________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 तृतीया प्रतिपत्तिः / / 381 सुभिगंधा पोग्गला दुभिगंधत्ताए परिणमंति. दुभिगंधा पोग्गला सुन्भिगंधत्ताए परिणमति 7 / एवं सुफासा दुफासत्ताए ?, सुरसा दूरसत्ताए ?, हंता गोयमा! एवं दो पालावगा भाणियब्वा 8 // सू० 111 // देवे णं भंते ! महिड्डीए जाव महाणुभागे पुवामेव पोग्गलं खिवित्ता पभू तमेव अणुपरियट्टित्ताणं गिरिहत्तए ?, हंता पभू 1 / से केणढेणं भंते ! एवं बुञ्चति-देवे णं महिड्डीए जाव गिरिहत्तए ?, गोयमा ! पोग्गले खित्ते समाणे पुवामेव सिग्घगती भवित्ता तो पच्छा मंदगती भवति, देवेणं महिड्डीए जाव महाणुभागे पुन्बंपि पच्छावि सीहे सीहगती (तुरिए तुरियगतो) चे से तेण?णं गोयमा / एवं वुच्चति जाव एवं अणुपरियट्टित्ताणं गेरिहत्तए 2 / देवे णं भंते ! महिड्डीए जाव महा. णुभावे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पुव्वामेव बालं अच्छित्ता अभेत्ता पभुगंठित्तए ?, नो इण? सम? 1, 3 / देवे णं भंते ! महिडिए बाहिरए पुग्गले अपरियाइत्ता पुव्वामेव बालं छित्ता भित्ता पभू गंठित्तए ?, नो इण? समढे 2, 4 / देवे णं भंते ! महिड्डीए बाहिरए पुग्गले परियाइत्ता पुव्वामेव बालं अच्छित्ता भित्ता पभू गंठित्तए ?, नो इण? समढे 3, 5 / देवे णं भंते ! महिड्डीए जाव महाणुभागे बाहिरे पोग्गले परियाइत्ता पुवामेव बालं छेत्ता भेत्ता पभू गंठित्तए ?, हंता पभू 4, 6 / तं चेव णं गंठिं छउमत्थे ण जाणति ण पासति एवंसुहुमं च णं गढिया 3, 7 / देवे णं भंते ! महिड्डीए जाव महाणुभावे पुवामेव बालं अच्छेत्ता अभेत्ता पभू दीहीकरित्तए वा हस्सीकरित्तए वा ?, नो तिणढे सम? 4, 8 / एवं चत्तारिवि गमा, पढमबिइयभंगेसु अपरियाइत्ता एगंतरियगा अच्छेत्ता अभेत्ता, सेसं तहेव, तं चेव सिद्धिं छउमत्थे ण जाणति ण पासति एसुहुमं च णं दीहिकरेज वा हस्सीकरेज वा 1 // सू० 112 // अयि णं भंते ! चंदिमसूरियाणं हिडिपि ताराख्वा अणुपि तुल्लावि समंपि तारारुवा