो णं असीए जोयणेहिं चंदविमाणे चारं चरति, जोयणसयं अबाधाए सव्वोवरिल्ले तारारुवे चारं चरति 5 / चंदविमाणात्रो णं भंते ! केवतियं अबाधाए सव्वउवरिल्ले तारास्वे चारं चरति ?, गोयमा ! चंदविमाणायो णं वीसाए जोयणेहिं अबाधाए सबउवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ, एवामेव सपुव्वावरेणं दसुत्तरसतजोयणबाहल्ले तिरियमसंखज्जे जोतिसविसए पराणत्ते 6 ॥सू० 115 // जंबूदीवे णं भंते ! कयरे णक्खत्ते सव्वभितरिल्लं चारं चरति ? कयरे नक्खत्ते सञ्चबाहिरिल्लं चारं चरइ ? कयरे नक्खत्ते सव्वउवरिल्लं चारं चरात ? कयरे नक्खत्ते सव्वहिटिल्लं चारं चरति ?, गोयमा ! जंबूदीवे णं दीवे अभीइनक्खत्ते सव्वभितरिल्लं चारं चरति मूले णक्खत्ते सब्बबाहिरिल्लं चारं चरइ साती णक्खत्ते सव्वोवरिल्लं चारं चरति भरणीणवखत्ते सव्वहेछिल्लं चारं चरति // सू० 116 // चंदविमाणे णं भंते ! कि संठिते पराणत्ते ?, गोयमा ! श्रद्धकविट्टग-संगणसंठिते सव्वफालितामए अभुगतमूसितपहसिते वरणयो, एवं सूरविमाणेवि नक्खत्तविमाणेवि ताराविमाणेवि सव्वे अद्धकविट्ठसंगणसंठिते 1 / चंदविमाणे णं भंते ! केवतियं श्रायाम Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 384 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः विक्खंभेणं ? केवतियं परिक्खेवेणं ? केवतियं बाहल्लेणं पराणत्ते ?, गोयमा ! छप्पन्ने एगसट्ठिभागे जोयणस्स पायामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं अट्ठावीसं एगसट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं पराणत्ते 2 / सूरविमाणस्सवि सच्चेव पुच्छा, गोयमा ! अडयालीसं एगसट्ठिभागे जोयणस्स अायामविक्खंभेणणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं चउवीसे एंगसट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं पन्नत्ते 3 / एवं गहविमाणेवि श्रद्धजोयणं आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिवखेवेणं कोसं बाहल्लेणं 4 / णक्खत्तविमाणेणं कोसं पायामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं श्रद्धकोसं बाहल्लेणं पन्नत्ते 5 / ताराविमाणे अद्धकोसं पायामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं पंचधणुसयाई बाहल्लेणं प्राणत्ते 6 ॥सू० 11 // चंदविमाणे णं भंते ! कति देवसाहस्सीयो परिवहति ?, गोयमा ! चंदविमाणस्म णं पुरच्छिमेणं सेयाणं सुभगाणं सुप्पभाणं संखतल-विमल-निम्मलदधिषण--गोखीर-फेण-रययणिगरप्पगासाणं ( महुगुलिय--पिंगलक्खाणं) थिरलट्ठ-पउट्ठ-वट्ट-पीवर--सुसिलिट्ठ-सुविसिठ्ठ-तिक्खदाढाविडंबितमुहाणं रत्तुप्पलपत्त-मउय-सुकुमाल तालुजीहाणं पसत्थ-सत्थ-वेरुलिय-भिसंत-कक्कड. नहाणं विसाल-पीवरोरु-पडिपुराणविउलखंधाणं मिउविसय–पसत्थ-सुहुमलक्खण-विच्छिराण-केसरसडोवसोभिताणं चंकमित-ललिय-पुलित-धवलगवितगतीणं उस्सिय-सुणिम्मिय-सुजाय-अप्फोडियणंगलाणं वइरामयणक्खाणं वइरामयदंताणं वयरामयदाढाणं तवणिजजीहाणं तवणिजतालुयाणं तवणिज-जोत्तग-सुजोतिताणं कामगमाणं पीतिगमाणं मणोगमाणं मणोरमाणं मणोहराणं अमियगतीणं अमियबल-वीरिय-पुरिसकार-परकमाणं महता थप्फोडिय-सीहनातीय-बोलकलयलरवेणं महुरेणं मणहरेण य पूरिता अंबरं दिसायो य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीयो सीहरूवधारिणं देवाणं पुरच्छिमिल्लं बाहं परिवहति 1 / चंदविमाणस्स णं दक्खिणेणं Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 85 सेयाणं सुभगाणं सुप्पभाणं संखतल-विमल-निम्मल-दधिषण-गोखीर-फेणरययणियरप्पगासाणं वइरामय-कु भजुयल-सुट्टित पीवर-वर-वइर-सोंड-वट्टियदित्तसुरत्त-पउमप्पकासाणं अब्भुराणयगुणा(मुहा)णं तवणिज-विसाल चंचल-चलंत-चवल-कराणविमलुजलाणं मधुवराण-भिसंत-णिद्ध-पिंगलपत्तल-तिवराण-मणिरयणलोयणाणं अब्भुग्गत-मउल-मल्लियाणं धवलसरिससंठित-णिवण-दढकसिण-फालियामय-सुजाय-दंतमुसलोवसोभिताणं कंचणकोसीपविट्ठ-दंतग्ग-विमल-मणिरयण-रुइर-पेरंत-चित्तरूवगविरायिताणं तवणिजविसाल-तिलग-पमुहपरिमंडिताणं णाणामणिरयण-मुद्धगेवेज-बद्धगलयवरभूसणाणं वेरुलिय-विचित्त-दंडणिम्मल-वइरामय-तिक्ख-लट्ठ-अंकुसकुंभजुयलंतरोदियाणं तवणिज-सुबद्ध-कच्छ-दप्पियबलुद्धराणं जंबूणय-विमल घण-मंडल-वइरामय-लालाललिय-ताल-णाणामणिरयण-घराट-पासग-रयतामयरज्जूबद्ध लंबित-घंटाजुयल-महुर-सरमणहराणं अल्लीण-पमाण-जुत्त-वट्टिय-सुजातलक्खण-पसत्थ--तबणिज्ज-वालगत्तपरिपुच्छणाणं उयविय-पडिपुराण-कुम्मचलणलहुविकमाणं अंकामयक्खाणं तवणिज-तालुयाणं तवणिज-जीहागणं तवणिज-जोत्तग-सुजोतियाणं कामकमाणं पीतिकमाणं मणोगमाणं मणोरमाणं मणोहराणं अमियगतीणं अमियबल-वीरिय पुरिसकार-परकमाणं महया गंभीरगुलगुलाइ-यरवेणं महुरेणं मणहरेणं-पुरेन्ता अंबरं दिसायो य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीयो गयख्वधारीणं देवाणं दक्खिणिल्लं बाहं परिवहति 2 / चंदविमाणस्स णं पञ्चत्थिमेणं सेताणं सुभगाणं सुप्पभाणं चंकमिय-ललियपुलित-चलवल-ककुद-सालीणं सराणयपासाणं संगयपासाणं सुजायपासाणं मियमाइत-पीणरइत-पासाणं झस-विहग-सुजातकुच्छीणं पसंस्थ-णिद्ध-मधुगुलित-भिसंत-पिंगलक्खाणं विसाल-पीवरोरु-पडिपुराण-विपुलखंधागां वट्टपडिपुराण-विपुल-कबोलकलिताणं घणणिचिंत-सुबद्ध-लक्खणुराणतईसियाणय-वसभोट्ठाणां चंकमित-ललित-पुलिय-चकवाल-चवल-गवितगती 49 Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पश्चमो विभागः पीवरोरु-वट्टिय-सुसंठितकडीणां योलंव-पलंब लक्खण–पमाण-जुत्त-पसत्थरमणिज-बालगंडाणं समखुरवालधाणीणं समलिहित-तिक्खग्गसिंगाणं तणु-सुहुम-सुजात-णिद्ध-लोमच्छविधराणं उवचित-मंसल-विसाल-पडिपुराणखुद्द पमुहपुडराणं खंध-पएस-सुदराणं वेरुलिय-भिसंत-कडक्ख-सुणिरि. क्खणाणां जुत्त-प्पमाण-प्पधाण-लक्खण-पसत्थ-रमणिज-गग्गरगलसोभिताणां घग्घरग-सुबद्ध-कराठपरिमंडियाणं नाणामणि-कणगरयण-घराटवेयच्छग-सुकयरतियमालियाणं वरघंटागल-गलिय-सोभंत-सस्सिरीयाणं पउमुष्पल-भसलसुरभि-मालाविभूसिताणं वइरखुराणं विविधविखुराणं फालियामयदंताणां तबणिजजीहाणां तवणिजतालुयागां तवणिज-जोत्तग-सुजोत्तियाणं कामकमाणं पीतिकमाणं मणोगमाणां मणोरमाणं मणोहरागां अमितगतीगां श्रमियबलवीरियपुरिसयारपरकमागां महया गंभीरगजियरवेणं मधुरेण मणहरेण य पूरता अंबरं दिसायो य सोभयंता चत्तारि देवसाह. स्सीयो वसभरूवधारिणं देवाणां पञ्चथिमिल्लं बाहं परिवहति 3 / चंदविमाणस्स णं उत्तरेणं सेयाणं सुभगाणं सुप्पभाणं जचाणंतर-मल्लिहायणाणं हरिमेलामदुलमल्लियच्छाणं घणणिचित-सुबद्ध-लक्खणुराणताचंकमि(चंचुचि)य-ललिय-पुलिय-चलचवल-चंचलगतीणं लंघण-वग्गण-धावण-धोरणतिवइजइणसिक्खितगईणं सराणतपासाणं ललंत लामगलाय-वरभूसणाणं संणयपासाणं संगतपासाणं सुजायपासाणं मितमायित-पीणरइयपासाणं झस-विहग-सुजात-कुच्छीणं पीणपीवर-वट्टित-सुसंठितकडीणं अोलंब पलंब. लक्खण-पमाणजुत्त पसत्थ-रमणिजवालगंडाणं तणुसुहुम सुजाय-णिद्धलोमच्छविधराणं मिउविसय-पसत्थ सुहुम-लवखण विकिराण-केसरवालिधराणं ललिय-सविलासगति-ललंतथासग-ललाडवरभूमणाणं मुहमंडगोचूल-चमरथासग-परिमंडियकडीणं तवणिजखुराणं तव विजजीहाणं तवणिजतालुयाणं तवणिज-जोत्तग-सुजोतियाणं कामगमाणं पीतिगमाणं मणोगमाणं मणोर Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] / 387 माणं मणोहराणं अमितगतीणं अमियबल-बीरिय-पुरिसयार-परकमाणं महया हयहेसिय-किलकिलाइयरवेणं महुरेणं मणहरेण य पूरेता अंबरं दिसायो य सोभयंता वत्तारि देवसाहस्सीयो हयस्वधारीणं उत्तरिल्लं बाहं परिवहति 4 / एवं सूरविमाणस्सवि पुच्छा, गोयमा ! सोलस देवसाहस्सीयो परिवहति पुवकमेणं 5 / एवं गहविमाणस्सवि पुच्छा, गोयमा ! अट्ठ देवसाहस्सीयो परिवहंति. पुवकमेणं, दो देवाणं साहस्सीयो पुरस्थिमिल्लं बाहं परिवहंति दो देवाणं साहस्सीयो दक्खिणिल्लं दो देवाणं साहस्सीयो पञ्चस्थिमिल्लं दो देवसाहस्सीयो हयरूवधारीणं उत्तरिल्लं बाहं परिवहति 6 / एवं णक्खत्तविमाणस्सवि पुच्छा, गोयमा ! चत्तारि देवसाहस्सीयो परिवहति, तंजहा-सीहरूवधारीणं देवाणं एगा देवसाहस्सी पुरथिमिल्ले वाहं, एवं चउदिसिंपि, एवं तारागणाणवि, णवरि दो देवसाहस्सीयो परिवहंति, तंजहा-सीहरूवधारीणं देवाणं पंचदेवसता पुरस्थिमिल्लं बाहं परिवहति एवं चउद्दिसिंपि 7 // सू० 118 // एतेसि णं भंते ! चंदिमसूरिय-गहगण-णक्खत्ततारारूवाणं कयरे कयरेहितो सिग्धगती वा मंदगती वा ?, गोयमा ! चंदेहितो सूरा सिग्घगती सूरेहिंतो गहा सिग्धगती गहेहिंतो णक्खत्ता सिग्धगती णक्खत्तेहिंतो तारा सिग्घगती, सव्वप्पगती चंदा सव्वसिग्धगतीश्रो तारारुवे // सू० 111 // एएसि णं भंते ! चंदिम जाव ताराख्वाणं कयरे 2 हिंतो अप्पिडिया वा महिड्डिया वा ?, गोयमा ! ताराख्वेहितो णक्खत्ता महिड्डीया णक्खत्तेहितो गहा महिड्डीया गहेहितो सूरा महिड्डीया सूरेहिंतो चंदा महिड्डिया, सव्वप्पडिया ताराख्वा सव्वमहिडिया चंद्रा // सू० 200 // जंबूदीवे णं भंते ! दीवे तारारुवस्स 2 य एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पराणते ?, गोयमा ! दुविहे अंतरे पराणत्ते, तंजहा-वाघातिमे य निव्याघाइमे य 1 / तत्थ णं जे से वाघातिमे से जहरणेणं दोरिण य छाव? जोयणसए उकोसेणं बारस जोयणसहस्साई Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 388 ) | श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः दोरिण य बायाले जोयणसए तारारुवस्स 2 य अबाहाए अंतरे पराणते 2 / तत्थ णं जे से णिवाघातिमे से जहराणेणं पंचधणुसयाई उकोसेणं दो गाउयाई तारारूव जाव अंतरे पराणत्ते 3 // सू० 201 // चंदस्स णं भंते ! जोतिसिंदस्स जोतिसरन्नो कति अगहिसीओ पराणत्तायो ?, गोयमा ! चत्तारि अग्गमहिसीथो पराणत्तायो, तंजहा-चंदप्पभा दोसिणाभा अचिमाली पभंकरा, एत्थ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि चत्तारि देवसाहस्सीयो परिवारे य, पभू णं ततो एगमेगा देवी अण्णाइं चत्तारि 2 देविसहस्साई परिवार विउवित्तए, एवामेव सपुव्वावरेणं सोलस देवसाहस्सीयो पराणत्तायो, से तं तुडिए / / सू० 202 / / पभू णं भंते ! चंदे जोतिसिंदे जोतिसराया चंदवडिंसए विमाणे सभाए सुधम्माए चंदसि सीहासणंसि तुडिएण सद्धिं दिव्याई भोगभोगाइं भुजमागो विहरत्तिए ?, णो तिण? सम8 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुञ्चति नो पभू चंदे जोतिसिंदे जोतिसराया चंदवडेंसए विमाणो सभाए सुधम्माए चंदसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाई भुजमाणे विहरित्तए ?, गोयमा ! चंदस्त जोतिसिंदस्स जोतिसरराणो चंदवडेंसए विमाणे सभाए सुधम्माए (जोतिस)माणवगंसि चेतियखंभंसि वइरामएसु गोल-बट्ट-समुग्गएसु बहुयायो जिणसकहाथो सरिणखित्तायो चिट्ठांति, जात्रो णं चंदस्स जोतिसिंदस्स जोतिसरनो अन्नेसि च बहूणं जोतिसियाणं देवाण य देवीण य अचणिज्जायो जाव पज्जुवासणिज्जायो, तासिं पणिहाए नो पभू चंदे जोतिसराया चंदवडिसए जाव चंदंसि सीहासणंसि जाव भुजमाणे विहरित्तए, से एएण?णं गोयमा ! नो पभू चंदे जोतिसराया चंदवडेंसए विमाणे सभाए सुधम्माए चंदसि सीहासणंसि तुडिएण सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाई भुजमाणे विहरित्तए, अदुत्तरं च णं गोयमा ! पभू चंदे जोतिसिंदे जोतिसराया चंदवडिसए विमाणे सभाए सुधम्माए चंदसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जाव सोलसहिं Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1, गोयमा ! चासदस्स जोतिसरमा महणवत्तियं // ससरसारखडि श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / [ 386 थायरक्खदेवाणं साहस्सीहि अन्नेहिं बहूहिं जोतिसिएहिं देवेहिं देवीहि य सद्धि संपुरिबुडे महयाहय णट्टगीइ-वाइय-तंती-तल-ताल-तुडिय-घणमुइंग-पडुप्पवाइयरवेणं दिवाई भोगभोगाइं भुजमाणे विहरित्तए, केवलं. परियारतुडिएण सद्धिं भोगभोगाई बुद्धीए नो चेव णं मेहुणवत्तियं // सू० 203 // सूरस्स णं भंते ! जोतिसिंदस्स जोतिसरनो कइ अग्गमहिसीनो पराणत्तायो ?, गोयमा ! चत्तारि अग्गमहिसीयो पराणत्तायो, तंजहा-सुरप्पभा श्रायवाभा अचिमाली पभंकरा, एवं अवसेसं जहा चंदस्स णवरिं सूरवडिंसए विमाणे सूरंसि सीहासणंसि, तहेव सव्वेसिपि गहाईणं चत्तारि अग्गमहिसीथो पराणत्तात्रो, * तंजहा-विजया. वेजयंती जयंती अपराजिया, तेसिपि तहेव // सू० 204 // चंदविमाणे णं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती परणता ?, एवं जहा ठितीपए तहा भाणियव्वा जाव ताराणं // सू० 205 // एतेसि णं भंते ! चंदिमसूरिय-गहणक्खत्त-ताराख्वाणं कयरे२हितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! चंदिमसूरिया एते णं दोरिणवि तुल्ला सम्वत्थोवा संखेजगुणा णखत्ता संखेजगुणा गहा संखेजगुणाश्रो तारगायो॥ सू० 206 // जोइसुद्दे सश्रो समत्तो // // इति तृतीयप्रतिपत्तौ ज्योतिषधिकारे द्वितीय उद्देशकः // 3-3-2 // // अथ तृतीयप्रतिपत्तौ वैमानिकाधिकार प्रथमोद्देशकः // कहि णं भंते ! वेमाणियाणं देवाणं विमाणा पराणत्ता ?, कहि णं भंते ! वेमाणिया देवा परिवसंति ?, जहा गणपदे तहा सव्वं भाणियब्वं, णवरं परिसाश्रो भाणितब्वायो जाव सक्के, अन्नेसिं च बहूणं सोधम्मकप्पवासीणं देवाण य देवीण य जाव विहरंति // सू० 207 // सकस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरन्नो कति परिसायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 360 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः तयो परिसायो पराणत्तायो, तंजहा-समिता चंडा जाता, अभितरिया समिया मज्झिमिया चंडा बाहिरिया जाता 1 / सक्कस्स णं भंते : देविंदस्स देवरन्नो अभितरियार परिसाए कति देवसाहस्सी यो पराणत्तायो ?, मज्झिमियाए परिसाए तहेव बाहिरियाए पुच्छा, गोयमा ! सकस्स देविंदस्स देवरन्नो अभितरियाए परिसाए वारस देवसाहस्सीयो पराणत्तायो मज्झिमियाए परिसाए चउदस देवसाहस्सीयो पराणत्तायो बाहिरियाए परिसाए सोलस देवसाहस्सीयो पराणत्तायो, तहा अभितरियाए परिसाए सत्त देवीसयाणि मज्झिमियाए छच्च देवीसयाणि बाहिरियाए पंच देवीसयाणि पन्नत्ताई 2 / सकस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरन्नो अभितरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ? एवं मज्झिमियाए बाहिरियाएवि, गोयमा ! सकस्स देविंदस्स देवरन्नो अभितरियाए परिसाएं पंच पलिश्रोवमाइं ठिती पराणत्ता मज्झिमियाए परिसाए चत्तारि पलियोवमाई ठिती पराणत्ता बाहिरियाए परिसाए देवाणं तिन्नि पलिग्रोवमाइं ठिती पराणत्ता, देवीणं ठिती, अभितरियाए परिसाए देवीणं तिनि पलियोवमाइं ठिती पराणत्ता मज्झिमियाए दुन्नि पलिग्रोवमाई ठिती पराणत्ता बाहिरियाए परिसाए एगं पलियोवमं ठिती पराणत्ता, अट्ठो सो चेव जहा भवणवासीणं 3 / कहि णं भंते ! ईसाणकाणं देवाणं विमाणा पराणत्ता ? तहेव सव्वं जाव ईसाणे एत्थ देविंदे देवरगणे जाव विहरति 4 / ईसाणस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरराणो कति परिसायो पराणत्तायो ?, गोयमा ! तो परिसायो पराणत्ताथो, तंजहा-समिता चंडा जाता, तहेव सव्वं णवरं अभितरियाए परिसाए दस देवसाहस्सीयो पराणत्तायो, मज्झिमियाए परिसाए बारस देवसाहस्सीयो, बाहिरियाए चउद्दस देवसाहस्सीयो 5 / देवीणं पुच्छा, अभितरियाए णव देवीसता पराणत्ता मज्झिमियाए परिसाए अट्ठ देवीसता पराणत्ता बाहिरियाए परिसाए सत्त देविसता Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अधिकारः 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 361 पराणत्ता, देवाणं केवइया ठिती पन्नत्ता ? यभितरियाए परिसाए देवाणं सत्त पलिग्रोवमाई ठिती पराणत्ता मझिमियाए छ पलियोवमाई बाहिरियाए पंच पलिग्रोवमाई ठिती पराणत्ता 6 / देवीणं पुच्छा, अभितरियाए साइरेगाई पंच पलिग्रोवमाई मन्झिमियाए परिसाए चत्तारि पलिश्रोवमाइं ठिती पराणत्ता बाहिरियाए परिसाए तिरिण पलिश्रोवमाई ठिती पराणत्ता, ट्ठो तहेव भाणियब्यो 7 / सणंकुमाराणं पुच्छा, तहेव गणपदगमेणं जाव सणंकुमारस्स तो परिसायो समिताई तहेव, णवरि अभितरियाए परिसाए अट्ठ देवसाहस्सीयो पराणत्ताओ, मज्झिमियाए परिसाए दस देवसाहस्सीयो पराणत्तायो, बाहिरियाए परिसाए बारस देवसाहस्सीयो पराणत्तायो, अभितरियाए परिसाए देवाणं ठिती अद्भपंचमाई सागरोवमाइं पंच पलियोवमाइं ठिती पराणत्ता मज्झिमियाए परिसाए श्रद्धपंचमाई सागरोबमाइं चत्तारि पलिश्रोवमाई ठिती पराणत्ता, बाहिरियाए परिसाए श्रद्धपंचमाई सागरोवमाइं तिरिण पलियोवमाई ठिती पराणत्ता, अट्ठो सो चेव 8 / एवं माहिंदस्सवि तहेव तो परिसायो णवरिं अभितरियाए परिसाए छद्देवसाहस्सीयो पराणत्तायो, मज्झिमियाए परिसाए अट्ट देवसाहस्सीयो पराणत्ताश्रो, बाहिरियाए दस देवसाहस्सीयो पराणत्तायो, ठिती देवाणं अभितरियाए परिसाए अद्धपंचमाई सागरोवमाइं सत्त य पलिग्रोवमाई ठिती पराणत्ता, मज्झिमियाए परिसाए पंच सागरोवमाई छच्च पलिग्रोवमाई, बाहिरियाए परिसाए श्रद्धपंचमाइं सागरोवमाइं पंच य पलिश्रोवमाई ठिती पन्नत्ता, तहेव सव्वेसिं इंदाण ठाणपयगमेणं विमाणाणि वुच्चा ततो पच्छा परिसायो पत्तेयं 2 वुच्चति 1 / बंभस्सवि तो परिसायो पराणत्तायो अभितरियाए चत्तारि देवसाहस्सीयो मज्झिमियाए छ देवसाहस्सीयो बाहिरियाए अट्ट देवसाहस्सीयो, देवाणं ठिती अभितरियाए परिसाए श्रद्धणवमाइं सागरोवमाइं पंच य पलियोवमाई मज्झिमियाए परिसाए Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 362 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः यद्धनवमाई सागरोवमाइं चत्तारि पलिग्रोवमाई बाहिरियाए अद्धनवमाई सागरोवमाइं तिरिण य पलियोवमाई-अट्ठो सो चेव 10 / लंतगस्सवि जाव तो परिसायो जाव अभितरियाए परिसाए दो चेव साहस्सीयो मन्झिमियाए चत्तारि देवसाहस्सीयो परणत्तायो बाहिरियाए छद्दवसाहस्सीयो पराणत्तायो, ठिनी भाणियवा-अभितरियाए परिसाए बारस सागरोवमाई सत्त पलियोवमाई ठिती पराणत्ता, मन्झिमियाए परिसाए बारस सागरोवमाई छच्च पलियोवमाइं ठिती पराणत्ता बाहिरियाए परिसाए बारस सागरोवमाई पंच पलिश्रोवमाइं ठिती पराणत्ता 11 / महासुक्कस्सवि जाव तत्रों परिसायो जाव अभितरियाए एगं देवसहस्सं मज्झिमियाए दो देवसाहस्सीयो पन्नत्तायो बाहिरियाए चत्तारि देवसाहस्सीयो, अभितरियाए परिसाए यद्धसोलस सागरोवमाई पंच पलियोवमाई मज्झिमियाए श्रद्धसोलस सागरोवमाइं चत्तारि पलियोवमाई बाहिरियाए पद्धसोलस सागरोवमाई तिरिण पलिश्रोवमाइं अटो सो चेव 12 / सहस्सारे पुच्छा जाव अभितरियाए परिसाए पंच देवसया मज्झिमियाए परिसाए एगा देवसाहस्सी बाहिरियाए-दो देवसाहस्सीयो पन्नत्ता ठिती अभितरियाए श्रद्धट्ठारस सागरोवमाई सत्त पलिग्रोवमाइं ठिती पराणत्ता एवं मज्झिमियाए श्रद्धट्ठारस छप्पलिग्रोवमाई बाहिरियाए अट्ठारस सागरोवमाई पंच पलिग्रोवमाई * अट्ठो सो चेव 13 / ग्राणयपाणयस्सवि पुच्छा जाय तो परिसायो णवरि अभितरियाए अड्डाइजा देवसया मज्झिमियाए पंच देवसया बाहिरियाए एगा देवसाहस्सी ठिती अभितरियाए एगूणवीस सागरोवमाई पंच य पलिश्रोवमाइं एवं मज्झिमियाए परिसाए एगोणवीस सागरोवमाई चत्तारि य पलिश्रोवमाई बाहिरियाए परिसाए एगूणवीसं सागरोवमाई तिगिण य पलिअोवमाई ठिती अट्ठो सो चेव 14 / कहि णं भंते ! श्रारणअच्चुयाणं देवाणं तहेव अच्चुए सपरिवारे जाव विहरति, अच्चुयस्स णं देविंदस्स Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ) [ 363 तयो परिसायो पगणत्तायो अभितरपरिसाए देवाणं पणवीस सयं मज्झिमियाए परिसाए अड्डाइजा सया, बाहिरियाए परिसाए पंचसया अभितरियाए एकवीसं सागरोवमा सत्त य पलिग्रोवमाई मज्झिमियाए परिसाए एकवीससागरोवमाइं छप्पलियोवमाई बाहिरियाए परिसाए एकवीसं सागरोवमाइं पंच य पलिश्रोवमाई ठिती पराणत्ता 15 / कहि णं भंते ! हेट्ठिमंगेवेजगाणं देवाणं विमाणा पराणत्ता ? कहि णं भंते ! हेट्ठिमगेवेजगा देवा परिवसंति ? जहेव ठाणपए तहेव 16 / एवं मझिमगेवेजा उवरिमगेविजगा अणुत्तरा य जाव अहमिंदा नामं ते देवा पराणत्ता समणाउसो ! 17 // सू० 208 / / पढमो वेमाणियउद्देसयो॥ . // इति तृतीयप्रतिपत्तौ वैमानिकाधिकारे प्रथम उद्देशकः // 3-4-1 // // अथ तृतीयप्रतिपत्तौ वैमानिकाधिकारे द्वितीयोद्देशकः // - सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु विमाणपुढवी किंपइट्ठिया पराणत्ता ?, गोयमा ! घणोदहिपइट्ठिया 1 / सणंकुमारमाहिंदेसु कप्पेसु विमाणपुढवी किंपइट्ठिया पराणत्ता ?, गोयमा ! घणवायपइट्ठिया पराणत्ता 2 / बंभलोए णं भंते ! कप्पे विमाणपुढवीणं पुच्छा, घणवायपइट्ठिया पराणत्ता 3 / लंतए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! तदुभयपइट्ठिया 4 / महासुक्कसहस्सारेसुवि तदुभयपइट्ठिया 5 / पाणय जाव अच्चुएसु णं भंते ! कप्पेसु पुच्छा, श्रीवासंतरपइट्ठिया 6 / गेविजविमाणपुटवीमं पुच्छा, गोयमा ! श्रीवासंतरपइट्ठिया 7 / अणुत्तरोववाइयपुच्छा श्रीवासंतरपइट्ठिया 8 // सू० 201 // सोहम्मीसाणकप्पेसु विमाणपुढवी केवइयं बाहल्लेणं पराणता ?, गोयमा! सत्तावीसं जोयणसयाई बाहल्लेणं पराणत्ता, एवं पुच्छा, सणंकुमारमाहिंदेसु छब्बीसं जोयणसयाई 1 / बंभलंतए पंचवीसं 2 / महासुक्कसहस्सारेसु चउवीसं 3 / श्राणयपाणयारणाच्चुएसु तेवीसं सयाई 4 / गेविजविमाणपुढवी बावीसं 5 / Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 394 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः अणुतरविमाणपुढवी एकवीसं जोयणसयाई बाहल्लेणं 6 // सू० 210 // सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणा केवइयं उट्ठ उच्चत्तेणं ?, गोयमा ! पंच जोयणमयाई उड्ड उच्चत्तेणं 1 / सणंकुमारमाहिदेसु छजोयणसयाई, बंभलंतएसु सत्त, महासुक्कसहस्सारेसु अट्ठ, पाणयपाणएसु धारणच्चुएसु नव 2 / गेवजविमाणाणं भंते ! केवइयं उड्ड उच्चत्तेणं ?, दस जोयणसयाई 3 / अणुत्तरविमाणाणं भंते ! केवइयं उड्ड उच्चत्तेणं ? एकारस जोयणसयाई उड्ड उच्चत्तेणं 4 // सू० 211 // सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणा किंसंठिया पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहाश्रावलियापविट्ठा बाहिरा य, तत्थ णं जे ते श्रावलियापविट्ठा ते तिविहा पराणत्ता, तंजहा-वट्टा तंसा चउरंसा, तत्थ णं जे ते श्रावलियबाहिरा ते णं णाणासंठिया पराणत्ता, एवं जाव गेविजविमाणा, अणुत्तरोववाइयविमाणा दुविहा पगणत्ता, तंजहा-बट्टे य तंसा य // सू० 212 // सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणा केवतियं पायामवि खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं पण्णत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-संखेजवित्थडा य असंखेजवित्थडा य, जहा णरगा तहा जाव अणुत्तरोववातिया संखेजवित्थडा य असंखेजवित्थडा य, तत्थ णं जे से संखेजवित्थडे से जंबुद्दीवप्पमाणे असंखेजवित्थडा असंखेजाई जोयणसयाई जाव परिक्खेवेणं पराणत्ता 1 / सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! विमाणा कतिवराणा पनत्ता ?, गोयमा ! पंचवराणा पराणत्ता, तंजहा-किराहा नीला लोहिया हालिदा सुकिल्ला, सणंकुमारमाहिदेसु चउवराणा नीला जाव सुकिल्ला, बंभलोगलंतरसुवि तिवराणा लोहिया जाव सुकिल्ला, महासुकसह. स्सारेसु दुवराणा-हालिदा य सुकिला य, पाणयपाणतारणच्चुएसु सुकिल्ला, गेविजविमाणा सुकिल्ला, अणुत्तरोववातियविमाणा परमसुकिल्ला वराणेणं पराणत्ता 2 / सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणा केरिसया पभाए Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-स्त्रम् / / अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [ 365 पराणत्ता ?, गोयमा ! णिचालोबा णिच्चुजोया सयं पभाए पराणत्ता जाव अणुत्तरोववातियविमाणा णिचालोथा णिच्चुजोता सयं पभाए पराणत्ता 3 ! सोधम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणा केरिसया गंधेणं पराणता ?, गोयमा ! से जहा नामए–कोटपुडाण वा जाव गंधेणं पराणत्ता, एवं जाव एत्तो इट्ठयरागा चेव जाव अणुत्तरविमाणा 4 / सोहम्मीसाणेसु विमाणा केरिसया फासेणं पगणता ?, गोयमा ! से जहा णामए-श्राइणेति वा रूतेति वा सम्वो फासो भाणियब्यो जाव अणुत्तरोववातियविमाणा५ / सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणा केमहालिया पराणता ?, गोयमा ! श्रयराणं जंबुद्दीवे 2 सव्वदीवसमुदाणं सो चेव गमो जाव छम्मासे वीइवएजा जाव अत्यंगतिया विमाणावासा नो वीइवएजा जाव अणुत्तरोववातियविमाणा अत्यंगतियं विमाणं वीतिवएजा अत्थेगतिए नो वीइवएजा 6 / सोहम्मीसाणेसु. णं भंते ! विमाणा किंमया पराणत्ता ?, गोयमा ! सब्बरयणामया पराणत्ता, तत्थ णं बहवे जीवा य पोग्गला य वकमंति विउक्कमति चयंति उवचयंति, सासया णं ते विमाणा दव्वट्ठयाए जाव फासपजवेहिं असासता जाव अणुत्तरोववातिया विमाणा 7 / सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! देवा कोहिंतो उववज्जति ?, उववातो नेयव्वो जहा वक्कंतीए तिरियमणुएसु पंचेंदिएसु समुच्छिमवजिएसु, उववाश्रो वकंतीगमेणं जाव अणुत्तरोववाइयाणं 8 / सोहम्मीसाणेसु . देवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ?, गोयमा ! जहन्नेणं एको वा दो वा तिरिण वा उक्कोसेणं संखेज़ा वा असंखेजा वा उववजंति, एवं जाव सहस्सारे, आणतादी गेवेज्जा अणुत्तरा य एको वा दो वा तिरिण वा उकोसेणं संखेजा वा उववज्जति 1 / सोहम्मीसाणेसु.णं भंते ! देवा समए 2 अवहीरमाणा 2 केवतिएणं कालेणं श्रवहिया सिया ?, गोयमा ! तेणं असंखेजा समए 2 अवहीरमाणा 2 असंखेजाहिं उस्सप्पिणीहिं अवहीरति नो चेव णं अवहिया सिया Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .396 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः जाव सहस्सारो, आणतादिगेसु चउसुवि 10 / गेवेज्जेसु अणुत्तरेसु य समए समए जाव केवतिकालेणं अवहिया सिया ?, गोयमा ! ते णं असंखेजा समए 2 अवहीरमाणा पलिश्रोवमस्स असंखेजतिभागमेत्तेणं अवहीरंति, नो चेव णं. अवहिया सिया 11 / सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु देवाणं केमहालया सरीरोगाहणा पराणता ?, गोयमा ! दुविहा सरीरा पराणत्तो, तंजहा-भवधारणिजा य उत्तरवेउव्विया य, तत्थ णं जे से भवधारणिज्जे से जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागो उकोसेणं सत्त रयणीयो, तत्थ णं जे से उत्तरवेउबिए से जहराणेणं अंगुलस्स संखेजतिभागो उक्कोसेणं जोयणसतसहस्सं, एवं एक्केका ओसारेत्ताणं जाव श्रणुत्तराणं एका रयणी, गेविजणुत्तराणं एगे भवधारणिज्जे सरीरे उत्तरवेउब्बिया नत्थि 12 // सू० 213 // सोहम्मीसाणेसु णं देवाणं सरीरगा किसंघयणी पराणत्ता , गोयमा ! छराहं संघयणाणं असंघयणी पराणत्ता ?, नेवट्ठि नेव छिरा नवि गहारू णेव संघयणमत्थि, जे पोग्गला इट्टा कंता जाव ते तेसिं संघातत्ताए परिणमंति जाव अणुत्तरोववातिया 1 / सोहम्मीसाणेसु देवाणं सरीरंगा किंसंठिता पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा सरीरा पन्नत्ता, तंजहा-भवधारणिजा य उत्तरवेउब्विया य, तत्थ णं जे ते भवधारणिजा ते समचउरंससंठाणसंठिता पराणत्ता, तत्थ णं जे ते उत्तरवेउब्विया ते णाणासंगणसंठिया पराणत्ता जाव अच्चुयो, अवेउविया गेविजणुत्तरा, भवधारणिजा समचउरंससंगणसंठिता उत्तरवेउब्विया णत्थि 2 // सू० 214 // सोहम्मीसाणेसु देवा केरिसया वराणेणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! कणगत्तयरत्ताभा वराणेणं पराणत्ता 1 / सणंकुमारमाहिदेसु णं परमपम्हगोरा वराणेणं पराणत्ता 2 / बंभलोगे णं भंते ! गोयमा! अल्लमधुगवण्णाभा वराणेणं पराणत्ता, एवं जाव गेवेजा, अणुत्तरोववातिया परमसुकिल्ला वराणेणं पन्नत्ता 3 / सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-पुत्रम् :: अधिकारः ? तृतीया प्रतिपत्तिः / [397 देवाणं सरीरंगा केरिसया गंधेणं पराणता ?, गोयमा! से जहा णामए-कोट्ठपुडाण वा तदेव सव्वं जाव मणामतरता चेव गंधेणं पराणत्ता जाव अणुत्तरोववाइया 4 / सोहम्मीसाणेसु देवाणं सरीरमा केरिसया फासेणं पराणत्ता ?, गोयमा ! थिरमउय-णिद्ध-सुकुमालच्छविफासेणं पराणत्ता, एवं जाव श्रणुत्तरोववातिया 5 / सोहम्मीसाणदेवाणं केरिसगा पुग्गला उस्सासत्ताए परिणमंति ?, गोयमा ! जे पोग्गला इट्टा कता जाव ते तेसिं उस्सासत्ताए परिणमंति जाव अणुत्तरोववातिया, एवं श्राहारत्ताएवि जाव अणुत्तरोववातिया 6 / सोहम्मीसाणदेवाणं कति लेस्सायो पराणत्तायो ?, गोयमा ! एगा तेउलेस्सा पराणत्ता 7 / सणंकुमारमादेिसु एगा पम्हलेस्सा, एवं बंभलोगेवि पम्हा, सेसेसु एका सुक्कलेस्सा, अणुत्तरोववातियाणं एका परमसुक्कलेस्सा 8 / सोहम्मीसाणदेवा किं सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी ?, तिरिणवि, जाव अंतिमगेवेजा देवा सम्मदिट्ठीवि मिच्छादिट्ठीवि सम्मामिच्छादिट्ठीवि, अणुत्तरोववातिया सम्मदिट्टी णो मिच्छादिट्ठी णो सम्मामिच्छादिट्ठी 1 / सोहम्मीसाणा किं णाणी अण्णाणी ?, गोयमा ! दोवि, तिरिण णाणा तिरिण अराणाणा णियमा जाव गेवेज्जा, अणुत्तरोववातिया नाणी नो अण्णाणी तिगिण णाणा णियमा 10 / तिविधे जोगे दुविहे उपयोगे सव्वसिं जाव अणुत्तरा 11 // सू० 215 / / मोहम्मीसाणदेवा श्रोहिणा केवतियं खेत्तं जाणंति पासंति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोसेणं अवही जाव रयणप्पभा पुढवी उड्डे जाव साई विमाणाई तिरियं जाव असंखेजा दीवसमुद्दा एवंसकीसाणा पढमं दोच्चं च सणंकुमारमाहिंदा / तच्चं च बंभलंतग सुकसहस्सारग चउत्थी॥ 1 // पाणयपाणयकप्पे देवा पासंति पंचमि पुढवीं / तं चेव श्रारणच्चुय श्रोहीनाणेण पासंति // 2 // छट्ठी हेटिममभिमगेवेज्जा सत्तमि च उवरिला / संभिराणलोगनालि पासंति अणुत्तरा देवा ॥३॥॥सू०२१६॥ Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 368) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! देवाणं कति समुग्याता पराणत्ता ?, गोयमा ! पंच समुग्याता पराणत्ता, तंजहा-वेदणासमुग्धाते कसायसमुग्घाते मारणंतियसमुग्वाते वेउब्वियसमुग्धाते तेजससमुग्धाते एवं जाव अच्चुए 2 / गेवेजाणं आदिला तिरिण समुग्धाता पराणत्ता 2 / सोहम्मीसाणदेवा केरिसयं खुधषिवासं पञ्चणुभवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! णत्थि खुधापिवासं पचणुभवमाणा विहरंति जाव अणुत्तरोववातिया 3 / सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु देवा एगतं पभू विउवित्तए पुहुत्तं पभू विउवित्तए ?, हंता पभू, एगत्तं विउव्वेमाणा एगिदियरूवं वा जाव - पंचिंदियरूवं. वा पुहृत्तं विउव्वेमाणा एगिदियख्वाणि वा जाव पंचिंदियख्वाणि वा; ताई संखेजाईपि असंखे. जाइपि सरिसाई पिअमरिसाइंपि संबद्धाइपि असंबद्धाइपि ख्वाइं विउध्वंति विउवित्ता अप्पणा जहिच्छियाई कजाई करेंति जाव अच्चुत्रो, गेवेजणुत्तरोववातिया देवा किं एगत्तं पभू विउवित्तए पुहुत्तं पभू विउव्वि. त्तए ?, गोयमा ! एगत्तंपि पुहुत्तंपि, नो चेव णं संपत्तीए विउब्बिसु वा विउव्वंति वा विउविस्संति वा 4 / सोहम्मीसाणदेवा केरिसयं साया सोक्खं पञ्चणुब्भवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! मणुराणा सदा जाव मणुराणा फासा जाव गेविजा, अणुत्तरोववाइया अणुत्तरा सहा जाव फासा 5 / सोहम्मीसाणेसु. देवाणं केरिसगा इड्डी पराणत्ता ?, गोयमा ! महिडीया महज्जुझ्या जाव महाणुभागा इड्डीए पन्नत्ता जाव अच्चुत्रो, गेवेजणुत्तरा य सब्वे महिड्डीया जार सव्वे महाणुभागा अणिंदा जाव अहमिदा णामं ते देवगणा पराणत्ता समणाउसो ! 6 // सू० 217 // सोहम्मीसाणा देवा केरिसया विभूसाए पराणता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहावेउब्बियसरीरा य अवेउब्वियसरीरा य, तत्थ णं ज़े ते वेउब्वियसरीरा ते हारविराइयवच्छा जाव दस दिसायो उजोवेमाणा पभासेमाणा जाव पडिरूवा, तत्थ णं जे ते अवेउब्वियसरीरा ते णं श्राभरणवसणरहिता Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . . . श्रीजीवानीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ) [ 399 पगतित्था विभूसाए पराणत्ता 1 / सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु देवीश्रो केरिसियाश्रो विभूसाए पराणत्तायो ?, गोयमा ! दुविधायो पराणत्तायो, तंजहा-वेउब्वियसरीरायो य अवेउब्वियसरीरायो य, तत्थ णं जात्रो वेउवियसरीरायो, ताओ सुवराणसद्दालायो सुवरणसदालाई वत्थाई पवर परिहितायो चंदाणणायो चंदविलासिणीयो चंदद्धसमणिडालाश्रो सिंगारागारचारवेसायो संगय जाव पासातीयायो जाव पडिरूवा, तत्थ णं जाओ अवेउब्बियसरीरायो तायो णं ग्राभरणवसणरहियायो पगतित्थायो विभूसाए पराणत्तायो, सेसेसु देवा देवीयो णस्थि जाव अच्चुत्रो, गेवेजगदेवा केरिसया विभूसाए पराणत्ता ?, गोयमा ! श्राभरणवसणरहिया, एवं देवी णत्थि भाणियब्वं, पगतित्था विभूसाए पराणत्ता, एवं अणुत्तरावि 2 // सू० 218 // सोहम्मीसाणेसु देवा केरिसए कामभोगे पचगुंभवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! इट्टा सदा इट्टा रूवा जाव फासा, एवं जाव गेवेजा, अणुत्तरोववातियाणं अणुत्तरा सदा जाव अणुत्तरा फासा // सू० 211 // ठिती सव्वेसि भाणियव्वा, देवित्तावि, अणंतरं चयंति चइत्ता जे जहिं गच्छति तं भाणियव्वं // सू० 220 // सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु सव्वपाणा सव्वभूया जाव सत्ता पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सतिकाइयत्ताए देवत्ताए देवित्ताए पासणसयण जाव भंडोवगरणत्ताए उववरणपुव्वा ?, हंता गोयमा ! असई श्रदुवा अणतखुत्तो, सेसेसु कप्पेसु एवं चेत्र, णवरि नो चेव णं देवित्ताए जाव गेवेजगा, अणुत्तराववातिएसुवि एवं, णो चेव ‘णं देवत्ताए देवित्ताए य। सेत्तं देवा // सू० 221 // नेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई, एवं सम्वेसिं पुच्छा, तिरिक्खजोणियाणं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिश्रोवमाई, एवं मणुस्साणवि, देवाणं जहा णेरतियाणं 1 / देवणेरइयाणं Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / श्रीमदांगमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागो जा चेव ठिती सच्चेव संचिट्ठणा, तिरिक्खजोणियस्स जहन्नेणं अंतोमुहुत्तो उक्कोसेणं वणस्सतिकालो 2 / मणुस्से णं भंते ! मणुस्सेति कालतो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिन्नि पलिश्रोवमाई पुवकोडिपुहुत्तमन्भहियाई 3 / णेइरयमणुस्सदेवाणं अंतरं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्पतिकालो 4 / तिरिक्खजोणियस्स अंतरं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सागरोवम-सयपुहुत्तसाइरेगं 5 ॥सू० 222 // एतेसि णं भंते ! गेरइयाणं जाव देवाण य कयरे२हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा मणुस्सा णेरइया असंखेजगुणा देवा असंखेजगुणा तिरिया अणंतगुणा, से तं चउबिहा संसारममावराणगा जीवा पराणत्ता // सू० 223 // चउविह पडिवत्ती॥ // इति तृतीयप्रतिपत्तौ वैमानिकाधिकारे द्वितीय उद्देशकः // 4-3-2 // // अथ पञ्चविधजीवाख्या चतुर्था प्रतिपत्तिः // तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-पंचविहा संसारसमावराणगा जीवा पराणत्ता ते एवमाहंसु, तंजहा-एगिदिया बेइंदिया तेइंदिया चरिंदिया पंचिंदिया 1 / से किं तं एगिदिया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तगा य. अपज्जत्तगा य, एवं जाव पंचिंदिया दुविहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 2 / एगिदियस्स णं भंते ! केवइयं कालं ठिती पराणता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं बावीसं वाससहस्साई, बेइंदियस्स जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं बारस संवच्छराणि, एवं तेइंदियस्स एगूणपराणं राइंदियाणं, चउरिदियस्स छम्मासा, पंचेंदियस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं, उकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई 3 / अपजत्तएगिदियस्स णं केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं एवं सव्वेसि 4 / पजत्तेगिदियाणं णं जाव पंचिंदियाणं पुच्छा, जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवामिगम-सूत्रम् : अधिकारः 1 चतुर्थी प्रतिप्रत्तिः / 401 बावीसं वाससहस्साई अंतमुहुत्तोणाई, एवं उक्कोसियावि ठिती अंतोमुहुत्तोणा सव्वेसि पजत्ताणं कायव्वा 5 / एगिदिए णं भंते ! एगिदिएत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो 6 / बेइंदियस्स णं भंते ! बेइंदियत्ति कालो केवचिरं होइ ?, जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेज्जं कालं जाव चउरिदिए संखेज्जं कालं 7 / पंचेंदिए ण भंते ! पंचिंदिएत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुतं उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहुत्तं (सहस्स) सातिरेगं 8 / एगिदिए णं अपजत्तए.णं भंते ! कालो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं जाव पंचिंदिययपज्जत्ता 1 / पजत्तगएगिदिए णं भंते! कालयो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखिजाई वाससहस्साई 10 / एवं बेइंदिएवि, णवरिं संखेजाई वासाई 11 / तेइंदिए णं भंते ! कालयो केवचिरं होति ?, संखेज्जा राइंदिया 12 / चउरिदिए णं भंते ! कालश्रो केवचिरं होति ?, संखेजा मासा 13 / पजत्तपंचिदिए सागरोवमसयपुहुत्तं सातिरेगं 14 / एगिदियस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होति ?, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साई संखेजवासमब्भहियाइं 15 / बेंदियस्म णं अंतरं कालश्रो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सइकालो 16 / एवं तेईदियस्स चउरिदियस्स पंचेंदियस्स, अपजत्तगाणं एवं चेव, पजत्तगाणवि एवं चेव 17 // सू० 224 // एएसि णं भंते ! एगिदियाणं बेइंदियाणं तेइंदियाणं चरिंदियाणं पंचिंदियाणं कयरे 2 हिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचेंदिया चरिंदिया विसेसाहिया तेइंदिया विसेसाहिया बेइंदिया विसेसाहिया एगिदिया अणंतगुणा 1 / एवं अपजत्तगाणं सव्वस्थोवा पंचेंदिया अपजत्तगा चरिंदिया अपजत्तगा विसेसाहिया तेइंदिया Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 402 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागा अपजत्तगा विसेसाहिया बेइंदिया अपजत्तगा विसेसाहिया एगिदिया अपजत्तगा श्रणंतगुणा सइंदियापजत्तगा विसेसाहिया 2 / सव्वत्थोवा चतुरिंदिया पजत्तगा पंचेंदिया पजत्तगा विसेसाहिया बेंदियपजत्तगा विसेसाहिया तेइंदियपज्जत्तगा विसेसाहिया एगिदयपजत्तगा अणंतगुणा, सइंदिया पजत्तगा विसेसाहिया 3 / एतेसि णं भंते ! सइंदियाणं पजत्तगपजत्तगाणं कयरे 2 हिंतो 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सइंदिया अपजत्तगा सइंदिया पजत्तगा संखेजगुणा। एवं एगिदियावि 4 / एतेसि णं भंते ! बेइंदियाणं पजत्तापजत्तगाणं अप्पाबहुं ? गोयमा ! सव्व. त्थोवा बेइंदिया पजत्तगा अपजत्तगा असंखेजगुणा, एवं तेंदियचउरिदियपंचेंदियावि 5 / एएमि णं भंते ! एगिदियाणं बेइंदियाणं तेइंदियाणं चरिंदियाणं पंचेंदियाण य पजत्तगाण य अपजत्तगाण य कयरे रहिंतो 4 ?, गोयमा ! सम्बत्थोवा चरिंदिया पजत्तगा पंचेंदिया पजत्तगा विसेसाहिया बेइंदिया पजत्तगा विसेसाहिया तेइंदिया पजत्तगा विसेसाहिया पंचेंदिया अपज्जत्तगा असंखेजगुणा चउरिदिया अपजत्ता विसेसाहिया तेइंदियश्रपजत्ता विसेसाहिया बेइंदिया अपजत्ता विसेसाहिया एगिदियश्रपज्जत्ता अणंतगुणा सइंदिया अपजत्ता विसेसाहिया एगिदियपजत्ता संखेजगुणा सइंदियपज्जत्ता विसेसाहिया सइंदिया विसेसाहिया 6 / सेत्तं पंचविधा संसारसमावराणगा जीवा ७॥सू० 225 // ... // इतिपञ्चविधाल्य चतुर्थी प्रतिपत्तिः॥ 1-4 // // अथ षडविधाख्य-पञ्चमी प्रतिपत्तिः // तत्थ जे ते एवमाहंसु छव्विहा संसारसमावराणगा जीवा ते एवमाहंसु, तंजहा-पुढविकाइया थाउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणस्सतिकाइया तसकाइया 1 / से किं तं पुढविकाइया ?, पुढवीकाइया दुविहा Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवा जीवाभिगम-सूत्रम् / अधिकारः 1 पञ्चमी प्रतिपत्तिः ] / 403 पराणत्ता, तंजहा-सुहुमपुढविकाइया य बादरपुढविकाइया य, सुहुमपुढवि काइया दुविहा पराणचा, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य, एवं बायरपुढविकाइयावि 2 / एवं चउक्कएणं भेएणं श्राउ-तेउ-बाउ-वणस्सतिकाइया णेयव्वा 3 / से किं तं तसकाइया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहापजत्तगा य अपजत्तगा य 4 // सू० 226 // पुढविकाइयस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं बावीसं वाससहस्साई, एवं सव्वेसि. ठिती णेयवा, तसकाइयस्स जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं, अपज्जत्तगाणं सव्वेसिं जहन्नेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पजत्तगाणं सव्वेसिं उकोसिया ठिती अंतोमुहुतऊणा कायव्वा // सू० 227 // पुढविकाइए णं भंते ! पुढविकाइयत्तिकालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं जाव असंखेज्जा लोया 1 / एवं जाव ग्राउकाइयाणं तेउकाइयाणं वाउकाइयाणं वणस्सइकाइयाणं अणंतं कालं जाव श्रावलियाए असंखेजतिभागो 2 / तसकाइए णं भंते ! तसकायत्तिकालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोस्सेणं दो सागरोवमसहस्साई संखेजवासमब्भहियाई 3 / अपजत्तगाणं छराहवि जहराणेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पज्जतगाणं-वाससहस्सा संखा पुढविदगाणिलतरूण पजत्ता / तेऊ राइदिसंखा तससागरसतपुहुत्ताई // 1 // पजत्तगाणवि सम्वेसि एवं 4 / पुढविकाइयस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होति ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं वणप्फतिकालो 5 / एवं पाउतेउवाउकाइयाणं वणस्सइकालो, तसकाइयाणवि, वणस्सइकाइयस्म पुदिविकाइयकालो 6 / एवं अपज्जत्तगाणवि वणस्सइकालो, वणस्सईणं पुढविकालो, पजत्तगाणवि एवं चेव वणस्सइकालो, पजत्तवणस्सईणं पुढविकालो 7 // सू० 228 // अप्पाबहुयं-सव्वत्थोवा तसकाइया तेउकाइया असंखेजगुणा पुढविकाइया Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 404 ) [ श्रीमदागमसुधामिन्धुः :: पञ्चमो विभागः विसेसाहिया ग्राउकाइया विसेसाहिया वाउक्काइया विसेसाहिया वणस्सतिकाइया अणंतगुणा एवं अपजत्तगावि पजतगावि 1 / एतेसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं पजत्तगाण य अपजत्तगाण य कपरेशहितो अप्पा वा एवं जाव विसेसाहिया ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पुदविकाइया अपजत्तगा पुढविकाइया पजत्तगा संखेजगुणा 2 / एतेसि णं भंते / श्राउकाइयाणं पजतगाण य अपजत्तगाण य कयरेशहितो अप्पा वा एवं जाव विसेसाहिया सम्बत्थोवा पाउकाइया अपजत्तगा पजत्तगा संखेजगुणा जाव वणस्सतिकाइयावि, सम्वत्थोवा तसकाइया पजत्तगा तासकाइया अपजत्तगा श्रसंखेजगुणा 3 / एएसि णं भंते ! पुढविकाइयाग जाव तसकाइयाणं पजतगाणं अपजत्तगाण य कयरे२हिंतो अप्पा वा 4 ?, सम्वत्थोवा तसकाइया पजत्तगा तसकाझ्या अपजत्तगा असंखेजगुणा तेउकाइया अपजत्ता असं. खेजगुणा पुढविकाइया श्राउकाइया वाउकाइया अपजत्तगा विसेसाहिया तेउकाइया पजत्तगा संखेजगुणा पुढवियाउबाउपजत्तगा विसेसाहिया, वणस्सतिकाइया अपजत्तगा अणंतगुणा तसकाइया अपजत्तगा विसेसाहिया, वणस्सतिकाइया पजत्तगा संखेजगुणा, सकाइया पजत्तगा विसेसाहिया 4 // सू० 221 // सुहुमस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, एवं जाव सुहुमणियोयस्स, एवं अपजत्तगाणवि पजत्तगाणवि जहराणेणवि उक्कोसेणवि यंतोमुहुत्तं // सू० 230 // सुहुमे णं भंते ! सुहुमेत्ति कालतो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं असंखेजकालं जाव असंखेजा लोया, सव्वेसिं पुढविकालो जाव सुहुमणियोयस्स पुढविकालो, अपजत्तगाणं सव्वेसि जहराणेणवि उक्कोसेणवि यंतोमुहुत्तं, एवं पजत्तगाणवि सव्वेसिं जहराणेणवि उक्कोसेणवि यंतोमुहुत्तं // सू० 231 // सुहुमस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणं Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / अधिकारः 1 पञ्चमी प्रतिपत्तिः ] [405 अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं कालो असंखेजायो उस्सप्पिणीश्रोसप्पिणीयो खेत्तथो अंगुलस्स असंखेजतिभागो 1 / सुहुमवणस्सतिकाइयस्स सुहुमणिोयस्सवि जाव असंखेजइभागो 2 / पुढविकाइयादीणं वणस्सतिकालो 3 / एवं अपज्जत्तगाणं पजत्तगाणवि 4 // सू० 232 // एवं अप्पाबहुगं, सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया सुहुमपुढविकाइया विसेसाहिया सुहुमाउवाऊ विसेसाहिया सुहुमणिपोया असंखेजगुणा सहुमवणस्सतिकाइया अणंतगुणा सुहुमा विसेमाहिया, एवं अपजत्तगाणं, पजत्तगाणवि एवं चेव 1 / एतेसि णं भंते ! सुहुमाणं पजत्तापजत्ताणं कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, सव्वत्थोवा सुहुमा अपजत्तगा संखेजगुणा पज्जत्तगा एवं जाव सुहमणिगोया 2 / एएसि णं भंते ! सुहुमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं जाव सुहमणिपोयाण य पजत्तापजत्ताणं कयरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया अपजत्तगा सुहुमपुढविकाइया अपजत्तगा विसेसाहिया सुहुमाउअपजत्ता विसेसाहिया सुहुमवाउअपज्जत्ता विसेसाहिया सुहुमतेउकाइया पजत्तगा संखेजगुणा सुहुमपुढविश्राउवाउपजत्तगा विसेसाहिया सुहुमणियोया अपजसगा असंखेजगुणा सुहुमणिपोया पजत्तगा संखेजगुणा सुहुमवरणस्सतिकाइया अपजत्तगा अणंतगुणा सुहुमत्रपजत्तगा विसेसाहिया सुहुमवणस्सइपजत्तगा संखेजगुणा सुहुमा पजत्ता विसेसाहिया 3 // सू० 233 // बायरस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई पराणत्ता 1 / एवं बायरतसकाइयस्सवि बायरपुढवीकाइयस्स बावीसवाससहस्साई बायरग्राउस्स सत्तवाससहस्सं बायरतेउस्स तिरिण राइंदिया बायरवाउस्स तिरिण वाससहस्साई बायरवणस्सइकाइयस्स दसवासससहस्साइं 2 / एवं पत्तेयसरीरबादरस्सवि, णियोयस्स जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 3 / एवं बायरणि I Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 406 ) श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः श्रीयस्सवि, अपजत्तगाणं सब्वेसिं अंतोमुहुत्तं, पजत्तगाणं उक्कोसिया ठिई अंतोमुहुत्तूणा कायव्वा सव्वेसि 4 // सू. 234 // बायरे णं भंते ! बायरेत्ति कालो केवचिरं होति ?, जहणणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं असंखेज्जं कालं असंखेजायो उस्सप्पिणीयोसप्पिणीयो कालश्रो खेत्तथो अंगुलस्स असंखेजतिभागो, बायरपुढविकाइय-अाउतेउवाउकाइयस्स पत्तेयसरीर-बादर-वणस्सइकाइयस्स बायरनियोयस्स [बायरवणस्सइस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं असंखेजायो उस्सप्पिणीयो कालो खेत्तयो अंगुलस्स असंखेजतिभागो पत्तेगसरीरबादरवणस्संतिकाइयस्स बायरनिगोअस्स पुटवीव, बायरणियोयस्स णं जहराणोणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं अणंता उस्सप्पिणीयो काल यो खेत्तो अड्डाइजा पोग्गलपरियट्टा ] एतेसिं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्तरि सागरोवमकोडाकोडीयो संखातीयानो समाश्रो अंगुलअसंखभागो तहाअसंखेजा उ ोहे य बायरतरुअणुबंधो सेसो वोच्छं। उस्सप्पिणि 2 अड्डाइयपोग्गलाण परियट्टा // बेउदधिसहस्सा खलु साधिया होति तसकाए // 1 // अंतोमुहुत्तकालो होइ अपजत्तगाण सव्वेसि // पज्जत्तबायरस्स य बायरतसकाइयस्सावि // 2 // एतेसि टिई सागरोवमसतयुहत्तं साइरेगं / तेउस्स संख राई [दिया] दुविहणियोए मुहुत्तमद्धं तु / सेसाणं संखेजा वाससहस्सा य सव्वेसि // 3 // सू० 235 // अंतरं बायरस्स बायरवणस्सतिस्स णियोंयस्स बायरणियोयस्स एतेसिं चउराहवि पुढविकालो जाव असंखेजा लोया, सेसाणं वणस्ततिकालो 1 / एवं पजत्तगाणं अपजत्तगाणवि अंतरं, ग्राहे य बायरतरु श्रोपनियोए बायरणिोए य कालमसंखेज्जं अंतरं सेसाण वणस्सतिकालो 2 // सू० 236 // अप्पाबहुगं सव्वत्थोवा बायरतसकाइया बायरतेउकाइया असंखेजगुणा पत्तेयसरीरबादरवणस्सतिकाइया असंखेजगुणा बायरणिोया असंखेजगुणा Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 पश्चमी प्रतिपत्तिः ] [ 407 बायरपुढवि असंखेजगुणा पाउवाउ असंखेजगुणा बायरवणस्सतिकाइया अणंतगुणा बायरा विसेसाहिया 1 / एवं अपजत्तगाणवि 2 / पजत्तगाणं सम्बत्थोवा बायरतेउकाइया बायरतसकाइया असंखेजगुणा पत्तेगसरीरबायरा असंखेजगुणा सेसा तहेव जाव बादरा विसेसाहिया 3 / एतेसि णं भंते ! बायराणं पजत्तापजत्ताणं कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, सव्वत्थोवा बायरा पजत्ता बायरा अपजत्तगा असंखेजगुणा, एवं सव्वे जहा बायरतसकाइया 4 / एएसि णं भंते ! बायराणं बायरपुढविकाइयाणं जाव बायरतसकाइयाण य पजत्तापजत्ताणं कयरे२हिंतो अप्पा वा 41, सव्वत्थोवा बायरतेउकाइया पजत्तगा बायरतसकाइया अपजत्तगा असंखेजगुणा पत्तेयसरीरबायरवणसतिकाइया पजत्तगा असंखेजगुणा बायरणियोया पजत्तगा असंखेजगुणा पुढविश्राउवाउपजत्तगा असंखेजगुणा बायरतेउ. अपजत्तगा असंखेजगुणा पत्तेयसरीरबायरवणस्सतिश्रपज्जत्तगा. असंखेज गुणा बायरा णिश्रोया अपजत्तगा असंखेजगुणा बायरपुढवित्राउ. वाउ अपजत्तगा असंखेजगुणा बायरवणस्सइ-पजत्तगा अणंतगुणा बायरपजत्तगा विसेसाहिया बायरवणस्सति अपजत्ता असंखगुणा बायरा अपजत्तगा विसेसाहिया बायरा पजत्तगा विसेसाहिया 5 / एएसि णं भंते ! सुहृमाणं सुहृमपुढविकाइयाणं जाव सुहुमनिगोदाणं बायराणं बायरपुढविकाइयाणं जाव बायरतसकाइयाण य कयरे२हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सवत्थोवा बायरतसकाइया बायरतेउकाइया असंखेजगुणा पत्तेयसरीरबायरवणा असंखेजगुणा तहेव जाव बायरवाउकाइया असंखेजगुणा सुहुमतेउकाइया असंखेजगुणा सुहुमपुढविकाइया विसेसाहिया सुहमश्राउकाइया सुहुमवाउकाइया विसेसाहिया सुहुमनियोया असंखेजगुणा बायरवणस्सतिकाइया अणंतगुणा बायरा विसेसाहिया सुहुमवणस्सइकाइया असंखेजगुणा सुहुमा विसेसाहिया 6 / एवं अपजत्तगावि पजत्तगावि, णवरि सव्वत्थोवा Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 408 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः बायरतेउकाइया पजत्ता बायरतसकाइया पजत्ता असंखेजगुणा पत्तेयसरीरबायरवणा असंखेजगुणा, सेसं तहेव जाव सुहुमपजत्ता विसेसाहिया 7 / एएसि णं भंते ! सहुमाणं बादराण य पजत्ताणं अपजत्ताण य कयरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, सव्वत्थोवा बायरा पजत्ता बायरा अपजत्ता असंखेजगुणा सव्वत्थोवा सुहुमा अपजत्ता सुहुमपजत्ता संखेजगुणा, एवं सुहुमपुढविबायरपुढवि जाव सुहुमनियोया बायरनियोया नवरं पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइया सव्वत्थोवा पजत्ता अपजत्ता असंखेजगुणा, एवं बादरतप्तकाइयावि 8 / सव्वेसि पजत्तथपजत्तगाणं कयरेशहितो अप्पा वा 4 ?, सव्वत्थोवा बायरतेउकाइया पजत्ता बायरतसकाइया पजत्तगा असंखेजगुणा तेचेव अपजतगा असंखेजगुणा पत्तेयसरीरवायरवणस्सइअपनत्तगा असंखेजगुणा बायरणियोया पंजत्ता असंखेजगुणा बायरपुढविकाइया असंखेजगुणा ग्राउवाउपजत्ता असंखेजगुणा बायरतेउकाइयअपजत्ता असंखेजगुणा पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइया असंखेजगुणा बायरनियोयपजत्ता असंखेजगुणा बायरपुदविकाइया पाउवाउकाइया अपजत्तगा असंखेजगुणा सुहुमतेउकाइया अपजत्तगा असंखेजगुणा सुहुमपुढवि-श्राउवाउ-अपजत्ता विसेसाहिया सुहुम-तेउकाइयपजत्नगा संखेजगुगा सुहुम-पुढवि-श्राउवाउ-पजत्तगा विसेसाहिया सुहुमणिगोया अपजत्तगा असंखेनगुणा सहुमणिगोया पजत्तगा असंखेजगुणा बायरवणस्सतिकाइया पजत्तगा अणंतगुणा बायरा पजत्तगा विसेमाहिया बायरवणस्सइ अपजत्ता असंखेजगुणा बायरा अपजत्ता विसेसाहिया बायरा विसेसाहिया सुहुमवणस्सतिकाइया अपजत्तगा असंखेजगुणा सुहुमा अपजत्ता विसेसाहिया सुहुमवणस्सइकाइया पजत्ता संखेजगुणा सुहुमा पजत्तगा विसेसाहिया सुहुमा विसेसाहिया 1 // सू० 237 // कतिविहा णं भंते ! णिोया पराणत्ता ?, गोयमा! दुविहा णियोया पराणत्ता, तंजहा-णिोया य णियोदजीवा य 1 / णिश्रोया णं भंते ! Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाज़ीवाभिगम-सूत्रम् / अधिकारः 1 पश्चमी प्रतिपत्तिः ) [ 406 कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सुहुमणियोया य बायरणियोया य 2 / सुहुमणिश्रोया णं भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 3 / बायरणियोयावि दुरिहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 4 / णियोयजीवा णं भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, दुविहा पराणत्ता, तंजहासुहुमणिश्रादजीवा य बायरणिोयजीवा य 5 / सुहुमणिगोदजीवा दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तगा- य अपजत्तगा य 6 / बादरणिगोदजीवा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 7 // सू० 23 // निगोदा णं भंते ! दवट्टयाए कि संखेजा असंखेजा श्रणंता ?, गोयमा ! नो संखेजा असंखेजा नो अणंता, एवं पजत्तगावि अपजत्तगावि 1 / सुहुमनिगोदा णं भंते ! दवट्ठयाए किं संखेजा असंखेजा. श्रणंता ?, गोयमा ! णो संखेजा असंखेजा णो अणंता, एवं पजत्तगावि अपज्जतगावि, एवं बायरावि पजत्तगावि अपजत्तगावि णो संखेजा असंखेजा णो अणंता 2 / णिश्रोदजीवा णं भंते ! दवट्टयाए किं संखेजा असंखेज्जा अणंता ?, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा गणंता, एवं पज्जत्तावि श्रपजत्तावि, एवं सुहुमणिश्रोयजीवावि पजत्तगावि अपज्जत्तगावि, बादरणिोदजीवावि पजत्तगावि अपजत्तगावि 3 / णिश्रोदा णं भंते ! पदेसट्टयाए किं संखेजा ? पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा श्रता, एवं पजत्तगावि अपजत्तगावि 4 / एवं सुहुमणिपोयावि पज्जत्तगावि अपजत्तगावि य, पएसट्टयाए सव्वे अणंता, एवं बायरनिगोयावि पजत्तयावि अपजत्तयावि, पएसट्टयाए सव्वे अणंता, एवं णित्रोदजीवा नव(सत्त)विहावि पएसट्टयाए सव्वे अणंता 5 / एएसि णं भंते.! णिश्रोयाणं सुहुमाणं बायराणं पजत्तयाणं अपजतगाणं दवट्टयाए पएसट्टयाए दवट्ठपएसट्टयाए कयरे२हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बादरणियोयपजत्तगा Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 410 ] [ श्रीपदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः दवट्टयाए बादरनिगोदा अपजत्तगा दवट्टयाए असंखेज्जगुणा सुहुमणियोदा अपजत्तगा दव्यट्टयाए असंखेजगुणा सुहुमणियोदा पज्जत्तगा दबट्टयाए संखिजगुणा. एवं पदेमट्टयाएवि 6 / दबट्ठपदेसट्टयाए सव्वत्थोवा बादरणियोया य पजत्ता दवट्ठयाए जाव सुहुमणियोदा पजत्ता य दवट्टयाए संखेजगुणा, सुहुमणियोएहितो पजत्तएहितो दव्वळुयाए वायरणिगोदा पजत्ता पए मट्ठया अणंतगुणा बायरणियोदा अपजत्ता पएसट्टयाए असंखेजगुणा जाव सुहुमणियोया पजत्ता पएसट्टयाए संखेजगुणा 7 / एवं णिोयजीवावि, णवरि संकमए जाव सुहुमणियोयजीवेहितो पजत्तएहितो दबट्टयाए बायरणियोयजीवा पजत्ता पदेसट्टयाए असंखेजगुणा, सेसं तहेव जाव सुहुमणियोयजीवा पजत्ता पएसट्टयाए संखेजगुणा 8 / एतेसि णं भंते !. णिगोदाणं सुहुमाणं बायराणं पजत्ताणं अपजत्ताणं णिोयजीवाणं सुहुमाणं बायराणं पजत्तगाणं अपजत्तगाणं दवट्टयाए पएसट्टयाए दवट्ठपएसट्ठयाए कयरेशहितो अप्पा वा 4 ?, सव्वत्थोवा बायरणिोदा पजत्ता दवट्ठयाए बायरणियोदा अपजत्ता दबट्टयाए असंखेजगुणा सुहुमणिगोदा अपजत्ता दवट्ठयाए असंखेजगुणा सुहमणियोदा पजत्ता दबट्टयाए संखेजगुणा सुहुमणिोएहितो दवट्ठयाए बायरणियोदजीवा पजत्ता दवट्ठयाए अणंतगुणा बायरणियोदजीवा अपजत्ता दवट्टयाए यसंखेजगुणा सुहमणियोदजीवा अपजत्ता दवट्ठयाए असंखेजगुणा सुहुमणियोयजीवा पजत्ता दव्वट्ठयाए संखेजगुणा, पएसट्टयाए सव्वत्थोवा बायरणियोदजीवा पजत्ता पएसट्टयाए बायरणि योदा अपजत्ता पएसट्टयाए असंखेजगुणा सुहुमणियोयजीवा अाजत्तया पएसट्टयाए असंखेजगुणा सुहुमणिगोदजीवा पजत्ता पएसट्टयाए संखेजगुणा सुहुमणियोदजीवेहितो पएसट्टयाए वायरणिगोदा पज्जत्ता पदेसट्टयाए अणंतगुणा, बायरणियोया अपजत्ता पएसट्टयाए असंखेजगुणा जाव सुहुमणियोया पजत्ता पएसट्टयाए Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम सूत्रम :: अ० 1 षष्ठी प्रतिपत्तिः ] [ 411 संखेजगुणा, दव्वट्ठपएसट्टयाए सव्वत्थोवा वायरणिोया पजत्ता दव्वट्ठयाए बायरणियोदा अपजत्ता दवट्ठयाए असंखेजगुणा जाव सुहुमणिगोदा पज्जत्ता दव्वट्ठयाए संखेजगुणा सुहुमणिोदेहितो दबट्टयाए बायरणियोदजीवा पजत्ता दव्वट्टयाए अणंतगुणा सेसा तहेव जाव सुहुमणियोदजीवा पन्नत्तगा दव्वट्ठयाए संखेजगुणा सुहुमणियोयजीवेहितो पज्जत्तएहितो दव्वट्ठयाए बायरणिोयजीवा पजसा पदेसट्टयाए असंखेजगुणा सेसा तहेव जाव सुहुमणिोया पजत्ता पएसट्टयाए. संखेजगुणा 1 / सेत्तं छविहा संसार. समावरणगा जीवा 10 // सू० 231 // छब्बिह पडिवत्ती॥ ... // इति षड्विधाख्या पञ्चमी प्रतिपतिः // 5 // // अथ सप्तविधाख्या षष्ठी प्रतिपत्तिः // तत्थ जे ते एवमाहंसु सत्तविहा संसारसमावराणगा जीवा ते एवमाहंसु, तंजहा-नेरइया तिरिक्खा तिरिक्खजोणिणीयो मणुस्सा मणुस्सीयो देवा देवीथो 1 / रतियस्स ठिती जहन्नेणं दसवाससहस्साइं उकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई, तिरिक्खजोणियस्स जहराणेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिश्रोवमाई, एवं तिरिक्खजोणिणीएवि, मणुस्साणवि मणुस्सीणकि, देवाण ठिती जहा णेरइयाणं, देवीणं जहणणेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं पणपराणपलिश्रोवमाणि 2 / नेरइयदेवदेवीणं जच्चेव ठिती सच्चेव संचिट्ठणा 3 / तिरिक्खजोणिणीणं जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उकोसेणं तिन्नि पलिश्रोवमाई पुवकोडिपुहुत्तमभहियाई 4 / एवं मणुस्सस्स मणुस्सीएवि 5 / णेरझ्यस्स अंतरं जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं वणस्सतिकालो 6 / एवं सव्वाणं तिरिक्खजोणियवज्जाणं, तिरिक्खजोणियाणं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं सागरोवमसतपुहृत्तं सातिरेगं 7 / श्रप्पाबहुयं-सव्वत्थोवायो मणुस्सीयो मणुस्सा असंखेजगुणा नेरइया असंखेज Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 412 / -. / श्रीमदाममसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः गुणा तिरिक्खजोणिणीश्रो असंखेजगुणाश्रो देवा असंखेजगुणा देवीश्रो संखेजगुणाश्रो तिरिक्खजोणिया अणंतगुणा 8 / सेत्तं सत्तविहा संसारसमावराणगा जीवा 1 // सू० 240 // // इति षष्ठी प्रतिपत्तिः // .. // अथ अष्टविधाख्या सप्तमी प्रतिपत्तिः // . तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-अट्टविहा संसारसमावराणगा जीवा ते एवमाहंसु-पढमसमयनेरतिया अपढमसमयनेरइया पढमसमयतिरिक्खजोणिया अपढमसमयतिरिक्खजोणिया पढमसमयमणुस्सा अपढमसमयमणुस्सा पढमसमयदेवा अपढमसमयदेवा 1 / पढमसमयनेरइयस्म णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! पढमसमयनेरइयम्स जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणवि एक्कं समयं 2 / अपढमसमयनेरइयस्स जहराणेणं दसवाससहस्साई समऊणाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं समऊणाई 3 / पढमसमयतिरिक्खजोणियस्स जहराणेणं एवकं समयं उक्कोसेणवि एक्कं समयं, अपढमसमयतिरिक्खजोणियस्स जहगणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उकोसेणं तिनि पलिश्रोवमाइं समऊणाई, एवं मणुस्साणवि जहा तिरिक्खजोणियाणं, देवाणं जहा रतियाणं ठिती 4 / णेरइयदेवाणं जच्चेव ठिती सच्चेव संचिटणा दुविहाणवि 5 / पढमसमतिरिक्खजोणिए णं भंते ! पढमसमयतिरिक्खजोणियत्ताए कालश्रो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणं एक समयं उक्कोसेणवि एक्कं समयं, अपढमतिरिक्खजो. णियस्स जहराणेणं खुड्डागं भवंग्गहणं समऊणं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो 6 / पढेमसमयमणुस्साणं जहरणेणं उकासेणवि एक्कं समयं, अपंढममणुस्सणं जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्कोस्सेणं तिनि पलिग्रोवमाइं पुव्वकोडिपुहुत्तमब्भहियाई 7 / अंतरं Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री जीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 प्रतिपत्तिः ] [ 413 पढमसमयणेरतियस्स जहणणेणं दसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं वणसतिकालो, अपढमसमयनेरतियस्स जहराणेणं अंतोमुहत्तं उक्कोस्सेणं वणस्सतिकालो 8 / पढमसमयतिरिखखजोणिए जहरणेगणं दो खुड्डागभवग्गहणाई समऊणाई उकोसेणं वणस्सतिकालो; अपढमसमयतिरिक्खजोणियस्स जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उकोसेणं सागरोवमसतपुहुत्तं सातिरेगं 1 / पढमसमयमणुस्सस्स जहराणेणं दो खुड्डाई भवग्गहणाई समऊणाई उक्कोसेणं वणस्सतिकालो, अपढमसमयमणुस्सस्स जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उकोसेणं वणस्सतिकालो 10 / देवाणं जहा नेरइयाणं जहराणेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमब्भहियाई उक्कोसेणं वणस्सइकालो, अपढमसमयदेवाणं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सइकालो 11 / अप्पाबहुगं एतेसि णं भंते ! पढमसमयनेरझ्याणं जाव पढमसमयदेवाण य कतरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पढमसमयमणुस्सा पढमसमयणेरड्या असंखेजगुणा पढमसमयदेवा असंखेजगुणा पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखेजगुणा 12 / अपढमसमयनेरइयाणं जाव अपढमदेवाणं एवं चेव अप्पबहुगं णवरि अपढमसमय-तिरिक्खजोणिया अणंतगुणा 13 / एतेसिं पढमसमयनेरइयाणं अपढमसमयणेरतियाणं कयरे 2 अप्पा वा 4 ?, सव्वत्थोवा पदमसमयणेरतिया अपढमसमयनेरइया असंखेजगुणा, एवं सव्वे 14 / पढमसमयणेरइयाणं जाव अपदमसमयदेवाण य कयरे 2 अप्पा वा 4 ?, सव्वत्थोवा पढमसमयमणुस्सा अपदमसमयमणुस्सा असंखेजगुणा पटमसमयणेरइया असंखिजगुणा पढमसमयदेवा असंखेजगुणा पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखेजगुणा अपढमसमयनेरइया असंखेजगुणा अपढमसमयदेवा असंखेनगुणा अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा 15 / सेत्तं अट्ठविहा संसारसमावराणगा जीवा 16 // सू० 241 // अट्टविहपडिवत्ती समत्ता // // इति सप्तमी प्रतिपत्तिः / / 1-7 // Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 414 ) | श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः // अथ नवविधाख्याष्ठमी प्रतिपत्तिः // ... तत्थ णं जे ते एवमाहंसु णवविधा संसारसमावराणगा जीवा पराणत्ता, ते एवमाहंसु-पुढविकाइया घाउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणस्सइकाइया बेइंदिया तेइंदिया चरिंदिया पंचेंदिया 1 / ठिती सव्वेसि भाणियका 2 / पुढविकाइयाणं संचिट्टणा पुढविकालो जाव वाउकाइयाणं, वणस्सईणं वणस्सतिकालो, बेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया संखेज्जं कालं, पंचेंदियाणं सागरोवमसहस्सं सातिरेगे 3 / अंतरं सव्वेसिं अणुतं कालं, वणस्सतिकाइयाणं असंखेज्जं कालं 4 / अप्पाबहुगं, सव्वत्थोवा पंचिदिया चउरिदिया विसेसाहिया. तेइंदिया विसेसाहिया बेइंदिया विसेसाहिया तेउकाइया असंखेजगुणा पुढविकाइया श्राउकाइया वाउकाइया विसेसाहिया वणस्सतिकाइया अणंतगुणा 5 / सेत्तं णवविधा संसारसमावराणगा जीवा 6 // सू० 242 // णवविहपडिवत्ती समत्ता // // इति अष्टमी प्रतिपत्तिः // 1-8 // ... // अथ दशविधाख्या नवमी प्रतिपत्तिः // तत्थ णं जे ते एवमाहंसु दसविधा संसारसमावरणगा. जीवा ते एवमाहंसु तंजहा-पढमसमयएगिदिया अपढमसमयएगिदिया पढमसमयबैइंदिया अपढमसमयबेइंदिया जाव पढमसमयपंचिंदिया अपढमसमयपंचिंदिया 1 / पढमसमयएगिदियस्स ण भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?; गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणवि एक्क, अपढमसमयएगिदियस्स जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई समऊणाई 2 / एवं सज्वेसि पढमसमयिकाणं जहराणेणं एको समयो उक्कोसेणं एको संमत्रों, अपढमसमयिकाणं जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्कोसेणं जा जस्स ठिती सा समऊणा जाव पंचिंदियाणं तेत्तीसं सागरोवमाई Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 नवमी प्रतिपत्तिः ] / 415 समऊणाई 3 / संचिट्ठणा पढमसमइयस्स जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं एक्कं समयं, अपढमसमयकाणं जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उकोस्सेणं एगिदियाणं वणस्ततिकालो, बेइंदियतेइंदियउरिदियाणं संखेज्जं कालं पंचेंदियाणं सागरोवमसहस्सं सातिरेगं 4 / पढमसमयएगिदियाणं केवतियं अंतरं होति ?, गोयमा ! जहन्नेणं दो खुड्डागभवग्गहणाई समऊणाई, उकोसेणं वणस्सतिकालो, अपढमसमयएगिदियाणं अंतरं जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साई संखेजवासमभहियाई, सेसाणं सव्वेसिं पढमसमयिकाणं अंतरं जहराणेणं दो खुड्डाई भवग्गहणाई समऊणाई उकोसेणं वणस्सतिकालों, अपढमसमयिकाणं सेसाणं जहरणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो 5 / पढमसमइयाणं सव्वेसि सव्वत्थोवा पढमसमयपंचेंदिया पढ़मसमय उरिंठिया विसेसाहिया पढमसमयतेइंदिया विसेसाहिया पढमसमयबेइं. दिया विसेसाहिया पढमसमयएगिदिया विसेसाहिया 6 / एवं अपढमसमयिकावि णवरि अपढमसमयएगिदिया अणंतगुणा 7 / दोराहं अप्पबहू, सव्वत्थोवा पढमसमयएगिदिया अपढमसमयएगिदिया अणंतगुणा सेसाणं सव्वत्थोवा पढमसमयिगा अपढमसमयिगा असंखेजगुणा 8 / एतेसि णं भंते! पढमसमयएगिदियाणं अपढमसमयएगिदियाणं जाव अपढमसमयपंचिंदियाण य कयरे 2 थप्पा वा 4 ?, सव्वत्थोवा पढमसमयपंचेंदिया पढमसमयचउरिदिया विसेसाहिया पढमसमयतेइंदिया विसेसाहिया एवं हेट्टामुहा जाव पढमसमयएगिदिया विसेसाहिया अपढमसमयपंचेंदिया असंखेजगुणा अपढमसमयचरिंदिया विसेसाहिया जाव अपढमसमयरगिदिया अणंतगुणा 1 ॥सू० 243 // सेत्तं दसविहा संसारसमावरा णगा जीवा / सेत्तं संसारसमावराण जीवाभिगमे // // इति नवमी प्रतिपत्तिः // 19 // // इति संसारसमापन्नजीवाभिगमः // 1 // Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 416 ) ... [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमी विभागः // अथ संसारासंसार-समापन्न-जीवाभिगमः॥ // अथ द्विविधाख्या प्रथमा प्रतिपत्तिः // से किं तं सबजीवाभिगमे ?, सव्वजीवेसु णं इमायो णव पडि. वत्तीश्रो एवमाहिज्जंति एगे एवमाहंसु-दुविहा सव्वजीवा पराणत्ता, जाव दसविहा सव्वजीवा पाणत्ता 1 / तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-दुविहा सव्वजीग पराणत्ता, ते एवमाहंसु, तंजहा-सिद्धा य असिद्धा य इति 2 / सिद्धे णं भंते ! सिद्धेत्ति कालतो केवविरं होति ?, गोयमा ! सातीअपजवसिए 3 / असिद्धे णं भंते ! असिद्धेत्ति कालतो केवचिरं होति ?, गोयमा ! असिद्धे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-प्रणाइए वा अपजवसिए श्रणातीए वा सपजवसिए 4 / सिद्धस्स णं भंते ! केवतिकालं अंतरं होति ?, गोयमा ! सातियस्म अपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं 5 / प्रसिद्धस्स णं भंते! केवइयं अंतरं होइ ?, गोयमा ! अणातियस्स अपजवसियस्स मत्थि अंतरं, श्रणातियस्स सपजवसियस्सवि णत्थि अंतरं 6 / एएसि णं भंते ! सिद्धाणं असिद्धाण य कयरे 2 अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सिद्धा श्रसिद्धा अणंतगुणा 7 // सू० 244 // अहवा दुविहा सव्वजीवा पराणत्ता, तंजहा-सइंदिया चेव अणिंदिया चेव / / सइंदिए णं भंते ! कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सइंदिए दुविहे पराणत्ते-श्रणातीए वा अपज्जवसिए श्रणाईए वा सपजवसिए, अणिदिए सातिए वा अपजवसिए. दोराहवि अंतरं नत्थि 2 / सव्वत्थोवा अणिदिया सइंदिया अणंतगुणा 3 / अहवा दुविहा सव्वजोवा पराणत्ता, तंजहा-सकाइया चेव अकाइया चेव एवं चेव, एवं सजोगी चेव अजोगी चेव तहेव, [ एवं सलेस्सा चेव अलेस्सा चेव, ससरीरा चेव सरीरा चेव] संचिट्ठणं अंतरं अप्पाबहुयं जहा सइंदि याणं 4 / अहवा दुविहा सबजीवा पराणत्ता, तंजहा-सवेदगा चेव अवेदगा चेव 5 / Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 2 प्रथमा प्रतिपत्तिः ] / 417 सवेदए णं भंते ! सवेदए कालतो केवचिरं होति ? गोयमा ! सवेयए तिविहे पराणत्ते, तंजहा-श्रणादीए अपजवसिते अणादीए सपजवसिए साइए सपज्जवसिए, तत्थ णं जे से साइए सपजवसिए से जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं जाव खेतो अवड्ड पोग्गलपरियट्ट देसूणं 6 / अवेदए णं. भंते ! अवेयएत्ति कालो केवचिरं होइ ? गोयमा ! अवेदए दुविहे पराणत्ते, तंजहा-सातीए वा अपजवसिते साइए वा सपज्जवसिए, तत्थ णं जे से सादीए सपज्जवसिते से जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुर्त 7 / सवेयगस्स णं भंते ! केवतिकालं अंतरं होइ ?, अणादियस्स अपजवसियस णत्थि अंतरं, अणादियस्स सपजवसियस्स नत्थि अंतरं, सादीयस्स सपजवसियस्स जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं 8 / अवेदगस्स. णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होइ ?, सातीयस्स अपजवसियस्स णत्थि अंतरं, सातीयस्स सपजवसियस्स जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं जाव अवट्ठ पोग्गलपरियट्ट देसूणं 1 ! अप्पाबहुगं, सव्वत्थोवा अवेयगा सवेयगा अणंतगुणा 10 / एवं सकसाई चेव अकसाई चेव 2 जहा सवेयके तहेव भाणियब्वे 11 / अहवा दुविहा सबजीवा-सलेसा य अलेसा य जहा प्रसिद्धा सिद्धा, सव्वत्थोवा अलेसा सलेसा अणंतगुणा 12 // सू० 245 // श्रहवा दुविहा सबजीवा पराणत्ता, तंजहा-णाणी चेव अराणाणी चेव, णाणी णं भंते ! कालो केवचिरं होति ?, णाणी दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सातीए वा अपज्जवसिए सादीए वा सपजवसिए, तत्थ णं जे से सादीए सपजवसिते से जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं छावट्ठिसागरोवमाई सातिरेगाई, अराणाणी जहा सवेदया 1 / णाणिस्म अंतरं जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणंत कालं अवड्ड पोग्गलपरियट्ट देसूणं 2 / अण्णाणियस्स दोराहवि श्रादिलाणं णस्थि अंतर, सादीयस्स सपजवसियस्स जहरणेणं Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 418 ) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं छावटैि सागरोवमाइं साइरेगाई 3 / अप्पाबहुगं सव्वस्थोवा गाणी अराणाणी अगांतगुणा 4 / अहवा दुविहा सव्वजीवा पन्नत्ता, तंजहा-सागरोवउत्ता य अणागारोवउता य, संचिट्ठणा अंतरं च जहराणेणं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं, अप्पाबहु सागारोवउत्ता संखेजगुणा 5 // सू० 246 // ग्रहवा दुविहा सव्वजीवा पराणत्ता, तंजहापाहारगा चेव अणाहारगा चेव 1 / श्राहारए -णं भंते ! जाव केवचिरं होति ?, गोयमा ! थाहारए दुविहे पराणत्ते, तंजहा-छउमत्थंथाहारए य केवलियाहारए य 2 / छउमस्थाहारए णं जाव केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहगणेणं खुड्डागं भवग्गहणं दुसमऊणं उकोसेणं असंखेज कालं जाव कालो असंखेजायो उस्सप्पिणीप्रोस्सप्पिणीयो खेत्तत्रो अंगुलस्स असंखेजतिभागं 3 / केवलियाहारए णं जाव केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं देसूणा पुव्वकोडी 4 / अणाहारए णं भंते ! केयचिरं होति ?, गोयमा ! अणाहारए दुविहे पराणत्ते, तंजहाछउमत्थश्रणाहारए य केवलिश्रणाहारए य 5 / छउमत्थश्रणाहारए णं जाव केवचिरं होति ?; गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उकस्सेणं दो समया 6 / केवलिश्रणाहारए दुविहे पराणत्ते, तंजहा-सिद्धकेवलित्रणाहारए य भवत्थकेवलिश्रणाहारए य 7 / सिद्ध केवलियणाहारए णं भंते ! कालो केवचिरं होति ?, सातिए अपजवसिए 8 / भवत्थ केवलियणाहारए णं भंते ! कइविहे पराणते ?, भवत्थ-केवलियणाहारए दुविहे पगणत्ते, तंजहासजोगि-भवत्थ केवलि-अणाहारए य अजोगि-भवत्थ-केवलि-श्रणाहारए य 1 / सजोगि-भवत्थ केवलि-श्रणाहारए णं भंते ! कालश्रो केवचिरं होइ ?, अजहराणमणुकोसेणं तिगिण समया 10 / अजोगिभवत्थकेवलिश्रणाहारए जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं 11 / छउमत्थाहारगस्स केवतियं कालं अंतरं ? गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उकोसेणं दो समया Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 2 प्रतिपत्तिः 1 / [416 12 / केलियाहारगस्स अंतरं अजहराणमणुकोसेणं तिरिण समया 13 / छउमत्थपणाहारगस्स अंतर केवतियं कालं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं खुड्डागभाग्गहणं दुसमऊणं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं जाव अंगुलस्स असंखेजतिभागं 14 / सिद्ध-केवलिणाहारगस्स सातियस्स अपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं 15 / सजोगि-भवत्थ-केवलि-अमाहारगस्स जहराणेणं अंतोमु. हुत्तं उक्कोसेणवि, अजोगि-भवत्थ-केवलि-श्रणाहारगस्स णस्थि अंतरं 16 / एएसि णं भंते ! श्राहारगाणं श्रणाहारगाण य कयरे 2 हितो अप्पा वा बहुया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा श्रणाहारगा श्राहारगा असंखेजगुणा 17 // सू० 247 // अहवा दुविहा सव्वजीवा पराणत्ता, तंजहा-भासगा श्रभासगा य 1 / भासए णं भंते / भासपत्तिकालयो केवचिरं होति ?. गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं 2 / प्रभासए णं भंते ! अभासएत्ति कालश्रो केवचिरं होति ?, गोयमा ! अभासए दुविहे पराणत्ते, तंजहा-साइए वा अपजवसिए सातीए वा सपन्जवसिए, तत्थ णं जे से साइए सपजवसिए से जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं अणंतं कालं अणंता उस्सप्पिणीयोसप्पिणीयों वणस्सतिकालो 3 / भासगस्स णं भंते ! केवतियं कालं यंतरं होति ?, जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं वणस्सतिकालो 4 / प्रभासगस्स सातीयस्स अपजवसियस्स णत्थि अंतरं, सातीयसपञ्जवसियस्स जहराणेणं एक समयं, उकस्सेणं अंतोमहत्तं 5 / अप्पाबहुगं सव्वत्थोवा भासगा अभामगा अणंतगुणा 6 / अहवा दुविहा सव्वजीवा पराणत्ता, तंजहा-ससरीरी य असरीरी य असरीरी जहा सिद्धा, थोवा असरोरी ससरीरी अणंतगुणा 7 // सू० 248 // अहवा दुविहा सव्व. जीवा पराणत्ता, तंजहा-चरिमा चेव अचरिमा चेव 1 / चरिमे णं भंते ! चरिमेचि कालतो केवचिरं होति ?, गोयमा ! चरिमे श्रणादीए, सपजवसिए,२। अचरिमे दुविहे पराणत्ते, तंजहां-श्रणातीए वा अपजवसिए सातीए वा Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 42. ) [ श्रीमदागमसुधामिन्धुः . पञ्चमो विभागः अपजवसिते, दोरहपि णत्थि अंतरं अप्पाबडं सव्वत्थोवा अचरिमा चरिमा श्रणंतगुणा 3 / (यहवा दुविहा सव्वजीवा सागारोवउत्ता य अणागारोवउत्ता य, दोराहपि संचिट्ठणावि अंतरपि जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं यंतोमुहुत्तं अप्पाबहुगं सम्वत्थोवा अणागारोवउत्ता सागारोवउत्ता असंखेजगुणा ) सेत्तं दुविहा सव्वजीवा (सिद्धसइंदियकाए जोए वेए कसायलेसा य / नाणुव योगाहारा भाससरीरी य चरमो य // 1 ॥॥सू० 241 // // इति प्रथमा प्रतिपतिः // 2.1 // . . // अथ त्रिविधाख्या द्वितीया प्रतिपत्तिः // तत्थ णं जे से एचमाहंसु तिविहा सव्वजीवा पराणता ते एवमाहंस, तंजहा-सम्मदिट्टी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी 1 / सम्मदिट्ठी णं भंते ! कालयो केवचिरं होति ?, गोयमा ! सम्मदिट्ठी दुविहे पराणत्ते, तंजहासातीए वा अपजवसिए साइए वा सपजवसिए, तत्थ णं जे ते सातीए सपजवसिते से जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाई सातिरेगाई 2 / मिच्छादिट्ठी तिविहे पराणत्ते, तंजहा-साइए वा सपजवसिए अणातीए वा अपजवसिते अणातीए वा सपजवसिते, तत्थ णं जे ते सातीए सपजवसिए से जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं यणतं कालं जाव श्रवट्ठ पोग्गलपरियट्ट देसूणं 3 / सम्मामिच्छादिट्टी जहराणेणं अंतोमुहत्तं उक्कस्सेणं अंतोमुहुत्तं 4 / सम्मदिहिस्स अंतरं साइयस्स अपजवसियस्स नत्थि अंतरं, सातीयस्स सपजवसियस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं अणंतं कालं जाव अवड्ढ पोग्गलपरियट्ट५ / मिच्छादिट्ठिस्स अणादीयस्स अपजवसियस्स णत्थि अंतरं, अणातीयस्स सपजवसियस्स नत्थि अंतरं, साइयस्स सपजवसियस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं छावट्ठि सागरोवमाइं सातिरेगाई 6 / सम्मामिच्छादिट्ठिस्स जहराणेणं Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 421 श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / अ० 2 प्रतिपत्तिः 2 ) अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं जाव अवड पोग्गलपरियट्ट देंसूणं 7 / अप्पाबहुगं सव्वत्थोवा सम्मामिच्छादिट्ठी सम्मदिट्ठी अणंतगुणा मिच्छादिट्ठी अणंतगुणा 8 // सू० 250 // अहवा तिविहा सव्वजीवा पराणत्तापरित्ता अपरित्ता नोपरित्तानोअपरित्ता 1 / परित्ते णं भंते / परित्तेति कालतो केवचिरं होति ?, परित्ते दुविहे पण्णत्ते तंजहा-कायपरित्ते य संसारपरित्ते य 2 / कायपरित्ते णं भंते ! कायपरित्तेत्ति कालो केवचिरं होइ ? जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं जाव असंखेजा लोगा 3 / संसारपरित्ते णं भंते ! संसारपरित्तेत्ति कालो केवचिरं होति ?, जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं अणंतं . कालं जाव अवर्ल्ड पोग्गलपरियट्ट देसूणं / / अपरित्ते णं भंते ! अपरित्तेति कालतो केवचिरं होति ?, गोयमा ! अपरित्ते दुविहे पराणत्ते, तंजहा-कायअपरित्ते य संसारअपरिते य, कायअपरित्ते णं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं, वणस्सतिकालो, संसारापरित्ते दुविहे पराणत्ते, तंजहा-प्राणादीए वा अपजवसिते अणादीए वा सपजवसिते, णोपरित्तेणोपरित्ते सातीए अपजवसिते 5 / कायपरित्ते णं जहराणेणं अंतरं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो, संसारंपरित्तस्स णत्थि अंतरं, कायापरित्तस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखिज्जं कालं पुढविकालो 6 / संसारापरित्तस्स अणाइयस्स अपजवसियस्स नत्थि अंतरं, श्रणाइयस्स सपजवसियस्स नत्थि अंतरं, णोपरीतनोअपरित्तस्सवि णत्थि अंतरं 7 / अप्पाबहुगं सव्वत्थोवा परित्ता णोपरित्तानोत्रपरित्ता अनंतगुणा अपरित्ता अनंतगुणा 8 // सू० 251 // ग्रहवा तिविहा सव्वजीवा पंराणत्ता, तंजहा-पजत्तगा अपजत्तगा नोपजत्तगानोअपजत्तगा 1 / पजत्तके णं भंते ! पजत्तकेत्ति कालयो केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं सागरोवमसतपुहुत्तं साइरेगं 2 / अपजत्तगे णं भंते ! अपजत्तगेत्ति कालयो केवचिरं Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 422 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः होड ? गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहत्तं उवकसेणं अंतोमुहुत्तं नोपजत्तणो. अपजत्तए सातीए अपजवसिते 3 / पजतगस्स अंतरं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं, अपजत्तगस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहुत्तं साइरेगं, तइयस्स णत्थि अंतरं 4 / अप्पाबहुगं सव्वत्थोवा नोपजत्तगनोअपजत्तगा अपजत्तगा अणंतगुणा पज्जत्तगा संखिजगुणा 5 // सू० 252 // अहवा तिविहा सव्वजीवा पराणत्ता, तंजहा-सुहमा बायरा नोसुहुमानोबायरा 1 / सुहुमे णं भंते ! सुहुमेत्ति कालो केवचिरं होइ ?, जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखिज्जं कालं पुढविकालो 2 / बायरा जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखिज्जं कालं असंखिजायो उस्सप्पिणीयोसप्पिणीयो कालो खेत्तो अंगुलस्स असंखिजइभागो 3 / नोसुहुमनोबायरए साइए अपजवसिए 4 / सुहुमस्स अंतरं बायरकालो, बायरस्स अंतरं सुहुमकालो, तइयस्स नोसुहुमणोवायरस्स अंतरं नत्थि 5 / अप्पाबहुगं सव्वत्थोवा नोसुहमानोबायरा बायरा अणंतगुणा सुहुमा असंखेजगुणा 6 // सू० 253 // अहवा तिविहा सव्वजीव्या पराणत्ता, तंजहा-सराणी असरणी नोसराणीनोग्रसरणी 1 / सन्नी णं भंते ! सराणीति कालबो केवविरं होइ ? गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं सागरोवमसतपुहुत्तं सातिरेगं 2 / असराणी जहणणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं वणस्सतिकालो 3 / नोसराणीनोसराणी साइए अपजवसिते 4 / सगिणस्स अंतरं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं वणस्सतिकालो, असरिणस्स अंतरं . जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं सागरोवमसयपुहत्तं सातिरेगं, ततियस्स णस्थि अंतरं 5 / अप्पाबहूगं सव्वत्थोवा सराणी नोसन्नीनोग्रसरणी अणंतगुणा असगणी अणंतगुणा 6 ॥सू० 254 // ग्रहवा तिविहा. सव्वजीवा पगणत्ता, तंजहा-भवसिद्धिया अभवसिद्धिया :नोभवसिद्धिया- नोभवसिद्धिया। Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 2 तृतीया प्रतिपत्तिः ] [:423 श्रणाइया सपजवसिया भवसिद्धिया, अणाझ्या अपजवसिया अभवसिद्धिया, साई अपज्जवसिया नोभवसिद्धिया नोभवसिद्धिया 2 / तिराहपि नस्थि अंतरं 3 / अप्पाबहुगं सव्वत्थोवा अभवसिद्धिया णोभवसिद्धीया-नोअभवसिद्धिया अनतगुणा भवसिद्धिया अणंतगुणा 4 // सू० 255 / / अहवा तिविहा सबजीवा पराणत्ता, तंजहा-तसा थावरा नोतसानोथावरा 1 / तसस्स णं भंते ! कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं दो सागरोवमसहस्साइं साइरेगाई 2 / थावरस्स संचिट्ठणा वणस्सतिकालो, णोतसानोथावरा साती अपज्जवसिया 3 / तसस्स अंतरं वणस्सतिकालो, थावरस्स अंतरं दो सागरोवमसहस्साई साइरेगाई (तसकालो), णोतसणोथावरस्स णत्थि अंतरं 4 / श्रप्पाबहुगं सव्वस्थोवा तसा नोतसानोथावरा अणंतगुणा थावरा अणंतगुणा 5 / से तं तिविधा सव्वजीवा 6 // सू० 256 // // इति द्वितीया प्रतिपत्तिः // 2-2 // // अथ चतुर्विधाख्या तृतीया प्रतिपत्तिः // तत्थणं जे ते एवमाहंसु-चउब्विहा सव्वजीवा पराणता ते एवमाहंसु तंजहा-मणजोगी वइजोगी कायजोगी अजोगी / / मणजोगी णं भंते ! जहरणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं, एवं वइजोगीवि, कायजोगी जहराणेण अंतोमुहुत्तं उकोसेणं वणसतिकालो. अजोगी सातीए अपजवसिए 2 / मणजोगिस्स अंतरं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सइकालो, एवं वइजोगिस्सवि, कायजोगिस्स जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं, अयोगिस्स पत्थि अंतरं 3 / अप्पाबहुगं सव्वत्थोवा मणजोगी वइजोगी संखिजगुणा अजोगा अणंतगुणा कायजोगी अणंतगुणा 4 // सू० 257 // हवा चउन्विहा सबजीवा पराणत्ता, तंजहा-इत्थिवेयगा Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 424 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः पुरिसवेयगा नपुसगवेयगा अवेयगा 1 / इस्थिवेयगा णं भंते ! इथिवे. दएत्ति कालतो केवचिरं होति ?, गोयमा ! (एगेण याएसेण) पलियसयं दसुत्तरं अट्ठारस चोइस पलितपुहुत्तं, समश्रो जहराणो 2 / पुरिसवेदस्स जहगणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहुत्तं सातिरेगं 3 / नपुंसगवेदस्स जहराणोणं एक समयं उक्कोसेणं अणंतं कालं वणस्सतिकालो 4 / अवेयए दुविहे पराणत्ते, तंजहा-सातीए वा अपजवसिते सातीए वा सपजवसिए साइपजवसियस्स णत्थि अंतरं, तत्थ णं जे ते साइसपजवासिए से जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं 5 / इत्थिवेदस्स अंतरं जहणणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो, पुरिसवेदस्स जहराणेणं एगं समयं उक्कोसेणं वणस्सइकालो, नपुंसगवेदस्स जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहुत्तं सातिरेगं, अवेदगो जहा हेट्ठा 6 / अप्पाबहुगं सव्वत्थोवा पुरिसवेदगा इत्थिवेदगा संखेज्जगुणा श्रवेदगा अणंतगुणा नपुंसगवेयगा. अणंतगुणा 7 // 258 // ग्रहवा चउबिहा सव्वजीवा पराणत्ता, तंजहा-चक्खुदंसणी अंचक्खुदंसणी अवधिदंसणी केवलिदंसणी 1 / चक्खुदंसणी णं भंते ! चक्खुदंसणीत्तिकालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सागरोवमेसहस्सं सातिरेगं, अचक्खुदंसणी दुविहे पराणत्ते, तंजहाअणातीए वा अपजवसिए अणाइए वा सपजवसिए 2 / श्रोहिंदंसणिस्स जहराणेणं इक्कं समयं उक्कोसेणं दो छावट्ठी सागरोवमाणं साइरेगात्रो 3 / केवलदसणी साइए अपजवसिए 4 / चक्खुदंसमिस्स अंतरं जहगणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो 5 / अचक्खुदंसणिस्स दुविहस्स नस्थि अंतरं 6 / श्रोहिदंसणस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सइकालो 7 / केवलदंसणिम्स णत्थि अंतरं 8 / अप्पाबहुयं सम्बत्थोवा श्रोहिदंसणी चक्खुदंसणी असंखेजगुणा केवलदंसणी अणंतगुणा अचक्खु. Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् : अ० 2 चतुर्थी प्रतिपत्तिः ] [ 425 दंसणी अणंतगुणा 1 // सू० 251 // श्रहवा चउविहा सव्वजीवा पराणत्ता, तंजहा-संजया असंजया संजयासंजया नोसंजयानोसंजयानोसंजयासंजया 1 / संजए णं भंते ! संजएति कालश्रो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उकोसेणं देसूणा पुब्दकोडी, असंजया जहा श्रगणाणी, संजयासंजाते जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं देसूणा पुवकोडी, नोसंजतनोअसंजयनोसंजयासंजए सातीए अपजवसिए 2 / संजयस्स संजयासंजयस्स दोराहवि अंतरं जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अवड पोग्गलंपरियट्ट देसूणं, असंजयस्स श्रादिदुवे णत्थि अंतरं, सातीयस्स सपजवसियस्त जहराणेणं एक्कं समयं उकोसेणं देसूणा पुव्वकोडी, चउत्थगस्स णथि अंतरं 3 / श्रप्पाबहुगं सव्वत्थोवा संजया संजयासंजया असंखेजगुणा गोसंजयणोप्रसंजयणोसंजयासंजया श्रणंतगुणा असंजया श्रणंतमुणा 4 / सेत्तं चउविहा सव्वजीवा 5 // सू० 260 // . -- // इति तृतीया प्रतिपत्तिः / / 2.3 // ... // अथ पञ्चविधाख्या चतुर्थी प्रतिपत्तिः // - तस्थ णं जे ते एवमाहंसु पंचविधा सव्वजीवा पराणत्ता ते एवमाहंसु, तंजहा-कोहकसायी माणकसायी मायाकसायी लोभकसायी अकसायी 1 / कोहकसाई माणकसाई मायाकसाई णं जहराणेणं अंतोमुहुतं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं, लोभकमाइस्स जहराणेणं एक समयं उकोसेणं अंतोमुहुत्तं, अकसाई दुविहे जहा हेट्ठा 2 / कोहकसाई माणकसाईमायाकसाईणं अंतरं जहराणेणं एक्कं समयं उकोसेणं अंतोमुहत्त, लोहकसाइस्स अंतरं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं अकसाई तहा जहा हेट्ठा 3 / श्रप्पाबहुगंअकसाइणो सव्वत्थोवा माणकसाई तहा अणंतगुणा / कोहे माया 54 Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 426 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः लोभे विसेसमहिया “मुणेतब्बा // 1 // सू० 261 // श्रहवा पंचविहा सबजीवा पराणत्ता, तंजहा-णेरइया तिरिक्खजोणिया मणुस्सा देवा सिद्धा 1 / संचिट्ठणांतराणि जह हेट्टा भणियाणि 2 / अप्पाबहुगं थोवा मणुस्सा ओरइया असंखेंजगुणा देवाः असंखेजगुणा सिद्धा अणंतगुणा तिरिया थणंतगुणा. 3 / सेत्तं पंचविहा सव्वजीवा 4 // सू० 262 // // इति चतुर्थी प्रतिप्रतिः // 2-4 // // अथ षडविधाख्या पञ्चमी प्रतिपत्तिः // तत्थ णं जे ते एवमाहंसु छब्विहा सव्वजीवा परामत्ता ते एवमाहंसु, तंजहा-श्राभिणिबोहियणाणी सुयणाणी / श्रोहिनाणी मणपजवणाणी केवलनाणी अण्णाणी 1 / श्राभिणिवोहियणाणी णं भंते ! याभिणिबोहियणाणित्ति काल यो केवचिर होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाइं साइरेगाइं एवं सुयणाणीवि 2 / श्रोहिणाणी णं भंते ! भोहिणाणीति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाइं साइरेगाई 3 / मणपजवणाणी णं भंते ! मणपजवणाणीति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं एवकं समयं उक्कोसेणं देसूणा पुवकोंडी 4 / केवलनाणी. णं भंते ! केवलणाणीति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सादीए अपज्जवसिए 5 / अन्नाणिणो तिविहा पसणत्ता, तंजहा-प्रणाइए वा अपजवसिए अणाइए का सपजवसिए साइए वा सपन्जवसिए, तत्थ साइए सपज्जवसिए जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं अणं कालं अवड पुग्गलपरियट्ट देसूणं 6 / अंतरं आभिणिबोहियणाणिस्स जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं श्रवट्ठ पुग्गलपरियट्ट देसूणं, एवं सुयणाणीणो भोहिमणपजवणाणीणो अंतरं केवलनाणिणो णस्थि अंतरं 7 / Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जीवाजीवभिगम-सूत्रम् / अ० 2 पञ्चमी प्रतिपत्तिः ] [ 427 अन्नाणिणो साइसपज्जवसियस्स जहणणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं छावढेि सागरोवमाइं साइरेगाई 8 / अप्पाबहुगं सव्वत्थोवा मणपजवणाणीणो श्रोहिणाणीणो असंखेजगुणा श्राभिणिबोहियणाणीणो सुयणाणीणो विसेसाहिया सट्टाणे दोवि तुला केवलणाणिणो अणंतगुणा अण्णाणी अणंतगुणा 1 / अहवा छबिहा सबजीवा पराणत्ता, तंजहा-(एवंविधः पाठ इतः प्राग आवश्यको न चोपलब्धो दृश्यमानादर्शेषु कचिदपि) एगिदिया दिया तेंदिया चारिदिया पंचेंदिया अणिदिया 10 / संचिट्ठणांतरा जहा हेट्ठा 11 / अप्पाबहुगं-सब्वत्थोवा पंचेंदिया चरिंदिया विसेसाहिया तेइंदिया विसेसाहिया बेंदिया विसेसाहिया एगिदिया श्रणंतगुणा अणिदिया अणंतगुणा 12 // सू० 263 // अहवा छविहा सव्वजीवा पराणत्ता, तंजहा-योरालियसरीरी वेउब्वियसरीरी श्राहारगसरीरी तेयगसरीरी कम्मगसरीरी असरीरी 1 / बोरालियसरीरी णं भंते ! कालश्रो केवचिरं होइ ?, जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं दुसमऊणं, उक्कोसेणं असंखिज्ज कालं जाव अंगुलस्स असंखेजतिभागं 2 / वेउव्वियसरीरी जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई 3 / थाहारगमरीरी जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं. 4 / तेयगसरीरी दुविहे-अणादीए वा अपज्जवसिए श्रणादीए वा सपजवसिते 5 / एवं कम्मगसरीरीवि, असरीरी सातीए अपजवसिते 6 / अंतरं श्रोरालियसरी रस्स जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तमम हियाई, वेउब्धियसरीरस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कार वणस्सतिकालो, थाहारगस्स सरीरस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसे अणंतं कालं जाव अवड्ड पोग्गलपरियट्ट देसूणं, तेयगसरीरस्स य कम्म सरीरस्स य दुराहवि णत्थि अंतरं 6 / अप्पाबहुगं सव्वत्थोवा श्राहारर . सरीरी वेउब्बियसरीरी असंखेजगुणा श्रोरालियसरीरी असंखेजगुर / Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 428 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः असरीरीः अणंतगुणा तेयाकम्मसरीरी दोवि तुल्ला अणंतगुणा 7 / सेत्तं छब्विहा सव्वजीवा 8 // सू० 264 // // इति पञ्चमी प्रतिपत्तिः / / 2-5 // .. // अथ सप्तविधाख्या षष्ठी प्रतिपत्तिः // : तत्थ णं जे ते एवमाहंतु सत्तविधा सव्वजीवा पराणत्ता ते एवमाहंसु, तंजहा-पुढविकाइया ग्राउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणस्सतिकाइया तसकाइया अकाइया 1 / संचिट्टणंतरा जहा हेट्ठा 2 / अप्पाबहुगं सव्वत्थोवा तसकाइया तेउकाइया असंखेजगुणा पुढविकाइया विसेसाहिया श्राउकाइया विसेसाहिया वाउकाइया विसेसाहिया सिद्धा अणंतगुणा वास्सइकाइया अणंतगुणा 3 // सू० 265 // अहवा सत्तविहा सव्वजीवा फ्राणत्ता, तंजहा-कराहलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा तेउलेस्ता पम्हलेस्सा सुकलेस्सा अलेस्सा 1 / कराहलेसे णं भंते ! कराहलेसत्ति कालबो केवचिरं होइ, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्त उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतो. मुहुत्तममहियाई 2 / णीललेस्से णं जहरणेणं अंतोमुहुत्त उकस्सेणं दस सागरोवमाइं पलिश्रोवमस्स असंखेजतिभागभहियाई 3 / काउलेस्से णं / भंते ! काउलेस्सेत्तिकालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्स्सेणं तिन्नि सागरोवमाइं पलिश्रोवमस्स असंखेजतिभागमभहियाई 4 / तेउलेस्से णं भंते ! तेउलेस्सेत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोस्सेणं दोगिण सागरोवमाइं पलियोवमस्स असंखेजड़भागमभहियाई 5 / पम्हलेसे णं भंते ! पम्हलेसेत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कस्सेणं दस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमभहियाई 6 / सुक्कलेसे. णं भंते ! सुक्कलेस्सेत्ति, कालो केबुचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं तित्तीसं सागरो Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 2 सप्तमी प्रतिपत्तिः ] [ 426 वमाइं अंतोमुहुत्तमभहियाई 7 / अनेस्से णं भंते ! अलेस्सेत्ति कालो केवचिरं होइ ? गोयमा ! सादीए अपजवसिते 8 / कराहलेसस्स णं भंते ! अंतरं कालयो केवचिरं होति ?, जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई, एवं नीललेसस्सवि, काउलेसस्सवि 1 / तेउलेसस्स णं भंते ! अंतरं कालयो केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं वणस्सतिकालो, एवं पम्हलेसस्सवि सुकलेसस्सवि दोराहवि एवमंतरं 10 / अलेसस्स णं भंते ! अंतरं कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सादीयस्स अपजवसियस्स णस्थि अंतरं 11 / एतेसि णं भंते ! जीवाणं कराहलेसाणं नीललेसाणं काउलेसाणं तेउलेसाणं पम्हलेसाणं सुक्कलेसाणं अलेसाण य कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?; गोयमा ! सञ्वत्थोवा सुक्कलेस्सा पम्हलेस्सा संखेजगुणा तेउलेस्सा संखिजगुणा अलेस्सा अणंतगुणा काउलेस्सा अणंतगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया कराहलेस्सा विसेसाहिया 12 / सेत्तं सत्तविहा सव्वजीवा // सू० 266 // ___ // इति षष्ठी प्रतिपत्तिः // 26 // // अथ अष्टविधाख्या सप्तमी प्रतिपत्तिः // .. ... तत्थ णं जे ते एवमाहंसु अट्टविहा सव्वजीवा पराणत्ता ते णं एवमाहंसु, तंजहा-ग्राभाणिवोहियनाणी सुयणाणी श्रोहिणाणी मणपजवणाणी केवलणाणी मतिअन्नाणी सुयश्रराणाणी विभंगराणाणी 1 / याभिणिबोहियणाणी णं भंते ! श्राभिणिबोहियणाणीति कालो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं छावट्ठि सागरोवमाई सातिरेगाई, एवं सुयणाणीवि 2 / श्रोहिणाणी णं भंते ! श्रोहिणाणीत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं छावट्ठि Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जाव अवड पोरग सपजवसिते सेजजवसिए साती 430 ] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः सागरोवमाइं सातिरेगाइं 3 / मणपजवणाणी णं भंते ! मणपजवणाणीत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहरणेणं एक्कं समयं उक्कस्सेणं देसूणा पुवकोडी 4 / केवलणाणी णं भंते ! केवलणाणीत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सादीए अपनवसिते 5 / मतिराणाणी णं भंते ! मतिश्रराणाणीति कालो केवचिरं होइ ? गोयमा! मइअराणाणी तिविहे पराणत्ते, तंजहा-श्रणाइए वा अपजवसिए श्रणादीए वा सपजवसिए सातीए वा सपज्जवसिते, तत्थ णं जे से सादीए सपज्जवसिते से जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं जाव अवड्ढ पोग्गलपरियट्ट देसूणं 6 / सुयश्रराणाणी एवं चेव 7 / विभंगराणाणी णं भंते ! विभंगणाणीति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहरणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई देसूणाए पुवकोडीए अभहियाई 8 / ग्राभिणिबोहियणाणिरस णं भंते ! अंतरं कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं जाव श्रवड्ड पोग्गलपरियट्ट देसूगां, एवं सुयणाणिस्सवि श्रोहिणाणिस्सवि, मणपजवणाणिस्सवि 1 / केवलणाणिस्स णं भंते ! अंतरं कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सादीयस्स अपजवसियस्स णस्थि अंतरं 10 / मइथराणाणिस्स णं भंते ! अंतरं कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! अणादीयस्स अपजवसियस्स णत्थि अंतरं, श्रणादीयस्स सपजवसियस्त णत्थि अंतरं, सादीयस्स सपजवसियस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं छावर्टि सागरोवमाइं सातिरेगाई, एवं सुयश्ररणाणिस्सवि 11 / विभंगणाणिस्स णं भंते ! अंतरं कालयो केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहत्तं उकोसेणं वणस्सतिकालो 12 / एएसि णं भंते ! आभिणिबोहियणाणीणं सुयणाणिणं श्रोहिणाणीणां मणपजवणाणीणं केवलणाणीणां मइश्ररणाणिणं सुयश्ररणाणिणं विभंगणाणीण य कतरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा मणपजवणाणी श्रीहि. Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 2 सप्तमी प्रतिपत्तिः ] [ 431 णाणी असंखेजगुणा श्राभिणिबोहियणाणी सुयणाणी एए दोवि तुल्ला विसेसाहिया, विभंगणाणी असंखिजगुणा, केवलणाणी अणंतगुणा, मइयाणाणी सुयराणाणी य दोवि तुल्ला अणंतगुणा 13 / / सू० 267 // अहवा अट्ठविहा सव्वजीवा पराणत्ता. तंजहा–ोरइया तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीयो मणुस्सा मणुस्सीयो देवा देवीयो सिद्धा 1 / णेरइए णं भंते ! नेरइयत्ति कालयो केवचिरं होतं ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं 2 / तिरिक्खजोणिए णं भंते ! तिरिक्खजोणिएत्ति कालो केवचिरं होई ?, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुतं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो 3 / तिरिक्खजोणिणी णं भंते ! तिरिक्खजोणिणीत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतो. मुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिग्रोवमाइं पुवकोडिपुहुत्तमभहियाई 4 / एवं मणूसे मणूसी, देवे जहा नेरइए 5 / देवी णं भंते ! देवीत्ति कालश्रो कवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं पणपन्नं पलियोवमाई 6 / सिद्धे णं भंते ! सिद्धेत्ति कालश्रो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सादीए अपज्जवसिए 7 / रइयस्स णं भंते ! अंतरं कालो केवचिरं होति?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं वणस्सतिकालो। तिरिक्खजोणियस्स णं भंते ! अंतरं कालयो केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सागरोवमसतपुहुत्तं सातिरेगं 1 / तिरिक्खजोणिणी णं भंते ! अंतरं कालो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कस्सेणं वणम्सतिकालो 10 / एवं मणुस्सस्सवि मणुस्सीएवि, देवस्सवि देवीएवि 11 / सिद्धस्स णं भंते ! अंतरं सादीयस्स अपजवसियस्स णत्थि अंतरं 12 / एतेसिणं. भंते ! णेरइयाणं तिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीणं मणूसाणं मणूसीणं देवाणं देवीणं सिद्धाण य कयरेशहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा मणुस्सीयो मणुस्सा असंखेजगुणा नेरइया Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 432 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः असंखिजगुणा तिरिक्खजोणिणीयो असंखिजगुणायो देवा संखिजगुणा देवीथो संखेनगुणायो सिद्धा अणंतगुणा तिरिक्खजोणिया अनंतगुणा 13 / सेतं अट्ठविहा सव्वजीवा // सू० 268 / / __ // इत्ति सप्तमी प्रतिपत्तिः // 2-7 // // अथ नवविधाख्या अष्टमी प्रतिपत्तिः // तत्थ णं जे ते एवमाहंसु णवविधा सव्वजीवा पराणत्ता ते णं एवमाहंसु, तंजहा-एगिदिया बेंदिया तेंदिया चउरिंदिया णेरइया पंचेंदियतिरिक्खजोणिया मणूसा देवा सिद्धा 1 / एगिदिए णं भंते ! एगिदियत्ति कालो केवविरं होइ ?, गोयमा! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सइकालो 2 | दिए गां भंते ! दिएत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेगां अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेज्जं कालं, एवं तेइंदिएवि, चरिदिएवि 3 / णेरइया णं भंते ! णेरइएत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! 2 जहराणेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई 4 / पंचेंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! पंचेंदियतिरिक्खजोणिएत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिरिण पलियोवमाई पुवकोडिपुहुत्तमभहियाई 5 / एवं मणूसेवि, देवा जहा णेरइया 6 / सिद्धे णं भंते ! सिद्धेत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सादीए अपज्जवसिए 1 / एगिदियस्स णं भंते ! अंतरं कालयो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साई संखेजवासमब्भहियाई 8 | बेंदियस्स णं भंते ! अंतरं कालश्रो केचिरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो 1 / एवं तेंदियस्सवि चउरिंदियस्सवि णेरइयस्मवि पंचेंदियतिरिवखजोणियस्सवि मणूसस्सवि देवस्सवि सव्वेसिमेवं अंतरं भाणियव्वं 10 / सिद्धस्स णं भंते ! Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवामिगम-सूत्रम् :: अ० 2 अष्टमी प्रतिपत्तिः ] [ 433 अंतरं कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सादीयस्स अपज्जवसियस्स णस्थि अंतरं 11 / एतेसि णं भंते ! एगिदियाणं बेइंदियाणं तेइंदियाणं चउरिं. दियाणं णेरइयाणं पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं मणूसागां देवाणं सिद्धाण य कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा मणुस्सा णेरइया असंखेजगुणा देवा असंखेनगुणा पंचेंदियतिरिक्खजोणिया असंखेजगुणा चउरिदिया विसेसाहिया तेईदिया विसेसाहिया बेंदिया विसेसाहिया सिद्धा अणंतगुणा एगिदिया अणंतगुणा 12 // सू० 261 // अहया णवविधा सव्वजीवा पराणत्ता, तंजहा-पढमसमयनेरइया अपढमसमयणेरइया पढमसमयतिरिक्खजोणिया अपढमसमयतिरिक्खनोणिया पढमसमयमणूसा अपढमसमयमणूमा पढमसमयदेवा अपढमसमयदेवा सिद्धा य 1 / पढमसमयणेरइए णं भंते ! पढमसमयणेरइएत्ति कालो केवचिरं होइ ? गोयमा ! एक्कं समयं 2 / अपढमप्तमयणेरइए णं भंते ! अपढमसमयणेरइएत्ति कालयो केवचिरं होइ , गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई समऊणाई, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं समऊणाई 3 / पढमसमयतिरिक्खजोणिए णं भंते ! पढमसमयतिरिक्खजोणिएत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! एक्कं समयं 4 / अपढमसमयतिरिक्खजोणिए णं भंते ! अपढमसमयमतिरिक्खजोणिएत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो 5 / पढमसमयमणूसे णं भंते ! पढमसमयमणूसेत्ति कालश्रो केवचिरं होइ ?, गोयमा! एक्कं समयं 6 / अपढमसमयमणूस्से णं भंते ! अपढमसमय मणूस्सेत्ति कालरो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्कोसेणं तिन्नि पलिग्रोवमाइं पुवकोडिपुहुत्तमभहियाई 7 / देवे जहा णेरइए, सिद्धे णं भंते ! सिद्धेत्ति कालो केवचिरं होति ?, गोयमा ! सादीए अपज्जवसिते 8 / पढमसमयणेरइयस्स णं भंते ! अंतरं कालो 55. Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 434 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई उकोसेणं वणस्सतिकालो 1 / अपढमसमयणेरइयस्स णं भंते ! अंतरं कालो होइ ?, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो 10 / पढमसमयतिरिक्खजोणियस्स णं भंते ! अंतरं कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं दो खुड्डागाइं भवग्गहणाइं समऊणाई उकोसेणं वणस्सइकालो 11 / अपढमसमय-तिरिक्खजोणियस्स णं भंते ! अंतरं कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहरणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहुत्तं सातिरेगं, पढमसमयमणूसस्स जहा पढमसमयतिरिक्खजोणियस्स 12 / अपढमसमयमणूसस्स णं भंते ! अंतरं कालो केवत्रिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो 13 / पढमसमयदेवस्स जहा पढमसमयणेरतियस्स, अपढमसमयदेवस्स जहा अपढमसमयणेरइयस्स 14 / सिद्धस्स णं भंते ! अंतरं कालो केवचिरं होइ ? गोयमा ! सादीयस्स अपजवसियस्स णात्थ अंतरं 15 / एएसि णं भंते ! पढमसमयनेरइयाणं पढमसमयतिरिक्खजोणियाणं पढमसमयमणूसाणं पढमसमयदेवाण य कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा.! सव्वत्थोवा पढमसमयमणूसा पढमसमयणेरड्या संखिजगुणा पढमसमयदेवा असंखिजगुणा पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखिजगुणा 16 / एएसि णं भंते ! अपढमसमय नेरइयाणं अपढमसमयतिरिक्खजोणियाणं अपढमसमयमणूसाणं अपढमसमयदेवाण य कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा अपढमसमयमणूसा अपढमसमयनेरइया असंखिजगुणा अपढमसमयदेवा असंखिजगुणा अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अगांतगुणां 17 / एतेसि णं भंते ! पढमसमयनेरइयाणां अपढमसमयणेरइयाण य कयरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पढमसमयणेरड्या अपढमसमयणेरड्या असंखेजगुणा 18 / एतेसिणं भंते ! पढमसमयतिरिक्ख Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 2 नवमी प्रतिपत्तिः ] [ 435 जोणियाणां अपढमसमयतिरिक्खजोणियागां कतरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पढमसमयतिरिक्खनोणिया अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अगांतगुणा 11 / मणुयदेवअप्पाबहुयं जहा गोरइयाणं 20 / एतेसि णं भंते !, पढमसमयणेरइयाणां पढमसमयतिरिक्खागां पढमसमयमणूसाणं पढमसमयदेवाणां अपढमसमयनेरइयाणं अपढमसमयतिरिक्खजोणियाणां अपढमसमयमणूसागां अपढमसमयदेवाणां सिद्धाण य कयरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा एढमसमयमणूसा अपढमसमयमणुस्सा असंखेजगुणा. पढमसमयनेरइया - असंखेजगुणा पढमसमयदेवा असंखेजगुणा पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखेजगुणा अपढमसमयनेरइया असंखेजगुणा अपढमसमयदेवा असंखेजगुणा सिद्धा अगांतगुणा अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा 21 / सेत्तं नवविहा सव्वजीवा 22 // सू० 270 // // इति अष्टमी प्रतिपत्तिः // 28 // // अथ दशविधाख्या नवमी प्रपिपत्तिः // :-; ___ तत्थ णं जे ते एवमाहंसु दसविधा सव्वजीवा पराणत्ता ते णं एवमाहंसु, तंजहा-पुढविकाइया ग्राउकाइया तेउकाइया, वाउकाइया वणस्सतिकाझ्या बिंदिया तिदिया चरिंदिया पंचेंदिया अणिंदिया 1 / पुढविकाइए णं भंते ! पुढविकाइएत्ति कालो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं असंखेजात्रो उस्सप्पिणीयोसप्पिणीयो कालो खेत्तयो असंखेज्जा लोया, एवं पाउतेउवाउकाइए 2 // वणस्सतिकाइए णं : भंते ! वणस्सइकाएत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेगां अंतोमुहुत्तं उकोसेणं वणस्सतिकालो 3 / बदिए णं भंते ! दिएत्ति कालश्रो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 436 ] ..[ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: पञ्चमो विभाग उकोसेणं संखेज्नं कालं, एवं तेइंदिएवि चरिंदिएवि 4 / पंचिदिए णं भंते ! पंचेंदिएत्ति कालश्रो केवचिरं होइ ?, गोयमा / जहगणेगां अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सागरोवमसहस्सं सातिरेगं, अणिदिए णं भंते ! अणिदिएत्ति कालयो केवचिरं होइ ' ?, सादीए अपज्जवसिए / पुढविकाइयस्स णं भंते ! अंतरं कोलयो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणां अंतोमुहत्तं उक्कोसेगों वणस्सतिकालो, एवं श्राउकाइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स 6 / वणस्सइकाइयस्स णं भंते ! अंतरं कालो केवचिरं होइ ?, जा चेव पुढविकाइयस्स संचिट्ठणा, बियतियचउरिदियपंचेंदियागां एतेसि चउराहपि अंतरं जहराणेगां अंतोमुहुत्तं उक्कोसेगां वणस्सइकालो 7 / अणिंदियस्स गां भंते ! अंतरं कालश्रो केवचिरं होति ?, गोयमा ! सादीयस्स अपज्जवसियस्स गत्थि अंतरं 8 / एतेसि , गां भंते ! पुढविकाइयागां श्राउकाइयाणां तेउकाइयाणं वाउकाइयाणं वणस्सइकाइयाणं बेंदियाणां तेइंदियाणं चरिंदियाणं पंचेंदियायां अणिंदियाण य कतरे हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचेंदिया चतुरिंदिया विसेसाहिया तेइंदिया विसेसाहिया बेंदिया विसेसाहिया तेंउकाइया असंखिजगुणा पुढविकाइया विसेसाहिया ग्राउकाइया विसेसाहिया वाउकाइया विसेसाहिया अणिदिया अांतगुणा वणस्सतिकाइया अणंतगुणा 8 // . सू० 271 // ग्रहवा दसविहा सबजीवा पराणत्ता, तंजहा-पढमसमयणेरइया अपढमसमयनेरइया पढमसमयतिरिक्खजोणिया अपहमसमयतिरिक्खेजोणिया पढमसमयमणूसा अपढमसमयमणूसा पढमसमयदेवा अपढमसमयदेवा पढमसमयसिद्धा अपढमसमयसिद्धा 1 / पढमसमयनेरइया णं भंते ! पढमसमयणेरइएत्ति कालयो केवचिरं होति ?, गोयमा ! एक्कं समयं 2 / अपढमसमयनेरइए णं भंते ! अपढमसमयणेरइएत्ति कालश्रो केचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई समऊणाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई समऊणाई.३ / TH. 4 ... Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अधिकारः 2 नवमी प्रतिपत्तिः ] [ 437 पढमसमयतिरिक्खजोणिया णं भंते ! पढमसमयतिरिक्खजोणिएत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! एक्कं समयं 4 / अपढमसमयतिरिक्खजोणिया णं भंते ! अपढमसमयतिरिक्खजोणिएत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्कोसेणं वणस्सइकालो 5 / पढमसमयमणूसे णं भंते ! पढमसमयमणूसेत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! एक्क समयं 6 / अपढमसमयमणूसे णं भंते ! अपढमसमयमणूसेत्ति कालश्रो केचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्कोसेणं तिरिण पलियोवमाइं पुवकोडिपुहुत्तमभहियाई, देवे जहा ोरइए 7 / पढमसमयसिद्धे णं भंते ! पढमसमयसिद्धेत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! एक्कं समयं 8 / अपढमसमयसिद्धे णं भंते ! अपढमसमयसिद्धेत्ति कालश्रो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सादीए अपजवसिए 1 / पढमसमयणेरइएणं भंते ! अंतरं कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं दस वाससहस्साई यंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं वणरसइकालो 10 / अपढमसमय. णेरझ्यस्स भंते ! अंतरं कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुनं उक्कोसेणं वणस्सइकालो 11 / पढमसमयतिरिक्खजोणियस्स णं भंते ! अंतरं कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं दो खुड्डागभवग्गहणाई समऊणाई उक्कोसेणं वणस्सइकालो 12 / अपढमसमय-तिरिक्खजोणियस्स णं भंते ! अंतरं कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं खुड्डागभवग्गहणं समयाहियं उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहुत्तं सातिरेगं 13 / पढमसमयमणूसस्स णं भंते ! अंतरं कालश्रो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं दो खुड्डागभवग्गहणाई समऊणाई उक्कोसेणं वणस्सइकालो 14 / अपढमसमयमणूसस्स णं भंते ! अंतरं कालश्रो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहगणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उकोसेणं वणस्सइकालो, देवस्स णं अंतरं जहा णेरइयस्स 15 / पढमसमयसिद्धस्स णं भंते ! अंतरं कालो Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 438 ) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः पश्चमो विभाग केवचिरं होइ ?, गोयमा! णत्थि 16 / अपढमसमयसिद्धस्स ण भंते ! अंतरं कालो केवचिरं होति ?, गोयमा ! सादीयस्स अपजवंसियस्स णत्थि अंतरं 17 / एतेसि णं भंते ! पढमसमयणेरइयाणं पढमसमयतिरिक्खजोणियाणं पढमसमयमणूसाणं पढमसमयदेवाणं पढमसमयसिद्धाण य कतरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा! सव्वत्थोवा पढमसमयसिद्धा पढमसमयमणूसा असंखेजगुणा पढमसमयणेरइया असंखेजगुणा पढमसमयदेवा असंखेजगुणा पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखेनगुणा 18 / एतेसि णं भंते ! अपढमसमयनेरइयाणं जाव अपढमसमयसिद्धाण य कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा अपढमसमयमणूसा पढमसमयनेरइया असंखेजगुणा अपढमसमयदेवा असंखेजगुणा अपढमसमयसिद्धा अणंतगुणा अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा 11 / एतेसि णं भंते ! पढमसमयणेरइयाणं अपढमसमयणेरइयाण य कतरे २हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा! सव्वत्थोवा पढमसमयणेरइया अपढमसमयनेरइया असंखेजगुणा 20 / एतेसि णं भंते ! पढमसमयतिरिक्खजोणियाणं अपढमसमयतिरिक्खजोणियाण य कतरे हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पढमसमयतिरिक्खजोणिया अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा 21 एतेसिणं भंते ! पढमसमयमणूसाणं अपढमसमयमणूसाण य कतरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पढमसमयमणूसा अपढमसमयमणूसा असंखेजगुणा, जहा मणूसा तहा देवावि 22 / एतेसिणं भंते ! पढमसमयसिद्धाणां अपढमसमयसिद्धाण य कयरे 2 अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पढमसमयसिद्धा अपढमसमयसिद्धा अांतगुणा 23 / एतेसि णं भंते ! पढमसमयणेरइयाणां अपढमसमयोरइयाणां पढमसमयतिरिक्खजोणियाणां अपढमसमयतिरिक्खजोणियाणां पढमसमयमणूसाणां अपढमसमयमणूसाणां पढमसमयदेवाणां Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजीवाज़ोवाभिगम-सूत्रम् :: अधिकारः 2 नवमी प्रतिपत्ति : [ 439 अपढमसमयदेवाणां पढमसमयसिद्धागां अपढमसमयसिद्धाण य कतरे 2 अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पढमसमयसिद्धा पढमसमयमणूस्सा असंखेजगुणा अपढमसमयमणूसा असंखेजगुणा पढमसमयोरइया असंखेजगुणा पढमसमयदेवा असंखेजगुणा पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखेजगुणा अप्रढमसमयणेरइया असंखेजगुणा अपढमसमयदेवा असंखेजगुणा अपढमसमयसिद्धा अणंतगुणा अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा 24 / सेत्तं दसविहा सव्वजीवा पराणता 25 / सेत्तं सव्वजीवाभिगमे 26 // सू० 272 // इति जीवाजीवाभिगमसुत्तं समत्तं // सूत्रे ग्रन्थाग्रं 4750 // // इति नवमी प्रतिपत्तिः // 29 // // इति संसारासंसार-समापन्न-जीवाभिगमः // 2 // // इति श्री जीवाजीवाभिगम-सूत्रं समाप्तम् // // इति तृतीयमुपाङ्गम् // 3 // . . . Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - धून :सिद्धगिरिस्वामी आदि जिणंद, कापो हमारा भवना फंद // र देव हमारा श्री अरिहंत, त्यागी हमारा गुरु गुणवंत / श्री जिन भाषित हमारो धर्म, जेहथी लहिए सुर शिव शर्म // 1 // पहेलु शरण हो श्री अरिहंत, वीजु शरण हो सिद्ध भगवंत / / जीजुशरण हो गुरु गुणवंत, चोथु शरण हो धर्म जयवंत // 2 // श्री अरिहंत परमातमा, श्री सिद्ध भगवान रे। सरि वाचक साधु नरें, भाव धरी बहुमान रे // 3 // thehtbobebelectobobobabbbedioesbodhot अरिहंत नमो अरिहंत नमो अरिहंत नमो भगवंत / ई भगवंत भजो भगवंत भजो भगवंत मजो अरिहंत // 1 // वीतराग नमो वीतराग नमो वीतराग नमो वीतराग / वीतराग भजो वीतराग भजो वीतराग भजो धरी राग // 2 // जिनराज चमो जिनराज नमो. जिनराज नमो. शिरताज / शिरताज भजो शिरताज भजो शिरवाज भजो जिनराज // 3 // महावीर नमो महावीर नमो महावीर नमो वीतराग / महावीर नमो महावीर नमो महावीर नमो वडभाग // 4 // बय वीर जय वीर जय जय वीर, जय वीर जय वीर जय जय वीर। / जय वीर जय वीर जय जय वीर, त्रिशला नंदन जय महावीर // 1 // Page #456 -------------------------------------------------------------------------- _