________________ भीऑपपाविक-सूत्रम् ] [ 7 माङविय-कोडंबिय-मंति-महामंति-गणग-दोवारिश्र-अमञ्च-चेड-पीढमद्द-नगरनिगम-सेट्टि-सेणावइ-सत्थवाह-दूत-संधिवाल-सद्धिं संपरिखुडे विहरइ ॥सू० // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे श्राइगरे तित्थगरे सह(यं)संबुद्धे पुरिसुत्तमे पुरिससीहे पुरिसवरपुंडरीए पुरिसवरगंधहत्थी अभयदए चक्खुदए मग्गदए सरणदए जीबदए दीवो ताणं सरणं गई पइट्ठा धम्मवरचाउरंत-चकवट्टी अप्पडिहय-वरनाणदंसणधरे विट्टच्छउमे जिणे जाणए तिराणे तारए मुत्ते मोयए बुद्ध बोहए (विट्टछउमे अरहा केवली) सव्वगणू सव्वदरिसी सिव-मयल-मरुय-मणंत-मक्खय-मन्वाबाह-मपुणरावत्तियं सिद्धिगइणामधेयं ठाणं संपाविउकामे अरहा जिणे केवली सत्तहत्थूस्सेहे समचउरंस-संठाणसंठिए वजरिसहनारायसंघयणे अणुलोमवाउवेगे कंकग्गहणी कवोयपरिणामे सउणि-पोस-पिट्ठेतरोरुपरिणए पउमुप्पल-गंधसरिसनिस्सास-सुरभिवयणे छवी निरायंक-उत्तम-पसत्थ-अइसेय-निरुवमप(त)ले जल्ल-मल्ल-कलंक-सेय-रय-दोस-वजिय-सरीर-निरुवलेवे छाया-उज्जोइअंगमंगे घणनिचिय-सुबद्ध-लक्खणुराणय-कूडागारनिभ-पिंडिंअग्गसिरए सामलि-बोंडघण-निचिय-च्छोडिय-मिउ-विसय-पसत्थ-सुहुम-लक्खण-सुगंध-सुदर-भुनमोग-भिंग-नेल-कजल-पहिट्ठभमरगण-णिद्ध-निकुरुंब-निचिय-कुचिय-पयाहिणावत्त-मुद्धसिरए दालिम-पुप्फ-प्पगास-तवणिज-सरिस-निम्मल-सुणिद्ध-केसंतकेसभूमी घणनिचिय-सुबद्ध-लक्खणुनय-कुडागार-निभ-पिंडियग्गसिरए छत्तागारुत्तमंगदेसे णिव्वण-समलट्ठ-मट्ठ-चंदद्ध-समणिडाले उडुवइ-पडिपुराणसोमवयणे अल्लीण-पमाण-जुत्तसवणे सुस्सरणे पीण-मंसल-कवोल-देसभाए * प्राणामिय-चावरुइल-किराहभराइतणु-कसिण-णिद्धभमुहे (प्राणामिय-चाव· रुइल-किराहब्भराइ-संठिय-संगय-पायय-सुजाय-भमुए)अवदालिअ-पुंडरीयण· यणे कोपासिय-धवल-पत्तलच्छे गस्लायत-उज्जु-तुगणासे उवचित्र-सिलप्पवाल-बिंबफल-सरिणभाहरोठे पंडुर-ससि-सयल-विमल-णिम्मल-संख-गो