________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: प्रतिपत्तिः 1 / [ 187 अट्ठफासाइंपि अाहारेंति, विहाणमग्गणं पडुच्च कक्खडाइपि श्राहारेंति जाव लुक्खाइपि अाहारेंति 25 / जाइं फासतो कक्खडाई थाहारेति ताई किं एगगुणकक्खडाइं श्राहारेंति जाव अणंतगुणकक्खडाई थाहारेंति ?, गोयमा ! एगगुणकक्खडाइंपि अाहारेंति जाव अणंतगुणकवखडाइंपि थाहारेंति, एवं जाव लुक्खा णेयव्वा 26 / ताई भंते ! किं पुट्ठाई थाहारेंति अपुट्ठाई थाहारेंति ?, गोयमा ! पुटाई थाहारेंति नो अपुढाई श्राहारेंति 27 / ताइं भंते ! योगाढाइं श्राहारेंति अणोगाढाई श्राहारेंति ?, गोयमा ! योगाढाई अाहारेंति नो अणोगाढाई अाहारेंति 28 | ताई भंते ! किमणंतरोगाढाई श्राहारेंति परंपरोगाढाई अाहारेंति ?, गोयमा ! अणंतरोगाढाई थाहारेंति नो परंपरोगाढाई श्राहारेंति 21 / ताई भंते ! कि अणूई श्राहारेंति बायराइं श्राहारेंति ?, गोयमा ! अणूइंपि अाहारेति बायराइंपि याहारेंति 30 / ताइं भंते ! उड्ढ थाहारॅति अहे याहारेंति तिरियं श्राहारेंति ?, गोयमा ! उड्ढापि अाहारेंति अहेवि अाहारेति तिरियपि अाहारेंति 31 / ताई भंते ! किं ग्राइं श्राहारेंति मज्झे अाहारेंति पज्जवसाणे श्राहारेंति ?, गोयमा ! अादिपि अाहारेंति मज्झेवि श्राहारेंति पजवसाणेवि श्राहारेंति 32 / ताइं भंते ! किं सविसए श्राहारेंति अविसए श्राहारेंति ?, गोयमा ! सविसए श्राहारेंति नो अविसए श्राहारेंति 33 / ताई भंते ! कि प्राणुपुदि थाहारेंति श्रणाणुपुब्बि पाहारेंति ?, गोयमा ! प्राणुपुब्बि याहारेंति नो अणाणुपुट्विं श्राहारेति 34 / ताई भंते ! किं तिदिसिं पाहारेंति चउदिसिं आहारेंति पंचदिसि श्राहारेंति छदिसि श्राहारेंति ?, गोयमा ! निव्वाघाएणं छदिसिं, वाघातं पडुन सिय तिदिसि सिय चउदिसि सिय पंचदिसिं, उस्सन्नकारणं पडुच्च वराणतो कालाई नीलाई जाव सुकिलाई, गंधतो सुब्भिगंधाई दुन्भिगंधाई, रसतो जाव तित्तमहुराई, फासतो कक्खडमउय जाव निद्धलुक्खाई तेसिं पोराणे वरणगुणे जाव फासगुणे विप्परिणामइत्ता