________________ A), श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् : द्वितीया प्रतिपत्तिः ] [ 225 ॥सू० 67 // इमा णं भंते ! रयणप्पभापुढवी केवतिया बाहल्लेणं पराणत्ता?, गोयमा ! इमा णं रयणप्पभापुढवी असिउत्तरं जोयणसयसहस्सं बाहल्लेणं .परणत्ता, एवं एतेणं अभिलावेणं इमा गाहा अणुगंतव्वा-यासोनं बत्तीसं अट्ठावीसं तहेब वीसं च / अट्ठारस सोलसगं श्रद्रुत्तरमेव हिटिमिया // 1 // // सू० 68 // इमाणं भंते ! रयणप्पभापुढवी कतिविधा पण्णत्ता ?, गोयमा ! तिविहा पराणत्ता, तंजहा-खरकंडे पंकबहुले कंडे श्रावबहुले कंडे 1 / इमीसे णं भंते! रयणप्पभापुढवी खरकंडे कतिविधे पराणत्ते गोयमा! सोलसविधे पराणत्ते, तंजहा-रयणकंडे 1 वइरे 2 वेरुलिए 3 लोहितक्खे 4 मसारगल्ले 5 हंसगब्भे 6 पुलए 7 सोयंधिए 8 जोतिरसे, 1 अंजणे 10 अंजणपुलए 11 रयते 12 जातरूवे 13 अंके 14 फलिहे 15 रितु 16 कंडे 2 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभापुवीए रयणकड़े कतिविधे पराणते ?, गोयमा ! एगागारे पराणत्ते, एवं जाव रिट्ठ 3 / इमीसे णं भंते! रयणप्पभापुढवीए पंकबहुले कंडे कतिविधे पराणत्ते ?, गोयमा ! एकागारे परागते 4 / एवं श्रावबहुले कंडे कतिविधे पराणत्ते ?, गोयमा ! एकागारे परणत्ते 5 / सकरप्पभाए णं भंते ! पुढवी कतिविधा पराणत्ता ?, गोयमा ! . एकागारा पराणत्ता, एवं जाव अहेसत्तमा 6 // सू०६१ // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए केवइया निरयावास-सयसहस्सा पराणत्ता ?, गोयमा ! तीसं णिरयावाससयसहस्सा परणत्ता 1 / एवं एते अभिलावेणं सव्वासिं पुच्छा 2 / इमा गाहा अणुगंतव्वा-तीसा य पराणवीसा पराणरस दसेव तिगिण य हवंति / पंचूणसयसहस्सं पंचेव अणुत्तरा णरगा // 1 // जाव अहेसत्तमाए पंच अणुत्तरा महतिमहालया महाणरगा पराणत्ता, तंजहाकाले महाकाले रोरुए महारोरुए अपतिट्ठाणे 3 // सू० 70 // श्रथि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे घणोदधीति वा घणवातेति वा तणुवातेति वा श्रीवासंतरेति वा ?, हंता यत्थि, एवं जाव अहे सत्तमाए