________________ 214 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः तं तिरिक्खजोणियणपुसका ?, 2 पंचविधा पराणत्ता, तंजहा-एगिदियतिरिक्खजोणियनपुसका, बेइंदियतिरिक्खजोणियनपुंसका तेइंदियतिरिक्खजोणियनपुंसका चउरिदियतिरिक्खजोणियनपुसका पंचेंदियतिरिक्खजोणियणपुंसका 3 / से किं तं एगिदियतिरिक्खजोणियनपुसका ?, 2 पञ्चविधा पराणत्ता, तंजहा-पुढविकाइया अाउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणस्सइकाइया, से तं एगिदियतिरिक्खजोणियणपुसका 4 / से किं तं बेइंदियतिरिक्खजोणियणपुंसका ?, 2 अणेगविधा पराणत्ता, तंजहा-पुला किमिया, से तं बेइंदियतिरिक्खजोणिया, एवं तेइंदियावि, चउरिंदियावि ५।से किं तं पंचेंदियतिरिक्खजोणियणपुंसका ?, 2 तिविधा पराणत्ता, तंजहा-जलयरा थलयरा खहयरा 6 / से किं तं जलयरा?, 2 सोचेर पुव्वुत्तभेदो यासालियवजितो भाणियब्बो, से तं पंचेंदियतिरिक्खजोणियणपुंसका 7 / से किं तं मणुस्सनपुसका ?, 2 तिविधा पराणत्ता, तंजहा-कम्मभूमगा अकम्मभूमगा अंतरदीवका, भेदो भाणियव्यो 8 // सू० 58 // णपुंसकरस णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई 1 / नेरइयनपुंसगस्स णं भंते ! केवं. तियं कालं ठिती पराणता ?, गोयमा ! जहराणेणं दसवाससहस्साई. उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई, सव्वेसिं ठिती भाणियव्वा जाव अधेसत्तमापुढविनेरइया 2 / तिरिक्खजोणियणपुंसकत्स णं भंते ! केवइयं कालं ठिती पन्नत्ता, गोयमा ! जहगणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पुनकोडी 3 / एगिदिय-तिरिक्खजोणिय-णापुसकस्स पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं वास सहस्साई 4 / पुढविकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणियणपुंसकरस णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई, सव्वेसि एगिदियणपुसकाणं ठिती भाणियब्बा, बेइंदियतेइंदियचरिदियणपुसकाणं ठिती भाणितव्या 5 / पंचिंदिय