________________ // अथ प्रदेसीनृप-कथा // Son: Nimsinnnnnninninine पलोई अछिदभिद पत्ताड-कूड-कवड-वास बहूणं नमक समु. एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे केयइअद्धे नामे जणवए होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे सव्वोउयफलसमिद्धे रम्मे नंदणवणप्पगासे पासाईए जाव पडिरूवे 1 / तत्थ णं केइयश्रद्धे जणवए सेयविया णामं नगरी होत्था, रिद्धस्थिमियसमिद्धा जाव पडिरूवा 2 / तीसे णं सेयवियाए नगरीए बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभागे एत्थ णं मिगवणे णाम उजाणे होत्था-रम्मे नंदणवणप्पगासे सव्वोउयफलसमिद्धे सुभसुरभिसीयलाए छायाए सव्वो चेव समणुबद्धे पासादीए जाव पडिरूवे 3 / तत्थ णं सेयवियाए णगरीए पएसी णामं राया होत्था, महयाहिमवंत जाव विहरइ 4 / अधम्मिए यधम्मिटे श्रधम्मक्खाई अधम्माणुए अधम्मपलोई यधम्मपजण(लज)णे अधम्मसीलसमुयायारे, अधम्मेण * चेव वित्ति कप्पेमाणे हण-छिंद भिंद-पवत्तए लोहियपाणी पावे चंडे रुद्द खुद्दे साहरसीए उक्कंचण-वंचण-माया-नियडि-कूड-कवड-सायिसंपयोगबहुले निस्सीले निव्वए निग्गुणे निम्मेरे निप्पञ्चक्खाण-पोसहोववासे बहूणं दुप्पय-चउप्पयमिय-पसु-पक्खी सिरिसवाण घायाए वहाए उच्छायणयाए अधम्मकेऊ समु-- ट्ठिए, गुरूणं णो अब्भुट्ठति णो विणयं पउंजइ (समण-माहण-भिवखुगाणं), सयस्स वि य णं जणवयस्स णो सम्मं करभरवित्ति पवत्तेइ 5 // सू० 142 // तस्स णं पएसिस्स रन्नो सूरियकता नाम देवी होत्था, सुकुमालपाणिपाया धारिणी वराणो पएसिणा रन्ना सद्धिं अणुरत्ता अविरत्ता इट्टे सद्दे स्वे जाव विहरइ // सू० 143 / / तस्स णं पएसिस्स रराणो णे? पुत्ते सूरियकंताए देवीए अत्तए सूरियकते नाम कुमारे होत्था, सुकुमालपाणिपाए जाव पडिरूवे 1 / से णं सूरियकते कुमारे जुवराया वि होत्था, पएसिस्स रनो रज्जं च रटुं च बलं च वाहणं च कोसं च कोट्ठागारं च पुरं च अंतेउरं च सयमेव पच्चुवेक्खमाणे पच्चुवेक्खमाणे विहरइ 2 // सू० 144 //