________________ 184 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः जीवाभिगमे य॥ सू० 6 // से किं तं असंसारसमावराणग-जीवाभिगमे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-अणंतरसिद्धासंसार-समावराणग-जीवाभिगमे य परंपरसिद्धासंसार-समावराणग-जीवाभिगमे य 1 / से किं तं अणंतरसिद्धासंसार-समावण्णग-जीवाभिगमे ?, 2 पराणरसविहे पराणत्ते, तंजहा-तित्थसिद्धा जाव अणेगसिद्धा, सेत्तं अणंतरसिद्धा 2 / से किं तं परंपरसिद्धा. संसारसमावराणगजीवाभिगमे ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-पढमसमयसिद्धा दुसमयसिद्धा जाव अणंतसमयसिद्धा, से तं परंपरसिद्धासंसारसमावरणग-जीवाभिगमे, सेत्तं असंसारसमावराणगजीवाभिगमे ३॥सू०७॥ से किं तं संसारसमावन्नजीवाभिगमे ?, संसारसमावराणएसु णं जीवेसु इमायो णव पडिवत्तीयो एवमाहिज्जंति, तंजहा-एगे एवमाहंसु-दुविहा संसारसमावराणगा जीवा पन्नत्ता, एगे एवमाहंसु-तिविहा संसारसमावराणगा जीवा पन्नत्ता, एगे एवमाहंसु-चउबिहा संसारसमावराणगा जीवा पनत्ता, एगे एवमाहंसु-पंचविहा संसारसमावराणगा जीवा पनत्ता, एतेणं अभिलावेणं जाव दसविहा संसारसमावरणगा जीवा पराणत्ता.॥ सू० 8 // तत्थ णं जे एवम्राहंसु दुविहा संसारममावराणगा जीवा पन्नत्ता, ते एवमाहंसु, तंजहा-तसा चेव थावरा चेव // सू० 1 // से किं तं थावरा.?, 2 तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-पुदविकाइया. 1 अाउकाइया 2 वणस्सइकाइया 3 ॥सू० 10 // से कि तं पुढविकाइया ?, 2 दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सुहुमपुढविकाइया य बायरपुढविकाइया य // सू० 11 // से किं तं सुहुमपुढविकाइया ?, 2 दुविहा पनत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य // सू. 12 // तेसि णं भंते ! जीवाणं कतिसरीरया पराणत्ता, गोयमा ! तो सरीरगा पन्नत्ता, तंजहा-थोरालिए तेयए कम्मए 1 / तेसि णं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलासंखेजतिभागं उक्कोसेणवि अंगुलासंखेजतिभागं 2 / तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरा