________________ श्रीराजप्रश्नीय-सूत्रम् ] ... [ 85 आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेति पडिसुणित्ता जेणेव सूरियाभे विमाणे जेणेव सभा सुहम्मा जेणेव मेघोघ-रसिय गम्भीरमहुरसदा जोयणपरिमराडला सुस्सरा घंटा तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता तं मेघोघ-रसित-गम्भीरमहुरसह जोयणपरिममंडलं सुसरं घंटं तिक्खुत्तो उल्लालेति 1 / तए णं तीसे मेघोघ-रसित-गंभीर-महुरसहाए जोयणपरिमंडलाए सुसराए घटाए तिक्खुत्तो उल्लालियाए समाणीए से सूरियाभे विमाणे पासाय-विमाण-णिक्खुडावडिय. सद्द-घंटापडिसुया-सयसहस्ससंकुले जाए यावि होत्था 2 // सू० 25 / / तए णं तेसिं सूरियाभविमाणवासिणं बहणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य एगंतरइ-पसत्तनिचप्पमत्त-विसयसुहमुच्छियाणं सुसर-घंटारव-विउल-बोलतुरिय-चवलपडिबोहणे कए समाणे घोसण-कोउहल-दिन्नकन्नएगग्गचित्तउवउत्त-माणसाणं से पायत्ताणीयाहिवई देवे तंसि घंटारवंसि णिसंतपसंतसि महया महया सद्दणं उग्घोसेमाणे उग्घोसेमाणे एवं वदासी-हंद सुगंतु भवंतो सूरियाभविमाणवासिणो बहवे वेमाणिया देवा य देवीयो य सूरियाभविमाणवइणो वयणं हियसुहत्थं-(प्राणावणिय) श्राणवेइ णं भो ! सूरियामे देवे, गच्छइ णं भो ! सूरियाभे देवे जंबूद्दीवं दीवं भारहं वासं श्रामलकप्पं नयरीं अंबसालवणं चेइयं समणं भगवं महावीरं अभिवंदएं, तं तुब्भेऽवि णं देवाणुप्पिया ! सबिड्डीए अकालपरिहीणा चेव सूरियाभस्स देवस्स अंतियं पाउम्भवह // सू० 26 // तए णं ते सूरियाभविमाणवासिणो बहवे वेमाणिया देवा देवीयो य पायत्ताणियाहिवइस्स देवस्स अंतिए एयम8 सोचा णिसम्म हट्टतुट्ठ जाव हियया अप्पेगइया वंदणवत्तियाए अप्पेगइया पूयणवत्तियाए अप्पेगइया सकारवत्तियाए अप्पेगइया संमाणवर्तियाए अप्पेगइया कोऊहल-जिणभत्तिरागेणं अप्पेगइया सूरियाभस्स देवस्स वयणमणुयत्ते(मणुमन्ने)माणा अप्पेगइया अस्सुयांई सुणेस्सामो अप्पेगइया सुयाई निस्संकियाई करिस्सामो अप्पेगतिया अन्नमन्नमणुयत्तमाणा अप्पेगइया जिण