________________ 361 श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः ] समयखेत्ते णं भंते ! केवतियं पायामविक्खंभेणं कवतियं परिक्खेवेणं पराणत्ते ?, गोयमा ! पणयालीसं जोयणसय सहस्साई अायामविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी जाव अभितर-पुक्खरद्धपरिरथो से भाणियव्वो जाव अउणपराणे 1 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चति माणुसखेत्ते 2 ?, गोयमा ! माणुसखेत्ते णं तिविधा मणुस्सा परिवसंति, तंजहा-कम्मभूमगा अकम्मभूमगा अंतरदीवगा, से तेण?णं गोयमा ! एवं उच्चति-माणुसखेते माणुसखेत्ते 2 / माणुसखेत्ते णं भंते ! कति चंदा पभामेंसु वा 3 ?, कइ सूरा तवइंसु वा 3.?, गोयमा !-बत्तीसं चंदसयं बत्तीसं चेव सूरियाण सयं / सयलं मणुम्सलोयं चरेंति एते पभासेता // 1 // एकारस य सहस्सा छप्पि य सोला महग्गहाणं तु / छच्च सया छाणउया खत्ता तिरिण य सहस्सा // 2 // अडमीइ सयसहस्सा चत्तालीस सहस्स मणुयलोगंमि / सत्त य सता अण्णा तारागणकोडकोडीणं // 3 ॥सोमं सोभेसु वा 3, 3 / एसो तारापिंडो सव्वसमासेण मणुयलोगंमि / बहिया पुण ताराश्रो जिणेहिं भणिया असंखेजा // 1 // एवइयं तारग्गं जं भणियं माणुसंमि लोगंमि / चारं कलंबुया-पुष्फसंठियं जोइसं चरइ // 2 // रविससिगहनक्खत्ता एवइया ग्राहिया मणुयलोए / जेसि नामागोयं न पागया पनवेहिति // 3 // छावट्ठी पिडगाइं चंदाइचा मणुयलोगंमि / दो चंदा दो सूरा य होंति एक्केक्कए पिडए // 4 // छावट्ठीपिडगाइं नक्खत्ताणं तु मणुयलोगंमि / छप्पन्न नक्खत्ता य होंति एक्केकए पिडए // 5 // छावट्ठी पिडगाई महागहाणं तु मणुयलोगंमि / छावत्तरं गहसयं च होइ एक्केकए पिडए // 6 // चत्तारि य पंतीयो चंदाइचाण मणुयलोगंमि / छावट्ठिय छावट्ठि य होइ य एक्केकया पंती॥ 7 // छप्पन्नं पंतीयो नक्खत्ताणं तु मणुयलोगंमि / छावट्ठी छावट्ठी हवइ य एक्केकया पंती.॥८॥ छावत्तरं गहाणं पंतिसयं होइ मणुयलोगंमि / छावट्ठी छावट्ठीय होति एक्केकिया पंती // 1 // ते मेरु 46