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________________ / श्रीमदागमसुधासिन्धुः पञ्चमो विभागः दव्योमोअरिथा 1 / से किं तं भत्तपाण-दव्योमोअरिया ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-अट्ठ-कुक्कुडिअंडग-प्पमाणमेत्ते कवले श्राहारमाणे अप्पाहारे, दुवालस-कुक्कुडि-अंडग-प्पमाणमेत्ते कवले श्राहारमाणे अवट्ठोमोअरिया, सोलस-कुक्कुडि-ग्रंडग-प्पमाणमेते कवले श्राहारमाणे दुभागपत्तोमोअरिया, चउव्वीस कुक्कुडि-ग्रंडग-प्पमाणमेत्ते कवले याहारमाणे पत्तोमोअरिया, एकतीस-कुक्कुडि-अंडग-प्पमाणमेत्ते कवले थाहारमाणे किंचूणोमोअरिया, बत्तीस-कुक्कुडि-अंडग-प्पमाणमेत्ते कवले आहारमाणे पमाणपत्ता, एत्तो एगेणवि घासेण ऊणयं श्राहारमाहारेमाणे समणे णिग्गंथे णो पकामरसभोईत्ति वत्तव्वं सिया, से तं भत्तपाणदव्योमोअरिया, से तं दव्योमोअरिया 10 / से कि त भावोमोरिया ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-अप्पकोहे अप्पमाणे अप्पमाए अप्पलोहे अप्पसद्दे अप्पझझे, से तं भावोमोअरित्रा, से तं श्रोमोअरिया 11 / से किं तं भिक्खायरिया ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-दव्याभिग्गहचरए खेत्ताभिग्गहचरए कालाभिग्गहचरए भावाभिग्गहचरए उक्खित्तचरए णिक्खित्तचरए उक्खित्तणिक्खित्तचरए णिक्खित्तउक्खित्तचरए वट्टिजमाणचरए साहरिजमाणचरए उवणीचरए श्रवणीचरए उवणीअग्रवणीयचरए श्रवणीयउवणीचरए संसट्टचरए असंसट्टचरए तजातसंसट्टचरए अराणायचरए मोणचरए दिट्ठलाभिए अदिट्ठलाभिए पुट्ठलाभिए अपुट्ठलाभिए भिक्खालाभिए अभिक्खलाभिए अण्णगिलायए अोरणिहिए परिमितपिंडवाइए सुद्धेसणिए संखायत्तिए, से तं भिक्खाधरिया 12 / से किं तं रसपरिचाए ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-णिब्वियतिए पणीअरसपरिचाए आयंबिलए आयामसित्थभोई अरसाहारे विरसाहारे अंताहारे पंताहारे लूहाहारे, से तं रसपरिचाए 13 / से कि तं कायकिलेसे ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-ठाणट्ठितिए (ठाणाइए) उक्कुडुवासणिए पडिमट्ठाई वीरासणिए नेसजिए(दंडायए
SR No.004366
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages456
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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