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________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: अ० 1 पश्चमी प्रतिपत्तिः ] [ 407 बायरपुढवि असंखेजगुणा पाउवाउ असंखेजगुणा बायरवणस्सतिकाइया अणंतगुणा बायरा विसेसाहिया 1 / एवं अपजत्तगाणवि 2 / पजत्तगाणं सम्बत्थोवा बायरतेउकाइया बायरतसकाइया असंखेजगुणा पत्तेगसरीरबायरा असंखेजगुणा सेसा तहेव जाव बादरा विसेसाहिया 3 / एतेसि णं भंते ! बायराणं पजत्तापजत्ताणं कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, सव्वत्थोवा बायरा पजत्ता बायरा अपजत्तगा असंखेजगुणा, एवं सव्वे जहा बायरतसकाइया 4 / एएसि णं भंते ! बायराणं बायरपुढविकाइयाणं जाव बायरतसकाइयाण य पजत्तापजत्ताणं कयरे२हिंतो अप्पा वा 41, सव्वत्थोवा बायरतेउकाइया पजत्तगा बायरतसकाइया अपजत्तगा असंखेजगुणा पत्तेयसरीरबायरवणसतिकाइया पजत्तगा असंखेजगुणा बायरणियोया पजत्तगा असंखेजगुणा पुढविश्राउवाउपजत्तगा असंखेजगुणा बायरतेउ. अपजत्तगा असंखेजगुणा पत्तेयसरीरबायरवणस्सतिश्रपज्जत्तगा. असंखेज गुणा बायरा णिश्रोया अपजत्तगा असंखेजगुणा बायरपुढवित्राउ. वाउ अपजत्तगा असंखेजगुणा बायरवणस्सइ-पजत्तगा अणंतगुणा बायरपजत्तगा विसेसाहिया बायरवणस्सति अपजत्ता असंखगुणा बायरा अपजत्तगा विसेसाहिया बायरा पजत्तगा विसेसाहिया 5 / एएसि णं भंते ! सुहृमाणं सुहृमपुढविकाइयाणं जाव सुहुमनिगोदाणं बायराणं बायरपुढविकाइयाणं जाव बायरतसकाइयाण य कयरे२हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सवत्थोवा बायरतसकाइया बायरतेउकाइया असंखेजगुणा पत्तेयसरीरबायरवणा असंखेजगुणा तहेव जाव बायरवाउकाइया असंखेजगुणा सुहुमतेउकाइया असंखेजगुणा सुहुमपुढविकाइया विसेसाहिया सुहमश्राउकाइया सुहुमवाउकाइया विसेसाहिया सुहुमनियोया असंखेजगुणा बायरवणस्सतिकाइया अणंतगुणा बायरा विसेसाहिया सुहुमवणस्सइकाइया असंखेजगुणा सुहुमा विसेसाहिया 6 / एवं अपजत्तगावि पजत्तगावि, णवरि सव्वत्थोवा
SR No.004366
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages456
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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