________________ 414 ) | श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः // अथ नवविधाख्याष्ठमी प्रतिपत्तिः // ... तत्थ णं जे ते एवमाहंसु णवविधा संसारसमावराणगा जीवा पराणत्ता, ते एवमाहंसु-पुढविकाइया घाउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणस्सइकाइया बेइंदिया तेइंदिया चरिंदिया पंचेंदिया 1 / ठिती सव्वेसि भाणियका 2 / पुढविकाइयाणं संचिट्टणा पुढविकालो जाव वाउकाइयाणं, वणस्सईणं वणस्सतिकालो, बेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया संखेज्जं कालं, पंचेंदियाणं सागरोवमसहस्सं सातिरेगे 3 / अंतरं सव्वेसिं अणुतं कालं, वणस्सतिकाइयाणं असंखेज्जं कालं 4 / अप्पाबहुगं, सव्वत्थोवा पंचिदिया चउरिदिया विसेसाहिया. तेइंदिया विसेसाहिया बेइंदिया विसेसाहिया तेउकाइया असंखेजगुणा पुढविकाइया श्राउकाइया वाउकाइया विसेसाहिया वणस्सतिकाइया अणंतगुणा 5 / सेत्तं णवविधा संसारसमावराणगा जीवा 6 // सू० 242 // णवविहपडिवत्ती समत्ता // // इति अष्टमी प्रतिपत्तिः // 1-8 // ... // अथ दशविधाख्या नवमी प्रतिपत्तिः // तत्थ णं जे ते एवमाहंसु दसविधा संसारसमावरणगा. जीवा ते एवमाहंसु तंजहा-पढमसमयएगिदिया अपढमसमयएगिदिया पढमसमयबैइंदिया अपढमसमयबेइंदिया जाव पढमसमयपंचिंदिया अपढमसमयपंचिंदिया 1 / पढमसमयएगिदियस्स ण भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?; गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणवि एक्क, अपढमसमयएगिदियस्स जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई समऊणाई 2 / एवं सज्वेसि पढमसमयिकाणं जहराणेणं एको समयो उक्कोसेणं एको संमत्रों, अपढमसमयिकाणं जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्कोसेणं जा जस्स ठिती सा समऊणा जाव पंचिंदियाणं तेत्तीसं सागरोवमाई