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________________ 12 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विभागः पव्वइया खत्तिअपव्वइया भडा जोहा सेणावई पसत्थारो सेट्ठी इब्भा अराणे य बहवे एवमाइणो उत्तम-जाति-कुल-रूव-विणय-विराणाण-वराण-लावराण'विक्कम-पहाण-सोभग्ग-कंतिजुत्ता बहुधण-धराण-णिचय-परियाल-फिडिया णरवइ-गुणाइरेया इच्छियभोगा सुहसंपललिया किंपागफलोवमं च मुणिय विसयसोक्खं जलबुब्बुअसमाणं कुसग्ग-जलबिंदु-चंचलं जीवियं च णाऊण अद्भुवमिणं रयमिव पडग्गलग्गं संविधुणित्ता णं चइत्ता हिरगणं जाव पबइबा, अप्पेगइया अद्धमासपरिवाया, अप्पेगइया मासपरिवाया एवं दुमासपरिवाया तिमासपरिवाया जाव एकारसमासपरिवाया अप्पेगइया वासपरिवाया दुवासपरिवाया तिवासपरिवाया, अप्पेगइया अणेगवासपरियाया संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरति // सू० 14 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अंतेवासी बहवे निग्गंथा भगवंतो अप्पेगइया आभिणिबोहियणाणी जाव केवलणाणी अप्पेगइया मणबलिया वयवलिया कायवलिया (नाणबलिया दंसणबलिया चारित्तबलिया), अप्पेगइया मणेणं सावाणुग्गहसमत्था एवं वएणं कारणं, अप्पेगइया खेलोसहिपत्ता एवं जल्लोसहिपत्ता विप्पोसहिपत्ता श्रामोसहिपत्ता सब्बोसहिपत्ता, अप्पेगइया को?बुद्धी एवं बीयबुद्धी पडबुद्धी, अप्पेगइश्रा पयाणुसारी अप्पेगइया संभिन्नसोया अप्पेगइया खीरासवा अप्पेगइया महुशासवा अप्पेगइश्रा सप्पियासवा अप्पेगइया अक्खीणमहाणसिया एवं उज्जुमती अप्पेगइया विउलमई विउव्वणिडिपत्ता चारणा विजाहरा भागासातिवाइणो 1 / अप्पेगइया कणगावलि तवोकम्म पडिवराणा एवं एकावलिं खुड्डाग-सीहनिकीलियं तवोकम्म पडिवराणा अप्पेगइयामहालयं सीहनिकीलिय तवोकम्मं पंडिवण्णा भदपडियं महाभदपडिमं सव्वतोभद्द. पडिमं श्रायविलवद्धमाणं तवोकम्म पडिवराणा 2 / मासिगं भिक्खुपडिमं एवं दोमासिओं पडिमं तिमासिधे पडिम जाव सत्तमासिगं भिक्खुपडिमं
SR No.004366
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages456
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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