________________ सादर समर्पण परम पूज्य परमशांतमूर्ति चारित्ररत्न कच्छवागड़ . देशोद्धारक पूज्यपाद आचार्यदेवेश श्रीमद् विजयकनकसूरीश्वरजी महाराजा जेओश्रीनी पुनीत कृपानो अनुभव पूज्यपाद संघस्थविर आचार्यदेव श्रीमविजयसिडिसूरीश्वरीजी महाराजानी शीतल सत्रछायामा रहेतां मारा गुरुदेवश्री साथे सुन्दर रीते प्राप्त थयो हतो जेओश्री .. सुन्दर संयम साधना अने शासननी सत्य आराधनाना पुरा - प्रेमी हता. कच्छवागड़ प्रदेशने धर्मनारंगे रंगी तेओश्रीए पुष्कल पुन्यात्माओ नो उद्धार कर्यो छे / तेओश्रीनी पुनीत स्मृतिमां श्री आगम सुधा-सिन्धु ___ पांचमो विभाग सादर कोटिशः वंदना साथे समर्पण करी कृत्कृत्यता अनुभवु छु गुरुपदकजभृङ्ग जिनेन्द्रविजय . .. . .. OV . .