________________ 70 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विमागः पिच्छणिजा ] पासादीया दरिसणिजा अभिरूवा पडिरूया // सूत्रं 1 // तीसे णं अामलकप्पाए नयरीए बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए अंबसालवणे नामं चेइए होत्था-[ चिरातीते पुत्वपुरिसपरणत्ते पोराणे सदिए कित्तिए नाए सच्छत्ते सज्झए सघंटे सपडागे पडागाइपडागमंडिए सलोमहत्थे कयवेयड्डिए लाइय-उल्लोइयमहिए गोसीस-सरस-रत्तचंदण-ददर-दिराणपंचंगुलितले उवचिय-चंदणकलसे चंदणघड-सुकय-तोरण-पडिदुवारदेसभाए अासत्तोसित्त-विउल-बट्ट-वग्यारिय-मल्लदामकलावे पंचवरण-सरस-सुरभि-मुक्कपुष्फपुंजोवयार-कलिए कालागुरु-पवरकुंदुरुक-तुरुक-धूव-मघमघंत-गंधुद्ध्याभिरामे सुगंधवर-गंधगंधिए गंधवट्टिभूए णड-गट्टग-जल्ल-मल्ल-मुट्ठिय-वेलंबगपवग-कहग-लासग-बाइक्खग-लंख-मंख-तृणइल-तुबवीणिय-भुयग-मागहपरिगए बहुजण-जाणवयस्स विस्सुयकित्तिए बहुजणस्स बाहुस्स बाहुणिज्जे पाहुणिज्जे अचणिज्जे वंदणिज्जे नमसणिज्जे पूयणिज्जे सकारणिज्जे सम्माणणिज्जे कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं विणएणं पज्जुवासणिज्जे दिव्वे सच्चे सच्चोवाए जागसहस्स-भागपडिच्छए बहुजणो अच्चेइ पागम्म अंबसाल-वणचेइयं अंबसालवणचेइयं 1 / से णं अंबसालवणे चेइए एगेणं महया वणसंडेणं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्तं / से णं वणसंडे किराहे किराहोभासे नीले नीलोभासे हरिए हरिश्रोभासे सीए सीबोभासे गिद्धे गिद्धोभासे तिव्वे तिब्बोभासे, किराहे किराहच्छाए नीले नीलच्छाए हरिए हरियच्छाए सीए सीबच्छाए गिद्धे गिद्धच्छाए तिव्वे तिव्वच्छाए घणकडिअकडिच्छाए रम्मे महामेह-णिकुरंबभूए पासाइए दरिसणिज्जे अभिरुवे पडिरूवे 2 // सू० 2 // [ तस्स णं वणसंडस्स बहुमज्झदेसभाए इत्थ णं महं एगे] श्रमोगवरपायवे [पन्नत्ते दुरुग्गयकंदमूल-बट्ट-लट्ठसंधि-सिलिट्ठ घण-मसिणसिणिद्ध-अणुपुविसुजाय-निरुवहत-उब्विद्ध-पवरखंधे श्रणेग-णर-पवरभुय:गेज्झे, कुसुमभर-समोणमंत-पत्तल-विसाल-साले महुकरि-भमरगण-गुमगुमाइय