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________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् / [ 126 वइणो जाव अन्नेवि बहवे सूरियाभविमाणवासिणो देवा य देवीयो य तेहिं साभाविएहि य वेउविएहि य वरकमलपइट्ठाणेहि य सुरभिवरवारिपडिपुन्नेहिं चंदणकयचचिएहिं श्राविद्धकंठेगुणेहि पउमुप्पलपिहाणेहिं सुकुमाल कोमलपरिग्गहिएहिं अट्ठसहस्सेणं सोवनियाणं कलसाणं जाव अट्ठसहस्सेगां भोमिजागां कलसाग सम्बोदएहिं सव्वमट्टियाहिं सव्वतूयरेहि जाव सम्वोसहिसिद्धत्थएहि य सब्बिड्डीए जाव वाइएगां महया महया इंदाभिसेएगां अभिसिंचंति 3 // सू० 135 // . ___तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स महया महया इंदाभिसेए वट्टमाणे अप्पेगतिया देवा सूरिया विमागां नचोययं नातिमट्टियं पविरलफुसियरेणुविणासगां दिव्वं सुरभिगंधोदगं वासं वासंति, अप्पेगतिया देवा हयरयं नहरयं भट्टरयं उवसंतरयं पसंतरयं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणां पासिय-संमजियोवलितं सुइ-संमट्ट-रत्यंतरावणवीहियं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमागां मंचाइमंचकलियं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमागां णाणाविहरागोसियं भय-पडागाइ-पडागमंडियं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणां लाउल्लोइयमहियं गोसीससरस-रत्तचंदण-ददर-दिगणपंचंगुलितलं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमागां उवचियचंदणकलसं चंदण-घड-सुकय-तोरण-पडिदुवारदेसभागं करेंति, श्रप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणं श्रासत्तोसत्त-विउल-बट्ट-वग्घारियमल्लदामकलावं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणां पंचवराण-सुरभिमुक-पुप्फपुंजोवयारकलियं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमा कालागुरु-पवर-कुंदुरुक-तुरुक-धूव-मघमघंत-गंधुद्भूयाभिरामं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणां सुगंधगंधियं गंधवट्टिभूतं करेंति 1 / अप्पेगतिया देवा हिरगणवासं वासंति, सुवरणवासं वासंति, रथयवासं वासंति, वइरवासं वासंति, पुष्फवासं वासंति, फलवासं वासंति, मल्लवासं वासंति, गंधवासं
SR No.004366
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages456
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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