________________ श्रीजीवाज़ोवाभिगम-सूत्रम् :: अधिकारः 2 नवमी प्रतिपत्ति : [ 439 अपढमसमयदेवाणां पढमसमयसिद्धागां अपढमसमयसिद्धाण य कतरे 2 अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पढमसमयसिद्धा पढमसमयमणूस्सा असंखेजगुणा अपढमसमयमणूसा असंखेजगुणा पढमसमयोरइया असंखेजगुणा पढमसमयदेवा असंखेजगुणा पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखेजगुणा अप्रढमसमयणेरइया असंखेजगुणा अपढमसमयदेवा असंखेजगुणा अपढमसमयसिद्धा अणंतगुणा अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा 24 / सेत्तं दसविहा सव्वजीवा पराणता 25 / सेत्तं सव्वजीवाभिगमे 26 // सू० 272 // इति जीवाजीवाभिगमसुत्तं समत्तं // सूत्रे ग्रन्थाग्रं 4750 // // इति नवमी प्रतिपत्तिः // 29 // // इति संसारासंसार-समापन्न-जीवाभिगमः // 2 // // इति श्री जीवाजीवाभिगम-सूत्रं समाप्तम् // // इति तृतीयमुपाङ्गम् // 3 // . . .