________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 प्रतिपत्तिः 3 / [ 356 पभासिसु वा 3 ? पुच्छा, गोयमा ! कालोए णं समुद्दे बायालीस चंदा पभासेंसु वा ३-बायालीसं चंदा बायालीसं च दिणयरा दित्ता / कालोदधिम्मि एते चरंति संबद्धलेसागा // 1 // णक्खत्ताण सहस्सं एगं बावत्तरं च सतमराणं / छच सता छण्णउया महागहा तिगिण य सहस्सा // 2 // अट्ठावीसं कालोदहिम्मि बारस य सयसहस्साइं / नव य सया पन्नासा तारागणकोडिकोडीणं // 3 // सोमेंसु वा 3, 13 // सू० 175 // कालोयं णं समुद्द पुक्खरवरे णामं दीवे पट्टे वलयागार-संगणसंठिते सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते णं चिट्टइ, तहेव जाव सम-चकवाल-संगणसंठिते नो विसम-चकवाल-संठाणसंठिए 1 / पुक्खरखरे णं भते ! दीवे केवतियं चकवालविखंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पराणते ?, गोयमा ! सोलस जोयणसतसहस्साई चकवालविक्खंभेणं-'एगा जोयणकोडी बाणउतिं खलु भवे. सयसहस्सा / अउणाणउतिं अट्ठ सया चउगाउया य [परिरो] पुक्खरवरस्स // 1 // से णं एमाए पउमवरवेदियाए एगेण य वणसंडेण संपरिक्खित्ते, दोराहवि वरागायो 2 / पुवखरवरस्स णं भंते ! कति दारा पराणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि दारा पराणत्ता, तंजहा-विजए वेजयंते जयंते अपराजिते 3 / कहिणं भंते ! पुक्खरखरस्स दीवरस विजए णामं दारे. पराणत्ते ?, गोयमा ! पुक्खरखर-दीव-पुरच्छिमपेरंते पुक्खरोद-समुद्दपुरच्छि-. मद्धस्स पत्थिमेणं एत्थ णं पुक्खरखरदीवस्स विजए णामं दारे पराणत्ते तं चेव सवं, एवं चत्तारिवि दारा, सीयासीोदा णत्थि भाणितव्वाश्रो 4 / पुक्खरवरस्स णं भंते ! दीवस्स दारस्स य 2 एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पराणत्ते ?, गोयमा !-'अडयाल सयसहस्सा बावीसं खलु भवे सहस्साई। अगुणुनरा य चउरो दारंतर पुक्खरवरस्स // 1 // पदेसा दोराहवि पुट्ठा, जीवा दोसु भाणियब्वा 5 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चति पुक्खरवरदीवे 2 ?, गोयमा ! पुक्खरखरे णं दीवे तत्थ 2 देसे तहिं 2 .