________________ 360 / / ओमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभाग. बहवे पउमरुक्खा पउमवणसंडा णिच्चं कुसुमिता जाव चिट्ठति, पउममहापउमरुक्खे एस्थ ण परमपुंडरीया णामं दुवे देवा महिड्डिया जाव पलिश्रो. वमट्टितीया परिवसंति, से तेणटेणं गोयमा ! एवं बुच्चति पुरखरखरदीवे 2 जाव निच्चे 6 / पुक्खरवरे णं भंते ! दीवे केवइया चंदा पभासिंसु वा 3 ?, एवं पुच्छा,-चोयालं चंदसयं चउयालं चे सूरियाण सयं / पुक्खरवरदीवंमि चरंति एते पभासेंता // 1 // चत्तारि सहस्साई बत्तीसं चैव होति णवत्ता / छच्च सया बावत्तर महग्गहा बारह सहस्सा // 2 // छराणउइ सयसहस्सा चत्तालीसं भवे सहस्साई / चत्तारि सया पुक्खर (वर) तारागणकोड.' कोडीणं // 3 // सोभेसु वा 3,7 / पुक्खरखरदीवस्स णं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं माणुसुत्तरे नाम पव्वते पराणत्ते वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते जे णं पुक्खरखरं दीवं दुहा विभयमाणे 2 चिट्ठति, तंजहा-अभितरपुक्खरद्धं च बाहिरपुक्खरद्धं च 8 / अभितरपुक्खरद्धे णं भंते ! केवतियं चक्कवालेणं परिक्वेवेणं पराणते ?, गोयमा! अट्ट जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं-कोडी बायालीसा तीसं दोगिण य सया अगुणवराणा / पुक्खरअद्धपरिरयो एवं च मणुस्सखेत्तस्स // 1 // से केण?णं भंते ! एवं वुञ्चति अभितरपुक्खरद्धे य 21, गोयमा ! अभितरपुक्खरद्धेणं माणुसु. त्तरेणं पब्बतेणं सब्बतो समंता संपरिक्खित्ते, से एएण?णं गोयमा ! अभितरपुक्खरद्धे य 2, अदुत्तरं च णं जाव णिच्चे हैं / अम्भितरपुवखरद्धे णं भंते ! केवतिया चंदा पभासिसु वा 3 सा चेव पुच्छा जाव तारागणकोड. कोडीयो ?, गोयमा !बावत्तरिं च चंदा बावत्तरिमेव दिणकरा दित्ता। पुक्खरवरदीवड्ढे चरंति एते पभासेंता // 1 // तिनि सया छत्तीसा छच्च सहस्सा महग्गहाणं तु / णक्खत्ताणं तु भवे सोलाइ दुवे सहस्साई // 2 // अडयाल सयसहस्सा बावीसं खलु भवे सहस्साई। दोन्नि सया. पुवखरद्धे तारागणकोडिकोडीणं // 3 // सोभेसु वा 3, 10 // सू० 176 //