________________ 252 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पश्चमो विभागः अत्थेगतियस्स देवस्स एगे विक्कमे सिता सेसं तं चेव 4 / अस्थि णं भंते ! विमाणाई कामाई कामावत्ताई जाव कामुत्तरवडिप्सयाई ?, हंता अस्थि 5 / ते णं भंते ! विमाणा केमहालया पराणता ?, गोयमा ! जहा सोत्थीणि(सोत्थियाईणि) णवरं सत्त उवासंतराइं विक्कमे सेसं तहेव 6 / अस्थि णं भंते ! विमाणाई विजयाई वेजयंताई जयंताई अपराजिताई ?, हंता अत्थि७। ते णं भंते ! विमाणा केमहालया पण्णता ?, गोयमा ! जावतिए सूरिए उदेइ एवइयाई नव श्रीवासंतराइं, सेसं तं वेव. नो चेव णं ते विमाणे वीईवएजा एमहालया णं विमाणा पराणत्ता, समणाउसो ! 8 // सू० 11 / तिरिक्ख.. जोणियउद्दसत्रो पढमो॥ // इति तृतीयप्रतिपत्तौ तिरंगधिकारे प्रथम उद्देशकः // 3-2-1 // // अथ तृतीयप्रतिपत्तौ तिर्यगधिकार द्वितीयोद्देशकः // - कतिविहा णं भंते ! संसारसमावराणगा जीवा पराणता ?, गोयमा ! छविहा पराणत्ता, तंजहा-पुढविकाइया जाव तसकाइया 1 / से किं तं पुदविकाइया ?, पुढविकाइया दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सुहुमपुढविकाइया य बादरपुढविकाइया य 2 / से किं तं सुहुमपुढविकाइया ?, 2 दुविहा परणत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य, सेत्तं सुहुमपुढविकाइया 3 / से किं तं बादरपुढविक्काइया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य, एवं जहा पराणवणापदे, सगहा सत्तविधा पराणत्ता, खरा अणेगविहा पन्नत्ता, जाव असंखेजा, से तं बादर पुढविकाइया, सेत्तं पुढविकाइया 4 / एवं चेव जहा पराणवणापदे तहेव निरवसेसं भाणितव्वं जाव वणप्फतिकाइया, एवं जाव जत्थेको तत्थ सिता संखेज्जा सिय असंखेजा सिता श्रणंता, सेत्तं बादरवणप्फतिकाइया, से तं वणस्सइकाइया 5 / से किं तं तसकाइया ?, 2 चउब्विहा पराणत्ता, तंजहा-बेइंदिया