________________ 130 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः वासंति, चुराणवासं वासंति, श्राभरणवासं वासंति- 2 / अप्पेगतिया देवा हिरराणविहिं भाएंति, एवं सुवन्नविहिं भाएंति, रयणविहिं (वयरविहिं) पुष्फविहिं फलविहिं मल्लविहिं चुराणविहिं वत्थविहिं गंधविहिं भाएंति 3 / तत्य अप्पेगतिया देवा श्राभरणविहिं भाएंति, अप्पेगतिया चउन्विहं वाइत्तं वाइति-ततं विततं घणं झुसिरं, अप्पेगइया देवा चरविहं गेयं गायंति, तंजहा-उक्खित्तायं पायत्तायं मंदायं रोइतावसाणं 4 / अप्पेगतिया देवा दुयं नट्टविहिं उवदंसिंति अप्पेगतिया विलंबियणट्टविहिं उवदंसेंति, अप्पे. गतिया देवा दुतविलंबियं णट्टविहिं उवदंसेंति, एवं अप्पेगतिया अंचियं नट्टविहिं उवदंसेंति, अप्पेतिया देवां आरभडं भसोलं धारभडभसोलं उष्पायनिवायपवत्तं संकुचियपसारियं रियारियं भंतसंभंतणामं दिव्वं णट्टविहिं अदंसेंति 5 / अप्पेगतिया देवा चरब्विहं अभिणयं अभिणयंति, तंजहादिट्ठतियं पाडंतियं सामंतोवणिवाइयं लोगअंतोमझावसाणियं, अप्पेगतिया देवा बुक्कारेंति, अप्पेगतिया देवा पीणेंति, अप्पेमतिया लासेंति अप्पेगतिया हक्कारेंति, अंप्पेगतिया विणंति, तंडवेति, अप्पेगइया वग्गंति अप्फोडेंति, अप्पेगतिया अप्फोडेंति वग्गति, अप्पेगतिया तिवई छिदंति 6 / अप्पेगतिया हयहेसियं करेंति, अप्पेगतिया हत्थिगुलगुलाइयं करेंति, अप्पेगतिया रहघणघणाइयं करेंति, अप्ऐंगतिया हयहेसिय-हत्थिगुलगुलाइय-रहघणघणाइयं करेंति, 7 / अप्पेगतिया उच्छलेंति अप्पेगतिया पोलैंति, अप्पेगतिया उक्किट्ठियं करेंति, अप्पेगतिया उच्चलेंति पोच्छलेंति, अप्पगतिया तिन्नि वि 8 | अप्पेगतिया उवयंति, अप्पेगतिया उप्पयंति, अप्पेगतिया परिवयंति, अप्पेगइया तिन्नि वि 1 / अप्पेगइया सीहनायंति, अप्पेगतिया दहरयं करेंति, अप्पेगतिया भूमिचवेडं दलयंति, अप्पेतिया तिन्नि वि 10 / अप्पेगतिया गज्जंति, अप्पेगतिया विजुयायंति, यप्पेगइया वासं वासंति, अप्पेगतिया तिन्नि वि करेंति 11 / अप्पेगतिया. जलंति,