________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: प्रतिपत्तिः 1 ] [ 161 नालिएरीणं // 1 // 'जह सगलसरिसवाणं पत्तेयसरीराणं' // 2 // गाहा 'जह वा तिलसक्कुलिया' // 3 // गाहा सेत्तं पत्तेयसरीर-बायखणस्सइकाइया 5 / / सू० 20 // से किं तं साहारणसरीर-बादरवणस्सइकाइया ?, 2 अणेगविधा पराणत्ता, तंजहा-यालुए मूलए सिंगबेर हिरिलि सिरिलि सिस्सिरिलि किट्टिया छिरिया छिरियविरालिया कराहकंदे वजकंदे सूरणकंदै खल्लूडे किमिरासि भद्दे मोत्थापिंडे हलिद्दा लोहारी णीहुथिभु अस्सकरणी सीहकन्नी सीउंदी मूसंढी जे यावराणे तहप्पगारा ते समासो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 1 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति सरीरगा पराणत्ता ?, गोयमा ! तो सरीरगा पन्नत्ता, तंजहा ओरालिए तेयए कम्मए, तहेव जहा बायरपुढविकाइयाणं, णवरं सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्म असंखेजतिभागं उकोसेणं सातिरेगजोयणसहस्सं, सरीरगा अणित्थंथसंठिता, ठिती जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं दसवाससहस्साई, जाव दुगतिया तिश्रागतिया परित्ता अणंता पराणत्ता, सेतं बायरवणस्सइकाइया, सेत्तं थावरा 2 // सू० 21 // से कि तं तसा ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-तेउकाइया वाउकाइया पोराला तसा पाणा // सू० 22 // से किं तं तेउक्काइया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सुहुमतेउकाइया य बादरतेउकाइया य ॥सू० 23 // से किं तं सहुमते उक्काइया ?, 2 जहा सुहुमपुढविकाइया नवरं सरीरगा सूइकलावसंठिया, एगगइया दुग्रागइया परित्ता असंखेजा पराणत्ता, सेसं तं चेव, सेत्तं सुहुमतेउकाइया // सू० 24 // से किं तं बादरतेउकाइया ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-इंगाले जाले मुम्मुरे जाव सूरकंतमणिनिस्सिते, जे यावन्ने तहप्पगारा, ते समासतो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्ता य अपजत्ता य 1 / तेसिणं भंते ! जीवाण कति सरीरमा पराणता ?, गोयमा ! तो सरीरगा पराणत्ता, तंजहा-थोरालिए तेयए कम्मए, सेसं तं चेव 2 / सरीरगा सूइ