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________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 नवमी प्रतिपत्तिः ] / 415 समऊणाई 3 / संचिट्ठणा पढमसमइयस्स जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं एक्कं समयं, अपढमसमयकाणं जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उकोस्सेणं एगिदियाणं वणस्ततिकालो, बेइंदियतेइंदियउरिदियाणं संखेज्जं कालं पंचेंदियाणं सागरोवमसहस्सं सातिरेगं 4 / पढमसमयएगिदियाणं केवतियं अंतरं होति ?, गोयमा ! जहन्नेणं दो खुड्डागभवग्गहणाई समऊणाई, उकोसेणं वणस्सतिकालो, अपढमसमयएगिदियाणं अंतरं जहराणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साई संखेजवासमभहियाई, सेसाणं सव्वेसिं पढमसमयिकाणं अंतरं जहराणेणं दो खुड्डाई भवग्गहणाई समऊणाई उकोसेणं वणस्सतिकालों, अपढमसमयिकाणं सेसाणं जहरणेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो 5 / पढमसमइयाणं सव्वेसि सव्वत्थोवा पढमसमयपंचेंदिया पढ़मसमय उरिंठिया विसेसाहिया पढमसमयतेइंदिया विसेसाहिया पढमसमयबेइं. दिया विसेसाहिया पढमसमयएगिदिया विसेसाहिया 6 / एवं अपढमसमयिकावि णवरि अपढमसमयएगिदिया अणंतगुणा 7 / दोराहं अप्पबहू, सव्वत्थोवा पढमसमयएगिदिया अपढमसमयएगिदिया अणंतगुणा सेसाणं सव्वत्थोवा पढमसमयिगा अपढमसमयिगा असंखेजगुणा 8 / एतेसि णं भंते! पढमसमयएगिदियाणं अपढमसमयएगिदियाणं जाव अपढमसमयपंचिंदियाण य कयरे 2 थप्पा वा 4 ?, सव्वत्थोवा पढमसमयपंचेंदिया पढमसमयचउरिदिया विसेसाहिया पढमसमयतेइंदिया विसेसाहिया एवं हेट्टामुहा जाव पढमसमयएगिदिया विसेसाहिया अपढमसमयपंचेंदिया असंखेजगुणा अपढमसमयचरिंदिया विसेसाहिया जाव अपढमसमयरगिदिया अणंतगुणा 1 ॥सू० 243 // सेत्तं दसविहा संसारसमावरा णगा जीवा / सेत्तं संसारसमावराण जीवाभिगमे // // इति नवमी प्रतिपत्तिः // 19 // // इति संसारसमापन्नजीवाभिगमः // 1 //
SR No.004366
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages456
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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