________________ श्रीपिपातिक-सूत्रम् ] [ 75 भिंग-नेल-कजल-पहठ्ठ-भमरगण-निद्ध-निकुरंब-निचिय-कुचिय–पयाहिणावत्तमुद्धसिरए दालिम-पुप्फप्पगास-तवणिज-सरिस-निम्मल-सुणिद्ध-केसंतकेसभूमी छत्तागारुत्तिमंगदेसे णिव्वण-समलट्ठ मट्ठ-चंदद्ध-सम-णिडाले उडुवइ-पडिपुराण-सोमवयणे अल्लीण-पमाण-जुत्तसवणे सुस्सवणे पीणमंसल-कवोलदेसभाए ग्राणामिय-चाव-रुइल-किराहभराइ-तणुकसिण-णिद्धभमुहे अवदालिय-पुंडरीयणयणे कोयासिय-धवल-पत्तलच्छे गरुलाययः उज्जुगणासे उबचिय-सिलप्पवाल-विव-फल-सरिणभाहरो? पंडुर-ससि–सयल-विमलणिम्मान-संख-गोक्खीर-फेण-कुंद-दगरय-मुणालिया-धवल-दंतसेढी अखंडदंते अप्फुडियदंते अविरलदंते सुणिद्धदंते सुजायदंते एगदंतसेढी विव अणेगदंते हुयवह- णित-धोय-तत्त-तवणिज-रत्त-तल-तालुजीहे अवट्ठियसुविभत-चित्तमंतू मसल-संठिय-पसत्थ-सददूल-विउल्लहणुए जउरंगुल-सुप्पमाण-कुबुवर-सरिसग्गीवे वर-महिस-वराह-सीह-सद्दूल-उसभ-नाग-वरपडि. पुराण-विउलक्खंधे जुग-सन्निभ-पीण-रइय-पीवर-पउट्ठ-सुसंठिय-सुसिलिट्ठविसिट्ट-घण-थिर-सुबद्ध-संधि-पुरवर-फलिहवट्टियभुए भुयगीसर-विउलभोग-यायाणपलिह-उच्छूढदीहबाहू रत्ततलोवइय-मउय-मंसल-जायलक्खणपसत्थ-अच्छिद्द-जालपाणी पीवर-कोमल-वरंगुली श्रायंत्र-तंब-तलिणसुइ-रुइल-णिद्धनखे. चंदपाणिलेहे संखपाणिलेहे चकपाणिलेहे दिसासोत्थियपाणिलेहे चंद-सूर-संख-चक-दिसासोत्थियपाणिलेहे कणग-सिलायलुजल-पसत्थ-सम-तल-उवचिय-वित्थिराण-पिहुलवच्छे सिविच्छंकिय-वच्छे अकरंडुय-कणग-रुयय-निम्मल सुजाय-निरुवहय-देहधारी संनयपासे संगतपासे सुंदरपासे सुजायपासे मिय-माइय-पीण-रइयपासे उज्जुय-सम-सहियजब-तणु-कसिण-णिद्ध-श्राइज-लडह-रमणिज-रोमराई झस-विहग-सुजायपीणकुच्छी झसोयरे सुइकरणे पउमवियडणाभे गंगावत्तग-पयाहिणावत्ततरंगभंगुर-रविकिरण तरुणवोहिय-अकोसायंत-पउमगंभीरवियडणाभे साहय