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________________ श्रीजीवाजीवाभिगम-सूत्रम् / अधिकारः 1 पञ्चमी प्रतिपत्तिः ] [405 अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं कालो असंखेजायो उस्सप्पिणीश्रोसप्पिणीयो खेत्तथो अंगुलस्स असंखेजतिभागो 1 / सुहुमवणस्सतिकाइयस्स सुहुमणिोयस्सवि जाव असंखेजइभागो 2 / पुढविकाइयादीणं वणस्सतिकालो 3 / एवं अपज्जत्तगाणं पजत्तगाणवि 4 // सू० 232 // एवं अप्पाबहुगं, सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया सुहुमपुढविकाइया विसेसाहिया सुहुमाउवाऊ विसेसाहिया सुहुमणिपोया असंखेजगुणा सहुमवणस्सतिकाइया अणंतगुणा सुहुमा विसेमाहिया, एवं अपजत्तगाणं, पजत्तगाणवि एवं चेव 1 / एतेसि णं भंते ! सुहुमाणं पजत्तापजत्ताणं कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, सव्वत्थोवा सुहुमा अपजत्तगा संखेजगुणा पज्जत्तगा एवं जाव सुहमणिगोया 2 / एएसि णं भंते ! सुहुमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं जाव सुहमणिपोयाण य पजत्तापजत्ताणं कयरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया अपजत्तगा सुहुमपुढविकाइया अपजत्तगा विसेसाहिया सुहुमाउअपजत्ता विसेसाहिया सुहुमवाउअपज्जत्ता विसेसाहिया सुहुमतेउकाइया पजत्तगा संखेजगुणा सुहुमपुढविश्राउवाउपजत्तगा विसेसाहिया सुहुमणियोया अपजसगा असंखेजगुणा सुहुमणिपोया पजत्तगा संखेजगुणा सुहुमवरणस्सतिकाइया अपजत्तगा अणंतगुणा सुहुमत्रपजत्तगा विसेसाहिया सुहुमवणस्सइपजत्तगा संखेजगुणा सुहुमा पजत्ता विसेसाहिया 3 // सू० 233 // बायरस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई पराणत्ता 1 / एवं बायरतसकाइयस्सवि बायरपुढवीकाइयस्स बावीसवाससहस्साई बायरग्राउस्स सत्तवाससहस्सं बायरतेउस्स तिरिण राइंदिया बायरवाउस्स तिरिण वाससहस्साई बायरवणस्सइकाइयस्स दसवासससहस्साइं 2 / एवं पत्तेयसरीरबादरस्सवि, णियोयस्स जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 3 / एवं बायरणि I
SR No.004366
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages456
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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