________________ 174 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः से पएसी राया कल पाउप्पभायाए रयणीए जाव तेयसा जलते हटुतु? जाव हियए जहेव कूणिए तहेव निगच्छइ अंतेउर-परियालसद्धिं संपरिबुडे पंचविहेणं अभिगमेणं वंदइ नमसइ एयमट्ठ भुजो भुजो सम्मं विणएणं खामेइ 2 // सू० 112 // तए णं केसी कुमारसमणे पएसिस्स रगणो सूरियकंतप्पमुहाणं देवीणं तीसे य महतिमहालियाए महच्चपरिसाए जाव धम्म परिकहेइ 1 / तए णं से पएसी राया धम्म सोचा निसम्म उट्ठाए उट्ठति केसिकुमारसमणं वंदइ नमसइ जेणेव सेयविया नगरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए 2 // सू० 113 // तए णं केसी कुमारसमणे पएसिरायं एवं वदासी मा णं तुमं पएसी ! पुबि रमणिज्जे भवित्ता पच्छा परमणिज्जे भविजासि, जहा से वरासंडे इ वा णट्टसाला इ वा इक्खुवाडए इ वा खलवाडए इ वा // सू० 114 // कहं णं भंते ! ? // सू० 115 // वाणसडे पत्तिए पुप्फिए फलिए हरियगरेरिजमाणे सिरीए अतीव उवसोभेमाणे चिट्टइ, तया णं वणसंडे रमणिज्जे भवति 1 / जया यं वणसंडे नो पत्तिए नो पुल्फिए नो फलिए नो हरियगरेरिजमाणे णो सिरीए अईव उवसोभेमाणे चिट्ठइ तया णं जुन्ने झडे परिसडियपंडुपत्ते सुक्करुक्खे इव मिलायमाणे चिट्टइ तया णं वणे णो रमणिज्जे भवति 2 // सू० 116 // जया णं णट्टसाला वि गिजइ वाइजइ नचिजइ हसिज्जइ रमिजइ तया णं णट्टसाला रमणिजा भवइ, जया णं नट्टसाला णो गिजइ जाव णो रमिजइ तया णं णसाला यरमणिजा भवति / / सू० 117 // जया णं इक्खुवाडे छिजइ भिजइ सिज्जइ पिजइ दिजइ तया णं इक्खुवाडे रमणिज्जे भवइ, जया णं इक्खुवाडे णो छिजइ जाव तया इक्खुवाडे अरमणिज्जे भवइ // सू० 118 // जया णं खलवाडे उच्छुब्भइ उडुइजइ मलइजइ मुणिजइ खजइ पिजइ दिजइ तया णं खलवाडे रमणिज्जे भवति जया णं खलवाडे नो उच्छुब्भइ जाव अरमणिज्जे भवति 1 / से तेण?णं पएसी ! एवं वुच्चइ मा णं तुमे पएसी ! पुब्दि