________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् :: द्वितीया प्रतिपत्तिः ] [ 227 जोयण-सहस्सबाहल्लस्स खेत्तच्छेएणं विजमाणस्स अस्थि दव्वाइं वराणयो काल जाव परिणयाई ?, हंता अत्थि 3 / इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए रयणनामगस्स कंडस्स जोयणसहस्सबाहल्लस्स खेत्तच्छेएणं बिजमाणस्स तं चेव जाव हंता अस्थि, एवं जाव रिदृस्स 4 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए पंकबहुलस्स कंडस्स चउरासीति-जोयणसहस्सबाहल्लस्स खेत्ते तं चेव, एवं श्रावबहुलस्सवि असीतिजोयणसहस्सबाहल्लस्स 5 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए घणोदधिस्स वीसं जोयणसहस्सबाहल्लस्स खेतब्छेदेण तहेव 6 / एवं वणवातस्म असंखेजजोयणसहस्सबाहल्लस्स तहेव, श्रीवासंतरस्सवि तं चेव 7 1 सकरप्पभाए णं भंते ! पुढवीए बत्तीसुत्तर-जोयणसतसहस्साहल्लाए खेत्तच्छेएण छिजमाणीए अत्थि दव्वाई ‘वगणतो जाव घडताए चिट्ठति ?, हंता अस्थि 8 / एवं घणोदहिस्स वीसजोयण-सहस्सबाहलस्स घणवातस्स असंखेज जोयण-सहस्सबाहलस्स 1 / एवं जाव थोवासंतरस्त, जहा सकरप्पभाए एवं जाव अहेसत्तमाए 10 // सू० 73 // इमा णं भंते ! रयणप्पभा पुढवी किंसंठिता पराणत्ता ?, गोयमा ! झलरिसंठिता परापत्ता 1 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए खरकंडे किंसंठित्ते पर गत्ते ?, गोयमा ! झलरिसंठिते पराणत्ते 2 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवाए रवणकंडे किंसंठिते पराणते ?, गोयमा ! झलरिसंठिए पराणत्ते 3 / एवं जाव रिटे 4 / एवं पंकबहुलेवि, एवं श्रावबहुलेवि घणोदधीवि घणवारवि तणुवाएवि ओवासंतरेवि, सव्वे झलरिसंठिते पराणते 5 / सक्करप्पभा णं भंते ! पुढवी किंसंठिता पराणत्ता ?, गोयमा ! झलरिसंठिता पण्णत्ता 6 / सकरप्पभापुढवीए घणोदधी किंसंठिते पराणत्ते ?, गोयमा ! मल्लरिसंठिते पगणत्ते, एवं जाव योवासंतरे 7 / जहा सकरप्पभाए वत्तव्वया एवं जाव अहेसत्तमाएवि 8 // सू० 74 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्लातो उवरिमंतागो केवतियं अबा