________________ 8] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : पञ्चमो विभागः क्खीर-फेण-कुद-दगरय-मुणालिया धवलदंतसेढी अखंडदंते अप्फुडियदंते अविरलदंते सुणिद्धदंते सुजायदंते एगदंतसेढीविव अणेगदंते हुयवहणिद्धंतधोय-तत्त-तवणिज-रत्त-तल-तालुजीहे अवट्ठिय-सुविभत्त-वित्तमंसू मंसलसंठिय-पसत्थ-सद्द ल-विउलहणूए चउरंगुल-सुप्पमाण-कंबुवर-सरिसग्गीवे वरमहिस-बराह-सीह-सदूल-उसभ-नाग-वर-पडिपुराण-विउलक्खंधे जुगसन्निभपीणरइय-पीवर-पउट्ठ-सुसंठिय-सुसिलिट्ठविसिट्ठघण-थिर-सुबद्ध-संधि(संठियोवचिय-वणथिर-सुबद्ध-सुणिगूढ-पब्वसंधी)पुरवर-फलिह-वट्टियभूए भूअईसरविउल-भोग-यादाणा-प(फ)लिह-उच्छूढ-दीहबाहू रत्ततलोवइय-मउग्र-मंसलसुजाय-लक्खण-पसत्थ-अच्छिद्द-जालपाणी पीवर-कोमल-वरंगुली आयंब-तंबतलिण-सुइ-रुइलणिदणक्खे चंदपाणिलेहे सूरपाणिलेहे. संखपाणिलेहे - चकपाणिलेहे दिसा-सोत्थिन-पाणिलेहे . चंदसूर-संख-चक-दिसासोत्थिथपाणिलेहे (रविससि-संख-चक-सोवत्थिय-विभत्त-सुविरइय-पाणिलेहे अणेग-वरलक्खणुत्तिम-पसत्थ-सुइरइय-पाणिलेहे) कणग-सिलातलुजल-पसत्थ-समतलउवचिय-विच्छिण्ण-पिहुलवच्छे सिरिविच्छंकिय-वच्छे(उवचिय-पुरवर-कवाडविच्छिण्ण-पिहुलवच्छे कणय-सिलायलुजल-पसत्थ-समतल-सिरिवच्छ-रइयवच्छे) अकरंडुअ-कमागरुयय-निम्मल-सुजाय-निरुवहय-देहधारी अट्ठसहस्सपडिपुराण-वरपुरिस-लक्खणधरे सराणयपासे संगयपासे सुदरपासे सुजायपासे मियमाइअ-पीणरइयपासे उज्जुन-समसहिय-जचतणु-कसिण-णिद्ध-श्राइजलडह-रमणिज-रोमराई झस-विहग-सुजाय पीणकुच्छी झसोदरे सुइकरणे पउमविग्रडणाभे गंगावत्तक-पयाहिणावत्त-तरंग-भंगुर-रविकिरण-तरुण-बोहियअकोसायंत-पउम-गंभीर-वियडणाभे . साहय-सोणंद-मुसल-दप्पण-णिकरियवरकणग-च्छरु-सरिस-वरखइर-बलिअमज्झे पमुइय-वरतुरग-सीह-वर(अइरेग). वट्टियकडी वरतुरग-सुजाय-सुगुज्झदेसे (पसत्थ वरतुरग-गुज्झदेसे) पाइराणहउव्व णिरुषलेवे वरवारण-तुल्ल-विक्कम-विलसियगई गयससण-सुजाय-सन्नि