________________ 362) [ श्रीमंदागमसुधासिन्धुः :: पश्चमो विभागः परियडन्ता पयाहिणावत्तमंडला सवे / अणवट्ठियजोगेहिं चंदा सूरा गहगणा य // 10 // नक्खत्ततारगाणं अवट्ठिया मंडला मुणेयव्वा / तेऽवि य पयाहिणावत्तमेव मेरुं अणुचरंति // 11 // रयणियर-दिणयराणं उ8 व अहे व संकमो नत्थि / मंडलसंकमणं पुण अभितरबाहिरं तिरिए // 12 // रयणियरदिणयराणं नक्खत्ताणं. महग्गहाणं च / चारविसेसेण भवे सुहदुक्खविही मणुस्साणं // 13 // तेसिं पविसंताणं तावक्खेत्तं तु वढए नियमा। तेणेव कमेण पुणो परिहायइ निक्खमंताणं // 14 // तेसिं कलंबुयापुष्फसंठिया होइ तावखेत्तपहा। अंती य संकुया बाहि वित्थडा चंदसूरगणा // 15 // केणं वट्ठति चंदो परिहाणी कगण होइ चंदस्स / कालो वा जोराहो वा केणऽणुभावेण चंदस्स ? // 16 // किराहं राहुविमाणं निव्वं चंदेण होइ अविरहियं / चउरंगुलमप्पत्तं हिट्ठा चंदस्स तं चरइ // 17 // बावढि बावडिं दिवसे दिवसे उ सुकपक्खस्स / जं परिवड्डइ चंदो खवेइ तं व कालेणं // 18 // पन्नरसइभागेण य चंदं पन्नरसमेव तं वरइ। पन्नरसइभागेण य पुणोवि तं चेव तिकमई // 11 // एवं वड्डइ चंदो परिहाणी एवं होइ चंदस्स / कालो वा जोगहा वा तेणणुभावेण चंदस्स // 20 // अंतो मणुस्सखेत्ते हवंति चारोवगा य उववरणा.। पंचविहा जोइसिया चंदा सूरा गहगणा य // 21 // तेण परं जे सेसा चंदाइच-गह-तारनक्खत्ता / नत्थि गई नवि चारो अवट्ठिया ते मुणेयव्वा / / 22 // दो चंदा इह दीवे चत्तारि य सागरे लवणतोए / धायइसंडे दीवे बारस चंदा य सूरा य // 23 // दो दो जंबद्दीवे ससिसूरा दुगुणिया भवे लवणे (एवं जंबुद्दीवे दुगुणा लवणं चउग्गुणा होति) / लावणिगा य तिगुणिया ससिसूरा धायईसंडे // 24 ॥धायइसंडप्पभिई उहिट्ठतिगुणिया भवे चंदा। श्राइलचंदसहिया श्रणंतराणंतरे खेते // 25 // रिक्खग्गह-तारग्गं दीवसमुद्दे जहिच्छसे नाउं / तस्स ससीहिं गुणियं रिक्खुम्गह-तारगाणं तु // 26 // चंदातो