________________ श्रीजीवाजीवामिगम-सूत्रम् :: प्रथमा प्रतिपत्तिः ] [ 167 समामतो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्ता य अपजत्ता य, तं चेव, णवरि सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्सऽसंखेजभागं उक्कोसेणं जोयणपुहुत्तं. ठिई जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तेवराणं वाससहस्साई, सेसं जहा जलयराणं, जाव चउगतिया दुग्रागतिया परित्ता असंखेजा, से तं उरपरिसप्पा 11 / से किं तं भुयगपरिसप्प-समुच्छिमथलयरा ?, 2 अणेगविधा पराणत्ता, तंजहागोहा णउला जाव जे यावन्ने तहप्पकारा, ते समासतो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्ता य अपजत्ता य, सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलासंखेज्ज उकोसेणं धणुपुहत्तं ठिती उकोसेणं बायालीसं वाससहस्साइंसेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया दुधागतिया परित्ता असंखेजा पराणत्ता, से तं भुयपरिसप्पसंमुच्छिमा, से तं थलयरा 12 / से कि तं खहयरा 1. 2 चउन्विहा पराणत्ता, तंजहा-वम्मपक्खी लोमपक्खी समुग्गपक्खी विततपक्खी 13 / से किं तं चम्मपक्खी ?, 2 अणेगविधा पराणत्ता, तंजहा-वग्गुली जाव जे यावन्ने तहप्पगारा, से तं चम्मपक्खी 14 / से किं तं लोमपक्खी ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-लंका कंका जाव जे यावन्ने तहप्पगारा, से तं लोमपक्खी 15 / से किं तं समुग्गपक्खी ?, 2 एगागारा पराणत्ता जहा पराणवणाए, एवं विततपक्खी जाव जे यावन्ने तहप्पगारा ते समासतो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्ता य अपजत्ता य, णाणत्तं सरीरोगाहणा जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजभागं उक्कोसेणं धणुपुहुत्तं ठिती उकोसेणं बावत्तरिं वाससहस्साई, सेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया दुधागतिया परित्ता असंखेजा पराणत्ता, से तं खयरसमुच्छिम-तिरिक्खजोणिया, सेतं समुच्छिम-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया 16 // सू० 36 // से किं तं गम्भवक्कंतिय-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-जलयरा थलयरा खहयरा // सू० 37 // से कि तं जलयरा ?, जलयरा पंचविधा पराणना, तंजहा-मच्छा कच्छभा मगरा