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________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: प्रतिपत्तिः 2 ] [ 221 मणुस्सणपुसका असंखेजगुणा देवकुरु-उत्तरकुरु-कम्मभूमक-मणुस्सणपुंसका दोवि संखेजगुणा, एवं तहेव जाव पुव(पुवावर)विदेह-कम्मभूमक-मणुस्सणपुंसका दोवि संखेजगुणा 1 / एतासि णं भंते ! देविस्थीणं भवणवासीणीणं वाणमंतरीणीणं जोइसिणीणं वेमाणिणीणं देवपुरिसाणं भवणवासिणं जाव वेमाणियाणं सोधम्मकाणं जाव गेवेजकाणं अणुत्तरोववातियाणं गेरइयणपुसकाणं रयणप्पभापुढवि-णेरइयणपुंसगाणं जाव अहेसत्तमपुढविनेरइयणपुंसगाणं कतरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा अणुत्तरोववातियदेवपुरिसा उवरिमगेवेजदेवपुरिसा संखेजगुणा तं चेव जाव श्राणते कप्पे देवपुरिसा संखेजगुणा, अहेसत्तमाए पुढवीए णेरड्यणपुंसका असंखेजगुणा, छट्ठीए पुढवीए नेरइयणपुसका असंखेजगुणा सहस्सारे कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा महासुक्के कप्पे देवा असंखेजगुणा पंचमाए पुढवीए नेरइयणपुसका असंखेजगुणा लंतए कप्पे देवा असंखेजगुणा चउत्थीए, पुढवीए नेरइया असंखेजगुणा बंभलोए कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा तच्चाए पुढवीए नेरइयणपुंसका असंखेजगुणा माहिंदे कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा सणकुमारकप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा दोच्चाए पुढवीए नेरइया असंखेनगुणा, इसाणे कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा / ईसाणे कप्पे देवित्थियात्रो संखेजगुणायो, सोधम्मे(कप्पे)देवपुरिसा संखे- / जगुणा सोधम्मे कप्पे देवित्थियायो संखेनगुणा भवणवासिदेवपुरिसा असंखेनगुणा भवणवासिदेवित्थियायो संखेजगुणाश्रो इमीसे रयणप्पभापुढवीए नेरइया असंखेजगुणा वाणमंतरदेवपुरिसा असंखेजगुणा वाणमंतर. देवित्थियात्रों संखेजगुणायो जोतिसियदेवपुरिसा संखेजगुणा जोतिसियदेवित्थियात्रो संखेजगुणा 10 / एतासि णं भंते ! तिरिवखजोणित्थीणं जलयरीणं थलयरीणं खहयरीणं तिरिक्खजोणियपुरिसाणं जलयराणं थलयराणं खहयराणं तिरिक्खजोणियणपुसकाणं एगिदियतिरिक्खजोणिय
SR No.004366
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages456
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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