________________ 258 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पञ्चमो विमागः परिणयाए मजविहीए उववेदा फलेहि पुराणा वीसंदंति कुसविकुस-विसुद्धरुक्खमूला जाव चिट्ठति 1, 8 / एकोरूए दीवे तत्थ 2 बहवो भिंगंगया णाम दुमगणा पराणत्ता समणाउसो!, जहा से बारग-घडकरग-कलसककरि-पायंकंचणि-उदंकवद्धणि-सुपविट्टरपारी-वसक-भिंगार-करोडि-सरगथरग-पत्तीथाल-णत्थग-बवलियश्रवपदगवारक-विचित्तवट्टक- मणिवट्टक-सुत्तिचारुपिणया कंचण-मणिरयणभत्तिविचित्ता भायणविधीए बहुप्पगारा तहेव ते भिंगंगयावि दुमगणा अणेग बहुग-विविहवीमसाए परिणताए भाजणविधीए उववेया फलेहिं पुनाविव विमट्टति कुसविकुसविसुद्धक्खमूला जाव चिट्ठति 2, 1 / एगोरूगदीवे णं दीवे तत्थ 2 बहवे तुडियंगा णाम दुमगणा परांणता समणाउसो।, जहा से आलिंग-मुयंग-पणव-पडह-दहरगकरडिडिडिमभंभा-होरंभ-करिणयार-खरमुहि-मुगुद-संखिय-परिलीवव्वगपरिवाइणि-वंसावेणु वीणा-सुघोसविवंचिमहति-कच्छभिरगसगा--तलताल-कंसताल-सुसंपउत्ता श्रोतोज-विधीणिउण-गंधव-समय-कुसलेहिं फंदिया तिट्ठाणसुद्धा तहेव ते तुडियंगयावि दुमगणा अणेगबहु-विविध-वीससा-परिणामाए तत-विततघणसुसिराए चउविहाए यातोजविहीए उववेया फलेहिं पुराणा विसट्टति कुसविकुस-विसुद्धरुक्खमूला जाव चिट्ठति 3, 10 / एगोरुयंदीणं दीवे तत्थ 2 बहवे दीवसिहा णाम दुमगणा पराणत्ता समणाउसो !, जहा से संझाविरागसमए नवणिहिपतिणो दीविया चकवालविंदे पभूय-वट्टिपलित्ताणेहिं धणिउज्जालियतिमिरमदए कणगणिगर-कुसुमित-पालियातयवणप्पगासो कंत्रणमणिरयण-विमल-महरिह-तवणिज्जुजल-विचित्तदंडाहिं दीवियाहिं सहसा पजलिऊसविय-णिद्ध-तेयदिप्पंत-विमल-गहगणसमापहाहि. वितिमिरकर-सूर पसरिउल्लोयचिल्लियाहिं जावुजल-पहसियाभिरामाहिं सोभेमाणा तहेव ते दीवसिहावि दुमगणा अणेगबहु-विविह-वीससापरिणामाए उज्जोयविधीए उववेदा फलेहिं पुराणा विसट्टांति कुप्तविकुसविसुद्ध-रुक्खमूला जाव चिट्ठति