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________________ 428 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पञ्चमो विभागः असरीरीः अणंतगुणा तेयाकम्मसरीरी दोवि तुल्ला अणंतगुणा 7 / सेत्तं छब्विहा सव्वजीवा 8 // सू० 264 // // इति पञ्चमी प्रतिपत्तिः / / 2-5 // .. // अथ सप्तविधाख्या षष्ठी प्रतिपत्तिः // : तत्थ णं जे ते एवमाहंतु सत्तविधा सव्वजीवा पराणत्ता ते एवमाहंसु, तंजहा-पुढविकाइया ग्राउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणस्सतिकाइया तसकाइया अकाइया 1 / संचिट्टणंतरा जहा हेट्ठा 2 / अप्पाबहुगं सव्वत्थोवा तसकाइया तेउकाइया असंखेजगुणा पुढविकाइया विसेसाहिया श्राउकाइया विसेसाहिया वाउकाइया विसेसाहिया सिद्धा अणंतगुणा वास्सइकाइया अणंतगुणा 3 // सू० 265 // अहवा सत्तविहा सव्वजीवा फ्राणत्ता, तंजहा-कराहलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा तेउलेस्ता पम्हलेस्सा सुकलेस्सा अलेस्सा 1 / कराहलेसे णं भंते ! कराहलेसत्ति कालबो केवचिरं होइ, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्त उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतो. मुहुत्तममहियाई 2 / णीललेस्से णं जहरणेणं अंतोमुहुत्त उकस्सेणं दस सागरोवमाइं पलिश्रोवमस्स असंखेजतिभागभहियाई 3 / काउलेस्से णं / भंते ! काउलेस्सेत्तिकालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्स्सेणं तिन्नि सागरोवमाइं पलिश्रोवमस्स असंखेजतिभागमभहियाई 4 / तेउलेस्से णं भंते ! तेउलेस्सेत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोस्सेणं दोगिण सागरोवमाइं पलियोवमस्स असंखेजड़भागमभहियाई 5 / पम्हलेसे णं भंते ! पम्हलेसेत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कस्सेणं दस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमभहियाई 6 / सुक्कलेसे. णं भंते ! सुक्कलेस्सेत्ति, कालो केबुचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं तित्तीसं सागरो
SR No.004366
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages456
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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