________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] ( 135 पमजति, दिव्वाए दगधाराए अब्भुक्खेइ, सरसेगां गोसीसचंदणेगां पंचंगुलितलं मंडलगं श्रालिहइ कयग्गहगहिय जाव पुंजोवयारकलियं करेइ करेत्ता धूवं दलयइ 5 / जेणेव सिद्धायतणस्स दाहिणिल्ले दारे तेणेव उबागच्छति लोमहत्थगं परामुसइ दारचेडीयो य सालभंजियायो य वालरूवए य लोमहत्थएगां पमजइ दिव्वाए दगधाराए अभुक्खेइ सरसेगां गोसीसचंदणेगां चच्चए दलयइ दलइत्ता पुष्फारुहणं मल्लारुहां जाव अाभरणारहणां करेइ करेत्ता भासत्तोसत्त जाव धूवं दलयइ 6 / जेणेव दाहिणिल्ले दारे मुहमंडवे. जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए तेणेव, उवागन्छइ लोमहत्थगं परामुसइ बहुमज्झदेसभागं लोमहत्थेणं पमजइ दिवाए दगधाराए अभुक्खेइ सरसेगां गोसीसचंदणेगां पंचंगुलितलं मंडलगं प्रालिहइ कयग्गाहगहिय जाव धूवं दलयइ 7 / जेणेव दाहिणिलस्स मुहमंडवस्स पञ्चस्थिमिल्ले दारे तेणेव उवागच्छइ लोमहत्थगं परामुसइ दारचेडीयो य सालभंजियायो य वालरूवए य लोमहत्थेणं पमन्जइ दिव्वाए दगधाराए अभुक्खेइ सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चए दलयइ पुष्फारुहणं जाव ग्राभरणारुहगां करेइ यासत्तोसत्त-विउल-बट्ट-वग्धारियमल्लदामकलावं करेइ 2 कयगाहग्गहिय-करयल-पन्भट्ट-विप्पमुक्केणं धूवं दलयइ, जेणेव दाहिणिल्लमुहमंडवस्स उत्तरिल्ला खंभपंती - तेणेव उवागच्छइ लोमहत्थं - परामुसइ थंभे य सालभंजियाओ य वालरूवए य लोहमत्थएणं पमन्जइ जहा चेव पञ्चस्थिमिल्लस्स दारस्स जाव धूवं दलयइ जेणेव दाहिणिल्लस्स. मुहमंडवस्स पुरथिमिल्ले दारे तेणेव उवागच्छइ लोमहत्थगं परामुसति दारचेडीयो तं चेत्र सव्वं जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमंडवस्स दाहिणिल्ले दारे तेणेय उवागच्छइ दारचेडीयो य तं चेव सव्वं जेणेव दाहिणिल्ले पेच्छाघरमंडव जेणेव दाहिणिल्लस्स पेच्छाघरमंडवस्स बहुमज्झदेसभागे जेणेव वइरामए अवखाडए जेणेव