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________________ 88 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः तत्थ णं जे ते किराहा मणी तेसिं णं मणीणं इमे एतारूवे वरणावासे पराणत्ते, से जहानामए जीभूतए इ वा अंजणे इ वा खंजणे इ वा कजले इ वा मसी इ वा मसीगुलिया इ वा गवले इ वा गवलगुलिया इ वा भमरे इ वा भमरावलिया इ वा भमरपतंगसारे ति वा जंबूफले ति वा अद्दारिटे इ वा परपुढे इ वा गए इ वा गयकलभे इ वा किराहसप्पे इ वा किराहकेसरे इ वा अागासथिग्गले इ वा किराहासोए इ वा किराहकणवीरे इ वा किराहबंधुजीवे इ वा, भवे एयारूवे सिया ? णो इण? समढे, योवम्मं समणाउसो! ते णं किराहा मणी इत्तो इट्टतराए चेव कंततराए चेव मणुराणतराए चेव मणामतराए चेव वराणेणं पराणत्ता॥सू० ३४॥तस्थ णं जे ते नीला मणी तेसि णं मणीणं इमे एयारूवे वराणावासे पराणत्ते, से जहानामए भिगे इ वा भिंगपत्ते इ वा सुए इ. वा सुयपिच्छे इ वा चासे इ वा चासपिच्छे इ वा णीली इ वा णीलीभेदे इ वा णीलीगुलिया इ वा सामाए इ वा उच्चंतगे इ वा वणराती इ वा हलघरवसणे इ वा मोरग्गीवा इ वा पारेवयग्गीवा इ.वा श्रयसिकुसुमे इ वा बाणकुसुमे इ वा अंजणकेसियाकुसुमे इ वा नीलुप्पले इ वा णीलासोगे इ वा णीलकणवीरे इ वा णीलबंधुजीवे इवा, भवे एयारूवे सिया ? णो इण? सम?, ते णं णीला मणी एत्तो इट्टतराए चेव जाव वराणेणं पराणत्ता // सू० 35 // तत्थ णं जे ते लोहियगा मणी तेसि णं मणीणं इमेयारूवे वराणावासे पराणने, से जहाणामए ससरुहिरे इ वा उरभरुहिरे इ वा (नररुहिरे वा) वराहरुहिरे इ वा मणुस्सरुहिरे इ वा महिसरुहिरे इ वा बालिंदगोवे इ वा बालदिवाकरे इ वा संझन्भरागे इ वा गुंजद्धरागे इ वा जासुत्रणकुसुमे इ वा किंसुयकुसुमे इ वा पालियायकुसुमे इ वा जाइहिंगुलए ति वा सिलप्पवाले ति वा पवालग्रंकुरे इ वा लोहियक्खमणी इ वा लक्खारसगे ति वा किमिरागकंबले ति वा चीणपिट्ठरासी ति वा रतुप्पले इ वा रत्तासोगे ति वा रत्तकणवीरे ति वा रत्तवंधुजीवे तिवा, भवे एयारूवे सिया ?
SR No.004366
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages456
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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