________________ 246 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : पञ्चमो विभागः परिणामे // 2 // ) एत्थ किर अतिवयंति नरवसभा केसवा जलचरा य / मंडलिया रायाणो जे य महारंभकोडुबी // 1 // भिन्नमुहुत्तो नरएसु होति तिरियमणुएसु चत्तारि / देवेसु श्रद्धमासो उक्कोस विउठवणा भणिया // 2 // जे पोग्गला अणिट्ठा नियमा सो तेसि होइ अहारो। संगणं तु जहरणं नियमा हुंडं तु नायव्वं // 3 // असुभा विउठवणा खलु नेरइयाणं तु होइ सव्वेसिं / वेउल्वियं सरीरं असंघयण हुंडसंठाणं // 4 // अस्सायो उववरणो अस्सायो चेव चयइ निरयभवं / सबपुढवीसु जीवो सव्वेसु ठिइविसेसेसु // 5 // उववाएण व मायं नेरइयो देवकम्मणा वावि / अज्झवसाणनिमित्तं . अहवा कम्मणुभावेणं // 6 // नेरइयाणुप्पागो उक्कोसं पंचजोयणसयाई / दुक्खेणभिदुयाणं वेयणसयसंपगाढाणं // 7 // अच्छिनिमीलियमेत्तं नत्थि सुहं दुक्खमेव पडिबद्धं / नरए नेरइयाणं अहोनिसं पञ्चमाणाणं // 8 // तेयाकम्मसरीरा सुहुमसरीरा य जे अपजना। जीवेण मुक्कमेत्ता वच्चंति सहस्ससों भेयं // 1 // अतिसीतं अतिउराहं अतितराहा अतिखुहा अतिभयं वा। निरए नेरइयाणं दुक्खसयाई अविस्सामं // 10 // एत्थ य भिन्नमुहुत्तो पोग्गल असुहा य होइ अस्सायो। उबवायो उप्पाश्रो अच्छि सरीरा उ बोद्धव्वा // 11 // नारयउद्दे सयो तइयो॥ से तं. नेरतिया // सू० 15 // . // इति तृतीयप्रतिपत्तौ नरकाधिकारे तृतीय उद्देशकः / / 3-1-3 // // अथ तृतीयप्रतिपत्तौ तिर्यगधिकार प्रथमोद्देशकः // से किं तं तिरिक्खजोणिया ?, तिरिक्खजोणिया पंचविधा पराणत्ता, तंजहा-एगिदिय-तिरिक्खजोणिया बेइंदिय-तिरिक्खजोणिया तेइंदिय-तिरिक्खजोणिया चरिंदिय-तिरिक्खजोणिया पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया य 1 / से किं तं एगिदिय-तिरिक्खजोणिया ?, 2 पंचविहा पराणत्ता, तंजहा-पुढविकाइय-एगिदिय -तिरिक्ख जोणिया जावः वणस्सइकाइय-एगिदिय-तिरिक्ख