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________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] [ 105 पन्नासं जोयणाइं विक्खंभेणं, उप्पि पणवीसं जोयणाई विक्खंभेणं 1 / मूले वित्थिरणे मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुए-गोपुच्छसंठाणमंठिए सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे, से णं पागारे णाणाविहपंचवराणेहिं कविसीसएहिं उपसोभित्ते, तंजहा-कराहेहि य नीलेहि य लोहितेहिं हालिदेहिं सुकिल्लेहिं कविसीसएहिं 2 / ते णं कविसीसगा एगं जोयणं अायामेणं अद्धजोयणं विक्खंभेणं देसूणं जोयणं उड्ड उच्चत्तेणं सब्बरयणा(मणि)मया अच्छा जाव परिरूवा 3 // सू० 17 // सूरियाभस्स णं विमाणस्स एगमेगाए बाहाए दारसहस्सं दारसहस्सं भवतीति मक्खायं, ते णं दारा पंच जोयणसयाई उड्ड उच्चत्तेणं अड्डाइजाई जोयणसयाई विक्खंभेणं, तावइयं चेव पवेसेणं सेया वरकणग-थूभियागा ईहामिय-उसभ-तुरग-णर-मगर-विहग-वालग-किन्नर-रुरु-सरभ-चमर-कुंजरवणलय-पउमलय-भत्तिचित्ता खंभुग्गयवर-वयरवेइया परिगयाभिरामा विजाहर-जमल-जुयल-जंतजुत्ता विव अचीसहस्स-मालणीया रूवग-सहस्सकलिया भिसमाणा भिब्भिसमाणा चक्खुल्लोयणलेसा सुहफासा ससिरीयरूवा 1 / वनो दाराणं तेसिं होड, तंजहा-वइरामया णिम्मा रिट्ठामया पइट्ठाणा वेरुलियमया खंभा, जायरूबोवचिय-पवर-पंचवन-मणिरयण-कोट्टिमतला हंसगम्भमया एलुया, गोमेजमया इंदकीला, लोहियक्खमतीतो चेडायो जोईरसमया उत्तरंगा लोहियक्खमईयो सूईश्रो वयरामया संधी नाणामणिमया समुग्गया वयरामया अग्गला अग्गलपासाया रययामयाश्रो श्रावतणपेढियात्रो अंकुत्तरपामगा निरंतरियघणकवाडा भित्तीसु चेव भित्तिगुलित्ता छपन्ना तिगिण होति गोमाणसिया तत्तिया गाणामणि-रयणवालख्वग-लीलट्ठिश्र-सालभंजियागा वयरामया कूडा .रययारणा)मया उस्सेहा सवतरणिजमया उल्लोया गाणामणिरयण-जालपंजर-मणि-वंसगलोहियक्ख-पडिवंसग-रययभोमा अंकामया पवखा पवखबाहाश्रो जोई
SR No.004366
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages456
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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