________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम्] मया खंभा सुवरणरुप्पमया फलगा लोहितक्खमइयायो सूइयो वयरामया संधी णाणामणिमया अवलंबणा अवलंबणबाहायो य पासादीया जाव पडिरूवा // सू० 30 // तेसि णं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरो पत्तेयं पत्तेयं तोरणं पराणत्तं, तेसि णं तोरणाणं इमे एयारूवे वराणावासे पराणत्ते, तंजहातोरणा णाणामणिमया णाणामणिमएसु थंभेसु उवनिविट्ठ-संनिविट्ठा विविहमुतंतराख्वोवचिया विविह-ताराख्वोवचिया जाव पडिरूवा // सू० 31 // तेसि णं तोरणाणं उप्पिं अट्ठमंगलगा पराणत्ता, तंजहा-सोत्थिय-सिरिवच्छ-णंदियावत्त-वद्धमाणग-भदासण-कलस-मच्छ-दप्पणा जाव पडिरूवा / तेसिं चणं तोरणाणं उप्पिं बहवे किराहचामरज्या जाव सुकिलचामरज्या अच्छा सराहा रुप्पपट्टा वइरदंडा जलयामलगंधिया सुरम्मा पासादीया दरिसणिजा अभिरुवा पडिरूवा विउधति 1 / तेसिं णं तोरणाणं उप्पि बहवे छत्तातिछत्ते पडागाइपडागे घंटाजुगले उप्पलहत्थए कुमुद-णलिण-सुभगसोगंधिय-पोंडरीय-महापोंडरीय-सतपत्त-सहस्सपत्तहत्थए सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे विउव्वति 2 // सू० 32 // तए णं से अाभियोगिए देवे तस्स दिव्वस्त जाणविमाणस्स अंतो बहुसमरमणिज्जं भूमिभागं विउव्वति 1 / से जहाणामए प्रालिंगपुक्खरे ति वा मुइंगपुक्खरे इ वा परिपुराणे सरतले इ वा करतले इ वा चंदमंडले इ वा सूरमंडले इ वा पायंसमंडले इ वा उब्भचम्मे इ वा वसहचम्मे इ वा वराहचम्मे इ वा सीहचम्मे इ वा वग्घचम्मे इवा छगलचम्मे इवा दीवियचम्मे इ वा अणेग-संकु-कीलग-सहस्सवितते णाणाविहपंचवन्नेहिं मणीहिं उवसोभिते आवड-पच्चावड-सेढिपसेढिसोत्थिय-सोवत्थिय-पूसमाणव-वद्धमाणग-मच्छंडग-मगरंडग-जार-मारफुल्लावलि-पउमपत्त-सागरतरंग-वसंतलय-पउमलयभत्तिचित्तेहिं सच्छाएहिं सप्पभेहिं समरीइएहिं सउजोएहिं णाणाविहपंचवराणेहिं मणीहिं उवसोभिए तंजहा-किराहेहिं णीलेहिं लोहिएहिं हालिदेहिं सुकिलेहिं 2 // सू०३३ //