________________ श्रीऔपपातिक-सूत्रम् ] बीयमंतो अणुपुब्व-सुजाय-रुइल-बट्ट-भावपरिणया एकखंधा श्रोगसाला अणेग-साहप्पसाह-विडिमा अणेग-नर-वाम-सुप्पसारिश्र-अग्गेज्म-घण-विउलबद्धखंधा अच्छिद्दपत्ता अविरलपत्ता अवाईणपत्ता अणईअपत्ता (पाईणपडिणायय-साला उदीण-दाहिण-विच्छिराणा श्रोणयनय-पणय-विप्पहाइयथोलंब पलंब लंब-साहप्पसाह-विडिमा अवाईणपत्ता अणुईराणपत्ता) नियजरढ-पंडुपत्ता णव-हरिय-भिसंतपत्त-भारंधकार-गंभीर-दरिसणिज्जा उपणिग्गय-णवतरुणपत्त-पल्लव-कोमल-उज्जल-चलंत-किसलय-सुकुमाल-पवाल-सोहियवरंकुरग्गसिहरा णिचं कुसुमिया णिच्चं माइया णिच्चं लवइया णिच्चं थवइया णिच्चं गुलइया णिचं गोच्छिया णिच्चं जमलिया णिच्चं जुबलिया णिच्चं विणमिया णिच्चं पणमिया गिच्चं कुसुमिय-माइयलवइय-थवइय-गुलइय-गोच्छिय-जमलिय-जुवलिय-विणमिय-पणमिय-सुविभत्तपिंड-मंजरि-वसियधरा सुय-बरहिण-मयणसाल-कोइल-कोहंगक-भिंगारककोंडलक-जीवंजीवक-गंदीमुह-कविल-पिंगलक्खग-कारंड-चकवाय-कलहंससारस-अणेग-सउणगण-मिहुण-विरइय-सदुराणइय-महुर-सरणाइए सुरम्मे संपिडिय-दरिय-भमर-महुकरि-पहकर-परिलिन्त-मत्तछप्पय-कुसुमासव-लोल-महुरगुमगुमंत-गुंजंत-देसभागे अभंतर-पुप्फफले बाहिरपत्तोच्छराणे पत्तेहि य पुप्फेहि य उच्छराण-पडिवलिच्छराणे (श्रोच्छराणवलिच्छत्ते) साउफले निरोयए अकंटए णाणाविह-गुच्छ-गुम्म-मंडवग-रम्मसोहिए विचित्त-सुहकेउभूए (विचित्तसुह-से उकेउबहुले) वावी-पुक्खरिणी-दीहियासु य सुनिवेसियरम्मजालहरए 2 / पिंडि-मणी-हारिम-सुगंधि-सुह-सुरभि-मणहरं च महया गंधद्धणिं मुयंता णाणाविह-गुच्छगुम्म-मंडवक-घरक-सुह-सेउ-केउबहुला अणेग-रह-जाण-जुग्ग-सिविय-पविमोयणा सुरम्मा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा 3 // सू० 3 // तस्स णं वणसंडस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एक्के असोगवरपायवे पराणते (दुरोवगय-कंदमूल-बट्ट-लठ्ठ