________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] / 131 अप्पेगतिया तवंति, अप्पेगतिया पतवेंति, अप्पेगतिया तिन्नि वि 12 / अप्पेगतिया हक्कारेंति, अप्पेगतिया थुक्कारेंति, अप्पेगतिया धक्कारेंति, अप्पेगतिया साइं साइं नामाइं साहेति, अप्पेगतिया चत्तारि वि 13 / अप्पेगइया देवा देवसन्निवायं करेंति, अप्पेगतिया देवुज्जोयं करेंति, अप्पेगइया देवुकलियं करेंति, अप्पेगइया देवा कहकहगं करेंति, अप्पेगतिया देवा दुहदुहगं करेंति, थप्पेगतिया चेलुक्खेवं करेंति, अप्पेगइया देवसन्निवायं देवुजोयं देवुकलियं देवकहकहगं देवदुहदुहगं चेलुक्खेवं करेंति, अप्पेगतिया उप्पलहत्थगया जाव सयसहस्सपत्तहत्थगया, अप्पेगतिया कलसहत्थगया जाव धूवकडुच्छयहत्थगया हट्टतुट्ट जाव हियया सव्वतो समंता श्राहावंति परिधावंति 14 / तए णं तं सूरियामं देवं चत्तारि सामाणियसाहस्सीयो जाव सोलस आयरक्खदेवसाहस्सीयो अराणे य बहवे सूरियाभ-रायहाणिवत्थव्वा देवा य देवीयो य महया महया इंदाभिसेगेणं अभिसिंचंति अभिसिंचित्ता पत्तेयं पत्तेयं करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं वयासी-जय जय नंदा ! जय जय भद्दा ! जय जय नंदा ! भद्दते, अजियं जिणाहि, जियं च पालेहि, जियमज्झे वसाहि इंदो इव देवाणं चंदो इव ताराणं चमरो इव असुराणं धरणो इव नागाणं भरहो इव मणुयाणं बहूई पलिग्रोवमाई बहूई सागरोवमाई बहूइं पलिग्रोवमसागरोवमाइं चउराहं सामाणियसाहस्सीणं जाव आयरक्खदेवसाहस्सीणं सूरियाभस्स विमाणस्स अन्नेसिं च बहूणं सूरियाभविमाणवासीणं देवाण य देवीण या आहेवच्चं जाव महया महया कारेमाणे पालेमाणे विहराहि त्ति कटु जय जय सद्द पउंजंति 15 // सू० 136 // तए णं से सूरियाभे देवे महया महया इंदाभिसेगेणं अभिसित्ते समाणे अभिसेयसभायो पुरथिमिल्लेणं दारेणं निग्गच्छति निग्गच्छित्ता जेणेव अलंकारियसभा तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता अलंकारियसभं अणुप्पयाहिणीकरेमाणे 2 अलंकारियसभं